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Wednesday, May 24, 2023

 

नशे से दूर रहकर सात्विक आहार करे युवा: विनोद
-सेवा ट्रस्ट यूके इंडिया ने महर्षि कश्यप की जयंती पर जूस पिलाया
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कनीना की आवाज। आजादी के 75वें अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में स्वच्छ भारत स्वस्थ समुदाय अभियान के तहत सेवा ट्रस्ट यू.के. इंडिया द्वारा अटेली मंडी रोड़ पर महर्षि कश्यप की जयंती पर जूस का लंगर का आयोजन किया गया। बढ़ती गर्मी में राहगीरों को जूस पीने से मिली राहत। संस्था के सदस्य विनोद ने बताया कि महर्षि कश्यप राग-द्वेष रहित, परोपकारी, चरित्रवान और प्रजापालक थे। उन्होंने बताया कि युवाओं को उनके चरित्र का अनुसरण करते हुए नशे आदि से दूर रहकर शुद्ध सात्विक आहार करना चाहिये। किसी भी देश की तरक्की तभी हो सकती है जब उस देश का समाज नशामुक्त हो। उन्होंने कहा कि संस्था आगे भी उनका मार्गदर्शन और सहायता करती रहेगी। उन्होंने संस्था की को-स्पोंसर डाबर इंडिया लिमिटेड की तरफ से सभी को इम्युनिटी बूस्टर किट भेंट की। इस अवसर पर प्रवीन, अनिल प्रधान, कैलाश गुप्ता, संजय,मनोज दाऊ आदि गणमान्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 05: राहगीरों को जूस पिलाते हुए संस्था के सदस्य ।











कनीना के संत मोलडऩाथ की प्रतिमा रोड़वाल में भी
- गुरुवार को होगी प्राण प्रतिष्ठा, निकाली कलश यात्रा
-आधा दर्जन गांवों में है संत की मान्यता
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कनीना की आवाज। कनीना के प्रसिद्ध संत मोलडऩाथ की प्रतिमा रोड़वाल,राजस्थान में गुरुवार को प्राण प्रतिष्ठित की जा रही है। बुधवार को कलश यात्रा के अलावा बाबा की मूर्ति की शोभायात्रा निकाली एवं हवन भी हुआ। कनीना से भारी संख्या में भक्त रोड़वाल पहुंचे।  रोडवाल में भी संत मोलडऩाथ के नाम से आश्रम स्थापित है। इसमें करीब 3.5 फुट की प्रतिमा संत मोलडऩाथ  की स्थापित की जा रही साथ में गोरखनाथ परिवार एवं शिव परिवार भी स्थापित किया जाएगा।
 विस्तृत जानकारी देते हुए रोड़वाल के मोलडऩाथ आश्रम के महंत भूप सिंह ने बताया कि  25 मई को हवन तथा भंडारा होगा, तत्पश्चात मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
 कौन-कौन बुलाए हैं-
महंत भूप सिंह ने बताया कि इस मौके पर प्रसिद्ध महंत शुभ नाथ महाराज, महंत शंकर नाथ, महंत शीतल नाथ एवं महंत फूलनाथ आदि बुलाए गए हैं। जो विधि विधान ससे संत शिरोमणि मोलडऩाथ की प्रतिमा को स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठित करेंगे।
छह गांव में स्थित संत शिरोमणि मोलडऩाथ  के आश्रम- कनीना के संत मोलडऩाथ के करीब 6 गांव में मंदिर स्थित है। यहां तक कि कुछ गांव में पूजा होती है। इनमें कांवी भोजावास, ढााणी बाठोठा, मांदी, रोडवाल तथा मानसरोवर में संत को याद किया जाता है। वे अपने समय के प्रसिद्ध संत हुए हैं जिन्होंने विक्रमी संवत 2006 में अंतिम सांस ली थी।
कनीना में है संत का पुराना जोहड़ एवं आश्रम - कनीना में बस स्टैंड के पास संत मोलडऩाथ का प्राचीन तालाब है। यहीं पर संत स्नान करते थे। उनका धूणा और आश्रम आज भी स्थित है। जहां हर वर्ष में एक बार बहुत बड़ा मेला लगता है। दूरदराज से लोग आते हैं।
 संत पर लिखी हुई है पुस्तकें एवं आरतियां-
संत मोलडऩाथ पर 6 पुस्तकें कनीना के डा. एचएस यादव की प्रकाशित हो चुकी है। वहीं आइएसबीएन नंबर की पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है। वही उनका कैलेंडर भी प्रकाशित हो चुके हैं। कनीना में ही संत की आरतियों की सीडी एवं भजन लियाकत अलि, शिव कुमार, महेंद्र शर्मा आदि द्वारा विमोचित की गई है तथा आरती संग्रह बाबा चालीसा भी प्रकाशित हो चुका है। ली-गली में मोलडऩाथ  के गुण गाए जाते हैं तथा समय-समय पर यहां भंडारा एवं भजन कीर्तन होते रहते हैं।
2005 में लगी थी प्रतिमा-
संत मोलडऩाथ की प्रतिमा कनीना निवासी भीम सिंह ने बनवाई थी। इससे पहले  बाबा की प्रतिमा नहीं होती थी। जब से डा एचएस यादव की पुस्तक प्रकाशित हुई तो उसमें दिये गये संत के चित्र को देखकर प्रतिमा बनवाई गई थी। कनीना मंडी के भीम सिंह नेता ने अपने पैसों से संत की प्रतिमा बनवा कर विधि-विधान से यहां स्थापित करवाया था।
होता होता है आपस में आना-जाना -
विभिन्न गांव में जहां बाबा मोलडऩाथ ने तप किया या जहां ठहरे उन गांव के लोग मेले में आते जाते रहते हैं तथा एक दूसरे को किसी भी उत्सव पर याद करते हैं। रोडवाल में बाबा प्रतिमा के लिए भी कनीना वासियों को निमंत्रण मिला हुआ है जहां कनीना के भारी संख्या में लोग पहुंचेंगे।
सुंदर तालाब है बाबा का-
कनीना के संत मोलडऩाथ का पक्का बहुत बेहतरीन तालाब कनीना पालिका ने बाबा आश्रम के पास बनाया है। जहां प्रकाश व्यवस्था एवं घूमने-फिरने की सुविधा है। बुजुर्ग भी इसके चारों ओर घूम सकते हैं। वहीं इस तालाब में सुबह से शाम तक छोटे बच्चे से लेक बड़े लोग स्नान करते रहते हैं। बच्चे के लिए यह वाटर पार्क का भी काम कर रहा है। सतीश जेलदार पालिका प्रधान ने बताया कि तालाब पर करीब 30 लाख रुपये का खर्चा आया है। इसे नहरी पानी से भरवाने की कोशिश की जा रही है।
खाटू श्याम के लिए भी यह तालाब कारगर -
पास में खाटू श्याम मंदिर भव्य मंदिर स्थित है। इसके लिए  तालाब की जरूरत होती है यह तालाब खाटू श्याम मंदिर के भक्तों के लिए भी खाटू  तालाब का काम करता है। जहां लोग स्नान कर सकते हैं क्योंकि इसमें साफ पानी भरा जाता है
आवश्यकता शोध की -
संत मोलडऩाथ पर यूं तो छोटे शोध डा एचएस यादव ने किये हुये हैं किंतु बड़े शोध की जरूरत है। उनके गुणों उदास गुणों चरित्र की चर्चा आज भी हर बच्चे के जुबान पर है। उनके कहे हुए शब्द रामबाण माने जाते हैं। ऐसे में ऐसे महान संत पर शोध की जरूरत है। विशेषकर उन्हें पानी में सांस रोककर बैठे रहने की क्षमता थी। अंतिम समय में भी जहां सिरसवाला तालाब में उन्होंने लंबे समय तक बाबा रामेश्वर दास के साथ स्नान किया परंतु मोलडऩाथ सांस रोककर पानी में बैठे रहे और संत रामेश्वर दास बाहर आ गए। जिसके चलते मोलडऩाथ को ठंड लग गई और निमोनिया होने से अंतत: उन्होंने प्राण त्याग दिये।
 मूर्ति के नीचे स्थित संत मोलडऩाथ -
संत मोलडऩाथ बाबा की मूर्ति वर्तमान में संत मोलडऩाथ आश्रम में स्थित है ठीक उसके नीचे मोलडऩाथ को मिट्टी दी गई थी। यहीं पर संत विराजमान है।
 फोटो कैप्शन 6: संत मोलडऩाथ की प्रतिमा रोड़वाल
7: रोड़वाल में भक्त हवन करते हुए।







विश्व थायराइड दिवस-25 मई
थायराइड का समय रहते इलाज न होने पर मिलते हैं गंभीर परिणाम-डा सुंदरलाल
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कनीना की आवाज। कुछ रोग ऐसे होते हैं जो शरीर की ग्रंथियों से जुड़े होते हैं। इन्हीं में से एक है थायराइड रोग है।
कनीना उप नागरिक अस्पताल के एसएमओ डा सुंदरलाल बताते हैं कि थायराइड गले में पाई जाने वाली तितली के आकार की एक ग्रंथि होती है। थायरॉइड ग्रंथि में गड़बड़ी आने से ही थायराइड से संबंधित रोग होते हैं। यह ग्रंथि थायोरेकसिन नाम का हार्मोन बनाती है। यह हार्मोन वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के चयापचय को नियंत्रित रखता है। यह रक्त में चीनी की मात्रा को कम करता है।
थायराइड ग्रंथि के हार्मोन संतुलित न होने से निम्र लक्षण दिखाई पड़ते हैं। डा सुंदरलाल अनुसार
घबराहट, अनिद्रा,चिड़चिड़ापन,हाथों का कांपना,अधिक पसीना आना,दिल की धड़कन बढऩा,बालों का पतला होना एवं झडऩा,मांसपेशियों में कमजोरी एवं दर्द रहना, अत्यधिक भूख लगना, वजन का घटनाअ आदि लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
थायरॉइड रोग के कारण है-यह रोग निम्र कारणों से हो सकता है। जिनमें अव्यवस्थित लाइफस्टाइल
    खाने में आयोडीन कम या अधिकता,ज्यादा चिंता करना,वंशानुगत,गलत खानपान और देर रात तक जागना,डिप्रेशन की दवाइयों लेना,डायबिटीज आदि कारण हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त भी कुछ लक्षण होते हैं।  
थायराइड से बचाव -
आप निम्नलिखित उपायों को अपनाकर थायराइड से बच सकते हैं। जिनमें रोजाना योग करना, शारीरिक श्रम,सेब का सेवन,रात में हल्दी का दूध पीना,धूप में बैठना,नारियल तेल से बना खाना खाना, पर्याप्त मात्रा में नींद लेना,ज्यादा फलों एवं सब्जियों को भोजन में शामिल करें,हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन एवं पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें।
थायराइड में धूम्रपान, एल्कोहल का सेवन नहीं करना, चीनी, चावल, ऑयली फूड का सेवन नहीं करे, मसालेदार खाने से बचे,मैदे से बनी चीजें नहीं खाए,चाय और कॉफी का सेवन नहीं करे।
इलाज-
डाक्टर बताते हें कि थायराइड के इलाज के लिए आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर कुछ मेडिकल जाच के बाद इस बीमारी से लडऩे के लिए दवाइयां लिखेगा। जिससे आप कुछ ही दिनों में अच्छा महसूस करेंगे।
फोटो कैप्शन: डा सुंदरलाल।









नगरपालिका की 335 कनाल जमीन एक साल के पट्टे पर नहीं छूट पाई
-विगत वर्ष अधिक ऊंची बोली लगाने का बात कही
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कनीना की आवाज। कनीना नगर पालिका की कृषि योग्य भूमि हर वर्ष 1 साल के पट्टे पर छोड़ी जाती है जिसमें 2 से 3 फसल पैदावार किसान लेता है। 335 कनाल 16 मरला जमीन है जो विगत वर्ष 15 लाख रुपये में छूटी थी जिसकी बोलीदाताओं ने कोई बोली नहीं लगाई। उनका कहना था कि विगत वर्ष ही ऊंची बोली लग चुकी है। इतनी ऊंची बोली वे नहीं लगा सकते। ऐसे में समस्या के बारे में जानकारी देते हुए अकाउंटेट ने बताया कि बोलीदाताओं ने बोली देने से इंकार कर दिया जिसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दी जा चुकी है। अब आगामी कार्रवाई उच्चाधिकारी ही कर पाएंगे।  







73 वें दिन भी जारी रहा धरना
-लोगों में पनप रहा है रोष
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152-डी पर सेहलंग-बाघोत गांवों के बीच कट की मांग को लेकर चल रहा अनिश्चितकालीन धरना 73वें दिन में प्रवेश कर गया। धरने की अध्यक्षताराम सिंह बाघोत ने की।
सेहलंग बाघोत कट के संयोजक मा. मखनलाल स्वामी बसई ने बताया की धरने के 73वें दिन भी धरने पर बैठे लोगों का हौसला मजबूत है,सभी साथी इतनी भारी आंधी तूफान में भी अपनी मांग को लेकर अडिग है। उन्होंने बताया सेहलंग-बाघोत कट संघर्ष समिति ने अपनी मांग को हर जगह पहुंचाने का कार्य किया है,इसके बाद भी आश्वासन के अलावा धरातल पर किसी भी प्रकार का कार्य शुरू नहीं किया गया है। जिससे लोगों में जो शांतिपूर्ण तरीके से धरने पर बैठे हैं, भारी रोष व्याप्त है। सरकार जल्द से जल्द हमारी मांग पूरी करने का काम करें ।   इस मौके पर रामकुमार,भीमसिंह,नाथूराम, रगबीर पंच, बेड़ा सिंह पूर्व सरपंच,पूर्व सरपंच सत्यवीर नौसवा,ओमप्रकाश यादव, डा. रामसिंह, पार्षद लीलाराम,जयसिंह पंच, बिरेंद्र, झुथर सिंह,सुभाष यादव,हेमराज साहब आदि मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 01: धरने पर बैठे लोग।








अंधड़ ने पहुंचाया भारी नुकसान
-जगह-जगह पेड़ टूटे
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कनीना की आवाज। मंगलवार की शाम को तथा बुधवार के दिन में आए अंधड़ ने पेड़ों को क्षति पहुंचाई है। जगह-जगह पेड़ उखड़ गए, टहनियां टूट कर गिर गई वही अंधड़ को देखकर दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखी चूंकि मिट्टी उनकी खाद्य सामग्री में मिल जाती है। राजकीय उच्च विद्यालय छितरौली के प्रांगण में एक पुराना नीम का पेड़ गिर गया जिससे स्कूल की पानी की टंकी का कुछ भाग क्षतिग्रस्त हो गया वही चारदीवारी का कुछ हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हो गया। यह पेड़ लंबे समय से विद्यालय में खड़ा हुआ था किंतु अचानक अंधड़ ने गिरा दिया है।
किसान सूबे सिंह एवं राजेंद्र सिंह आदि ने बताया कि खेतों में भी जगह जगह पेड़ों की टहनियां टूट गई है, वहीं कुछ पौधों पर आए हुए फूल एवं फल भी नष्ट हो गए हैं। इस वक्त खेतों में हरा चारा और कपास की फसल खड़ी है जिनको किस प्रकार का नुकसान होने की कोई संभावना नजर नहीं आती है।
 फोटो कैप्शन दो: अंधड़ से राजकीय उच्च विद्यालय छीथरोली की पानी की टंकी पर गिरा नीम का पेड़।





कालेज से रोल नंबर स्लिप लेने गई लड़की गायब
- लड़की के पिता ने करवाया गुमशुदगी का मामला दर्ज, 2021 में भी हो गई थी गुम
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 कनीना की आवाज। कनीना उप-मंडल के गांव से 18 वर्षीय युवती कालेज से रोल नंबर स्लिप लेने गई थी किंतु घर नहीं लौटी। उसके पिता ने कनीना थाने में मामला दर्ज करवा दिया है।  लड़की के पिता ने कहा कि वह मेहनत मजदूरी करता है, तीन बच्चे जिनमें 2 लड़के एवं एक लड़की है। लड़की मंगलवार कको कालेज से रोल नंबर स्लिप लेने गई थी किंतु घर नहीं लौटी।  सभी नजदीकियों एवं रिश्तेदारियों में तलाश करने पर भी कहीं भी नहीं मिला।  उन्होंने शंका जताई कि किसी ने उसे कहीं छुपा रखा है। लड़की के पिता ने पुलिस में कहा है कि पहले भी 2021 में यह लड़की घर से चली गई थी। जिसका गुमशुदगी का मामला भी कनीना थाने में दर्ज है। उन्होंने लड़की की तलाश करने की मांग की है। कनीना पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया है।









खेड़ी तलवाना में अव्वल रहे विद्यार्थियों को  किया पुरस्कृत
-कक्षा 10वीं और 12वीं के सभी संकाय के विद्यार्थी हुए पुरस्कृत
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कनीना की आवाज। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खेड़ी तलवाना के प्रांगण में दसवीं एवं बारहवीं के टापर विद्यार्थियों को गांव के समाजसेवी राजेंद्र साहब द्वारा पुरस्कृत किया गया। स्कूल में एक सादा समारोह आयोजित हहुआ जिसमें बारहवीं में विज्ञान संकाय के टापर रहे सपना ,प्रिया एवं अनुराधा, कला संकाय से श्यामानंद, सजना व निशान तथा दसवीं में टापर रहे सोनिया प्रियांशु दोनों प्रथम, भारत द्वितीय, सद्दाम हुसैन तृतीय को पुरस्कृत किया।
समाजसेवी राजेंद्र सिंह साहब ने प्रत्येक विद्यार्थी को 1100-1100 रुपये की नगद राशि देकर पुरस्कृत किया। उल्लेखनीय है कि  पिछले वर्ष राजेंद्र साहब की बेटी मधु तंवर ने यूपीएससी की परीक्षा पास की थी। इसी खुशी में उन्होंने विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया। इस अवसर पर विद्यालय प्राचार्य दीपक लाटा, डॉ संदीप कुमार, संजय सिंह प्रवक्ता, अरविंद प्रधान, ईश्वर सिंह प्रवक्ता, बलवान सिंह पीटीआई, कुलदीप सिंह, देशराज मुख्य शिक्षक तथा योगराज साहब, अशोक कुमार सिंह व पवन सिंह आदि गणमान्य जन उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 4: अव्वल रहे विद्यार्थियों को पुरस्कृत करते हुए राजेंद्र साहब।








जल की बूंद बूंद है कीमती -सतीश कुमार
--गर्मी से बचने की दी हिदायतें
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कनीना की आवाज। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धनौंदा में जल संरक्षण पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि प्राचार्य सतीश कुमार थे। प्राचार्य ने  कहा कि जल की एक-एक बूंद बेशकीमती है, इसे बचाना हम सभी का उत्तरदायित्व है, यदि जल यूं ही बर्बाद होता चला गया तो आने वाले समय में जल की कमी हो जाएगी जो हमारे लिए एक विकट समस्या बन जाएगी। जल को लेकर संसार में बड़े-बड़े युद्ध होते रहे हैं। जल दिनोंदिन पाताल की ओर जा रहा है उधर इंसान इस जल का दोहन एवं दुरुपयोग कर रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि जल का बड़ी ही सावधानी से उपयोग करना चाहिए। अगर पशुओं को नहलाना हो और गाड़ी आदि साफ करने हो तो किसी बाग बगीचे में साफ करें ताकि वह पानी पौधों के काम आ सके।  वह पानी भी खराब न होने पाए। पौचा लगाकर बचा हुआ जल पौधों में डाल देना चाहिए। उन्होंने सभी विद्यार्थियों से वर्षा जल संरक्षण की बात कही। उन्होंने कहा कि  वर्षा का जल सबसे शुद्ध होता है। इसे पीने के काम में भी लाया जा सकता है। राजस्थान के बहुत से गांवों में पीने के लिए वर्षा जल संरक्षित किया जाता है। वर्षा जल संरक्षण के लिए सरकार भी कटिबद्ध है। ऐसे में आप सभी को घरों में एक-एक पक्का गड्ढा बनवा लेना चाहिए, गड्ढा ढक कर रखना चाहिए ताकि कोई भी जीव उसमें न गिरने पाए तथा वर्षा होती है तब सभी छतों का और आसपास का पानी इस गड्ढे में जमा कर लेना चाहिए जिससे पेड़ पौधे उगाने चाहिए। उन्होंने कहा कि धरती पर कहने को 71 प्रतिशत जल है किंतु पीने योग्य जल एक प्रतिशत से भी कम है। ऐसे में जल को सावधानीपूर्वक प्रयोग करें। नहाते समय फव्वारे से नहीं अपितु बाल्टी में पानी ले और उसी को प्रयोग करें। उन्होंने बताया कि पानी को किसी भी कीमत पर खराब न होने दे। वो फसलें उगाई जानी चाहिए जो पानी कम खिंचती हैं। उन्होंने कहा कि नल के नीचे नहाने से अधिक पानी खराब होता है, ऐसे में बाल्टी में पानी लेकर ही स्नान कर।ें उन्होंने कहा कि जल है तो भविष्य है वरना इंसान जल के बगैर जीवित नहीं रह पाएगा। ऐसे में जल संरक्षण के लिए हमें आगे आना चाहिए और अपने परिवार और आसपास के लोगों को जागृत करके उन्हें जल संरक्षण की ओर प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां पानी व्यर्थ में बहता है उसे रोकना चाहिए। जहां टोंटी नहीं लगी हो वहां टोंटी लगवा देनी चाहिए। पानी को बेकार में नालियों में नहीं बहाना चाहिए। नलोंपर मीटर लगवा देना चाहिए ताकि पता लग जाए कितना जल प्रयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि दिनों दिन बढ़ती जा रही है इसके कारण जल भी कम होता जा रहा है। ऐसे में अपने घरों में सुरक्षित रहे और जल को संरक्षित भी रखे। उन्होंने कहा कि हमें प्रतिदिन दो से 3 लीटर कम से कम पानी पीने के लिए चाहिए, यदि जल कम हो गया तो जीना दूभर हो जाएगा। इसलिए जल को बचाना हम सभी का फर्ज बनता है। इस अवसर पर उन्होंने जल संरक्षण तथा गर्मियों में जल पीने वह गर्मी से बचने की जानकारी भी दी।
 फोटो कैप्शन तीन: जल संरक्षण पर बोलते हुए प्राचार्य सतीश कुमार।
  दस में से एक व्यक्ति थायराइड की समस्या से जूझ रहा है। महिलाओं में यह बीमारी अधिक होती है। यह बीमारी कई अन्य बीमारियों की जड़ हे। इसके बारे में विस्तार से डाक्टरों से चर्चा की जाएगी।










जल संरक्षण बहुत जरूरी है-डा मुंशीराम
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कनीना की आवाज। जल संरक्षण विषय को लेकर डा मुंशीराम लगातार लोगों से संपर्क कर रहे हें और आने वाले मानसून में जल संरक्षण की जानकारी दे रहे हैं। उनका कहना है कि जल संरक्षण से ही भविष्य संभव है वरना जीवन का अंत हो जाएगा। उन्होंने बताया कि वे चाहते हैं कि सभी घरों में नलों को टोंटी लगे, सभी घरों में पक्का गड्ढा बनाकर वर्षा जल को संरक्षित किया जाए। वे इसे एक अभियान के रूप में चलाएंगे।
इस संबंध में कुछ लोगों से जल संरक्षण पर बात हुई जिनका कहना है-
जल एक बूंद भी अमूल्य और अमृत समान होती है। इसको बचाने के हर संभव प्रयास करने चाहिए। हम सभी की प्राथमिकता जल बचत की होनी चाहिए नहीं तो जीवन का अंत होगा।
घरों में गड्ढा बनाकर वर्षा जल की बचत करें। जल को कम से कम प्रयोग करना चाहिए। जितनी आवश्यकता हो उतना प्रयोग करें। नालियों में साफ जल को नहीं बहाना चाहिए। पीने के पानी को से पशु न नहलाए। यही से जल की बचत होगी। --टीना
जहां तक हो सके बारिश के समय जल को पक्के गड्ढों में इक_ा कर लेना चाहिए और उसे फसलों सब्जियों के उगाने में काम में लेना चाहिए। यही संदेश समाज को प्रेषित कर अधिक से अधिक वर्षा जल को संरक्षित करें। यही संदेश हम सभी का होना चाहिए वरना जीवन निश्चित रूप से अंत हो जाएगा।
-- रचना शर्मा
सरकार द्वारा भी जल संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं। उन सभी तरीकों को अपनाना चाहिए जिससे जल को बचाया जा सके। भविष्य के लिए जल अमृत और बहुमूल्य चीज है।
-- मंजू यादव
अभी हमें ऐसी फसलें उगानी चाहिए जिनमें पानी कम चाहिए, अधिक पानी वाली फसलें नहीं उगानी चाहिए, वरना धरती से पानी लुप्त हो जाएगा और पाताल में चला जाएगा। जिससे जीवन दूभर हो जाएगा। प्रत्येक घर में निकलने वाले जल को गहरे गड्ढों में डाल देना चाहिए और गड्ढों का अच्छी प्रकार बाहर से ढक देना चाहिए ताकि यह चल भूमिगत जल को बढ़ा सके और जल को भविष्य के लिए बचाया जा सके।
  --हैप्पी
जल बचाने वाले सभी तरीकों का उपयोग हर इंसान को करना चाहिए। जो जल को ज्यादा बचाएगा वह एक दिन नाम कमाएगा। जल को व्यर्थ बहाना बहुत ही बुरी बात होती है।  जल को बचाने के लिए जोहड़ों को संरक्षित करना हम सभी की जिम्मेदारी है और पुराने समय में भी जोहड़ होते थे। इन जोहड़ों को आज भी संरक्षित किया जा रहा है। सरकार भी बढ़ावा दे रही है। इस उद्देश्य को आगे बढ़ाना हम सभी का हम कर्तव्य होना चाहिए जिससे जल की बचत हो सके
--भारती
सरकार विभिन्न जोहड़ों को पक्का करके उसमें वर्षा पानी को जमा कर रही है। इसी दिशा में कनीना मोलडऩाथ जोहड़ भी पक्का करवा दिया गया है। निकट भविष्य में अन्य जोहड़ों को भी पक्का करने की सरकार की योजना है और इन जोहड़ों को संरक्षित करने के लिए हम सभी को कटिबद्ध रहना चाहिए ताकि जितना हो सके जल को बचाया जा सके। भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए जल का संरक्षण जरूरी है।
-- सतीश जेलदार पालिका प्रधान
फोटो कैप्शन: डा मुंशीराम, सतीश जेलदार,भारती, रचना शर्मा,हैप्पी, मंजू यादव,टीना













हर प्रकार से चुनाव के लिए तैयार है कनीनावासी
-आरक्षण संबंधी सोशल मीडिया के पत्र ने किया परेशान
-पत्रकार, डाक्टर एवं वकील भी चुनाव की लाइन में
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कनीना की आवाज। नगरपालिका के प्रधान सतीश जेलदार ने 22 मई 2018 को शपथ ली थी तथा चुनाव 13 मई 2018 को हुये थे किंतु पत्र अनुसार उनका कार्यकाल 24 जून 2023 तक का निर्धारित कर दिया गया है।
पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने 22 मई 2018 को शपथ ली थी परंतु सोशल मीडिया के एक पत्र ने में स्पष्ट कर दिया है कि उनका कार्यकाल 24 जून 2023 तक रहेगा। इस संबंध में पालिका प्रधान सतीश जेलदार से भी बात हुई है किंतु अभी तक उनके पास उनके कार्यकाल समापन के विषय में कोई पत्र नहीं मिला है। स्पष्ट है कि उनका कार्यकाल भी अब 24 जून 2023 तक की रखा गया है। उधर पत्र अनुसार कनीना नगर पालिका की प्रधान पद के लिए आरक्षण हो चुका है परंतु आज आधिकारिक पत्र नहीं मिला है। यह पद महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया है।  इस पत्र की सूचना को लेकर के अनेक प्रकार की भ्रांतियां क्षेत्र में फैली हुई है, कुछ लोग इसे फर्जी करार देते हैं परंतु इसमें प्रदेश की 22 पालिकाओं का वर्णन है फर्जी नहीं हो सकता है? सभी 22 पालिकाओं का सही सही आंकड़ा लिखा हुआ है। यह सत्य है कि इस पर किसी प्रकार का कोई एंडोर्समेंट नहीं है जिसको लेकर के इसे फर्जी माना जा रहा है परंतु जो कुछ हो, कनीनावासी हर प्रकार से चुनाव लडऩे के लिए तैयार है। अगर प्रधान पद महिला के लिए आरक्षित हो जाता है तो बहुत से धुरंधरों के लिए केवल पार्षद का चुनाव लडऩा मजबूरी बन जाती है जिसके चलते पार्षद पद का चुनाव कांटे की टक्कर तलवार की धार के समान होगा क्योंकि चुनाव लडऩा चाहने वाले लोग किसी प्रकार पीछे हटने वाले नहीं। यदि प्रधान पद के लिए उनके परिवार से कोई महिला तैयार नहीं होती है तो वे पार्षद पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं। वैसे भी पार्षद पद के लिए चुनाव लडऩे वाले अभी तक बहुत कम लोग आगे आ रहे हैं क्योंकि प्रधान की शक्ति इस बार अधिक हो गई है, उसका चुनाव सीधा होने की वजह से उसे पार्षदों का काम कम हो गया है भविष्य में प्रधान बनने के बाद किसी प्रस्ताव को पारित करते समय इन पार्षदों की जरूरत हो सकती है। ऐसे में बड़ा और सशक्त पद प्रधान का बना दिया गया है जिसको लेकर के दर्जनों लोग तैयार थे किंतु जब से पत्र की सूचना सोशल मीडिया पर प्रसारित हुई है तब से लोग शांत बैठ गए हैं। उनका अब विचार और मंथन हो रहा है कि किस को मैदान में खड़ा किया जाए। यह सत्य है कि चुनाव लडऩे वाले अब अपनी मां, बहन, बेटी या पत्नी को चुनाव लड़ा सकते हैं, स्वयं भी पार्षद पद के लिए चुनाव लडऩे के लिए तैयार हो रहे हैं। कनीना के पार्षद पद के लिए चुनाव लडऩे वाले महेश बोहरा एक है। उनके पिता राव सत्यवीर बोहरा भी पार्षद रह चुके हैं। अपने पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए पार्षद पद के चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं क्योंकि उन्होंने तो कभी से ही पार्षद पद के की घोषणा की है और पालिका प्रधान बनने की इच्छा नहीं रही की? विजय चेयरमैन भी पार्षद पद के चुनावों के लिए तैयार हैं। अब भविष्य में जब कोई आधिकारिक पत्र आएगा तब की कोई आगे की कार्रवाई चल पाएगी। बहरहाल अभी चुनाव होते नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि जून महीना बाकी है। यदि चुनाव जून में होते है तो अभी तक कोई कार्रवाई हो चुकी होती।  एक और जहां प्रधान का कार्यकाल भी 24 जून तक का किया हुआ है वहीं मतदाता सूचि का अंतिम प्रकाशन भी अभी तक नहीं हुआ है। ऐसे में नहीं लगता कि जून माह में कोई चुनाव हो सकेंगे। ऐसे में जून तक चुनाव नहीं होते तो पत्र में कहे अनुसार 31 दिसंबर 2023 से पहले पहले ही चुनाव करवाए जाएंगे। अब सभी की नजरें इन चुनावों पर टिकी हुई हैं।








आजादी के 76 साल बाद भी नहीं हट पाया महिलाओं का घूंघट
-आधुनिक युग में भी पर्दा प्रथा जारी
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कनीना की आवाज। चाहे हरियाणा सरकार ने भरसक प्रयास किया है और महिलाओं को आगे लाने के बहुत सार्थक प्रयास भी हुए हैं, उन्हें 33 प्रतिशत आरक्षण भी दिया गया है परंतु आजादी के 76 साल बीत गए हैं अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं घूंघट से बाहर नहीं आ पाई हैं। यही कारण है की पंच, सरपंच, पार्षद एवं प्रधान आदि पदों पर आसीन महिला खुद तो काम नहीं करती बल्कि उनके भाई, पति, ससुर, देवर या अन्य कोई उनकी जगह काम करता है। अब तो आलम यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं कई कई पंच एवं सरपंच बन गए हैं। अगर किसी के घर में महिला सरपंच है वह कहीं नजर नहीं आती उसकी जगह उसका पति भाई, देवर, ससुर एवं अन्य कोई उस पद का दुरुपयोग करता हुआ देखा जा सकता है। यही हालात अन्य पदों की है। सवाल उठता है कि जब महिलाएं आगे नहीं आना चाहती तो ऐसे आरक्षण का क्या फायदा? अभी भी समाचार पत्रों में घूंघट वाली फोटो छपती हैं।  एक और अखबार समाचार पत्रों का कहना है कि घूंघट वाली फोटो नहीं छपनी चाहिए यह कुरीति का बढ़ावा देना है वहीं बहुत से फोटो समाचार पत्रों में घूंघट के छपते देखे गये हैं। जब तक महिलाएं घर से बाहर नहीं आएंगी तब तक देश का विकास संभव नहीं है।
यदि पद किसी के पास है और उसका दुरुपयोग कोई अन्य कर रहा है तो यह शर्त सभी विभागों में क्यों नहीं लागू कर दी जाए ताकि जहां कहीं भी महिला कार्यरत है उसकी जगह उसका पति, भाई या देवरा नौकरी कर लेगा? यह प्रश्न ग्रामीण क्षेत्रों में आम उठने लगा है। अब तो लोग जागरूक हो गए हैं, उनका कहना है कि जब तक महिला आगे नहीं आना चाहती तो ऐसी महिलाओं के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
 एक कार्यक्रम में अधिकारी ने बरबस पूछ लिया कि यहां की सरपंच कौन है तो पता लगा महिला सरपंच है और उसकी जगह उसके परिवार वाला बन ठन कर अधिकारी के पास बैठा था अधिकारी ने उसे अच्छी डांट पिलाई और कहा कि जो सरपंच है उसे हाजिर करें। आखिरकार अपना सा मुंह लेकर वह व्यक्ति उठकर चला गया और उसकी जगह असली सरपंच आकर बैठी। अधिकारी ने उसको भी खरा खरा कहा सुनाया। ऐसी कार्रवाई हर अधिकारी को करनी चाहिए ताकि महिलाएं आगे आ सके।  इस प्रकार के पदों का दुरुपयोग करने वाले लोगों के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए। महिलाओं को जो पद मिला हुआ है उस पर पर बिठाया जाना चाहिए, घूंघट/पर्दा प्रथा का अंत होना चाहिए। वरना देश का भविष्य क्या होगा? घूंघट/पर्दा प्रथा पुरानी हो चुकी है परंतु अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों में घूंघट नहीं हट पा रहा है जिसका परिणाम अच्छा नहीं हो रहा है। एक बार सभी लोगों को जागरूक होकर आगे आना चाहिए और महिलाओं को घूंघट से बाहर निकाल कर उनके पदों पर उन्हें बैठाया जाना चाहिए वरना उन्हें अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए। जो घूंघट से बाहर आकर खुद का काम स्वयं कर सके उन्हें आगे लाना चाहिए।




























कनीना नगर पालिका चुनावों पर टिकी हैं नजरें
-चुनावी गतिविधियों को सोशल मीडिया के पत्र ने दिया विराम
-आरक्षण संबंधित पत्र आने का इंतजार
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कनीना की आवाज। कनीना नगर पालिका में सतीश जेलदार ने 13 मई 2018 को प्रधान पद की शपथ ली थी। उनका कार्यकाल 24 जून 2023 तक का निर्धारित कर दिया गया है। नगरपालिका के लिए जहां प्रधान पद के लिए आरक्षण भी घोषित हो चुका है। अब कनीना नगर पालिका का प्रधान पद महिला के लिए आरक्षित होगा, ऐसे संकेत मिल चुके हैं
 उल्लेखनीय है कि कनीना कस्बे में जहां पहले भी दो योजनाओं में दो महिलाएं प्रधान रह चुकी है, एक बार फिर से महिला को यह कमान संभाली जाएगी। कुछ भी हो महिला या पुरुष सभी चुनावों के लिए तैयार हैं। अधिकारिक पत्र आना अभी बाकी है।
इससे पहले भी शारदा और संतोष देवी पालिका प्रधान दो अलग-अलग योजनाओं में रह चुकी है। अब एक बार फिर से महिला को कमान दी जाएगी। सबसे बड़ी विडंबना है कि पूर्व प्रधान और वर्तमान प्रधान भी इस चुनाव प्रक्रिया में प्रधान पद के चुनाव से बाहर हो गए हैं, बेशक वे चाहे तो पार्षद के चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन प्रधान पद के चुनाव डायरेक्ट होने के चलते प्रधान नहीं बन पाएंगे। नए सिरे से चुनावी जोड़ दौड़ में लग गए हैं। चूंकि महिला को ही चुनाव लड़वाना पड़ेगा। क्या कहते हैं पालिका के वर्तमान और पूर्व प्रधान----
पालिका के वर्तमान प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि उनकी पुत्रवधू अनुराधा पढ़ी लिखी है जो यह चुनाव लड़ेगी तथा वो स्वयं तो पहले से ही चुनाव न लडऩे की बात कह चुके हैं। उनका पुत्र चुनाव लडऩे का इच्छुक है किंतु पालिका प्रधान आरक्षित होने के कारण अब वो भी चुनाव से बाहर हो गए हैं। हर प्रकार से चुनाव लडऩे के लिए महिला एवं पुरुष तैयार हैं। महिला के लिए प्रधान पद आरक्षित हो जाएगा तो पार्षद के चुनाव लडऩा और भी कठिन हो जाएगा क्योंकि प्रधान पद से वंचित रहे लोग पार्षद के लिए हाथ पैर मारेंगे।
उधर पालिका के पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा ने बताया वो स्वयं चुनाव न लड़ पाए किंतु उनके परिवार के सदस्य चुनाव जरूर लड़ेंगे। उन्होंने बताया कि पुत्रवधू दीप्ती राव उनके परिवार से चुनाव लड़ सकती है।
 वहीं पूर्व पालिका प्रधान मास्टर दिलीप सिंह की पुत्रवधू सुमन चौधरी चुनाव लड़ सकती है। एडवोकेट दीपक ने बताया कि वह चुनाव लडऩे के लिए तैयार था किंतु महिला के लिए प्रधान पद आरक्षित होने के कारण वे अपनी पत्नी सुमन चौधरी को चुनाव लड़वाएंगे। एकदम चुनाव लडऩे वालों के लिए आरक्षण ने समस्या पैदा कर दी है। चुनाव लडऩे वालों के लिए आरक्षण ने समस्या पैदा कर दी है। जो पुरुष चुनाव लडऩा चाहते थे वह अब प्रधान पद से पीछे हट गए हैं। कनीना पालिका जहां चुनाव लडऩे वाले नए-नए चेहरे उभर सकते हैं। अशोक वर्मा वार्ड चार के घर से महिला चुनाव लडऩे के लिए तत्पर है।
कमल पूर्व पार्षद ने बताया कि उनके परिवार से भी एक महिला अवश्य चुनाव लड़ेगी किंतु उन्होंने नाम उजागर नहीं किया। उधर एडवोकेट पंकज यादव की मां संतोष देवी यह चुनाव लड़ सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पहले वो स्वयं चुनाव लडऩे का इच्छुक था किंतु आरक्षण के बाद उनकी मां चुनाव लड़ेगी जो वर्तमान में पार्षद है। ऐसे में अब कनीना में महिलाओं के लिए फिर से चुनाव लडऩे की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

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