सिहमा को उप तहसील का दर्जा देने पर सीएम का जताया आभार
सिहमा के लोगों ने जताई खुशी, कहा लंबे संघर्ष के बाद मिली खुशी
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कनीना की आवाज। मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा सिहमा में आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में सिहमा को उप तहसील का दर्जा दिए जाने करने के बाद से सिहमा क्षेत्र के लोगों में खुशी की लहर है। जन संवाद कार्यक्रम में सिहमा के सुनील बोस ने गांव की ओर सीएम को सिहमा को उप तहसील का दर्जा देने की मांग की। जिस पर उपस्थित जनसमूह ने तालियां बजाकर मांग का समर्थन किया। कार्यक्रम के आखिर में सीएम मनोहर लाल को मीडिया के सवाल पर सिहमा को उप तहसील बनाने की घोषणा करने पड़ी। गौरतलब है कि सिहमा संघर्ष समिति के सदस्यों ने सिहमा उप तहसील की मांग को पिछले 8 साल से विभिन्न मंचों पर जोर शोर से उठाते रहे थे। सिहमा को उप तहसील का दर्जा देने की घोषणा पर सिहमा के पूर्व सरपंच सूबे सिंह, नरेश कुमार, एडवोकेट हेमंत शर्मा, विजय चेयरमैन, देवेंद्र यादव, कृष्ण अवतार, युद्धवीर सिंह, प्रमोद इंजीनियर, राजेंद्र प्रसाद, ईश्वर सिंह, राधेश्याम शर्मा, वेद प्रकाश पीटीआई आदि ने सीएम का आभार व्यक्त किया है।नारनौल क्षेत्र के गांव सिहमा में हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने उप तहसील बनाने की मांग को दी मंजूरी
फोटो :जनसंवाद सिहमा
सतनारायण यादव एडवोकेट को भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा का अध्यक्ष बनाए जाने पर कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर
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कनीना। आम आदमी पार्टी के पूर्व प्रवक्ता एवं पंजाब हरियाणा
हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट सतनारायण यादव को
भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा का प्रभार दिए जाने पर उनके कार्यालय पर जश्न का
माहौल है। आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा इस खुशी के अवसर पर उनको
गुलदस्ता एवं मिठाइयां खिलाकर उनका मुंह मीठा करवाया जा रहा है। उनके
कार्यालय पर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा।
इस अवसर पर एडवोकेट
सतनारायण यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा मुझे इतनी
बड़ी जिम्मेवारी देकर जो मेरा मान सम्मान किया है इसे मैं किसी भी सूरत में
गिरने नहीं दूंगा और पूरे तन मन धन से पार्टी की सेवा के लिए तत्पर
रहूंगा। सभी साथियों के सहयोग से पार्टी को आगे ले जाने की दिशा में कार्य
करूंगा।
पार्टी द्वारा संगठन में फेरबदल करते हुए कप्तान विनोद
छितरौली को जिला अध्यक्ष एक्स सर्विस मैन व इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह को
एक्स सर्विस मैन सेक्रेटरी वह हरेंद्र शर्मा को जिला व्यापार संघ का प्रधान
मनोनीत किया है।
फोटो कैप्शन: सत्यनारायण यादव।
शहर पुलिस थाने की नाक के नीचे चोरों ने छत उखाड़ कर चोरी करने का किया प्रयास
-पुलिस द्वारा लगाए गए सीसीटीवी कैमरे नहीं कर रहे काम
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कनीना की आवाज। शहर थाने के के सामने बनी दुकान को चोरों ने निशाना बनाया। छत उखाड़ कर चोरी का प्रयास किया गया। पीडि़त दुकानदार नीतेश ने बताया कि आए दिन की तरह हम अपनी दुकान को बढ़ाकर घर चले गए थे। जब सुबह रोजाना की भांति आकर दुकान को खोला तो दुकान की छत में चौका हटा हुआ था जिस से ज्ञात हुआ कि दुकान में चोरी हुई है वही दुकान में सामान ज्यादा होने के कारण पता नहीं चला शायद कुछ सामान चोरी हुआ है। व
शहर थाना प्रबंधक गोविंद कुमार ने मौके का मुआयना किया उनसे पूछताछ की। यहां गौरतलब है कि लोगों से चंदा एकत्रित कर शहर में सीसीटीवी कैमरे लगाए थे लेकिन लेकिन यह सीसीटीवी कैमरे लगने के मात्र 6 दिन ही चले और उसके बाद फेल हो गए। अब ना तो उनको कोई ठीक कराने वाला और ना ही उनको कोई बदलवाने वाला हैं। जिसके कारण चोरों के हौसले बुलंद हैं और लोग दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। कस्बा वासियों ने खराब कैमरों को ठीक कराने की गुहार लगाई है। छत के चौक के उखाड़ कर चोरी करने वाले लोगों को पकडऩे की गुहार लगाई है ताकि कस्बे में चोरियां रोकी जाए ।
योग भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग - प्राचार्य दिनेश
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कनीना की आवाज। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक कांटी में आयोजित तीन दिवसीय योग शिविर का समापन हो गया । शिविर में राजेश डीपीई ने जीवन में योग का महत्व समझाते हुए बच्चों को योग एवम प्राणायाम का अभ्यास करवाया। योग शिविर समापन अवसर पर प्राचार्य दिनेश यादव ने कहा कि योग भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है तथा शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं का एकमात्र समाधान है । प्राचार्य ने कहा कि योग से मन एकाग्र चित्त होता है जिससे शिक्षण कार्य में सहायता मिलती है । शिविर में प्रतिभागी छात्रों को संबोधित करते हुए लेखक सुंदरलाल सुबोध ने कहा कि हमें संतुलित आहार लेना चाहिए तथा नियमित रूप से योग -प्राणायाम करना चाहिए । शिविर में बेहतरीन योग साधक छात्रों को विद्यालय प्रशासन द्वारा सम्मानित किया गया । इस अवसर पर छात्रों सहित समस्त स्टाफ भी मौजूद रहा ।
फोटो कैप्शन 09: योग करते हुए विद्यार्थी।
दिन प्रतिदिन घटता भूजल स्तर चिंता का विषय - डॉ राजेंद्र
बच्चों ने रंग व तूलिका से जल चक्र बनाकर दी प्रस्तुति
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कनीना की आवाज। पीएम श्री मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अटेली में प्राचार्य कुसुमलता की अध्यक्षता में जल-संरक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें छात्रों को जल बचाने के सरल उपाय बताए गए । छात्रों ने पेंटिंग व पोस्टरों के माध्यम से जल बचाने का संदेश दिया तथा जागरूकता रैली निकाल कर जल बचाने की अपील की । कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए प्राचार्य कुसुमलता ने कहा कि जल ही जीवन का आधार है और जल के बिना जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती । वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ राजेंद्र यादव ने कहा कि दिन प्रतिदिन घटता भूजल चिंता का विषय है । इसलिए हमें समय रहते इस पर विचार करना चाहिए । प्रवक्ता नवरत्न ने नल पर टोंटी लगाने तथा पानी को व्यर्थ न बहाने की अपील की । जागरूकता रैली का नेतृत्व करते हुए सेंट जॉन ब्रिगेड ऑफिसर डॉ सी एस वर्मा ने कहा कि जल एक अमूल्य निधि है । इसलिए हमें जल की एक एक बूंद को सहेजकर रखना चाहिए ।
जल संरक्षण कार्यक्रम में बच्चों ने तूलिका व रंगों के माध्यम से पेंटिंग व पोस्टर बनाकर जल-चक्र तथा जल की सदुपयोगिता को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया । इस अवसर पर वरिष्ठ प्रवक्ता दिनेश रोहिला, राजेश कुमार एवं कर्ण सिंह सहित स्टाफ भी मौजूद रहा ।
फोटो कैप्शन 10: जल संरक्षण पर संगोष्ठी को बोलते हुए प्राचार्य।
क्विज प्रतियोगिता में कनीना स्कूल की छात्राओं ने मारी बाजी
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कनीना की आवाज। भारतीय रिजर्व बैंक चंडीगढ़ द्वारा राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना में वित्तीय साक्षरता पर क्विज प्रतियोगिता आयोजित करवाई गई। खंड स्तर पर आयोजित इस प्रतियोगिता में खंड के 26 विद्यालयों ने भाग लिया।
क्विज प्रतियोगिता में प्रथम स्थान राजकीय कन्या उच्च विद्यालय कनीना को मिला विद्यालय की छात्राएं महक व सुप्रिया ने उपमंडल स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया। वहीं द्वितीय स्थान राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बवानिया को मिला तथा तीसरा स्थान राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सेहलंग को मिला। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए खंड शिक्षा अधिकारी विश्वेश्वर कौशिक ने कहा कि आज विद्यार्थी वित्तीय प्रबंधन के प्रति संवेदनशील हो रहे हैं जिसके कारण से लोगों का आर्थिक लेखा-जोखा ठीक हो रहा है तथा साइबर क्राइम से बचने में भी सहयोग मिल रहा है। उन्होंने विजेता टीमों को शुभकामनाएं दी तथा बताया कि खंड स्तर पर विजेता टीमें जिला स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में भाग लेंगे। इस अवसर पर खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी दिलबाग सिंह ने कहा कि आज के विद्यार्थियों में वित्तीय प्रबंधन को लेकर काफी जागरूकता है तथा वह घरों में बेहतर वित्तीय प्रबंधन में सकारात्मक भूमिका निभा रहे हैं। राजकीय कन्या उच्च विद्यालय कनीना के मुख्याध्यापक नरेश कुमार कौशिक ने कहा कि आज संसार में भारत सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है तथा बैंकिंग क्षेत्र में विद्यार्थियों का बढ़ता रुझान इसमें काफी अहम रोल अदा करता है। विद्यार्थियों का वित्तीय क्षेत्र में जागरूक होना समाज में सकारात्मक संदेश दे रहा है तथा लोगों में बैंकों के प्रति विश्वास को बढ़ावा दे रहा है पंजाब नेशनल बैंक द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर रहने वाली टीम के दोनों प्रतिभागियों को 2500-2500 रुपये के नगद वाउचर तथा दूसरे स्थान पर रहने वाली टीम को 2000-2000 रुपये तथा तीसरे स्थान पर रहने वाली टीम को 1500 रुपये प्रति प्रतिभागी प्रदान किए गए। विजेता प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र विजेता प्रमाण पत्र तथा प्रथम को स्वर्ण पदक द्वितीय को रजत पदक तथा तृतीय स्थान पर रहने वाली टीम को कांस्य पदक भी पंजाब नेशनल बैंक द्वारा प्रदान किया गया
वही मुख्याध्यापक नरेश कौशिक ने प्रथम स्थान पर रहने वाली टीम को अपनी तरफ से 500-500 रुपये प्रदान किए। कार्यक्रम का संचालन प्रवक्ता नरेश कुमार व नितिन मुदगिल प्रवक्ता ने किया। निर्णायक मंडल में प्रीति, मॉडल संस्कृति स्कूल कनीना, नीलम, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय करीरा, सविता राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना मंडी ने अपनी महती भूमिका निभाई। इस मौके पर प्रभारी प्राचार्य रवि कुमार,पंजाब नेशनल के प्रबंधक सत्यव्रत यादव ,बैंक अधिकारी नवीन यादव, फील्ड ऑफिसर आकाश यादव, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय दौगड़ा अहीर से वरिष्ठ प्रवक्ता राजबाला कौशिक ,सहायक ओम प्रकाश कौशिक ,प्रवक्ता नित्यानंद यादव सहित खंड के 26 स्कूलों की टीमों ने भाग लिया।
फोटो कैप्शन 11: अव्वल रहे विद्यार्थियों को पुरस्कृत करते अधिकारी।
कट के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 152-डी पर धरना 74वें दिन भी रहा जारी
-कट न बनाये जाने का लोगों में है रोष
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152-डी पर सेहलंग-बाघोत कट की मांग को लेकर चल रहे अनिश्चितकालीन धरना 74वें दिन में प्रवेश कर गया। धरने की अध्यक्षता थानेदार महेंद्र सिंह सेहलंग ने की।
सेहलंग-बाघोत कट संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन नौताना ने बताया की खराब मौसम,गर्मी, आंधी तूफान का सामना करते हुए शांतिप्रिय ढंग से धरना जारी है। कुछ आदमी अस्वस्थ चल रहे हैं। सरकार हमारी पीड़ा को समझे और जल्द से जल्द कट बनवाने का काम शुरू करवाया जाए।
संघर्ष समिति के सदस्य डा.लक्ष्मण सिंह सेहलंग और प्रकाश वीर पोता ने कहा की सेहलंग बाघोत कट 50 गांवों के विकास का पहला प्वाइंट है। सरकार भी चाहती है सबका साथ सबका विकास। सभी गांव के लोगों ने मिलकर अपनी बात को सरकार तक पहुंचा दिया है। धरना प्रदर्शन बाघेश्वर धाम नगरी में भोले बाबा की छत्र छाया में जहां देश और विदेश से हजारों लोग बाबा के दर्शन करने के लिए बाघेश्वर धाम बाघोत में पहुंचते है। गुरुवार को धरना स्थल पर पूर्व सीपीएस अनिता यादव पहुंची और धरने को समर्थन देते हुए सरकार से मांग की है कि कट अविलंब बनवाया जाए। उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है एनएच-152 डी सेहलंग-बाघोत कट जल्द ही बनेगा। इस मौके पर बेड़ा सिंह, कृष्ण,राष्ट्रपाल,नरेंद्र शास्त्री,सूरत सिंह, मांगेराम, चंद्रभान, ओमप्रकाश,रामकुमार, अशोक नंबरदार, जयसिंह पंच, मास्टर विजयपाल,दाताराम, भागमल, प्यारेलाल, रगबीर सिंह,पहलवान धर्मपाल, मा.अशोक , राजू, अर्जुन,सतपाल आदि मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 8: बाघोत-सेहलंग के बीच कट को समर्थन देने पहुंची अनिता यादव।
योग की नियमित आदत रखती है निरोगी काया-प्रीति
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कनीना की आवाज। योग की नियमित आदत शरीर को रोगों से दूर रखेगी वहीं कांति एवं रक्त का संचार दुरुस्त रहेगा। ये विचार डीपीई प्रीति देवी ने अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून के दृष्टिगत धनौंदा के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में विद्यार्थियों को योग अभ्यास करवाते हुए व्यक्त किये।
प्रीति ने कहा कि योग विद्या हमारे ऋषियों की विरासत है। और आज यह योग ही पूरे विश्व के रोगियों के लिए जीवन में सबसे बड़ी आशा का केंद्र बन गया है। इसी के प्रचार के लिए पूरे विश्व की सहमति से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन होने लगा है। उन्होंने कहा कि के समय में लगभग प्रत्येक व्यक्ति किसी ना किसी रोग से ग्रस्त है, जिसके कारण से उसका काफी पैसा केवल स्वस्थ रहने में खर्च हो जाता है। आज सामान्य नागरिक की कमाई का बड़ा हिस्सा घर की दवाई और बच्चों कि पढ़ाई में ही खर्च हो रहा है। अगर हर व्यक्ति योग को अपने दिनचर्या का हिस्सा बना ले तो,बहुत सारा धन जो बीमारियों में खर्च हो रहा है वो भी बचेगा।
इस मौके पर प्राचार्य सतीश कुमार ने कहा कि योग और आयुर्वेद ही एकमात्र ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो मनुष्य के स्वास्थ्य की सम्पूर्ण गारन्टी देती है। केवल दिन में एक घंटे का समय प्राणायाम को देने से इंसान सदैव स्वस्थ रहता है और अगर किसी बीमारी से ग्रसित भी है तो वो भी धीरे धीरे खत्म होनी शुरू हो जाती है। इस मौके पर डा मुंशीराम, राजेश कुमार वरिष्ठ प्रवक्ता,परेश कुमार, महिपाल सिंह, मिथलेश कुमार सहित समस्त स्टाफ मौजूद रहा।
फोटो कैप्शन 3: योग शिविर में योग करते विद्यार्थी तथा योग करवाते प्रीति।
कनीना के संत मोलडऩाथ की प्रतिमा रोड़वाल में भी हुई स्थापित
-आधा दर्जन गांवों में है संत की मान्यता
-कनीना से सैकड़ों भक्त ध्वज लेकर पहुंचे रोड़वाल
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कनीना की आवाज। कनीना के प्रसिद्ध संत मोलडऩाथ की प्रतिमा रोड़वाल(राजस्थान) में भी विधि विधान से स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठित कर दी गई है। रोडवाल में झालड़ी जोहड़ पर संत मोलडऩाथ के नाम से आश्रम स्थापित है। इसमें करीब 3.5 फुट की प्रतिमा संत मोलडऩाथ की स्थापित की गई है, साथ में गोरखनाथ परिवार एवं शिव परिवार भी स्थापित किया गया है।
विस्तृत जानकारी देते हुए रोड़वाल के मोलडऩाथ आश्रम के महंत भूप सिंह ने बताया कि 24 मई को कलश यात्रा संपन्न हुई वहीं तथा रात्रि को जागरण आयोजित हुआ। गुरुवार को को हवन के बाद भंडारा लगा, तत्पश्चात मूर्ति की स्थापना कर प्राण प्रतिष्ठित किया गया है। रोड़वाल अटेली का समीपवर्ती गांव है।
कौन-कौन बुलाए गये-
महंत भूप सिंह ने बताया कि इस मौके पर प्रसिद्ध महंत शुभ नाथ महाराज, महंत शंकर नाथ, महंत शीतल नाथ एवं महंत फूलनाथ आदि सहित विभिन्न संतों ने विधि विधान से संत शिरोमणि मोलडऩाथ की प्रतिमा को स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठित की गई। इस मौके पर कनीना से रोड़वाल गये प्रमुख भक्तों में राजेंद्र भेलिया, अनिल कुमार, सुनील नंबरदार, मुकेश शर्मा, दिनेश कुमार, प्रकाश साहब, श्रीभगवान, पवन कुमार आदि सहित सैकड़ों महिलाएं पंहुची। गत दिवस भी 400 महिलाएं एवं पुरुष पहुंचे थे।
छह गांव में स्थित संत शिरोमणि मोलडऩाथ के आश्रम- कनीना के संत मोलडऩाथ के करीब 6 गांव में मंदिर स्थित है। यहां तक कि कुछ गांव में पूजा होती है। इनमें कांवी भोजावास, ढााणी बाठोठा, मांदी, रोडवाल तथा मानसरोवर में संत को याद किया जाता है। वे अपने समय के प्रसिद्ध संत हुए हैं जिन्होंने विक्रमी संवत 2006 में अंतिम सांस ली थी।
कनीना में है संत का पुराना जोहड़ एवं आश्रम - कनीना में बस स्टैंड के पास संत मोलडऩाथ का प्राचीन तालाब है। यहीं पर संत स्नान करते थे। उनका धूणा और आश्रम आज भी स्थित है। जहां हर वर्ष में एक बार बहुत बड़ा मेला लगता है। दूरदराज से लोग आते हैं।
संत पर लिखी हुई है पुस्तकें एवं आरतियां-
संत मोलडऩाथ पर 6 पुस्तकें कनीना के डा. होशियार सिंह यादव की प्रकाशित हो चुकी है। वहीं आइएसबीएन नंबर की पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है। वही उनका कैलेंडर भी प्रकाशित हो चुके हैं। कनीना में ही संत की आरतियों की सीडी एवं भजन लियाकत अलि, शिव कुमार, महेंद्र शर्मा आदि द्वारा विमोचित की गई है तथा आरती संग्रह बाबा चालीसा भी प्रकाशित हो चुका है। ली-गली में मोलडऩाथ के गुण गाए जाते हैं तथा समय-समय पर यहां भंडारा एवं भजन कीर्तन होते रहते हैं।
2005 में लगी थी प्रतिमा-
संत मोलडऩाथ की प्रतिमा कनीना निवासी भीम सिंह ने बनवाई थी। इससे पहले बाबा की प्रतिमा नहीं होती थी। जब से डा एचएस यादव की पुस्तक प्रकाशित हुई तो उसमें दिये गये संत के चित्र को देखकर प्रतिमा बनवाई गई थी। कनीना मंडी के भीम सिंह नेता ने अपने पैसों से संत की प्रतिमा बनवा कर विधि-विधान से यहां स्थापित करवाया था।
होता होता है आपस में आना-जाना -
विभिन्न गांव में जहां बाबा मोलडऩाथ ने तप किया या जहां ठहरे उन गांव के लोग मेले में आते जाते रहते हैं तथा एक दूसरे को किसी भी उत्सव पर याद करते हैं। रोडवाल में बाबा प्रतिमा के लिए भी कनीना वासियों को निमंत्रण मिला हुआ है जहां कनीना के भारी संख्या में लोग पहुंचेंगे।
सुंदर तालाब है बाबा का-
कनीना के संत मोलडऩाथ का पक्का बहुत बेहतरीन तालाब कनीना पालिका ने बाबा आश्रम के पास बनाया है। जहां प्रकाश व्यवस्था एवं घूमने-फिरने की सुविधा है। बुजुर्ग भी इसके चारों ओर घूम सकते हैं। वहीं इस तालाब में सुबह से शाम तक छोटे बच्चे से लेक बड़े लोग स्नान करते रहते हैं। बच्चे के लिए यह वाटर पार्क का भी काम कर रहा है। सतीश जेलदार पालिका प्रधान ने बताया कि तालाब पर करीब 30 लाख रुपये का खर्चा आया है। इसे नहरी पानी से भरवाने की कोशिश की जा रही है।
खाटू श्याम के लिए भी यह तालाब कारगर -
पास में खाटू श्याम मंदिर भव्य मंदिर स्थित है। इसके लिए तालाब की जरूरत होती है यह तालाब खाटू श्याम मंदिर के भक्तों के लिए भी खाटू तालाब का काम करता है। जहां लोग स्नान कर सकते हैं क्योंकि इसमें साफ पानी भरा जाता है
आवश्यकता शोध की -
संत मोलडऩाथ पर यूं तो छोटे शोध डा होशियार सिंह यादव ने किये हुये हैं किंतु बड़े शोध की जरूरत है। उनके गुणों उदास गुणों चरित्र की चर्चा आज भी हर बच्चे के जुबान पर है। उनके कहे हुए शब्द रामबाण माने जाते हैं। ऐसे में ऐसे महान संत पर शोध की जरूरत है। विशेषकर उन्हें पानी में सांस रोककर बैठे रहने की क्षमता थी। अंतिम समय में भी जहां सिरसवाला तालाब में उन्होंने लंबे समय तक बाबा रामेश्वर दास के साथ स्नान किया परंतु मोलडऩाथ सांस रोककर पानी में बैठे रहे और संत रामेश्वर दास बाहर आ गए। जिसके चलते मोलडऩाथ को ठंड लग गई और निमोनिया होने से अंतत: उन्होंने प्राण त्याग दिये।
मूर्ति के नीचे स्थित संत मोलडऩाथ -
संत मोलडऩाथ बाबा की मूर्ति वर्तमान में संत मोलडऩाथ आश्रम में स्थित है ठीक उसके नीचे मोलडऩाथ को मिट्टी दी गई थी। यहीं पर संत विराजमान है।
फोटो कैप्शन 04:संत मोलडऩाथ की प्रतिमा कनीना।
फोटो कैप्शन 05: मोलडऩाथ आश्रम रोड़वाल में मूर्ति स्थापना के समय पहुंचे संत।
बेहद नुकसानदायक हैं बाजार में कार्बाइड से पके हुए आम
-डाक्टरों की राय में नहीं खाने चाहिए ऐसे फल
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कनीना की आवाज। कनीना के विभिन्न गांवों और विभिन्न शहरों में आजकल आम की बिक्री तेजी से चल रही है। ये आम देखने में तो बहुत मधुर और पके हुए लगते हैं लेकिन यदि हकीकत में जाए जाए तो कार्बाइड से पका कर बेचे जा रहे हैं। बाजार में जल्दी आने से इनकी मार्केट बढ़ी हुई है, ये जल्दी खराब हो जाते हैं और स्वास्थ्य पर दूरगामी नुकसान पहुंचाते हैं। इन आमों को डाक्टर खाने से बचने की सलाह देते हैं।
कैल्शियम कार्बाइड से पके हुए आम दिमाग, स्नायुतंत्र एवं फेफड़ों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं और इसी विधि से केला, आम, पपीता, तरबूज आदि को फल पकाए जा रहे हैं ताकि उनकी मांग बढ़ सके। फल खाने से लीवर को नुकसान पहुंचता है वही पोषक तत्व भी कम हो जाते हैं।
बालकिशन और श्रीकिशन वैद्य का कहना है कि कार्बाइड से पके हुए आम लीवर को बेहद नुकसान पहुंचा सकते हैं जिसके परिणाम स्वरूप भविष्य में शारीरिक समस्या उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने इस प्रकार के फलों को खाने से बचने की सलाह दी है। डा वेद प्रकाश कनीना ने बताया कि यह फल लगातार प्रयोग करने से दिमाग की परेशानी बढ़ जाएगी स्नायु तंत्र खराब हो जाएंगे, फेफड़े आदि काम करना बंद कर देंगे। उन्होंने इन फलों से बचने की सलाह दी अपितु जब तक कार्बाइड से पके आम आ रहे हैं तब तक इन फलों को न खाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि यह फल देखने में अच्छे लगेंगे किंतु कृत्रिम विधि से पकाए हुए हैं। ये भविष्य में शरीर को नुकसान पहुंचाएंगे।
पूर्व कृषि वैज्ञानिक डॉ देवराज ने बताया की आम की पैदावार गंगा के तट के साथ-साथ मैदानी इलाकों में ज्यादा होती है। उत्तर प्रदेश, बिहार आदि क्षेत्रों में भारी मात्रा में आम पैदावार होती है जो दिल्ली से विभिन्न राज्यों में पहुंचाए जाते हैं। दिल्ली में इनको पैक किया जाता है। उन्होंने बताया कि आम कतई नहीं खाने चाहिए क्योंकि ये नुकसानदायक होते हैं। उन्होंने पपीता, केला व तरबूज आदि जो कार्बाइड से पकाते हैं। इनसे भी बचने की सलाह दी है।
उल्लेखनीय है कि बाजार में कैल्शियम कार्बाइड से पकाए गए फल धड़ल्ले बेचे जा रहे हैं। अनजाने में लोग भी इन्हें बड़े चाव से खा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार गलत तरीके से पकाए गए फलों का लगातार सेवन गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। सबसे ज्यादा खतरा आम, पपीता और तरबूज से है।
डाक्टर अजीत शर्मा एवं डा वेद का कहना है कि कार्बाइड से पके फलों को खाने से स्वास्थ्य पर दूरगामी दुष्प्रभाव पड़ता है। फलों को समय से पहले पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड नामक रसायन का प्रयोग किया जाता है। ये फल लाभ कम नुकसान अधिक पहुंचाते हैं। इसमें काफी मात्रा में कार्बाइड के अंश रहते हैं, जो लीवर सहित शरीर के अन्य भागों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही फलों से मिलने वाले पोषक तत्वों को कम कर देते हैं।
कार्बाइड से पके फलों से कम मिलता है विटामिन-
कार्बाइड से पके आम में विटामिन की मात्रा कम हो जाती है। कैल्सियम कार्बाइड एक रसायनिक पदार्थ है, जो फलों की नमी पानी से क्रिया करके इथाइल गैस बनाता है। इससे गर्मी उत्पन्न होने से समय से पहले फल पक जाता है। यह गैस फलों के माध्यम से लोगों के शरीर में प्रवेश कर जाती है। इससे कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं।
जहर की श्रेणी में कार्बाइड-
कार्बाइडसे पके फलों के सेवन से दुष्प्रभाव तत्काल हो, लेकिन लगातार सेवन करने से पेट में छाले होने के साथ लीवर गुर्दे पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कार्बाइड केमिकल जहर की श्रेणी में आता है इसलिए लोगों को कार्बाइड से पके फलों के सेवन से बचना चाहिए।
कार्बाइड से पकने वाले फलों की जांच कराने के लिए क्षेत्र में लेबोरेट्री नहीं है। कार्बाइड से पकाए गए फल पूरी तरह से नहीं पक पाते हैं। इसकी पहचान गौर करने से हो सकती है। यह फल ऊपर से पके अंदर से कच्चे होते हैं। इनका रंग भी प्राकृतिक रूप से पके फलों की अपेक्षा तेज होता है। फलों को हाथ में लेकर तेज रंगों को देखकर इनकी पहचान की जा सकती है। अगर आम में एलकोहल, कार्बाइड या किसी अन्य तरह की महक आती है ऐसे आम न खरीदें। ये ज्यादा पके और अंदर से खराब हो सकते हैं। अच्छे आम पर सामान्य के अलावा कोई दाग नहीं होते जबकि केमिकल वाले आम का रंग 2-3 दिन के अंदर काला होने लगता है। आम खरीदते समय इन्हें दबाकर देखें। पके आम आसानी से दब जाएंगे.
आम खरीदने से पहले इन्हें चखकर देखें चखने से मीठे और स्वादिष्ट लगें तो ही लें जबकि कार्बाइड से पकाए फल का स्वाद किनारे पर कच्चा और बीच में मीठा होता है। बिना कार्बाइड के पके हुए फल का वेट और कलर एक समान होता है। स्वाद में भी पूरा फल एक समान मीठा होता है. यह लंबे समय तक खराब नहीं होते जबकि कार्बाइड से पकाए फलों का भार समान नहीं होता। बाजार से खरीदे हुए आम पहले साफ पानी से धो लें फिर किसी ठंडी जगह पर एक-दो घंटे रख दें। इसके बाद खाने में इस्तेमाल करें।
फोटो कैप्शन 01 एवं 02: बेचे जा रहे आमों को दर्शाती हैं
इंसान की पर्यावरण से छेड़छाड़ जीवों के लिए बन रही है मुसीबत
-भीषण गर्मी एवं जल अभाव के कारण हो रही है जीवों की मौत
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कनीना की आवाज। जंगल से तीतर बटेर, शशक, हरिण लुप्त होने के कगार पर हैं। काला तीतर राज्य पक्षी घोषित है किंतु यह लुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं। पेड़ पौधे एवं जंगल कम होने के कारण तथा गर्मियों में जल एवं भोजन अभाव के अतिरिक्त आखेट के कारण विलुप्ति के कगार पर पहुंच गए हैं। आने वाले समय में मारिशश देश के डोडो पक्षी की भांति ये पुस्तकों में पढऩे को मिलेंगे।
बुजुर्ग राजेंद्र सिंह, राम सिंह, रामकुमार आदि बताते हैं एक समय था जब महलों की बजाय झोपड़ी होती थी और चिडिय़ां भारी संख्या में मिलती थी। वन अधिक होने से तीतर, बटेर, हरियल, फाख्ता, टीटीहरी, काला तीतर, हरिण, शशक एवं नाना प्रकार के जंगली जीव मिलते थे। आज उनके दर्शन दुर्लभ हो गए हैं जिनके पीछे इंसान की पर्यावरण से छेड़छाड़ मानी जाती है। पेड़ पौधों की कटाई, अंधाधुंध उर्वरक एवं पीड़कनाशी खेतों में डालना, पक्के मकान बनाए जाना, वनों का विनाश, औद्योगीकरण, बढ़ता प्रदूषण, आखेट पर कड़ा प्रतिबंध न लग पाना, शौकीनी के लिए जीवों को पालना, जीवों को पालतू बनाने की होड़, सांपों को पकड़कर सपेरे की भूमिका निभाना, गर्मी एवं सर्दी से जीवों को बचने के शरणस्थल न होना, खुले कुओं की जगह बोर बनाया जाना, सूखता जल, नदियों एवं नहरों में पानी का अभाव, भोजन न मिल पाना, आहार शृंंखला का छोटा होना एवं जीवों के लिए संरक्षण कानून सख्त न होना आदि प्रमुख कारण है जिनके चलते जीव जंतु दिनोंदिन लुप्त होते जा रहे हैं।
उधर राजेंद्र सिंह पर्यावरणविद का कहना है कि अभ्यारण्य जैसे स्थल स्थापित करने की अनुमति दी जाए ताकि जीवों को मरने से बचाया जा सके। उनका कहना है कि जंगली जीवों को बचाने के अब सघन प्रयास करने पड़ेंगे वरना जंगली जीव अब लुप्त हो जाएंगे। जंगली जीवों को बचाने के लिए पेड़ पौधों को बचाना जरूरी है। पेड़ पौधे अकसर गर्मी में जल की कमी के चलते नष्ट हो जाते हैं वहीं सर्दी में झुलस जाते हैं।
पर्यावरणविद रविंद्र कुमार बताते हैं किसान अपने खेतों से जाटी पेड़ का विनाश करने पर तुले हुए हैं जिसके चलते तीतर, काला तीतर, फाख्ता आदि विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुके हैं। शशक एवं गीदड़ क्षेत्र में भारी मात्रा में देखने को मिलते थे किंतु जंगलों की सफाई कर देने से सुरक्षित स्थल बचे नहीं हैं जिसके चलते वे विलुप्त होने के कगार पर हैं। प्रसव काल में उनकी संख्या बढ़ सकती है किंतु उस वक्त आखेट करने वाले कुत्ते एवं कुछ आखेट करने वाले जन उनके अंडे चोरी कर लेते हैं या फिर पक्षियों को मारकर खा जाते हैं। कानून सख्त नहीं होने से आखेट चोरी छिपे जारी है। जंगली जीवों को बचाने के लिए जंगलों की आग पर काबू पाना होगा वहीं पर्यावरण को दूषित होने से बचाना जरूरी हो गया है। जीवों को पिंजरे में बंद करने वाले या सांप आदि दिखाने वाले सपेरों, जीवों के साथ मजाक करने वाले मदारी आदि पर सख्त नजर रखनी होगी ताकि पक्षियों, सरीसृपों एवं जंगली जीवों को बचाया जा सके।
जल संरक्षण बहुत जरूरी है-डा मुंशीराम
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कनीना की आवाज। जल संरक्षण विषय को लेकर डा मुंशीराम लगातार लोगों से संपर्क कर रहे हें और आने वाले मानसून में जल संरक्षण की जानकारी दे रहे हैं। उनका कहना है कि जल संरक्षण से ही भविष्य संभव है वरना जीवन का अंत हो जाएगा। उन्होंने बताया कि वे चाहते हैं कि सभी घरों में नलों को टोंटी लगे, सभी घरों में पक्का गड्ढा बनाकर वर्षा जल को संरक्षित किया जाए। वे इसे एक अभियान के रूप में चलाएंगे।
इस संबंध में कुछ लोगों से जल संरक्षण पर बात हुई जिनका कहना है-
जल एक बूंद भी अमूल्य और अमृत समान होती है। इसको बचाने के हर संभव प्रयास करने चाहिए। हम सभी की प्राथमिकता जल बचत की होनी चाहिए नहीं तो जीवन का अंत होगा।
घरों में गड्ढा बनाकर वर्षा जल की बचत करें। जल को कम से कम प्रयोग करना चाहिए। जितनी आवश्यकता हो उतना प्रयोग करें। नालियों में साफ जल को नहीं बहाना चाहिए। पीने के पानी को से पशु न नहलाए। यही से जल की बचत होगी। --टीना
जहां तक हो सके बारिश के समय जल को पक्के गड्ढों में इक_ा कर लेना चाहिए और उसे फसलों सब्जियों के उगाने में काम में लेना चाहिए। यही संदेश समाज को प्रेषित कर अधिक से अधिक वर्षा जल को संरक्षित करें। यही संदेश हम सभी का होना चाहिए वरना जीवन निश्चित रूप से अंत हो जाएगा।
-- रचना शर्मा
सरकार द्वारा भी जल संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं। उन सभी तरीकों को अपनाना चाहिए जिससे जल को बचाया जा सके। भविष्य के लिए जल अमृत और बहुमूल्य चीज है।
-- मंजू यादव
अभी हमें ऐसी फसलें उगानी चाहिए जिनमें पानी कम चाहिए, अधिक पानी वाली फसलें नहीं उगानी चाहिए, वरना धरती से पानी लुप्त हो जाएगा और पाताल में चला जाएगा। जिससे जीवन दूभर हो जाएगा। प्रत्येक घर में निकलने वाले जल को गहरे गड्ढों में डाल देना चाहिए और गड्ढों का अच्छी प्रकार बाहर से ढक देना चाहिए ताकि यह चल भूमिगत जल को बढ़ा सके और जल को भविष्य के लिए बचाया जा सके।
--हैप्पी
जल बचाने वाले सभी तरीकों का उपयोग हर इंसान को करना चाहिए। जो जल को ज्यादा बचाएगा वह एक दिन नाम कमाएगा। जल को व्यर्थ बहाना बहुत ही बुरी बात होती है। जल को बचाने के लिए जोहड़ों को संरक्षित करना हम सभी की जिम्मेदारी है और पुराने समय में भी जोहड़ होते थे। इन जोहड़ों को आज भी संरक्षित किया जा रहा है। सरकार भी बढ़ावा दे रही है। इस उद्देश्य को आगे बढ़ाना हम सभी का हम कर्तव्य होना चाहिए जिससे जल की बचत हो सके
--भारती
सरकार विभिन्न जोहड़ों को पक्का करके उसमें वर्षा पानी को जमा कर रही है। इसी दिशा में कनीना मोलडऩाथ जोहड़ भी पक्का करवा दिया गया है। निकट भविष्य में अन्य जोहड़ों को भी पक्का करने की सरकार की योजना है और इन जोहड़ों को संरक्षित करने के लिए हम सभी को कटिबद्ध रहना चाहिए ताकि जितना हो सके जल को बचाया जा सके। भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए जल का संरक्षण जरूरी है।
-- सतीश जेलदार पालिका प्रधान
फोटो कैप्शन: डा मुंशीराम, सतीश जेलदार,भारती, रचना शर्मा,हैप्पी, मंजू यादव,टीना
ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मियों का होता है विशेष खानपान
-सेहत को बरकरार रखने के लिए ग्रामीण लोग है अग्रणी
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कनीना की आवाज। सेहत के दृष्टिगत विशेषकर गर्मियों में खानपान का ग्रामीण क्षेत्र के लोग विशेष ध्यान रखते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाएं कम होती है किंतु सेहत के प्रति उनका रवैया बेहतरीन देखने को मिलता है। गर्मियों के दिनों में जहां ठोस आहार कम काम में लिए लेते हैं वही तरल आहार अधिक से अधिक प्रयोग किया जाता है। गर्मियों के दिनों में रोटी के रूप में मेसी रोटी खाई जाती है। चना,गेहूं या जो आदि की बनी होती है। ऐसी रोटियां ग्रामीण क्षेत्र के लोग कभी से प्रयोग करते हैं अपितु जब चने की पैदावार अधिक होती थी चने की रोटी खाते थे जो सेहत के लिए बहुत जरूरी है। यहां तक कि बासी मेसी रोटियां भी राबड़ी के साथ विशेष खाद्य पदार्थ ग्रामीण क्षेत्रों का है।
राबड़ी जो छाछ, जौ का आटा आदि हांडी में पकाकर बनाया जाता है। यह एक ऐसा पदार्थ है जो छाछ में बनाया जाता है तथा छाछ डालकर ही इसे प्याज और बासी रोटी के साथ खाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग इस मामले में कभी से राबड़ी प्रयोग करते आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लोग कभी राबड़ी को नहीं भूलते। चाहे वर्तमान पीढ़ी कोल्ड ड्रिंक पीने लग गई और चाय अधिक सेवन करती है किंतु ग्रामीण बुजुर्ग राबड़ी को अहमियत देते हैं। इस वक्त गर्मियों के दिनों में धाणी एवं भुगड़ा नाम से विशेष खाद्य पदार्थ का खाते हैं। ग्रामीण लोग जौ को भुनवाकर धाणी तो चने को भुनवाकर भुगड़ा बनाते हैं जिनको गर्मी के दिनों में बड़े चाव से खाया जाता है। यहां तक कि कुछ लोग जौ की धाणी का सत्तू भी बनाकर पीते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां विशेष रूप से खरबूजा ,खरबूजा,ककड़ी एवं मतीरा आदि खाते हैं। यद्यपि मतीरा दिनों दिन लुप्त होते जा रहे हैं किंतु आज भी बुजुर्ग मतीरे को तरसते हैं। तरबूज से जहां पानी की प्यास बुझाते हैं कोई सेहत के लिए भी लाभप्रद है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र तरबूज पर विशेष ध्यान देते हैं। यहां तक कि आपस में कोई लड़ाई झगड़ा हो जाता है और सुलहनामा बनता है तो तरबूज ही घर लेकर आते हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में ककड़ी तरबूज और खरबूजा आदि विशेष रूप से चाव से खाए जाते हैं।
ग्रामीण ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का प्याज का विशेष लगाव रहा है। यहां तक कि हर घर में नींबू रखते हैं जिससे शिकंजी पीते हैं तथा प्याज एवं कच्चे आम को भून कर खाते हैं ताकि गर्मी से बचा जा सके। गर्मी के खाद्य पदार्थों के बारे में राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, कृष्ण कुमार, दिनेश कुमार एवं सुनील कुमार बताते हैं की बुजुर्ग पुराने खानपान को आज भी नहीं भूले हैं। सब्जियों के रूप में बुजुर्ग लोग खाटा का साग और कढ़ी के अतिरिक्त रायता बनाकर खाते हैं क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में दूध की कमी नहीं होती। यही कारण है दही को रायते में बदल देते हैं और खाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी एक दूसरे के घर से छाछ मुफ्त में उपलब्ध हो जाती है जिसमें काला नमक, भुना हुआ जीरा पुदीना आदि डालकर बड़े चाव से पिया जाता है। जब भी कोई मेहमान आता है तो उसको चाय की बजाए राबड़ी या छाछ का गिलास थमाते हैं जो खाने में बेहतरीन होता है। कसी शहर से आने वाले व्यक्ति भी बड़े चाव से लस्सी को पीते हैं, चाय को दूर भगाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में खाने-पीने की आदतें अच्छी है। यहां तक कि मक्खन भी प्रयोग किया जाता है, दूध का भी सेवन किया जाता है किंतु हर घर में प्याज जरूर खरीदी जाती है जिसे वर्ष भर खाते हैं। प्याज का राबड़ी के साथ विशेष संबंध माना गया है। जब कभी धूप लग जाती है तो कच्चे आम को भुनकर ही उसका उपयोग किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग मनोज कुमार, सुरेश कुमार, रविंद्र कुमार आदि बताते हैं कि ग्रामीण खानपान सबसे बेहतरीन खानपान है। शहरों का खानपान बहुत बेहतर नहीं होता ऐसे में शहरी लोग गांव में आकर कुछ समय बिताना चाहते हैं ताकि खानपान में सुधार करके अपनी सेहत बना सके।
हर प्रकार से चुनाव के लिए तैयार है कनीनावासी
-आरक्षण संबंधी सोशल मीडिया के पत्र ने किया परेशान
-पत्रकार, डाक्टर एवं वकील भी चुनाव की लाइन में
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कनीना की आवाज। नगरपालिका के प्रधान सतीश जेलदार ने 22 मई 2018 को शपथ ली थी तथा चुनाव 13 मई 2018 को हुये थे किंतु पत्र अनुसार उनका कार्यकाल 24 जून 2023 तक का निर्धारित कर दिया गया है।
पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने 22 मई 2018 को शपथ ली थी परंतु सोशल मीडिया के एक पत्र ने में स्पष्ट कर दिया है कि उनका कार्यकाल 24 जून 2023 तक रहेगा। इस संबंध में पालिका प्रधान सतीश जेलदार से भी बात हुई है किंतु अभी तक उनके पास उनके कार्यकाल समापन के विषय में कोई पत्र नहीं मिला है। स्पष्ट है कि उनका कार्यकाल भी अब 24 जून 2023 तक की रखा गया है। उधर पत्र अनुसार कनीना नगर पालिका की प्रधान पद के लिए आरक्षण हो चुका है परंतु आज आधिकारिक पत्र नहीं मिला है। यह पद महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया है। इस पत्र की सूचना को लेकर के अनेक प्रकार की भ्रांतियां क्षेत्र में फैली हुई है, कुछ लोग इसे फर्जी करार देते हैं परंतु इसमें प्रदेश की 22 पालिकाओं का वर्णन है फर्जी नहीं हो सकता है? सभी 22 पालिकाओं का सही सही आंकड़ा लिखा हुआ है। यह सत्य है कि इस पर किसी प्रकार का कोई एंडोर्समेंट नहीं है जिसको लेकर के इसे फर्जी माना जा रहा है परंतु जो कुछ हो, कनीनावासी हर प्रकार से चुनाव लडऩे के लिए तैयार है। अगर प्रधान पद महिला के लिए आरक्षित हो जाता है तो बहुत से धुरंधरों के लिए केवल पार्षद का चुनाव लडऩा मजबूरी बन जाती है जिसके चलते पार्षद पद का चुनाव कांटे की टक्कर तलवार की धार के समान होगा क्योंकि चुनाव लडऩा चाहने वाले लोग किसी प्रकार पीछे हटने वाले नहीं। यदि प्रधान पद के लिए उनके परिवार से कोई महिला तैयार नहीं होती है तो वे पार्षद पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं। वैसे भी पार्षद पद के लिए चुनाव लडऩे वाले अभी तक बहुत कम लोग आगे आ रहे हैं क्योंकि प्रधान की शक्ति इस बार अधिक हो गई है, उसका चुनाव सीधा होने की वजह से उसे पार्षदों का काम कम हो गया है भविष्य में प्रधान बनने के बाद किसी प्रस्ताव को पारित करते समय इन पार्षदों की जरूरत हो सकती है। ऐसे में बड़ा और सशक्त पद प्रधान का बना दिया गया है जिसको लेकर के दर्जनों लोग तैयार थे किंतु जब से पत्र की सूचना सोशल मीडिया पर प्रसारित हुई है तब से लोग शांत बैठ गए हैं। उनका अब विचार और मंथन हो रहा है कि किस को मैदान में खड़ा किया जाए। यह सत्य है कि चुनाव लडऩे वाले अब अपनी मां, बहन, बेटी या पत्नी को चुनाव लड़ा सकते हैं, स्वयं भी पार्षद पद के लिए चुनाव लडऩे के लिए तैयार हो रहे हैं। कनीना के पार्षद पद के लिए चुनाव लडऩे वाले महेश बोहरा एक है। उनके पिता राव सत्यवीर बोहरा भी पार्षद रह चुके हैं। अपने पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए पार्षद पद के चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं क्योंकि उन्होंने तो कभी से ही पार्षद पद के की घोषणा की है और पालिका प्रधान बनने की इच्छा नहीं रही की? विजय चेयरमैन भी पार्षद पद के चुनावों के लिए तैयार हैं। अब भविष्य में जब कोई आधिकारिक पत्र आएगा तब की कोई आगे की कार्रवाई चल पाएगी। बहरहाल अभी चुनाव होते नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि जून महीना बाकी है। यदि चुनाव जून में होते है तो अभी तक कोई कार्रवाई हो चुकी होती। एक और जहां प्रधान का कार्यकाल भी 24 जून तक का किया हुआ है वहीं मतदाता सूचि का अंतिम प्रकाशन भी अभी तक नहीं हुआ है। ऐसे में नहीं लगता कि जून माह में कोई चुनाव हो सकेंगे। ऐसे में जून तक चुनाव नहीं होते तो पत्र में कहे अनुसार 31 दिसंबर 2023 से पहले पहले ही चुनाव करवाए जाएंगे। अब सभी की नजरें इन चुनावों पर टिकी हुई हैं।
कनीना नगर पालिका चुनावों पर टिकी हैं नजरें
-चुनावी गतिविधियों को सोशल मीडिया के पत्र ने दिया विराम
-आरक्षण संबंधित पत्र आने का इंतजार
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कनीना की आवाज। कनीना नगर पालिका में सतीश जेलदार ने 13 मई 2018 को प्रधान पद की शपथ ली थी। उनका कार्यकाल 24 जून 2023 तक का निर्धारित कर दिया गया है। नगरपालिका के लिए जहां प्रधान पद के लिए आरक्षण भी घोषित हो चुका है। अब कनीना नगर पालिका का प्रधान पद महिला के लिए आरक्षित होगा, ऐसे संकेत मिल चुके हैं
उल्लेखनीय है कि कनीना कस्बे में जहां पहले भी दो योजनाओं में दो महिलाएं प्रधान रह चुकी है, एक बार फिर से महिला को यह कमान संभाली जाएगी। कुछ भी हो महिला या पुरुष सभी चुनावों के लिए तैयार हैं। अधिकारिक पत्र आना अभी बाकी है।
इससे पहले भी शारदा और संतोष देवी पालिका प्रधान दो अलग-अलग योजनाओं में रह चुकी है। अब एक बार फिर से महिला को कमान दी जाएगी। सबसे बड़ी विडंबना है कि पूर्व प्रधान और वर्तमान प्रधान भी इस चुनाव प्रक्रिया में प्रधान पद के चुनाव से बाहर हो गए हैं, बेशक वे चाहे तो पार्षद के चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन प्रधान पद के चुनाव डायरेक्ट होने के चलते प्रधान नहीं बन पाएंगे। नए सिरे से चुनावी जोड़ दौड़ में लग गए हैं। चूंकि महिला को ही चुनाव लड़वाना पड़ेगा। क्या कहते हैं पालिका के वर्तमान और पूर्व प्रधान----
पालिका के वर्तमान प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि उनकी पुत्रवधू अनुराधा पढ़ी लिखी है जो यह चुनाव लड़ेगी तथा वो स्वयं तो पहले से ही चुनाव न लडऩे की बात कह चुके हैं। उनका पुत्र चुनाव लडऩे का इच्छुक है किंतु पालिका प्रधान आरक्षित होने के कारण अब वो भी चुनाव से बाहर हो गए हैं। हर प्रकार से चुनाव लडऩे के लिए महिला एवं पुरुष तैयार हैं। महिला के लिए प्रधान पद आरक्षित हो जाएगा तो पार्षद के चुनाव लडऩा और भी कठिन हो जाएगा क्योंकि प्रधान पद से वंचित रहे लोग पार्षद के लिए हाथ पैर मारेंगे।
उधर पालिका के पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा ने बताया वो स्वयं चुनाव न लड़ पाए किंतु उनके परिवार के सदस्य चुनाव जरूर लड़ेंगे। उन्होंने बताया कि पुत्रवधू दीप्ती राव उनके परिवार से चुनाव लड़ सकती है।
वहीं पूर्व पालिका प्रधान मास्टर दिलीप सिंह की पुत्रवधू सुमन चौधरी चुनाव लड़ सकती है। एडवोकेट दीपक ने बताया कि वह चुनाव लडऩे के लिए तैयार था किंतु महिला के लिए प्रधान पद आरक्षित होने के कारण वे अपनी पत्नी सुमन चौधरी को चुनाव लड़वाएंगे। एकदम चुनाव लडऩे वालों के लिए आरक्षण ने समस्या पैदा कर दी है। जो पुरुष चुनाव लडऩा चाहते थे वह अब प्रधान पद से पीछे हट गए हैं। कनीना पालिका जहां चुनाव लडऩे वाले नए-नए चेहरे उभर सकते हैं। अशोक वर्मा वार्ड चार के घर से महिला चुनाव लडऩे के लिए तत्पर है।
कमल पूर्व पार्षद ने बताया कि उनके परिवार से भी एक महिला अवश्य चुनाव लड़ेगी किंतु उन्होंने नाम उजागर नहीं किया। उधर एडवोकेट पंकज यादव की मां संतोष देवी यह चुनाव लड़ सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पहले वो स्वयं चुनाव लडऩे का इच्छुक था किंतु आरक्षण के बाद उनकी मां चुनाव लड़ेगी जो वर्तमान में पार्षद है। ऐसे में अब कनीना में महिलाओं के लिए फिर से चुनाव लडऩे की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
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