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Thursday, September 26, 2024


 

हास परिहास/मनोरंजन के लिए
हो गई टिकटपाड़ों की मौज
- जिनको परिवार वाले रोटी नहीं देते वो खा रहे हैं मुर्ग मुसल्लम
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कनीना की आवाज।
 जब जब चुनाव आते हैं टिकटपाड़ों की मौज हो जाती है। जिनको घर में पत्नी तक मर जाने के ताने कसती है, बच्चे चप्पलों से पीटते हैं उनके वारे न्यारे हो गए हैं। वो इन चुनावी कार्यालयों में सुबह से ही पहुंच जाते हैं इधर-उधर वोट पकाने के नाम पर फोन पर दो बातें करते हैं और मौज मस्ती में चाय, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, शराब, मुर्ग मुसल्लम का मजा सुबह से रात तक लेते हैं। यदि वहां रात को सोना चाहे तो भी उन्हें आराम से बेहतर मखमीले गद्दों पर जगह मिलती है। कुछ तो शराबी किस्म के लोग भी इन कार्यालय में चले जाते हैं और खूब शराब पीते हैं। साथ में घर का कोटा पूरा करने के लिए भी शराब की बोतल ले आते हैं और रास्ते में नृत्य करते हुए गाते नजर आते हैं
ये चुनाव बार-बार आए
कर दी मौज हमारी,
हमें तो रोटी नहीं चाहिए
दारु लगती है प्यारी।।
 सबसे बड़ी बात है इन चुनावों में जो कल तक गैरों में थे आज वो पैरों में पड़े नजर आते हैं। बहुत से ऐसे नेता है जो कल तक किसी पार्टी का विरोध कर रहे थे आज उसी में मिलकर उनके गुणगान कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात देखने में आई की कुछ की तो अकड़ ही निकल गई है। जो अकड़ कर चलते थे किसी को नमस्ते करना तो दूर नमस्ते तक लेने में हिचकिचाते थे वो आज वोट के लिए पैरों में पड़ते नजर आते हैं, उनकी पूंछ लंबी हो गई, तुर्रा गायब हो गया। वाह रे चुनाव तूने कर दिया कमाल।
एक दो नेताओं ने तो पूरी ही बारात जैसा प्रबंध कर रखा है। प्रतिदिन सैकड़ों गाडिय़ां और सैकड़ों लोग सुबह, शाम, दोपहर खाना इस प्रकार बैठकर खाते हैं जैसे कोई बारात आई हो। इनका बजट कई कई करोड़ तक पहुंच सकता है। दुख तो तब होगा जब किसी की हार होती है। उस वक्त तो उनको नानी याद आएगी। अबकी बार तो अटेली में यह हालात बन गई है कि हारने वाले का तो वो हाल बनेगा जिसे ग्रामीण कहावत है- ढारियां ही बैठ जाएगा। एक दो ऐसे प्रत्याशी है जिन्होंने करोड़ों रुपये लगा दिए हैं और अभी लग रहे हैं । अगर ऐसे नेता की ईश्वर न करे हार हो गई तो क्या बीतेगी यह तो 8 अक्टूबर को ही पता लग पाएगा परंतु सुबह से शाम गलियों में अब तो रहना कठिन हो  गया है। माइकों की गूंज सुनाई देती है,कान बहरे होने का खतरा, हृदयघात का खतरा बढ़ सकता है और फिर तो डाक्टरों की कमाई बढऩा स्वाभाविक है।  एक मिनट में कभी बटन दबेगा हाथ का तो, 1 मिनट बाद बटन दबेगा हाथी का तो कुछ देर बाद बटन दबेगा कमल का फिर किसी चाबी का, भैंस करा, बिल्ली का, कुत्ते का या गधे का......बटन दबता सुनाई पड़ता है।
सबक सिखा सकता है अटेली का चुनाव। इस बार अटेली का चुनाव तो नेताओं को सबक भी सिखा सकता है। ऐसे ऐसे नेता जो अपना तुर्रा कम नहीं होने देते थे, उनका बुरा हाल हो गया है और हार गये तो तुर्रे का क्या होगा, फिर तो यह गाना बजेगा-यह तो अटेली चुनाव है देख बबुआ....  अटेली के वोटर इस बार अच्छे गेंदबाज बन गये हैं। इतनी जोर से गेंद फेंकते नजर आ रहे हैं कि कई नेताओं को क्लीन बोल्ड करेंगे और जो नेता जो कपिलदेव की भांति बेहतर खिलाड़ी एवं बल्लेबाज हैं वो वोटरों की गेंद पर छक्का लगाएंगे। कुछ तो क्रिज पर अभी से वोटरों की तेज गेंद को आता देख कांपने लगे हैं कुछ तो बल्ला नहीं संभाल पा रहे हैं और कुछ बल्ला संभालते हैं तब तक क्लीन बोल्ड होते नजर आते हैं। एक ऐसी/ऐसा नेेत्री/नेता भी चुनाव लडऩे वाला खुशनसीब होगी या होगाजो धुरंधर कपिल देव की भांति बल्लेबाज साबित होगा और सीधा ही छक्का लगा सकेगा।
अटेली से आठ बल्लेबाज है और दो लाख से अधिक वोटर गेंदबाज हैं। अब तो ऐसा लगता है कि कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नहीं होती। ऐसा अटेली में भी देखने को मिल रहा है कि जिनकी पूंछ कभी सीधी नहीं हुई थी वो आज भी अपनी पूंछ टेढ़ी किए हुए हैं परंतु पूछ का अंजाम भविष्य के गर्भ में छिपा है।
 वाह से चुनाव, तूने कर दिया कमाल
कोई खुश है तो किसी का बदहाल,
कोई सोता चैन से कोई बदहाल
कोई घूंट लगा रहा कोई लेता नाल
पता नहीं वोटर की कैसी है चाल
पल में बदल दे नेता की चाल
कोई होगा कंगाल यहां तो
कोई होगा मामलामाल
कोई हंसता जा रहा है
कोई बजा रहा है ताल
कोई रोता सुबक सुबक
कोई कुर्सी पर टपकाये राल।।






बवानिया के नवीन कुमार हेड कांस्टेबल ने आईएमटी मानेसर थाने में खाई फांसी
-गांव में छाया सन्नाटा
-शुक्रवार को हो होगा अंतिम संस्कार
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कनीना की आवाज।
आईएमटी मानेसर थाने के अंदर हेड कांस्टेबल नवीन कुमार ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। वह कनीना उपमंडल के गांव बवानिया का रहने वाला था।  मिली जानकारी अनुसार नवीन कुमार विगत 3 महीने से आईएमटी मानेसर थाने में तैनात थे इससे पहले सेक्टर पांच थाने में कार्यरत थे। गुरुवार दोपहर नवीन कुमार का शव थाने के कमरे  में लटकता हुआ पाया गया। वो रात्रि तैनाती पर थे और सुबह 4 बजे जाकर सोए थे। आत्महत्या के कारणों का अभी तक कुछ भी पता नहीं चल पाया है। पुलिस जांच कर रही है वहीं गांव के सरपंच संजीव सहित परिजन मानेसर गये हुये हैं। शुक्रवार को संभावना है कि नवीन कुमार का दाह संस्कार हो सकेगा। वे प्रजापति समाज से संबंध रखते हैं।
घटना की सूचना पाकर सन्नाटा छाया हुआ है। परिजन बेसुध हुई हो गए हैं क्योंकि इतना बड़ा हादसा हो गया है तथा गांव में सन्नाटा छा गया है। हर किसी की जुबान पर नवीन कुमार का नाम है और कुछ बताने में असहाय हैं। गांववासी उसे मिलनसार बताते हुए अचरज में है कि ऐसी क्या बात हुई कि फांसी तक की नौबत आ गई।  
  करीब 37 वर्षीय नवीन कुमार समेत वे तीन भाई हैं जिनमें से नवीन सबसे बड़ा था। उनके पिता रामस्वरूप कारीगर का काम करते हैं। नवीन कुमार के परिवार में उनकी पत्नी नीतू सिंह एवं उसके दो पुत्र भी हैं। गांव के सरपंच संजीव कुमार से इस संबंध में बात हुई तो उन्होंने बताया कि वे मानेसर जा रहे हें और जाम में फंसे हुए हैं। पहुंचने पर ही कुछ पता चल पाएगा कि घटना के पीछे क्या कारण हो सकता है।
फोटो कैप्शन: नवीन कुमार एचसी फाइल फोटो





जलूरा शौर्य समिति ने किया अशोक चक्र सम्मानित शहीद सज्जन सिंह कनीना को
-36 वीरांगनाओं को भी किया सम्मानित
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कनीना की आवाज। 
जलूरा शौर्य समिति के तत्वावधान में 13वीं कुमाऊं रेजिमेंट का शौर्य दिवस आज अशोक चक्र विजेता शहीद सूबेदार सज्जन सिंह की स्मृति में स्थानीय सहित सूबेदार सज्जन सिंह पार्क में मनाया गया। इस मौके पर हवन आयोजित हुआ तथा रेजीमेंट से जुड़े सैनिकों की सेवा संबंधी शिकायतें सुुनी गई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कुमाऊं रेजीमेंट के कमांडेंट ब्रिगेडियर संजय कुमार यादव थे वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता वीर नारी सूबेदार सज्जन सिंह की धर्मपत्नी कौशल्या देवी ने की।
कार्यक्रम का शुभारंभ शहीद सूबेदार सज्जन सिंह की मूर्ति पर मुख्य अतिथि द्वारा पुष्प चक्र अर्पित करके किया गया तथा शहीद पार्क में एक पौधारोपण भी किया । तत्पश्चात मुख्य अतिथि का स्वागत शौर्य समिति के प्रधान कैप्टन बलबीर सिंह ने किया तथा बताया कि किस तरह 26 सितंबर 1994 को 13 कुमाऊं रेजिमेंट के सूबेदार सज्जन सिंह ने अपने बहादुर जवानों के साथ ऑपरेशन रक्षक में उग्रवादियों के दांत खट्टे कर दिए तथा कई गोलियां लगने के बावजूद उन्होंने गंभीर हालत में चार आतंकियों को मार गिराया तथा अंतिम सांस तक गोलियां उनके हेलमेट को भेदती रही, सूबेदार सुजान सिंह ने बेहद दिलेरी से मुकाबला किया तथा अपने दल की सुरक्षा सुनिश्चित की तथा सभी आतंकवादियों को मार गिराया वह भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद भारतीय सेवा को बरामद हुआ ।   
तत्पश्चात राजकीय कन्या उच्च विद्यालय कनीना की छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया तथा देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया मेरा रंग दे बसंती चोला, गुंजन और भारती ने प्रस्तुत की वहीं प्राथमिक कक्षा के बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण पर एक मनोहरी नृत्य प्रस्तुत किया वहीं नशा मुक्ति पर जोर देते हुए शिव पार्वती का प्रसिद्ध युगल नृत्य तू तो रोज पीवै से भांग पिया मैं जाऊंगी याचना और स्नेहा ने. प्रस्तुत किया ।
हरियाणवी संस्कृति की झलक दिखाई  देते हरियाणवी नृत्य नाटिका बदल गया हरियाणा प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर आसपास के क्षेत्र से आई हुई 36 युद्ध वीरांगनाओं को सम्मानित किया गया उन्हें भारतीय स्टेट बैंक की तरफ से चाय सेट  व शाल व स्मृति देकर सम्मानित किया गया । इस मौके पर कुमाऊं रेजिमेंट की रिकॉर्ड टीम मेजर दीपक के नेतृत्व में यहां पहुंची तथा उपस्थित लोगों के पेंशन संबंधी शिकायती मामले देखें  व शीघ्र उनके समाधान का आश्वासन दिया
कार्यक्रम का संचालन राजकीय कन्या उच्च विद्यालय के मुख्य अध्यापक नरेश कुमार कौशिक ने किया तथा बताया कि इस प्रकार के प्रोग्राम बच्चों में देशभक्ति की भावना भरने में बहुत महत्वपूर्ण साबित होते हैं।
इस अवसर पर शहीद सुजान सिंह बालिका छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई । इस अवसर पर बार एसोसिएशन कनीना के पूर्व प्रधान दीपक चौधरी, कप्तान जगराम सिंह, कैप्टन चंदन सिंह,कप्तान विनोद सिंह ,कप्तान धर्मदेव ,कप्तान लाल सिंह, कप्तान सुमेर सिंह हवलदार समर सिंह, सेवानिवृत्ति हेड मास्टर रतनलाल, पूर्व मुख्याध्यापक सुरेंद्र सिंह, शहीद के परिजन, राकेश कुमार डी पी लिपिक कश्मीरी निर्मल,अध्यापक संदीप कुमार, शीला देवी, शालिनी , शीतल रानी , एडवोकेट सुनील देवी, सहित कनीना स्कूल के 48 विद्यार्थियों ने भाग लिया। सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले सभी बच्चों को समिति की तरफ से पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
कौन हैं शहीद सज्जन सिंह ---
कनीना कस्बा में 30 मार्च 1953 में मंगल सिंह-सरती देवी के साधारण परिवार में जन्म लिया। जन्म से ही वे अति कुशाग्र बुुद्धि के धनी थे जिसके चलते वे जब कनीना के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करते हुए 27 मई1971 में 13 कुमाऊं रेजिमेंट की बच्चा कंपनी में भर्ती हो गए।
    उनकी वीरता को देखते हुए 26 सितंबर 1994 को उन्हें जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा क्षेत्र में उग्रवादियों की तलाश में भेजे गए। उन्हें अपनी टुकड़ी के कमांडर की भूमिका दी थी। उनकी टुकड़ी उग्रवादियों का पीछा करते हुए उनके करीब पहुंच गए। उग्रवादी घात लगाए बैठे थे कि टुकड़ी उनकी ओर ही बढ़ रही थी। जब सूबेदार सज्जन सिंह की नजर उग्रवादियों पर पड़ी तो वे आगे बढ़ते हुए उनसे जा भिड़े ताकि पूरी टुकड़ी की जान बचाई जा सके। महज उग्रवादियों से 15 मीटर दूरी पर भीषण युद्ध चला। उग्रवादियों के पास भारी मात्रा में गोले, हथियार आदि होने के कारण तथा उनकी संख्या अधिक होने के कारण शहीद सज्जन सिंह छह उग्रवादियों को अकेने ही मार गिराने में सफल हो गए थे किंतु एक और उग्रवादी घात लगाकर बैठा हुआ था जिसकी गोली सूबेदार सज्जन सिंह के सिर में लगी। गोली सिर के पार गुजर गई किंतु उस उग्रवादी को भी मार गिराया।
  इस प्रकार सूबेदार सज्जन सिंह ने अपनी जान पर खेलते हुए पूरी टुकड़ी के प्राणों की रक्षा की। उनकी बहादुरी एवं वीरता पर तत्कालीन राष्ट्रपति डा शंकर दयाल शर्मा ने मरणोपरांत उनकी पत्नी कौशिल्या देवी को 26 जनवरी 1995 को अशोक चक्र से नवाजा जो शांति समय का सबसे बड़ा पुरस्कार होता है। ऐसे वीरों एवं देशभक्तों पर समस्त राष्ट्र को नाज है।  कनीना के बाबा मोलडऩाथ आश्रम स्थित पार्क में शहीद की प्रतिमा लगी हुई है जो आने वाली पीढिय़ों को प्रेरणा का काम करती रहेगी। उनकी बरसी पर प्रत्येक वर्ष उन्हेें दूर दराज से आए सैनिक एवं वीर याद करते हैं।
फोटो कैप्शन 02: शहीद सज्जन सिंह की प्रतिमा
             03: मुख्य अतिथि को स्मृति चिह्न भेंट करते हुए शहीद की वीरांगना





55 वर्षों से सुरेश कुमार लगा रहे हैं पंचर
-1969 में अधिकतम कमा लेते थे 4 रुपये
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कनीना की आवाज।
 65 वर्षीय सुरेश कुमार भडफ़ निवासी ने अपनी 10 वर्ष की उम्र में साइकिल पंचर लगाने शुरू किए थे और आज 65 वर्ष की उम्र में भी पंचर लगा रहे हैं। उन्होंने साइकिलों का वह दौर देखा है जब एक साइकिल की कीमत 60 से 100 रुपये की होती थी। उस जमाने में साइकिल का क्रेज होता था। उन्होंने बहादुरगढ़, हरियाणा में अपनी पंचर की छोटे से पंप से दुकान शुरू की थी और आज कनीना में पंचर की दुकान लगाकर अपनी रोटी रोटी कमा रहे हैं।
सुरेश कुमार से संबंध में बात हुई तो उन्होंने बताया कि वह अधिकतम 4 रुपये कमा लेते थे जिसमें से एक रुपये स्टेट बैंक में खाते में जमा कर देते थे और महीने के 30 से 40 रुपये बचाकर शानदार जीवन जी रहे थे। एक दिन इतने पैसों का उसके पिता को पता चला तो उन पैसों से उनके लिए पंखा एवं घरेलू सामान खरीद कर लाये। सुरेश कुमार ने तीन-चार जमात पास की थी किंतु परिवार की आर्थिक हालात अच्छी न होने के कारण इस काम में जुट गए। वो बताते हैं कि एक हवा भरने का पंप खरीदा और काम शुरू कर दिया। 10 पैसे में पंचर लगाया जाता था। लगातार मेहनत करते थे। उस जमाने में इतने साइकिल सवार होते थे कि पंचर लगवाने वाले कतारबद्ध खड़े होते थे। उस वक्त साइकिल में हवा भरने का काम भी पंचर लगाने वाला ही करता था। यही कारण है कि दिन में 40 से 50 तक पंचर लगा पाते थे इसके अतिरिक्त साइकिल ठीक करने का काम भी करते थे जिनका अलग से चार्ज लेते थे। उस जमाने में जो साइकिल होती थी वह स्वास्थ्य के लिए ज्यादा बेहतर मानी जाती थी। इंसान सभी कार्य साइकिल से करता था। मामूली सा खर्चा और सेहत के लिए लाभप्रद होने के कारण गरीब जन भी प्रयोग करते थे। धीरे-धीरे समय बदला और सुरेश कुमार 1994 में कनीना आ पहुंचे और साइकिल के पंचर लगाने का काम शुरू किया। वो बताते हैं कि वर्तमान में साइकिल इतनी कम हो गई है कि अधिकतम 10 पंचर लगा पाते हैं। वर्तमान में छोटे बच्चों की साइकिल का क्रेज बढ़ गया है। धनवान लोग साइकिल कम चलाते हैं, आज के दिन कम से कम 4200 की साइकिल आती है और अधिकतम हीरो की इलेक्ट्रानिक साइकिल 35000 हजार रुपये की आती है।
सुरेश कुमार बताते हैं कि एक इंसान जब अपने काम के प्रति समर्पित होता है तो निश्चित ही सफलता मिलती है। सुरेश कुमार काम के प्रति इतने समर्पित रहे कि आज भी दूर आज तक नाम है। यह ठीक है कि आज के युग में युवा पीढ़ी साइकिलों की तरफ कम मोटरसाइकिल को अधिक पसंद करती है। सड़क पर साइकिल चलाने वाले गरीब माने जाते हैं जबकि गाडिय़ों में चलने वाले लोग अमीर माने जाते हैं। उनका कहना है कि विदेश में इससे उलटा है। अमीर व्यक्ति अपनी सेहत के लिए साइकिल चलाते हैं। वैसे भी सरकार साइकिल चलाने वालों के लिए कोई विशेष प्रोत्साहन नहीं देती। इस बात का गम है। अगर साइकिल के प्रति सरकार विशेष प्रोत्साहन दे तो निसंदेह बहुत से लोग साइकिल चलाना शुरू कर देंगे। यह सत्य है कि शिक्षा विभाग ने छात्राओं के लिए जो दूर से आती है साइकिल मुफ्त देने का प्रावधान कर रखा है परंतु अच्छे दर्जे की साइकिल उन्हें भी नहीं मिल पाती।
साइकिल लगातार प्रयोग करें तो आदमी न तो बूढ़ा होता न ही पैरों की समस्या होगी। उनका कहना है कि आज के दिन हुए 2000 रुपये तक कमा लेते हैं फिर भी उसे जमाने के चार रुपए के मुकाबले कम हैं और वो खुशी नहीं मिल रही है।
कनीना क्षेत्र में अगर साइकिल चलाने वाले देखे जाए तो अधिकतम पांच व्यक्ति 20 सालों से अधिक वर्षों से साइकिल चला रहे हैं। आधुनिक युवा पीढ़ी अगर साइकिल चलाती है तो विशेष प्रकार की साइकिल प्रयोग करती है। साइकिल की कीमत अधिक है। ऐसे में सरकार को साइकिल चलाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और कम से कम सप्ताह में एक दिन सभी वाहन चालक घर पर और आसपास साइकिल प्रयोग करें तो ऊर्जा की भी बचत हो सकती है। साइकिल चलाने वालों को समय-समय पर सम्मानित किया जाना चाहिए। वैसे तो साइकिल यूपी में चुनाव चिन्ह भी नेताओं का है किंतु हरियाणा में साइकिल चलाने वाले का क्रेज घटना ही जा रहा है। आने वाले समय में शायद विश्वास नहीं करेंगे कि हजारों की संख्या में लोग साइकिल चलते थे।
 फोटो कैप्शन: सुरेश कुमार की फोटो साथ में फोटो कैप्शन 5: साइकिल के पंचर लगता हुआ सुरेश कुमार






क्षेत्र का मान सम्मान कभी कम नहीं होने दिया: राव इंद्रजीत
-आरती अहीरवाल की बेटी विपक्षी जान ले- रामबिलास शर्मा
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कनीना की आवाज।
कनीना के साथ लगता क्षेत्र मेरे व मेरे परिवार के लिए नया नहीं है। 20 साल पहले मैं जाटूसाना विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता था। 2009 में  परिसीमन के बाद मेरा कार्य क्षेत्र  गुरुग्राम लोकसभा होने के बाद  पुराने क्षेत्र में आना थोड़ा कम हो गया था, लेकिन इस इलाके के लोगों से मेरा लगाव कभी कम नहीं हुआ।उक्त बातें केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने अटेली विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी आरती  सिंह राव के पक्ष में अटेली विधानसभा क्षेत्र के गांव करीरा सिहोर व सेहलंग में लोगों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने साथ में बैठे अटेली के  निवर्तमान विधायक सीताराम की तरफ इशारा करते हुए कहा कि मेरे राजनीतिक विरोधी आरोप लगा रहे हैं कि सीताराम को राव परिवार मंच पर सम्मान नहीं दे रहा। मैं मंच के माध्यम से स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि कि सीताराम ने विकास की जो अलख अटेली विधानसभा क्षेत्र में जगाई है वह निरंतर जारी रहेगी। आरती सिंह राव विधायक बनने के बाद भी सीताराम द्वारा छोड़े गए अधूरे कार्यों को सीताराम ही पूरा करेंगे। सीताराम यादव को यह कभी महसूस नहीं होने दिया जाएगा कि मैं विधायक नहीं हूं। राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि 2014 और 2019 में दक्षिणी हरियाणा के विधायकों की बदौलत ही हरियाणा में भाजपा की सरकार बनी थी और 2024 में ही दक्षिणी हरियाणा में भाजपा के सहयोग से ही प्रदेश में भाजपा की सरकार बनेगी। एक बिरादरी के सहयोग से कोई भी सरकार नहीं बनती।मेरे राजनीतिक लंबे जीवन में भी सभी 36 बिरादरी का सहयोग रहा और मैं उम्मीद करता हूं कि आगे भी आरती  राव के लिए 36 बिरादरी का सहयोग रहेगा ।उन्होंने युवाओं का आभार जताते हुए कहा कि मेरे कार्यक्रमों में भी युवा बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं और आरती राव के कार्यक्रमों में भी युवा बढ़ चढ़कर के भाग ले रहे हैं।उन्होंने युवाओं से  आह्वान  किया कि इसी तरह वे आने वाले 10 दिनों तक चैन से ना बैठे और 5 अक्टूबर को भाजपा के पक्ष में अधिक से अधिक मतदान कर आरती राव को सफल बनाने में अपना सहयोग करें। मैं युवाओं को विश्वास और भरोसा दिलाता हूं कि उनके मान सम्मान में कभी कमी नहीं रहने दूंगा और ना ही आरती राव उनके मान सम्मान में कमी रहने देगी। राव इंद्रजीत सिंह ने यह भी भरोसा दिलाया कि मैंने 47 साल के राजनीतिक जीवन में आपके द्वारा दी गई ताकत का कभी दुरुपयोग नहीं किया और विश्वास दिलाता हूं की आरती राव भी आपके द्वारा दी गई ताकत का कभी दुरुपयोग नहीं करेगी। सरपंच, ब्लॉक समिति व जिला परिषद के चुनाव हो चुके हैं उनके चुनाव को लेकर किसी तरह का आपस में कोई मनमुटाव हो तो उसको बुलाकर होने वाले विधानसभा चुनाव 5 साल के लिए जनप्रतिनिधि चुनने का चुनाव है अब यह सब आप पर निर्भर करता है कि रोहतक का व्यक्ति प्रदेश में राज करें या आपके इलाके का व्यक्ति प्रदेश में राज करें।अगर आपके सहयोग से आरती राव विधानसभा में पहुंचेगी तो आप सब लोगों की राज में बड़ी भागीदारी होगी। इस मौके पर पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने सेहलंग गांव में मंच साझा करते हुए कहा कि आरती राव अपने दादा स्वर्गीय राव बीरेंद्र सिंह व पिता केंद्रीय मंत्री  राव इंद्रजीत सिंह के पद चिन्हो पर चलकर लोगों राजनीतिक में रहकर लड़ाई लडऩे में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी।  आरती राव के पक्ष में किया गया मतदान कर्म भी है धर्म भी है क्योंकि आरती राव अमर शहीद राव तुलाराम के परिवार से ताल्लुक रखती है।आरती राव को राजनीतिक विरासत में मिली है वह लोगों की कसौटी पर खरा उतरकर अटेली के विकास में चार चांद लगाएगी।इस मौके पर अटेली विधायक सीताराम यादव ने भी लोगों से 5 अक्टूबर को भाजपा  के पक्ष में अधिक से अधिक मतदान कर अटेली के विकास में अपना सहयोग देने का आह्वान किया।इस मौके पर विद्यानंद लांबा,जिला पार्षद देवेंद्र यादव, सुधीर दीवान, पूर्व जिला पार्षद प्रदीप यादव, कंवर सिंह कलवाड़ी,जयप्रकाश चेयरमैन, राजेंद्र भारद्वाज, सतबीर सेहलंग सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन: गांव सेहलंग में आरती राव के पक्ष में मतदान की अपील करते केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा व सीताराम यादव
फोटो कैप्शन 04: राव इंद्रजीत सिंह कनीना के गांव सेहलंग में संबोधित करते हुए।





यह कुर्सी सदा नहीं रहने वाली
-कुछ अधिकारी कर्मियों के साथ करते हैं ऐसा व्यवहार जैसे उनके बाप दादा की कमाई कर्मियों को देते हें जेब से
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कनीना की आवाज।
 अकसर देखने में आया है कि इंसान एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए काफी हद तक गिरावट पर चला जाता है। उन्हें ज्ञान नहीं कि इंसान की जिंदगी एक बुलबुले की भांति होती है। शायद वे भूल गए हैं कि एक दिन सभी की राख होनी है। करनी सदा साथ चलती है। अच्छे कर्मों का भला तो बुरे कर्मों का बुरा फल मिलकर रहता है। किसी भी दिन किसी भी क्षण इंसान का अंतिम समय हो सकता है। कुर्सी पर बैठे कुछ छोटे-छोटे तथाकथित अधिकारी भी अपने आप को यह समझते हैं कि उनके बाप की कुर्सी है और अपने तहत कर्मियों का काम नहीं करते, बेवजह सताते हैं। पेन चलाने से ऐसे कांपते हैं जैसे शेर खा जाएगा। यहां तक कि काम करने में आनाकानी करते हैं। कुछ तो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रिश्वत खाते हैं, कोई ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे उसके बाप दादा की जेब से वो कर्मियों को वेतन दे रहे हैं। कहते हुए अफसोस होता है कि कुछ तो किसी चीज का ज्ञान तक नहीं। कुर्सी भी चंद दिनों की होती है न जाने किस समय यह कुर्सी छिन जाए। इस संबंध में होशियार सिंह कनीना का उन्हीं की जुबानी कहना-
मैं यह कहता हूं कि मैंने बहुत से प्रिंसिपल, मुख्य अध्यापक देखें हैं जो ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे उनके बाप ने उन्हें कुर्सी सदा के लिए दे दी है और नीचता पूर्ण व्यवहार अपने कर्मियों से के साथ करते हें। ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे कि वो ही ईश्वर बन गए हैं। कुछेक को तो भगवान सबक देता रहता है फिर भी वो नहीं सुधारते। कितने ही ऐसे प्राचार्य एवं मुख्य अध्यापक और अन्य  अधिकारियों से मैं मिला जिनको भगवान ने ऐसे ऐसे हालात में पहुंचा दिया कि उससे कुछ सबक मिले लेकिन सबक नहीं मिली। कहते हैं कुत्ते की पूंछ कभी सीधी होती वैसे ही ये लोग हैं। जिनके व्यवहार से कर्मी तंग है। ऐसे भी प्रिंसिपल देखें जो गांव वालों से अच्छी बना कर रखते हैं और अपने कर्मियों के साथ महाभारत खड़ी रखते हैं। अपनी कमियों को दबाने के लिए कुछ गांव के लोगों से संपर्क रखते हैं ताकि वक्त आने पर उसकी मदद कर सके। कुछ ऐसे कर्मी जो कामचोर कहलाते हैं, इन अधिकारियों के चमचे बने खड़े मिलते हैं।  लेकिन ज्ञान के बल पर बहुत कम ऐसे अधिकारी देखें जो कर्मियों के साथ बेहतर व्यवहार बनाए रखते हैं। कुछ ऐसे मुख्यों से मिला जिन्हें न तो कोई काम आता है और नहीं वो कामयाब है परंतु गांव के लोगों को तथा अपने कुछ कर्मियों को इतना पता कर रखते हैं जो उनके साथ खड़े नजर आते हैं। वो भूल जाते हैं कि चंद दिनों की बात है इसके बाद नौकरी पूरी तो इन गलियों में घूमता फिरेगा कोई कुत्ता भी नहीं पूछेगा। वो भूल जाते हैं कि इंसान आखिर एक खिलौना है और उसे टूटना ही होगा। इनमें सुधार करना भी चाहे तो नहीं सुधारते परंतु उनका उस समय होश आएगा जब उनके सामने मौत खड़ी नजर आएगी। अकेले खड़े होंगे और कुत्ते उसको फाडऩे के लिए तैयार मिलेंगे और वह ऐसे में डरते हुए कांपते हुए नजर आएंगे। कुछेक ने तो रिश्वत लेने का भी काम शुरू कर रखा है। वो समझते हैं की रिश्वत लेकर काम करने से उनका नाम अच्छा होगा। काम करने के नाम पर शराब की बोतल लेते हैं या रिश्वत लेते हैं उनके बच्चे कभी कामयाब नहीं होते। उन्हें इस जीवन में ही नरक का सामना करना पड़ता है। उनकी लड़कियों की जिंदगी बर्बाद होकर रहती है। यह मेरे वचन नहीं कितने संत और देवों ने स्पष्ट लिखा है। इसलिए अगर इंसान समय रहते नहीं सुधरता है तो निश्चित रूप से उसका अंत होता है। इसलिए सभी को संभलकर काम करना चाहिए। वरना अंत आएगा तो बहुत पछताना होगा। ना कोई साथ देगा न कोई पास होगा और अकेले ही इस जहां से जाना होगा।




मतदान के प्रति किया जागरूक
-उन्हाणी कालेज में बताया गया मतदान का महत्व
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कनीना की आवाज।
जिला उपायुक्त महोदया मोनिका गुप्ता, प्रधान  जिला बाल कल्याण परिषद् व वैशाली सिंह अतिरिक्त उपायुक्त महोदया नारनौल के निर्देशानुसार राजकीय कन्या महाविद्यालय उन्हाणी में कार्यवाहक प्राचार्य डा. सुधीर यादव की अध्यक्षता व  राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा मतदाता जागरूकता अभियान के अंतर्गत डा. आर एस रंगा, निदेशक नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र  नारनौल द्वारा महाविद्यालय की छात्राओं को मतदान के बारे में जागरूक किया गया । प्राचार्य डा. सुधीर  कुमार ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र में चुनाव महापर्व होता है। मतदाताओं को चुनाव में अधिक से अधिक भागीदारी करनी चाहिए। लोकतंत्र में  चुनावों के माध्यम से सरकार को वैद्यता प्राप्त होती है। हरपाल सिंह सहायक प्रोफेसर राजनीतिक विभाग ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि मतदान का अधिकार एक संवैधानिक एवं राजनीतिक अधिकार है, जिसे  वर्णन भारतीय संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 326 में किया गया है। संविधान के तहत शासन करने की शक्ति भारतीय जनता में निहित है। जिसका वर्णन संविधान की प्रस्तावना में किया गया है।18 वर्ष से ऊपर प्रत्येक भारतीय नागरिक को यह अधिकार प्राप्त है।  लोकतंत्र में एक-एक मत का महत्व होता है, 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार ने एक मत से बहुमत खो दिया था ।जहां मतदान प्रतिशत कम होता है वहां विकास की रफ्तार भी धीमी होती है। मतदान करने के साथ-साथ अच्छे जनप्रतिनिधि का चयन करना भी जागरूक मतदाता का कर्तव्य बनता है। हरियाणा  की 15वीं विधानसभा के चुनाव 5 अक्टूबर 2024 को हैं। अन्य: सभी मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करके अपने जनप्रतिनिधि का चुनाव करें एवं अपने आसपास के मतदाताओं को भी जागरूक करें। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय  भारत सरकार द्वारा नशा मुक्ति अभियान की भी की कड़ी में संबोधित करते हुए कहा कि नशा एक बीमारी है, नशे की बीमारी से मुक्ति, नशे के बारे में पैदा हुई गलत धारणाओं व नशा प्रयोग करने वाले व्यक्ति के मुख्य लक्षणों आदि की जानकारी विस्तार से देकर नशा न करने बारे  जागरूक किया गया। सरकार व जिला प्रशासन का प्रयास है कि नशा मुक्त भारत अभियान से अधिक से अधिक लोग जुड़े, ताकि नशा मुक्ति का संदेश जन-जन तक पहुंचाया जा सके। नशा मुक्त भारत अभियान का उद्देश्य न केवल जन-साधारण को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागृत करना है ,बल्कि नशे के खिलाफ जन आंदोलन का रुप देना है ,ताकि नशे के खिलाफ हर आदमी जुड़ कर अपना योगदान दे सकें। नशे पर पूर्णतया अंकुश लगाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा व्यापक कदम उठाए जा रहे हैं। दुनिया में कोई भी कार्य असंभव नहीं है, नशा भी छोड़ा जा सकता है, इसके लिए ढृंढ संकल्प लेना जरुरी है। व्यक्ति मनोरंजन के तौर पर नशे की शुरुआत करता है, लेकिन बाद में यह आदत में शुमार हो जाता है। जिससे पूरे परिवार की मानसिक स्थिति के साथ-साथ आर्थिक स्थिति भी खराब हो जाती है के बारे में अति ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया। इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार के सभी सदस्यों उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 01: छात्राओं को मतदान के विषय में जागरूक करते हुए प्राचार्य।





जागो वोटर जागो
मतदान करने में न बरते कंजूसी- महिपाल सिंह
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कनीना की आवाज।
 मतदान करना हमारा अधिकार है जिसे कोई भी नहीं रोक सकता। मतदान का हर स्त्री व पुरुष को समान अधिकार मिला हुआ है जिनकी उम्र 18 साल हो गई है।  मतदान करने में कोई कंजूसी नहीं बरतनी चाहिए क्योंकि मतदान करने में कोई पैसा खर्च नहीं होता, मतदान करने से देश के बेहतर भविष्य का निर्माण होता है। देश के भविष्य का निर्माण तभी होगा जब साफ सुथरी छवि और समाज हित करने वाले नेता आगे आएंगे और उन्हें जीताकर विधानसभा में भेज देंगे। यदि हम अपने वोट को किसी के दबाव में आकर देंगे तो न तो नेता काम का होगा और न ही देश का विकास होगा। देश के विकास के लिए, समाज के हित के लिए और क्षेत्र की भावनाओं को जो ध्यान में रखकर एक अच्छे नेता का चुनाव 5 अक्टूबर को करना है। मतदान करने में अधिकतम एक घंटा लग सकता है जिसमें आने जाने का समय भी शामिल है। ऐसे में यह कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए। अपने सारे कार्य उस दिन छोड़ देने चाहिए। चाहे किसान, मजदूर या दुकानदार है उसे अपना काम एक घंटे के लिए रोक कर मतदान करने जरूर जाना चाहिए। मतदान करने के लिए दो ही बातों का ध्यान रखें। मतदाता पर्ची और अपना पहचान पत्र लेकर जरूर मतदान केंद्र पर जाए और जरूरी हो तो लाइनों में खड़े हो तथा वोट डालकर खुशी-खुशी अपने घर आए। यदि वोट सही ढंग से दिया गया है और सही नेता का चुनाव होगा तो आने वाला भविष्य उज्ज्वल होगा। यदि नेता भ्रष्ट होगा समाज हितैषी नहीं होगा तो देश उन्नति नहीं कर पाएगा। अपनी भावनाओं को, अपने नेता के गुणों को ध्यान में रखते हुए मतदान केंद्र पर सुबह 7 बजे के बाद और शाम 6 से पहले पहले पहुंचना है। चाहे पैदल जाए या अपने किसी वाहन से, मतदान करके घर आए। यहां तक की जलपान भी तभी करें जब मतदान हो जाए। इससे बड़ा पर्व कोई हो नहीं सकता। इस महापर्व में अपनी आहुति जरूर डालने के लिए जाए, वोट को किसी दबाव में न दे। कई बार लोग जाति पाती, स्त्री- पुरुष आदि भेदभाव में जकड़ कर वोट दे देते हैं जो अनुचित है। इन भावनाओं से ऊपर उठकर वोट देना सर्वथा उचित होगा।
फोटो कैप्शन: महिपाल सिंह कनीना



एक बार फिर से गर्मी बढ़ी
- बंद कूलर और एसी फिर से किए शुरू
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कनीना की आवाज।
जहां सावन में और उसके बाद और सावन से पहले अच्छी वर्षा होने के बाद ठंड का आभास होने लगा था किंतु विगत दो-तीन रोज से फिर से गर्मी पडऩे लगी है। हालत यह है कि पंखे बगैर तो एक मिनट भी नहीं रह पाते वही कूलर और एसी फिर से शुरू कर दिए हैं। जो लोग पंखे की हवा से ही काम चला रहे थे उन्हें कूलर और एसी शुरू करने पड़ गए हैं। तापमान बढ़ता ही जा रहा है। जहां ऐसा समझा जा रहा था कि जल्दी रबी फसल की बिजाई हो जाएगी किंतु अक्टूबर माह में तापमान 39 डिग्री तक पहुंचेगा। जहां 10 अक्टूबर से सरसों की बिजाई कर दी जाती है और गेहूं की बिजाई एक नवंबर से होती है। किसान अब अपनी फसल कटाई में लग गए हैं लेकिन फसल काटना भी गर्मी के कारण परेशानी बढ़ा रहा है। उधर गर्मी के कारण फिर से मच्छरों का प्रकोप हो गया है।


पानी की डिग्गी में पेड़ से लटका मिला शव
-जब से निकला सुसाइड नोट जिसमें चार लोगों के नाम दर्ज
-पुलिस ने चारों के विरुद्ध किया मामला दर्ज
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कनीना की आवाज।
कनीना उपमंडल के गांव खरकड़ाबास में जहां 24 सितंबर को बलबीर ट्रक ड्राइवर का शव पानी की डिग्गी में पेड़ से लटका हुआ मिला था जिसको लेकर के सनसनी फैल गई थी। उसकी जेल से सुसाइड नोट मिला जिसमें चार लोगों के नाम मिले। पुलिस ने चारों के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है। कनीना पुलिस में बलवीर सिंह के पुत्र सुनील ने मामला दर्ज करवाया है।
सुनील ने पुलिस में बताया है कि वे दो भाई  सुनील तथा अनिल नाम के हैं। अनिल प्राइवेट कंपनी में काम करता है तथा उनके पिता बलबीर ट्रक ड्राइवर का काम करता था। जो कई-कई दिन बाद घर आता था। इस बार 15 दिनों से काम पर गया हुआ था। 24 सितंबर को सूचना मिली कि उनके गांव के वाटर वक्र्स में एक आदमी की डेड बाडी पेड़ से लटकी हुई है। मौके पर जाकर देखा तो बलवीर सिंह की डेड बाडी फांसी के फंदे से लटकी हुई है थी। जिसको गांव वालों  और पुलिस की मदद से पेड़ से उतारा गया। सरकारी अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी जेब से सुसाइड नोट मिला और साथ में पेन भी मिला। सुसाइड नोट पर हमें चार लोगों राजू, बोलिया, सिसन और सूरजभान खरकड़ाबास के नाम लिखे मिले। शिकायतकर्ता ने कहा कि वे लोग एक मामले में राजीनामा करवाने के लिए 15 लाख रुपये की मांग कर रहे थे जिसके दवाब में आकर बलबीर सिंह ने वाटर वक्र्स में फांसी का फंदा लगाकर जीवन लीला समाप्त कर दी। पुलिस ने डेड बाडी का पोस्टमार्टम करवा कर शव परिजनों को सौंप दिया वहीं चार लोगों पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।






विज्ञापन देकर उठाये लाभ, बने ब्लाग के सदस्य
-दूर दराज तक पाये अपना नाम
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कनीना की आवाज।
कनीना एवं आस पास के समाचार नामक कनीना के ब्लाग में विज्ञापन देकर अपने समाचार, विचार एवं साक्षात्कार आदि पाये। विज्ञापन एक मामूली सी राशि देकर छपवा सकते हैं। विज्ञापन देने पर ब्लाग का सदस्य बना दिया जाएगा। इसके बाद एक माह तक प्रतिदिन एक समाचार, विचार आदि छपवा सकते हैं। इससे ब्लाग पर होने वाले खर्चे की भरपाई भी होगी वहीं आप लोगों को लाभ भी मिलेगा। देर किस बात की फोन उठाइये और विज्ञापन बुक करवाने के लिए फोन करे 9416348400 या 9306300700 डा होशियार सिंह
स्कूल, संस्था, नेता, दुकानदार आदि विज्ञापन दे सकते हैं जिससे-
नेता का नाम हो
दुकानदार अपनी प्रसिद्धि के लिए
नाम बदलवाने, विवाह शादी, उठावनी आदि से संबंधित
स्कूल के स्टाफ की आवश्यकता आदि

















कापीराइट एक्ट से बचे, ब्लाक से नहीं उठाएं किसी प्रकार की कोई खबर
-वरना हो सकता है 6 महीने का कारावास
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कनीना की आवाज। कनीना की आवाज नामक ब्लाग कापीराइट के तहत आता है। ब्लाक के सबसे नीचे कापीराइट लिखा हुआ है फिर भी लोग जानबूझकर या अनजाने में किसी समाचार को उठाकर दूसरी जगह प्रकाशित करने का प्रयास करते हैं, यह कापीराइट एक्ट का उल्लंघन है। अभी तक ऐसे व्यक्ति जो कापीराइट का उल्लंघन कर रहे हैं अपनी डायरी में नोट कर लिया गया है, जिन्हें माफ किया जा सकता है लेकिन भविष्य में यदि कोई ऐसी गलती करेगा तो कापीराइट एक्ट के तहत कनीना थाने में मामला दर्ज करवाया जाएगा। देखने में आया है दिनों दिन कुछ लोग खबरों को यूं की यूं उठा लेते हैं और अपने नाम से भेज रहे हैं। यह कापीराइट का उल्लंघन है। उल्लेखनीय है कि कापीराइट एक्ट में साफ लिखा है कि यदि कोई कापीराइट एक्ट का उल्लंघन करता पाया जाता है तो उसे कम से कम 6 महीने की कैद और 50,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। दूसरी बार और इसके बाद भी वह दोषी पाया जाता है तो सजा एक वर्ष और जुर्माना एक लाख रुपये तक किया जा सकता है कि जाने का प्रावधान है। ऐसे में लेखक की बगैर लिखित अनुमति से कोई खबर न उठाये और न अपने नाम से प्रकाशित करें, फोटो न ले तथा कापी करके कहीं न डालें क्योंकि इन सभी पर कापीराइट एक्ट का मामला आता है। डाक्टर होशियार सिंह यादव ने पहले भी एक लेखक को कापीराइट एक्ट का उल्लंघन करने पर बुलाया था और उस लेखक द्वारा हाथ पैर जोड़े जाने पर माफ कर दिया गया था। लेकिन ऐसा कितने दिनों तक चलेगा।  आखिरकार सजा दिलवानी जरूरी होती है। अत: भविष्य में कोई इस ब्लाक से किसी प्रकार की कोई खबर चोरी न करें और न फोटो उठाये अपितु समाचारों को पढ़कर भरपूर लाभ ले और हमारा हौसला बढ़ाये।

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