कनीना में हुई 4 एमएम वर्षा
--पकती हुई फसल को होगा लाभ
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में रविवार को 4 एमएम वर्षा हुई। इस वर्ष 324 एमएम से भी अधिक वर्षा हो चुकी है।
वर्तमान में बाजरे की बेहतरीन फसल खड़ी हुई। अधिक वर्षा होती है तो फसल को नुकसान हो सकता है क्योंकि अब फसल पकान की ओर जा रही है। किंतु अभी तक वर्षा लाभप्रद साबित हो रही है। बहरहाल किसानों की नजरें पकती हुई फसल पर टिकी है। यदि अधिक वर्षा होती है तो भावी रबी फसल को भी लाभ होगा।
इस वर्ष जहां सावन माह में 200 एमएम से अधिक वर्षा हुई है। सावन माह वर्षा के मामले में बेहतर बीता है। किसान अब अपनी फसल को निहार रहे हैं और दृष्टि जमी हुई ताकि निकट भविष्य फसल तैयार हो जाएगी। किसानों का कहना है कि करीब 15 दिनों बाद फसल पक जाएगी और सितंबर माह के अंत तक कटाई हो चुकी होगी।
मिली जानकारी अनुसार कनीना क्षेत्र में बाजरा 47500 एकड़ कपास 20312 एकड़, धान 96 एकड़, ज्वार 1690 एकड़, ढेंचा 500 एकड़, अरहर दो एकड़ ग्वार, 735 एकड़ पर उगाया गया है। वर्षा का पानी फसलों के लिए अमृत साबित होगा। उन्होंने बताया कि जिन खेतों में पानी जमा होता है उनमें फसल नुकसान की संभावना है।
बाजरे का एमएसपी 2625 रुपये प्रति क्विंटल का रखा गया है। विगत वर्षों से सरकारी तौर पर बाजरा खरीदा जा रहा है जिसके चलते भी किसान उत्साहित है और रुझान बाजरे की ओर है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष बाजरा फसल की बिजाई भी देरी से हो पाई है। विगत वर्ष की तुलना में करीब दो सप्ताह देरी से हो पाई है। यही कारण है कि किसान इस वर्ष कुछ परेशान नजर आ रहे हैं।
क्या कहते हैं कृषि विशेषज्ञ-
पूर्व कृषि विशेषज्ञ डा. देवराज का कहना है कि वर्षा का फसलों पर लाभ होगा। अभी तक प्रतिदिन धूप खिलती है तथा वर्षा होती है जिससे फसल को नुकसान नहीं होगा। उनका कहना है कि जब दाने पडऩे लगे तो फसल को पानी की अधिक जरूरत होती है। आगामी 15 दिनों में फसल कटाई हो जाएगी।
सोमवती अमावस्या दो सितंबर को
-इस दिन करनी चाहिए पूजा एवं दान शर्मा
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कनीना की आवाज। वैसे तो एक कहावत है- पांडवों के जीवन में कभी सोमवती अमावस्या नहीं आई लेकिन कनीना क्षेत्र में दो सितंबर को सोमवती अमावस्या का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव के साथ पार्वती एवं पीपल वृक्ष की पूजा करती है। इस दिन वट वृक्ष एवं पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। लंबी उम्र की कामना हेतु व्रत किया जाता है जिस प्रकार एक पीपल के पेड़ के नीचे सवित्रि ने जहां अपने पति के प्राणों को बचाया था उसी प्रकार महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना को लेकर व्रत करती आ रही है। इस दिन लोग गंगा, कुरुक्षेत्र नगरी, ढोसी आदि पर स्नान करते हैं सोमवती अमावस्या का दिन विशेष महत्व रखता है।।
उधर नरेद्र शास्त्री ने बताया कि सोमवती अमावस्या वर्ष में एक या दो बारी आती है क्योंकि पीपल में सभी देवता निवास करते हैं इसलिए पीपल की पूजा की जाती है। इस दिन का इंतजार महाभारत के पांडवों ने लंबे समय तक किया था।
प्रबल इच्छा इंसानों में ही नहीं मिलती है पौधे और पशुओं में भी
-घीया की हवाई जउ़ों का सुंदर उदाहरण देखने को मिला
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कनीना की आवाज। यदि दिल में कुछ करने की कुछ गुजरने की क्षमता हो और प्रबल इच्छा हो तो मांझी की तरह अकेले पहाड़ को तोड़ा जा सकता है। यही नहीं प्रबल इच्छा कभी कभार इंसान में जागृत होती है और वह कुछ नया कर दिखलाता है। अक्सर यह हमारी सोच होती है कि इच्छा प्रबलता केवल इंसानों में आती है पशुओं में तो बहुत अधिक प्रबल इच्छा देखने को मिलती है और पौधों में भी प्रबल इच्छा उनकी देखने को मिलती है। आकाश बेल भी तो जहां होस्ट पौधे से अपना भोजन प्राप्त कर लेती है किंतु गिलोय की जड़े आकाश से नीचे धरती पर आती हुई देखी होगी। यह उनकी प्रबल इच्छा का परिणाम है जो बिना पानी के भी वृक्ष पर कई दिनों तक जीवित रह सकती और अंतत:उनकी जड़े धरती तक पहुंच जाती लेकिन डाक्टर होशियार सिंह के बगिया में प्रबल इच्छा का एक उदाहरण लोकी की बेल में देखने को मिला जब सैकड़ों बारीक बारीक जड़े पेड़ से नीचे आकर धरती में पहुंच गई है। फोटो में यह नजारा आसानी से देख सकते हैं। इतनी अधिक हवाई जड़े तो पीपल एवं बरगद आदि में ही कहीं दिखाई दे सकती है। एक घीया की बेल जिसके फल कभी से बुजुर्ग प्रयोग करते आए हैं और उनकी अगर जड़े देखी जाए तो एक बहुत सुंदर नजारा दिखाई देता है। इनके पास बैठने कर फोटो खिंचवाने वालों की लाइन लगी हुई है, जब से लोगों को पता लगा है परंतु यदि इन जड़ों को एक बार देख लिया जाए तो लगता है सचमुच बेल में कितनी प्रबल इच्छा है जिसमें महज 3 फुट की लंबाई में 100 से अधिक हवाई जड़े 7 फुट ऊंचाई निकाल कर धरती में पहुंच गई हैं। इस प्रकार ये बेल को सहारा देती हैं और खनिज लवण अवशोषित करने में मददगार साबित होती हैं। वैसे तो जब धरती पर कोई भी बेल चलती है तो उसमें जड़े निकलकर धरती में चली जाती हैं। किसी भी पौधे में यह इच्छा देखी जा सकती लेकिन हवा से चलकर धरती में आए यह कुछ कम पौधों में देखने को मिलती हैं। केवड़ा का उदाहरण विज्ञान में हम पढ़ते आए हैं जिसमें इस प्रकार की जड़े पाई जाती है। मक्का गन्ना एवं बाजरा आदि में भी कुछ जड़े कुछ ऊंचाई से निकलती है और धरती में चली जाती पर यह मुश्किल से 4-5 इंच ऊंचाई से चलती है। घीया की बेल ऐसा सुंदर उदाहरण एवं नजारा देखना हो तो डा.होशियार सिंह की बगिया में पहुंच कर देखा जा सकता है। समय प्रात: 6 से 8 के बीच रहेगा।
फोटो कैप्शन 6 और 7: घीया की हवाई जड़े
कालेज के विद्यार्थियों को यातायात नियमों का पढ़ाया पाठ
--पुलिस अधिकारियों ने दी जानकारी
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कनीना की आवाज। जिला यातायात पुलिस टीम ने कनीना कालेज में सेमिनार का आयोजन किया। इसमें विद्यार्थियों को यातायात नियमों का पाठ पढ़ाया गया। विद्यार्थियों को लाइसेंस बनवाने संबंधी जानकारी भी दी गई। सड़क दुर्घटनाओं से बचाव के उपाय की जानकारी देने के साथ-साथ हेलमेट व सीट बेल्ट के उपयोग का महत्व भी समझाया। पुलिस द्वारा वीडियो के माध्यम से यातायात के नियम में सड़क संकेत, सड़क चिन्ह, चालक द्वारा दिए जाने वाले संकेत और यातायात जवानों द्वारा दिए जाने वाले संकेतों के बारे में बताया गया। मोटर साइकिल चालकों को हेलमेट की और कार चालकों को सीट बेल्ट की आवश्यकता व उपयोगिता के बारे में बताया। साथ ही अपने परिवार के सदस्यों को इसके लिए प्रेरित करने को कहा गया। वाहन चालकों द्वारा बरती जाने वाली लापरवाही जैसे नशा कर वाहन चलाना, तेज रफ्तार, असुरक्षित ओवरटेक, वाहन चालक के दौरान मोबाइल फोन का उपयोग, थकान में वाहन चलाना, बगैर इंडिकेटर वाहन मोडना, सड़क पर वाहन खड़ा करना आदि सड़क दुर्घटना के प्रमुख कारणों के बारे में जानकारी दी गई।
थाना यातायात प्रबंधक निरीक्षक नरेश कुमार ने बताया कि यातायात नियमों का पालन करके हम खुद को सुरक्षित रखने के साथ दूसरों को भी सुरक्षित रख सकते हैं। यातायात के नियम हमारी सुविधा और सुरक्षा के लिए ही बनाए गए हैं। यदि हम सुरक्षित रखना चाहते हैं तो इन नियमों का पालन भी करना होगा। उन्होंने कहा कि सभी अपना लाइसेंस बनवाएं और वाहन के कागजात पूरे करने के बाद ही वाहन को चलाएं। बिना लाइसेंस किसी भी प्रकार का वाहन लेकर सड़क पर न आएं। विद्यार्थियों को लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया बारे में विस्तार से समझाया गया।
फोटो कैप्शन 05: पुलिस अधिकारी यातायात के नियमों की जानकारी देते हुए।
बाजरे की फसल पकान के यौवन की ओर
-किसान फसल निहार हो रहे हैं खुश
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में किसानों की बाजरे की फसल पकान के पूरे यौवन पर है। विगत समय में अच्छी वर्षा होने का परिणाम माना जा रहा है। अब बाजरे में भुट्टे आ गए हैं और किसान अपने बाजरे के भुट्टे को देखकर खुश नजर आ रहे हैं।
किसान भरत सिंह, कृष्ण कुमार, महेश कुमार, सूबे सिंह आदि से बात हुई। उन्होंने बताया कि अब अधिकतम 15 दिनों के बाद फसल कटाई शुरू हो जाएगी। बाजरे की कटाई सितंबर के तीसरे सप्ताह में शुरू हो जाएगी और सितंबर के अंत तक पूरी फसल कटाई हो चुकी होगी। इस बार बाजरे का समर्थन मूल्य 2625 रुपये प्रति क्विंटल रखा है जो बेहतर भाव है। क्षेत्र के किसानों का कहना है किसान बाजरे की फसल विशेषकर चारे के रूप में उगते हैं। चारे के साथ-साथ अन्न की पैदावार भी हो रही है। सरकार मोटे अनाज पर जोर दे रही है। दक्षिण हरियाणा मोटे अनाज के रूप में बाजरा अधिक उगाता है। हर वर्ष भारी मात्रा बाजरे की पैदावार होती है।
किसानों का कहना है कि सरकार को मोटे अनाज पर अधिक जोर देना चाहिए ताकि बाजरे की मांग बढ़े। बाजरे से न केवल मुर्गी दाना, पशु चारा अपितु उद्योग धंधे भी आश्रित है, वही खाने के रूप में भी बाजरे का उपयोग किया जाता है। बाजरा अति पौष्टिक अन्न माना जाता है। डाक्टर और वैद्य श्रीकिशन,बाल किशन, डा.अजीत कुमार और डा. वेद प्रकाश ने बताया कि बाजरे के खाने से शरीर में कई बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। जिनको गेहूं नहीं सुहाता और शरीर में एलर्जी पैदा करता है उनके लिए बाजरा बेहतर अनाज है। मोटा अनाज होने के कारण इसकी पौष्टिकता भी अधिक है। किसानों का मानना है कि अब फसल पकान के पूरे यौवन पर है और जल्दी ही फसल पककर तैयार हो जाएगी। यदि बीच अवधि में वर्षा होती है तो भी लाभ है और नहीं होती तो भी कोई विशेष दिक्कत नहीं आएगी। ऐसे में किसान चाहते हैं कि बाजरे की फसल बेहतर पैदावार दे।
फोटो कैप्शन 01: बाजरे की फसल को निहारता किसान
सकारात्मक सोच का परिणाम
3 लाख लीटर पानी वर्षा जल स्टोर रखते हैं सुरेश कुमार कोटिया
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कनीना की आवाज। यूं तो सरकार ने 600 वर्ग गज से अधिक अधिक एरिया में बनने वाले सभी भवनों में वर्षा जल संरक्षण तकनीक अपनाने पर जोर देती है वही कोटिया निवासी सुरेश कुमार ने अपना भवन कनीना- कोसली रोड़ पर बना रखा है जो कि एक शिक्षक भी है। उन्होंने अपने संपूर्ण भवन का वर्षा का जल भूमिगत किया हुआ है।
उन्होंने बताया कि 200 फीट लंबा 30 फुट चौड़ा और 15 फुट गहरा भूमिगत टैंक बनाया हुआ है इसके तीन भाग बना रखे हैं। जब पहला भाग भर जाता है तो दूसरे भाग में वर्षा का जल भरता है जब दूसरा भाग भी भर जाता है तो तीसरा भाग भरना शुरू हो जाता है। तत्पश्चात वर्षा जल को मोटर द्वारा खींचकर न केवल पेड़ पौधों को सींचते हैं अपितु पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने पर फसलों में भी देते हैं। उनके पास में फार्म भी है जिसमें इस पानी का उपयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि इतनी बड़ी वर्षा जल की पूरी योजना पर 5 लाख से अधिक खर्च आया है परंतु उन्हें खुशी है की वर्षा के जल का सही सदुपयोग कर रहे हैं।
सुरेश कुमार ने एक गिर नस्ल की गाय पाल रखी है और गाय के लिए यह पानी बहुत बेहतर साबित होता है। इसका दूध पीते हैं और इसे वर्ष का जल पिलाया जाता है। पौधों के लिए भी कृषि वैज्ञानिक इस जल को सबसे बेहतर बता रहे हैं। सुरेश कुमार बताते हैं कि वह इस वर्षा जल से हजारों रुपये की बचत प्रति वर्ष कर लेते हैं। घर में लगी सभी इनवर्टर बैटरी में भी वर्षा जल ही डालते हैं। वर्षा जल के कारण बैटरी की जिंदगी बढ़ जाती है। पूरे भवन परिसर में उन्होंने पेड़ पौधे लगा रखे हैं घास के लान लगा रखे हैं। सबसे बड़ी विशेषता बताई कि कहीं भी कोई नाली नहीं बना रखी है। समस्त छतों का पानी लगाये गये पाइपों द्वारा भूमिगत टैंक में चला जाता है। टैंक को इस प्रकार बनाया हुआ है ताकि एक के बाद एक टैंक भरता रहता है। जब सभी टैंक भर जाए तो अनुमान है कि 3 लाख लीटर पानी स्टोर हो जाता है। इस बार अच्छी वर्षा होने से तीनों टैंक पार्टीशन पूरे भर गए हैं और उन्हें खुशी है कि वर्षभर में जब भी जरूरत पड़ेगी इस जल का उपयोग किया जाता रहेगा। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस प्रकार के प्रोजेक्ट को बढ़ावा दे और प्रोत्साहन दे ताकि भविष्य में और भी लोग इसकी ओर आकर्षित हो और वर्षा की जल का संपूर्ण संरक्षण हो सके।
फोटो कैप्शन दो: गिर नस्ल की गाय के साथ सुरेश कुमार
तीन: पाइपों से भूमिगत किया गया वर्षा जल चार: टैंक जिसमें जिसमें पानी स्टोर किया जाता है
प्रथम वोटर
वोट डालने के लिए प्रसन्न है हर्ष कुमार
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कनीना की आवाज। बहुत से युवा पहली बार वोट डालेंगे। हर्ष कुमार दस जमा परीक्षा पास करने के बाद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है। उन्होंने अपना मतदाता पहचान पत्र बनवा लिया है तथा आने वाली 5 अक्टूबर को विाानसभा चुनाव में अपना मत डालेगा। उनका कहना है कि पहली बार उन्हें यह मौका मिला है और अपने हाथ से वोट डालने से नहीं चूकेगी क्योंकि उन्हें इच्छा है कि अपनी पसंद का उम्मीदवार चुना जाए, जो सरकार में भागीदारी निभाएं और बेहतर कार्य कर सके। चुनाव आयोग ने उनका मतदाता पहचानपत्र बनाया है जिसके तहत जिनकी उम्र 18 साल हो गई है वह अपना वोट बनवा सकता है। जिसके तहत उन्होंने वोट बनवाया और अब आने वाले चुनावों में मतदान के लिए तैयार है। सरकार में परोक्ष से अपनी भागीदारी निभानी है। विधायक ऐसा चुना जाए जो युवाओं के लिए बेहतर रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाएगा। उन्हें विश्वास है कि उनका वोट से जो प्रत्याशी चुनाव जीतेगा वह सत्ता में अच्छा कार्य करेगा, जनहित के कार्य करेगा तथा महिलाओं के लिए कुछ विशेष करेगा। उनका कहना कि सभी को वोट जरूर डालना चाहिए और सभी को वोट भी बनवाना चाहिए।
फोटो कैप्शन: हर्ष कुमार
मेरा पहला वोट
वोट बनवाकर प्रसन्न है अमीश कुमार
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कनीना की आवाज। जिस किसी की उम्र 18 वर्ष या इससे अधिक हो गई उन्हें चुनाव आयोग मतदाता पहचान पत्र बनवाने और वोट डालने का अधिकार मिला हुआ है। इसी कड़ी में अमीश कुमार ने अपना पहला वोट विधानसभा चुनावों में डालेंगे। वह वर्तमान में शिक्षा पा रहे है। उनका कहना है कि वोट पाकर अति प्रसन्नता है। सरकार और चुनाव आयोग समय-समय पर अपने वोट बनवाने की हिदायत देता है बशर्ते जिनकी उम्र 18 वर्ष हो चुकी है। वह अपना मतदाता पहचान पत्र बनवा सकता है और वह वोट डालने का अधिकारी है। वह चाहते कि इस बार उनका वोट हार में न जाए। ऐसे प्रत्याशी का चयन हो जो सत्ता में जाकर क्षेत्र की मांगों को उठाये और उनको पूरा करवा सके। वोट डालने का अधिकार 18 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों को है उन्हें वोट बनवाना भी चाहिए और वोट डालना भी चाहिए। युवा वर्ग में इस बार पहली बार वोट डालने की खुशी है क्योंकि 5 वर्षों में वोट डाले जाते हैं। वोट तो बनवाया हुआ है किंतु उसका प्रयोग नहीं कर पाए हैं। अब वह वक्त भी आ गया जब भी अपने मतदाता पहचान पत्र का उपयोग कर सकेंगे। वह अपने पसंदीदा प्रत्याशी का चुनाव करेंगे। प्रत्याशी जीत हासिल करे और युवा वर्ग का प्रतिनिधित्व करें, नौकरियों दे, जन भावनाओं पर खरा उतरे।
फोटा कैप्शन: अमीश कुमार प्रथम वोटर
जागो वोटर जागो
वोट डालने की दिमाग में रखे तैयारी- आर्य
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कनीना की आवाज। वोट मतदाता के हाथ में एक ऐसा हथियार है जिसके बल पर बेहतरीन सरकार का चुनाव किया जा सकता है। जो जनप्रतिनिधि जन भावनाओं पर शत प्रतिशत खरे उतरे ऐसे प्रतिनिधि को वोट के जरिए आगे लाना चाहिए और वोट डालने जरूर जाना चाहिए। 5 अक्टूबर को हरियाणा में चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में अपने वोट की कीमत समझते हुए तथा चुनाव आयोग के द्वारा दिए गए पहचानपत्र का उपयोग करने के लिए निर्धारित स्थान और समय पर वोट डालने पहुंचे। वोट डालने जाते समय मुश्किल से आधा घंटा लगता है, वैसे भी सरकारी प्रतिष्ठानों का उस दिन अवकाश रहेगा। कर्मचारी हो अधिकारी हो या दुकानदार सभी का अवकाश घोषित किया जाता है। ऐसे में अपने समय में से कुछ समय निकालकर वोट डालने के लिए जरूर जाना चाहिए। जो लोग वोट डालने नहीं जाएंगे तो उनका भाग्य ही सो जाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जो अधिकार वोट डालने का 18 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों को प्राप्त है उस अधिकार का सदुपयोग करना भी हम सभी का कर्तव्य है। अपने बूथ का पहले से ही दिमाग में निर्धारण कर ले जहां जाकर होने वोट डालना है। बीएलओ से संपर्क करके अपना वोट चेक कर लिया जाए। कहीं कोई गलती है या वोट नहीं बना तो बनवाया जा सकता है। वोट बनवाकर उसका उपयोग करना बहुत जरूरी है। खुद भी वोट डालें और दूसरों को भी वोट जरूर डालने की हिदायत दे। मैंने अपने वोट को तो डालना है ही अपने पूरे परिवार को समझा दिया गया है ताकि निर्धारित स्थान पर और समय पर अपना वोट डालने जाएंगे। वोट डालने का अवसर पांच सालों बाद ही आता है। उसे अवसर को हमें हाथों से नहीं खोना चाहिए।
- सत्येंद्र आर्य वरिष्ठ समाजसेवी
फोटो कैप्शन : सत्येंद्र आर्य
विश्व नारियल दिवस- 2 सितंबर
नारियल को कच्चा और पका दोनों रूपों में किया जाता उपयोग
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कनीना की आवाज। नारियल यूं तो दक्षिण भारत में पैदा होता है किंतु नारियल का के उपयोग को की जानकारी से धीरे-धीरे लोग जागरूक होते जा रहे हैं। वर्तमान समय में नारियल को कच्चा और पका दोनों रूपों में उपयोग किया जा रहा है। पूरे विश्व में नारियल की खेती होती है। जहां नारियल खाने से वैज्ञानिक लाभ बताते हैं। नारियल खाने से जहां वजन कम रहता है, मधुमेह से बचा जा सकता है और अनेक समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। नारियल के गुणों के चलते 2 सितंबर को विश्व नारियल दिवस मनाया जाता है। विशेषकर सर्दियों में कच्चा नारियल अधिक खाया जाता है क्योंकि मौसम में अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है, कच्चे नारियल में बहुत सारे गुण पाए जाते हैं। इस संबंध में डा. जितेंद्र मोरवाल से से नारियल के विषय में चर्चा की।
उन्होंने बताया कि नारियल में विटामिन और लोहा होने के साथ-साथ तांबा, सेलिनियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम आदि पाए जाते हैं यदि इसका उपयोग रोजाना किया जाए तो शरीर में मजबूती और ऊर्जा दोनों का संचार होगा। उन्होंने बताया कि कच्चा नारियल खाने से पेट की बहुत सी समस्याएं हल हो जाती हैं क्योंकि कच्चे नारियल में 60 प्रतिशत तक पानी होता है। यह कब्ज, एसिडिटी, पेट की जलन, अफारे की समस्या से छुटकारा दिलाता है। जिन व्यक्तियों को अपना वजन काबू करना है वह इसकी कच्चे नारियल की सहायता से वजन पर काबू पा सकता है। क्योंकि इसमें विटामिन बी-6 पाया जाता है जो याददाश्त को बढ़ाता है। शुगर की मात्रा नियंत्रित रखने में भी इसका उपयोग किया जाता है। विटामिन-ए अधिक होने के कारण एंटी एक्सीडेंट का काम भी करता ही है साथ में बालों की समस्या को मिटाता है। पेय के रूप में कच्चे नारियल के जल का उपयोग होता है। जहां किसी भी पूजा में कच्चे नारियल का उपयोग होता है वहीं अंतिम संस्कार के समय भी नारियल का उपयोग किया जाता है। जहां कच्चा नारियल लोग बेचकर अपनी रोटी रोजी भी कमाते हैं वही नारियल पक जाने पर न जाने किस कितने प्रकार की मिठाइयों में डाला जाता है शरीर में लाभ होता है। विटामिन-सी भी नारियल में पाया जाता है जो हृदय को स्वस्थ रखता है वहीं पाचन क्रिया की रुकावट दूर होती है। ऐसे में कच्चा नारियल हो या पका हुआ नारियल अवश्य प्रयोग किया जाता है। कोरोना काल के समय नारियल का पानी बहुत कारगर सिद्ध हुआ था। नारियल महंगे भी हो गए थे परंतु नारियल का उपयोग करके लोगों ने अपनी जान को बचाया। ऐसे में डॉक्टर का कहना है कि नारियल का उपयोग जरूर करें।
फोटो कैप्शन: डा. जितेंद्र मोरवाल
कनीना गौशाला के पूर्व प्रधान हुकुमचंद आर्य का निधन
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कनीना की आवाज। कनीना की श्रीकृष्ण गोशाला के प्रधान रहे करीरा निवासी हुकुमचंद आर्य का निधन हो गया। वे करीब 73 वर्ष के थे, अचानक उन्हें हृदय घात हुआ और उनकी असामयिक मौत हो गई। उनका अंतिम संस्कार करीरा गांव में विधि विधान से किया गया। इस मौके पर भारी संख्या गणमान्य जन उपस्थित रहे। वे लंबे समय तक कनीना की श्री कृष्ण गौशाला के प्रधान रहे तथा विगत दिनों प्रधान पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। कनीना के अनेक गणमान्य जनों ने उनकी असामयिक मौत पर शौक जताया है जिनमें बलवान सिंह आर्य, बालकिशन श्रीकृष्ण करीरा, महेश बोहरा, सुमेर सिंह ,सुनील कुमार, महेंद्र शर्मा आदि प्रमुख है।
फोटो कैप्शन: हुकुम चंद आर्य फाइल फोटो
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