Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Wednesday, September 4, 2024


 



कर्मियों की तैनाती संबंधित विधानसभा क्षेत्र में लगाई जाए
-साथ में दिया जाए पारिश्रमिक भी
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कनीना की आवाज।
  8 सितंबर को जहां विधानसभा चुनावों को लेकर प्रथम रिहर्सल होने नारनौल में होगी। अब विभिन्न कर्मियों ने मांग की है कि चुनाव के दौरान संबंधित विधानसभा क्षेत्र में तैनाती लगाई जाए ताकि आने-जाने में सुविधा मिल सके। कर्मियों को दूर दराज भेजा जाता है जिसे बेहद परेशानियों को जूझते हुए घर तक पहुंचा जाता है। ऐसे में उन्होंने मांग की है कि संबंधित विधानसभा क्षेत्र में उनकी तैनाती लगाई जाए साथ में उन्होंने पारिश्रमिक भी दिए जाने की मांग की है। कर्मियों का कहना है कि वर्ष 2022 में के पंचायत चुनाव में जहां कर्मियों की तैनाती लगाई गई किंतु कर्मियों को कोई पारिश्रमिक नहीं दिया गया। उस वक्त पंचायत चुनावों के तुरंत बाद जिला परिषद के चुनावों के लिए तैनाती लगी और वह भी उस समय जब दीपावली का पर्व था किंतु दुख तब हुआ तब उन्हें कोई पारिश्रमिक नहीं दिया गया। ऐसे में उन्होंने मांग की है कि सभी कर्मियों को मौके पर ही पारिश्रमिक भी दिया जाए। उनकी मांग को समर्थन देने वालों में शिक्षक नेता कंवरसेन वशिष्ठ, धर्मपाल शर्मा, एचएस यादव सहित विभिन्न अध्यापक नेताओं ने भी कर्मियों की यह मांग जायज बताई है।


 कनीना में सार्वजनिक स्थानों पर साइबर अपराध के संबंध में छात्र-छात्राओं, आमजन को जागरूक किया गया
--पुलिस द्वारा प्रत्येक महीने के पहले बुधवार को साइबर जागरूकता दिवस मनाया जाता है
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कनीना की आवाज।
साइबर जागरूकता दिवस के तहत पुलिस अधीक्षक अर्श वर्मा के दिशा-निर्देश में आज जिला पुलिस द्वारा छात्र-छात्राओं सहित युवाओं और अन्य लोगों को साइबर अपराध के बारे में जागरूक किया गया। पुलिस ने महेंद्रगढ़, कनीना में सार्वजनिक स्थानों पर साइबर अपराध के संबंध में छात्र-छात्राओं, आमजन को जागरूक किया गया।
साइबर अपराधों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए पुलिस द्वारा प्रत्येक महीने के पहले बुधवार को साइबर जागरूकता दिवस मनाया जाता है। जिसके तहत पुलिस द्वारा स्कूल, कालेज, सार्वजनिक स्थानों पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कर आमजन और विद्यार्थियों को जागरूक किया जाता है। जिला महेंद्रगढ़ पुलिस द्वारा आज साइबर जागरूकता दिवस पर महेंद्रगढ़, कनीना में सार्वजनिक स्थानों पर विद्यार्थियों, आमजन को साइबर अपराधों के बारे में जागरूक करते हुए साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 के बारे में विस्तृत रूप से समझाया और साइबर अपराध से बचने के उपाय भी बताए।
इस दौरान बताया कि साइबर अपराध हो जाने पर हेल्प लाइन नंबर 1930 पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। डिजिटल युग में कई बार लोग अनजाने में साइबर क्राइम का शिकार हो जाते हैं, यदि हम इसके प्रति जागरूक होंगे तो निश्चित ही इससे बचा जा सकता है। बताया गया कि किसी भी लिंक पर क्लिक न करें, अनजान नंबरों से आई काल, ओटीपी वेरीफिकेशन को स्वीकार न करें, अपना डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, सीवीवी, एटीएम पिन, नेट बैंकिग का पासवर्ड शेयर न करें। इंटरनेट बैंकिग का पासवर्ड मजबूत व सिक्योर बनाने, इंटरनेट मीडिया का उपयोग करते समय सावधानी बरतने, अनजान लोगों की फ्रंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट न करने बारे सुझाव दिए गए। साइबर अपराधों से संबंधित किसी भी क्राइम पर साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर तत्काल शिकायत दर्ज कराने की अपील की गई। साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 नंबर पर शिकायत देते ही साइबर टीम तुरंत बैंक और भुगतान इंटरफेस से संपर्क कर जिस भी खाते में अपराधी ने पैसे ट्रांसफर हैं, उन्हें तुरंत फ्रीज करवा दिया जाता है। इसके बाद मूल खाते में रुपये वापस करवा दिए जाते हैं।
थाना शहर कनीना से एएसआई सतीश व उनकी टीम द्वारा बस स्टैंड कनीना पर साइबर अवेयरनेस कार्यक्रम के तहत साइबर अपराधों के बारे में जागरूक किया और साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 के बारे में बताया।
थाना सदर कनीना से एसआई जयभगवान व उनकी टीम ने सार्वजनिक स्थान पर आमजन को साइबर अपराधों के बारे में अवेयर किया और बताया कि साइबर अपराध होने पर तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें।
थाना सदर महेंद्रगढ़ से एसआई हरिप्रकाश व उनकी टीम ने सार्वजनिक स्थान पर साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 के बारे में आमजन को जागरूक किया व साइबर अपराधों के बारे में जागरूक किया।
फोटो कैप्शन 06: साइबर क्राइम के प्रति जागरूक करते हुए पुलिस।






श्रद्धांजलि अर्पित कर लगाए भारत माता की जय के नारे
-आयोजित हुआ हवन
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कनीना की आवाज।
 उप मण्डल के गांव सिहोर में कारगिल शहीद अशोक कुमार संपदा सोसायटी (रजिस्टर्ड) के माध्यम से शहीद स्मारक पर सुबह हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। उपस्थित लोगों ने शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किए। उसके बाद 2 मिनट का मौन रखा गया। शहीद अशोक कुमार के भाई राजवीर सिंह ने बताया कि हवन यज्ञ करने के श्रद्धांजलि अर्पित की गई। शहीद अशोक कुमार संपदा सोसायटी की तरफ से सर्दियों में रेवाड़ी रेलवे स्टेशन के पास पास असहाय गरीब लोगों को वस्त्र वितरित करते हैं । संस्था के माध्यम से झुग्गी झोपडिय़ों में रहने वाले बच्चों को सर्दियों में गर्म वस्त्र वितरित करते हैं। गर्मियों में पक्षियों के दाने पानी की व्यवस्था करते हैं जगह-जगह पौधारोपण कार्यक्रम किया जाता है। शहीद अशोक कुमार मेमोरियल क्लब के माध्यम से होली व धुलंडी पर एक विशाल खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन करवाया जाता है। इस प्रतियोगिता में हरियाणा के अनेक जिलों से खिलाड़ी भी हिस्सा लेते हैं।
इस दौरान शहीद अशोक संपदा सोसाइटी के पदाधिकारी आर्य समाज सीहोर के पदाधिकारी सहित रामेश्वर दयाल शास्त्री गाहड़ा,  मास्टर मदनलाल,  महाराम यादव,  प्र्रीतम सिंह, राजेश, सुनील कुमार, लाल सिंह , सूबेदार बलवंत सिंह, प्रताप सिंह, संजय कुमार, नीरज यादव, सुनीता, सुमन,  पूजा यादव, कमला यादव, नीरज यादव, मास्टर नौबत सिंह, रतीराम, दीपक स्वामी, वेद प्रकाश आर्य छीथरोली सहित ने शहीद अशोक कुमार के आदमकद प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए।
गांव का मुख्य मार्ग शहीद अशोक कुमार के नाम से बना हुआ है। जिसका संकेतिक बोर्ड गांव के बस स्टैंड पर लगाया गया हुआ हैं।
शहीद अशोक कुमार के भाई राजबीर ने जानकारी देते हुए बताया कि अशोक कुमार का जन्म 1 नवंबर 1977 को हुआ था । अशोक कुमार को खेलना बहुत पसंद था । मौका मिलते ही गांव के खेल ग्राउंड में फुटबाल खेलने चला जाता था । अशोक कुमार रानीखेत में होने वाली खुली भर्ती में 1 मार्च 1997 को गया था । जुलाई 1977 को 13 कुमाऊं रेजिमेंट रानीखेत में भर्ती हो गया । ट्रेनिंग खत्म होने के बाद एक सप्ताह के लिए वह गांव आया था । गांव आते ही परिवार जनों के पैर छूने के बाद वह अपनी मौसी के पास जाता था उनका भी वह मां के जितना सम्मान करता था । उसके बाद वह बाबा बह्मचारी के मंदिर में माथा टेकने के लिए जाता था। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद अशोक कुमार की ड्यूटी विश्व का सबसे ऊंचा युद्ध स्थल सियाचिन ग्लेशियर में लग गई थी। सियाचिन ग्लेशियर से जब बटालियन नीचे उतरी उसके बाद उसको सीधे कारगिल की लड़ाई में भेज दिया गया था। अशोक कुमार अपने परिवार को खत लिखा करता था। अशोक कुमार की सगाई कर दी गई थी। जब परिवार वालों ने शादी के लिए पूछा तब उसने कहा की कारगिल की जीत के बाद ही शादी करूंगा। कारगिल में जाने के कुछ दिन बाद जिला सैनिक बोर्ड नारनौल की तरफ से एक जवान घर पर आया और उन्होंने सूचना दी कि कारगिल की लड़ाई में अशोक कुमार शहीद हो गया। शहीद अशोक कुमार की रेजीमेंट ने 5685 प्वाइंट पर तुरतूक पहाड़ी पर दुश्मनों को मार कर कब्जे में लिया था। शहीद अशोक कुमार को मरणोपरांत सैन्य सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था । शहीद अशोक कुमार का नाम राष्ट्रीय स्मारक राजपथ नई दिल्ली में आप्रेशन विजय प्राप्त करने पर नाम दर्ज है। शहीद अशोक कुमार की मां भतेरी ने बताया कि जब किसी जवान को छुट्टी आता देखती है तो उसको अशोक के नाम से बुलाती है। बूढ़ी मां के आंखों से अश्रुधारा बहने लग जाती है ।
शहीद अशोक कुमार के भाई राजवीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि परिवार को सरकार की तरफ से एक गैस एजेंसी मिली हुई है। राज्य सरकार व केंद्र सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता भी प्राप्त हुई थी। राज्य सरकार की तरफ से राजवीर सिंह को लेबर डिपार्टमेंट में नौकरी मिली हुई है।
शहीद अशोक कुमार मेमोरियल क्लब के नाम से गांव में एक क्लब बनाया हुआ है। बाबा ब्रह्मचारी के मेले पर इस क्लब के माध्यम से एक खेल प्रतियोगिता का आयोजन करवाया जाता है । समय-समय पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है। 4 सितंबर को पुण्यतिथि मनाई जाती है जिसमें हवन यज्ञ किया जाता है । गांव के चारों तरफ शहीद अशोक कुमार के नाम से सड़क बनी हुई है। शहीद के नाम से गांव के स्कूल का नाम अशोक कुमार राजकीय उच्च विद्यालय हैं। प्रशासन की तरफ से 15 अगस्त व 26 जनवरी को सम्मानित किया जाता है। गांव में शहीद अशोक कुमार का एक स्मारक बनाया हुआ है ।
फोटो कैप्शन 04: शहीद अशोक कुमार को श्रद्धांजलि देते हुए ग्रामीण
05: शहीद अशोक कुमार की पुण्यतिथि पर हवन करते हुए।






 जीवेम् शरद: सत्यम
-अब तो वोट डालने के तौर तरीके ही बदल गए हैं-सेढाराम
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कनीना की आवाज।
 कनीना निवासी एवं पूर्व शिक्षक सेढ़ाराम 84 वर्ष के हो चुके हैं। वो आज के मतदान और उनके समय के मतदान को देखकर बड़े चकित है। एक दौर था जब वोट हासिल करने के लिए नेता कई-कई दिनों पहले से गलियों में चक्कर लगाते थे और गलियों में चक्कर लगाने के साथ-साथ माइक आदि से प्रचार करते थे। पहले इतने आधुनिक साधन या वोट पाने के जो बड़े आधुनिक तरीके आज के दिन हैं, ये उपलब्ध नहीं थे। ऐसे में सीधे-सादेे तरीके से वोट मांगते थे। नेता और उसके समर्थक जब गलियों से गुजरते थे तब बिल्ले और झंडिया बांटते हुए जाते थे। छोटे-छोटे बच्चे भी उनसे बिल्ले और झंडी मांगने के लिए पहुंच जाते थे। ये बिल्ले कपड़ों पर टांगकर छोटे बच्चे खुश होते थे वहीं अपने घरों पर नेताओं की झंडियां लगाकर प्रसन्न हो जाते थे। वोट डालने वालों में उत्साह भरा होता था और सरेआम कहते थे कि मोहर लगेगी.....। आज के दिन सब काम गुप्त हो गया है। उस वक्त इतने बड़े नेता किसी विधायक या सांसद के लिए वोट मांगने नहीं आते थे। कभी-कभार एकाध बार जरूर आ जाते थे परंतु नेताओं की छवि निराली होती थी। यही नहीं वोट डलवाने के लिए भी कई दिनों से पोलिंग पार्टियां अभ्यास लेकर तब वोट डलवाने के लिए पहुंचती थी। मत पेटियों को खोलना और बंद करना भी कई बार उनके लिए समस्या बन जाता था। मोहर लगाने के लिए अलग से मोहर मिलती थी और कांपते हुए बुजुर्ग कई बार गलत जगह मोहर लगा देते थे।
बड़े-बड़े मंत्री और प्रधानमंत्रियों के वो चुनाव देख चुके हैं। चुनाव संपन्न होने के बाद मतगणना का कई दिनों तक इंतजार करना होता था, आधुनिक यंत्र होते नहीं थे। इसलिए रेडियो आदि से सूचना मिलती थी, तब पता चलता था कौन जीता है। आजकल जहां पल भर में सूचना मिल जाती है। वोट डालने के लिए मशीन का प्रयोग होता है तथा बटन दबाकर वोट डाला जाता है। वोट डालने का प्रमाण भी बाहर आता है परंतु उस जमाने में विज्ञान में इतनी उन्नति नहीं की थी। इसलिए वोट डालने की आधुनिक मशीन, मतदान की सूचना, हार जीत की सूचना पाने के लिए आधुनिक मोबाइल, टीवी आदि नहीं होते थे। आजकल तो सोशल मीडिया द्वारा तुरंत सूचना प्रचारित हो जाती है। ये साधन उन्होंने नहीं देखे थे। ऐसे में आजकल चुनाव प्रचार के लिए जहां बैनर और झंडों का इतना जबरदस्त प्रचार होता है यह पहले नहीं होता था। आजकल जहां प्रचार के लिए कुछ समय मिलता है जबकि पहले प्रचार के लिए लंबा समय मिलता था। बिल्कुल ही चुनाव के तौर तरीके बदल गए हैं।
 फोटो कैप्शन: मास्टर सेढ़ाराम






चुनावी चर्चा
आपस में बहस छिड़ी देखी जा सकती है हुक्कों पर
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कनीना की आवाज।
 नेताओं को टिकट मिलने की सूचनाएं आने लगी है उतनी ही गलियों ,मोहल्लों व दुकानों पर चुनाव बहस बढ़ती जा रही है। किसी भी जगह कुछ लोग आपस में बैठ जाते हैं तो अनायास ही चुनावी चर्चा छेड़ देते हैं। कई कई बार तो माहौल इतना गर्म हो जाता है कि लोग समझते हैं कि आपस में झगड़ रहे हैं। चुनावी बहस में जहां अटेली विधानसभा क्षेत्र से महज 3 पार्टियों की ही चर्चा अधिक चलती है। बाकी को द्वंद्व से बाहर बताने लग गए हैं। प्रमुख मुकाबले में भाजपा और कांग्रेस को बता रहे हैं। इसके बाद थोड़ा बहुत बसपा को बता रहे हैं। यद्यपि कांग्रेस और भाजपा की प्रत्याशियों को टिकट की घोषणा नहीं हुई है, टिकट की घोषणा के बाद ही हार जीत पर ज्यादा चर्चा चलेगी। जहां तक अटेली विधानसभा से इस बार रेवाड़ी की आरती सिंह का नाम चर्चाओं में आने लगा है तब से गरमा गरम बहस होने लगी है क्योंकि अटेली विधानसभा से सदा ही बाहर का नेता चुना जाता है। विगत दिनों से चर्चाओं का बाजार गर्म है कि बाहरी के प्रत्याशी को हम कैसे सहन करें। चुनाव में टिकट फाइनल होने से पहले ही जहां कुछ लोग उनके पक्ष में बोलने लग गए हैं तो बहुत से उनके विरोध में भी चर्चा करने लग गए हैं।  विरोधी पक्ष अधिक सामने आया है। जहां कांग्रेस में भी अनीता यादव की अटेली से टिकट मिलती है तो बहस करने वालों का कहना है कि अधिक वोट मिलेंगे वही अगर पार्टियों के प्रत्याशियों में अन्तर्कलह  पैदा होता है तो तीसरा मोर्चा भी बाजी मार सकता है। यह सत्य है की प्रमुख मुकाबला दोनों के बीच ही बता रहे हैं। बहस करने वाले पोहप सिंह, सज्जन सिंह,कृष्ण सिंह, उमेद सिंह कोकाराम, अजीत कुमार, मोहन सिंह, सत्यराज साहब,दिनेश कुमार, महेश कुमार आदि प्रमुख रहे। एक बात से सभी सहमत हैं कि जो कनीना और आसपास क्षेत्र का विकास करें उसको वोट देने चाहिए। कनीना क्षेत्र के विकास के लिए चर्चा छिड़ी रहती है कि अनीता यादव ने कनीना को उपमंडल का दर्जा दिलवाया यहां उपमंडल का दर्जा दिलवाकर का कनीना का कायाकल्प पलट दिया है। अनेक विकास कार्य करवाकर लोगों का मन जीता है। वह हर सुख दुख में शामिल होती आई है, इसलिए यदि अनीता यादव को टिकट मिलती है तो उसका पलड़ा भारी रहेगा जबकि भाजपा के प्रत्याशी अभी तक संतोष यादव, सीताराम आदि ने विकास कार्य करवाये हैं परंतु यदि रेवाड़ी से संबंध आरती सिंह को टिकट मिलती है, जिन्होंने कनीना में कभी आकर ही नहीं देखा है और कनीना के पास से गुजरी भी हो तो सड़क के माध्यम से ही निकल गई हो, ऐसे प्रत्याशी को वोट नहीं देना चाहते। उनका कहना है कि सुख दुख में क्षेत्रीय नेताओं का अहं रोल हैं। अनीता यादव, सीताराम आदि हर सुख दुख में शामिल होते हैं। बाद में नाम संतोष यादव, एडवोकेट सत्यनारायण का आता है। जहां भाजपा ने भी विकास कार्य करवाए हैं वहीं कांग्रेस ने भी जमकर विकास कार्य करवाए हैं। इसलिए उनका कहना है की प्रमुख मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में होगा परंतु अचानक किसी नये चेहरे को लाकर खड़ा कर देने से भाजपा को नुकसान होने का खतरा है। यदि किसी अनजान चेहरे को लाया जाता है तो जहां भाजपा में अन्तर्कलह बढ़ेगी वहीं कांग्रेस में भी कुछ कलह बढ़ सकती है और कांग्रेसी भी एक दूसरे को हराने पर उतर सकते हैं तो भाजपा के नेता भी एक दूसरे को हराने पर उतर सकते हैं। ऐसे में किसी को भी नुकसान हो सकता है और लाभ कोई तीसरा भी उठा सकता है। दिन भर किसी कार्यक्रम में, हवन, पूजा या किसी के लड़का होने की खुशी में जहां लोग इकट्ठा हो जाते हैं या फिर चाय की दुकान पर वहां भी बहस छिड़ जाती है। नतीजा यही निकलता है कि कांग्रेस और भाजपा में ही अटेली सीट से प्रमुख मुकाबला रहेगा।
फोटो कैप्शन 03:हुक्के पर चुनावी चर्चा करते हुए।





  जागो वोटर
वोट राजनीति में सुधार लाने का एक अचूक हथियार-सुरेश कुमार, ************************************************************************
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कनीना की आवाज।
वोट राजनीति में सुधार लाने का एक अचूक हथियार होता है। वोट के बल से हम देश की सरकार को बदल सकते हैं और अपने अनुसार अच्छे नेता का चुनाव करके बेहतर सरकार प्रदान में सहायक सिद्ध हो सकते हैं। वोट बनवाना एवं डालना हमारा अधिकारी है।
   वोट डालने के लिए जरूर अपने बूथ पर जाना चाहिए। वोट डालने के लिए जाते समय किसी नेता की गाड़ी का सहारा लिए बगैर पैदल चलकर जाना चाहिए। अब रही बात सही नेता के चुनाव की, अगर गुण को देखकर ही नेता का चुनाव करना चाहिए। लोकतंत्र में साफ छवि का नेता का चुनाव करना हम सभी का हक है। ऐसे में किसी भी कीमत पर वोट डालने से वंचित न रहे। यह समय है जागृति का।  वोट डालने के लिए जाते वक्त वोटर कार्ड एवं अन्य कोई पहचान पत्र लेकर जाना चाहिए। वोट डालते वक्त लाइन में खड़े रहना चाहिए और पोलिंग अधिकारी के बताए गए अनुसार अपना वोट गुप्त रूप से डालना चाहिए। हमारे लोकतंत्र का आधार भी वोटर ही है। यह निश्चय कर लो कि 5 अक्टूबर को मतदान केंद्र पर जाकर वोट जरूर डालेंगे।
सुरेश कुमार यादव, प्राध्यापक






 कनीना पर है इंद्रदेव खुश, हुई 15 एमएम वर्षा
--बाजरे की फसल गिरने का खतरा मंडराने लगा
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कनीना की आवाज।
 इस बार कनीना क्षेत्र पर इंद्रदेव खुश है। लगभग प्रतिदिन वर्षा हो जाती है और अब तक विगत वर्ष की तुलना में अधिक वर्षा हुई है। जहां सावन माह में इस वर्ष 200 एमएम वर्षा हुई है वही इससे पहले तथा सावन के बाद कुल मिलाकर 350 एमएम वर्षा हो चुकी है। विगत वर्ष की तुलना में यह करीब 100 एमएम अधिक है। प्रतिदिन कम या अधिक वर्षा होने से किसान अब नाखुश नजर आ रहे हैं।
 किसान सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह, महेंद्र सिंह, अजीत कुमार, दिनेश कुमार, कृष्ण कुमार आदि ने बताया कि वर्षा होना कोई बुरी बात नहीं है और नहीं अभी तक फसलों को बहुत कम नुकसान हुआ है परंतु वर्षा के बाद यदि हवा चलती है तो बाजरे की पकाने जा रही फसल गिर जाएगी  जिसका बुरा परिणाम निकलेगा। ऐसे में किसान इंद्रदेव से प्रार्थना कर रहे हैं कि करीब 20 दिनों तक वर्षा न हो ताकि वे अपनी फसल पैदावार ले सके। उधर कनीना क्षेत्र में जा 15 एमएम वर्षा के बाद सड़कों पर पानी जमा हो गया है। कनीना अनाज मंडी से रेवाड़ी सड़क मार्ग को नहर के साथ-साथ जोडऩे वाली पगडंडी का तो बहुत बुरा हाल हो चला है। कनीना से गाहड़ा सड़क मार्ग पर एक निजी स्कूल के पास तो बड़े-बड़े गड्ढे पूरे दो माह से गंदे पानी से भरे खड़े हैं, आवागमन प्रभावित हो रहा है। न ही सड़कों की कोई सुध लेने वाला नजर आ रहा है। एक और जहां यातायात प्रभावित हो रहा है वहीं दुर्घटनाएं बढ़ गई हैं।  कनीना क्षेत्र में इस बार अच्छी वर्षा होने से किसान बंपर बाजरे की फसल पैदावार होने की उम्मीद लगाए हुए हैं। उन्हें विश्वास है कि इस बार बेहतर पैदावार लेंगे लेकिन कहीं उनकी भावनाओं पर मौसम का कुठाराघात न हो जाए। यही कारण है कि किसान अब दिन रात अच्छी फसल पैदावार के बारे में सोच रहे हैं। 15 दिनों के बाद फसल कटाई शुरू होने की उम्मीद है। कनीना क्षेत्र में करीब 47500 एकड़ पर बाजार उगाया हुआ है सरकार ने भी इसका समर्थन मूल्य 2625 प्रति क्विंटल रखा हुआ है। कृषि वैज्ञानिक भी अभी तक इस फसल बारिश को अच्छा ज्यादा लाभप्रद नहीं मान रहे हैं।
कनीना क्षेत्र में बाजरे के अतिरिक्त कपास की अच्छी फसल खड़ी हुई है।  सावन माह वर्षा के मामले में बेहतर बीता है। किसान अब अपनी फसल को निहार रहे हैं और दृष्टि जमी हुई ताकि निकट भविष्य फसल कटाई शुरू हो जाएगी। सितंबर माह के अंत तक कटाई हो चुकी होगी।
  मिली जानकारी अनुसार कनीना क्षेत्र में बाजरा 47500 एकड़ कपास 20312 एकड़, धान 96 एकड़, ज्वार 1690 एकड़, ढेंचा 500 एकड़, अरहर दो एकड़ ग्वार, 735 एकड़ पर उगाया गया है।  उल्लेखनीय है कि इस वर्ष बाजरा फसल की बिजाई भी देरी से हो पाई है। विगत वर्ष की तुलना में करीब दो सप्ताह देरी से हो पाई है। यही कारण है कि किसान इस वर्ष कुछ परेशान नजर आ रहे हैं।
क्या करते कृषि वैज्ञानिक -
इस समय कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डाक्टर रमेश कुमार से बात हुई। उन्होंने बताया कि अधिक वर्षा से जहां कपास, ग्वार और बाजरे में नुकसान होने की संभावना बढ़ गई है। कपास में सबसे अधिक नुकसान होगा। उन्होंने बताया कि कपास में हरा तेला, सफेद मक्खी और ब्लाइट/ झुलसा रोग लग जाता है अधिक वर्षा से फसलों का रस चूसने वाले कीड़े फसल में पैदा होते चले जाएंगे और नुकसान होगा।  इसी प्रकार उन्होंने बताया कि ग्वार में हरा तेला के अलावा बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट रोग जाता है जिससे ग्वार की फसल भी घट जाती है। यदि बाजरे में पानी लंबे समय तक खड़ा रहता है तो बाजार भी खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। हवा के कारण बाजरे की फसल धरती पर लेट जाती है जिससे नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है।
 फोटो कैप्शन: डा. रमेश कुमार साथ में फूड कैप्शन एक:कनीना क्षेत्र में बाजरे की लैलाती फसल
दो: वर्षा के कारण खड़ा मुख्य सड़क मार्ग पर जमा गंदा चल






शिक्षक दिवस-5 सितंबर
पूरे विश्व में पूजा के योग्य होता है शिक्षक-डा राजेंद्र सिंह यादव
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कनीना की आवाज। 
 पांच सितंबर का दिन एक महान विद्वान, लेखक,आलोचक, विचारक और शिक्षक से राष्ट्रपति तक पहुंचने वाली विभूति के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है। उस महान विभूति का नाम डा. एस राधाकृष्णन है जो युगों-युगों तक शिक्षक समाज के लिए प्रेरणा के स्त्रोत माने जाते रहेंगे। डा. राधकृष्णन का जन्म पांच सितंबर 1888 को तिरुपति, आंध्र प्रदेश में हुआ था। 1903 में मद्रास से मैट्रिक, 1905 में इन्टर तथा 1908 में दर्शन शास्त्र में स्नातकोत्तर कर मात्र 21 वर्ष की अल्पायु में ही 1909 में प्रेसीडेंसी कालेज में प्राध्यापक पद पर सुशोभित हो गए थे।  13 मई 1962 को वे जब दूसरे राष्टï्रपति के पद पर सुशोभित हुए तो उनका जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। शिक्षक दिवस मनाने का उद्देश्य शिक्षकों को अपनी  जिम्मेदारी और अहमियत के प्रति जागरूक करना है। उनकी मेहनत के लिए उन्हें सम्मानित करने के लिए विश्व शिक्षक दिवस का आयोजन किया जाता है। जिस प्रकार शिक्षा हमारे जीवन को स्वर देती है उसी प्रकार शिक्षक, शिष्य के जीवन को स्वर देता है। सदा ही शिक्षकों का आदर रहा है और रहेगा। शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर कुछ सम्मानित शिक्षकों से बात हुई
** हमारे प्रथम गुरु माता-पिता ही होते हैं जो इस दुनिया में लाते हैं। माता-पिता की छांव में बच्चे सीखते हैं, संस्कार ग्रहण करते हैं। बच्चा जब बड़ा होता है तो उसका सामना समाज जीवन की वास्तविकता से होता है। तब शिक्षक अपने ज्ञान और मार्गदर्शन के रूप में आगे बढ़ाने में सही राह दिखाता है। इसकी मेहनत पर एवं शिक्षा के बल पर शिष्य अपनी ऊंचाइयों की और अग्रसर होता है।  शिक्षक को शिष्य कभी नहीं भुला सकता। शिक्षक सम्मान की दृष्टि से देखा जाता रहा है और देखा जाता रहेगा। शिक्षक ही है जो हर विद्यार्थी में गुण भर देता है जिसके बल पर विद्यार्थी ऊंचाइयों को छू जाता है।
    ---कैलाश पाली पूर्व प्राचार्य
समस्त विश्व में जिस भी युग में बदलाव आये वो शिक्षकों की भागीदारी का गवाह है। गुरू वशिष्ठ , विश्वामित्र, द्रोणाचार्य, संदीपनी सबने अपने साथ शिष्यों को लेकर बदलाव व मूल्यों की स्थापना की। चाणक्य, माक्र्स, अरस्तु, ने राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक सभी क्षेत्रों में नये आयाम दिए तथा मानव जीवन को सुंदर बनाने का प्रयास किया। चिकित्सा, विज्ञान , खगोल जैसे विषयों पर आज भी विश्व के वैज्ञानिक जो रिसर्च कर रहे हैं वह भी ऋषि मुनियों ने संसार को दी हैं। शिक्षकों के द्वारा ही विद्यार्थी आगे के जीवन को सार्थक बनाता है । आज के युग में शिक्षक की महता ओर अधिक है क्योंकि ये आर्थिक स्पर्धा का युग है और इसमें विद्यार्थी सही मूल्यों को अपनाकर मानव कल्याण की भावना के साथ विश्व के विकास में योगदान दे सके।
---डा राजेंद्र सिंह यादव, पूर्व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी
** शिक्षण एक प्रयोगशाला है। शिक्षण दौरान नवीनत्तम तकनीकों का प्रयोग करते हुए शिक्षण में रुचि दर्शाए तो बेहद सम्मान मिलता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक बुराइयों में गिरना शिक्षक के मान सम्मान के विरुद्ध होता है। ऐसे में सामाजिक बुराइयों से बचकर रहने एवं मेहनत से जी न चुराने पर शिक्षक का सम्मान लाजमी बन जाता है। शिक्षक का पेशा अति दुर्लभ होता है। अगर शिक्षक इस पेशे में आ जाए तो उसे केवल और केवल विद्यार्थियों के हित की बात सोचनी चाहिए। समय पर कक्षा में जाकर मेहनत करवाने तथा उनकी हर समस्या का समाधान करवाने वाले शिक्षक को विद्यार्थी ही नहीं अपितु जगत याद करता है।
    --नरेश कुमार, शिक्षक
**शिक्षक अपने आप में बड़ा ही गौरवशाली एवं प्रतिष्ठित पद है। एक विद्यार्थी के जीवन के साथ-साथ परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण में  शिक्षक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। इसलिए शिक्षक को राष्ट्र का निर्माता कहा गया है जो स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देता है शिक्षक शब्द की उत्पत्ति संस्कृत की शिक्ष धातु से हुई है इसका अर्थ है सीखना और सीखना जो जीवन पर्यंत चलता रहता है। चाणक्य ने शिक्षक को परिभाषित करते हुए कहा है कि एक विद्यार्थी के सम्पूर्ण जीवन का निर्माण और प्रलय उसकी गोद में पलते हैं। दुनिया में शिक्षक ही गौरवमयी पद है जो हमेशा अपने विद्यार्थी को अपने से ऊपर देखना चाहता है। एक शिक्षक को आदर्शवादी और प्रगतिशील विचारधारा के साथ-साथ हमेशा सृजानात्मक ,नवीनतम आधुनिक ज्ञान कौशल और अधिगम की दिशा में निरंतर प्रयास करना चाहिए और ईमानदारी , स्वच्छता पूर्ण ,पारदर्शिता शैली के साथ सतत् प्रगतिशील विचारधारा का निर्माण कर समाज को एक नई दिशा देनी चाहिए। चिंतनशील विचारधारा और महान् व्यक्तित्व तो वास्तव में शिक्षक ही होता है जो अपने आदर्शवादी विचारों से विद्यार्थी और समाज की दिशा और दशा बदलने में कारगर सिद्ध हो सकता है। आधुनिक युग में भी शिक्षक का बहुत बड़ा सम्मान है। शिक्षक निरंतर विद्यार्थियों के साथ नवीनतम शिक्षण अधिगम में प्रयास रहते हैं इसके सार्थक और सकारात्मक परिणाम हमें प्राप्त हुए हैं और हम खुशी का अनुभव करते हैं।
   *डा. रामानंद यादव, पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी
फोटो कैप्शन: डा राजेंद्र सिंह, डा. रामानंद, कैलाश पाली, नरेश कुमार





शिक्षक से राष्ट्रपति पद तक पहुंचे थे डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन
---उनके जन्म दिन को मनाया जाता है अध्यापक दिवस के रूप में          
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कनीना की आवाज।
पांच सितंबर का दिन एक महान विद्वान,लेखक,आलोचक,विचारक और शिक्षक से राष्ट्रपति तक पहुंचने वाली विभूति के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है। उस महान विभूति का नाम डा. एस राधाकृष्णन है जो युगों-युगों तक शिक्षक समाज के लिए प्रेरणा के स्त्रोत माने जाते रहेंगे।
   डा. राधकृष्णन का जन्म पांच सितंबर 1888 को तिरुपति, आंध्र प्रदेश में हुआ था। 1903 में मद्रास से मैट्रिक, 1905 में इन्टर तथा 1908 में दर्शन शास्त्र में स्नातकोत्तर कर मात्र 21 वर्ष की अल्पायु में ही 1909 में प्रेसीडेंसी कालेज में प्राध्यापक पद पर सुशोभित हो गए थे। 1921में कलकत्ता में नैतिक शास्त्र तथा 1935 में आक्सफोर्ड कालेज में प्रोफेसर नियुक्त हुए। 1939 में बनारस हिन्दु विवि के वाइस चांसलर तथा 1948 में विश्वविद्यालय आयोग के अध्यक्ष चुने गए। 1949 में तत्कालीन यूएसएसआर में राजदूत के पद पर भेजा गया। वे 1952 से 1962 तक दो बार उपराष्टï्रपति बने। 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया। 13 मई 1962 को वे जब दूसरे राष्टï्रपति के पद पर सुशोभित हुए तो उनका जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
   राधाकृष्णन एक महान लेखक थे। 1908 में उन्होंने वेदान्त शास्त्र पुस्तक लिखी किंतु 1920 मे उनके द्वारा लिखी हुई 'समकालीन समाज में हिन्दू धर्म का देश विदेश में प्रचार हुआ। 'द फिलासाफी ऑफ रविन्द्रनाथ टैगोर लिखकर वे महान रचनाकार, समीक्षक व अंग्रेजी लेखकों की श्रेणी में आ गए। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी। 1955व 1957 में जर्मन एवं इंग्लैंड ने उन्हें कई उपाधियों से सम्मानित किया। उन्होंने गीता का अनुवाद भी किया। महात्मा गांधी उनसे बहुत अधिक प्रभावित थे। एक बार महात्मा गांधी ने कहा था-आप मेरे कृष्ण हो और मैं आपका अर्जुन। इस महान विभूति का एक वर्ष की लंबी बीमारी के बाद 17 अप्रैल 1975 को काल ने लील लिया।
 राधाकृष्णन एकता के महान पुजारी थे। उनके अनुसार राष्ट्रीय एकता ईंट और गारे से नहीं बनाई जा सकती और न ही इसका निर्माण छैनी और हथौड़े से किया जा सकता। इसे तो चुपचाप लोगों के दिलों दिमाग में उत्पन्न करना होगा जिसका एकमात्र साधन शिक्षा है। जब वे विश्वविद्यालय आयोग के अध्यक्ष बने तब उन्होंने शिक्षा के विषय में कहा था-शिक्षा रोटी रोजी कमाने का साधन मात्र नहीं है और न ही विचारों का पालन पोषण करती है। और न हीं नागरिकता की पाठशाला है। यह तो आत्मा के जीवन का आरंभ है। मानवीय आत्मा का सत्य की खोज के लिए प्रशिक्षण है। वास्तव में शिक्षा दूसरा जन्म है।
   राधाकृष्णन के शिक्षक के विषय में सुन्दर विचार थे। उनके अनुसार-समाज में शिक्षक का स्थान महत्वपूर्ण है। वह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक बौधिक परंपराओं व तकनीकी कौशल सौंपने की प्रक्रिया का केंद्र बिंदु है। वह सभ्यता के दीपक को प्रज्वलित करने में सहायक होता है। वह केवल व्यक्तियों का मार्गदर्शक नहीं अपितु राष्टï्र के भाग्य का निर्माता होता है। शिक्षक को अपना दायित्व समझना चाहिए। वो महान शख्स हमारे बीच आज नहीं है किंतु कहते प्रतीत होते हैं:-
             दुनिया में आकर एक शख्स दे गया पैगाम,
             कभी न घटने पाए, अध्यापक तेरा सम्मान।  
   एक शिक्षक प्रत्युत्तर में कह रहा है:-
             तन,मन,धन से सेवा करें,बांटे खुलकर ज्ञान,
             कैसे घटेगा जाने वाले, अध्यापक का सम्मान।





5 सितंबर शिक्षक दिवस पर विशेष
खंड कनीना में 62 वर्षों में चार शिक्षकों को मिल चुका है राज्य शिक्षक अवार्ड
-दो हो चुके हैं सेवानिवृत्त, दो अभी भी कार्यरत
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कनीना की आवाज।
कनीना खंड में विगत 62 वर्षों के इतिहास में महज चार शिक्षकों को हरियाणा राज्य शिक्षक पुरस्कार मिला है जिनमें से दो सेवा में हैं और दो सेवानिवृत्त हो चुके हंै। वर्ष 2020 में कोरोना के चलते राज्य के किसी भी शिक्षक को कोई अवार्ड नहीं दिया गया।  डा होशियार सिंह को राज्य शिक्षक पुरस्कार मिलने पर भी कोई लाभ नहीं मिला बाकी तीनों को सभी लाभ मिले हैं। सरकार की वर्तमान नीतियों के कारण लाभों से वंचित रहना पड़ा है। इन चार में से दो दिव्यांग हैं। 5 सितंबर 1962 से डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा था जो अभी भी जारी है।
 कनीना प्रखंड के गांव ककराला निवासी एवं रसूलपुर स्कूल से मुख्याध्यापक पद से सेवानिवृत्त बनवारीलाल को कनीना के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना में बतौर समाजशास्त्र प्रवक्ता काम करते हुए हरियाणा शिक्षक अवार्ड से सम्मानित किया गया था। आज भी जनसेवा में जुटे हुए हैं। उन्होंने दो साल की अतिरिक्त सेवा का लाभ भी मिल चुका है।
  बनवारीलाल ने लीक से हटकर उन्होंने समाजसेवा की वहीं शिक्षण की नई तकनीक प्रयोग में लाने के कारण उन्हें हरियाणा सरकार ने वर्ष 2006 में बेस्ट शिक्षक अवार्ड मिला था। उन्होंने वन महोत्सव में बढ़ चढ़ कर भाग लिया, पेड़ पौधे न केवल लगाए अपितु संरक्षण भी किया, ब्लड डोनेशन हो या फिर बेहतर परीक्षा परिणाम हर जगह समाजसेवा में उनका नाम अग्रणी रहा है जिसके चलते उन्हें शिक्षक अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
 बनवारी लाल पहले विज्ञान अध्यापक रहे हैं। उस वक्त उनका शिक्षण अत्योधिक सराहनीय रहा जिसके चलते अधिकांश समय उनका बोर्ड का रिजल्ट शत प्रतिशत रहा। उनके विज्ञान शिक्षण में विज्ञान के उपकरण एवं पाठ्य सामग्री का समावेश होता था। उनकी शिक्षण कला से विद्यार्थी उस लोहे की भांति नजर आते थे जो शिक्षक रूपी चुंबक की ओर चिपक जाते थे। हर विद्यार्थी उनकी शिक्षण कला से प्रभावित था जिसके चलते प्रशासन द्वारा बार बार सम्मानित किया गया। जब वे समाजशास्त्र के प्रवक्ता बने तो उनकी शिक्षण कला में अधिक निखार आ गया था। उनके रिजल्ट शत प्रतिशत ही नहीं अपितु विद्यार्थियों के 95 प्रतिशत से अधिक अंक बहुत अधिक के होते थे। जब उन्होंने स्कूल में मुख्याध्यापक बतौर काम किया तो उनका प्रशासन अति सराहनीय होता था। चाहे समाज सेवा हो या मंच से उनका संबोधन अति सराहनीय मिलता था।  वे सेवा में 26 अगस्त 1976 में बतौर विज्ञान अध्यापक लगे थे और 30 अप्रैल 2011 को बतौर मुख्याध्यापक रसूलपुर से सेवानिवृत्त हुये हैं। उन्हें एक नवंबर 2006 को स्टेट अवार्र्ड मिला था। बेशक दुर्भाग्यवश उनके एक पैर पर बिजली का पोल गिरकर दिव्यांग बना दिया था।
   उधर  कनीना खंड के गांव कैमला के मिडिल हैड वीरेंद्र सिंह तथा गुढ़ा निवासी एवं बूचावास में कार्यरत प्रोमिला जेबीटी को वर्ष 2019 में राज्य शिक्षक अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। दोनों वर्तमान में कार्यरत हैं।
 वीरेंद्र सिंह मौलिक मुख्य अध्यापक राजकीय माध्यमिक विद्यालय कैमला खंड कनीना जिला महेंद्रगढ़ में 2 जून 2014 से कार्यरत हैं तब से लेकर अब तक उन्होंने विद्यालय में पूर्ण नैतिकता समर्पण भाव के साथ कार्य किया है। एक रेल दुर्घटना में अपने दोनों पैर गंवा देने के बाद पूर्ण दिव्यांग होने के उपरांत भी उन्होंने कड़ी मेहनत लगन निष्ठा विद्यार्थियों के साथ लगातार शैक्षिक उपलब्धियों में नए-नए आयाम सफलता के प्राप्त किए हैं। जिला व खंड स्तर पर उनका विद्यालय हमेशा प्रथम रहता है। राष्ट्रीय पर्व पर विद्यालय की प्रथम और द्वितीय स्थान पर रहा है। एनएमएमएस में 4 वर्षों से लगातार विद्यालय के बच्चों का चयन हुआ है। पिछले 15 साल से सभी शैक्षिक उपलब्धियों उत्कृष्ट है। पिछले 20 वर्षों से सेवाकाल के दौरान उनका शत-प्रतिशत परीक्षा परिणाम रहा है। मुख्यमंत्री सौंदर्यीकरण स्कीम में विद्यालय जिला स्तर पर प्रथम रहा था। उनका कहना है कि डा.राजेंद्र सिंह यादव पूर्व खंड शिक्षा अधिकारी अटेली की विशेष रूप से प्रेरणा रही है। वे सेवा में 16 जनवरी 1997 में तदर्थ आधार पर बतौर हिंदी शिक्षक सेवा में आये और अब मुख्याध्यापक बतौर कार्यरत हैं। वे 2032 में सेवानिवृत्त होंगे।
  उधर प्रमिला पत्नी कुलदीप कुमार जेबीटी अध्यापिका वर्ष 2000 में सेवा में आई तथा वर्तमान में राजकीय प्राथमिक पाठशाला बूचावास में कार्यरत है। अध्यापिका शुरुआत से होनहार रही है। उन्हें भी 5 सितंबर 2019 में राज्य शिक्षक अवार्ड से सम्मानित किया गया था। अति मृदुभाषी एवं अपने शिक्षण कार्य में लीन रहने वाली प्रमिला हर क्षेत्र में उपलब्धि प्राप्त होने के बाद ही उन्हें यह अवार्ड मिला है। उन्हें भी दो वर्ष अतिरिक्त सेवा का मौका दिया जाएगा। वे आठ नवंबर 2000 में सेवा में बतौर जेबीटी आई और 2039 में सेवानिवृत्त होंगी।
 उधर वर्ष 2022 में धनौंदा स्कूल से डा. होशियार सिंह यादव को स्टेट अवार्ड मिल चुका है। उन्होंने 42 पुस्तकों की रचना भी की है तथा अपने शिक्षण कार्य के लिए सदा ही जाने जाते हैं। आज भी उनसे पढ़ा हुआ विद्यार्थी उन्हें याद कर नतमस्तक हो जाता है। वे कालेज से लेकर नवोदय विद्यालयों सहित सरकारी विभिन्न विद्यालयों में सेवा दे चुके हैं। दो बार राज्यपाल से सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें राज्य शिक्षक पुरस्कार का अभी तक कोई लाभ न मिलने से परेशान हैं। वे 30 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं।  वे वर्ष 1995 में तदर्थ आधार पर सेवा में आये तथा 5 सितंबर 2022 को राज्य शिक्षक पुरस्कार मिला जबकि 30 अप्रैल 2024 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनसे शिक्षा ग्रहण करने वाला विद्यार्थी उन्हें नहीं भूला सकता। एनएमएमएस हो या सांस्कृतिक कार्यक्रम उनकी भागीदारी बेहतर रही है। हर क्षेत्र में उनका योगदान कभी नहीं भूलाया जा सकता। वर्तमान में भी समाज सेवा में जुटे हुये हैं। परंतु शिक्षा विभाग की नीतियों के चलते उन्हें दो वेतनवृद्धियां और दो साल का सेवा विस्तार का लाभ नसीब नहीं हुआ।
फोटो कैप्शन: विरेंद्र कैमला, प्रोमिला देवी, बनवारीलाल एवं डा. होशियार सिंह यादव






























 5 सितंबर अध्यापक दिवस पर विशेष
स्टेट अवार्डी शिक्षकों को 2 साल का सेवा विस्तार देने की मांग
-कोई लाभ स्टेट अवार्ड का नहीं मिल रहा है
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कनीना की आवाज। हरियाणा सरकार से राज्य एवं राष्ट्रीय शिक्षक विजेता शिक्षकों को 2 साल का सेवा विस्तार बहाल करने की मांग शिक्षक दिवस पर बलवती होती जा रही है। जहां 2 साल पहले तक के स्टेट अवार्ड शिक्षकों को 2 साल का सेवा विस्तार दिया गया था। किंतु सरकार ने वर्ष 2021 में निर्णय लेते हुए 2 साल का सेवाकाल बंद कर दिया है जिसके चलते अब राज्य शिक्षक पुरस्कार पाने वाले मायूस हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि 2 साल का सेवा विस्तार न देने के आदेश को वापस लिया जाए। शिक्षकों का कहना है कि यह पुरस्कार समाज सेवा एवं शिक्षा में महत्वपूर्ण सराहनीय सेवाएं देने पर मिलता है जिसके चलते अब शिक्षकों का रुझान घटता जा रहा है। यदि 2 साल की सेवा विस्तार बहाल कर दिया जाए तो शिक्षक इस अवार्ड को पाकर अपने को धन्य समझेंगे। ऐसे में विभिन्न एसोसिएशन भी इस मांग को उठा रही है और सरकार से बार-बार पत्र लिखकर मांग कर रही है। विधानसभा में भी यह प्रश्र उठाया गया था किंतु अभी तक इस पर कोई अमल नहीं किया जा रहा है। ऐसे शिक्षकों की संख्या नगण्य में होती है।
क्या क्या मिलता है वर्तमान में-
  स्टेट अवार्डी नरेंद्र दुहान, अशोक कुमार, रोहताश सिंह, कृष्ण कुमार आदि ने बताया कि वर्ष 2021 से स्टेट अवार्ड पाने वाले शिक्षक को एक लाख रुपये नकद, दो अग्रिम वेतनवृद्धि, मेडल ,शाल एवं प्रशस्तिपत्र प्रदान किया जाता है। दो साल की सेवावृद्धि खत्म कर दी गई है जबकि दो अग्रिम वेतनवृद्धि के तहत उन्हें अगले दो सालों तक कोई वेतनवृद्धि नहीं दी जाती है जबकि वेतनवृद्धि हर वर्ष मिलती है। दो साल का सेवा काल पुन: बहाल करने की मांग चल रही है।
2021 से पहले क्या मिलता था-
वर्ष 2021 से पहले स्टेट अवार्डी शिक्षकों को 21 हजार रुपये नकद, दो अतिरिक्त वेतनवृद्धि, दो साल का सेवा विस्तार अर्थात अतिरिक्त सेवा का मौका, शाल, प्रशसितपत्र एवं मेडल मिलता था। जिसको लेकर शिक्षकों में खुशी का माहौल मिलता था किंतु अब सभी लाभ समाप्त कर दिये गये हैं।
  शिक्षकों ने बताया कि अब तो दो अग्रिम वेतनवृद्धियां भी तो बहुत से शिक्षकों को इसलिये नहीं दी जा रही हैं क्योंकि सरकार ने यह लाभ देने का कोई आदेश जारी नहीं किया है। अवार्डी शिक्षक मारे मारे फिर रहे हैं और बार बार मांग कर रहे हें कि उन्हें दो साल का सेवा लाभ अतिरिक्त दिया जाए अर्थात वर्ष 2021 से पहले अवार्डी शिक्षकों को जो जो लाभ मिलते थे वो उन्हें दिये जाएं तथा उन लाभों को बहाल किया जाए।
  कई शिक्षक हो चुके हैं सेवानिवृत्त-
अवार्ड प्राप्त कई शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सेवानिवृत्त शिक्षक डा होशियार सिंह , बनवारीलाल, इंद्रावती आदि ने मांग की है कि वर्ष 2021 में स्टेट अवार्डी शिक्षकों के बंद किये गये सभी लाभ वापस प्रदान करे। उनका कहना है कि सरकार के विरुद्ध रोष पनप रहा है जिसका खामियाजा सरकार भुगत सकती है किंतु कई दलों के नेता इसका लाभ उठाने के लिए घोषणा कर चुके हैं कि सत्ता में आते ही ये सभी लाभ वापस मिल जाएंगे।
55 वर्ष की आयु बनी वेतनवृद्धियों में बाधक--
स्टेट अवार्डी शिक्षकों में से भी कुछ अभागे शिक्षक जिनकी उम्र इअवार्उ के समय 55 साल या इससे अधिक है उन्हें दो वेतनवृद्धियों का लाभ भी शिक्षा विभाग एवं सरकार नहीं दे रही है। इस प्रकार की शर्त लगाने का स्टेट अवार्डी शिक्षकों ने विरोध जताया है। उनका कहना है कि सम्मान में सभी का हक बराबर होता है। ऐसे में भेदभाव क्यों। सबसे अधिक प्रभावित डा होशियार सिंह यादव पूर्व विज्ञान शिक्षक हुये हैं।













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