पुलिस ने देशी पिस्तौल सहित एक पकड़ा
-दो लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना पुलिस को मुखबिरी के आधार पर सूचना मिली कि धनौंदा निवासी बजरंग उर्फ आशु अपने पास असल रखता है और अपना असला अपने चाचा पचन के पास रखा हुआ है। वह किसी वारदात का अंजाम दे सकता है। कनीना पुलिस ने तुरंत बजरंग उर्फ आशु के मकान पर रेड की और तलाशी ली गई। बजरंग उर्फ आशु से पूछताछ पर उसने बताया कि पिस्तौल उसके चाचा पवन के पास रखा हुआ है। कनीना पुलिस ने उसके चाचा पवन के मकान पर पहुंची जहां प्लाट में चारपाई पर रखे बिस्तरों के नीचे देसी पिस्तौल बरामद किया। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। बजरंग उर्फ आशु एवं पवन कुमार के विरुद्ध आम्र्स एक्ट के तहत माला दर्ज कर लिया है।
पिकअप में भरी कडबी में स्पार्क से लगी आग
-लोगों ने मुश्किल से बचाई गाड़ी,कड़बी जलकर राख
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कनीना की आवाज। कनीना-अटेली मार्ग पर रेलवे ब्रिज/पुल बनने के कारण सभी वाहन ककराला -मोहनपुर से निकल रहे हैं। राजस्थान कोटपूतली निवासी एक व्यक्ति अपने पशुओं के लिए कड़बी से पिकअप भरकर मोहनपुर की ओर ले जा रहा था। रास्ते में बिजली के तारे नीचे पड़ते है जिनको छूने से स्पार्क होने से तुरंत आग लग गई। देखते ही देखते आग तेजी से गाड़ी में फैल गई। धुआं ही धुआं हो गया। चालक गाड़ी रोककर बचाव के लिए अवाज लगाने लगा। बीच बचाव में आसपास खेतों में भारी संख्या में किसान पहुंचे। जिन्होंने अपने खेतों की मोटर चला कर कड़बी में लगी आग पर काबू पाया। भाग्यवश गाड़ी बच गई, कड़बी जलकर राख हो गई। ककराला निवासी बनवारी लाल ने बताया कि देर शाम को पिकअप गाड़ी कड़बी से भरकर ककराला होकर मोहनपुर की ओर जा रही थी। रास्ते में बिजली के तार नीचे झुक रहे थे, तारों के पास से गाड़ी गुजरी तो तारों से स्पार्क हुआ और आग लग गई। तेज हवा सें कड़बी में आग तेजी से फैल गई। आग लगी देखकर ड्राइवर ने तुरंत गाड़ी रोकी आसपास के किसान पहुंचे और कड़बी में लगी आग पर काबू पाया। गाड़ी बच गई।
फोटो कैप्शन 08: पिकअप गाड़ी में लगी आग पर काबू करते किसान।
यहां तो हर चीज बिकती है बोलो जी तुम क्या-क्या खरीदोगे?
-अवार्ड, पीएचडी की डिग्री ,सांझ संग्रह में कविता लेख सब पैसे में छपती और बिकती है
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कनीना की आवाज। आज के दिन बेरोजगारी दूर करने का एक और तरीका लोगों ने खोज निकाला है। किसी फर्जी संस्थान द्वारा आनरेरी पीएचडी डिग्री देने का सिलसिला जोरों पर है। 10 हजार से 50 हजार लेकर के पीएचडी की डिग्री दे रहे हैं जो कहीं से रजिस्टर्ड नहीं ना किसी विश्वविद्यालय से। यह डिग्री लेकर के लोग धड़ाधड़ अपने नाम के साथ डाक्टर लिख रहे हैं। आज के दिन अधिकांश लोग अपने नाम के साथ डाक्टर लिखने लग गये हैं। कभी सोचा कैसे लिखने लग गये हैं? आज से 10 वर्ष पहले अपने नाम के साथ डाक्टर लिखने वाले इक्का दुक्का ही मिलते थे किंतु आज के दिन शायद ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है तो थोड़ा बहुत पढ़ा लिखा हो और डाक्टर नहीं लिख रहा हो। बेचारे से पीएचडी तो हुई नहीं परंतु आनरेरी डिग्री लेकर डाक्टर लिख रहा है। सबसे बड़ी बात यह है चाहे बकरी चरा रहा हो और डाक्टर लिखना है तो फीस जमा करो और अपने नाम के साथ डाक्टर बकरी चराने वाला- लिखना शुरू कर दो। चाहे कोई भी काम कर रहा है तो वह डाक्टर की डिग्री आसानी से प्राप्त कर सकता है। कम से कम यह है तो उन्हें देखना चाहिए कि यह फर्जी संस्थान तो नहीं है क्योंकि विश्वविद्यालय से कम कोई भी डिग्री प्रदान नहीं कर सकता। ऐसे में काम से कम विश्वविद्यालय यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त होना जरूरी है। यूजीसी से मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय से आनरेरी डिग्री लेते हैं तो वो अपने नाम के साथ डाक्टर जरूर लिख सकते हैं। आजकल फेसबुक ,व्हाट्सएप पर भारी संख्या में ऐसे विज्ञापन नजर आते हैं कि अपने नाम के साथ डाक्टर लगाइए और लोग आसानी से फंस रहे हैं। ये फर्जी संस्थान जमकर पैसे लूट रहे हैं और रातों रात कई लाख रुपये कमा रहे हैं। न तो सरकार इस ओर ध्यान दे रही है और नहीं ऐसी डिग्री प्राप्त करने वाले लोगों की जांच कर रही है। अगर इनकी जांच की जाए तो अनेक लोग कैद में पाए जाएंगे। सुनकर अफसोस भी होता है कि पीएचडी डिग्री पाने के लिए लाखो रुपये खर्च करने और दिनरात एक करके तीन से पांच साल बाद जो पीएचडी की डिग्री मिलती थी वो अब दो दिनों में प्राप्त कर सकते हैं।
उधर अवार्ड जमकर पैसों में बिक रहे हैं। कोई भी संस्था खोले और कंप्यूटर से अवार्ड देने का धंधा शुरू कर दो। आनलाइन पैसे मांगे जाते हैं और तुरंत अवार्ड दे दिया जाता है। आश्चर्य की अवार्ड की फीस हजारों से लाखों रुपये तक आंकी जाती है। लोग दिखावे के लिए यह अवार्ड प्राप्त कर लेते हैं लेकिन ये अवार्ड किसी काम के नहीं होते। एक जमाना था जब अवार्ड पाने के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता था फिर जाकर कहीं कोई सर्टिफिकेट या अवार्ड मिल पाता था। आजकल अवार्ड आसानी से मिल जाते हैं और लोग अखबारों में अपना नाम छपा लेते हैं कि फलां व्यक्ति ने यह अवार्ड मिला है लेकिन हकीकत यदि कोई छानबीन करें तो पता चलता है कि अवार्ड तो शायद किसी एकाध व्यक्ति को ही कभी कभार मिल पाता है, जो सच्चे मायने में अवार्ड कहलाता है। वरना यूं ही अवार्ड पाना है तो पैसे दो, पीएचडी की डिग्री पानी है तो पैसे दो और एक और धंधा शुरू हो गया है, संग्रह पुस्तक/सांझा संग्रह नाम देकर के पुस्तक छपवाने के पैसे ऐंठे जा रहे हैं। इन पुस्तकों को निकालने में हजारों रुपये लिए जाते हैं और कविता, लेख कुछ भी छपवा सकते हैं। जो व्यक्ति बाथरूम सिंगर है वह भी अपनी कविताएं या कुछ लिखे हुए शब्द सांझा संग्रह में पैसे देकर आसानी से छपवा सकता है। शायद ऐसा व्यक्ति जो अपनी पुस्तक तो नहीं निकल पाया किंतु शानदार संग्रह में अपना नाम कमाने के लिए आसानी से पैसे देकर नाम लिखवा सकता है। इस प्रकार आधुनिक समय में जहां बेरोजगारी को दूर करने के लिए ये तीन तरीके बहुत कारगर हो रहे हैं। कोई भी व्यक्ति इस प्रकार की अवार्ड, पीएचडी की डिग्री या सांझा संग्रह निकालना चाहे तो मुफ्त में फेसबुक पर विज्ञापन छोड़ो, आनलाइन पैसे लोग और दे दो डिग्री या अवार्ड, चाहे बाद में अंजाम कुछ भी हो। देश भर में और विदेशों तक ऐसी संस्थाएं पनप रही है। भारत से बाहर देश से विदेशी डिग्री और विदेशी अवार्ड भी अब तो प्रदान किये जा रहे हैं। विदेशी विश्वविद्यालय, कालेज की डिग्री भी धड़ाधड़ दी जा रही हैं। विदेश की पुस्तकों में भी कविताएं प्रकाशित की जा रही है जिनके पैसे लगते हैं। आश्चर्य है कि भारत के लोग विदेशी डिग्री एवं अवार्ड हजारों से लाखों रुपये में दे रहे हैं। अब तो आनलाइन अखबार भी एक अच्छा धंधा पनपने लगा है। घर बैठकर कंप्यूटर से आनलाइन अखबार तैयार करो और कितने ही अखबार प्रकाशित करो। एक बार आरएनआई से रजिस्ट्रेशन करवा लो फिर वारे न्यारे हो जाएंगे। ऐसे लोग जो बेचारे पत्रकारिता करना चाहते थे और उनके नसीब नहीं हुआ वो भी अब पत्रकार बन सकते हैं, उन्हें आई कार्ड के भी पैसे भरने पड़ते हैं, यहां तक की खबरें छापने पर भारी विज्ञापन भी देने पड़ते हैं। यहां तक कि उन्हें किसी प्रकार का लेटर जारी करवाना है तो उसके भी पैसे देने पड़ते हैं। इस प्रकार आनलाइन अखबार भी एक अच्छा धंधा पनप रहा है। बेरोजगारी दूर करने के लिए उपरोक्त चार नए तरीके आजकल खूब पनप रहे हैं। अब आप अनुमान लगाइए और यह भी सोच लो कि आपने अपना नाम कविता के साथ सांझा संग्रह में पाना है या कोई अवार्ड लेना है या अखबार का पत्रकार बनना है या पीएचडी की डिग्री लेनी है तो तुरंत आनलाइन उपलब्ध है।
कनीना में चल रही रामलीला का भगवान श्री राम के राजतिलक के साथ किया गया समापन
-34 वर्ष बाद कस्बे में शुरू हुई रामलीला ने सभी को किया आकर्षित
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कनीना की आवाज। कनीना कस्बे में श्री आदर्श रामलीला कमेटी के रंगमंच पर चल रही भगवान श्री राम की 13 दिवसीय लीलाओं का शनिवार को भगवान श्रीराम के राजतीलक के साथ समापन किया गया। इस मौके पर श्री आदर्श रामलीला कमेटी के प्रधान मोहित जेलदार ने श्रीराम का राततीलक कर रामलीला का समापन किया। कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में एसडी एजुकेशनल ग्रुप के चेयरमैन जगदेव सिंह यादव ककराला, स्वर्ण सवर भारत जीटीवी के विजेता आकाश शर्मा इंडियन आइडल सोनी टीवी कनीना व प्राचार्य डा. राजेश बंसल, प्रोफेसर सुधीर कुमार, दुर्गादत गोयल आदि रहे। जिन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस दौरान मंच संचालन प्रवक्ता सचिन शर्मा ने किया। रविवार को शाम के समय कस्बे में राम लक्ष्मण की झांकी निकाली गई व शाम के समय रावण दहन किया गया। रात्रि को मंचन के दौरान भगवान श्रीराम का तिलक करके 13 दिवसीय भगवान श्री राम की लीलाओं का समापन किया गया। बता दे कि 34 वर्षों के बाद कनीना कस्बे में इस बार से रामलीला का मंचन शुरू किए जाने व उसे सफलता पूर्वक सम्पन्न करने के बाद सभी कलाकारों के मन में खुशी के भाव दिखाई दिए। वहीं 13 दिनों तक चली रामलीला मंचन में कस्बे व आस-पास के गांवों के लोगों ने भी काफी लुत्फ उठाया। रामलीला मंचन में रावण की भूमिका कृष्ण पहलवान, मेघनाथ की भूमिका मनोज रोहिल्ला, हनुमान की भूमिका 34 वर्षों पहले हुई रामलीला के पुराने कलाकार पवन गोयल, सुग्रीव की भूमिका राहुल कुमार, राम की भूमिका शिव कुमार शर्मा, लक्ष्मण की भूमिका प्रवक्ता सचिन शर्मा, सिलोचना की भूमिका मुकेश कपूर, जामवंत की भूमिका रमेश शर्मा, अंगद की भूमिका कर्नल चिकारा, टिंकू ने कुम्भकर्ण, नीटू जांगड़ा, दिनेश यादव, भरत, सोनू मित्तल, रामा शर्मा, यश शर्मा, अमित चिप्पू सहित सभी कलाकारों ने अपनी बेहतर प्रस्तुति दी। इस दौरान श्री श्याम मित्र मंडल के प्रधान अनिल गर्ग, व्यापार मंडल के प्रधान रविन्द्र बंसल, विक्की पंसारी, शिब्बू पंसारी, धर्मपाल डीपी रसुलपुर, सुभाष मित्तल,सुरेद्र शर्मा, प्रधान उमेश गुप्ता, प्रधान मोहित जेलदार, बाबा मोल्डऩाथ कमेटी के प्रधान दिनेश यादव, रामकिशन रामा शर्मा, सुरेंद्र मिनिया, पिन्नू मित्तल, रामा आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 07: रामलीला के समापन पर सभी कलाकारों को सम्मानित करते हुए
त्योहारों पर फल सब्जियां महंगी
अभी भी टमाटर के भाव 100 रुपये किलो
-देशी सब्जियां ग्रामीणों क्षेत्रों में हो रही हैं प्रयोग
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कनीना की आवाज। प्याज और टमाटर अभी भी ऊंचाइयों को छू रहे है। टमाटर एक सौ रुपये किलो तक बिक रहे हैं। सब्जी के भाव प्रतिदिन के होते हैं। टमाटर और प्याज की महंगे चलते आ रहे हैं। बाजार में खीरा 50 रुपये किलो,गोभी 70 रुपये किलो, प्याज 60 रुपये किलो बिक रही है। एक महीने तक एक के बाद एक त्योहार आ रहे हैं। सब्जियों का स्वाद बिगडऩे से गृहणियों ने देशी सब्जियों की ओर मुंह मोड़ लिया है।
किसान सूबे सिंह, महाबीर सिंह, राजेंद्र सिंह बताते हैं कि वर्षा के कारण टमाटर की फसल खत्म हो जाती है जिसके कारण टमाटर महंगा रहता है। जब तक टमाटर की नई फसल नहीं आती तब तक यही हालात बनी रहेगी।
क्या कहते हैं दुकानदार-
सब्जी विक्रेता से इस संबंध में बात की। सब्जी विक्रेता इंद्रजीत शर्मा ने बताया कि आज के दिन बेंगलुरु नामक टाप क्वालिटी के टमाटर कम से कम 100 रुपये किलो बिक रहे हैं जबकि हल्के एवं सामान्य रूप से सब्जियां काम में लेते हैं कम से कम 80 रुपये प्रति किलो के भाव से मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि थोक में ही टमाटर महंगे भाव में मिल रहे हैं। जिसके बाद उनको लाने ले जाने का खर्चा आता है। महंगे दामों पर बेचना मजबूरी हो जाती है। कनीना के पास सब्जी मंडी 17 किलोमीटर दूर महेंद्रगढ़ या फिर 35 किलोमीटर दूर रेवाड़ी पड़ती है। जहां से सब्जी को लाने का खर्चा बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप टमाटर महंगे दामों पर बेचे जाते हैं और भाव 100 रुपये प्रति किलो से अधिक चल रहे हैं।
-- इंद्रजीत शर्मा, सब्जी विके्रेता
किसानों से भी सब्जी की महंगाई पर बात हुई जिनके विचार निम्र हैं-
टमाटर वर्ष में दो बार उगाया जाता है क्योंकि हर वर्ष वर्षा के मौसम में टमाटर के पौधे नष्ट हो जाते हैं। पौधे गल जाते हैं दोबारा से नई प्योद लगाने मजबूरी हो जाती है जिसके कारण मार्केट में टमाटर नहीं मिल पाते और कोल्ड स्टोरेज आदि से रखे हुए टमाटर की नसीब होते हैं। यही कारण है कि टमाटर महंगे होते हैं।
- निरंजन, किसान
सब्जियों अभी पैदा होनी शुरू नहीं हुई हैं। पिछली सब्जियां नष्ट हो गई तो अगली सब्जियां अभी तैयार नहीं हुई हैं जिसके चलते बाजार में सब्जी की कमी है और सब्जियां महंगी मिल रही हैं। त्योहारों के वक्त हर वर्ष यही हालात रहती है। इसका समाधान भी नजर नहीं आ रहा है। किसान कोल्ड स्टोर का काम नहीं कर सकता।
-- सुंदर सिंह किसान करीरा
अब तो गृहणियों ने सब्जी की जगह देशी सब्जियां प्रयोग में लानी शुरू कर दी हैं। इस संबंध में विचार निम्र हैं-
दाल एवं भात बनाना आज के दिन सबसे महंगे हैं चूंकि दाल के लिए टमाटर एवं प्याज की जरूरत होती है। ये दोनों बाजार से खरीद पाना आसान कार्य नहीं है। गरीब जन दाल एवं भात खाकर गुजारा कर लेता था किंतु अब ये भी नसीब नहीं हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सांटी मिल जाती है जिससे देशी सब्जियां एवं भाजी बना ली जाती है। चंद दिनों के बाद बथुआ पैदा हो जाएगा जो पालक का विकल्प है। अभी चंद दिनों की समस्या है।
--कृष्णा बाई, गृहिणी
सब्जियों की महंगाई के चलते खाटा का साग, कढ़ी एवं भाजी प्रसिद्ध हो रही हैं। टमाटर की जगह कचरी एवं नींबू प्रयोग किये जा रहे हैं वहीं प्याज एवं लहसुन तो आसमान छू रहे हैं। लहसुन 350 रुपये किलो चल रही है। ऐसे में चौलाई, करी पत्ता, सूखी मेथी, कचरी, सूखा चने का साग से देशी सब्जियां बनाकर खाई जा रही हैं जिनमें टमाटर एवं प्याज की जरूरत नहीं होती हैं। ये परंपरागत सब्जियां लोग पसंद भी कर रहे हैं।
--सुरेश देवी, गृहिणी
फोटो कैप्शन 06: बाजार में सजी सब्जियां
साथ में इंद्रजीत सिंह, सुंदर सिंह, निरंजन ,सुरेश देवी,कृष्णाबाई।
फिर से याद आने लगे पालिका चुनाव
-निकाय चुनावों मेें विधानसभा चुनाव ने डाल दी थी खलल
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कनीना की आवाज। नगर पालिका के भविष्य में चुनाव होंगे। कनीना में 10410 वोटर है। वैसे भी लोकसभा चुनावों के बाद विधानसभा चुनाव भी संपन्न हो गए हैं और अब स्थानीय निकायों के चुनावों पर नजरें टिकी हुई है। एक और जहां रबी फसलों में जुटे हैं वहीं निकाय चुनावों की सुगबुगाहट फिर से सुनाई पडऩे लगी है। कनीना पालिका के चुनावों की चर्चाएं 2023 से शुरू हो गई थी लेकिन लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत निकाय चुनाव नहीं हो पाए, वैसे भी जब नगर पालिका के चुनाव होने की संभावना थी तब एक वार्ड और बढ़ा दिया जिससे निकाय चुनाव टल गए थे। लोकसभा चुनावों के बाद फिर से एक बार निकाय चुनावों की तैयारी में कनीनावासी जुटे तब विधानसभा चुनाव आड़े आ गये। अब विधानसभा चुनाव भी संपन्न हो गए हैं। अब लोगों की नजरें निकाय चुनावों पर टिक गई है। वैसे तो वर्ष 2025 में ही कनीना पालिका के चुनाव होने की अधिक संभावनाएं हैं।
अभी तक कनीना नगर पालिका के प्रशासक एसडीएम बने हुए हैं। करीब एक साल से अधिक समय बीत चुका है। बार बार कनीनावासी निकाय चुनावों की ओर दृष्टि जमाते हैं और कोई पेच आगे आ जाता है। वैसे भी कनीना के विकास कार्य हुए हैं कुछ अधूरे पड़े हैं। कनीनावासी चाहते हैं कि शेष विकास कार्य नगर पालिका के प्रधान द्वारा ही संपन्न हो।
अब तो हुक्कों की गुडग़ुड़ाहट पर कनीना नगर पालिका के चुनावों की आहट सुनाई देने लगी है। युवा पीढ़ी इस बार कनीना नगर पालिका चुनाव के लिए कमर कसे हुए है। वर्तमान समय में कनीना के पांच पूर्व पालिका प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा, मास्टर दिलीप सिंह ,संतोष देवी, सतीश जेलदार एवं शारदा देवी अभी भी विद्यमान हैं। परंतु ऐसा नहीं लग रहा है कि ये फिर से नगरपालिका प्रधान की दावेदारी करेंगे। परंतु इनके परिवार के सदस्य चुनाव लड़ सकते हैं, वही युवा पीढ़ी इस बार आगे आ रही है। युवा पीढ़ी की इच्छा है कि अधिकांश योजनाओं में पालिका प्रधान बुजुर्ग बनते आ रहे हैं। युवा पीढ़ी में महज सतीश जेलदार प्रधान बने हैं।। युवाओं की इच्छा है कि भविष्य में भी कोई युवा पालिका प्रधान बने ताकि कनीना के विकास कार्यों को चार चांद लगा सके।
एसडी ककराला में अध्यापक-अभिभावक बैठक का हुआ आयोजन
-906 अभिभावक पहुंचे
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कनीना की आवाज। एसडी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ककराला में अध्यापक-अभिभावक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में 906 अभिभावकों ने भाग लेकर छात्रों के प्रति अपनी जिम्मेदारी एवं अध्यापक-अभिभावक बैठक के महत्व को समझने का परिचय दिया। सभी अभिभावकों ने अग्रिम सोच का परिचय देते हुए बच्चों के भविष्य के लिए विद्यालय प्रबंधन व सभी संबंधित अध्यापकों के साथ अध्ययन संबंधी समस्याओं के समाधान, शैक्षिक उपलब्धियों के साथ-साथ अन्य गतिविधियों व विषयों पर विमर्श किया। अभिभावकों ने अपने बच्चों की दिनचर्या उनके व्यवहार समय-सारिणी, रुचि आदि से संबंधित पहलुओं से प्रबंधन व संबंधित अध्यापकों से परिचित करवाया और अपने बच्चों की रिपोर्ट लेने में काफी रुचि दिखाई।
विद्यालय चेयरमैन जगदेव यादव ने अध्यापक-अभिभावक बैठक के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बैठक जागरूक अभिभावकों के लिए अध्यापकों से समय-समय विचार विमर्श करने व बच्चों के लिए सही मार्ग का चुनाव व सहयोग का आधार है। जिस प्रकार तीन भुजाए एक साथ मिलकर त्रिभुज का आकार बनाती है उसी प्रकार अभिभावक के सहयोग से बच्चे बड़े से बड़े लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते है।
उन्होंने यह भी बताया कि यह बैठक शैक्षिक जानकारी के साथ-साथ सम्पूर्ण व्यवहार, सामथ्र्यता से संबंधित बातों के आदान-प्रदान के लिए आयोजित की जाती है। अध्यापक एवं अभिभावकों का विचार-विमर्श छात्र के जीवन को नई दिशा प्रदान करता है। बच्चे के शैक्षणिक विकास में विद्यालय के साथ-साथ अभिभावक की भी अहम् भूमिका होती है। उन्होंने सभी अभिभावकों का धन्यवाद कर बैठक का समापन किया।
फोटो कैप्शन 05: एसडी स्कूल में पीटीएम का नजारा
रावण वध करने के बाद अयोध्या लौटे श्रीराम, अयोध्या में हुआ भव्य स्वागत
--भोजावास में रामलीला संपन्न
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कनीना की आवाज। दि सियाराम ड्रामेटिक क्लब रामलीला के रंगमंच पर शनिवार को रावण वध के बाद भगवान राम का अयोध्या वासियों ने भव्य स्वागत करने की लीला का मनमोहक मंचन बाबूलाल रोहिल्ला के कुशल निर्देशन में किया गया। भगवान राम के राज्याभिषेक के साथ ही लीला का समापन किया गया।
गांव भोजावास मे चल रही रामलीला में शनिवार की रात रावण वध के दृश्य का मंचन किया गया। विभीषण को लंका का राजा बनाने के बाद प्रभु श्री राम माता सीता व भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौट आए। दशरथ नंदन के आने की खबर सुनकर पूरे राज्य में जश्न का माहौल हो जाता है।
बता दे की भोजावास के स्थानीय कलाकारों के द्वारा ही रामलीला का मंचन पिछले काफी वर्षों से करते हुए आ रहे हैं। जिसमें भगवान राम की भूमिका सुनील रोहिल्ला, लक्ष्मण विजय शर्मा, सीता सोनू लखेरा, रावण रविंद्र शर्मा, यश रोहिल्ला सूर्पनखा, बाबूलाल रोहिल्ला मारीच, जितेंद्र रोहिल्ला ने खर, प्रवीण ने दूषण,रविंद्र शर्मा ने जोगी रावण, और रोशन लाल सेन ने जटायु के किरदारों में अपने जीवंत अभिनय से दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया।
रामलीला मंचन में बताया गया कि कुंभकरण के वध की खबर सुनने के बाद लंका पति रावण परेशान हो जाता है। उसने अहिरावण को युद्ध के लिए भेजा। विभीषण का वेश धारण कर अहिरावण राम लक्ष्मण का हरण कर पाताल लोक ले जाता है इसके बाद हनुमान जी अहिरावण का वध कर राम लक्ष्मण को वापस लाते हैं। जैसे ही रावण को अहिरावण के वध की खबर मिलती है, उसके बाद रावण स्वयं युद्ध लडऩे के लिए युद्ध भूमि में जाता है। राम और रावण के बीच भयंकर युद्ध होता है। राम द्वारा रावण का सर बार-बार काटने पर भी दोबारा से उत्पन्न होता रहता है। जिसके कारण वानर सेना ही नहीं रामा दल भी चिंतित हो जाता है। उसके बाद विभीषण के बताने पर श्री राम रावण की नाभि में अग्निबाण चलाते हैं। अंत में प्रभु श्री राम ने रावण का वध कर दिया इसके बाद लंका में विभीषण का राज्याभिषेक करने के बाद प्रभु राम सीता और लक्ष्मण सहित अयोध्या लौट जाते हैं। राम के अयोध्या लौटने पर पूरे राज्य में जश्न का माहौल हो जाता है। अंत में भगवान राम का राज्याभिषेक होता है यहीं पर लीला को विराम दिया गया।
फोटो कैप्शन 04: अयोध्या मेें लौटे श्रीराम
55 मरीज पहुंचे मुफ्त चिकित्सा शिविर में
--आंखों एवं हृदय रोग से संबंधित शिविर आयोजित
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कनीना की आवाज।
कनीना मंडी की लाला शिवलाल धर्मशाला में सेवा भारती हरियाणा प्रदेश शाखा कनीना द्वारा 79वां हृदय रोग एवं नेत्र रोग जांच, परामर्श शिविर आयोजित हुआ। शिविर में मेट्रो अस्पताल से हृदय रोग विशेषज्ञ डा. अश्विनी यादव ने अपनी सेवाएं प्रदान की। उनके साथ धनराज, शिवानी, राजकुमार, नरेंद्र शिवकुमार टीम उपस्थित रहे।
शिविर में बीपी, ब्लड शुगर जांच सुविधा प्रदान की गई। गंगा देवी पांडे नेत्र चिकित्सालय महेंद्रगढ़ से नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. अक्षय भाटीवालने अपने सहयोगी गोपाल अग्रवाल, अमन, निशाद के साथ सेवा देने पहुंचे। वर्षा के चलते भी शिविर में 55 विभिन्न मरीजों ने अपनी अपनी जांच करवाई।योगेश कुमार अग्रवाल ने बताया कि शिविर में दवाइयां निशुल्क वितरित की गई।
उन्होंने बताया कि सेवा भारती कनीना की ओर से हर महीने के दूसरे रविवार को यह शिविर आयोजित होता है। इसके अतिरिक्त सेवा भारती आर्य समाज मंदिर में प्रतिदिन शाम को 5 से 6:30 के बीच प्राथमिक चिकित्सा केंद्र एवं महिला सिलाई प्रशिक्षण केंद्र चलाता है।
शिविर में सेवा भारती के संरक्षक शिवकुमार अग्रवाल, सुरेश शर्मा, श्याम सुंदर महाशय, प्रेम सिंगला, अमित, दिनेश, जगदीश आचार्य सहित विभिन्न जन उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 03: मरीजों की जांच करते हुए डाक्टर
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