क्या ऐसा भी संभव हो पाएगा
- प्रदेशभर के कर्मियों की लंबित 2680 एसपीपी 30 दिनों में सुलझाई जाएगी
-फिर तो समझो अच्छे दिन आ गये
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कनीना की आवाज। शिक्षा निदेशालय ने एक पत्र जारी करते हुए स्पष्ट कहा है कि अब तक लंबित 2680 एसीपी के मामले पड़े हैं। उन्होंने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और मौलिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश दिया है कि वो 30 दिनों में ऐसे सभी मामलों को सुलझाए। जहां तीसरी बार भाजपा सरकार बनते ही यह बेहतरीन कदम उठाना वास्तव में सराहनीय है लेकिन क्या ये सभी मामले 30 दिनों में उलझा दिए जाएंगे। यह अति कठिन काम सा लगता है ,अगर ऐसा हो जाए तो समझो रामराज आ गया परंतु कुछ अधिकारी जो रिश्वतखोर है उनकी जेब कौन भरेगा? आश्चर्यजनक है कि कर्मचारी सबसे अधिक दुखी एसीपी के लिए देखे गए। 6 साल 7 साल में भी कुछ कर्मियों की एसीपी नहीं सुलझ पाई। आश्चर्यजनक है कि जिला शिक्षा अधिकारी को भेजी हुई एसीपी मामले भी दो-दो महीने लग जाते हैं किंतु मामलों को नहीं सुलझाया जाता तो ऐसे में 2680 एसीपी मामले कैसे सुलझाए जाएंगे और साथ में आदेश दिया है कि क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर एसीपी के मामले 15 दिन से अधिक लंबे समय न रखे जाएं। यह आदेश तो दे दिया है परंतु आश्चर्य जनक है कि क्षेत्रीय कार्यालय में भी मामले कई कई महीनों तक पड़े रहते हैं। अगर जिला शिक्षा अधिकारी नारनौल या एसओ नारनौल की ही बात करें तो यहां दो दर्जन से अधिक एसीपी की फाइलें पड़ी हुई है लेकिन उनको अभी तक नहीं सुलझाया गया है। अब देखा जाना है सरकार कहां तक ऐसा कदम उठा पाती है, बहुत बेहतरीन कदम है, सरकार इसके लिए बधाई की पात्र है परंतु साथ में सरकार को अविलंब पुरानी पेंशन बहाली के साथ-साथ 2020 से स्टेट अवार्डी शिक्षकों को मिलने वाले सभी लाभ रोक दिए गए हैं, उनको पुन: बैक डेट से बहाल करवा दिये जाए ताकि कर्मियों की आशाएं पूरी हो जाएं। अब देखा जाना है कि कहां तक ये मामला हल हो पाते हैं।
हनुमान ने अशोक वाटिका में मचाया उत्पाद
-बाली और सुग्रीव के संवाद ने भी दर्शकों की बटोरी जमकर तालियां
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कनीना की आवाज। द सियाराम ड्रोमेटिक क्लब रामलीला के तत्वाधान में गुरुवार को माता सीता की खोज का मंचन किया गया। सीता माता की खोज के लिए अंगद कहते हैं कि हनुमान जी से शक्तिशाली कोई नहीं है और समुद्र को सिर्फ वही पार कर सकते हैं। लेकिन भगवान हनुमान अपनी शक्तियां भूल चुके होते हैं। उसके बाद महाराज जामवंत हनुमान जी को उनकी शक्तियां याद दिलाते है।
शक्तियां याद आने के बाद समुंदर पार कर हनुमान लंका में पहुंचते हैं। यहां पर रावण के राजमहल में सीता को खोजते हैं पर वहां उनको सीता माता नहीं मिलती। उसके बाद उनकी मुलाकात विभीषण से होती है जो माता सीता का पता बताते हैं। वह रात में ही अशोक वाटिका पहुंचते हैं जहां पर माता सीता को विभिन्न तरह की राक्षसी डरा सता रही होती है। तभी वहां रावण पहुंचता है और उन्हें भय दिखता है। सीता माता रावण से कहती है कि भगवान राम उसका समस्त कुटुम्ब सहित संहार कर देंगे। रावण के जाने के बाद हनुमान जी भगवान राम द्वारा दी गई मुद्रिका माता सीता के सामने डालते हैं,जिसे वे पहचान लेती है। उसके बाद हनुमान जी अशोक वाटिका के पेड़ से उतरकर माता सीता के सामने आते हैं।
यहां पर सीता और हनुमान जी का बड़ा ही मार्मिक संवाद होता है। इसके बाद हनुमान सीता जी से अशोक वाटिका में लगे फलों को खाने का निवेदन करते हैं, जिसकी माता सीता आज्ञा दे देती है।
हनुमान जी रावण के राज उद्यान को तहस-नहस कर देते हैं जब यह समाचार रावण को मिलता है तो वह अपने पुत्र अक्षय कुमार को भेजता है जिसका हनुमान जी वध कर देते है। उसके बाद रावण अपने पुत्र मेघनाथ को भेजते हैं जो हनुमान जी को नागपास में बांध लेता है। इसके बाद हनुमान जी रावण को समझाते हैं। लेकिन रावण उनकी बात न मानकर हनुमान जी की पूछ में आग लगाने की आज्ञा दे देते हैं। पूछ में आग लगते ही हनुमान जी पूरी लंका का विध्वंस कर देते हैं।
इस अवसर पर रामलीला प्रधान बाबूलाल रोहिल्ला,सचिव शीशराम रोहिल्ला, खजांची बाबूलाल शर्मा, प्रवीन शर्मा, रविंद्र शर्मा, सुनील कुमार रोहिल्ला, महेंद्र सिंह, रूनीराम रोहिल्ला, रोशन लाल सेन, इंद्र नरडिय़ां, अशोक गोयल, रामायण वाचक मास्टर सत्य प्रकाश जांगड़ा, जितेंद्र रोहिल्ला, लालाराम समेत अनेक कलाकार उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 05: भोजावास रामलीला का मंच पर संवाद का नजारा।
सरकार उपलब्ध करवाये डीएपी
-अतरलाल ने फिर से शुरू किया अपना अभियान
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कनीना की आवाज। जिला में सरसों की बिजाई के लिए किसानों को उनकी मांग के अनुसार डीएपी खाद नहीं मिल रहा है परिणामस्वरूप किसानों में भारी रोष व्याप्त है। इस सम्बन्ध में बसपा के नेता अतरलाल एडवोकेट ने राज्य सरकार से तत्काल किसानों को पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद उपलब्ध कराने की मांग की है।
अतरलाल ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मांग की है कि राज्य सरकार तथा जिला प्रशासन ने तीन दिन के अंदर किसानों को डीएपी खाद प्रचूर मात्रा में उपलब्ध नहीं करवाई तो बसपा के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि डीएपी खाद के लिए किसान तथा महिलाओं को पूरे दिन लाइनों में लगना पड़ रहा है। इस लाम तथा काम के समय में डीएपी खाद के लिए उन्हें बार-बार हैफेड तथा पैक्स गोदामों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जिसके कारण उन्हें मानसिक तनाव के साथ-साथ आर्थिक तथा समय की हानि भी उठानी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि जिला के किसानों को सरसों की बिजाई के लिए 2450 एमटी डीएपी खाद की जरूरत है। जबकि सरकारी गोदामों में स्टाक 679 एमटी डीएपी का ही है। उन्होंने कहा कि सरकार झूठी घोषणाएं कर किसानों को बर्बाद करने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि उन्हें इलाके के किसानों से शिकायत मिली है कि वे डीएपी खाद के लिए सरकारी एजेंसियों के चक्कर काट-काट कर थक चुके हैं उनका धैर्य जवाब दे चुका है। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार ने तीन दिन के अंदर डीएपी खाद प्रचूर मात्रा में किसानों को उपलब्ध करवाने की पुख्ता कार्यवाही नहीं की तो किसानों के साथ बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे।
महिला ने अपने पति को ढूंढने की गुहार लगाई
-पुलिस ने किया गुमशुदगी का मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। सुनीता देवी मोरमा, बिहार की रहने वाली महिला ने अपने पति को ढूंढने की पुलिस में गुहार लगाई है। उन्होंने पुलिस में बताया कि उनके पति उदय कुमार बहुत दिनों से महेंद्रगढ़ के कनीना में काम करने करते आ रहा है रहा था। इस बार कनीना के श्रीभगवान नामक व्यक्ति की आइसक्रीम फैक्ट्री में काम करता था, वहां आइसक्रीम बेचने का काम किया। करीब 20 अगस्त को उसके साथी मुरारी ने सूचना दी कि उदय कहीं गायब हो गया है। उसके कपड़े कमरे पर ही हैं। इस संबंध में महिला ने श्रीभगवान से पूछा किंतु संतोषजनक जवाब नहीं मिला। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि उनके पति को ढूंढा जाए।
विजयदशमी 12 अक्टूबर को
अधर्म में धर्म की जीत दशहरा उत्सव विधि विधान से मनाए-लालदास महाराज
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कनीना की आवाज। दशहरा विधि विधान से मनाना चाहिए। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं। ये विचार संत लालदास महाराज ने यहां व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि दशहरा है बुराई पर अच्छाई की जीत सबसे बड़ा प्रतीक जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार दशहरा दिवाली से ठीक 20 दिन पहले हिंदू मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है जिसे विजयदशमी के त्यौहार के नाम से जाना जाता 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
नवरात्रि दशहरा हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार है। इस त्यौहार को स्पष्ट पर अच्छाई की जीत और असत्य पर सत्य की जीत विजय के रूप से मनाया जाता है। हर साल यहां पर वो अश्विनी मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दिया मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम, देवी अपराजिता और शमी के पेड़ की पूजा की जाती है। इस त्यौहार को हम लोग हर साल मनाते हैं परंतु एक दिन की सोच के लिए ही खुशी मनाते हैं। अगर हम यह सोचे कि भगवान राम की सत्य की जीत हुई थी और हम सभी सत्य के मार्ग पर चलते हैं तो हमारी भी जीत होगी।
दशहरा के दिन भगवान राम ने सीता माता को रावण की लंका से मुक्त करा कर लाए थे पर भगवान राम की विजय की खुशी में हर साल दशहरा मनाया जाता है। इसके साथ ही मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर देवताओं को मनुष्यों पर उपकार किया था इस हर्ष में भी दशहरा मनाया जाता है। विजयदशमी या दशहरा स्पष्ट रूप से बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। इस दिन महिषासुर मर्दनी मां जगदंबा साक्षात दुर्गा और भगवान राम की पूजा करनी चाहिए। इससे संपूर्ण बाधाओं का नाश होगा और जीवन में विजय श्री प्राप्त होगी। इस दिन अस्त्र और शस्त्र की पूजा करने से भी लाभ होता है। दशहरे के लिए शास्त्रों की पूजा होती है। इस दिन सनातन परंपरा में शास्त्र और शस्त्र दोनों का विशेष महत्व है। शास्त्र की रक्षा और आत्मरक्षा के लिए धर्म संत तरीके से शस्त्र का प्रयोग होता है। इसलिए शास्त्र और शस्त्र की पूजा भी इसी दिन होती है। हम सभी भक्तों को दशहरे का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाना चाहिए और भगवान राम मां जगदंबा की पूजा करते हुए उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हुए उत्सव मनाना चाहिए। इसी दिन जहां रामलीलाएं संपन्न हो जाती हैं वहीं छोटी बच्चियों द्वारा खेला जा रहा सांझी पर्व भी संपन्न हो जाता है। बच्चियां सांझी को जल में प्रवाहित कर देंगी।
फोटो कैप्शन:संत लालदास महाराज
कंजकों को कराया गया भोजन, जगह-जगह माता की कढ़ाई का हुआ आयोजन
-मोलडऩाथ आश्रम पर चला भंडारा
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कनीना की आवाज। दुर्गा अष्टमी पर कंजकों को भोजन कराया और उन्हें दान पुण्य किया। शनिवार को भी भोजन कराया जाएगा । दोपहर तक कंजकों को भोजन कराने का सिलसिला जारी रहा। यही नहीं अपितु कुत्तों एवं कौवों ने भी जी भर के भोजन किया। हरियाणा सरकार ने दुर्गा अष्टमी पर स्कूलों का समय भी बदल दिया था।
गुरुवार से कंजकों को भोजन कराने का सिलसिला जारी है। दुर्गा सप्तमी से सिलसिला शुरू हुआ था और दुर्गा नवमी शनिवार को भी जारी रहेगा। वैसे तो कंजकों की कमी रही वहीं उन्हें जबरन खाना खाना पड़ा। 12 अक्टूबर को दुर्गा नवमी एवं विजय दशमी दोनो मनाये जा रहे हैं।
नवरात्रों के आठवें दिन मंदिरों में पूजा अर्चना का जोर रहा वहीं मां की कढ़ाई की गई। विभिन्न मंदिरों में रौनक देखने को मिली। शनिवार को क्षेत्र में नवरात्रे पूर्ण हो जाएंगे। विभिन्न स्थानों पर हवन, कढ़ाई, भजन एवं सत्संग होते रहे।
इस आधुनिक युग में जहां खानपान में तीव्र गति से बदलाव आ रहा है वहीं नवरात्रों में कंजकों को खाना खिलाने में भी बदलाव आ गया है। आधुनिक समय में जहां हलवा पुड़ी एवं शुद्ध देशी घी से बनी वस्तुओं से इंसान का मोह भंग हो रहा है। नवरात्रों पर कंजकों को भी अब फास्ट फूड खिलाकर प्रसन्न किया जाता है। कुरकुरे, लेज, ठंडा आदि खिलाकर बच्चों को प्रसन्न किया जाता है। बच्चे भी इन चीजों को खाकर प्रसन्न होते हैं और यहां तक कि उनको भेंट में मिले पैसों से भी वे फास्ट फूड अधिक खाते हैं।
नवरात्रों के दिनों में फल एवं सब्जियां महंगी रही हैं। केले से लेकर सेब तक महंगे हैं। इन चीजों की जरूरत हर घर में रहती है। बड़ी धूमधाम से किया गया नवरात्रों का समापन बाबा मोलडऩाथ आश्रम परिसर स्थित दुर्गा मंदिर में हवन में कन्या पूजन के साथ भंडारा किया गया। इस मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया साधु संतों को दान दक्षिणा देकर विदा किया। मोलडऩाथ ट्रस्ट प्रधान दिनेश यादव ने बताया कि 9 दिन तक अखंड ज्योत जलाई गई, विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। प्रवेश शर्मा द्वारा हवन कराया गया जिसमें दिनेश यादव एवं अनिल ने अपनी धर्मपत्नी के साथ यजमान बनाकर संपूर्ण करवाया। इस मौके पर रमेश कुमार ,लाल सिंह, अशोक कुमार, अनिल कुमार, शिवकुमार मुकेश शर्मा ,रामकिशन शर्मा, अतर सिंह, श्रीभगवान, प्रकाश, लक्की शर्मा आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 03: मोलडऩाथ आश्रम पर भंडारा
04: कंजकों को भोजन कराया गया।
विश्व गठिया दिवस -12 अक्टूबर
हजारों व्यक्ति गठिया से पीडि़त मिलते हैं -डाक्टर मनीष
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कनीना की आवाज। दुनिया भर में 12 अक्टूबर विश्व गठिया दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन लोगों में हड्डियों से जुड़ी गंभीर स्थिति के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। इसे अंग्रेजी में अर्थराइटिस कहते हैं। अर्थराइटिस अनेक बीमारियों में से एक तेजी से फैलने वाली बीमारी है। गठिया के बारे डा मनीष पीजरीआइएमएस से चर्चा हुई।
डा. मनीष ने बताया कि गठिया एक जोड़ों में दर्द एवं जकडऩ का कारण बनता है। बड़ी उम्र के साथ-साथ यह स्थिति खराब होती चली जाती है। जागरूकता फैला कर ही इस रोग से बचा जा सकता है। 1996 से इस रोग से बचने के लिए लोगों को जागरूक किया जाता रहा है।
गठिया बीमारी विटामिन-सी, विटामिन-डी और कैल्शियम की कमी से ज्यादा परेशान करती हैं। इन चीजों की कमी से हड्डियां कमजोर होती चली जाती है और अंदर से खोखली हो जाती है। गठिया का अर्थ जोड़ों में सूजन,दर्द एवं लालिमा उत्पन्न होना। उसे स्थान पर गर्मी अनुभव होती है, हड्डी के जोड़ सूज जाते हैं जो दर्द का कारण बनता है। गठिया के कारण होने वाली अधिकांश बीमारियां स्वप्रतिरक्षा के कारण होती है। उन्होंने बताया कि यह दर्द असहनीय होता है। आमतौर पर कई हफ्तों से कई महीनो में हाल होता है।
गठिया में विशेष कर आलू खाने का परहेज करना चाहिए, आलू में मौजूद केमिकल है जो गठिया रोग का कारण बनता है। गठिया को जड़ से खत्म करने के लिए आयुर्वेद की दवाई काफी लाभप्रद जिनमें अश्वगंधा आता है, ठंडी जगह जाने से परहेज करें, नशीले पदार्थ का सेवन न करें। उन्होंने बताया कि सेब खाने से इस रोग में सूजन में कमी आती है और गठिया के लक्षण कम होते हैं। साथ में एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फल एवं सब्जियां ज्यादा खानी चाहिए जिनमें ब्रोकली, पपीता, शिमला मिर्च, संतरा, अंगूर, स्ट्राबेरी विटामिन-सी के स्रोत, पालक ,चेरी आदि खाने चाहिए। गठिया से छुटकारा पाने के लिए सर्दी के मौसम में अदरक के तेल अदरक का प्रयोग करें जोड़ों पर मालिश करनी चाहिए। गठिया वैसे तो 100 से अधिक प्रकार है पर डब्ल्यूएचओ अनुसार विश्व की लगभग एक प्रतिशत आबादी गठिया रोग से पीडि़त है। यह रोग 40 से 60 वर्ष की उम्र में शुरू हो जाता है पुरुषों की तुलना महिलाओं में अधिक होता है। गठिया के कारण दर्द ,कठोरता, सूजन तीन प्रमुख लक्षण होते हैं। गठिया रोग में शराब पीना, ग्लूटेन फूड, प्रोसेस्ड फूड, मीट वेजिटेबल ऑयल, नमक का सेवन कम करें, गठिया में दूध नहीं पीना चाहिए।
फोटो कैप्शन: डा. मनीष पीजीआईएमएस
विश्व दृष्टि दिवस -12 अक्टूबर
अपनी आंखों की नियमित देखभाल करें -राजेश कुमार
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कनीना की आवाज। हर वर्ष अक्टूबर के दूसरे गुरुवार को विश्व दृष्टि दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2000 से इसकी शुरुआत हुई थी। दुनिया भर में आंखों की देखभाल के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए यह एक वार्षिक कार्यक्रम मनाया जाता है। पूरे विश्व में करीब 1.1 प्रतिशत लोगों में उपचार न किये जाने के कारण दृष्टि हानि होती है। दृष्टि दिवस पर कनीना उप-नागरिक अस्पताल के आंखों के डाक्टर राजेश कुमार से चर्चा की गई। राजेश कुमार ने बताया कि 5 वर्ष के बाद बच्चे की आंखें चैक करवा लेनी चाहिए कि कोई किसी प्रकार की समस्या तो नहीं है वहीं 40 वर्ष की उम्र पार करते ही निकट दृष्टि दोष उत्पन्न होने लग जाता है। ऐसे में स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए, आंखों की रोशनी और स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए स्वस्थ एवं संतुलित भोजन करना चाहिए। लव योर आइज इस वर्ष को मोटो है। अंधापन और दृष्टि हानि को बचाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। बच्चा, परिवार और समुदाय में यह समस्या बनी रहती है जिसके कारण अनेक व्यक्तियों के बचपन में ही चश्मे लग जाते हैं और इन चश्मा से बचने का एकमात्र उपाय है स्वस्थ एवं संतुलित भोजन करें। स्वस्थ भोजन करने से आदमी इस रोगों से बच सकता है।
उन्होंने बताया की मोतियाबिंद, ट्रेकोमा, ग्लूकोमा, मधुमेह 70 प्रतिशत से अधिक आंखों के रोगों का जिम्मेदार है। इसकी रोकथाम के लिए रोग का समय पर पता लगाना जरूरी है। मोतियाबिंद आंख के लेंस का धुंधलापन है जिससे दृष्टि कम होती चली जाती है, मोतियाबिंद का कारण उम्र बढऩे की प्रक्रिया है। ट्रेकोमा एक जीवाणु संक्रमण है जो आंख के बाहरी आवरण को खराब कर देता है वहीं आंख के रोग ग्लूकोमा के कारण भी धीरे-धीरे दृष्टि कमजोर होती चली जाती है। मधुमेह रोग में आंखों की रोशनी कमजोर होती चली जाती है। ऐसे में प्रारंभ से ही अगर इन रोगों का पता लगा ले तो इन पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि स्वस्थ भोजन खाने से ही इस रोग से बचा जा सकता है। अक्सर लोग असंतुलित एवं फास्ट फूड पर जोर देते हैं जिसके कारण आंखों की रोशनी घटती चली जाती है। आंखों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए। लगातार सिर दर्द, आंखों में जलन ,आंखों की थकान, धुंधली दृष्टि होती है तो इसमें आंखों संबंधित समस्या उत्पन्न हो सकती है। आंखों को समय-समय पर चेक करवाते रहना चाहिए वरना भविष्य में परिणाम अच्छे नहीं आते।
आजकल मोबाइल का युग है। इंसान कंप्यूटर और मोबाइल पर लंबे समय तक काम करता है जिसके कारण आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कमजोर पड़ी पड़ती चली जाती है। प्रदूषण, रासायनिक प्रभाव, प्रकाश जोखिम, निर्जलीकरण, पैराबैंगनी और बिना पलक झपक लगातार कंप्यूटर पर काम करना, संक्रमण, एलर्जी, विटामिनों की कमियां रोग के कारण हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि लंबे समय टीवी और मोबाइल पर काम नहीं करना चाहिए। बच्चों का इनके कारण निकट दृष्टि रोग का खतरा बढ़ जाता है। 20 मिनट तक स्क्रीन पर काम करने के लिए के बाद 20 सेकंड 20 फीट दूर किसी हरी चीज को देखना चाहिए। इसके अलावा विटामिन-ए,सी, अमल, आदि पदार्थ प्रयोग करना चाहिए। जब कभी बाहर धूप में जाए तो धूप का चश्मा लगाना न भूले, नियमित व्यायाम करना चाहिए, निर्धारित किया हुआ चश्मा पहने, धूम्रपान से दूर, खूब सारा पानी पिये, आंखों की चोट से बचेे, नियमित आंखों की सफाई करनी चाहिए और नेत्र रोग विशेषज्ञ से जरूर मिलना चाहिए।
फोटो कैप्शन: राजेश कुमार आंखों के डाक्टर
नहीं फेंकना चाहिए उगाए
हुए जौ
-व्रत समापन दौरान प्रयोग करें-वैद्य
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कनीना की आवाज। नवरात्रि संपन्न हो जाएंगे। नवरात्रों पर जहां जौ और गेहूं आदि उगाने की एक प्रथा है। करीब 9 दिनों में ये गेहूं और जौ बड़े हो जाते हैं जिन्हें पानी में बहा दिया जाता है। यद्यपि पानी में बहाने से जहां जल दूषित होता है वहीं अनेक विद्वान मानते हैं कि बहाने नहीं चाहिए। इनका उपयोग करना चाहिए। ये अनेक रोगों में काम आते हैं।
क्या कहते हैं वैद्य-
श्रीकिशन शर्मा वैद्य जिन्होंने क्षेत्र में हजारों लोगों को अपनी योग एवं जड़ी बूटियों से ठीक किया है, का कहना है कि ये जौ तथा गेहूं जब आठ दिन बाद काटे जाए तो इनसे ज्वारे रस प्राप्त किया जा सकता है। इसमें क्लोरोफिल आयोडीन, सेलेनियम, आयरन, विटामिन आदि अनेक पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के लिए लाभप्रद है। इसलिए नवरात्रि संपन्न किए जाए इन का ऊपरी भाग काट कर पानी में मिलाकर जरूर व्रत खोलना चाहिए जिससे शरीर लंबे समय तक स्वस्थ रहेगा। उनका कहना है कि जहां करीब 350 के करीब बीमारियां ठीक हो जाती है वही कैंसर में भी लाभप्रद है। दांतों से खून आना, दांतो की समस्या को दूर करने के लिए जवारे रस पी लेना चाहिए।
श्रीकिशन वैद्य का कहना है कि जवारे रस पीने से लाभ होते हैं इसलिए इनमें बुढ़ापा रोकने, वजन घटाने में काम में लेते हैं वहीं रक्तचाप घटाने, हृदयघात की समस्या में जवारे रस लाभप्रद है। उनका कहना है कि नवरात्रों में जो- गेहूं और जौ बड़े हो जाते हैं उनका सेवन किया जा सकता है। इससे दोहरा लाभ होगा। एक तो घर में उगाए हुए जौ एवं गेहूं से जवारे रस तैयार हो सकता है वहीं इनको अनावश्यक रूप से पानी में फेंकने से प्रदूषण बढ़ता है।
फोटो कैप्शन 02 नवरात्रों में घरों में पैदा ज्वारा
साथ में वैद्य श्रीकिशन
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