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Wednesday, October 30, 2024


 

विजयपाल कनीना प्राचार्य पद पर हुये पदोन्नत
--ककराला में हैं वरिष्ठ प्राध्यापक
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कनीना की आवाज।
कनीना के मोहल्ला मोदीका निवासी विजयपाल प्राध्यापक को दीपावली पूर्व संध्या पर प्राचार्य पद पर पदोन्नति मिली है। वो वर्तमान में ककराला में वरिष्ठ प्राध्यापक पद पर कार्यरत है। हरियाणा में 468 पीजीटी और हेडमास्टरों को प्राचार्य पद पर पदोन्नत किया है जिसमें विजयपाल भी एक है। अभी तक विजयपाल विभिन्न स्कूलों में बतौर प्राध्यापक कार्य कर चुके हैं।
फोटो कैप्शन: विजयपाल कनीना




दीवाली के नाम पर बढ़ गया है भीड़ भड़क्का
--सड़क मार्ग हुये संकीर्ण
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कनीना की आवाज।
 दीवाली की रौनक बाजार में लौटने लगी है। बाजार में हलवाइयों के यहां भारी मात्रा में मिठाइयां बनाई जा रही हैं। सर्वाधिक मांग मिठाइयों की होगी। दीवाली के लिए टेंट लगाकर सभी दुकानदार अपने सामान को अधिक से अधिक बेचने के चक्कर में देखे गए। यहां के सामान्य बस स्टैंड पर वाहनों की भीड़ एवं जाम की समस्या बढ़ गई है। दीवाली के दिनों तक यही स्थिति बने रहने की संभावना है।
   दुकानदार पुराना और घिसा पिटा सामान बेचने का मौका मिल गया है। वर्ष भर जिस माल को किसी ने नहीं खरीदा उसे वे छूट एवं दीपावली उपहार आदि शब्द लिखकर बेचने में तेजी ला रखी है। हलवाइयों के यहां पर माहौल देखने लायक ही बन रहा है। जिन कढ़ाइयों में कुत्ते एवं बिल्ली दूध को पी रही हैं और हजारों मक्खियां भिनभिनाकर गंदा कर रही हैं उन्हीं कढ़ाइयों में विभिन्न घटिया पदार्थ डालकर विशेषकर घटिया मावा, मैदा एवं  रासायनिक पदार्थ डालकर रातोंरात घोटा जा रहा है और डब्बों सहित मिठाई के रूप में तोलकर ग्राहकों को दिया जाएगा।
    उल्लेखनीय है कि उपहार के रूप में मिठाइयों का ही लेनदेन सर्वाधिक किया जाता है और मिठाइयां ही सबसे घटिया बेची जाएंगी। लोग खुश होकर इन पदार्थों को खरीदते हैं। दीवाली पर अतिक्रमण यह विकट समस्या एवं जाम की स्थिति पैदा हो जाती है।
 दीवाली पर जहां सादगी का लेबल लगाने का प्रयास किया जा रहा है वहीं घटिया मिठाइयां बेचकर दुकानदार वर्ष भर की कमाई एक दिन में ही करना चाह रहे हैं।
प्रदूषण से बचने की सलाह दे रहे हैं समाजसेवी
-पेड़ लगाने पटाखे न चलाने की सलाह
संवाद सहयोगी,जागरण. कनीना। दीपों का त्योहार दिवाली 31अक्टूबर को मनाया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में पटाखे प्रयोग करते है वहीं किसानों के अगली फसल में व्यस्त रहने पर भी दीपावली के प्रति उत्साह है। अधिकांश लोग प्रदूषण करने के विरुद्ध हैं। ग्रामीण क्षेत्र में फूलझडियां चलाई जाती हैं वहीं पटाखे भी चलाए जाते हैं।
  अधिकांश लोग पटाखे चलाना अनुचित बताया है। आम लोगों का कहना है कि पटाखे चलाने से जहां कर्णफोड़ू ध्वनि में जीना हराम हो जाता है वहीं प्रदूषण इतना बढ़ जाता है कि सांस लेना भी दूभर हो जाता है। अधिकांश जन सादगी से दीपावली मनाने के पक्षधर हैं। समाजसेवियों से इस मुद्दे पर चर्चा हुई जिसमें उनके विचार अलग अलग थे।
क्या कहते हैं समाजसेवी-
 मैं सादगी से दीपावली मनाने के पक्ष में हूं। एक ओर पूरा देश प्रदूषण से बचने की राह पर चला हुआ है और दूसरी ओर यदि प्रदूषण होता है तो सांस की अनेकों बीमारियां फैल जाएंगी। ऐसे में दिवाली के शुभ दिन हवन करके वातावरण को साफ सुथरा बनाने का प्रयास करूंगा और अपने साथियों को भी इस काम के लिए उत्साहित करूंगा साथ में अपील करता हूं कि जगह जगह इस दिन हवन आयोजित करके वातावरण को साफ सुथरा बनाने में अपना योगदान देवें।  
  --अशोक वर्मा,कनीना
दिवाली को वर्षों से सादगी से मनाता आ रहा हूं। घर में सफाई करके, सुबह सवेरे योग एवं प्राणायाम के बाद शाम तक ईश्वर स्तुति करता हूं।  तत्पश्चात पूरा परिवार मिलकर मिठाई खाता है। बाजार की बनी मिठाइयां परिवार नहीं खाता है। पूरे परिवार के बच्चे पटाखे नहीं चलाते बल्कि पटाखों पर जो खर्च आता है उतना ही पास की अपंग गौशाला में दान कर दिया जाता है। इससे मन को अति प्रसन्नता होती है। मैं अपने साथियों को भी इसी तरीके से दिवाली मनाने की सलाह देता हूं। दिवाली के पर्व पर जो प्रदूषण होता है उसका कुप्रभाव मरीजों के शरीर पर कई दिनों तक पड़ता रहता है। साथियों एवं अनुयायियों से प्रार्थना करता हूं कि वे भी दिवाली सादगी से एवं योग अभ्यास करके पूर्ण रूप से ऊर्जावान होकर प्रदूषण रहित मनाएं।
--गौरव,कनीना
दिवाली को सादगी से मनाता आया हूं और अपने साथियों को भी सादगी से मनाने की हर बार प्रेरणा देता हूं। जब दीवाली आती है तो पहले से ही घर में कुछ मिठाइयां बनवा लेता हूं। न कोई पटाखे चलाता हूं और न दूसरों को चलाने की सलाह देता हूं।  
  --मनफूल सिंह समाजसेवी
   दिवाली वर्षों से सादगी से मनाता आ रहा हूं। घर में मूंग का हलवा इसी दिन बनाया जाता है और पूरा परिवार मिलकर खाता है। बाजार की बनी मिठाइयां परिवार नहीं खाता है। पूरे परिवार के बच्चे पटाखे नहीं चलाते बल्कि पटाखों पर जो खर्च आता है उतना ही पास की गौशाला में दान कर दिया जाता है। इससे मन को अति प्रसन्नता होती है। मैं अपने साथियों को भी इसी तरीके से दिवाली मनाने की सलाह देता हूं। दिवाली के पर्व पर जो प्रदूषण होता है उसका कुप्रभाव मरीजों के शरीर पर कई दिनों तक पड़ता रहता है। विदेशी पटाखे या बिजली के यंत्र घरों में लगाकर बिजली खर्च करना भी बुद्धिमानी नहीं है। जिस प्रकार मैं दिवाली मनाता हूं ठीक उसी प्रकार आप भी दीवाली मनाए ताकि देश का विकास संभव हो सके। दिवाली का प्रदूषण लंबे समय तक कायम रहता है उस प्रदूषण से बचने का प्रयास किया जाए।
---अशोक कुमार,कनीना
फोटो कैप्शन: मनफूल,अशोक कुमार, गौरव, अशोक वर्मा








 मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार- 43 आज भी पेड़ों पर चढऩे की क्षमता है
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कनीना की आवाज।
 कहावत आवश्यकता आविष्कार की जननी है। जब कोई कठिन परिस्थिति आती हैं तो इंसान उन परिस्थितियों से जूझना सीख लेता है। कनीना निवासी होशियार सिंह 40 सालों तक शिक्षण का कार्य किया है। वह भी कुर्सी पर बगैर बैठे विज्ञान शिक्षण का कार्य बतौर प्राध्यापक ,अध्यापक विभिन्न कालेज एवं स्कूलों में किया है। 30 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत्त हो गए। यदि आज भी उन्हें किसी पेड़ पर चढऩे के लिए कहा जाए तो आसानी से चढ़ सकते हैं क्योंकि अनुभव एक बहुत बड़ी चीज होती है। इस बाबत पूर्व विज्ञान शिक्षण होशियार सिंह से उनके विचार उन्हीं की जुबानी सुनिए----
चूंकि मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति वर्षों पहले बहुत अच्छे नहीं थी। यही कारण है कि जिन ऊंचाइयों को हमें छूना चाहिए था उनको नहीं छू पाये। छूना भी चाहा तो कुछ राक्षस प्रवृत्ति के अधिकारियों ने बहुत अधिक परेशान रखा ,आज भी शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे कलंक है जो किसी की उन्नति को देखकर नाखुश रहते हैं, स्वयं चमचागिरी की आदत रखते हैं और किसी के पैरों में झुक कर गिरकर अपने काम निकलवा लेते हैं क्योंकि मैंने स्वाभिमान से जीना सीखा इसलिए अवरोध बहुत अधिक आए। धीरे-धीरे उनको पार किया। चूंकि परिवार में सबसे अधिक गाये और भैंस रखी जाती थी, दूध का बहुत बड़ा काम होता था। सबसे बड़ी कनीना की डेरी वो भी सबसे पुरानी 1986 से पहले कि हमारे परिवार में रही है। यही कारण है कि इतने अधिक पशुओं को पर्याप्त मात्रा में चारा प्रदान करना कठिन होता है। मेरे पिताजी जयनारायण पशुओं को जंगल चराने के लिए दूर दराज तक ले जाते थे। इस कार्य में मैं भी बहुत अधिक मदद की। करीरा, लूखी, कोटिया, गाहड़ा, उन्हाणी चेलावास और आसपास क्षेत्रों तक पशुओं को चराने के लिए ले जाते थे। इस वक्त पढ़ाई का काम भी चलता रहा और पशुओं को चराने का काम भी चला परंतु पशुओं का पेट भरने के लिए उनको कीकर के फल बिरछा खिलाने की आदत डाल रखी थी। इसलिए कीकर के फल तोडऩे के लिए बहुत अधिक मेहनत की जरूरत होती थी और ये फल तोडऩे के लिए पेड़ों पर चढऩा पड़ता था। यही कारण है की कटीली झाडिय़ों, कीकर ,जाटी के सागर तोडऩे के लिए बहुत अनुभव लिया। और उसे वक्त कटीली जांटियों पर भी चढऩे का बहुत बड़ा अनुभव था, आज भी वह अनुभव है। तैरने एवं साइकिल चलाने का बड़ा अनुभव है। यदि कहीं जरूरत हो तो आसानी से पेड़ों पर चढ़ सकता हूं। सबसे बड़ी विशेषता थी कि घर में चाहे अनाज की कमी रही हो लेकिन दूध की कोई कमी नहीं थी। घी और दूध पर्याप्त मिलता था यही कारण है कि आज भी शरीर कुछ स्वस्थ है जो पुराने समय के दूध और घी के कारण है। पिता विशेष रूप से ध्यान देते थे और मुझे खूब दूध और घी खिलाते थे। अफसोस की 1989 में उनका देहांत हो गया। उसके बाद परिस्थितियों अनुकूल हुई और बड़े भाई कृष्ण का कारोबार चला जो आज भी चला आ रहा है। जैनिया की दुकान नाम से आज भी प्रसिद्ध दुकान है। पिता के साथ सबसे अधिक मैं ही जंगलों में रहता था। उन्होंने लाठी चलाने का थोड़ा ज्ञान एवं निडरता का पाठ पढ़ाया। भूत प्रेत, जंगली जीवों का कोई डर नहीं है। मेरे पिता में एक सबसे बड़ा गुण था की नींद इस प्रकार की लेते थे, यदि कोई व्यक्ति उनकी चारपाई के पास जाकर खड़ा हो जाता तुरंत आंखें खुल जाती थी। एक वक्त ऐसा भी आया जब राजेंद्र सिंह लोढ़ा ने हमें बेघर कर दिया। वर्तमान में जो कान्ह सिंह धर्मशाला कनीना में है यहां पर हमारा घर होता था, पशु यही रखे जाते थे किंतु एकदम बेघर करने का काम इन्होंने किया क्योंकि हम इनको वोट देते आए थे और अपनों को सबसे बड़ा नुकसान अगर किसी ने पहुंचाया तो इन्हीं ने पहुंचाया।
 मां की सेवा भी खूब की।  16 जनवरी 2017 तक उनकी सेवा की। वो कीकर के दातुन की बड़ी शौकीन थी, इसलिए कीकर से दातुन तोड़कर हमेशा शाम को लाकर रखता था। लंबे समय तक मां की यह सेवा निभाई बाद में उन्होंने दातुन की जगह दंत मंजन प्रयोग करना शुरू कर दिया परंतु बहुत लंबे समय तक यह सेवा निभाने के कारण भी पेड़ों पर चढऩे का अनुभव हुआ। चाहे देर शाम व रात हो तब भी पेड़ पर चढ़ सकता हूं।
मां ने विशेष रूप से मुझे मेरे खाने पीने पर ध्यान दिया। खाटा का साग, कढ़ी आदि जो बेहतरीन ढंग से बनाने का उन्हें अनुभव था शायद किसी को नहीं होगा। देसी सब्जियों का बनाने का उनका बहुत बड़ा अनुभव था। आज वो इस दुनिया में नहीं है जहां 24 फरवरी 1989 को पिता का देहांत हो गया वही 16 जनवरी 2017 को माता का देहांत हो गया इसी बीच 17 नवंबर 2010 को पत्नी सुमन यादव का देहांत हो गया था। आज उनकी बड़ी याद आती है जिन्होंने मुझे इस मुकाम तक पहुंचने में बहुत सर्वस्व त्याग दिया था।








डाकघर का अब भगवान ही रखवाला
-कई कई दिनों में पहुंचती है डाक
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कनीना की आवाज।
डाकघर जो कभी डाक पहुंचने के लिए प्रसिद्ध होता था। साधारण डाक भी करीब तीन दिन में पहुंच जाती थी लेकिन अब तो डाकघर का भगवान ही रखवाला है क्योंकि रजिस्टर्ड पार्सल 10-10 दिनों तक नहीं पहुंचते। आश्चर्यजनक तथ्य है कि  मेदिनीपुर ,पश्चिम बंगाल से एक रजिस्टर्ड पार्सल 23 अक्टूबर को बुक हुआ जो कनीना पहुंचना है किंतु अभी इसके पहुंचने की संभावना नजर नहीं आ रही है क्योंकि पोस्ट आफिस की ट्रैकिंग सिस्टम से पता चल रहा है कि अभी 28  अक्टूबर को पटना तक ही पहुंचा है इसके बाद नहीं पता चल रहा है कि यह कहां जाएगा, चल भी रहा है या नहीं। डा. होशियार सिंह कनीना ने बताया कि उनके लिए एक रजिस्टर्ड पार्सल मेदिनापुर, भोगपुर से 23 अक्टूबर को दोपहर रजिस्टर्ड हुआ था किंतु 24 अक्टूबर को चलने के बाद 25 अक्टूबर को फिर से नहीं चला और यह पार्सल 26 अक्टूबर के बाद 27 और 28 अक्टूबर को चलते हुए पटना पहुंच गया लेकिन 29 और 30 अक्टूबर का अभी तक यह नहीं पता है कि पार्सल कहीं चल भी रहा है या नहीं। अब निर्भर करता है कि कितने दिनों पर के बाद कनीना पहुंच पाएगा। अब तो ऐसा लगता है कि ऐसे पार्सल जो 15 दिनों से बाद पहुंचते हैं उनका फूलमालाओं सेे स्वागत किया जाना चाहिए। आश्चर्य है कि रजिस्टर्ड पार्सल भी इतनी धीमी गति से चलते हैं कि इंतजार की घडिय़ां भी लंबी हो जाती है। पहले भी करनाल से एक रजिस्टर्ड पार्सल एक महीने के बाद पहुंचा था। अगर इस प्रकार डाकघर डाक को भेजेगा तो आने वाले समय में लोगों का विश्वास ही उठ जाएगा।
संलग्र-ट्रैकिंग सिस्टम की फोटो कापी संलग्न है





गोमली में प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित
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कनीना की आवाज।
ग्राम गोमली में वर्षा रानी  के द्वारा बीकाम उत्तीर्ण करने के उपरांत एवं स्वर्ण पदक प्राप्त करने पर ग्राम पंचायत गोमली द्वारा एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसमें सरपंच उर्मिला शास्त्री व पंचों के द्वारा एवं गांव के वरिष्ठ नागरिक दुर्गा प्रसाद द्वारा वर्षा रानी को ट्राफी भेंट करके उसका सम्मान किया गया एवं उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। इस अवसर पर सुरेश कुमार शास्त्री ने बताया कि  वर्षा रानी ने इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय में बीकाम में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर स्वर्ण पदक हासिल करके अपने माता-पिता के साथ-साथ ग्राम गोमली व क्षेत्र का नाम रोशन किया है। ग्राम  व क्षेत्र के युवाओं को वर्षा रानी से प्रेरणा लेकर शिक्षा के क्षेत्र में कड़ी मेहनत करने की सलाह दी। इस अवसर पर सरपंच उर्मिला शास्त्री ने ग्राम की सरकारी स्कूल में पढ़ रही छात्राओं को भी नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से दयानंद नंबरदार , प्राचार्य रामफल शास्त्री, मा. होशियार सिंह, कर्मवीर व नवीन कुमार नांगल मोहनपुर एवं शेर सिंह भोजावास उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 05: गोमली में वर्षा को पुरस्कृत करते हुए।






घर की मिठाई खाकर सादगी से मनाएंगे दीपावली
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कनीना की आवाज।
इस बार क्षेत्र के युवा घर की बनी मिठाई खाकर,चाइनीज आइटम नहीं खरीदेंगे और दीपावली सादगी से मनाएंगे। दीपावली को घी के दीये जलाकर एवं आपस में मिलकर दीपावली मनाना चाहते हैं। वे एक नारा लगा रहे हैं कि घर की मिठाई खाकर, आपस में मिलकर घी के दीये जलाएंगे।  उनका मानना है कि लाखों रुपये चाइनीज आइटम पर खर्च होते हैं वे खर्च नहीं किए जाएंगे। क्या कहते हैं दीपावली मनाने वाले-
चीन के बने सामान, लाइट आदि नहीं खरीदेंगे। देसी घी को दीये में डालकर दीपावली के दिन बुजुर्ग पुराने समय से जलाते आ रहे हैं। बुजुर्ग बहुत बुद्धिमान थे। अब उन्हीं के कदमों पर चलकर वे इस बार दीवाली को देसी घी के दीयों से मनाएंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे।  
   --मंजू कनीना
वे कई वर्षों से देसी घी के दीये जलाते आ रहे हैं। न केवल बड़ी या छोटी दिवाली अपितु मुख्य दिवाली के दिन घर में विभिन्न स्थानों पर रखे जाने वाले समस्त दीये देसी घी से ही जलते हैं। उनके अनुसार देसी घी का दीया जलाने का अर्थ है कि वातावरण की देखभाल करना तथा सभी के जीवन की मंगलकामना करना। उन्होंने इन दीयों को अंधकार दूर करने वाला तथा दिलों में शुद्धता भरने वाला प्रतीक बताया। चीन के बने दीपावली के आइटमों से दूर रहने की सलाह दी है।
---हर्ष कनीना
मैं घर पर बनी मिठाई खाऊंगा तथा दूसरों को प्रेरित करूंगा। न केवल स्वयं देसी घी के दीये जलाएंगे अपितु दूसरों को भी इस बार देसी घी के ही दीये जलाने के लिए प्रेरित करेंगे। उनके अनुसार देसी घी के दीये जलाना एक हवन या यज्ञ के बराबर होता है। पर्यावरण का प्रदूषण दूर होता है तथा सुगंधित वातावरण बन जाता है। दीये का प्रकाश जहां तक जाता है वहां तक हानिकारक कीट नष्ट हो जाते हैं।
           -------महंत रामनिवास
हमारी संस्कृति के अनुसार घी के दीये जलाना शुभ माना जाता है और ऐसे में वे देशी घी के दीये स्वयं भी जलाते हैं और दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि बाजार की मिठाई नहीं खरीदेंगे, चाइनीज आइटमों का सदा बहिष्कार करते आये हैं।  दीये खरीदने पर बल देंगे।
-- दिनेश कुमार
फोटो कैप्शन 04: मंजू, हर्ष, दिनेश, महंत रामनिवास



दीपावली 31 को मनाना सर्वथा उचित
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कनीना की आवाज।
पंडित ऋषि राज शर्मा ने बताया कि साल 2024 में अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी और 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर खत्म होगी। दिवाली हमेशा कार्तिक महीने की अमावस्या की रात को मनाई जाती है. अमावस्या की रात 31 अक्टूबर को ही होने की वजह से, दिवाली भी इसी दिन मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक महीने की अमावस्या को भगवान राम, सीता, और लक्ष्मण 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे. इस खुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था। जैन धर्म के लोग मानते हैं कि उनके 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर दिवाली के दिन ही बिहार के पावापुरी में निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। इसी खुशी में इस धर्म से जुड़े लोग भगवान महावीर की पूजा करते हैं।
 दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन लक्ष्मी पूजा करते हैं, उन्हें पूरे साल समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
दिवाली के दिन लोग अपने घरों को दीये, रंगोली आदि चीजों से सजाते हैं। दीवाली पर पूजन का उत्तम मुहूर्त स्थिर लग्न वृषभ सायं 6:24 से रात 8:20 बजे तक है।
पंडित ऋषिराज शर्मा ने कहा, जब दिवाली मनानी है तो हमें मध्यरात्रि में भी अमावस्या तिथि चाहिए और प्रदोष काल में भी अमावस्या तिथि चाहिए, तो ऐसी स्थिति में हमें ये दोनों आपकी अंग्रेजी तारीख 31 अक्टूबर को मिल रही है तो स्वाभाविक है कि इसी दिन दिवाली मनाई जानी चाहिए. शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि रजनी भी अमावस्या से संयुक्त होनी चाहिए. तो दूसरे दिन की जो अमावस्या है, वह प्रदोष काल में तो है, लेकिन रात को स्पर्श नहीं कर रही है. इसलिए 31 तारीख को ही दीपावली पर्व हम लोग मना रहे हैं।
फोटो कैप्शन: पंडित ऋषिराज


कक्षा 9वीं एवं 11वीं में रिक्त स्थानों पर प्रवेश परीक्षा के लिए आनलाइन आवेदन तिथि बढ़ाई
-अब 9 नवंबर तक कर सकते हैं आवेदन
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कनीना की आवाज।
पीएमश्री जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा में शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए कक्षा 9वीं एवं 11वीं में रिक्त स्थानों पर प्रवेश परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए हैं। इच्छुक विद्यार्थी 9 नवंबर तक वेबसाइट पर दिए गए लिंक पर जाकर कर आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए प्रवेश परीक्षा की तिथि आगामी 8 फरवरी-2025 निर्धारित की गई है।
यह जानकारी देते हुए प्राचार्य राजीव कुमार सक्सेना ने बताया कि कक्षा 9वीं के लिए अभ्यर्थी महेन्द्रगढ़ जिले का मूल निवासी हो एवं महेन्द्रगढ़ जिले के किसी भी सरकारी व सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विद्यालय में कक्षा 8 में शैक्षणिक सत्र 2024-25 में अध्ययनरत होना चाहिए। उन्होंने बताया कि अभ्यर्थी का जन्म 1 मई 2010 से 31 जुलाई 2012 (दोनों तिथियां सम्मिलित) के बीच होना चाहिए। यह एससी, एसटी, ओबीसी श्रेणियों सहित सभी श्रेणियों के उम्मीदवारों पर लागू है।
उन्होंने बताया कि कक्षा 11वीं
के लिए अभ्यर्थी द्वारा शैक्षणिक सत्र 2024-25 (अप्रैल 2024 से मार्च 2025 सत्र) के दौरान जिला में जहां जवाहर नवोदय विद्यालय कार्यरत हैं वहां के सरकारी व सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूल में दसवीं कक्षा में अध्ययनरत होना चाहिए। अभ्यर्थी का जन्म 1 जून 2008 से 31 जुलाई 2010 (दोनों तिथियां सम्मिलित) के बीच होना चाहिए। विद्यालय के प्राचार्य राजीव कुमार सक्सेना ने बताया कि पीएमश्री जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा पूर्णत: निशुल्क, सह-शिक्षा, आवासीय विद्यालय है। छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए कक्षा 9वीं में एक वर्ष का प्रवास (अहिन्दी भाषी जवाहर नवोदय विद्यालय विजयनगर आन्ध्रप्रदेश) विभिन्न खेलों में उत्तम व्यवस्था, स्काउट गाइड, कला तथा संगीत की विशेष शिक्षा व सुसज्जित पुस्तकालय की उत्तम व्यवस्था विद्यार्थियों को उपलब्ध करवाई जाती है।




दीवाली पर्व पर रात्रि 8 से 10 बजे तक चलाए जा सकेंगे ग्रीन पटाखे
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कनीना की आवाज।
जिलाधीश मोनिका गुप्ता ने एक आदेश पारित कर जिले की सीमा के भीतर ग्रीन पटाखों को छोड़कर संयुक्त पटाखों ,शृंखला पटाखे या लारी और सभी प्रकार के पटाखों के निर्माणए बिक्री, फोडऩे और उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है। इसके अलावा आतिशबाजी में बेरियम लवण पर प्रतिबंध भी लगाया गया है। इससे भारी वायु ध्वनि प्रदूषण और ठोस अपशिष्ट की समस्या होती है।
जिलाधीश ने आदेशों में स्पष्ट किया है कि सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्णय के अनुसार अधिक मात्रा में पटाखे बजाने से वातावरण दूषित हो सकता है। जिससे श्वास के रोगियों को भारी तकलीफ होती है। सरकार के दिशा.निर्देश व हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सुझाव पर अमल करते हुए वायु प्रदूषण को नियंत्रित रखने के लिए पटाखों की बिक्री व उत्पादन पर प्रतिबंध लगाया जाता है। यह आदेश 31 जनवरी 2025 तक लागू रहेंगे।
दीवाली और गुरु पर्व के दिन रात को 8 से 10 बजे तक ग्रीन पटाखे बजाए जा सकते हैं।
क्रिसमस और नए साल की पूर्व संध्या पर जब आधी रात के आसपास यानी 12 बजे ऐसी आतिशबाजी शुरू होती है, तो यह रात 11:55 बजे से 12:30 बजे तक ही होगी।
आदेशों का उल्लंघन करने पर भारतीय न्याय संहिता, विस्फोटक अधिनियम 1884 तथा विस्फोटक नियम 2008 की सुसंगत धाराओं के अनुसार दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी








 राष्ट्रीय एकता दिवस -31 अक्टूबर
-लोह पुरुष के रूप में जाने जाते हैं पटेल- प्रोफेसर कर्मवीर
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कनीना की आवाज।
  भारत के लोग पुरुष के रूप में प्रसिद्ध वल्लभभाई पटेल ने केवल स्वतंत्रता सेनानी थे अपितु भारत के प्रथम गृहमंत्री एवं उप-प्रधानमतंत्री थे।  1875 को 31 अक्टूबर के दिन गुजरात में जन्मे पटेल प्रसिद्ध वकील थे और वे न्याय, समानता और एकता के लिए हमेशा खड़े रहते थे। उनका योगदान भारतीय संविधान के निर्माण में भी अहं रहा है क्योंकि उन्हें संविधान सभा के प्रमुख सदस्य के रूप में कार्य किया।
राष्ट्रीय एकता में तक गहन विश्वास -प्रोफेसर कर्मवीर
 प्रोफेसर कर्मवीर कंवाली बताते हैं कि सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के विविध समुदाय की एकता में बहुत विश्वास करते थे। आजादी के बाद उन्हें रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत करने के चुनौती पूर्ण कार्य का सामना करना पड़ा। उनकी कूटनीति कौशल और राजनीतिक कौशल ने नवीन राज्यों को शामिल होने के लिए मनाने में अहम भूमिका निभाई। जिससे देश की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित की गई। उन्होंने बताया कि सरदार वल्लभभाई पटेल की 143वीं जयंती पर 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में भव्य स्टैचू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन भी किया था। पटेल का एक ही प्रसिद्ध नारा रहा है जिसमें कहा गया है कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत जो आज भी लोगों को प्रेरणा दे रहा है।
 2014 में हुई थी राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत -
प्रोफेसर कर्मवीर बताते हैं कि सरदार वल्लभभाई पटेल की भारत सरकार ने 2014 में अधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत की थी क्योंकि पटेल एक एकजुट, मजबूत भारत के कट्टर समर्थक थे इसलिए उसके जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
 सरदार सरदार वल्लभभाई पटेल भारत केे लोह पुरुष नाम से जाना जाता है जो पहले गृहमंत्री एवं उप प्रधानमंत्री रहे हैं। जिन्होंने 550 से अधिक रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और राष्ट्रीय एकता की ओर भारत को बढ़ाया। भारत जैसे विधाता पूर्ण देश में एकता महत्वपूर्ण है इसलिए उन्होंने इस कदम को बढ़ाया और विविधता में एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया।
 प्रोफेसर कर्मवीर बताते हैं कि वह भारत के पहले गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री हुई है उनके लिए विभिन्न गांवों एवं शहरों में रन फॉर यूनिटी कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया है।
 कनीना में आयोजित होगा रन फॉर यूनिटी-
 कनीना में एसडीएम सुरेंद्र सिंह की अध्यक्षता में रन फॉर यूनिटी कार्यक्रम होगा। प्राचार्य राजकीय माडल स्कूल सुनील खुडानिया ने बताया कि उनके 72 से अधिक विद्यार्थी रन फार यूनिटी में भाग लेंगे वहीं नरेश कौशिक मुख्य अध्यापक ने बताया कि उनकी 50 के करीब छात्राएं रन फॉर यूनिटी में भाग लेंगी। कार्यक्रम सुबह सवेरे कनीना में आयोजित होगा।
 फोटो कैप्शन: प्रोफेसर कर्मवीर यादव



गुड़ की मिठाई हो रही है प्रसिद्ध
-लेनदेन में कर रहे 
है






















प्रयोग
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कनीना की आवाज।
 कनीना और आसपास क्षेत्र में आजकल गुड़ की मिठाई प्रसिद्ध हो रही है क्योंकि मिठाइयों में मिलावट की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता जिसके चलते अब लोग पुराने समय से मिठाई के रूप में प्रयोग किया जा रहा गुड़ ही खरीदने लगे हैं।  बर्फी की तरह पैक किया हुआ गुड़ अब बाजार में उपलब्ध है, जिसे मिठाई की बजाय सस्ती दरों पर भी उपलब्ध हो जाता है और अपने साथियों को भी लेनदेन में काम में ले रहे हैं। देखने में ऐसा लगता है जैसे बर्फी की पैकिंग हो किंतु गुड़ की पैकिंग होती है जिसमें तिल आदि डालकर उसका स्वाद बढ़ाने का प्रयास किया गया है। पहली बार इस क्षेत्र में मिठाई की दुकानों पर गुड़ की मिठाई देखकर लोग चकित है वहीं खुश भी है कि गुड़ में इतनी अशुद्धियां एवं मिलावट नहीं हो सकती जितनी अन्य मिठाइयों में हो सकती है। यही कारण है की लेनदेन के लिए गुड़ की मिठाई नाम से यह डब्बे प्रसिद्ध हो रहे हैं और खूब लिए दिए जा रहे हैं।
फोटो कैप्शन 01: गुड़ की मिठाई का एक नजर

 

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024




--ऐसे करें रजिस्ट्रेशन 

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कनीना की आवाज।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 के अवसर पर ऑनलाइन गीता प्रश्नमाला - नगद पुरस्कार जीतने और प्रमाण-पत्र प्राप्त करने का सुनहरा अवसर*
17 th नवंबर  से 27 नवंबर
 

Motivator mobile number Dr Hoshiar Singh Yadav
9416348400

रजिस्ट्रेशन  26  अक्टूबर से आरम्भ
* रजिस्ट्रेशन के लिए लिंक👇🏻
http://igmquiz.in/

Participants Category
A) Student
B) Public
            
Cash Prizes / Certificate:
A) हर रोज 1000-1000 रुपए के बीस ईनाम
B) क्विज के समापन पर लाखों रूपए के ईनाम
C) किसी भी जिले, राज्य या देश के नागरिक, विद्यार्थी व उनके मातापिता कोई भी इसमें भाग ले सकते हैं।

 विशेष
1. आपके Registration के समय जो OTP आएगा वो आपका पासवर्ड रहेगा तथा आपका फोन न. आपका लॉगिन आईडी रहेगा।

2. Registration करते समय Referral/Motivator Contact Number में Motivator.  का मोबाइल नंबर  9416348400
डा. होशियार सिंह यादव ही भरें।

3. प्रतिदिन 5 वैकल्पिक प्रश्न पूछे जाएँगे जिनका उत्तर आपको देना होगा ।

4. यह प्रतियोगिता भगवदद्गीता के प्रति रुचि उत्पन्न करने व जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से आयोजित की जा रही है। स्वयं भी भाग लें और अन्य को भी प्रेरित करें।

अधिक जानकारी के लिए काल  करें 9416348400
डा. होशियार सिंह यादव




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