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Thursday, October 24, 2024
कनीना मंडी में सातवें दिन में 172 किसानों से खरीदा 4111 क्विंटल बाजरा
-आवक घटने लगी
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कनीना की आवाज। हरियाणा स्टेट वेयरहाउस के बाद विगत सात दिनों से हैफेड द्वारा बाजरे की खरीद की जारी है। सातवें दिन नई अनाज मंडी कनीना स्थित चेलावास में 172 किसानों से खरीदा 4111 क्विंटल बाजरा खरीदा गया। इस प्रकार कुल 2307 किसानों से 56663 क्विंटल बाजरा खरीद लिया है। गुरुवार को 2100 क्विंटल बाजरे का उठान किया। कुल 39100 बैग बाजरे का उठान भी किया जा चुका है। विस्तृत जानकारी देते हुए हैफेड के भरपूर सिंह ने बताया कि अब हैफेड द्वारा ही बाजरे की खरीद जारी है। मंगलवार को 5 हजार बैग बाजरे का उठान किया गया। भरपूर सिंह ने कहा कि किसान अपनी बाजरे की पैदावार को अच्छी प्रकार सुखाकर लाये ताकि बेचने में किसी प्रकार की कोई समस्या आड़े न आए। उन्होंने कहा कि हैफेड किसानों की बाजरे की फसल खरीदने के लिए तैयार है।
फोटो कैप्शन 06:बाजरे की आवक का नजारा
किसान प्योद भी बेचते हैं और खेतों में सब्जी भी करते हैं पैदा
--परंपरागत खेती से बेहतर साबित हो रही है सब्जी
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कनीना की आवाज। क्षेत्र के किसान अब जागरूक हो गए हैं। एक साथ दो-दो काम कर रहे हैं। प्योद भी बेचते हैं और सब्जी भी पैदा करते हैं। कारिया गांव के बहुत से किसान जहां वर्ष में दो बार प्योद भी तैयार कर बेचते हैं तथा स्वयं भी अपने खेतों में सब्जी पैदा रहे हैं। घीसाराम किसान ने बताया कि वो हर वर्ष प्योद लगते हैं जिसमें गोभी, बैंगन, पालक, मिर्च, टमाटर आदि प्रमुख हैं। जिनको आवश्यकता है उन्हें बेच दी देते है तथा स्वयं भी अपने खेतों में सब्जी पैदावार लेते हैं। इससे उनकी रोटी रोजी निकलती है। किसान लाखों रुपए इस प्रकार सब्जी तथा प्योद बेचकर कमा रहे हैं। वो खुश हैं।
उधर राजेश एवं दीपक ने बताया कि वे गोभी उगाने के लिए खेत एक साल के लिए लेते हैं और घर का गुजारा इसी से कर लेते हैं। वे बेहतर दर्जे की गोभी तैयार करते हैं जिनकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। गांठ गोभी, फूल गोभी, पत्ता गोभी एवं ब्रोकली चारों प्रकार की गोभी उगाते हैं। ब्रोकली की अच्छी मांग होती है। यही कारण है कि ब्रोकली की ओर उनका ध्यान जा रहा है। ब्रोकली का एक फूल लेने के बाद दूसरा फूल भी आ जाता है जबकि अन्य गोभियों में ऐसा नहीं है। प्योद एवं सब्जी दोनों परंपरागत फसलों से बेहतर होती हैं तथा रोटी रोजी अच्छे ढंग से प्राप्त हो जाती है।
फोटो कैप्शन 07: कारिया का किसान राजेश गोभी की सब्जी के साथ।
एसडीएम से मिले सफाई कर्मचारी वेतन दिलाने की लगाई गुहार
--शेष वेतन दिये जाने का मिला आश्वासन
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कनीना की आवाज। सफाई कर्मियों का पिछले 5 महीने से वेतन न मिलने के कारण गुरुवार को 96 गांवों के सफाई कर्मी खंड कार्यालय पहुंचे तथा सांकेतिक धरना दिया। सफाई कर्मचारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि गांव को साफ सुथरा हम करते हैं लेकिन इसके बावजूद भी हमें समय पर वेतन नहीं दिया जाता। जिसको लेकर हम 10 दिन पहले खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी से मिले थे और अपना वेतन देने की गुहार लगाई थी जिस पर बीडीपीओ कनीना ने आश्वासन दिया था कि आपका बजट आ गया है 5 दिन के अंदर आपकी तनख्वाह आपके खाते में चली जाएगी लेकिन सिर्फ एक महीने का वेतन हमारे खाते में आया है बाकी चार महीनों का वेतन अभी तक नहीं मिला है जिसके कारण हमारा परिवार दर- दर की ठोकरें खाने पर विवश हो रहा है लेकिन हमारी सुनने वाला कोई नहीं है। सफाई कर्मियों ने बताया पिछले 5 माह से वेतन नहीं दिया गया जिसके कारण बच्चों की रोटियों के भी लाले पड़ गए और बच्चे भूखे मरने की कगार पर पहुंच गए हैं।
उनका कहना है वैसे तो सरकार व प्रशासन आम आदमी की समस्या को हल करने के लिए जगह-जगह खुला दरबार लगा रहा है और लोगों की समस्या मौके पर निपटाने का दावा कर रहा है लेकिन उसके बावजूद भी कर्मचारियों को समय वेतन नहीं मिला है तथा यह कर्मचारी भूख के मारे दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। दिवाली का त्योहार सिर पर है लेकिन उसके बावजूद भी सफाई कर्मियों का वेतन नहीं मिला जिसके कारण सफाई कर्मी परेशान है और वह काली दिवाली मनाने पर विवश है। सफाई कर्मचारियों ने बताया 3 घंटे के सांकेतिक धरने के उपरांत बीडीपीओ नहीं मिले, इसके पश्चात एसडीएम कनीना को ज्ञापन सौंपकर वेतन दिलाने की गुहार लगाई है जिस पर एसडीएम अमित वर्मा ने सफाई कर्मियों की बात को बड़े ध्यान से सुना और उस पर संज्ञान लेते हुए डीडीपीओ नारनौल से बात कर जल्द से जल्द सफाई कर्मचारियों का वेतन डलवाने का आश्वासन दिया। वहीं एसडीएम अमित कुमार से जब इस बारे में बात की गई एसडीम ने बताया कि आज सफाई कर्मचारियों ने मुझे ज्ञापन दिया है जिस पर कार्रवाई करते हुए उच्च अधिकारियों को लिखा गया है तथा जल्द ही सफाई कर्मचारियों का वेतन उनके खाते में डलवा दिया जाएगा।
फोटो कैप्शन 04: एसडीएम को ज्ञापन देते हुए सफाई कर्मचारी
पटाखे नहीं चलाएंगे,घर की बनी मिठाई खाएंगे
--प्रदूषण से बचाएंगे इस बार
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कनीना की आवाज। इस बार क्षेत्र के युवा घर की बनी मिठाई खाकर,चाइनीज आइटम नहीं खरीदेंगे और दीपावली सादगी से मनाएंगे। दिवाली को घी के दीये जलाकर एवं आपस में मिलकर दिवाली मनाना चाहते हैं। वे एक नारा लगा रहे हैं कि घर की मिठाई खाकर, आपस में मिलकर घी के दीये जलाएंगे। देसी घी के भाव अधिक होने से मजबूरन लोग मोमबत्ती जलाते हैं किंतु मुख्य दीया घी का ही जलाते आ रहे हैं। उनका मानना है कि लाखों रुपये चाइनीज आइटम पर खर्च होते हैं वे खर्च नहीं किए जाएंगे। क्या कहते हैं दिवाली मनाने वाले-
चीन के बने सामान, लाइट आदि नहीं खरीदेंगे। देसी घी को दीये में डालकर दिवाली के दिन बुजुर्ग पुराने समय से जलाते आ रहे हैं। बुजुर्ग बहुत बुद्धिमान थे। पर्व पर तेल या मोमबत्ती जलाना अशुभ मानते थे। अब उन्हीं के कदमों पर चलकर वे इस बार दिवाली को देसी घी के दीयों से मनाएंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे।
--अजीत सिंह, समाजसेवी
वे कई वर्षों से देसी घी के दीये जलाते आ रहे हैं। न केवल बड़ी या छोटी दिवाली अपितु मुख्य दिवाली के दिन घर में विभिन्न स्थानों पर रखे जाने वाले समस्त दीये देसी घी से ही जलते हैं। उनके अनुसार देसी घी का दीया जलाने का अर्थ है कि वातावरण की देखभाल करना तथा सभी के जीवन की मंगलकामना करना। उन्होंने इन दीयों को अंधकार दूर करने वाला तथा दिलों में शुद्धता भरने वाला प्रतीक बताया। चीन के बने दिवाली के आइटमों से दूर रहने की सलाह दी है।
-- नरेश कुमार शिक्षक
चाइनीज कोई आइटम नहीं खरीदेंगे। वे न केवल स्वयं देसी घी के दीये जलाएंगे अपितु दूसरों को भी इस बार देसी घी के ही दीये जलाने के लिए प्रेरित करेंगे। उनके अनुसार देसी घी के दीये जलाना एक हवन या यज्ञ के बराबर होता है। पर्यावरण का प्रदूषण दूर होता है तथा सुगंधित वातावरण बन जाता है। दीये का प्रकाश जहां तक जाता है वहां तक हानिकारक कीट नष्ट हो जाते हैं।
---मुकेश नंबरदार कनीना मंडी
हमारी संस्कृति के अनुसार घी के दीये जलाना शुभ माना जाता है और ऐसे में वे देशी घी के दीये स्वयं भी जलाते हैं और दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि बाजार की मिठाई नहीं खरीदेंगे, चाइनीज आइटमों का बहिष्कार करेंगे, पटाखों को नहीं चलाएंगे, दीये खरीदने पर बल देंगे। पटाखे चलाने से प्रदूषण बढ़ जाता है और सांस लेना कठिन हो जाता है।
---- सुनील यादव,समाजसेवी
फोटो कैप्शन 05: सुनील कुमार, अजीत सिंह, नरेश कुमार, मुकेश नंबरदार
दीपावली के दृष्टिगत बाजार में सजे हैं विभिन्न रूपों और रंगों के दीये
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कनीना की आवाज। दीपावली के इस पर्व पर जहां अधिकांश चाइनीज आइटम बाजार से गायब हैं। विगत वर्षों से सरकार भी इस मामले को लेकर प्रयासरत थी जिसके चलते इस सराहनीय कदम बताया जा रहा है, वहीं बाजार में इस बार अलग-अलग डिजाइन के दीयों की बहार आ गई है। विभिन्न रंग और रूप और देखने में मन को मोहने वाले दीये नजर आते हैं।
महेंद्र एवं जितेंद्र नामक व्यक्ति ने बताया कि ये दीये मिट्टी के बने हैं किंतु इनको शंख, गुलाब के फूल में दीये तथा विभिन्न डिजाइन रंगो एवं आकार के दीये बनाए गए हैं। जिनमें विभिन्न रंग लगाकर संजोकर इनको और भी शानदार बनाया गया है जिसके चलते ये मन को मोह लेते हैं। बाजार में इनकी कीमत बड़े दीये एक सौ रुपये तक जबकि छोटे दिए पांच रुपये तक मिल रहे हैं।
फोटो कैप्शन 03: दीयों की दुकानों पर बहार
दीयों का स्थान ले लिया मोमबत्तियों ने
-तेल, घी एवं बाती हुई महंगी
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कनीना की आवाज। दीपावली पर खुशियों को व्यक्त करने के लिए परम्परागत रूप से जलाए जाने वाले दीयों का स्थान मोमबत्तियों ने ले लिया है। सस्ती, सुलभ तथा अविलंब प्रकाशमान होने वाली मोमबत्तियां दीपावली पर भारी संख्या में बिकती हैं।
वैसे तो माना जाता है कि श्रीराम के 14 वर्षों का वनवास पूरा करके, रावण पर विजय पाकर जब सीता सहित राम, लक्ष्मण व हनुमान अयोध्या लौटे थे तो लोगों ने खुशी के मारे घरों में घी के दीये जलाए थे और तत्पश्चात प्रति वर्ष उसी याद को दिल में संजोकर प्रतिवर्ष घी के दीये जलाते आ रहे हैं। समय के साथ-साथ दीये जलाने का रिवाज भी बदल गया है। अब तो लोग तेल के दीये भी नहीं जलाते अपितु मोमबत्ती जलाकर ही खुशी व्यक्त करते हैं।
उधर दीपावली से कई दिन पूर्व ही दुकानों पर मोमबत्ती उपलब्ध हो जाती हैं। ये सस्ती भी मिलती हे ऐसे में लोग परम्परागत दीयों को भूला बैठे हैं। गृहणियों ने बताया कि दीयों को देशी घी से जला पाना कठिन हो गया है क्योंकि देशी घी का भाव भी 1000 रुपये से अधिक तक पहुंच गया है वहीं रुई की बाती बनानी पड़ती हैं और दीपकों को पानी में भीगोकर रखना पड़ता है ताकि वे घी कम चूसे। बाद में तेल के दीये जलाने की प्रथा चली क्योंकि तेल का भाव भी 150 रुपये किलो से कम नहीं होता है ऐसे में तेल के दीये जलाना भी आसान काम नहीं है। आदमी के आलसी होने के कारण तथा मेहनत से बचने के लिए मोमबत्ती को ही सुविधाजनक समझ लिया है और दीपावली के दिन मोमबत्तियां ही जलाई जा रही है। उधर मोमबत्ती महज एक रुपये से दस रुपये तक चल रही है। अकेलेा दीया 5 रुपये का पड़ रहा है।
वैसे तो भगवान् श्रीराम के अयोध्या लौटने के बाद देशी घी के दीये जलाने का सिलसिला शुरू हुआ था किंतु हालात ये बन गए हैं कि अब मोमबत्ती जलाकर ही काम चलाया जाता है। दीये जाने से स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है जबकि मोमबत्ती जलाने से स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ रही है। वैसे भी मोमबत्तियों को जलाने के धंधे ने कुम्हारों का व्यवसाय छीन लिया है। आगे आने वाले समय में मोमबत्तियों का स्थान कौन लेता है वक्त ही बताएगा। अब मोमबत्ती ही जलाकर खुशियां व्यक्त की जाती हैं यहां तक की कुछ लोग तो मोमबत्ती के स्थान पर छोटे-छोटे बल्ब जलाकर ही काम चलाते हैं।
कनीना उप-नागरिक अस्पताल में एफआरयू की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए भेजा पत्र
-अस्पताल को अपग्रेड कर 100 बेड का करने की मांग
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कनीना की आवाज। लंबे समय से कनीना के उप-नागरिक अस्पताल में एफआरयू की सुविधा उपलब्ध करवाने की मांग चली आ रही है। विगत समय में जब अटेली से विधायक सीताराम यादव थे उस वक्त भी यह मांग जोर-शोर से उठाई गई थी। मांग सिरे नहीं चढ़ पाई थी कि चुनाव आ गये। अब एक बार फिर से सेवा भारती हरियाणा की कनीना इकाई ने एक पत्र भेज कर कनीना के उप-नागरिक अस्पताल को एफआरयू/ प्रथम परामर्श इकाई का दर्जा देने की मांग के लिए आरती सिंह राव को पत्र भेजा है। साथ में 50 बेड के उप-नागरिक अस्पताल अपग्रेड करके 100 बेड का बनाये जाने की मांग की है। वर्तमान में यह 50 बेड का अस्पताल है। हरियाणा हरियाणा प्रदेश सेवा भारती हरियाणा प्रदेश शाखा इकाई के अध्यक्ष सुरेश शर्मा, जगदीश आचार्य अध्यक्ष जिला अध्यक्ष सेवा भारती, योगेश अग्रवाल सदस्य सेवा भारती हरियाणा ने यहां बताया कि कनीना उप नागरिक अस्पताल वर्तमान में 50 बेड का है किंतु यहां 84 कमरे उपलब्ध है। यहां एक एसएमओ के अतिरिक्त 8 डाक्टरों के पद भरे हुये हैं। यह अस्पताल 100 बेड के सर्वथा उचित है तथा आसानी से 100 बेड का अस्पताल बनाया जा सकता है। सैकड़ों मुफ्त चिकित्सा शिविर लगाने वाले सेवा भारती ने के सदस्यों ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने आरती सिंह राव को भी एक पत्र भेज दिया है जिसमें मांग की गई है कि कनीना के उप-नागरिक अस्पताल में एफआरयू की सुविधा प्रदान की जाए। साथ में 100 बेड का कनीना का अस्पताल बनाया जाए। उन्होंने बताया कि वे इस मांग को लेकर कई अधिकारियों से मिल चुके हैं और सभी ने मां को उचित ठहराते हुए इस मांग को सिरे चढ़ाने की बात कही है।
यदि यहां बड़ी मशीन उपलब्ध हो जाए, अल्ट्रासाउंड जैसी बड़ी मशीन उपलब्ध हो जाए और एमडी या गाईनी आदि डाक्टर उपलब्ध हो जाए तो क्षेत्र के लोगों को दूर दराज नहीं जाना पड़ेगा अपितु कुछ इलाज यहां पर चल सकेंगे। उन्होंने बताया कि वह पूर्व विधायक अटेली सीताराम यादव से मिले थे और उसे समय भी समस्या को सिरे चढ़ाने की बात की गई थी किंतु विस चुनाव आने के कारण यह मांग सिरे नहीं चढ़ पाई। आप जहां स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव है। इसलिए आरती सिंह राव के पास पत्र भेजकर यह मांग पूरा करने की उम्मीद जताई है।
फोटो कैप्शन02: कनीना के उप नागरिक अस्पताल का नजारा।
अगिहार के स्कूल में मनाया गया संयुक्त राष्ट्र दिवस
--संगीता ,प्रिन्स तथा कल्पना की टीम ने पाया प्रथम स्थान
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कनीना की आवाज। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अगिहार के प्रांगण में गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय में अंग्रेजी के प्रवक्ता मदन मोहन कौशिक ने किया। उन्होंने विद्यार्थियों को संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी अंगों तथा कार्यों के बारे में जानकारी दी तथा आधुनिक परिप्रेक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता पर भी प्रकाश डाला। इस अवसर पर विद्यालय के छात्रों जतिन, साहिल, जितेंद्र, परवीन अर्चना कल्पना संगीता,नव्या नरगिस अनामिका प्रिंस तथा हिमांशु ने अपने अभिनय द्वारा संयुक्त राष्ट्र के सभी अंगों पर प्रकाश डाला तथा उनके कर्तव्यों के बारे में विद्यार्थियों को बताया। इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र विषय पर एक प्रश्नोत्तरी का भी आयोजन किया गया संगीता ,प्रिन्स तथा कल्पना की टीम में प्रथम स्थान तथा जितेंद्र, जतिन व साहिल की टीम ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया क्विज का संचालन विद्यालय की छात्राओं अर्चना तथा पूजा ने किया तथा विद्यालय की विज्ञान अध्यापिका वंदना ने स्कोर की भूमिका अदा की। इस अवसर पर विद्यार्थियों को पुरस्कृत भी किया गया। इस अवसर पर विद्यालय के प्रवक्ता अजय बंसल,राजेंद्र कटारिया, धर्मेंद्र डीपी, निशा, मुख्य शिक्षक रतनलाल, प्रमोद कुमार, चंद्रशेखर तथा सुरेंद्र सिंह सहित विद्यालय के समस्त स्टाफ एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 01: अगिहार में संयुक्त राष्ट्र दिवस मनाते हुए।
अहोई अष्टमी धूमधाम से मनाई गई
-ग्रामीण महिलाओं ने सुनी अष्टमी की कहानी
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कनीना की आवाज। गुरुवार को कनीना क्षेत्र में अहोई अष्टमी का पर्व मनाया गया। यह व्रत संतान के बेहतर जीवन एवं लंबी उम्र के लिए किया जाता है। इस व्रत में स्याऊं मां की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस पूजा से परिवार के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं और लंबी उम्र प्राप्त होती है। दिनभर दानपुण्य की परंपरा चलती रही। महिलाओं ने स्याऊं मां की पूजा की, व्रत रखा तथा कहानी सुनी
कौन सी कहानी सुनाई गई-
आचार्य दीपक के अनुसार इस व्रत में सेठ सेठानी की कहानी सुनाई गई जिसमें एक सेठानी के हाथों से अनजाने में एक सेही के बच्चे मिट्टी खोदते वक्त मर जाते हैं। जब सेही अपने बच्चों को मृत देखती है तो मारने वाले को श्राप दे देती है जिसके चलते सेठानी के बच्चे भी मर जाते हैं। सेठ व सेठानी तप करने और शरीर को गलाने के लिए चल पड़ते हैं। अंत में वे थक जाते हैं तो आकाशवाणी होती है कि तुम अगले इसी पर्व तक दान दक्षिणा देना, दया रहम दिखाना तब कहीं जाकर तुम्हें पुत्र होंगे। अंतत: सेठ एवं सेठानी ने वैसा ही किया और वे पुत्रवान हो गए।
तभी से यह व्रत चला आ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व के प्रति गहन लगाव है। गांवों में मिलकर महिलाएं कथा सुनी।
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