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Monday, October 28, 2024


 


विश्व रिकार्ड बुक/Book of World Record में आखिर दर्ज हो ही गया डा. होशियार सिंह कनीना का नाम
-अनेक अवार्ड दीपावली के शुभ अवसर पर मिलने की सूचना
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कनीना की आवाज।
 यूं तो डा. होशियार सिंह यादव कनीना निवासी, विज्ञान शिक्षक बतौर 40 वर्षों की सेेवा  सरकारी, गैर सरकारी, और ट्यूशन एवं कालेज आदि में शिक्षण कार्य करके पूर्ण की है। इन 40 वर्षों के दौरान उन्होंने कभी कुर्सी का उपयोग नहीं किया। बगैर कुर्सी पर  बैठे केवल कक्षा कक्ष में खड़े रहकर पढ़ाया जिसका परिणाम आज उन्हें मिल गया है। डा. होशियार सिंह, कनीना का इंडियन बुक आफ रिकार्ड में नाम आखिर दर्ज हो ही गया है।
 इससे पहले उन्होंने लंदन बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में नाम दर्ज करवाया था। यही नहीं इंटरनेशनल बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में आईकानिक अवार्ड भी मिला था। साथ में ओरिएंट बुक आफ़ वल्र्ड रिकार्ड में भी नाम दर्ज हो चुका है। इसके अलावा चैंपियन बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में भी नाम दर्ज हो चुका है। क्या कहते हैं डा. होशियार सिंह सुनिये उन्हीं की जुबानी---
 विगत 6 महीना के लंबे और अथक प्रयास के बाद इंडियन बुक का रिकार्ड में नाम दर्ज हुआ है, जो बड़ी खुशी की बात और खुशी का अवसर है। दीपावली के दिन यह बड़ी खुशी सुनने को मिली है। इस अवार्ड को पाने के लिए सैकड़ों साक्ष्य, पढ़ते हुए होशियार सिंह की वीडियोग्राफी, फोटोग्राफ तथा विभिन्न सर्टिफिकेट दिखाने के बाद इंटरव्यू के पश्चात आखिरकार यह नाम दर्ज हो गया है। इसके लिए सभी विद्यालयों के परिवार जिन्होंने मेरी मदद की वो सभी धन्यवाद के पात्र है और उनके लिए मैं आभार प्रकट करता हूं। इस अवार्ड को पाने के लिए  जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा, जवाहर नवोदय विद्यालय नैचाना, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय करीरा, राजकीय माध्यमिक विद्यालय पड़तल,राजकीय उच्च विद्यालय उन्हाणी, राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना, राजकीय कन्या उच्च विद्यालय कनीना, राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धनौंदा, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सुंदरह, राजकीय माध्यमिक विद्यालय झूक, मेवात के के पाठखोरी एवं अल्लिका सहित कई अन्य राजकीय स्कूलों का आभार व्यक्त करता हूं जहां मैंने शिक्षण कार्य किया है। इस कार्य को सिरे चढ़वाने में जहां राजकीय कन्या उच्च विद्यालय कनीना के मुख्य अध्यापक नरेश कौशिक, राजकीय माध्यमिक विद्यालय कैमला के वीरेंद्र सिंह जांगिड़, नवोदय विद्यालय करीरा के केएल आनंद, प्यारेलाल, जेडी तनेजा, सुलोचना भल्ला तथा उस समय का स्टाफ और अनेकों अधिकारियों ने सहयोग किया है। साथ में आर्य समाज कनीना के राव मोहर सिंह साहब, दादरी के कालेज, कई स्कूलों के मुखिया तथा उन सभी विद्यार्थियों ने सहयोग किया जो मेरे से पढ़े हुए हैं। परिणाम अब आपके समक्ष आ चुका है। मेरा कहना है कि दीपावली पर मुझे बड़ी खुशी मिली है और जल्द ही शेष बुक जो रह गई, उनमें भी आवेदन किया हुआ है और उनमें भी मुझे विश्वास है कि वल्र्ड रिकार्ड कायम होगा। बहरहाल मैं सभी का आभार व्यक्त करता हूं विशेषकर डाक्टर राजेंद्र सिंह तत्कालीन खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी कनीना रहे वहीं डा. रामानंद यादव तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी कनीना, प्राचार्य प्रहलाद सिंह, निर्मल शास्त्री नांगल हरनाथ, धनौंदा स्टाफ विशेषकर माध्यमिक विभाग के हिंदी शिक्षक एवं मेरे अजीज नरेश कुमार, रणवीर सिंह,
पूनम मोरवाल, संतोष यादव,कंप्यूटर शिक्षक सूबे सिंह, बलराम समारोह के हनुमान सिंह, कंवर सेन वशिष्ठ, देशराज कोटिया, महिपाल सिंह करीरा, महिपाल सिंह बाघोत, महिपाल सिंह कनीना, एसडी स्कूल के चेयरमैन जगदेव यादव, यूरो स्कूल के प्राचार्य डा. सुनील यादव, विभिन्न चिकित्सा अधिकारी, राजकुमार राव मुख्याध्यापक, सत्येंद्र शासत्री, राजेश लूखी उर्फ नेता, प्राचार्य कृष्ण सिंह सिहोर जिन्होंने मेरी जमकर मदद की, मेरे समस्त पत्रकार साथी जिन्होंने मेरी बहुत मदद की है, का आभार और धन्यवाद। बाकी सूचना देरी से मिलने के कारण पूरी खबर नहीं लिख पाया, भविष्य में विस्तार से खबर लिखी जाएगी। अब कन्वोकेशन का इंतजार है ताकि यह श्रेष्ठ और बड़ा अवार्ड मुझे मिले और इसमें कुछ साथियों को शामिल करने का भी प्रयास करूंगा। सभी को दीपावली की शुभकामनाएं।
  आपका अपना साथी,मित्र, भाई, सहयोगी
डा. होशियार सिंह यादव



अगिहार में रामलीला का किया गया मंचन
--विभिन्न पात्रों को किया पुरस्कृत
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कनीना की आवाज।
 शिक्षा विभाग हरियाणा के निर्देश अनुसार राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अगिहार में सोमवार को बाल रामलीला का मंचन किया गया। विद्यालय के मुख्य शिक्षक रतनलाल के नेतृत्व में बाल कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए रामलीला का सफल मंचन किया। विद्यालय की छात्राओं अर्चना पल्लवी नेहा पूजा व संगीता ने कलाकारों की साजसज्जा में विशेष योगदान दिया इस अवसर पर बाल कलाकारों कल्पना,मुस्कान, जानवी, प्रीति,महक, गरिमा, वंशिका,इशिका, विकास, प्रवेश,पुण्य, विपिन तथा शिवा ने रामायण के विभिन्न पात्रों का सजीव चित्रण किया इस अवसर पर विद्यालय की प्राचार्या पूनम यादव ने छात्रों का उत्साहवर्धन करते हुए उनके अभिनय की तारीफ की तथा पार्टी सहगामी  कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित भी किया इस अवसर पर विद्यालय के प्राथमिक विभाग के शिक्षकों चंद्रशेखर, प्रमोद कुमार तथा सुरेंद्र कुमार के अलावा विद्यालय के प्रवक्ता मदन मोहन कौशिक, अजय कुमार बंसल, राजेंद्र कटारिया, निशा,वंदना राकेश कुमार तथा धर्मेंद्र डीपीई सहित समस्त स्टाफ एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे इस अवसर पर बाल रामलीला में भाग लेने वाले बाल कलाकारों को पुरस्कृत भी किया गया।
फोटो कैप्शन 09: रामलीला अभिन्य करने वाले विभिन्न पात्र





कनीना कन्या स्कूल में हुआ रामलीला का मंचन
--छोटे बच्चों ने मोहा मन
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कनीना की आवाज।
 निपुण हरियाणा के अंतर्गत प्राथमिक कक्षाओं में राम लीला मंचन का कार्यक्रम खंड के विभिन्न स्कूलों में आयोजित किया गया। इसके अंतर्गत स्थानीय माडल संस्कृति बालिका प्राथमिक पाठशाला में रामलीला मंचन आयोजित किया गया, जिसमें बच्चों ने सराहनीय प्रदर्शन किया सीता स्वयंवर ,राम वन गमन, सीता हरण तथा कुंभकरण का निद्रा दृश्य प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि हेड मास्टर नरेश कौशिक थे तथा बस्तीराम शिक्षक, सतवीर सिंह रेखा कुमारी, सुषमा, संध्या देवी, प्रीति शर्मा, प्रियंका शर्मा सहित अनेक अभिभावक में ग्रामीण उपस्थित थे। इस अवसर पर नन्ही अदाकारा याचना तथा दसवीं कक्षा की छात्रा भारती ने आकर्षक एकल नृत्य प्रस्तुत  किया।
फोटो कैप्शन 11: कनीना कन्या स्कूल में रामलीला का मंचन करने वाले कलाकारों को पुरस्कृत करते हुए।




मेगा शिक्षक अभिभावक बैठक का हुआ आयोजन
--नरेश कौशिक की देखरेख में हुई संपन्न
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कनीना की आवाज।
 शिक्षा विभाग एवं समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत मेगा शिक्षक अभिभावक बैठक का आयोजन राजकीय कन्या उच्च विद्यालय कनीना में आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि विद्यालय  प्रबंधन समिति की प्रधान सावित्री देवी थी ।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए विद्यालय के मुख्य अध्यापक नरेश कुमार कौशिक ने सभी अभिभावकों से उनके बच्चों की शिक्षण में आ रही कठिनाइयों के बारे में अध्यापकों की मौजूदगी में विचार विमर्श किया तथा अभिभावकों ने  अपने बच्चों की शैक्षणिक रिपोर्ट पर चर्चा की। आज की बैठक में मुख्य बिंदु प्रारंभिक सांख्यिकी व भाषा शिक्षण, एफएलएन बच्चों की गणित विज्ञान व अंग्रेजी में आ रही समस्याओं के बारे में रहे तथा प्रत्येक अभिभावक ने अपने बच्चों के साथ संबंधित शिक्षक से उसकी प्रगति के बारे जानकारी ली ।
आज बैठक में अभिभावकों को जानकारी दी गई की हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा 15100 नंबर कानूनी सहायता के लिए सरकार द्वारा जारी किया गया है, तथा इस पर किसी भी प्रकार की कानूनी सहायता ली जा सकती है इसके अतिरिक्त सभी विद्यार्थियों व अभिभावकों से हरित प्रदूषण रहित पटाखे  चलाने की अपील की गई।
आज की बैठक में रुबीना बानो, रीना देवी ,संध्या देवी, पूनम देवी, वीरमति देवी, कविता देवी, राजीव कुमार, अमित सिंह ,प्रियंका शर्मा ,शीलू देवी, रश्मि, प्रीति व छगनी देवी , वरिष्ठ अध्यापक कैलाश गुप्ता, संदीप कुमार, राकेश कुमार डीपी, कश्मीरी निमल सहित स्टाफ सदस्य उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 08: स्कूल में मेगा पीटीएम में पहुंंचे लोग।






दीपावली पर करवाई गई सफाई प्रतियोगिता
--अव्वल को किया पुरस्कृत
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कनीना की आवाज।
 स्वच्छता एवं समृद्धि के पावन प्रकाशोत्सव दीपावली के उपलक्ष्य में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पाथेड़ा में  कक्षा -कक्ष सज्जा प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । इस अवसर पर सभी कक्षाओं ने रंगोली बनाकर, दिये जलाकर, गुब्बारे लगाकर तथा बन्दनवार सजाकर अपने -अपने कक्षा - कक्ष को बड़े आकर्षक ढंग से सजाया। इस प्रतियोगिता में कला अध्यापक दिनेश कुमार व पीजीटी संस्कृत डा. मुनेश यादव की कक्षाएं अव्वल रही । प्राचार्य ओम कुमार ने दोनों कक्षाओं के छात्रों व कक्षा प्रभारियों को उनकी जीत पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि दिवाली का पर्व माँ लक्ष्मी की पूजा का पर्व है। और मां लक्ष्मी उसी घर में आती हैं जहां स्वच्छता व सात्विकता हो ।  इस अवसर पर बोलते हुए श्री हनुमान सिंह ने कहा कि दीपोत्सव पर हमें अपने घर व परिवेश की पूरी तरह साफ - सफाई करनी चाहिए तथा मन में यदि किसी प्रकार की बुराई या कोई व्यसन हो तो उसे भी त्यागकर मन एवं आत्मा को पूर्णतया शुद्ध रखना चाहिए । इस अवसर पर श्री सुरेश कुमार, राजेश कुमार, ज्योति शर्मा, प्रदीप कुमार, दिनेश कुमार,प्रवीन कुमार, प्रियंका, वंदना, सुरेन्द्र, बिजेन्द्र, महावीर व राजू सहित पूरा विद्यालय स्टाफ उपस्थित रहा ।
फोटो कैप्शन 07: सफाई में अव्वल रहे शिक्षकों के साथ प्राचार्य
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विश्व स्ट्रोक दिवस- 29 अक्टूबर
समय पर डाक्टर के पास न पहुंचने पर मिलते हैं बुरे परिणाम -डा. राहुल सिंगला
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कनीना की आवाज।
स्ट्रोकभारत में सड़क दुर्घटनाओं के बाद मृत्यु दर का सबसे प्रमुख कारण माना जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जब मस्तिष्क को पर्याप्त आक्सीजन या पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं और जिसके कारण मस्तिष्क कोशिकाएं मर जाती हैं। शोध से पता चलता है कि दिनों दिन इसके मरीज बढ़ते जा रहे हैं। भविष्य में इसका और भी बुरा प्रभाव मिल सकता है। जिसे संक्षेप में सीवीए के रूप में भी जाना जाता है जिसे सेरेब्रोवास्कुलर दुर्घटना मानते हैं। यह घटना तब घटती है मस्तिष्क का एक हिस्सा रक्त की आपूर्ति को खो देता है और काम करना बंद कर देता है, इससे शरीर का वह हिस्सा जिसे घायल मस्तिष्क नियंत्रित करता है काम करना बंद कर देता है। रक्त आपूर्ति में यह कमी रक्त प्रवाह में कमी के कारण उत्तकों में रक्तस्राव के कारण रक्त स्रावी हो सकती है । यह एक चिकित्सीय आपात स्थिति है क्योंकि स्ट्रोक से मृत्यु या स्थायी विकलांगता बन सकती है।
 इस संबंध में वरिष्ठ कार्डियोलोजिस्ट डा. राहुल सिंगला से बात की। उन्होंने बताया कि जब तक वास्तव में यह घटना घटित ना हो तब तक कोई चेतावनी संकेत नहीं मिलते। कुछ लक्षण ऐसे हो सकते हैं जो चेतावनी दे सकते हैं कि आपको स्टॉक हो सकता है। जिनमें इंसान मुस्कुराने की कोशिश करता है तो चेहरा एक तरफ झुक जाता है, दोनों भुजाएं उठाने का प्रयास करें तो एक नहीं उठ पाती, जब बोलता है तो वाणी अस्पष्ट होती और समझना कठिन होता है। उन्हें स्ट्रोक के समय हर मिनट मायने रखता है कि इनमें से कोई लक्षण दिखाई दे तुरंत डाक्टरी सहायता देनी चाहिए।
 उन्होंने बताया कि अक्सर लोग झोलाछाप डॉक्टर के पास जाते हैं जिससे जीवन को खतरा बढ़ जाता है। अन्य लक्षणों में रोगी को चक्कर आना, उल्टी की शिकायत हो सकती है। दाएं मस्तिष्क का स्टॉक शरीर के बाएं हिस्से को कमजोर कर देता है। स्स्ट्रोक मस्तिष्क के किस हिस्से में हुआ है उसी के आधार पर शरीर पर प्रभाव दिखाई देता है। बोलना, सुनना आदि को नियंत्रित करना भी इन्हीं का कार्य होता है जो प्रभाविता होता है।
डॉ राहुल सिंगला ने बताया स्ट्रोक के खतरे को कई कारक बढ़ाते हैं जिनमें वजन अधिक होना, शारीरिक निष्क्रियता, अत्यधिक शराब पीना, उच्च रक्तचाप, सिगरेट पीना, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह हृदय रोग आदि प्रमुख हैं। यह 55 वर्ष या अधिक उम्र में अधिक होता है महिलाओं की तुलना पुरुषों में स्ट्रोक अधिक होता है।
डॉक्टर की एक बार स्टॉक हो जाता है उसमें मस्तिष्क कोशिकाएं मर जाती उन्हें वापस ठीक नहीं किया जा सकता। ऐसे में तुरंत चिकित्सीय की सुविधा देने से भावी होनि को रोका जा सकता है।
मस्तिष्क का सीटी स्कैन और एमआरआई से मस्तिष्क स्ट्रोक का पता लग सकता है, उसी के आधार पर ही रोगी की चिकित्सा की जाती है। स्टॉक से उभरने के लिए लंबा समय लग सकता है।
फोटो कैप्शन: डा.राहुल सिंगला वरिष्ठ कार्डियोलॅजिस्ट




पशुधन कम होने से पशुओं के गले की गलाई की मांग घटी
-कई दुकानें गलाई बेचने वालों की हैं लगी
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कनीना की आवाज।
 कनीना बस स्टैंड और अनाज मंडी में कई दुकानें पशुओं के गले में बांधे जाने वाली गलाई की लगी हुई हैं। दुकानें तो सजी हुई है परंतु ग्राहक कम हो गए हैं क्योंकि पशुधन ही कम होते जा रहे हैं। एक वक्त था जब हर घर में पशुधन होते थे, दीपावली के दिन जहां पशुओं के शरीर और सींगो पर लाल मिट्टी/गैरूं के छापे लगाए जाते थे और गले में गलाई जरूर बांधी जाती थी। जो दीपावली का सूचक होती थी। ऊंट रखने वाले, बैल रखने वाले  तथा गाय, भैंस, बकरी, भेड़ आदि रखने वाले उनको खरीद कर ले जाते थे किंतु आज के दिन न तो पशुधन रहा और न ही ऊंट आदि रखने वाले लोग रहे। यही कारण है कि गलाई की मांग घटती जा रही है।
 जगतपाल गलाई बेचने वाले ने बताया कि उनकी इच्छा है कि दीपावली पर उनकी अच्छी बिक्री हो सके परंतु दो-चार ग्राहक ही उनके यहां आप आते हैं क्योंकि पशुधन कम हो गए हैं परंतु जितने भी बिकेंगे उन्हीं से सब्र कर लेंगे। दीपावली पर अन्य चीजों की दुकान बहुत लगी हुई हैं। इस संबंध में कुछ लोगों से चर्चा की गई जिनके विचार निम्न है--
 एक वक्त था जब गलाई खरीदना दीपावली के दिन शुभ माना जाता था और हर पशुधन रखने वाला गलाई जरूर बांधता था ताकि कुछ दिनों तक पशु अलग से दिखाई देने लग जाता था और  पशुओं के गले की शोभा बनते थे। किंतु समय के चलते गए गौशालाओं में मिलती हैं। कोई इक्का दुक्का व्यक्ति ही पशु रखता है। इसलिए गलाई की मांग घटती जा रही है।
--- गाजेराम
आज के दिन जितनी सुंदर और सजीली गलाई मिलती है वो पहले कभी नहीं मिलती थी। परंतु पहले के जमाने में जब गलाई की मांग अधिक होती थी। सामान्य सी गलाई खरीदते थे या स्वयं बना लेते थे। आज तो बहुत सुंदर सजीली गलाइयां मिलती है परंतु अफसोस कि पशुधन घट गए हैं। इसलिए गलाई के धंधे में रोटी रोजी निकाल पाना कठिन है। बहुत से लोग जो पशु रखते हैं वो भी गलाई बांधने से हिचकिचाते हैं।
--- ओमप्रकाश
फोटो कैप्शन 5: गलाई बेचता जगतपाल साथ में गजेराम और ओमप्रकाश



धन तेरस 29 अक्टूबर को
क्षेत्र में धनतेरस को लेकर सजी बर्तन की दुकानें
-हर घर से खरीदते हैं बर्तन
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कनीना की आवाज।
 कनीना क्षेत्र में मंगलवार को धन तेरस का पर्व मनाया जाएगा जिसको लेकर बाजार में बर्तनों की दुकानें सज गई हैं।
  कनीना क्षेत्र में दो दिनों पूर्व से ही दिवाली पर्व की धूम मची है। बाजारों में भारी रौनक देखने को मिली है वहीं बर्तनों की दुकानों पर दुकानदार ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं।
 दीपावली की रौनक के चलते बाजार सजने लगे हैं। दीपावली के पर्व को महज दो दिन ही बाकी हैं और बाजार में रौनक आने लगी है। बाजार सजने लगे हैं। अब तक ऐसा लग रहा था कि रौनक फीकी रहेगी किंतु अब धीरे-धीरे बाजार सजने लगे हैं।  धीरे-धीरे बाजार में रौनक आने लगी है और भीड़ के चलते आवागमन में परेशानी होने लगी है। मुख्य मार्गों पर भी दुकानों की वजह से मार्ग संकीर्ण बन गए हैं। क्या कहते हैं दुकानदार एवं ग्राहक--
  इस दिन का लंबे समय से इंतजार होता है। इस दिन अन्य दिनों की बजाय सबसे ज्यादा बर्तन बिकते हैं। इस दिन लगभग हर घर से बर्तन खरीदने के लिए बाजार आते हैं। बर्तन वालों के लंबी कतार देखने को मिलती है। अब वो समय आ गया है।
---मुकेश कुमार, दुकानदार
आचार्य दीपक कौशिक का कहना है कि धन तेरस के दिन ही राक्षसों एवं देवताओं के बीच हुए समुद्र मंथन से अमृत निकला था जिसे पाने के लिए देवता अपना अपना बर्तन लिए बैठे थे और धनवंतरि सभी को अमृत बांट रहे थे। उसी दिन से माना जाता है कि धनवंतरि उन्हें अमृत बाटने आते हैं। इस दिन लोग नए बर्तन में धनवंतरि से अमृत पाने की इच्छा से बर्तन खरीदते हैं।
  --आचार्य दीपक
घर परिवार में बर्तनों की जरूरत होती है किंतु इस दिन का विशेष इंतजार होता है क्योंकि इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है। वे जरूर बर्तन खरीदकर ले जाएंगे। चाहे बर्तना छोटा हो या बड़ा मांग के अनुसार खरीद ही लेते हैं।
---सुरेंद्र सिंह, बव्वा
यह कामना करते हुए कि धनवंतरि उन्हें नये खरीदे हुए बर्तन में अमृत देकर जाएंगे धतेरस को बर्तन खरीद लेते हैं। वैसे भी बर्तन की जरूरत हर घर में ही होती है। साल में एक बार कई कई बर्तन भी खरीद लेते हैं।
---जितेंद्र कुमार
फोटो कैप्शन 04: बर्तनों की सजी दुकानें
साथ में जितेंद्र, सुरेंद्र, मुकेश एवं दीपक कौशिक






गर्मी एवं सर्दी में लोग बसों का खुले आसमान के नीचे करते हैं इंतजार
- 6 महीने पहले बस स्टैंड को दिया था तोड़
-अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं, रोष
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कनीना की आवाज।
 कनीना का पुराना बस स्टैंड तोड़कर उसे आधुनिक रूप देने के लिए करीब 6 महीने पहले इसके भवन को तोड़ डाला था। तब से आज तक कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ है। सभी रोडवेज बसे और निजी बसें खुले आसमान के नीचे खड़ी रहती है तथा विभिन्न यात्री 45 डिग्री तक का ताप सहन करते बसों का इंतजार करने को मजबूर होते हैं।
सर्दी, बरसात या गर्मी में यात्री बेहद परेशान नजर आते हैं। सबसे बड़ी बात है कि आसपास कोई पेड़ भी नहीं है जिनकी छाया में यात्री खड़े हो सके। उनके साथ छोटे बच्चे और बुजुर्ग लोगों परेशानी सहन करनी पड़ रही है।।
उल्लेखनीय है कि 1976 में तत्कालीन परिवहन मंत्री कर्नल राम सिंह ने इस कनीना के नए बस स्टैंड परिसर का उद्घाटन किया था। तत्पश्चात इसमें सुधार होता रहा और करीब 6 महीने पहले फिर से इसमें नया रूप देने के लिए सारे भवन को ही तोड़ डाला। वर्तमान में एक ईंट भी नजर नहीं आती। परिणाम यह है कि यात्री बेहद परेशान, इधर-उधर घूमते रहते हैं। सभी बसें यहीं आकर खुले मैदान में ठहरती हैं।  इंतजार करते-करते लोगों में भारी रोष पनप रहा है। इस भवन का निर्माण कार्य शुरू करने की मांग की है, परंतु अभी नहीं लगता कि निर्माण कार्य जल्द ही शुरू हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कनीना से रेवाड़ी, दिल्ली, कोसली रोहतक, चरखी दादरी, भिवानी, हिसार ,महेंद्रगढ़ लोहारू, अटेली, बहरोड़, जयपुर, पलवल आदि स्थानों पर बसें जाती है और यह बस स्टैंड  चारों ओर से सड़क मार्गों से जुड़ा हुआ है। ऐसे में यहां के बस स्टैंड का होना बहुत जरूरी है। झाड़ झंखाडों से आच्छादित है वहीं पूर्व दिशा में दिवार तक नहीं है।
 यात्री रमेश कुमार, महेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह, दिनेश कुमार, महेश कुमार, राम सिंह आदि ने बताया कि जब भी उन्हें बसों से सफर करना होता है तो कनीना से बसें पकडऩा एक बड़ी समस्या बन जाता है। लंबे समय तक बसों का धूप में इंतजार करना पड़ता है। तत्पश्चात बसें मिलने पर गंतव्य स्थान पर जाना पड़ता है। उनकी मांग है कि अविलंब बस स्टैंड का निर्माण कार्य किया जाए।  जनरल मैनेजर ने तीन माह पहले बताया था कि कनीना के बस स्टैंड को तोड़ दिया गया है परंतु इसके स्थान पर अब टेंपरेरी टीन शेड बनाई जा रही है ताकि गर्मी एवं बरसात में बचाव हो सके। वर्षा और गर्मी में टीन शेड के नीचे खड़े हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि नए बस स्टैंड का स्केच/ नक्शा बनाकर पीडब्ल्यूडी विभाग को दे दिया गया है। पीडब्ल्यूडी विभाग ने इसे निर्मित करना है और उन्हें विश्वास है कि जल्दी नक्शा पास होते ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। तब तक लोगों को कठिनाइयां झेलनी पड़ेंगी। परंतु अभी तक अस्थाई टीन शेड निर्माण कार्य भी नहीं हुआ है।
 इस संबंध में यात्रियों से बात हुई बात हुई। क्या कहते हैं यात्री-
बस स्टैंड भी नहीं है और टीन शेड भी नहीं है ऐसे में दुकानों पर बसों का इंतजार करना मजबूरी हो जाता हैं। दुकानदार भी दुकानों पर बगैर सामान खरीदे बैठने तक नहीं देते हैं। यात्री कहां जाए।
   --सतीश मित्तल
रोड़वेज बसों का कोई समय नहीं है। इंतजार करना मजबूरी है। इस मजबूरी में कहीं कोई जगह नहीं जहां खड़ा हो सके। ध्सर्दी एवं गर्मी का डर सताता रहता है। यात्रियों के लिए बेसिक सुविधाएं तो प्रदान करें। न तो पानी और न टायलेट। इससे बुरी जगह कोई नहीं हो सकती।
    --अनिल कुमार।
फोटो कैप्शन 03: कनीना में खुल आसमान के नीचे खड़ी बसें।
02: झाड़ झंखाड़ से आच्छादित बस स्टैंड का एक भाग
साथ में सतीश मित्तल एवं अनिल कुमार





ऐसे मनाएंगे दीपावली  
घर की मिठाई खाकर सादगी से मनाएंगे दीपावली
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कनीना की आवाज।
इस बार क्षेत्र के युवा घर की बनी मिठाई खाकर,चाइनीज आइटम नहीं खरीदेंगे और दीपावली सादगी से मनाएंगे। दीपावली को घी के दीये जलाकर एवं आपस में मिलकर दीपावली मनाना चाहते हैं। वे एक नारा लगा रहे हैं कि घर की मिठाई खाकर, आपस में मिलकर घी के दीये जलाएंगे।  उनका मानना है कि लाखों रुपये चाइनीज आइटम पर खर्च होते हैं वे खर्च नहीं किए जाएंगे। क्या कहते हैं दीपावली मनाने वाले-
चीन के बने सामान, लाइट आदि नहीं खरीदेंगे। देसी घी को दीये में डालकर दीपावली के दिन बुजुर्ग पुराने समय से जलाते आ रहे हैं। बुजुर्ग बहुत बुद्धिमान थे। अब उन्हीं के कदमों पर चलकर वे इस बार दीवाली को देसी घी के दीयों से मनाएंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे।  
   --डा. वेदप्रकाश
वे कई वर्षों से देसी घी के दीये जलाते आ रहे हैं। न केवल बड़ी या छोटी दिवाली अपितु मुख्य दिवाली के दिन घर में विभिन्न स्थानों पर रखे जाने वाले समस्त दीये देसी घी से ही जलते हैं। उनके अनुसार देसी घी का दीया जलाने का अर्थ है कि वातावरण की देखभाल करना तथा सभी के जीवन की मंगलकामना करना। उन्होंने इन दीयों को अंधकार दूर करने वाला तथा दिलों में शुद्धता भरने वाला प्रतीक बताया। चीन के बने दीपावली के आइटमों से दूर रहने की सलाह दी है।
---मनोज कुमार एडवोकेट
मैं घर पर बनी मिठाई खाऊंगा तथा दूसरों को प्रेरित करूंगा। न केवल स्वयं देसी घी के दीये जलाएंगे अपितु दूसरों को भी इस बार देसी घी के ही दीये जलाने के लिए प्रेरित करेंगे। उनके अनुसार देसी घी के दीये जलाना एक हवन या यज्ञ के बराबर होता है। पर्यावरण का प्रदूषण दूर होता है तथा सुगंधित वातावरण बन जाता है। दीये का प्रकाश जहां तक जाता है वहां तक हानिकारक कीट नष्ट हो जाते हैं।
-------डा. ज्ञान सिंह
हमारी संस्कृति के अनुसार घी के दीये जलाना शुभ माना जाता है और ऐसे में वे देशी घी के दीये स्वयं भी जलाते हैं और दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि बाजार की मिठाई नहीं खरीदेंगे, चाइनीज आइटमों का सदा बहिष्कार करते आये हैं।  दीये खरीदने पर बल देंगे।
-- बीजेंद्र सिंह
फोटो कैप्शन 06: बीजेंद्र सिंह, डा. ज्ञान, डा. वेद प्रकाश, मनोज एडवोकेट





  दीपावली पर्व नहीं महापर्व है
-धन तेरस से शुरू हो रहा है महापर्व
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कनीना की आवाज।
दीपावली का पर्व एक पर्वों का समूह है। इस पर्व से पहले तथा बाद में भी दीपावली की धूम रहती है। मंगलवार से ही दीपावली पर्व की शुरूआत हो जाएगी। धन तेरस का पर्व मनाया जा रहा है जिसके बाद तो एक के बाद एक पर्व लगातार चलते रहेंगे।
    ग्रामीण अचल में मंगलवार धन तेरस के दिन से ही दिवाली के दीये जलाने शुरू कर दिए जाते हैं। इस दिन माना जाता है कि बर्तन खरीदना लाभकारी है। यही कारण है कि इस दिन बर्तनों की दुकानों पर भारी भीड़ मिलती है। धन तेरस के दिन ही बर्तन क्यों खरीदे जाते हैं। के विषय में माना जाता है कि देवताओं और दानवों के द्वारा समुद्र मंथन के पश्चात इसी दिन ही धनवंतरि अमृत कलश लेकर समुद्र से बाहर आए थे। अमृत पाने के लिए देवता बर्तन लेकर दौड़े थे। इसी कारण से यह दिन धनवंतरि त्रयोदशी कहलाता है। लोगों का मानना है कि धनवंतरि इस दिन ही सभी को अमृत बांटते हैं और अमृत पाने की लालसा को लेकर नए बर्तन खरीदे जाते हैं। प्रार्थना की जाती है कि उनका यह नया बर्तन अमृत से भरा रहे और परिवार खुश एवं खुशहाल रहे। वैद्य के लिए यह दिन अति शुभ माना जाता है।
   दिवाली के एक दिन पूर्व बुधवार नरक चतुर्दशी व छोटी दीपावली का त्योहार आता है। यह पर्व श्रद्धा एवं उल्लास से मनाया जाता है। इस दिन सुबह सवेरे स्नान करना लाभप्रद माना जाता है। अतरू लोग सूर्योदय से पूर्व ही स्नान करते हैं। इस पर्व को ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी दिवाली का पर्व कहा जाता है। नरक चतुर्दशी का पर्व असुर नरकासुर की याद दिलाता हैं। अति अभिमानी और देवताओं को सताने वाला नरकासुर राक्षस का भगवान् श्रीकृष्ण ने इसी दिन वध किया था। कहीं मृत्यु का देवता उन्हें नरक न प्रदान करेए इस भय के मारे लोग यमराज की पूजा करते हैं। इसे दूसरे दिन की दिवाली भी कहा जाता है।
 गुरुवार को दिवाली का पर्व अंधेरे को मिटाने वाला तथा प्रकाश रूपी पुष्प भेजने वाला हिन्दुओं का महान पर्व है। जब भगवान् श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास भेजा गया था तभी से प्रजाजन अति दु:खी थे और पल.पल उनको याद करते रहते थे। आखिरकार एक दिन रावण ने सीता का ही हरण कर लिया और उन्हें लंका ले गया। हनुमान की सहायता से जब सीता का पता लगाया तो भगवान् श्रीराम ने लंका पर धावा बोलकर रावण का वध कर दिया जिसे दशहरा नाम दिया गया । उस दिन पश्चात श्रीराम अयोध्या के लिए लौट चले थे। जब श्रीराम अयोध्या लौटे तो लोगों ने खुशी के मारे तीन दिन देशी घी के दीये जलाए थे। तभी से यह त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। अमावस्या के दिन घोर अंधेरा होता है किंतु दीप जलाकर इस अंधेरे को नष्ट कर दिया जाता है। इस त्योहार पर घरों और आवास को चमकाया जाता है। लक्ष्मी सरस्वती और गणेशजी की पूजा की जाती है।
   दिवाली के अगले दिन शुक्रवार को अन्नकूट का पर्व मनाया जाता है। इसे गोवर्धन नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मंदिरों में खिचड़ी व कढ़ी बांटी जाती हैं जिसे प्रत्येक जन चाव से खाता है। गोवर्धन पर्व से जुड़ी है, श्रीकृष्ण और इन्द्र देव के बीच का प्रसंग। एक बार इंद्र देव भगवान् श्रीकृष्ण से कुपित हो गए और मूसलाधार वर्षा करने लगे। गोकुल में इतनी भारी वर्षा देखकर ग्रामीण भयभीत हो गए और चारों ओर त्राहि.त्राहि मच गई। जीव जल में डूबकर मरने लगे तो ग्रामीण दौड़कर भगवान् श्रीकृष्ण के पास आए। भगवान् श्रीकृष्ण ने उस वक्त गोवर्धन पर्वत ही अपनी अंगुली पर उठा लिया और गोकुलवासियों को उसके नीचे आने का आदेश दिया। इस प्रकार इंद्र का गर्व चूर.चूर हो गया और खुश होकर ग्रामीणों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इसी दिन आजकल गाय आदि की पूजा करने का विधान भी है। विश्वकर्मा जयंती भी मनाई जा रही है।
   दिवाली के दूसरे दिन शनिवार को भैया दूज नाम से जाना जाता है। यह पर्व भाई बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है। विवाहित महिलाएं इस दिन अपने भाई को बुलाकर उनका आदर सत्कार करती हैं। तथा उनके दर्शन किए बगैर अन्न भी ग्रहण नहीं करती हैं। बहन भाई को तिलक करके उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए यमराज की पूजा करती हैं। इस प्रकार दिवाली का पर्व पूरे पांच दिनों तक चलने वाला पर्व हैे जिसका महत्व आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में उतना ही है जितना पहले कभी होता था।







































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Participants Category
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 विशेष
1. आपके Registration के समय जो OTP आएगा वो आपका पासवर्ड रहेगा तथा आपका फोन न. आपका लॉगिन आईडी रहेगा।

2. Registration करते समय Referral/Motivator Contact Number में Motivator.  का मोबाइल नंबर  9416348400
डा. होशियार सिंह यादव ही भरें।

3. प्रतिदिन 5 वैकल्पिक प्रश्न पूछे जाएँगे जिनका उत्तर आपको देना होगा ।

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डा. होशियार सिंह यादव



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