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Thursday, October 10, 2024


 

मेरा शिक्षा का सफर -पुस्तक से साभार- 32
--10 सालों के अथक प्रयासों से मिली पत्रकारिता की अनुमति
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कनीना की आवाज।
 कनीना निवासी होशियार सिंह 40 सालों तक विभिन्न प्रकार की शिक्षा से जुड़ी सेवा देकर 30 अप्रैल 2024 को धनौंदा से सेवानिवृत्त हो गए। उनके जीवन और शिक्षा के सफर से संबंधित एक पुस्तक प्रकाशित हो रही है। इस पुस्तक में संपूर्ण जीवन इतिहास लिखा हुआ है। पुस्तक में एक बहुत सुंदर एवं रोचक प्रसंग भी आता है कि पत्रकारिता की अनुमति कैसे मिली? इस पत्रकारिता से संबंधित डा. होशियार सिंह के मुख से ही उनके शब्द नीचे दिये गये हैं। उन्हीं की जुबानी सुनिए--
 मुझे पत्रकारिता करने का छोटी उम्र से ही शौक चढ़ा हुआ था। यहां तक की पत्रकारिता में जहां कनीना के निवासी पत्रकार दीपचंद यादव को मेरे से पहले पत्रकारिता में आने श्रेय जाता है। उनके कुछ बाद ही मैं भी पत्रकारिता में आ गया था। अंतर इतना रहा कि वोबड़े समाचार पत्र के पत्रकार थे किंतु मैं बहुत छोटे समाचार पत्र का पत्रकार था जो राजनीतिक मंच नाम से गोहाना से प्रकाशित होता था। तत्पश्चात धीरे-धीरे एक के बाद एक ऐसा कोई समाचार पत्र नहीं जिसमें काम करने का मौका या कोई लेख/ कविता आदि प्रकाशित नहीं हुई हो। परंतु पत्रकारिता के चलते जहां मेरा पूरा परिवार जुड़ा हुआ है। मेरी स्वर्गीय पत्नी सुमन यादव भी दैनिक ट्रिब्यून की पत्रकार रह चुकी है और लेखिका भी रही है। कनीना की प्रथम महिला पत्रकार होने का श्रेय उन्हीं को जाता है। यह सत्य है कि पत्रकारिता में जमकर काम किया। तत्पश्चात जब मेरी ज्यादा जांच हुई तो मैंने पत्रकारिता अपनी पत्नी के नाम करवा दी थी। पत्रकारिता में बना रहना बहुत कठिन काम था, कितनी ही बार जांच हुई परंतु 1995 से जब मैं शिक्षा विभाग में आया तभी यह जांच होनी शुरू हुई। जबकि शिक्षा विभाग में आने से पहले पत्रकारिता में पहले आ चुका था।
 1995 के बाद एक के बाद एक जांच होती रही और हर जांच में कुछ भी नहीं निकलता। चूंकि 1994 में जब पत्रकारिता का डिप्लोमा किया तत्पश्चात पत्रकारिता पूरे जुनून पर था। उस समय दक्षिण भारत के कोचीन, कोच्चि से यह डिप्लोमा करना पड़ा था। उस समय पत्रकारिता में डिप्लोमा करना बहुत कठिन काम था, नहीं पत्रकारिता का कोई डिप्लोमा इधर से होता था। डिप्लोमा होने के बाद पत्रकारिता में लगातार बना रहा। एक बार तो पावर हाउस के एसडीओ की खबर क्या लिखी मेरे विरुद्ध जिला उपायुक्त से शिकायत करवाकर सघन जांच की किंतु कोई दिक्कत नहीं आई। तत्पश्चात जब मेरी पत्नी सुमन यादव डेथ बेड पर कैंसर से पीडि़त थी और उन्हें दवा देने के लिए घर आया तो एक साथी ने उस समय  कनीना में दौरे पर आये हुए जिला उपायुक्त को शिकायत कर दी। वो कनीना स्कूल में जा पहुंचे और फिजिकल जांच कर मुुझे अनुपस्थित मान लिया और उन्होंने उच्च अधिकारियों को लिखा जिस पर लंबी कार्रवाई चली। अंतत: वह भी दुरुस्त हो गई। पत्रकारिता करने की अनुमति पाने के लिए 10 सालों का सफर तय करना पड़ा। विभिन्न अधिकारियों, मंत्रियों शिक्षा अधिकारियों को बार-बार पत्रकारिता की अनुमति के बारे में लिखता रहा लेकिन अनुमति नहीं मिली। बहुत परेशान था कितनी ही बार जांच होती कहीं मेरे विरुद्ध ही लोग खड़े हो जाते, अधिकारी भी मेरे विरुद्ध खड़े मिलते, बहुत कठिन और जोखिम भरा कार्य बन गया था पत्रकारिता और शिक्षा विभाग साथ-साथ चलाना परंतु तत्कालीन शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा से भी अनुमति ली, जगदीश यादव मंत्री से भी अनुमति लेकर शिक्षा विभाग को लिखा लेकिन परिणाम शून्य रहा। पत्रकारिता की अनुमति मिली वह भी 2005 में और एक संयोगवश। पत्रकारिता की अनुमति मिली वो लालाराम गणित अध्यापक के चलते। वो कनीना स्कूल में मेरे पास बैठते थे। एक दिन अनायास ही मैंने उनसे बताया कि मैं पत्रकारिता के लिए बहुत परेशान हूं, अनुमति नहीं मिल रही है। लालाराम जी ने कहा बस इतनी छोटी सी बात है। मेरे को पहले बता देते, मेरा दावा है कि मैं दो-तीन दिनों में आपको पत्रकारिता की अनुमति दिलवा दूंगा। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि जब मैं 10 सालों से अनुमति नहीं पा सका तो श्रीमान जी कैसे दिलवाएंगे परंतु शत प्रतिशत सही निकले। लालाराम जी ने अपने किसी परिचित को शिक्षा विभाग में फोन मिलाया और पत्रकारिता की अनुमति देने की बात की। आश्चर्यजनक मुश्किल से चार दिनों बाद जिला शिक्षा अधिकारी नारनौल से फोन आ गया कि आपको पत्रकारिता की अनुमति मिल गई है। आप अपना पत्र ले जा सकते हैं। उसे समय कृष्ण सिंह प्राचार्य कनीना, कनीना स्कूल में होते थे। उन्होंने आर्डर बुक में भी पत्रकारिता की अनुमति के बारे में लिखा लेकिन सरकार ने कई बंदिश भी लगा दी। पत्र में जहां हर साल टैक्स में आय को पकडऩे, सरकार के विरुद्ध कोई समाचार ने लिखने की बात कह डाली जिसके चलते पत्रकारिता जो खुले ढंग से होनी चाहिए वह नहीं कर पाया और 30 अप्रैल 2024 को जब सेवानिवृत्त हो गया तो स्वतंत्र हो गया। अब सभी बंधनों से मुक्त होकर पत्रकारिता कर रहा हूं लेकिन वह वक्त अब लौटकर नहीं आएगा। उस वक्त जहां एक बार एसडीएम ने, दो बार जिला उपयुक्त नारनौल ने अलग-अलग समय में तथा कई अन्य अधिकारियों ने मेरी जांच भी की। पत्रकारिता के विषय में एक राक्षस जो शिक्षा विभाग में आज भी है जिसे कलंक नाम से सभी जानते हैं उसने तो उच्च अधिकारियों को बहुत बार मेरी शिकायत की। वास्तविकता है कि ऐसा व्यक्ति शिक्षा में रहने योग्य नहीं हैं और उसे पढ़ाने का ज्ञान भी नहीं है।और उसको उसने मेरी शिकायत बहुत बार करने पर भी हर बार कोई न कोई बचने का उपाय मिल गया। आखिर शिक्षा विभाग का सफर भी तय किया और पत्रकारिता का सफर भी तय किया। पूरा विस्तार से मेरी पुस्तक में पढ़े।







रतन टाटा को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा
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कनीना की आवाज।
रतन टाटा के निधन पर क्षेत्र के समाजसेवियों तथा प्रबुद्ध जन लोगों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
 इस अवसर पर समाज सेवी ठाकुर रतन सिंह तंवर, राजकुमार शेखावत, प्रदीप चौहान, भगत सिंह यादव, बलवान आर्य, कमल यादव, महेश बोहरा, विजय कुमार आर्य ,ठाकुर कर्मवीर सिंह, कैलाश गोयल, फतेहचंद दायमा,अधिवक्ता रामनिवास शर्मा आदि ने जानकारी देते हुए बताया कि रतन टाटा के निधन पर समूचे देश को जो आघात पहुंचा है वह किसी से छुपा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा रतन टाटा ने अपने जीवन काल में जो कमाया उसमें से 80 प्रतिशत हिस्सा आम जन व गरीब लोगों की भलाई में लगाया है। इस प्रकार के दानवीर को हमेशा याद किया जाता रहेगा। उन्होंने यह भी कहा जिस प्रकार कर्ण जैसा दानी बहुत मुश्किल से हुआ था, अगर उसके बाद कहीं किसी का दान करने में नंबर आता है तो वह रतन टाटा का है। उन्हें आधुनिक युग का कर्ण भी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।




सड़क के किनारे पड़े बिजली के खंभे दे रहे हैं हादसे को निमंत्रण
-हादसों का है डर
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कनीना की आवाज।
सड़क के साथ किनारे लगते हुए पड़े बिजली के खंभे सड़क दुर्घटना को निमंत्रण दे रहे हैं। कनीना के निकटवर्ती ग्राम धनौंदा  में कनीना से दादरी जाने वाली सड़क के पास बिजली विभाग द्वारा बिजली के दर्जनों खंभेडाल दिए गए जिसके कारण कभी भी कोई सड़क हादसा हो सकता है ग्रामीणों का कहना है की विभाग द्वारा सड़क से 20 फीट दूर यह खंभे डालने चाहिए थे लेकिन विभाग की लापरवाही के चलते ये खंभे सड़क किनारे पर डाल दिए जिसके कारण यहां कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कनीना से दादरी जाने वाली इस सड़क पर आए दिन हजारों वाहन गुजरते हैं जिसके कारण यहां पड़े बिजली के खंभे किसी को दिखाई नहीं देते और कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। ग्रामीणों ने जिला उपायुक्त से मांग कर सड़क के किनारे पड़े बिजली के खबो को तुरंत प्रभाव से दूर कराया जाए ताकि इस सड़क मार्ग से गुजरने वाले लोगों को दुर्घटना से बचाया जा सके।
 फोटो कैप्शन 03:सड़क के किनारे पड़े बिजली के खंभे





अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस -11 अक्टूबर
-आज के दिन लड़के लड़कियों में भेदभाव भावना बहुत कम-नरेश कौशिक
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कनीना की आवाज।
बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाती है। आज के दिन बालिकाओं के अधिकारों, लैंगिक समानता जैसे विषयों के प्रति लोगों को जागरूक करके मुहिम चलाई जाती है। आज के दिन बालिकाएं किसी प्रकार किसी से काम नहीं है चाहे धरती या समुद्र की गहराई का मसला हो या चांद पर पहुंचने का मसला हो। हर जगह बालिकाओं का बहुत बड़ा योगदान होता है। एक वक्त था जब लड़कियों को कम चाहते थे और लड़के को अधिक चाहते थे किंतु आज के दिन लड़के और लड़कियों को बराबर समझा जाता है। प्रदेश सरकार ने जैसे मुहिम बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा दिया और मुहिम चलाई तब से बालिकाओं का नाम अग्रणी है। क्षेत्र में विभिन्न बच्चियों नाम कमा रही है, इस बात को इंगित करता है लड़कियां आज हर क्षेत्र में आसमान छू रही है। इस संबंध में लोगों से प्रबुद्ध जनों से चर्चा की गई जिनके विचार निम्न हैं-
**विभिन्न स्कूलों में जहां लड़कियों के लोगों लगे हुए हैं। बेटी बचाओ बेटी बचाओ तथा बच्चियों के साथ होने वाले किसी प्रकार की अन्य को रोकने के लिए सरकार कटिबद्ध है। विभिन्न स्कूलों में जहां बालिका मंच कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनके जरिए स्कूली बच्चियों को जागरूक किया जाता है। बाल श्रमिक रोकने भ्रूण हत्या रोकने, समाज की विकृत मानसिकता को रोकने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा कानूनी जागरूकता कार्यक्रम लगाए जाते हैं। लड़कियों के लिए दहेज प्रथा, बाल विवाह पर पूर्ण रोक लगाई हुई है बच्चियों का हर प्रकार से आगे लाने का प्रयास किया जा रहा है।।
              -----लक्ष्मी देवी समाजसेविका
बेटियां हर घर की शान होती हैं, बेटियां ईश्वर का वरदान होती हैं। बेटियां सबके नसीब में कहां होती हैं, भगवान को जो घर पसंद हो वहां होती हैं। आज बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से पीछे नहीं है। बात चाहे चंद्रयान-3 की स्वर्णिम सफलता की हो या सिविल सर्विस की परीक्षा में टॉपर आने की ,ओलंपिक में मैडल लाने की बात हो या फिर सरहदों पर पहरा देने की व फाइटर प्लेन उड़ाने की। बेटियां आज हर क्षेत्र में बेटों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम बेटियों के प्रति अपनी सोच बदलें तथा उन्हें समाज में बराबरी का दर्जा देने की पहल करें उनके जन्म पर उत्सव मनाए तथा उनकी कल्पना की उड़ान को मूर्त रूप देने में उनकी मदद करें। ये निश्चित ही एक दिन आकाश छू लेंगी तथा माता-पिता व देश का नाम रोशन करेंगी।
     ----मदन मोहन कौशिक प्राध्यापक
बालिका शिक्षा के बढ़ावे से ही समाज का विकास संभव है। सामाजिक संस्थाओं को आगे आकर बालिका सशक्तिकरण, बालिका जागृति, बालिका स्वावलंबन, बाल विवाह, दहेज प्रथा के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। बालिकाओं को शिक्षा के साथ-साथ आत्म रक्षा स्वावलंबन भी बनने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए। राज्य में लिंगानुपात पिछले वर्षों में लगातार सुधार हुआ है वहीं बाल विवाह में भी कमी आई है। प्रदेश की बेटियां विभिन्न क्षेत्रों में निरंतर नित नये कीर्तिमान रच रही है। हमें बेटियों के स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने की आवश्यकता हैं।
     ----बिजेंद्र कुमार, पूर्व शिक्षक
अगर हमारी बालिकाएं स्वस्थ और सशक्त होगी तो आने वाला देश का कल भी सशक्त होगा। बालिकाओं के विकास के लिए व उनके लिए सहयोगी वातावरण बनाने के लिए और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए अनेक प्रयासों की आवश्यकता है और इसके लिए हमें प्रतिबद्ध भी रहना चाहिए। बालिकाओं का घटता लिंगानुपात भी चिंता का विषय है। माता-पिता को बेटे बेटी में फर्क नहीं समझना चाहिए। सरकार की योजनाएं भी बालिका के जन्म को बढ़ावा देने उनके विकास के लिए प्रेरणादायक हो सकती हैं।
     ----नरेश कुमार हिंदी शिक्षक
  बालिका दिवस मनाते समय हम इस बात का मनन करें कि क्या हम वास्तव में बालिकाओं को वह स्थान दे पाए हैं जो मानव जाति को जन्म देने वाली गरिमामयी  शख्सियत को मिलना चाहिए था । प्रधानमंत्री ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत जोरदार की लेकिन बेटियों के साथ होने वाले हादसे काम नहीं हुए। कड़े कानूनी प्रावधानों के बावजूद बालिकाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है। सही मायने में बालिका दिवस की सार्थकता तब मानी जाएगी जब हर गरीब, बेसहारा की बेटी को शिक्षा स्वास्थ्य तथा जीवन यापन बेरोजगार के उचित अवसर मिलेंगे।
--- नरेश कुमार कौशिक हेड मास्टर राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, कनीना
फोटो कैप्शन: नरेश कुमार, बिजेंद्र सिंह, लक्ष्मी देवी,मदनमोहन, नरेश कुमार मुख्याध्यापक






सेना भर्ती में शारीरिक परीक्षण के लिए प्रवेश पत्र जारी
-   4 से 14 नवंबर तक भीम स्टेडियम भिवानी में होगा शारीरिक प्रशिक्षण
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कनीना की आवाज।
सेना भर्ती कार्यालय चरखी दादरी की ओर से महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, चरखी दादरी व भिवानी जिलों के लिए अग्निपथ योजना के तहत आयोजित सेना भर्ती में ऑनलाइन परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए शारीरिक परीक्षण के लिए प्रवेश पत्र जारी कर दिया है।
यह जानकारी देते हुए सेना भर्ती कार्यालय के निदेशक कर्नल के संदीप ने बताया कि उम्मीदवार जॉइन इंडियन आर्मी  वेबसाइट पर जाकर अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि भर्ती रैली का आयोजन भीम स्टेडियम भिवानी में 4 से 14 नवंबर के बीच किया जाएगा। कर्नल के संदीप ने बताया कि  उम्मीदवार अपने साथ दसवीं एवं बारहवीं पास की अंकतालिका, मूल निवास स्थायी प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, चरित्र प्रमाणपत्र  केवल नायब तहसीलदार/ तहसीलदार द्वारा ऑनलाइन जारी किया हुआ। साथ में उम्मीदवारों को ऐफिडेविट (भर्ती नोटिफिकेशन  के अनुसार), 20 रंगीन पासपोर्ट साइज़ फोटो और अविवाहित होने का  प्रमाणपत्र लाना होगा ढ्ढ  उन्होंने बताया कि जिन उम्मीदवारों के पास टेक्निकल शिक्षा प्रमाणपत्र , एनसीसी और वैध खेल कूद प्रमाणपत्र हो तो उसे अपने साथ जरुर लेकर आएं ढ्ढ जिन उम्मीदवारों के पिताजी सेवानिवृत या सेवारत हैं वे उम्मीदवार 'रिलेशनशिप  सर्टिफिकेट एवं साथ में 'डिस्चार्ज बुक की कॉपी लेकर भर्ती के लिए आएं ढ्ढ सेना भर्ती चरखी दादरी के भर्ती निदेशक कर्नल के संदीप ने युवाओं से आह्वान किया है कि एडमिट कार्ड डाउनलोड करने में कोई दिक्कत होती है तो भर्ती कार्यालय चरखी दादरी में संपर्क करें। भर्ती कार्यालय चरखी दादरी सम्पूर्ण मदद करेगा।  
उन्होंने बताया कि युवाओं को अग्निवीर बनने के लिए 1600 मीटर की दौड़ लगानी होगी। कम से कम 6 और अधिकतम 10 चिनअप्स करने होंगे। 9 फीट डिच को पार करना होगा, जिग जैग बैलेंस करना होगा। उन्होंने बताया कि 4 नवंबर को अग्निवीर टेक्निकल, जिला  महेंद्रगढ़, रेवाडी, चरखी दादरी और भिवानी जिलों के सभी तहसीलों के अभ्यर्थी भाग लेंगे । 5 नवंबर को अग्निवीर ओए/एसकेटी और अग्निवीर ट्रेड्समैन जिला  महेंद्रगढ़, रेवाडी, चरखी दादरी और भिवानी जिलों के सभी तहसीलों के अभ्यर्थी भाग लेंगे । 6 नवम्बर को अग्निवीर जनरल ड्यूटी जिला महेंद्रगढ़ व रेवाडी के तहसील नांगल चौधरी, बावल, दाहिना, नाहर और पाल्हावास के अभ्यर्थी भाग लेंगे। 7 नवम्बर को अग्निवीर जनरल ड्यूटी जिला महेंद्रगढ़ और चरखी दादरी के तहसील बाढड़ा, नारनौल और सतनाली के अभ्यर्थी भाग लेंगे। 8 नवम्बर को अग्निवीर जनरल ड्यूटी जिला  महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और चरखी दादरी के तहसील चरखी दादरी, कोसली और अटेली के अभ्यर्थी भाग लेंगे । 9 नवम्बर को अग्निवीर जनरल ड्यूटी जिला  रेवाड़ी और भिवानी के तहसील रेवाडी और लोहारू के अभ्यर्थी भाग लेंगे । 10 नवम्बर को अग्निवीर जनरल ड्यूटी जिला भिवानी, महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी के तहसील बवानी खेड़ा, महेंद्रगढ़, धारूहेड़ा और मनेठी के अभ्यर्थी भाग लेंगे। 11 नवम्बर को अग्निवीर जनरल ड्यूटी जिला भिवानी और महेंद्रगढ़ के तहसील कनीना, सिवानी और तोशाम के अभ्यर्थी भाग लेंगे । 12 नवम्बर को अग्निवीर जनरल ड्यूटी जिला भिवानी और चरखी दादरी के तहसील बौंदकलां, भिवानी और बहल के अभ्यर्थी भाग लेंगे। उन्होंने बताया जो युवा फिजिकल टेस्ट को पास करेंगे उन अभ्यर्थियों का अगले दिन मेडिकल टेस्ट होगा।






तीन युद्ध लडऩे वाले बुद्ध सिंह को किया सम्मानित
-बैंड बाजों के साथ लाया गया स्कूल प्रांगण में
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कनीना की आवाज।
 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अगिहार के प्रांगण में मंगलवार को 1962 के भारत चीन युद्ध  व 1965 तथा 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपने अदम्य साहस और वीरता का प्रदर्शन करने वाले  वीर चक्र विजेता हवलदार बुद्ध सिंह को उनकी हिसार कैंट स्थित बटालियन चार मैकेनिक इन्फेंट्री (1) सिख रेजीमेंट के सूबेदार ओम प्रकाश  तथा उनकी टीम के द्वारा सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उनके साथ नायक लखदीप सिंह तथा नायक सतीश कुमार भी शामिल थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता गांव के सरपंच दलबीर सिंह ने की इस अवसर पर समारोह के नायक वीर चक्र विजेता बुद्ध सिंह को उनके घर से डीजे के साथ सेना की गाड़ी में बैठा कर विद्यालय प्रांगण में लाया गया  तथा ग्रामीणों तथा विद्यार्थियों ने देशभक्ति के नारों से उनका स्वागत किया। इस अवसर पर विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने देशभक्ति पूर्ण कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिनमें पल्लवी, पूजा,अर्चना,साईना नरगिस,नव्या, कल्पना मुस्कान तथा प्रवेश प्रमुख रहे।
 सूबेदार ओमप्रकाश ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को गिफ्ट देकर सम्मानित भी किया। कार्यक्रम में मंच संचालन विद्यालय में अंग्रेजी के प्रवक्ता मदन मोहन कौशिक ने किया। उन्होंने मंच से देश के जांबाज सैनिकों के नाम पर देशभक्ति पूर्ण कविताओं का वाचन भी किया। इस अवसर पर गांव के अनेक भूतपूर्व सैनिक जिसमें सूबेदार कृष्ण सिंह, हवलदार बनी सिंह, मुकेश सिंह नंबरदार, देवेंद्र सिंह, प्रमोद सिंह, विद्यालय के संस्कृत अध्यापक राकेश कुमार के अलावा वीर चक्र विजेता बुद्ध सिंह के परिजन अशोक कुमार, अमन,संदीप, कंवर सिंह सहित अनेक ग्रामीण तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 02: वीर चक्र विजेता हवलदार बुद्ध सिंह को सम्मानित करते हुए।





एक दिन के लिए सरकारी स्कूलों का समय बदला
-11 अक्टूबर को रहेगा बदला हुआ समय
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कनीना की आवाज।
 हरियाणा शिक्षा विभाग ने एक पत्र जारी करते हुए हरियाणा के सभी सरकारी स्कूलों का समय दुर्गा अष्टमी 11 अक्टूबर को समय बदल दिया है। 11 अक्टूबर को प्राप्त 10 बजे से 2:30 तक का रहेगा। उल्लेखनीय है कि दुर्गा अष्टमी और दुर्गा नवमी का पर एक ही दिन 11 अक्टूबर को मनाई जा रहा है जबकि दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। कंजकों को भोजन करवाने के कारण स्कूलों में विद्यार्थी कम आते हैं जिसके चलते समय बदलकर सराहनीय कार्य किया है।






राजकीय कन्या स्कूल की छात्राओं ने मारी बाजी
-स्कूल स्तर पर किया गया सम्मानित
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कनीना की आवाज।
 समग्र शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित खंड स्तरीय कला उत्सव कार्यक्रम का आयोजन पीएमश्री राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खेड़ी तलवाना में हुआ जिसमें राजकीय कन्या उच्च विद्यालय कनीना की छात्राओं की धूम रही। विस्तृत जानकारी देते हुए प्राचार्य नरेश कौशिक ने बताया कि थिएटर वर्ग में मोनो एक्टिंग में शिवानी  प्रथम रही वहीं पारंपारिक कहानी वाचन में खुशी और पायल ने पहला स्थान हासिल किया।
इसी विद्यालय की छात्राओं कनक, कनिषा, गुंजन, सुप्रिया व भावना ने समूह नृत्य में खंड स्तर पर द्वितीय स्थान प्राप्त किया ,देशभक्ति समूह गान में विद्यालय की छात्राएं वर्षा, आरती ,पायल ,खुशबू व तनु ने दूसरा स्थान हासिल किया पेंटिंग प्रतिस्पर्धा में नवी कक्षा की छात्रा हर्षिता खंड स्तर पर दूसरे स्थान पर रही। उनके साथ टीम इंचार्ज गृह विज्ञान की अध्यापिका शालिनी प्रधान , कंप्यूटर शिक्षक शीतल चौहान , राकेश कुमार डीपी , एसएमसी प्रधान सावित्री देवी, व कश्मीरी निंबल उपस्थित थी। इन छात्राओं को आज विद्यालय में प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
विद्यालय के मुख्य अध्यापक नरेश कुमार कौशिक ने बताया कि इस विद्यालय की छात्राओं ने जिला भर में हुई सभी प्रकार की शैक्षणिक व सांस्कृतिक गतिविधियों में अग्रणी भूमिका निभाई है तथा विद्यालय का नाम रोशन किया है।
फोटो कैप्शन 01: कनीना के राजकीय कन्या स्कूल में बालिकाओं को पुरस्कृत करते मुख्याध्यापक




विधि विधान से करें मां सिद्धिदात्रि की अर्चना
-सिद्धियों की स्वामिनी है मां सिद्धिदात्री-कौशिक
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कनीना की आवाज।
माता सिद्धिदात्रि की पूजा विधि विधान से करनी चाहिए। यह माता का अंतिम रूप होता है। यह सभी सिद्धियों की देने वाली होती है। ये विचार आचार्य दीपक कौशिक ने व्यक्त किये।
माता सिद्धिदात्री को लगाया जाने वाला भोग- .
उन्होंने बताया कि नवरात्र के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा-आराधना का होता है। माता सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली कहा गया है। नवरात्रि के नवम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। इन्हें सिद्धियों की स्वामिनी भी कहा जाता है। नवमी तिथि का व्रत कर, माता की पूजा-आराधना करने के बाद माता को तिल का भोग लगाना इस दिन कल्याणकारी रहता है। यह उपवास व्यक्ति को मृत्यु के भय से राहत देता है और अनहोनी घटनाओं से बचाता है।
हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की पुन: स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में अवतार लिया था। श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में रानी कौशल्या की कोख से, राजा दशरथ के घर में हुआ था।
 माता सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली कहा गया है। नवरात्रि के नवम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। इन्हें सिद्धियों की स्वामिनी भी कहा जाता है। नवमी तिथि का व्रत कर, माता की पूजा-आराधना करने के बाद माता को तिल का भोग लगाना इस दिन कल्याणकारी रहता है। यह उपवास व्यक्ति को मृत्यु के भय से राहत देता है और अनहोनी घटनाओं से बचाता है।











फोटो कैप्शन: आचार्य दीपक कौशिक

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