वाल्मीकि जयंती 17 अक्टूबर को
---रामायण के रचयिता हुये हैं वाल्मीकि
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कनीना की आवाज। रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की जयंती 17 अक्टूबर को मनाई जाएगी। एक और जहां 17 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का पर्व है वहीं वाल्मीकि जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है। वाल्मीकि ऐसे महर्षि हुए हैं जिन्होंने रामायण घटित होने से पहले ही लेखन कर दिया था। ग्रामीण क्षेत्र शहरी एवं शहरी क्षेत्र में महर्षि वाल्मीकि को श्रद्धा से याद किया जाता है। महर्षि वाल्मीकि जयंती मनाई जाने की तैयारी चल रही है।
दिवाली पर दे विज्ञापन ताकि समाचार होते रहे प्रकाशित
-विगत तीन वर्षों से एक भी विज्ञापन नहीं मिला
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कनीना की आवाज। प्रतिदिन समाचार संकलित करके न केवल ब्लाग के जरिये अपितु समाचारों के जरिये लोगों की सेवा की जा रही किंतु समाचार पत्र समय-समय पर हमसे विज्ञापन मांगते हैं। ऐसे में विज्ञापनदाता इस बार जरूर मदद करें ताकि खबरें लगातार प्रकाशित होती रहे। विज्ञापन के लिए कम से कम 5000 रुपये का विज्ञापन दिया जा सकता है। ताकि समाचार भी प्रकाशित होती रहे होते रहे और विज्ञापन भी प्रकाशित होते रहे। समाचार पत्र अभी तक कोई पारिश्रमिक नहीं देता है, एकमात्र विज्ञापन जरिया है जिसके जरिए कुछ कमीशन मिलता है वरना सारी मेहनत मुफ्त में चलती है। ऐसे में जो भी व्यक्ति अपनी दुकान, स्कूल या अन्य किसी प्रकार का विज्ञापन देना चाहे जरूर 9416348400 पर संपर्क करें या फिर दूसरे मोबाइल नंबर 930 6300700 पर संपर्क कर अपना विज्ञापन बुक करवा सकता है।
गीता प्रश्नोत्तरी चलेगी 17 नवंबर से
-विगत वर्ष 2000 लोगों को जोड़ा था प्रश्नोत्तरी में
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कनीना की आवाज। विगत वर्ष की भांति इस बार भी भगवत गीता पर प्रश्नोत्तरी 17 नवंबर से शुरू होगी। यह 11 दिनों तक चलेगी और हर दिन 5 प्रश्र पूछे जाएंगे। सही उत्तर देने पर प्रतिदिन भी इनाम घोषित किये जाएंगे और सभी प्रश्नों के 11 दिन तक सही उत्तर देने पर भी अलग से ईनाम दी जाती है। विगत वर्ष भी कनीना के डा. होशियार सिंह ने 2000 लोगों को इस प्रश्नोत्तरी में जोड़ा था। अनुमान है कि इस बार भी इससे ज्यादा लोगों को जोड़ा जाएगा। क्योंकि इस प्रतियोगिता में विगत वर्ष जोड़े गए कई लोगों के कई इनाम आए थे। इस वर्ष भी विश्वास है कि इनाम लेकर रहेंगे। विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी 5 प्रश्नों के संभावित उत्तर प्रतिदिन उपलब्ध करवा दिए जाएंगे और निर्धारित समय पर ही भरकर भेजना ।है प्रश्नों के उत्तर कितनी ही बार बदले जा सकते हैं। अंतिम बार बदला गया उत्तर माननीय होगा। ऐसे में सभी श्री कृष्ण के भक्तों और भागवत गीता के चाहने वालों से निवेदन है कि 17 नवंबर से शुरू होने वाले गीत प्रश्नोत्तरी में भाग लेने के लिए तैयार रहे। आगे की गतिविधियां समय समय पर उपलब्ध करवा दी जाएंगी। किसी भी जानकारी के लिए 9416348400 पर संपर्क करें या फिर मेरे दूसरे मोबाइल नंबर 9306300700 पर भी संपर्क कर सकते हैं।
मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से आभार-35
- जब मुझे विद्यार्थी समझकर अधिकारी ने मेरे से प्रश्न पूछने शुरू किये
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कनीना की आवाज। कनीना निवासी होशियार सिंह विज्ञान अध्यापक बतौर 30 अप्रैल 2024 को स्कूल सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उन्होंने 40 सालों की सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर शिक्षण कार्य किया। सरकारी स्कूलों में बेशक कद्र कम हुई हो किंतु नवोदय विद्यालय में बेहतरीन नाम कमाया है। सरकारी स्कूल से जब सेवानिवृत्त हुआ उसका हाल सभी ने सुन लिया होगा कि किस प्रकार प्राचार्य तक हाजिर नहीं हुआ? उन्होंने अपने जीवन में जहां विभिन्न स्कूलों में विज्ञान के प्रयोग करवाये और प्रयोग को के आधार पर विद्यार्थियों को शिक्षा दी। एक समय सभी था जब वो जवाहर नवोदय विद्यालय के विद्यार्थियों को लेकर कटेवड़ा, नई दिल्ली गए हुए थे और उस समय एक बहुत ही रोचक घटना घटी। वह घटना डा. होशियार सिंह यादव अपने मुख से उजागर कर रहे हैं। सुनिए उन्हीं के विचार उन्हीं की जुबानी----
बात उन दिनों की है जब मैं जवाहर नवोदय विद्यालय में शिक्षण कार्य कर रहा था। जवाहर नवोदय विद्यालय के विद्यार्थियों को एक बार अपने प्रयोग/एक्सपेरिमेंट लेकर विज्ञान प्रदर्शनी में कटेवड़ा, दिल्ली जाना पड़ा। सुमर सिंह चेयरमैन उस जमाने में मारुति चालक होते थे। उनकी मारुति से विद्यार्थियों को कटेवड़ा, नई दिल्ली ले गए। साथ में ओमप्रकाश सत्संगी भी थे। बेहतरीन विज्ञान के प्रयोग ले जाने के कारण सभी की नजरें विज्ञान के प्रयोग देखने पर टिकी हुई थी। एक विद्यार्थी को प्रयोग के समक्ष खड़ा होना था और अधिकारी आने पर उसे डिक्टेट करना था। वह विद्यार्थी कुछ सही ढंग से प्रयोग के बारे में डिक्टेट नहीं कर रहा था। मैं उस वक्त बिल्कुल जवान था और विद्यार्थियों जैसा लगता था। ऐसे में विद्यार्थियों के साथ-साथ मैंने भी डिक्टेट करना शुरू कर दिया। अधिकारी जो प्रयोग निरीक्षण करने आए हुए थे उन्होंने मेरे से कहा- बेटे, आप तो बहुत अच्छी प्रकार प्रयोग तैयार करके लाए हो? कौन सी कक्षा में पढ़ते हो? तब मैंने समझाया कि प्रयोग के लिए तो यह विद्यार्थी है और मैं शिक्षक हूं। खैरियत विद्यार्थी ने थोड़ा डिक्टेट करने में हिचकिचाहट थी इसलिए मैंने इनका साथ दिया है। अधिकारी बहुत खुश हुए, हाथ मिलाया और कहा कि तुम भी तो स्कूल विद्यार्थी जैसे लग रहे हो, बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है, आप धन्यवाद के पात्र है। वो दिन आज भी जहन में बसा हुआ है कि किस प्रकार अधिकारियों के दिलों में समा जाता था। यहां तक की विद्यालय में जब अधिकारी आते तो मंच संचालन मुझे ही करना पड़ता था और मंच से उस जमाने में भी कविताएं पढ़कर मंच संचालन किया जाता था। सत्य है कि मंच संचालन का कार्य बखूबी सी नवोदय विद्यालयों में किया है, सरकारी स्कूलों में तो महज भाषण तक ही सीमित रह गया और अंतत: अब घर पर बैठा सोच रहा हूं कि एक बार क्यों न कोचिंग कक्षाएं शुरू की जाए ताकि ज्ञान भी बरकरार रहे और विद्यार्थियों का भी हित होता रहे। इस पर अपनी राय मुझे मेरे फोन 9416348400 पर या 9306300700 पर दे सकते हैं।
नई अनाज मण्डी कनीना में की गई 784 किसानों से 20277 क्विंटल बाजरे की खरीद
--कनीना मंडी में खरीद जारी
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कनीना की आवाज। नई अनाज मण्डी कनीना में मंगलवार को 784 किसानों से 20277 क्विंटल बाजरे की खरीद की गई। सीमा पर्चेजर ने बताया कि अब तक 6920 किसानों से 187479 क्विंटल बाजरे की खरीद की जा चुकी हैं। अब तक कुल 74048 क्विंटल बाजरे का उठान कार्य किया जा चुका है । मण्डी में किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ,मण्डी में पानी की व्यवस्था, शौचालय की , साफ- सफाई व किसानों के बैठने के लिए टेंट की सभी मूल भूत सुविधाएं पूरी कर ली गईं। सचिव विजय सिंह ने किसानों से आग्रह किया कि सभी किसान अपने बाजरे को सुखा कर व साफ करके लेकर आए ताकि मण्डी में किसान को किसी भी समस्या का सामना ना करना पड़े। इसे के साथ सभी आढ़तियों को दिशा निर्देश दिए कि सभी आढ़ती किसानों की अलग-अलग ढेरी बनवाए, झरना लगवाए, साफ सफाई करवाकर के बाजरे की भराई की जाए।
फोटो कैप्शन 04 एवं 05:कनीना मंडी में बाजरे की खरीद
दुकान का शीशे का दरवाजा बंद करके लड़का कहीं गायब,
- गुमशुदगी का मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना में एक दुकान चला रहे राहुल नाम का लड़का अपनी दुकान को खोलकर शीशे का दरवाजा बंद करके कहीं चला गया। उसके पिता कैलाश चंद ने उनके लड़के की तलाशी करने की मांग की है। पुलिस में दी गई कैलाशचंद द्वारा शिकायत में कहा गया है कि उनका लड़का राहुल 14 अक्टूबर को सुबह 9:30 बजे दुकान पर आया था। दुकान बस स्टैंड के पीछे सुनीता फैशन प्वाइंट नाम से है। दुकान खोलने के बाद शीशे का दरवाजा लाक करके कहीं चला गया। हर जगह पता किया किंतु उसका कोई अता पता नहीं। उनकी शिकायत पर कनीना पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया है।
शरद पूर्णिमा 17 अक्टूबर को
- खीर बनाकर खिलाने की तैयारी शुरू
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कनीना की आवाज। 17 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन चांदनी रात में खीर बनाकर रखी जाती है और शरद पूर्णिमा के अगले दिन भक्तों को खिलाई जाती हैं। स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। विभिन्न प्रकार के मरीज इस खेल को खाकर स्वस्थ होने की बात कही जाती है। यूं तो हर गांव और मोहल्ले में खीर बनाई जाती है किंतु अकेले कनीना में ही चार विभिन्न स्थानों पर खीर बनाई जाती है और भक्तों को खिलाई जाती है। दिनेश कुमार मोलडऩाथ आश्रम ट्रस्ट प्रधान ने बताया कि कनीना में जहां मोलडऩाथ आश्रम पर, लाल गिरी महाराज आश्रम तथा राधे धाम आश्रम पर खीर बनाई जाती है वहीं उधोदास आश्रम पर तो विशेष प्रकार की दवाइयां डालकर विशेष खीर बनाई जाती है जो विभिन्न रोगियों को खिलाई जाती है। लालदास महाराज अपने हाथों से यह खीर बांटते हैं। इस दिन से माना जाता है ठंड शुरू हो जाती है। उल्लेखनीय की ठंड का सिलसिला अभी से शुरू हो गया है। सुबह सवेरे कुछ ठंड महसूस होने लगी है। 17 अक्टूबर से ठंड का सिलसिला तेज हो जाएगा। यही वक्त सरसों उगाने के लिए उत्तम माना जाता है वहीं सेहत बनाने के लिए भी यह वक्त सबसे उत्तम माना जाता है।
एसडी विद्यालय चौथी बार सीबीएसई नेशनल बाक्सिंग चैंपियनशिप की करेगा मेजबानी
-विद्यालय परिसर में राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर शामिल होने वाली टीमों के आगमन का सिलसिला जारी।
-6 विदेशी टीमों में बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, यूएई सहित पूरे भारत वर्ष सीबीएसई के 8 जोन से 925 खिलाड़ी होंगे प्रतिभागी
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कनीना की आवाज। ककराला स्थित एसडी विद्यालय में 17 अक्टूबर से नेशनल सीबीएसई बाक्सिंग प्रतियोगिता शुरू होने जा रही है। जिसको लेकर विद्यालय की तरफ से सभी प्रकार की तैयारियां पूर्ण कर ली गई है। इस विषय में जानकारी देते हुए संस्था के चेयरमैन जगदेव सिंह यादव ने बताया कि 17 अक्टूबर से शुरू होने वाली इस प्रतियोगिता में भारत सहित 6 देशों बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, यूएई के खिलाड़ी भी अपनी प्रतिभा का परिचय देंगे। जिसके लिए खिलाड़ी विद्यालय में पहुंचने शुरू हो गए है। उन्होंने बताया की इस प्रतियोगिता में मुकाबले 25 अंतरराष्ट्रीय कोचों के नेतृत्व में खिलाए जाएंगे। वहीं खिलाडिय़ों की टीमों को लाने व ले जाने की व्यवस्था, रहने व अच्छे भोजन की व्यवस्था विद्यालय प्रशासन के द्वारा की गई है। बता दे कि एसडी विद्यालय ने सन 2018 में पहली नैशनल सीबीएस बाक्सिंग चैम्पियनशिप की मेजबानी की थी जिसमें 6 विदेशी व 20 सीबीएसई कलस्टर की टीमों से 630 खिलाडिय़ों ने भाग लिया था। प्रतियोगिता का शुभारम्भ स्वामी शरणानन्द महाराज की अध्यक्षता में जाने-माने अर्जुन अवार्ड विजेता खिलाडिय़ों, कविता चहल तथा जयभगवान द्वारा किया गया था। इसके बाद वर्ष 2019 में दूसरी नेशनल सीबीएसई बाक्ंिसग चैम्पियनशिप की मेजबानी की थी जिसमें 6 विदेशी व 20 सीबीएसई कलस्टर की टीमों से 630 खिलाडिय़ों ने भाग लिया था। प्रतियोगिता का शुभारम्भ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विभाग प्रमुख प्रमोद शास्त्री की अध्यक्षता में मुख्यातिथि अर्जुन अवार्डी व ओलम्पियन बाक्सर अखिल कुमार व पूनम बेनिवाल ने की थी। उसके बाद वर्ष 2023 में तीसरी नेशनल सीबीएसई बाक्सिंग चैम्पियनशिप की मेजबानी की थी जिसमें 6 विदेशी व 20 सीबीएसई कलस्टर की टीमों से 898 खिलाडिय़ों ने भाग लिया था। इस प्रतियोगिता का शुभारम्भ खेल विभाग के उपनिदेशक गिरीराज सिंह, प्रथम भीम अवार्डी बाक्सर सुषमा यादव ने किया था। अबकी बार 17 अक्टूबर से चौथी नेशनल सीबीएसई बाक्सिंग प्रतियोगिता शुरू होने जा रही है। जिसके लिए विद्यालय प्रशासन की तरफ से अपने स्तर पर सभी तैयारियां लगभग पूर्ण कर ली गई है। इस बार प्रतियोगिता में 6 विदेशी टीमों में बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, यूएई सहित पूरे भारत वर्ष से सीबीएसई के 8 जोन से 925 खिलाड़ी भाग लेने की संभावना जताई जा रही है।
फोटो कैप्शन 06: एसडी स्कूल में बाक्सिंग पतियोगिता के लिए मंच।
मोड़ी स्कूल के बच्चों को दिया विशेष भोजन
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कनीना की आवाज। राजकीय मिडिल स्कूल मोड़ी में स्पेशल खाना हलवा, पूरी, सब्जी, रायता हनुमान के दिन मंगलवार को खिलाया गया। मुख्याध्यापक ने बताया कि स्कूल के बच्चों को यूं तो हर दिन बेहतर खाना खिलाया जाता है किंतु किसी विशेष दिन हलुआ, पूड़ी तथा अन्य खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जाती हैं। मुख्याध्यापक मनोज कुमार रोहिल्ला ,बलवंत सिंह एसएसएम गोविन्द सिंह साइंस मास्टर संतोष कुमार, राम सिंह संस्कृत अध्यापक और महिंद्र सिंह आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 07: मोड़ी गांव में बच्चों को विशेष भोजन कराते हुए।
अभी किसान सरसों की बिजाई ना करें -अजय एसडीओ
-डीएपी की बजाय प्रयोग कर सकते हैं एनपीके-डाक्टर
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कनीना की आवाज। हर जगह डीएपी खाद की मारामारी चल रही है। डीएपी खाद कहीं एकाध केंद्र पर उपलब्ध होता है उसे चंद ही मिनटों में किसान खरीद ले जाते हैं। हालात यह है कि किस दूर दराज तक किसान पूछते देखे गए कि डीएपी उपलब्ध है? क्योंकि इस समय सरसों की बिजाई की जाती है जिसमें डीएपी की अधिक जरूरत पड़ती है।
किसान और आम आदमी के दिमाग में एक ही बात घर कर रही है कि डीएपी डालना बेहतर होगा। यही कारण है कि डीएपी को किसान कई दिनों पहले से ही खरीद कर घर में रखना शुरू कर देते हैं। हालात यह होती है कि इस समय आकर डीएपी खाद की कमी नजर आती है। इसकी जगह किसान एनपीके उर्वरक प्रयोग कर सकते हैं जो कीमत में महज 20 रुपये प्रति बोरा अधिक है परंतु किसी भी प्रकार से डीएपी की मुकाबले कम नहीं होता। भविष्य में भी डीएपी की कमी रहेगी। बीज विक्रेता महेश कुमार, कुलदीप बोहरा ने बताया कि डीएपी 1350 रुपये प्रति बोरा जबकि एनपीके 1370 रुपये प्रति बोरा मिलता है। वास्तव में कौन सा ज्यादा कारगर है संबंध में एसडीओ कृषि विभाग डा. अजय कुमार से चर्चा की गई-
डॉक्टर अजय कुमार ने बताया कि डीएपी की अंतरराष्ट्रीय मार्केट रेट अधिक है इसलिए डीएपी की कमी रहने के आसार हैं। उन्होंने का बताया कि भारत सरकार डीएपी कंपनियों से लेती है, खुद नहीं बनाती इसके लिए टेंडर छोड़ती है और कंपनियां डीएपी उपलब्ध करवाती है। कंपनियों को एक बोरे पर 300 से 350 रुपये नुकसान उठाना पड़ता है। यही कारण है कि वह डीएपी अधिक मात्रा में सप्लाई नहीं कर पाते और डीएपी की कमी रहती है और भविष्य में भी रहने के आसार हैं। एसडीओ बताते हैं कि इसकी जगह एनपीके खाद प्रयोग करना चाहिए क्योंकि डीएपी में नाइट्रोजन और फास्फोरस 18 और 46 प्रतिशत में मिलते हैं जबकि एनपीके खाद में तीन पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम मिलते हैं जिनकी मात्र 12, 32 और 16 प्रतिशत होती है। उन्होंने बताया कि एनपीके किसी भी प्रकार से फसलों के लिए डीएपी के मुकाबले कम नहीं है। हां तिलहन जाति की फसलें उगने उगाते वक्त सल्फर तत्व की जरूरत होती है। वैसे भी किसान लंबे समय से अपने खेतों में सरसों उगाते समय सल्फर अलग से बिजाई करते आए हैं। उन्होंने बताया कि किसानों को एनपीके एक बैग प्रति एकड़ बोना जरूरी है। किसानों की आदत होती है कि पूरा बोरा एनपीके प्रति एकड़ नहीं डालते जिसका परिणाम अच्छा नहीं हो सकता। साथ में 10 किलो सल्फर प्रति एकड़ उन्हें डालना जरूरी होता है ताकि तिलहन जाति की फसलें उगाई जा सके। सरसों तिलहन जाति की फसल है लेकिन गेहूं में सल्फर डालने की जरूरत नहीं होती। उन्होंने बताया कि किसानों को अभी सरसों की बिजाई से परहेज करना चाहिए जब तक तापमान 25 डिग्री तक नहीं आ जाता। अधिक ताप पर बिजाई करने से अगर बीज अंकुरित हो जाता है तो उसमें सफेद रतुवा रोग होने की ज्यादा संभावना होती है। साथ में बीज उपचार करके ही बिजाई करें। उन्होंने बताया कि 2 ग्राम प्रति किलोग्राम सरसों में बावस्टीन दवा से उपचारित करना चाहिए लेकिन याद रहे कि यह दवा सूखे पाउडर के रूप में आती है, पानी आदि न मिलाये, सीधा सूखा उपचार करना चाहिए। इससे पैदावार में लाभ और रोगों से बचा जा सकेगा।
फोटो कैप्शन: डा. अजय कुमार यादव एसडीओ कृषि विभाग महेंद्रगढ़
विश्व खाद्य दिवस- 16 अक्टूबर
हर प्रकार से भोजन और अनाज को खराब होने से बचना चाहिए -भगत सिंह
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कनीना की आवाज। दुनिया भर में खाद्य दिवस 16 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। वैश्विक भुखमरी से निपटाना और पूरी दुनिया से उसे खत्म करना यही इंसान का लक्ष्य होना चाहिए। आज के दिन कितने लोग भूखे और कुपोषित जी रहे हैं। कुपोषण के कारण लाखों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। लोगों को जागरूक करके ही खाद्य सामग्री को खराब होने से बचा सकते हैं। विवाह समारोह स्थल हो या किसी घर में बहुत अधिक खाना बेकार चला जाता है।
न केवल इंसान अपितु आवारा जंतु, रोडेंट जिनमें चूहे गिलहरी और कितने ही पक्षी खाद्य पदार्थों को खराब कर रहे हैं। जागरूकता के चलते इस अभियान को आगे बढ़ाया जा सकता है और खाद्य सामग्री को खराब होने से बचा सकते हैं। कुछ प्रमुख लोगों से इस संबंध में चर्चा हुई-
**खाद्य सामग्री हर इंसान तक पहुंचाने का एक ही तरीका है कि चूहों गिलहरी आदि से अनाज एवं खाद्य सामग्री को बचाना चाहिए। यहां तक की भंडारण उचित ढंग से किए जाने चाहिए ताकि भंडार में किसी प्रकार की नमी न पहुंचे और खाद्य पदार्थ खराब होने से बच सके। आवारा जंतु और रोडेंट आदि से सुरक्षा के लिए प्रबंध करने चाहिए। जब इंसान के पास पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री होगी तो वह दूसरों तक पहुंचा सकेंगे और गरीबी खत्म करने में अहम योगदान होगा।
--- डा. देवेंद्र यादव, पूर्व कृषि अधिकारी
हर घर में रोटी बर्बाद हो जाती है। वैसे तो बहुत से घरों में अब चूल्हे की बजाय गैस की रोटी बनती और गरमा गरम रोटी खाकर खुश होते हैं वहां रोटियां बर्बाद कम होती हैं परंतु कुछ घरों में आज भी अधिक रोटियां बन जाती है। जिसके कारण उन्हें फेंकना पड़ता है उन्होंने कहा गायों के लिए अलग से रोटी बनाना अच्छी बात है किंतु जो रोटियां बच जाती है उनको गायों तक पहुंचाना चाहिए। जितनी भूख हो उसी अनुसार सारे परिवार के लिए रोटियां बनाई जाए फिर भी यदि कोई रोटी बच जाती है तो उसे गो-ग्रास गाड़ी आती है उसमें डाल देना चाहिए। अक्सर लोग इधर-उधर रोते को फेंक देते हैं इससे बचना चाहिए क्योंकि आवारा जंतु पनपते हैं जो कभी भी किसी इंसान को काट सकते हैं।
-- भगत सिंह समाज सेवी
मैरिज प्लेस में एक नियम बना रखा है कि अधिक मात्रा में खाद्य पदार्थ विवाह शादी समारोह आदि में बन जाते है तो उनको गौशाला एवं सुअर पालने वालों तक पहुंचाया जाता है। अगर वह सूखा पदार्थ है तो गौशाला की गाड़ी आती है उसमें डाल दिया जाता है। लोग जूठन अधिक छोड़ते हैं। इस जूठन में बचे हुये सभी पदार्थ सुअर पालन केंद्र वाले मुफ्त में ले जाते हैं। इससे खाद्य पदार्थ चाहे सुअर या गायों को उपलब्ध होते हैं। इससे खाद्य पदार्थों को कुछ खराब होने से बैचा सकते हैं। उनका यह नियम लंबे समय से चला आ रहा है।
--हनुमान सिंह मैरिज प्लेस संचालक
विवाह शादियों और समारोह में जाने वाले लोगों को पहले समझाया जाए। हो सकता है कुछ लोगों पर प्रभाव पड़े और वह खाने की प्लेट में अधिक खाना न छोड़ें। इसे भोजन की बचत हो सकती है। यहां तक की विवाह शादियों में भारी मात्रा में भोजन खराब होता है उसे पर अंकुश लगाने के लिए लोगों को अधिक खाना प्लेट में एकबार न डालने प्रेरित करना चाहिए। तभी ऐसा संभव हो सकता है कि खाना खराब होने से बचाया जाए। एक एक दाना सर्दी एवं गर्मी में बड़ी मेहनत करके कमाया जाता है। उसको खराब करना अनुचित है। कभी किसान पर तरस खाते हुए अन्न को बर्बाद न करें।
----सूबे सिंह, किसान
फोटो कैप्शन: सूबे सिंह, हनुमान सिंह, डा देवेंद्र ,भगत सिंह।
द्वादशी पर चेलावास में दादा ठाकुर महाराज के मंदिर प्रांगण में हुआ हवन यज्ञ
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कनीना की आवाज। उपमंडल के गांव चेलावास में आराध्य देव दादा ठाकुर महाराज के मंदिर प्रांगण में चांदनी द्वादशी अवसर पर विश्व कल्याण हेतु हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। मंदिर कमेटी के प्रधान विनोद ने जानकारी देते बताया कि मुख्य यजमान महेंद्र सिंह धर्मपत्नी इंद्रावती देवी रहे। आचार्य पवन शर्मा ने हवन यज्ञ संपूर्ण करवाया। महेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि गांव में चांदनी द्वादशी को यह हवन यज्ञ किया जाता है। ठाकुर जी महाराज के कारण गांव में आज तक कोई अप्राकृतिक घटना नहीं घटी है उन्हीं कर उपलक्ष में यह हवन यज्ञ किया जाता है। इस दौरान खीर चूरमा का भोग लगाया जाता है। गांव में कोई भी कार्य होता है तो सबसे पहले ठाकुर जी महाराज के मंदिर में धोक लगाकर उसे कार्य का शुभारंभ किया जाता है। इस दौरान उप प्रधान सुनील कुमार,लाल सिंह भगत जी, संदीप, कपूर सिंह, विनोद तुंडवाल, रणबीर सिंह, मढ़ती देवी, कमला देवी , मुन्नी देवी, मीनाक्षी पंच, संतरा देवी, ऋतिक, पूर्व पंच राजेश, कृष्ण कुमार, कुलदीप, अनिल कुमार सहित अन्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 01: हवन यज्ञ करते हुए ग्रामीण।
भूल जाओ अब दाल रोटी को
-सबसे महंगा है दाल रोटी का खाना
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कनीना की आवाज। एक वक्त था जब दाल रोटी गरीब व्यक्ति प्रेम से खाते थे। जब भी रोटी रोजी की कोई चर्चा चलती थी तो यही शब्द कहते सुना जाता था कि दाल रोटी का जुगाड़ हो रहा है। दाल रोटी कभी होटल में अधिक प्रसिद्ध होती थी। दाल मुफ्त में मिलती थी रोटी के पैसे देने पड़ते थे। समय-समय की बात है आज के दिन दाल रोटी कोई गरीब नहीं खा सकता। अगर खाता है तो वह बहुत अमीर है क्योंकि दाल बनाने के लिए टमाटर सो रुपये किलो से कम नहीं है, प्याज 70 रुपये किलो से कम नहीं है, लहसुन 350 रुपये किलो से कम नहीं है, तेल 150 रुपये लीटर पहुंच गया है, वही दाल एक सौ रुपये से 140 रुपये किलो चल रही है। यही नहीं दाल में अगर देशी घी डाल दे तो जायका तो बदल जाएगा किंतु एक हजार रुपये किलो से कम नहीं है। और भी कुछ आइटम डालते हैं तो वो भी सस्ते नहीं हैं। ऐसे में दाल बनाना बहुत कठिन कार्य हो गया है। अब तो फिर से चटनी रोटी का युग आ गया है।
एक वक्त था जब अकसर ग्रामीण क्षेत्रों में चटनी, दूध और रोटी खाई जाती थी जबकि सुबह के वक्त चटनी, छाछ एवं रोटी खाई जाती थी और वो बड़े मजे के साथ खाते थे। परंतु आजकल न तो घरों में दूध रहा और न ही छाछ रही, बहुत कम लोग हैं जिनके घरों में दूध एवं छाछ मिलेगी, वो खुशनसीब हैं। देशी घी के भाव 1000 रुपये किलो से अधिक पहुंच गए हैं। ऐसे में दूध,घी एवं छाछ अब दुर्लभ हो गए हैं। एक वक्त था जब कहावत थी- देसा में देस हरियाणा जित दूध-दही का खाना। अभी कहावत भी धीरे-धीरे धूमिल होती जा रही है। न तो छाछ रही और न दूध रहा। अब तो सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं। ऐसे में लोग सब्जी खाने से परहेज करने लगे हैं। बाजार में कोई भी सब्जी आज के दिन सस्ती नहीं कहीं जा सकती, अभी कुछ समय लगेगा फिर पर्याप्त मात्रा में सर्दियों की सब्जी पैदा हो जाएगी और फिर से ये सब्जियां गरीब इंसान को नसीब होंगी। अभी तक तापमान अधिक होने के कारण सब्जियां पैदा नहीं हो रही है। घीया एवं तोरई भी अब समाप्त होने के कगार पर हैं।
फोटो कैप्शन 02 व 03: प्याज व टमाटर जो हुए महंगे
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