एक साल से हो रहा है नगरपालिका चुनाव का इंतजार
--चुनाव लडऩे वाले फिर फिर हुये सक्रिय
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कनीना की आवाज। नगर पालिका को भंग हुये एक साल से अधिक का समय हो गया है किंतु अभी तक नगर पालिका के चुनाव की घोषणा नहीं हुई है।
मई 2023 में नगर पालिका भंग हो गई थी तब से कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव जल्दी होंगे। जब नगर पालिका भंग हुई उस समय 13 वार्ड होते थे और 13 प्रत्याशियों का चुनाव हुआ था, दो पार्षद सरकार द्वारा मनोनीत करके भेजे गए थे। परंतु जब चुनाव की आस लगी तभी सरकार ने मतदाताओं का पुनर्निरीक्षण का कार्य शुरू करवा दिये। पुनर्निक्षण के बाद अंतिम सूची का प्रकाशन हुआ तब से लेकर फिर आश जगी कि अब चुनाव हो जाएंगे परंतु एक वार्ड और बढ़ाने की बात चली। जहां 13 वार्ड होते थे वहां अब 14 वार्ड बना दिए गए। वार्ड बंदी का कार्य संपन्न होने के बाद फिर से नगर पालिका के चुनाव की चर्चाएं जोरों से उठी परंतु बताया जा रहा है कि पूरे प्रदेश में 22 नगर पालिका का चुनाव साथ होने हैं। चुनाव अगले साल में संभव हो सकते हैं। चुनाव को लेकर के भारी संख्या में युवा बुजुर्ग महिलाएं आगे आ रहे हैं। विभिन्न कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। वहीं वे थाना तहसील में भी सहयोग करते नजर आते हैं ताकि उनके वोट पक्के हो जाए। अनेकों ऐसे उम्मीदवार है जो यह समझते हैं कि इस बार उनकी जीत होगी? क्योंकि इस बार प्रधान पद का चुनाव सीधा होना है, जिसके कारण भी प्रधान पद के दावेदार अधिक हैं। पार्षद के लिए अधिक लोग सामने नहीं आए। इस बार चुनाव के लिए बहुत अधिक लोग सक्रिय है। वहीं बुजुर्ग एवं महिलाएं भी सामने आ रहे हैं। कनीना के तीनों पूर्व एवं वर्तमान प्रधानों के घरों से भी इस बार चुनाव लड़ा जाएगा। हो सकता है वे स्वयं ही ये चुनाव लड़े या फिर उनके परिवार से कोई सदस्य चुनाव लड़ेगा। अभी तक मतदाताओं का मन टटोला जा रहा है ताकि उचित समय आने पर अपना मुंह खोला जा सके और नगर पालिका के प्रधान पद के लिए चुनाव में खड़ा हो सके।
यह माना जा रहा है कि इस बार कनीनावासियों का रुझान किसी युवा वर्ग की और अधिक है। अभी तक पिछली तीन योजनाओं में दो महिला प्रधान रह चुकी है जबकि एक पुरुष प्रधान रह चुका है। विकास कार्यों पर नजर डालें तो विकास कार्य में निवर्तमान प्रधान सतीश जेलदार के कार्यकाल में जितने नहीं हो पाए उतने अब हो रहे हैं।
वर्तमान में एसडीएम कनीना के पास कनीना पालिका का चार्ज है, धड़ाधड़ विकास कार्य चल रहा है। लोगों का कहना है कि जब तक विकास कार्य पूर्ण नहीं होंगे तब तक चुनाव नहीं होंगे। कारण जो भी हो चुनाव लडऩे वाले जितने सक्रिय नजर आए उतनी सक्रिय वोटर भी है। चाय की दुकानों पर इधर-उधर बैठे लोग अपने वोटों की संख्या का अंदाजा लगाते रहते हैं, गणना करते रहते हैं जिसके चलते दीपावली के विभिन्न पोस्टर एवं बैनर दीवारों, खंभों और पेड़ों पर टंगे हुए हैं जिससे वह अपने चुनाव का आभास कर रहे हैं। आने वाले समय में पता लग पाएगा कि कितने लोग चुनाव में खड़े होते हैं। अब सरकार चुनाव करवाने के मूड में हैं और चुनावों के बारे में सरकार ने कदम उठाने शुरू कर दिये हैं।
गीता प्रश्रामाला चलेगी 17 से 27 नवंबर तक
-24 घंटों में कितनी बार भी बदल सकते हैं उत्तर
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कनीना की आवाज। एनआईसी कुरुक्षेत्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर गीता प्रश्नमाला का आयोजन किया जा रहा है। यह क्विज़ 17 नवंबर से 27 नवंबर तक चलेगा, जिसमें प्रतिदिन 5 प्रश्न पूछे जाएंगे। यह प्रतियोगिता आनलाइन होगी, और प्रत्येक दिन प्रश्नों का उत्तर देने की समय सीमा रात 12 बजे से अगले 24 घंटों तक होगी। आपस में चर्चा करके उत्तर में संशोधन भी किया जा सकता है।
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डा. होशियार सिंह यादव
होने लगी है कुछ वर्षों से गन्ने की पूजा
-उत्तर प्रदेश और बिहार में है अधिक प्रचलन
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कनीना की आवाज। दिवाली के दिन जहां गन्ने की पूजा करने का रिवाज धीरे-धीरे ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ता जा रहा है। पहले कभी कोई गन्ने नहीं उगता था किंतु अब गन्नेकी पैदावार भी कुछ किसान लेने लग गए हैं। कनीना क्षेत्र में ही कम से कम पांच किसान अलग-अलग गांवों के गन्ने की पैदावार ले रहे हैं। दिवाली पर गन्ने का पूजन बिल्कुल ठीक वैसे ही होता है जैसे होली पर। हरियाणा में गेहूं आदि का पूजन किया जाता है। जिस प्रकार होली दहन में गेहूं को भूनकर पूरा परिवार चखकर गेहूं के पकने का पता लगाता है तत्पश्चात गेहूं की कटाई होती है। इसी प्रकार दीपावली पर उत्तर प्रदेश और बिहार आदि राज्यों में गन्ने का पूजन किया जाता है तत्पश्चात उसकी कटाई की जाती है। लेकिन धीरे-धीरे प्रदेश हरियाणा में भी हजारों की संख्या में उत्तर प्रदेश एवं बिहार के लोग आ गए हैं जिनकी मांग गन्ने की होती है। जिसके देख अन्य लोग भी गन्ने को दीपावली पर खरीदने लग गये हैं। जहां विगत 5 वर्षों से भारी मात्रा में गन्ने बिकते आ रहे हैं।
अनेक लोग गन्ना लेकर आ गए हैं। किसा रणधीर, धर्मवीर, विजय, सोनम आदि रोहतक क्षेत्र से गन्नेकी ट्राली भरकर अपने घरों में खड़ी कर रखी है ताकि दीपावली से पहले ही गन्ने की बिक्री शुरू हो जाए। वैसे तो दीपावली के दिन के बाद ही नया शक्कर, चीनी, गुड़ आदि आते थे किंतु अब तो पहले से ही नया गुड़ भी बाजार में आ चुका है। वास्तव में गन्नों की पूजन बढऩे के कारण एक-एक गणना 25 से 30 रुपये का बिकता है और लोग एक दूसरे की होड़ पर गन्ने खरीद ले जाते हैं। विगत वर्ष भी गन्ने भारी मांग थी कि देखते ही देखते एक-एक ट्राली गन्ने की बिक गई थी। अब देखा जाना है कि गन्ने की बिक्री किस कदर बढ़ती है।
आज से पांच वर्ष पूर्व दीपावली के पर्व पर गन्ने के प्रति लोगों का कोई रुझान नहीं होता था किंतु अब दूसरे राज्यों विशेषकर बिहार एवं उत्तरप्रदेश से आए लोग इस पर्व पर गन्ने की पूजा करने लगे तो क्षेत्रीय लोग भी उनके पीछे दौडऩे लगे हैं। क्षेत्र में गन्ने की अच्छी खासी बिक्री होने लगी है। साफ गन्ना नहीं अपितु पत्ते सहित ही बेचा जाता है। और तो और कुछ लोग अपनी गाडिय़ों के आगे गन्ना झंडे के रूप में लगाकर दो तीनों से चल रहे हैं।
लोगों का कहना है कि दीपावली के पर्व पर गन्ना तैयार हो जाता है और कटाई शुरू हो जाती है वहीं तथाकथित भूत भगाने के लिए लोग गन्ने को घर से जलाकर चौराहे पर लाकर पटकते हैं। वाहनों के आगे गन्ना लगाकर दौड़ाने का भी रिवाज बढ़ रहा है। उत्तरप्रदेश में तो गन्ने द्वारा घर को भूतों से बचाकर पूजा की जाती है।
फोटो कैप्शन 03: गन्ने की कनीना में खेती
मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार- 42
जब विरोधियों ने भी की होशियार सिंह की मुक्त कंठ से प्रशंसा
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कनीना की आवाज। कनीना निवासी होशियार सिंह 40 सालों की सेवा करके 30 अप्रैल 2024 को धनौंदा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। यूं तो उनके बारे में अनेकों किस्से और कहानियां प्रचलित है जो सुनकर लगता है कि सचमुच शिक्षक हो तो ऐसा। परंतु उनके विषय में एक बहुत सुंदर कहानी बताई जाती है जो हकीकत है। जब विरोधियों ने भी उसकी प्रशंसा की तब जाकर कलेजे को ठंडक मिली। यह कहानी छोटी सी है। कहानी डा. होशियार सिंह की जुबानी सुनिए---
जब मैं कनीना के राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत था। उस समय विज्ञान पढ़ाता था और सख्ती से काम लेता था। जो विद्यार्थी कक्षा में नहीं आता, काम नहीं करता उसको खूब धमकाया जाता था जिसके चलते जो विद्यार्थी कक्षा में रुके वो सभी सफल हुए नहीं आये वो स्कूल छोड़ गये या कोई फेल हो गया। वह उन दिनों कुछ अभिभावक इसलिए भी परेशान हो गए की होशियार सिंह विद्यार्थियों के समक्ष सख्ती से पेश आते हैं क्योंकि कनीना और क्षेत्र के लोग सभी नेताओं को अपनी जेब में रखते हैं और यह कहा कि लो अब इसकी बदली करवा देते हैं। बहुत से लोग सहमत भी हो गए परंतु कुछ लोगों का समूह पूर्व प्रधान राजेंद्र लोढ़ा के पास गया। राजेंद्र लोढ़ा ने उनके आने का कारण पूछा, सारी जानकारी हासिल की क्योंकि राजेंद्र सिंह लोढ़ा शिक्षा से जुड़े हुए हैं, स्कूल चलाते हैं इसलिए उन्होंने एक प्रश्र पूछा कि होशियार सिंह बच्चों के समक्ष सख्ती से पेश आता है सत्य है परंतु पढ़ाता है या नहीं । उपस्थित लोगों ने एक बात राजेंद्र सिंह लोढ़ा समक्ष कही कि पढ़ाने में उनसे अच्छा कोई शिक्षक नहीं। राजेंद्र सिंह लोढ़ा ने उत्तर दिया- तो फिर तुम्हें अपने बच्चे पढ़ाने हैं या नहीं। या उसे जबरदस्ती इस स्कूल से अन्यत्र भेजना है? उन्होंने कहा बच्चों को तो हम पढ़ाना इसी शिक्षक से चाहते हैं परंतु हम चाहते कि बच्चों के साथ सख्ती से पेश न आए। राजेंद्र सिंह लोढ़ा ने कहा कि अनुशासन बहुत बड़ी चीज होती और जो अनुशासन में बच्चों को अच्छी प्रकार पढ़ाता है तो उससे बेहतर कौन शिक्षक हो सकता है? इसलिए तुम अपने घर जाओ और रही बदली की बात,बदली करवाने में कोई लाभ नहीं है। तब ये लोग अपना सा मुंह लेकर अपने घरों को चले गए। धीरे-धीरे उनकी बात उजागर हुई और बहुत चर्चित रही। आज भी लोग उन दिनों की याद कर होशियार सिंह को याद कर ही लेते हैं।
भारी संख्या में मजदूर लौटने लगे हैं अपने राज्यों में
-छठ पूजा के बाद फिर लौटेंगे
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कनीना की आवाज। भारी संख्या में मजदूर दो बार हरियाणा प्रदेश में आते हैं। जब दो बार फसल कटाई होती है उस समय ग्रामीण क्षेत्रों में भारी संख्या में मजदूर आसपास आते हैं। अनाज मंडी, किसानों के खेतों में, मुर्गीपालन केंद्रों और अन्य जगह मजदूर काम करते हैं। दीपावली के दिन ये मजदूर अपने राज्यों में जाते हैं क्योंकि दीपावली के बाद छठ पूजा बहुत जोर शोर से उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में मनाई जाती है। 7 नवंबर को छठ पूजा का पर्व मनाया जाएगा। इसीलिए मजदूर अब काम छोड़कर दूसरे अपने राज्यों में चले गए हैं या कुछ जा रहे है। तत्पश्चात यह दिवाली और छठ पूजा के बाद वापस लौट कर आएंगे। तब तक काम रुक जाता है।
कनीना के भीम सिंह, दिनेश कुमार, राज कुमार आदि ने बताया कि उनके यहां मजदूरी करने बहुत से मजदूर आते हैं। ये मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश राजस्थान,मध्यप्रदेश, नेपाल तथा दूसरे क्षेत्रों से आते हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश में छठ पूजा का पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है और अब तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह लोग छठ पूजा का पर्व मानने लग गए हैं। जो मजदूर अपने राज्य नहीं जा सकते वो छठ पूजा अपने जहां रह रहे वहीं पर मानने लग गए हैं। रेवाड़ी आदि में तो अलग से घाट भी बना दिए जाते हैं। यही कारण है कि बहुत से मजदूर अब काम छोड़कर अपने राज्यों में जा रहे हैं। ट्रेनों में भारी भीड़ चल रही है जिसके चलते ये मजदूर वापस फिर से लौटकर आएंगे। तब तक सारा काम ठप हो जाता है। छोटे उद्योग धंधे, चाय की दुकान, मुर्गी पालन केंद्र या बड़े उद्योगों में ये मजदूर देखे जा सकते हैं।
दिवाली पर खर्च की जाने वाली राशि खर्च होगी जनहित में
-पटाखों के प्रदूषण से बचना चाहते हैं समाजसेवी
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कनीना की आवाज। दीपों का त्योहार दिवाली मनाने के ग्रामीण क्षेत्रों में अलग ही ढंग हैं। जहां पटाखों से आम आदमी दूर भागता है वहीं दूसरों को भी प्रदूषण से बचने की बात कहने लगा है। सरकार ने तो विगत वर्षों पटाखों पर कुछ प्रतिबंध लगा दिया था। किसानों के अगली फसल में व्यस्त रहने के कारण दिवाली की रौनक फीकी ही नजर आती है। अधिकांश लोग पटाखे चलाने के विरुद्ध हैं। पटाखों पर खर्च होने वाली राशि को जनहित में खर्च करना चाहते हैं। प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है।
दिवाली के दिन जहां दीपों व मोमबत्तियों से घर की रौनक बढ़ती है वहीं पटाखों के चलते वातावरण दूषित हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो पटाखे चलाने की परम्परा देर रात तक चलती है। पटाखे चलाने में बालक, युवा तथा वृद्ध नियम रहित होकर गलियों में व्यस्त देखे जा सकते हैं। जहां अधिकांश जन प्रदूषण से बचने के लिए घरों में एकांत में बैठ जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों से पटाखे चलाने के बारे में पूछे जाने पर अधिकांश ने पटाखे चलाना अनुचित बताया है। आम लोगों का कहना है कि पटाखे चलाने से जहां कर्णफोड़ू ध्वनि में जीना हराम हो जाता है वहीं प्रदूषण इतना बढ़ जाता है कि सांस लेना भी दूभर हो जाता है।
क्या कहते हैं समाजसेवी---
दिवाली के दिन प्रदूषण नहीं करेंगे। पटाखे स्वयं नहीं चलाएंगे और पटाखे न चलाने की प्रेरणा देंगे। इस बार पटाखों पर खर्च की जाने वाली राशि को सरकारी स्कूल के छोटे बच्चों पर खर्च कर उन्हें कापी, किताब, पेंसिल एवं पेन देकर उन पर खर्च करेंगे। इससे बच्चों का मनोबल बढ़ेगा और प्रदूषण भी कम होगा।
--कुलदीप बोहरा,कनीना
न तो पटाखे चलाएंगे और न अपने साथियों को चलाने देंगे। वे प्रदूषण के विरुद्ध है। दिवाली के पर्व पर सांस लेना दूभर हो जाता है। ऐसे में प्रदूषण नहीं करने देंगे। इस बार पटाखों पर खर्च होने वाली राशि को पेड़ पौधों पर खर्च करेंगे साथ में उससे प्राप्त अन्न से जंगली पक्षियों एवं जीवों की सुरक्षा पर खर्च करेंगे। आने वाली गर्मियों में जंगली जीवों के लिए अन्न एवं जल का प्रबंध करेंगे।
----देवेंद्र सिंह, कनीना
प्रदूषण को रोकने के लिए सार्थक प्रयास करेंगी। वे पटाखों पर खर्च होने वाली राशि को गायों के लिए दान देंगी। इससे पटाखों से होने वाले प्रदूषण पर भी काबू पाया जाएगा वहीं पटाखों की राशि गायों की सेवा में लग जाएगी। महिलाओं से भी कम से कम प्रदूषण करने की प्रार्थना की है। दिवाली के दिन पटाखों के प्रदूषण से जीना मुहाल हो जाता है। पटाखों पर खर्च होने वाली राशि से फल एवं फूलदार पेड़ एवं पौधे खरीदकर अपने प्लाट में लगाकर प्रदूषण को रोकेंगे। पटाखे चलाना अनुचित है जिससे प्रदूषण होता है और सांस लेना भी कठिन हो जाता है।
----कमला देवी,कनीना मंडी
पटाखे चलाकर प्रदूषण करने से बेहतर कि यह राशि गौशाला में दान की जाए जहां गायों की सेवा भी होगी वहीं प्रदूषण से बचा जा सकेगा। प्रदूषण से जहां जीना हराम हो जाता है उस प्रदूषण से बचने का प्रयास करना चाहिए। प्रदूषण विश्वव्यापी समस्या बन गई है। ऐसे में वो गायों के लिए पटाखों की राशि दान करेंगे।
--रणवीर सिंह
फोटो कैप्शन : रणवीर सिंह, कमला, देवेंद्र, कुलदीप बोहरा
भारत विकास परिषद की बैठक में कई मुद्दों पर हुई चर्चा
---मंत्री को भेजी कनीना की समस्याएं समाधान करने के लिए
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कनीना की आवाज। भारत विकास परिषद शाखा कनीना की बैठक शाखा अध्यक्ष लखनलाल जांगड़ा की अध्यक्षता में कनीना में संपन्न हुई। जिसमें भारत विकास परिषद हरियाणा की कनीना इकाई ने स्वास्थ्य मंत्री हरियाणा सरकार आरती सिंह राव को प्रार्थना पत्र भेजकर कुछ मांगे रखी। जिनमें कनीना क्षेत्र फौजी बहुल क्षेत्र है जिसमें क्षेत्र के फौजी भाइयों के ट्रेन से आने-जाने के लिए कनीना खास रेलवे स्टेशन पर सभी मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की व्यवस्था करने की कार्यवाई करें। कनीना शहर से गांव के लिए लिंक रोड की व्यवस्था सुचारू करवाई जाए तथा डिवाइडर लगाकर शहर की सड़क व्यवस्था को दुरुस्त किया जाये। थाना शहर को अपने निर्धारित स्थान पर स्थानांतरित करवाया जायेे क्योंकि वर्तमान में थाना शहर नेताजी मेमोरियल क्लब कनीना की चारदीवारी के अंदर अस्थाई रूप से चल रहा है। कनीना में सामान्य बस स्टैंड पर सवारी के बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है क्योंकि पुराना बस स्टैंड की इमारत को तोड़ दिया गया है और नई बिल्डिंग का काम अभी शुरू नहीं हुआ है इस पर जल्दी से जल्दी कार्रवाई की जायेे जब तक स्थायी व्यवस्था नहीं हो पाए तब तक अस्थाई छाया की व्यवस्था की जावे। कनीना के उप नागरिक अस्पताल को प्रथम परामर्श इकाई का दर्जा देने की मांग की है साथ में 50 बेड के उप नागरिक अस्पताल को अपग्रेड करके 100 बेड का बनाए जाने की मांग की है वर्तमान में यह 50 बेड का अस्पताल है।
बैठक के अंत में पूर्व शाखा अध्यक्ष मोहन सिंह यादव की 97 वर्षीय ताई जी शांति देवी के निधन पर उनके निवास पर जाकर शोकाकुल परिवार को सांत्वना दी एवं श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस मौके पर भारत विकास परिषद शाखा कनीना के शाखा अध्यक्ष लखनलाल जांगड़ा, शाखा सचिव राजेश कुमार, कृष्ण सिंह यादव उपाध्यक्ष, कंवरसेन वशिष्ठ ,शाखा संरक्षक, मोहन सिंह यादव पूर्व अध्यक्ष, सुरेश कुमार शर्मा शाखा सेवा प्रमुख,धनपत सिंह, डाक्टर नरेन्द्र बोहरा कोषाध्यक्ष, जितेंद्र आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 01: कनीना में आयोजित बैठक
गोवत्स द्वादशी पूजन-28 अक्टू
बर
गायो की सेवा का पर्व है गोवत्स द्वादशी का पर्व
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कनीना की आवाज। भक्ति आश्रम कनीना के संत घनश्याम गिरी का कहना है कि गोवत्स द्वादशी पूजन त्योहार कार्तिक कृष्ण पक्ष द्वादशी को आता है। इस दिन गायों और बछड़ों की सेवा की जाती है। इस दिन प्रात: काल स्नानादि करके गाय बछडें का पूजन करें,फिर उनको गेहूं के बने पदार्थ खिलायें। इस दिन गाय का दूध,गेहूं की बनी वस्तुएं और कटे फल नहीं खाना चाहिए । इसके बाद गोवत्स द्वादशी की कहानी सुनकर ब्राह्मणों को फल दान दें। गाय को हल्दी का तिलक लगायें व गाय की एक परिक्रमा जरूर करें । गोवत्स द्वादशी को गाय और बछड़े की पूजा करने से तैंतीस करोड़ देवी देवताओं की पूजा अनजाने में ही हो जाती हैं। क्योंकि गाय के अंग अंग में तैंतीस करोड़ देवी देवता वास करते हैं । एक ही पूजा से अनेक देवी देवताओं की पूजा हो जाती हैं। यही तो सनातन धर्म की खूबसूरती हैं । ऐसे पूजन का मौका साल में दो बार मिलता है, एक गोपाष्टमी को व दूसरा गोवत्स द्वादशी को,सभी सनातनी इस पर्व का धूमधाम से पूजन करें। यह पूजन करने से जीवनकाल में सभी सुख भोगकर अन्त में बैकुण्ठ की प्राप्ति होती हैं ।
फोटो कैप्शन: संत घनश्याम गिरी
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