शेल्टर होम में आया 25 हजार का दान
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कनीना। कनीना के शेल्टर होम (राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना) के लिए दानदाता धन से सहयोग कर रहे ताकि रह रहे लोगों के लिए खाने का प्रबंध किया जा सके। पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि 11000 रुपये यश कुमार पुत्र सुधीर कुमार ने,
रोहित पुत्र भरपूर सिंह, दिनेश पुत्र राजेंद्र सिंह, नवीन यदुवंशी, नरेंद्र पुत्र ओमप्रकाश ने क्रमश: दो दो हजार तथा विनोद, योगेंद्र, कमल, हरीश, हिमांशु ने एक-एक हजार रुपये तथा 1100 विकास ने दान दिए हैं।
फोटो कैप्शन 6: दान देते हुए लोग।
खरीद के दसवें दिन 209 किसानों ने 5678 क्विंटल सरसों बेची
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कनीना। कनीना अनाज मंडी तथा इसके तहत आने वाले तीन खरीद केंद्रों पर सरसों की खरीद त्वरित गति से जारी है जबकि गेहूं की आवक बहुत कम हो रही है। महज कनीना मंडी में ही गेहूं खरीद हो रही है। खरीद के दसवें दिन 209 किसानों ने 5678 क्विंटल सरसों बेची तो 54 किसानों ने 1900 क्विंटल गेहूं बेचा है।
हैफेड चेयरमैन सत्येंद्र यादव ने बताया कि कनीना में 88 किसानों ने 2415 क्विंटल, सेहलंग में 29 किसानों ने 753 क्विंटल, दौंगड़ा अहीर में 42 किसानों ने 1068 क्विंटल तथा करीरा में 50 किसानों ने 1442 क्विंटल सरसों बेची है जबकि गेहूं 45 किसानों ने 1900 क्विंटल बेचा है।
विगत सुनील ने उगाया है ऊंट कटारा तथा चक्र पुष्प
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संवाद सहयोगी, कनीना। किसान कृषि में बदलाव करने लगे हैं और परंपरागत खेती की बजाय अब सब्जी एवं औषधीय पौधे उगाने लगे हैं। सुनील कुमार सीहमा अपने 2 एकड़ में पुष्प चक्कर (जिसे मोटी सौंफ) कहते हैं तथा डेढ़ एकड़ में ऊंट कटारा उगाए हैं जो कि दोनों ही पौधे औषधीय है। इन्हें कोई आवारा जंतु तथा पालतू जंतु भी नहीं खाते। ऊंट कटारा रेगिस्तान में अधिक उगता है और कांटे वाला पौधा है जो अनेक औषधियों में काम आता है। सुनील कुमार ने बताया कि उनके खेत में 15 क्विंटल ऊंट कटारा होने की संभावना है जबकि
5 क्विंटल चक्कर पुष्प होने की संभावना है। वर्तमान में फसल पैदावार लेने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बाजार में इसके भाव अच्छे है। एक 1 एकड़ में जहां सरसों 7 क्विंटल के करीब हो जाती है जो 30 हजार रुपये के करीब बिकती है वही ऊंट कटारा से करीब 1.40 लाख रुपये मिलने की उम्मीद है। उन्होंने विगत वर्ष केसर उगायी थी जिसमें भारी नुकसान हुआ।
उन्होंने बताया कि बरेली से ीज लेकर आए थे और वही बेचा जाना है। बीज प्रदाता उन्हें खरीद कर ले जाएंगे। इन पौधों की देखरेख की अधिक जरूरत नहीं होती महज 3 बार पानी दिया है।इन पौधों से खेत में बेहतर दर्जे का खाद भी पैदा होता है। ऐसे में उन्होंने कहा कि वे जिले में शायद पहले किसान होंगे जिन्होंने इस प्रकार की खेती की है। ये पौधे आयुष विभाग के तहत आते हें और आस पास मंडियां नहीं हैं।
फोटो कैप्शन पांच: ऊंट कटारा की खेती
मलेरिया दिवस पर विशेष----
विगत वर्ष से कनीना में मलेरिया का कोई केस नहीं
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कनीना। कनीना उप नागरिक अस्पताल में 2019 से अब तक मलेरिया का कोई कस नहीं आया है। वर्ष 2015 से 2018 तक मलेरियां के केस आते रहे हैं। 2019 में कोई केस न आना जागरूकता का परिणाम है।
मलेरिया इंस्पेक्टर शीशराम ने बताया कि वर्ष 2015 में 6 केस मलेरिया के थे जो 2016 में घटकर तीन रह गए, 2017 में फिर से 2 केस रह गए 2018 में 3 केस मलेरिया के आए। 2019 में कोई मलेरिया का केस नहीं आया जिसके पीछे लोगों की जागरूकता बताई जा रही है।
एमपीएचडब्ल्यू गली-गली जाकर के 9 लोगों को मलेरिया से बचने की सावधानियां बताते रहे हैं। पानी जमा न होने देना चाहिए। जमा पानी पर तेल का छिड़काव करना चाहिए। टंकियों, कूलरों को एक सप्ताह में एक बार साफ कर देना चाहिए।
उधर एमपीएचडब्ल्यू सुनील कुमार ने बताया कि वे गली-गली जाकर के मलेरिया से बचने का प्रचार करते आए हैं जिसके चलते मलेरिया का केस कोई नहीं आया है। मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से मलेरिया होता है। मलेरिया प्लाजमोडियम परजीवी से फैलता है जिसे मादा एनाफिलीज खून पीते वक्त शरीर में छोड़ जाती है। लाज्मोडियम फेल्सीपैरम और प्लाज्मोडियम वाइवक्स दो परजीवी सबसे अधिक रोग फैलाते हैं। काटने के 10 से 15 दिनों में बार बार बुखार सिरदर्द आदि आता है। यदि जल्द उपचार नहीं किया जाए तो यह बहुत घातक भी साबित बन सकता है।
मादा एनाफिलीज मच्छर की करीब 400 विभिन्न स्पीशीज पाई जाती है इनमें से 30 प्रमुख हैं। मादा एनाफिलीज मच्छर अपने अंडे पानी पर देती हैं। अंडों को भोजन देने के लिए खून की जरूरत होती है इसलिए मादा एनाफिलीज मच्छर खून पीती है।
ऐसे में मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी, क्रीम, तेल, लैगाकर बचना चाहिए। मलेरिया का इलाज करवाना बहुत जरूरी है वरना भविष्य में घातक परिणाम निकल सकते हैं।
फोटो कैप्शन: शीशराम एचआई।
बीइंग हुमन सेवा मंडल ने रखे 50 शिकोरे
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कनीना। बीइंग हुमैन सेवा मंडल ने कनीना क्षेत्र में 50 शिकोरे रखें। इस मौके पर सुरेश कुमार यादव संदराह, नवीन कौशिक अध्यक्ष तथा मनजीत भोजावास साथ थे।
अवसर पर नवीन कौशिक ने बताया कि प्रतिदिन 50 से 60 परिंडे रखे जा रहे हैं। कनीना के संगम कॉलोनी में भी उन्होंने पांच शिकोरे रखें। उनका कहना है कि जब तक गर्मी का सीजन चलता है तब तक लगातार इस प्रकार के परिंडे रखते रहेंगे। उन्होंने बताया कि जुलाई माह में लाख 7 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य है। बारिश शुरू होते ही विभिन्न प्रकार के छायादार, फलदार तथा औषधि पौधे लगाने शुरू कर दिए जाएंगे। ब्लड डोनेशन कैंप भी लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पक्षी इस समय भीषण गर्मी की मार झेल रहे हैं उनके लिए पानी और अन्न उपलब्ध करवा पाना बहुत कठिन होता है ऐसे में पानी और उपलब्ध करवा कर ही चैन लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सभी का फर्ज बनता है कि नियमित रूप से पानी और अन्न का प्रबंध करें।
कनीना के विकी पंसारी ने बताया वे प्रतिदिन पक्षियों के लिए छत पर दाना पानी डालते हैं। उन्होंने सभी को प्रेरित किया कि गर्मी के सीजन में छत पर पानी रखने का प्रबंध किया जाए ताकि पक्षियों का जीवन भी बच सके। वे जीवित रह सके। उन्होंने कहा कि पक्षी भी हमारे जीवन का एक अंग होते हैं। इसलिए इनसे प्यार की अनुभूति दिखानी चाहिए।
फोटो कैप्शन 2: बीइंग हुमैन सेवा संस्था के लोग तथा विकी पंसारी।
लोक डाउन में समय बिताने के अलग अलग तरीकें
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कनीना। लॉकडाउन में जहां समय बिताना कठिन हो जाता है वहीं कुछ लोग बड़ी हंसी खुशी के साथ अपना समय बिता रहे हैं।
कनीना के हरियाणवी लोक गायक अमृत सिंह राघव अपने बच्चों के संग घर पर रहकर सरकार के आदेशों का पालन करते हुए जहां हारमोनियम पर रागिनी का रियाज करते हैं वही पंडित लख्मीचंद द्वारा रचित किस्से याद करते हैं वहीं पंडित मांगेराम के ध्रुवभक्त, खांडेराव परी आदि किस्सों को भी दोहराते हैं। बाकी बचे हुए समय में बच्चों के साथ लूडो, सांप सीढ़ी, कैरम आदि खेलकर बच्चों का मनोरंजन करते हैं। अमृत सिंह हरियाणवी रागिनी कलाकार ने बताया कि हरियाणवी रागिनी पढऩे से जीवन जीने की कला का अहसास होता है।फिलहाल कोरोनावायरस पर गुरु मुकेश सिंह की मदद से एक चार पंक्ति की रागिनी तैयार की है।
फोटो कैप्शन 03: कैरम खेलते हुए रागिनी गायक अमृतलाल राघव।
टीम गठित की
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कनीना। उप- नागरिक अस्पताल कनीना की ओर से एक तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है जो पुलिस प्रशासन, एसडीएम कार्यालय, नाकों पर कार्यरत अधिकारियों की स्वास्थ्य जांच करेगी।
विस्तृत जानकारी देते हुए एसएमओ डॉ धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि यह 3 सदस्यीय टीम उन लोगों की स्वास्थ्य जांच करेगी जो कोरोना वायरस को मिटाने में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक ओपीडी टीम गांव गांव जा रही थी जिसकी मांग को देखते हुए एक टीम और गठित कर दी है। इस प्रकार 2 टीमें विभिन्न गांवों में जाकर कार्य करेंगी।
खरीद के नौवें दिन 239 किसानों ने 6114 क्विंटल सरसों बेची
-14 किसानों ने 573 क्विंटल गेहूं बेचा
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कनीना। कनीना अनाज मंडी तथा इसके तहत आने वाले तीन खरीद केंद्रों पर सरसों की खरीद त्वरित गति से जारी है जबकि गेहूं की आवक बहुत कम हो रही है। महज कनीना मंडी में ही गेहूं खरीद हो रही है। खरीद के नौवें दिन जहां 239 किसानों ने 6114 क्विंटल सरसों तो 14 किसानों ने 573 क्विंटल गेहूं बेचा है।
हैफेड चेयरमैन सत्येंद्र यादव ने बताया कि कनीना में 88 किसानों ने 2300 क्विंटल, सेहलंग में 43 किसानों ने 1067 क्विंटल, दौंगड़ा अहीर में 63 किसानों ने 1676 क्विंटल तथा करीरा में 45 किसानों ने 1071 क्विंटल सरसों बेची है जबकि गेहूं 14 किसानों ने 573 क्विंटल बेचा है।
कोरोनावायरस से बचाव के लिए मास्क बांट दे रही हे सलाह
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कनीना। कस्बा कनीना में वार्ड 9 की एक महिला अपनी रोटी रोजी कमाने के उपरांत बचे समय में जन सेवा में जुटी हुई है। वे घर पर मास्क बनाकर लोगों को वितरित कर रही है और कोरोना बीमारी से बचने की उन्हें सलाह दे रही है।
मोनी देवी वार्ड नंबर 9 की निवासी है जो अपने परिवार का लालन पालन तो करती है वही समय बचते ही मास्क बना लेती हैं और अब तक उन्होंने 400 मास्क बनाकर क्षेत्र में मुफ्त दे दिए हैं ताकि कोरोनावायरस बच सकें।
उन्होंने बताया कि विगत दिनों से जब वैश्विक बीमारी कोरोनावायरस के बारे में तो अपने परिवार की सुरक्षा हेतु बाजार से मास्क खरीदना पड़ा जो महंगा लगा। उन्होंने सोचा क्यों ना अपने घर पर सस्ता मास्क बनाने का प्रयास करूं। एक मास्क को बेहतरीन ढंग से उन्होंने सस्ते में बना डाला तत्पश्चात उनका मनोबल बढ़ा। उनके पति योगेश कुमार ने उनका मनोबल बढ़ाया और कहा कि जन सेवा हेतु मास्क बनाओ मैं लोगों को वितरित कर दूंगा। मनोबल इतना बढ़ाया कि मेोनी ने मास्क बनाने शुरू कर दिए।अब तो वे 20- 25 मास्क प्रतिदिन बना देती है और योगेश कुमार को दे देती है। योगेश कुमार अपने क्षेत्र में तथा दूरदराज भी जरूरतमंदों को बांट देते हैं। उनके सराहनीय कदम के सभी कायल है। एक महिला होकर भी जी जान से जुटी हुई है और लोगों को कोरोनावायरस से बचाने का प्रयास कर रही है। उनका कहना है जब तक बीमारी पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हो जाएगी तब तक वे इसी प्रकार मास्क बनाती रहेगी।
फोटो कैप्शन 01: मास्क बनाते हुए वार्ड 9 की मोनी।
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कनीना। कनीना के शेल्टर होम (राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना) के लिए दानदाता धन से सहयोग कर रहे ताकि रह रहे लोगों के लिए खाने का प्रबंध किया जा सके। पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि 11000 रुपये यश कुमार पुत्र सुधीर कुमार ने,
रोहित पुत्र भरपूर सिंह, दिनेश पुत्र राजेंद्र सिंह, नवीन यदुवंशी, नरेंद्र पुत्र ओमप्रकाश ने क्रमश: दो दो हजार तथा विनोद, योगेंद्र, कमल, हरीश, हिमांशु ने एक-एक हजार रुपये तथा 1100 विकास ने दान दिए हैं।
फोटो कैप्शन 6: दान देते हुए लोग।
खरीद के दसवें दिन 209 किसानों ने 5678 क्विंटल सरसों बेची
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कनीना। कनीना अनाज मंडी तथा इसके तहत आने वाले तीन खरीद केंद्रों पर सरसों की खरीद त्वरित गति से जारी है जबकि गेहूं की आवक बहुत कम हो रही है। महज कनीना मंडी में ही गेहूं खरीद हो रही है। खरीद के दसवें दिन 209 किसानों ने 5678 क्विंटल सरसों बेची तो 54 किसानों ने 1900 क्विंटल गेहूं बेचा है।
हैफेड चेयरमैन सत्येंद्र यादव ने बताया कि कनीना में 88 किसानों ने 2415 क्विंटल, सेहलंग में 29 किसानों ने 753 क्विंटल, दौंगड़ा अहीर में 42 किसानों ने 1068 क्विंटल तथा करीरा में 50 किसानों ने 1442 क्विंटल सरसों बेची है जबकि गेहूं 45 किसानों ने 1900 क्विंटल बेचा है।
विगत सुनील ने उगाया है ऊंट कटारा तथा चक्र पुष्प
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संवाद सहयोगी, कनीना। किसान कृषि में बदलाव करने लगे हैं और परंपरागत खेती की बजाय अब सब्जी एवं औषधीय पौधे उगाने लगे हैं। सुनील कुमार सीहमा अपने 2 एकड़ में पुष्प चक्कर (जिसे मोटी सौंफ) कहते हैं तथा डेढ़ एकड़ में ऊंट कटारा उगाए हैं जो कि दोनों ही पौधे औषधीय है। इन्हें कोई आवारा जंतु तथा पालतू जंतु भी नहीं खाते। ऊंट कटारा रेगिस्तान में अधिक उगता है और कांटे वाला पौधा है जो अनेक औषधियों में काम आता है। सुनील कुमार ने बताया कि उनके खेत में 15 क्विंटल ऊंट कटारा होने की संभावना है जबकि
5 क्विंटल चक्कर पुष्प होने की संभावना है। वर्तमान में फसल पैदावार लेने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बाजार में इसके भाव अच्छे है। एक 1 एकड़ में जहां सरसों 7 क्विंटल के करीब हो जाती है जो 30 हजार रुपये के करीब बिकती है वही ऊंट कटारा से करीब 1.40 लाख रुपये मिलने की उम्मीद है। उन्होंने विगत वर्ष केसर उगायी थी जिसमें भारी नुकसान हुआ।
उन्होंने बताया कि बरेली से ीज लेकर आए थे और वही बेचा जाना है। बीज प्रदाता उन्हें खरीद कर ले जाएंगे। इन पौधों की देखरेख की अधिक जरूरत नहीं होती महज 3 बार पानी दिया है।इन पौधों से खेत में बेहतर दर्जे का खाद भी पैदा होता है। ऐसे में उन्होंने कहा कि वे जिले में शायद पहले किसान होंगे जिन्होंने इस प्रकार की खेती की है। ये पौधे आयुष विभाग के तहत आते हें और आस पास मंडियां नहीं हैं।
फोटो कैप्शन पांच: ऊंट कटारा की खेती
मलेरिया दिवस पर विशेष----
विगत वर्ष से कनीना में मलेरिया का कोई केस नहीं
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कनीना। कनीना उप नागरिक अस्पताल में 2019 से अब तक मलेरिया का कोई कस नहीं आया है। वर्ष 2015 से 2018 तक मलेरियां के केस आते रहे हैं। 2019 में कोई केस न आना जागरूकता का परिणाम है।
मलेरिया इंस्पेक्टर शीशराम ने बताया कि वर्ष 2015 में 6 केस मलेरिया के थे जो 2016 में घटकर तीन रह गए, 2017 में फिर से 2 केस रह गए 2018 में 3 केस मलेरिया के आए। 2019 में कोई मलेरिया का केस नहीं आया जिसके पीछे लोगों की जागरूकता बताई जा रही है।
एमपीएचडब्ल्यू गली-गली जाकर के 9 लोगों को मलेरिया से बचने की सावधानियां बताते रहे हैं। पानी जमा न होने देना चाहिए। जमा पानी पर तेल का छिड़काव करना चाहिए। टंकियों, कूलरों को एक सप्ताह में एक बार साफ कर देना चाहिए।
उधर एमपीएचडब्ल्यू सुनील कुमार ने बताया कि वे गली-गली जाकर के मलेरिया से बचने का प्रचार करते आए हैं जिसके चलते मलेरिया का केस कोई नहीं आया है। मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से मलेरिया होता है। मलेरिया प्लाजमोडियम परजीवी से फैलता है जिसे मादा एनाफिलीज खून पीते वक्त शरीर में छोड़ जाती है। लाज्मोडियम फेल्सीपैरम और प्लाज्मोडियम वाइवक्स दो परजीवी सबसे अधिक रोग फैलाते हैं। काटने के 10 से 15 दिनों में बार बार बुखार सिरदर्द आदि आता है। यदि जल्द उपचार नहीं किया जाए तो यह बहुत घातक भी साबित बन सकता है।
मादा एनाफिलीज मच्छर की करीब 400 विभिन्न स्पीशीज पाई जाती है इनमें से 30 प्रमुख हैं। मादा एनाफिलीज मच्छर अपने अंडे पानी पर देती हैं। अंडों को भोजन देने के लिए खून की जरूरत होती है इसलिए मादा एनाफिलीज मच्छर खून पीती है।
ऐसे में मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी, क्रीम, तेल, लैगाकर बचना चाहिए। मलेरिया का इलाज करवाना बहुत जरूरी है वरना भविष्य में घातक परिणाम निकल सकते हैं।
फोटो कैप्शन: शीशराम एचआई।
बीइंग हुमन सेवा मंडल ने रखे 50 शिकोरे
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कनीना। बीइंग हुमैन सेवा मंडल ने कनीना क्षेत्र में 50 शिकोरे रखें। इस मौके पर सुरेश कुमार यादव संदराह, नवीन कौशिक अध्यक्ष तथा मनजीत भोजावास साथ थे।
अवसर पर नवीन कौशिक ने बताया कि प्रतिदिन 50 से 60 परिंडे रखे जा रहे हैं। कनीना के संगम कॉलोनी में भी उन्होंने पांच शिकोरे रखें। उनका कहना है कि जब तक गर्मी का सीजन चलता है तब तक लगातार इस प्रकार के परिंडे रखते रहेंगे। उन्होंने बताया कि जुलाई माह में लाख 7 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य है। बारिश शुरू होते ही विभिन्न प्रकार के छायादार, फलदार तथा औषधि पौधे लगाने शुरू कर दिए जाएंगे। ब्लड डोनेशन कैंप भी लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पक्षी इस समय भीषण गर्मी की मार झेल रहे हैं उनके लिए पानी और अन्न उपलब्ध करवा पाना बहुत कठिन होता है ऐसे में पानी और उपलब्ध करवा कर ही चैन लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सभी का फर्ज बनता है कि नियमित रूप से पानी और अन्न का प्रबंध करें।
कनीना के विकी पंसारी ने बताया वे प्रतिदिन पक्षियों के लिए छत पर दाना पानी डालते हैं। उन्होंने सभी को प्रेरित किया कि गर्मी के सीजन में छत पर पानी रखने का प्रबंध किया जाए ताकि पक्षियों का जीवन भी बच सके। वे जीवित रह सके। उन्होंने कहा कि पक्षी भी हमारे जीवन का एक अंग होते हैं। इसलिए इनसे प्यार की अनुभूति दिखानी चाहिए।
फोटो कैप्शन 2: बीइंग हुमैन सेवा संस्था के लोग तथा विकी पंसारी।
लोक डाउन में समय बिताने के अलग अलग तरीकें
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कनीना। लॉकडाउन में जहां समय बिताना कठिन हो जाता है वहीं कुछ लोग बड़ी हंसी खुशी के साथ अपना समय बिता रहे हैं।
कनीना के हरियाणवी लोक गायक अमृत सिंह राघव अपने बच्चों के संग घर पर रहकर सरकार के आदेशों का पालन करते हुए जहां हारमोनियम पर रागिनी का रियाज करते हैं वही पंडित लख्मीचंद द्वारा रचित किस्से याद करते हैं वहीं पंडित मांगेराम के ध्रुवभक्त, खांडेराव परी आदि किस्सों को भी दोहराते हैं। बाकी बचे हुए समय में बच्चों के साथ लूडो, सांप सीढ़ी, कैरम आदि खेलकर बच्चों का मनोरंजन करते हैं। अमृत सिंह हरियाणवी रागिनी कलाकार ने बताया कि हरियाणवी रागिनी पढऩे से जीवन जीने की कला का अहसास होता है।फिलहाल कोरोनावायरस पर गुरु मुकेश सिंह की मदद से एक चार पंक्ति की रागिनी तैयार की है।
फोटो कैप्शन 03: कैरम खेलते हुए रागिनी गायक अमृतलाल राघव।
टीम गठित की
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कनीना। उप- नागरिक अस्पताल कनीना की ओर से एक तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है जो पुलिस प्रशासन, एसडीएम कार्यालय, नाकों पर कार्यरत अधिकारियों की स्वास्थ्य जांच करेगी।
विस्तृत जानकारी देते हुए एसएमओ डॉ धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि यह 3 सदस्यीय टीम उन लोगों की स्वास्थ्य जांच करेगी जो कोरोना वायरस को मिटाने में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक ओपीडी टीम गांव गांव जा रही थी जिसकी मांग को देखते हुए एक टीम और गठित कर दी है। इस प्रकार 2 टीमें विभिन्न गांवों में जाकर कार्य करेंगी।
खरीद के नौवें दिन 239 किसानों ने 6114 क्विंटल सरसों बेची
-14 किसानों ने 573 क्विंटल गेहूं बेचा
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कनीना। कनीना अनाज मंडी तथा इसके तहत आने वाले तीन खरीद केंद्रों पर सरसों की खरीद त्वरित गति से जारी है जबकि गेहूं की आवक बहुत कम हो रही है। महज कनीना मंडी में ही गेहूं खरीद हो रही है। खरीद के नौवें दिन जहां 239 किसानों ने 6114 क्विंटल सरसों तो 14 किसानों ने 573 क्विंटल गेहूं बेचा है।
हैफेड चेयरमैन सत्येंद्र यादव ने बताया कि कनीना में 88 किसानों ने 2300 क्विंटल, सेहलंग में 43 किसानों ने 1067 क्विंटल, दौंगड़ा अहीर में 63 किसानों ने 1676 क्विंटल तथा करीरा में 45 किसानों ने 1071 क्विंटल सरसों बेची है जबकि गेहूं 14 किसानों ने 573 क्विंटल बेचा है।
कोरोनावायरस से बचाव के लिए मास्क बांट दे रही हे सलाह
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कनीना। कस्बा कनीना में वार्ड 9 की एक महिला अपनी रोटी रोजी कमाने के उपरांत बचे समय में जन सेवा में जुटी हुई है। वे घर पर मास्क बनाकर लोगों को वितरित कर रही है और कोरोना बीमारी से बचने की उन्हें सलाह दे रही है।
मोनी देवी वार्ड नंबर 9 की निवासी है जो अपने परिवार का लालन पालन तो करती है वही समय बचते ही मास्क बना लेती हैं और अब तक उन्होंने 400 मास्क बनाकर क्षेत्र में मुफ्त दे दिए हैं ताकि कोरोनावायरस बच सकें।
उन्होंने बताया कि विगत दिनों से जब वैश्विक बीमारी कोरोनावायरस के बारे में तो अपने परिवार की सुरक्षा हेतु बाजार से मास्क खरीदना पड़ा जो महंगा लगा। उन्होंने सोचा क्यों ना अपने घर पर सस्ता मास्क बनाने का प्रयास करूं। एक मास्क को बेहतरीन ढंग से उन्होंने सस्ते में बना डाला तत्पश्चात उनका मनोबल बढ़ा। उनके पति योगेश कुमार ने उनका मनोबल बढ़ाया और कहा कि जन सेवा हेतु मास्क बनाओ मैं लोगों को वितरित कर दूंगा। मनोबल इतना बढ़ाया कि मेोनी ने मास्क बनाने शुरू कर दिए।अब तो वे 20- 25 मास्क प्रतिदिन बना देती है और योगेश कुमार को दे देती है। योगेश कुमार अपने क्षेत्र में तथा दूरदराज भी जरूरतमंदों को बांट देते हैं। उनके सराहनीय कदम के सभी कायल है। एक महिला होकर भी जी जान से जुटी हुई है और लोगों को कोरोनावायरस से बचाने का प्रयास कर रही है। उनका कहना है जब तक बीमारी पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हो जाएगी तब तक वे इसी प्रकार मास्क बनाती रहेगी।
फोटो कैप्शन 01: मास्क बनाते हुए वार्ड 9 की मोनी।
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