टूटा चुका है खरीद का पिछला रिकार्ड......
खरीद पहुंची 277601 क्विंटल
******************************
**********************************
****************************
- पिछले वर्ष का रिकार्ड 255000 क्विंटल था
कनीना। कनीना अनाज मंडी में बाजरे की खरीद 40 वें दिन भी जारी रही। मंगलवार को खरीद दो लाख 77 हजार क्विंटल पहुंच गई है। जिसके चलते विगत वर्ष का 255000 क्विंटल का रिकार्ड सोमवार को ही ध्वस्त हो चुका है। अभी खरीद 21 नवंबर तक होगी। 9482 किसानों का बाजरा खरीदा जा चुका है।
विस्तृत जानकारी देते हुए सतेंद्र यादव हैफेड मैनेजर ने बताया कि कनीना मंडी में सोमवार को 330 किसानों का 9400 क्विंटल बाजरा खरीदा। इस प्रकार कुल खरीद 277601 क्विंटल पहुंच गई है जबकि लिफ्टिंग 15123 बैग हुई। कनीना मंडी में 509000 बैग का उठान किया जा चुका है जबकि 46202 बैग फड़ों पर पड़े हैं। उधर कनीना की गौशाला रोड की खरीद पर नजर डाले तो वहां 143 किसानों का 4150 क्विंटल बाजरा खरीदा। गौशाला रोड पर 51993 क्विंटल बाजरा खरीदा जा चुका है। यहां पर कुल 89443 बैग का उठान किया गया। 14543 बैग फड़ों पर पड़े हैं।
फोटो कैप्शन 10:कनीना अनाज मंडी में खरीद का नजारा।
हसला ब्लाक अध्यक्ष की बूढ़ी मां का निधन
कनीना। हसला ब्लाकाध्यक्ष सुनील कुमार प्रवक्ता की बूढ़ी मां(नानी( चंपा देवी का निधन हो गया। वे 90 वर्ष की थी। सुनील कुमारजन्म से ही अपने ननिहाल रामबास में रह रहे हैं। सुनील कुमार के नाना का पहले ही देहांत हो चुका है। उनकी नानी पूरा भरा परिवार छोड़ गई हैं। सुनील कुमार प्रवक्ता ने बताया कि उनकी रस्म पगड़ी 16 नवंबर को की जाएगी। उनका के निधन पर विभिन्न लोगों ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए वहीं शोक व्यक्त किया। उनकी अंत्येष्टि में क्षेत्र की भारी संख्या में लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन: चंपा देवी
दीवाली के नाम पर बढऩे लगा है भीड़ भड़क्का
*******************************
*************
कनीना। दीवाली की रौनक बाजार में लौटने लगी है। बाजार में हलवाइयों के यहां भारी मात्रा में मिठाइयां बनाई जा रही हैं। सर्वाधिक मांग मिठाइयों की होती है। पहले कार्यालयों की भीड़ थी और अब दीवाली के लिए टेंट लगाकर सभी दुकानदार अपने सामान को अधिक से अधिक बेचने के चक्कर में देखे गए। यहां के सामान्य बस स्टैंड पर वाहनों की भीड़ एवं जाम की समस्या बढ़ गई है। दीवाली के दिनों तक यही स्थिति बने रहने की संभावना है।
दुकानदार पुराना और घिसा पिटा सामान बेचने का मौका मिल गया है। वर्ष भर जिस माल को किसी ने नहीं खरीदा उसे वे छूट एवं दीपावली उपहार आदि शब्द लिखकर बेचने में तेजी ला रखी है। हलवाइयों के यहां पर माहौल देखने लायक ही बन रहा है। जिन कढ़ाइयों में कुत्ते एवं बिल्ली दूध को पी रही हैं और हजारों मक्खियां भिनभिनाकर गंदा कर रही हैं उन्हीं कढाइयों में विभिन्न घटिया पदार्थ डालकर विशेषकर घटिया मावा, मैदा एवं विषैले रासायनिक पदार्थ डालकर रातोंरात घोटा जा रहा है और डब्बों सहित मिठाई के रूप में तोलकर ग्राहकों को दिया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि उपहार के रूप में मिठाइयों का ही लेनदेन सर्वाधिक किया जाता है और मिठाइयां ही सबसे घटिया बेची जा रही हैं। लोग खुश होकर इन पदार्थों को खरीद रहे हैं। दीवाली पर अतिक्रमण यह विकट समस्या एवं जाम की स्थिति पैदा हो रही है।
दीवाली पर जहां सादगी का लेबल लगाने का प्रयास किया जा रहा है वहीं घटिया मिठाइयां बेचकर दुकानदार वर्ष भर की कमाई एक दिन में ही करना चाह रहे हैं।
बढ़ गई बाजार में रौनक--
दीवाली की रौनक बाजार में बढ़ गई है। हलवाई की दुकान या फिर दैनिक जीवन का सामान विक्रेता सभी ने ग्राहकों को आकर्षित करना शुरू कर दिया है। 12 नवंबर धन तेरस के दिन से तो भीड़ और बढऩे की संभावना है।
है कि उपहार के रूप में मिठाइयों का ही लेनदेन सर्वाधिक किया जाता है और मिठाइयां ही सबसे घटिया बेची जा रही हैं। दीवाली के तीन दिन पूर्व तो अतिक्रमण एक विकट समस्या एवं जाम की स्थिति पैदा हो रही है। बाजारों में रौनक के नाम पर दुकानदारों ने रोड़ तक स्थान घेरकर टेंट लगाने की तैयारी कर ली है। कनीना मंडी तिराहे से लेकर गाहड़ा रोड़, कनीना तिराहे से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सबसे अधिक भीड़ वाले क्षेत्र बन गए हैं। जब भी कोई पर्व आता है तो यहां भारी भीड़ देखने को मिलती है।
पर कबाड़ी हैं खुश-
दीपावली पर कबाड़ी बहुत खुश हैं। लोग घरों में सफाई के नाम पर भारी कबाड़ निकालते हैं जिसे कबाड़ी खरीद ले जाते हैं। 24 नवंबर बाल दिवस के साथ साथ दीवाली मनाई जाएगी।
स्कूलों में अवकाश नहीं-इस बार दीवाली पर जहां 13 नवंबर को छोटी दीवाली है, शनिवार को आ रही है जब दूसरा शनिवार होता है वहीं 15 नवंबर का रविवार होने से अवकाश है।
फोटो कैप्शन 9: दीपावली की रौनक का नजारा।
कोटिया में 14 कोरोना संक्रमित सहित 17 पाजिटिव
***********************************
कनीना। खंड कनीना के के गांव कोटिया में आए 14 कोरोना संक्रमित सहित क्षेत्र में 17 कोरोना संक्रमित मिले हैं। मिली जानकारी के अनुसार कोटिया गांव के 14 कोरोना पाजिटिव आए है जिससे ग्रामीण परेशान हैं।
डा धर्मेंद्र यादव एसएमओ ने बताया कि सेहलंग में 43 वर्षीय पुरुष तो कनीना में वार्ड 11 में 23 वर्षीय युवती एवं वार्ड 12 में 58 वर्षीय पुरुष कोरोना संक्रमित मिला है। डा धर्मेंद्र यादव एसएमओ ने बताया कि त्योहारों के दृष्टिगत सावधानी जरूरी है।
मुर्गी पालन केंद्रों से गंदगी बढ़ी
***************************
कनीना। उप-मंडल के गांव मानपुरा में छाया गंदगी का आलम जिसके कारण गांव में महामारी फैलने की बनी हुई है।
मानपुरा निवासी भूतपूर्व सरपंच सुरेश यादव , पूर्व सरपंच सत्यबीर यादव, बिमला देवी, घोगड़ी देवी, कप्तान महेन्द्र सिंह, योगेश यादव, रविकांत शर्मा, नीरू यादव के अलावा अन्य ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया कि एक तरफ तो केन्द्र व प्रदेश की मनोहर सरकार गांवों में स्वच्छता को लेकर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर रही है वही दूसरी तरफ इसी कड़ी में मानपुरा में चारों और खुले मुर्गा फार्मों के कारण इस गांव में इतनी गंदगी छाई हुई है जिससे ग्रामीणों का जीना दूभर हो गया है जिसको लेकर ग्रामीणों ने इसकी शिकायत प्रशासन तक कर चुके है लेकिन इसके बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
वही ग्रामीणों का यह भी कहना है कि इन मुर्गा फार्मों के कारण आस-पास आवारा कुत्तों का झुंड रहता है जिनसे लोगों के लिए खतरा बना रहता है। लोगों ने समस्या से निजात दिलाने की मांग की है।
जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बुधवार को उन्हाणी में
*****************************
कनीना। जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा अजय सिंह चौटाला 11 नवंबर को कनीना के गांव उन्हाणी में कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे। तत्पश्चात गांव कलवाड़ी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राव कंवर सिंह कलवाड़ी के घर जाकर उनकी पत्नी के निधन पर शोक व्यक्त करेंगे। विस्तृत जानकारी देते हुए जेजपा के सम्राट यादव एवं अनीता यादव पूर्व सीपीएस ने बताया अजय सिंह चौटाला कनीना क्षेत्र के दो गांवो में 11 नवंबर को पहुंचेंगे।
घर की मिठाई खाकर मनाएंगे दीपावली
**************************
कनीना। इस बार क्षेत्र के युवा घर की बनी मिठाई खाकर,चाइनीज आइटम नहीं खरीदेंगे और दीपावली सादगी से मनाएंगे। दीपावली को घी के दीये जलाकर एवं आपस में मिलकर दीपावली मनाना चाहते हैं। वे एक नारा लगा रहे हैं कि घर की मिठाई खाकर, आपस में मिलकर घी के दीये जलाएंगे। उनका मानना है कि लाखों रुपये चाइनीज आइटम पर खर्च होते हैं वे खर्च नहीं किए जाएंगे। क्या कहते हैं दीपावली मनाने वाले-
महेश कुमार का कहना है कि चीन के बने सामान, लाइट आदि नहीं खरीदेंगे। देसी घी को दीये में डालकर दीपावली के दिन बुजुर्ग पुराने समय से जलाते आ रहे हैं। बुजुर्ग बहुत बुद्धिमान थे। अब उन्हीं के कदमों पर चलकर वे इस बार दीवाली को देसी घी के दीयों से मनाएंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे।
डा वेद प्रकाश का कहना है कि वे कई वर्षों से देसी घी के दीये जलाते आ रहे हैं। न केवल बड़ी या छोटी दीवाली अपितु मुख्य दीवाली के दिन घर में विभिन्न स्थानों पर रखे जाने वाले समस्त दीये देसी घी से ही जलते हैं। उनके अनुसार देसी घी का दीया जलाने का अर्थ है कि वातावरण की देखभाल करना तथा सभी के जीवन की मंगलकामना करना। उन्होंने इन दीयों को अंधकार दूर करने वाला तथा दिलों में शुद्धता भरने वाला प्रतीक बताया। चीन के बने दीपावली के आइटमों से दूर रहने की सलाह दी है।
मुकेश नंबरदार का कहना है कि वे चाइनीज कोई आइटम नहीं खरीदेंगे। वे न केवल स्वयं देसी घी के दीये जलाएंगे अपितु दूसरों को भी इस बार देसी घी के ही दीये जलाने के लिए प्रेरित करेंगे। उनके अनुसार देसी घी के दीये जलाना एक हवन या यज्ञ के बराबर होता है। पर्यावरण का प्रदूषण दूर होता है तथा सुगंधित वातावरण बन जाता है। दीये का प्रकाश जहां तक जाता है वहां तक हानिकारक कीट नष्ट हो जाते हैं।
कैलाश पाली का कहना है कि हमारी संस्कृति के अनुसार घी के दीये जलाना शुभ माना जाता है और ऐसे में वे देशी घी के दीये स्वयं भी जलाते हैं और दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि बाजार की मिठाई नहीं खरीदेंगे, चाइनीज आइटमों का सदा बहिष्कार करते आये हैं। दीये खरीदने पर बल देंगे।
फोटो कैप्शन : महेश कुमार, कैलाश पाली, डा वेदप्रकाश, मुकेश नंबरदार
दिवाली पर खर्च की जाने वाली राशि खर्च होगी जनहित में
*************************
*******************************
प्रदूषण से बचना चाहते हैं समाजसेवी
कनीना। दीपों का त्योहार दिवाली मनाने के ग्रामीण क्षेत्रों में अलग ही ढंग हैं। जहां पटाखों से आम आदमी दूर भागता है वहीं दूसरों को भी प्रदूषण से बचने की बात कहने लगा है। किसानों के अगली फसल में व्यस्त रहने के कारण दिवाली की रौनक फीकी ही नजर आती है। अधिकांश लोग पटाखे चलाने के विरुद्ध हैं। पटाखों आदि पर खर्च होने वाली राशि को जनहित में खर्च करना चाहते हैं। वैसे भी सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
दिवाली के दिन जहां दीपों व मोमबत्तियों से घर की रौनक बढ़ती है वहीं पटाखों के चलते वातावरण दूषित हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो पटाखे चलाने की परम्परा रात 12 बजे तक चलती है। पटाखे चलाने में बालक,युवा तथा वृद्ध नियम रहित होकर गलियों में व्यस्त देखे जा सकते हैं। जहां अधिकांश जन प्रदूषण से बचने के लिए घरों में एकांत में बैठ जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों से पटाखे चलाने के बारे में पूछे जाने पर अधिकांश ने पटाखे चलाना अनुचित बताया है। आम लोगों का कहना है कि पटाखे चलाने से जहां कर्णफोड़ू ध्वनि में जीना हराम हो जाता है वहीं प्रदूषण इतना बढ़ जाता हे कि सांस लेना भी दूभर हो जाता है।
क्या कहते हैं समाजसेवी-
पूर्व मुख्य शिक्षक एवं अध्यापक नेता कंवरसेन वशिष्ठ का कहना है कि वे दीपावली के दिन प्रदूषण नहीं करेंगे। वे प्रदूषण न चलाने की प्रेरणा देंगे। उन्होंने बताया कि वे इस बार पटाखों पर खर्च की जाने वाली राशि को सरकारी स्कूल के छोटे बच्चों पर खर्च कर उन्हें कापी, किताब, पेंसिल एवं पेन देकर उन पर खर्च करेंगे। इससे बच्चों का मनोबल बढ़ेगा और प्रदूषण भी कम होगा।
उधर कनीना के वृक्षमित्र राजेंद्र सिंह का कहना है कि वे प्रदूषण को रोकेंगे तथा अपने साथियों को चलाने देंगे। वे प्रदूषण के विरुद्ध है। दिवाली के पर्व पर सांस लेना दूभर हो जाता है। ऐसे में प्रदूषण नहीं करने देंगे। उन्होंने बताया कि वे इस बार पटाखों पर खर्च होने वाली राशि को पेड़ पौधों पर खर्च करेंगे साथ में उससे प्राप्त अन्न से जंगली पक्षियों एवं जीवों की सुरक्षा पर खर्च करेंगे। जंगली जीवों के लिए अन्न एवं जल का प्रबंध करेंगे।
कनीना मंडी की कमला देवी का कहना है कि वे प्रदूषण को रोकने के लिए सार्थक प्रयास करेंगी। वे पटाखों पर खर्च होने वाली राशि को गायों के लिए दान देंगी। इससे पटाखों से होने वाले प्रदूषण पर भी काबू पाया जाएगा वहीं पटाखों की राशि गायों की सेवा में लग जाएगी। उन्होंने दूसरी महिलाओं से भी कम से कम प्रदूषण करने की प्रार्थना की है। उनका मानना है कि दीपावली के दिन पटाखों के प्रदूषण से जीना मुहाल हो जाता है।
पूर्व शिक्षक एवं वृक्षमित्र रवंीद्र कुमार ने इस बार ही नहीं वरन कई वर्षों से पटाखों आदि का प्रदूषण रोकने का संकल्प ले रखा है। उन्होंने बताया कि पटाखों पर खर्च होने वाली राशि से फल एवं फूलदार पेड़ एवं पौधे खरीदकर अपने प्लाट में लगाकर प्रदूषण को रोकेंगे। उन्होंने कहा कि पटाखे चलाना अनुचित है जिससे प्रदूषण होता है और सांस लेना भी कठिन हो जाता है।
फोटो कैप्शन: रवींद्र कुमार, कमला देवी, कंवरसेन वशिष्ठ, राजेंद्र सिंह
गेहूं की बिजाई जोरों पर
**************************
********************************
कनीना। कनीना क्षेत्र में जहां सरसों की बिजाई लगभग पूर्ण हो चुकी हैं। गेहूं की बिजाई पूरे यौवन पर है। इस बार किसान देसी गेहूं 306 और 283 उगाने की ओर अग्रसर हैं। उल्लेखनीय है कि कनीना की कई किसान देसी बीज उगा कर तथा केंचुआ खाद डालकर बेहतर स्वास्थ्यवर्धक गेहूं तैयार करने में लगे हुए हैं। कनीना के राजेंद्र सिंह के साथ सूबे सिंह, मोड़ी के गजराज सिंह, करीरा के महाबीर सिंह ऐसे किसान है जो बेहतर से बेहतर पैदावार लेने के लिए देसी गेहूं उगा रहे हैं। उधर कनीना में बीज विक्रेता महेश बोहरा ने बताया कि 306 और 283 गेहूं की मांग रही है। देशी गेहूं 306 नाम से जाना जाता है। हालांकि यह दोनों की पैदावार कम देते हैं किंतु किसानों का रुझान स्वास्थ्य की ओर बढ़ा है। उधर किसान राजेंद्र सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य सुरक्षा के दृष्टिगत 306 तथा 283 बो रहे हैं तथा खाद वर्मी कंपोस्टिंग द्वारा तैयार करके उसी का खेतों में प्रयोग कर रहे हैं। कम पैदावार होने से ये गेहूं अपने घर के लिए तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि इतना गेहूं पैदा नहीं होता कि उसकी बिक्री की जा सके परंतु अपने स्वास्थ्य के दृष्टिगत गेहूं को उगा रहे हैं।
गेहूं 9 हजार हेक्टेयर पर-
कनीना क्षेत्र में गेहूं की बीजाई की ओर इस वर्ष रुझान घटा है। विगत वर्ष की तुलना में करीब 500 हेक्टेयर पर बीजाई कम की संभावना है। अभी बीजाई का काम जारी है।
कनीना क्षेत्र में 20 हजार हेक्टेयर पर सरसों उगाई गई है वहीं 9000 हेक्टेयर पर गेहूं उगाये जाने की संभावना है। इस वक्त गेहूं उगाने कार काम पूरे यौवन पर है। क्षेत्र के किसान गेहूं की बीजाई में व्यस्त हैं। गेहूं की बीजाई 25 नवंबर तक बेहतर मानी जाती है।
कृषि विस्तार अधिकारी कार्यालय के डा देवराज ने बताया कि इस बार करीब नौ हजार हेक्टेयर पर गेहूं की बीजाई की जा रही है। कनीना की 52 हजार हेक्टेयर भूमि मानी जाती है जिस पर सरसों पहले नंबर पर तथा गेहूं दूसरे नंबर पर बोया जा रहा है। उन्होंने किसानों को बीज उपचार करके उगाने की सलाह दी है।
हल्की धुंध पड़ी प्रदूषण बढ़ा
****************************
कनीना। कनीना क्षेत्र में दोपहर तक हल्की धुंध पड़ी तथा वायु दूषित रही।
जहां सोमवार को आकाश में बादल छाए रहे वही मंगलवार को सुबह जल्दी धुंध पड़ती रही जो दोपहर तक चली। कहीं-कहीं तो प्रदूषण अधिक देखने को मिला, ठंड भी बढऩे लगी है।
वैसे तुम नवंबर माह में धुंध पड़ती आई है किंतु इस बार कुछ जल्दी धुंध नजर आ रही है। एक और जहां कोरोना काल में वाहन नहीं चले वही अब लोग जी भर कर वाहन चला रहे हैं। यही कारण है कि वातावरण दूषित होता जा रहा है और धूम कोहरा बनने लगा है।
विज्ञान के जानकार मानते हैं कि जब धुआं या प्रदूषण बढ़ जाता है और ठंड पड़ती तो धूम कोहरा बनता है जो सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक है।
फोटो कैप्शन 1: क्षेत्र में छाया कोहरे जैसा वातावरण।
जमकर प्रयोग कर रहे है कच्ची हल्दी
*****************************
कनीना। इस बार शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कच्ची हल्दी जमकर प्रयोग की जा रही है। सब्जी की दुकानों पर कच्ची हल्दी देखी जा रही है जो बिल्कुल अदरक जैसी नजर आती है। अदरक और कच्ची हल्दी के भाव भी लगभग 60 रुपये किलो चल रहे हैं। ऐसे में लोग इसको शरीर की रोग रोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कच्ची हल्दी प्रयोग कर रहे हैं। वैसे तो सभी घरों में हल्दी सब्जी में डाल कर प्रयोग करते हैं परंतु इस बार कोरोना ने लोगों का रुझान कच्ची हल्दी की ओर बढ़ाया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में सब्जी बेचने वाले रामू, दिनेश मंगेश आदि ने बताया कि अचानक लोग कच्ची हल्दी मांगने लग गए हैं। प्रतिदिन 5 से 7 किलो हल्दी कच्ची हल्दी बेच देते हैं। कच्ची हल्दी को भी दूध में तथा चाय में डालकर पी रहे हैं।
क्या कहते हुए वैद्य-करीरा के बाल किशन और श्रीकिशन वैद्य का कहना है कच्ची हल्दी बहुत लाभप्रद होती है। यह सेहतमंद होती है। यहां तक कि कैंसर में भी लाभ पहुंचाती है, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। वही कच्ची हल्दी चटनी के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है, सोजन रोकने, इंसुलिन के स्तर को संतुलित करने में अहम भूमिका निभाती है। वही कच्ची हल्दी से एंटीसेप्टिक एंटीबायोटिक गुण भी पाया जाता है तथा त्वचा चमकदार बनती तथा इसकी चाय शरीर में रोग रोधक क्षमता बढ़ाती है, वजन कम करने में कारगर है वही लीवर को भी स्वस्थ रखती है।
उधर आयुष मेडिकल अधिकारी बाघोत डा शशी मोरवाल ने बताया कि कच्ची हल्दी को दूध में डालकर सोते वक्त पीना लाभप्रद है। इससे गले का रोग, अस्थमा, वातरोग, हड्डियां रोग आदि में बेहतर साबित हो सकती है।
फोटो कैप्शन 2: कच्ची हल्दी बाजार में।
No comments:
Post a Comment