रविवार को बाजरे की खरीदा नहीं हुई
-उठान 16000 बैग का हुआ
**************************
*************************
************************
कनीना। कनीना मंडी तथा श्रीकृष्ण गौशाला सड़क पर बाजरे की खरीद त्वरित रूप से जारी है। रविवार को कोई बाजरा नहीं खरीदा गया। महज 16000 बैग की लिफ्टिंग की गई।
कुल खरीद 249154 क्विंटल पहुंच चुकी है। करीब 500 किसान प्रतिदिन बाजरा बेच रहे है। बाजरे का उठान केवल पानीपत के लिए हो रहा है। विगत वर्ष का बाजरा रिकार्ड 2,55,000 क्विंटल का रहा है। 21 नवंबर तक खरीद की जाएगी।
कनीना कनीना में बाजरे की खरीद त्वरित गति से चल रही है। उठान की गति भी बढ़ा दी है किंतु वर्तमान में फड़ों पर 39948 बैग फड़ों पर पड़े हैं।
विस्तृत जानकारी देते हुए मैनेजर सतेंद्र यादव ने बताया कि अब तक 249154 क्विंटल के बाजरा खरीदा जा चुका है।
39 दिनों में दोनों खरीद केंद्रों पर 8503 किसानों से 249154 क्विंटल खरीदा बाजरा-
कनीना अनाज मंडी में तथा श्रीकृष्ण गौशाला केंद्र पर बाजरे की खरीद जारी है। सोमवार तक विगत वर्ष का रिकार्ड टूट जाएगा।रविवार तक फड़ों पर 39948 बैग बाजरा पड़ा हुआ है।
कनीना में 39 दिनों में बाजरे की खरीद इस प्रकार हुई------
किसान खरीदा बाजर
1 अक्टूबर 49 किसान 1437 क्विंटल
2 अक्टूबर को कोई खरीद नहीं हुई
3 अक्टूबर 48 किसान 1549 क्विंटल
4 अक्टूबर 19 किसान 602 क्विंटल
5 अक्टूबर 21 किसान 608 क्विंटल
6 अक्टूबर 102 किसान 3107 क्विंटल
7 अक्टूबर 55 किसान 1437 क्विंटल
8 अक्टूबर 102 किसान 2476 क्विंटल
9 अक्टूबर 114 किसान 3236 क्विंटल
10 अक्टूबर खरीद नहीं हुई
11 अक्टूबर खरीद नहीं हुई
12 अक्टूबर 114 किसान 3323 क्विंटल
13 अक्टूबर 132 किसान 3562 क्विंटल
14 अक्टूबर 121 किसान 2935 क्विंटल
15 अक्टूबर 116 किसान 3194 क्विंटल
16 अक्टूबर 115 किसान 2939 क्विंटल
17 अक्टूबर 8 किसान 253 क्विंटल
18 अक्टूबर कोई खरीद नहीं हुई
19 अक्टूबर 194 किसान 5600 क्विंटल
20 अक्टूबर 197 किसान 6456 क्विंटल
21 अक्टूबर 190 किसान 5918 क्विंटल
22 अक्टूबर 301 किसान 9600 क्विंटल
23 अक्टूबर 382 किसान 10806 क्विंटल
24 अक्टूबर 425 किसान 19297 क्विंटल
25 अक्टूबर कोई खरीद नहीं हुई
26 अक्टूबर 370 किसान 12887 क्विंटल
27 अक्टूबर 309 किसान 8250 क्विंटल
28 अक्टूबर 395 किसान 12180 क्विंटल
29 अक्टूबर 350 किसान 10850 क्विंटल
30 अक्टूबर 579 किसान 13661 क्विंटल
31 अक्टूबर 384 किसान 13886 क्विंटल
01 नवंबर कोई खरीद नहीं हुई
02 नवंबर 340 किसान 10000 क्व्ंिाटल
03 नवंबर 320 किसान 5634 क्विंटल
04 नवंबर 322 किसान 5956 क्विंटल
05 नवंबर 338 किसान 6294 क्विंटल
06 नवंबर 360 किसान 6654 क्विंटल
07 नवंबर 346 किसान 7000 क्विंटल
08 नवंबर कोई खरीद नहीं
कनीना मंडी में 39 दिनों में 7000 किसानों से
205751 क्विंटल बाजरा खरीदा जा चुका है।
कनीना का श्रीकृष्ण गौशाला केंद्र पर खरीद इस प्रकार रही- यह केंद्र 27 अक्टूबर से शुरू हुआ है-
27 अक्टूबर 95 किसान 2649 क्विंटल
28 अक्टूबर 120 किसान 3730 क्विंटल
29 अक्टूबर 119 किसान 3397 क्विंटल
30 अक्टूबर 124 किसान 3638 क्विंटल
31 अक्टूबर 104 किसान 3236 क्विंटल
01 नवंबर कोई खरीद नहीं हुई
02 नवंबर 150 किसान 712 क्व्ंिाटल
03 नवंबर 155 किसान 867 क्विंटल
04 नवंबर 175 किसान 1042 क्विंटल
05 नवंबर 153 किसान 1195 क्विंटल
06 नवंबर 162 किसान 1357 क्विंटल
07 नवंबर 146 किसान 15्र3 क्विंटल
08 नवंबर कोई खरीद नहीं हुई
श्रीकृष्ण गौशाला मार्ग पर 13 दिनों में 1503 किसानों से 4234 क्विंटल बाजरा खरीदा गया है।
फोटो कैप्शन 9: कनीना मंडी में बाजरे का उठान करते मजदूर।
कोरोना के आए 9 संक्रमित
**************************
कनीना। कनीना दो कोरोना पाजिटिव वार्ड 11 और 12 में आए। दोनों ही महिलाएं हैं वार्ड 11 से 22 वर्षीय तथा वार्ड 12 से 29 वर्षीय महिला है। 5 नवंबर को इन्होंने टेस्ट करवाया था आज उनका कोरोना पाजिटिव पाया गया। आगामी कार्रवाई कर दी गई है। जानकारी देते हैं सुनील कुमार ने बताया कि दोनों को घर पर आइसोलेट कर दिया गया है। इसके अलावा कोटिया से दो धनौंदा एक, सेहलंग दो,उन्हाणी एवं केमला एक-एक कोरोना संक्रमित मिला है।
देव उठावनी एकादशी होने से भी कपड़ों की मांग बढ़ी है
*************************
कनीना। सर्दी दस्तक देने से गर्म कपड़ों की की मांग बढऩे लगी है। आधुनिक दर्जे के गर्म कपड़ों की मांग को देखते हुए दुकानदार भी विभिन्न प्रकार के गर्म कपड़े रखने लग गए हैं और आए दिन फैशन के नाम पर दुकानें खुलने लगी हैं।
25 नवंबर से देव उठनी एकादशी पर विवाह शादियों का सीजन शुरू हो जाएगा। ऐसे में कपड़ों की विशेषकर आधुनिक कपड़ों की मांग बढऩे लगी है। सिले हुए कपड़ों की दुकान एवं सिलाई करने वाले दर्जियों के पास कपड़े सिलवाने वालों की मांग बढ़ी है वहीं स्कूल एवं कालेजों में जाने वाले विद्यार्थी एवं जवां दिखने की ललक वाले जन फैशन प्वाइंटों पर जाकर आधुनिक दर्जे के फैशनवाले कपड़े खरीदने लगे हैं।
विगत करीब चार वर्षों में सिले हुए कपड़ों की दुकानों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। वर्तमान में करीब तीन दर्जन नए नए फैशन की दुकानें तथा कई सिले हुए कपड़ों की दुकानें खुल चुकी हैं जहां युवा पीढ़ी कपड़े लेने जरूर जाते हैं।
क्या कहता है दुकानदार-
आधुनिक दर्जे के कपड़े सिलने व आधुनिक दर्जे के फैशन के कपड़े की दुकान करने वाले महेंद्र कुमार का कहना है कि नए डिजाइन एवं आधुनिकता से परिपूर्ण एवं गर्म कपड़ों की बेहद मांग हैं। वे दिल्ली से इस प्रकार के कपड़े लाकर युवाओं के लिए प्रदान कर रहे हैं। युवा एवं अन्य जन बेहद आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि निकट भविष्य में शादियां शुरू होने जा रही हैं जिसके चलते नए डिजाइन के कपड़े सिलवाने वालों का तांता लगने लगा है।
गौशाला बनने से फाटक बंद, नगरपालिका के तहत है जमीन
***************************
कनीना। कनीना में किसानों की खड़ी फसल को नुकसान पहुंचाने वाले पशुओं से निजात पाने के लिए बनाया गया फाटक अब जर्जर हो गया है। करीब 20 वर्षों से यह जर्जर हो चुका है। नगरपालिका ने इसकी कोई सुध नहीं ली है। कभी जंगल के पशुओं को यहां लाकर रोका जाता था किंतु अब लोग ही इस फाटक में अपने पशु बांधते हैं।
कनीना पालिका के तहत पुराने समय से फाटक का निर्माण किया हुआ है जहां एक कमरा, आवारा पशुओं के लिए चारा डालने की नांद, पेयजल व्यवस्था, आवास का प्रबंध किया हुआ है। यहां पर एक कर्मचारी की भी तैनाती होती थी जो पशु को रखने व उसे मालिक द्वारा ले जाने का पूरा रिकार्ड रखता था। वर्ष 2000 में जब कनीना पालिका को तोड़ा गया तभी से यहां का कर्मी भी अन्यत्र शिफ्ट कर दिया गया और यह लाखों रुपये का भवन एवं प्रबंध जर्जर बनकर रह गया है।
कभी किसान अपने खेतों में फसल उगाते थे तो कोई पशु फसल में घुस जाता था तो उसे खेत का मालिक इस फाटक तक पहुंचाता था। गेट कीपर उस पशु का रिकार्ड रखता था। जब उस पशु का मालिक अपने पशु को छुड़ा कर ले जाता था तो उससे पूरा पशु पर किया खर्चा लिया जाता था। जब पालिका तोड़ी गई उस वक्त यह बाड़ा समाप्ति के कगार पर पहुंच गया। यहां का स्टोर कीपर अन्यत्र भेज दिया गया। आज लाखों रुपये का भवन एवं चारदीवारी जर्जर हो चुकी है।
कभी इस फाटक में आवारा पशुओं को रखा जाता था किंतु आज यहां कुछ लोग अपने पशु बांधते हें और भेड़ बकरियों का बाड़ा बनाया हुआ है। रही पानी की बात तो गंदे नाले का जल इसमें भरा रहता है। लोगों ने इस भवन के अंदर ईंधन डाल रखा है और धीरे धीरे कब्जा किया जा रहा है। आज इस फाटक के बाहर आवारा सुअर स्वागत करते नजर आते हैं। द्वार पर बना हुआ कमरा अति जर्जर हो चला है और कभी भी गिर सकता है। द्वार पर पशुओं के लिए बनाई गई नांद अब जर्जर हो चुकी है वहीं लोगों ने कूड़ा कचरा डालकर मलिन कर रखा है। बीच में एक झोपड़ी डाली हुई है जहां भेड़ बकरी बांधने का बाड़ा बनाया हुआ है। बेश कीमती जगह को गंदगी का घर बनाया जा रहा है।
कभी होती थी भारी आय-
इस फाटक से किसी वक्त भारी आय होती थी। जब किसी भी व्यक्ति की भैंस, गाय या फिर अन्य जीव खूंटा तुड़वाकर किसी किसान के खेत में घुस जाता था तो खेत का मालिक बिना किसी रहम किए तुरंत फाटक में पहुंचा देता था। इस प्रकार पशु का मालिक उसे छुड़ाने के लिए अता तो उससे जुर्माना वसूला जाता था।
बाद में आवारा जंतुओं को बंद करने लगे-
बाद में किसान अपने खेतों से आवारा गायों को खेत से घेरकर इसी फाटक में बंद कर देते थे किंतु उस वक्त फाटक का गेट कीपर नहीं होता था। बाद में कनीना में गौशाला बना देने पर फाटक का कोई औचित्य नहीं रहा था।
क्या कहते हैं अधिकारी-
नगरपालिका प्रधान सतीश जेलदार का कहना है कि इस समय फाटक का कोई औचित्य नहीं रहा है। यहां पर गेट कीपर भी अन्यत्र भेजा जा चुका है। यहां पर बना 50 बाई 50 का भवन जर्जर हो चुका है जिसकी सरकार से अनुमति लेकर नीलामी की जा सकती है। करीब डेढ़ कनाल जमीन पर चारदीवारी करके नगरपालिका का कब्जा किया हुआ है।
फोटो कैप्शन 10: फाटक का जर्जर भवन।
****************
खत्म कर दी है बुर्जी और सेहदा
-लाल पत्थर भी इक्का-दुक्का नजर आता है
************************
कनीना। 1962 में चकबंदी के समय हर 5 एकड़ एवं 10 एकड़ पर स्थापित किए गए लाल पत्थर, दो गांवों की सीमा पर स्थापित बुर्जी, तीन गांवों की सीमा पर स्थापित सेहदा धीरे-धीरे किसानों ने खत्म कर दिया। अब जब पैमाइश होती है तो इनके अभाव में भारी परेशानी उठानी पड़ती है। कभी-कभी तो दो गांवों की सीमा विवाद के चलते धरती को खोदना पड़ता है और बनाई गई बुर्जी को देखना होता है।
चकबंदी के समय में पूर्व से पश्चिम दिशा में हर 5 एकड़ पर तथा उत्तर से दक्षिण पर दिशा में 10 एकड़ पर लाल पत्थर नाम से पत्थर गाड़े गए थे। गहराई तक गाड़े गये ये पत्थर आज भी वैसे के वैसे मिल सकते हैं। यह सत्य है कि किसानों ने उनको इसलिए काट दिया या तोड़ डाला क्योंकि वे हल चलाने में या ट्रैक्टर द्वारा जुताई करने में समस्या बन रहे थे परंतु जब भी पैमाइश की जाती है तीन लाल पत्थरों का ही सहारा लिया जाता है। यदि इन पत्थरों की दूरी में कहीं फर्क भी पाया जाता है तो उसे किले से काट दिया जाता है। ये चकबंदी की बेहतरीन व्यवस्था थी। जब पैमाइश की गई, खेत का रास्ता छोड़ा गया था बहुत ही सूझबूझ से काम लिया गया था। पैमाइश के लिए, भविष्य के लिए भी लाल पत्थर छोड़े गए थे। दो गांवों की सीमाओं पर बुर्जी बनाई गई थी ताकि दूर से और नजर आए। वहीं तीन गांवों की सीमा पर सेहदा बनाए जाते थे और आज वो सेहदा नजर नहीं आते और लाल पत्थर भी नजर नहीं आते। यही हालात बुर्जियों की है।
दो गांव की सीमा पर बुर्जी स्थापित की जाती थी और जो गहराई पर स्थापित की जाती थी। कच्चा कोयला भरकर चूना से बनाई जाती थी। ऊपर लाल पत्थर या बुर्जी बनाई जाती थी ताकि दूर से दिखाई दे कि यह दो गांव की सीमा है और उन सीमाओं पर दोनों गांव के लोग पेड़ पौधे लगाते थे। विवाह शादी के समय भी इन सीमाओं पर रस्म अदा की जाती थी।
तीन गांव की सीमा हो वहां पेयजल सप्लाई टैंक जैसा सेहदा बनाया जाता था। यह भी 6-7 फुट गहराई तक गाड़ा जाता था। दूर से दिखाई देता था कि यहां 3 गांवों की सीमा लगती है।
ये बुर्जी और सेहदा खसरा एवं गिरदावरी में नोट किये जाते थे। जब भी पैमाइश की जाती है तीन लाल पत्थरों से मिलान करके की जाती है। यदि कहीं अंतर आता है तो किले से काटने की परंपरा है।
क्या कहते हैं उमेद सिंह जाखड़ पटवारी-
उमेद सिंह जाखड़ पटवारी का कहना है कि बुर्जी, सेहदा,लाल पत्थर चकबंदी की निशानी ही नहीं भविष्य में की जाने वाली पैमाइश का आधार होती है। इनके साथ छेड़छाड़ करना अपराध है। यदि इनके साथ छेड़ करता है तो उसकी एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। नियम अनुसार ऐसे व्यक्ति को सजा का प्रावधान है।
विवाह शादी में निभाई जाती है परंपरा-
विवाह शादी करके दुल्हन को गाड़ी में लाया जाता है तो वह अपने साथ एक लाल कपड़े से बंधेे हुए करवे में मिठाई तथा पैसे आदि डालकर लाते हैं। जब अपने गांव की सीमा में प्रवेश करते है तो इसे फेंक दिया जाता है। यद्यपि इसके पीछे माना जाता है कि जंगली जीव इस मिठाई को खाएंगे और वह भी खुश हो जाएंगे।
कौन-कौन सी सीमाएं लगती है-
कनीना की कुल 2383 हेक्टेयर भूमि है जिसके चारों ओर कोटिया, करीरा, भडफ़, उन्हाणी, चेलावास, ककराला, गाहडा आदि गांवों की सीमाएं लगती हैं। लगभग सारे पत्थर और बुर्जी सेहदा आदि तोड़ दिए हैं या भूमि में दबे हुए हैं। जब कभी गांवों की सीमा का विवाद हो जाता है तो बुर्जी को भूमि से खोदकर ढूंढा जाता है। परंतु ऐसा भी होता है कि कई बार ये नहीं मिलती।
फोटो कैप्शन 1 और 2: लाल पत्थर एवं लाल पत्थर को दिखाता किसान देशराज कोटिया।
राजीव गांधी पंचायती राज संगठन की कनीना में हुई बैठक
ग्रामीणों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाएगा राजीव गांधी पंचायती राज संगठन
-जयदीप यादव
***************************
कनीना।राजीव गांधी पंचायती राज संगठन की बैठक रविवार को कनीना में जयदीप यादव राजीव गांधी पंचायत राज संगठन प्रदेश अध्यक्ष के मुख्य आतिथ्य में हुई। बैठक में मुख्य अतिथि जयदीप यादव ने संगठन के सदस्यों में ग्रामीणों द्वारा जो समस्याएं बताई गई उन पर विचार विमर्श किया गया। उन समस्याओं को संगठन के माध्यम से जिला प्रशासन को अवगत कराने का निर्णय लिया गया।
प्रदेश अध्यक्ष जयदीप यादव ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि राजीव गांधी का मकसद था कि पंचायती राज मजबूत हो उसी के विस्तार के लिए यह संगठन बनाया गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता नीरज चौधरी ब्लॉक अध्यक्ष ने की । जयदीप ने कहा कि आने वाले समय में संगठन मजबूत करेंगे, सबको साथ लेकर चलेंगे। पंचायत चुनाव में युवाओं की साझेदारी पर जोर देंगे। महेंद्रगढ़ जिले में कम से कम 10 व्यक्तियों को यहां पर जिम्मेदारी 31 दिसंबर तक दी जाएगी। एक जनवरी से स्थानीय मुद्दों पर चर्चा करके धरना प्रदर्शन करके। सरकार को जागृत करेंगे करके राजीव गांधी का पंचायती राज का मजबूत करने का सपना पूरा करेंगे। सत्ता की सरकार विकेंद्रित हो चुकी है । सत्ता में भागीदारी दिलाने के लिए पंच, सरपंच, पार्षद, इनको अधिकार दिलाएंगे। संगठन को मजबूत करके किसी भी काम को हम हासिल कर सकते हैं,इसलिए सभी सदस्य संगठन को मजबूत करने की तैयारी करेंगे। गांव के युवाओं के साथ साथ पंच सरपंचों को भी संगठन से जोड़ेंगे । विधानसभा चुनाव में अटेली हल्के में कांग्रेस पार्टी को तकरीबन 9000 वोट आए थे। यह हमारे लिए बुरा समय था। इस को ध्यान में रखते हुए संगठन को मजबूत करेंगे। ग्राम स्वराज्य को पूर्ण स्वराज्य व गांव के लोगों को पंचायती राज के बारे में जानकारी देंगे। इसके साथ ही पंचायती राज में युवाओं को हिस्सेदारी कैसे लेनी चाहिए इसके बारे में जागृत करेंगे। पिछले 5 से 6 साल में विकास के नाम पर अंकुश लगा हुआ है । सरकार ने अभी तक कोई विशेष विकास नहीं किया है। चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में सरपंच, ब्लाक समिति मेंबर, पंच, पार्षद को विकास करवाने के लिए एक- एक करोड़ तक की ग्रांट दी गई थी लेकिन वर्तमान सरकार कोई भी विकास नहीं कर रही है। एडवोकेट लव कुमार ने उपस्थित युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि हर ब्लॉक में जाकर लोगों को जागृत करेंगे। उनको जिम्मेवारी देंगे उसके बाद हर गांव में पहुंचेंगे नए साल में स्थानीय मुद्दे उठाकर सरकार के सामने रखेंगे। कोरोना काल में शिक्षा नीति श्रमिक कानून व किसानों के अध्यादेश लागू कर दिए गए। वर्तमान सरकार ने चुने हुए प्रतिनिधियों से बात करना भी उचित नहीं समझा ना ही किसी को आवाज उठाने का मौका दिया। इस तरह की मना मानी कांग्रेस बर्दाश्त नहीं करेगी। संगठन के कार्यकर्ता किसी भी स्तर पर जाकर सरकार के सामने किसान आमजन गरीबों की बात रखेंगे। एमएसपी के ऊपर लिखित में कानून लेकर आए। जिस तरह से गन्ने को लेकर किसान सीधे मील पर जाता है उसका मोल भाव मिल मालिक करता है। ठीक उसी प्रकार वर्तमान सरकार किसान विरोधी अध्यादेश लेकर आई है। इससे किसानों को बहुत अधिक नुकसान होगा। किसान अपनी फसल का भाव खुद से नहीं कर सकेगा पूंजीपतियों की जेब भर जाएंगी। अगर यह किसान विरोधी अध्यादेश लागू हुआ तो यह किसानों पर अत्याचार होगा और कांग्रेस अत्याचार बर्दाश्त नहीं करेगी। इस दौरान नीरज चौधरी ब्लॉक अध्यक्ष राजीव गांधी पंचायती राज संगठन, राहुल यादव यूथ जिला महासचिव, एडवोकेट पंकज, एडवोकेट दीपक, हरिओम एडवोकेट, हुकम चौधरी, बलजीत सिंह, मोनू खेड़ा, शकील खान, हेमंत जैलदार, बंटी चौधरी, राजेश, अमित कनीनवाल, योगेश यादव, कुलदीप यादव, कुंदन कनीना, ललित चौधरी, बलवान कनीनवाल, उपस्थित रहे।
फ़ोटो कैप्शन 3 व 4:राजीव गांधी पंचायती राज संगठन प्रदेश अध्यक्ष जयदीप यादव युवाओं को संबोधित करते हुए ।
लाखों रुपए की जन-सुविधा बनी है दुविधा
-दीवाली तक शुरू होने की संभावना
*************************
************************
कनीना। कनीना के पूर्व एसडीएम संदीप सिंह द्वारा कनीना में जहां वर्ष 2017-18 में ई-टायलेट, फ्रेंडली टायलेट, इको फ्रेंडली टायलेट आदि कई नामों से जन-सुविधाएं (शौचालय)स्थापित करवाये थे किंतु इनमें से ई-टायलेट अब दुविधा बन चुके हैं। तीन अलग अलग स्थानों पर करीब 6-6 लाखे रुपये की लागत वाली ई-टायलेट बनवाई थी किंतु स्थापित होने के बाद से खराब पड़ी हैं।
ये तीन ई-टायलेट पशु अस्पताल, तहसील कार्यालय कार्यालय, उप नागरिक अस्पताल में स्थापित किये गये थे। अब जन सुविधा लोगों के लिए दुविधा बन रही है। तीनों टायलेट काम नहीं कर रहे हैं। पशु अस्पताल में तो पहले से ही द्वार के पास जहां पशुओं के पीने के लिए पानी की खेल तथा पुराने टायलेट बनी हुई थी जिन्हें खत्म करके ई-टायलेट बनाया गया है। जब से ई-टायलेट स्थापित हैं तब से तीनों बेकार पड़े हैं। पूर्णता स्वचालित जन-सुविधा जहां अनेकों विशेषताओं से परिपूर्ण मानी जाती थी किंतु अनेकों खामियों से परिपूर्ण बन गई है।
यह पूर्ण स्वचालित टायलेट इंसान के प्रवेश करने पर अपने आप बंद हो जाते थे और दूसरा व्यक्ति उसमें प्रवेश नहीं कर सकता था। इंसान जब इसका उपयोग कर लेता था पानी अपने आप चलता था जो सेंसर पर आधारित थे।
डा अजीत कुमार का कहना है कि कभी यहां पुराने समय की जन-सुविधा थी जो लोगों के काम आ रही थी। उसको तोड़कर यह आधुनिक दर्जे की जन-सुविधा बना तो दी किंतु काम ही नहीं कर रही जिसके चलते लोग इधर-उधर पेशाब करने को मजबूर है। महिलाएं तो बहुत परेशान है।
उधररविकुमार दुकानदार का कहना है कि जन सुविधा के नाम पर परेशानी मिल रही है। लघु शंका के लिए भी उन्हें बहुत दूर जाना पड़ता है। जहां दुकान का काम छोड़कर दूर जाने से दुकानदारी भी खराब हो जाती है। उन्होंने नगर पालिका से मांग की है कि इसे तुरंत चालू करवाया जाए ताकि लोगों को सुविधा प्राप्त हो सके।
क्या कहते हैं नगरपालिका प्रधान-
नगर पालिका प्रधान सतीश जेलदार से इस संबंध में बात की तो उन्होंने बताया कि ई टायलेट बनाने वाली कंपनी के अधिकारियों को बुलया गया था जिन्होंने पांच हजार रुपये प्रति माह रख रखाव का खर्चा देने की बात कही है। पालिका ने यह स्वीकार कर लिया है। ऐसे में दीपावली तक ये तीनों ई-टायलेट शुरू होने की पूरी संभावना है।
फोटो कैप्शन 4: ई-टायलेट जो बंद पड़ी है साथ में रवि कुमार, डा अजीत शर्मा, पालिका प्रधान सतीश जेलदार।
No comments:
Post a Comment