35 दिनों में 8489 किसानों का बाजरा खरीदा गया
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-अब 10 दिनों में 4500 खरीदा जाना है किसानों का बाजरा
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कनीना। कनीना दो खरीद केंद्र होते हुए भी सभी किसानों का बाजरा खरीदा जाना कठिन सा लग रहा है। 35 दिनों में जहां 8489 किसानों का बाजरा खरीदा गया है, अभी 4500 किसान बाजरा बेचने का इंतजार कर रहे हैं। यद्यपि खरीद 100 किसानों से शुरू हुई थी, बढ़कर 200 तत्पश्चात 400 फिर 500 किसान प्रतिदिन बुलाए जाने लगे परंतु इस गति से भी किसान बुलाए गये तो 15 नवंबर तक एक एक बार सभी किसानों का नंबर आ जाएगा।
हैफेड मैनेजर सतेंद्र यादव ने बताया कि गुरुवार को जहां कनीना मंडी में 338 किसानों ने 10480 क्विंटल बाजरा बेचा वहीं अब तक 6294 किसान बाजरा बेच चुके है और अब तक 185791 क्विंटल बाजरा खरीदा जा चुका है। एक मानदंडों को पूरा न करने पर एक ढेरी रिजेक्ट कर दी गई। अब तक 331171 बैग की लिफ्टिंग हो चुकी है। गुरुवार को श्रीकृष्ण गौशाला रोड पर 153 किसानों ने 4590 क्विंटल बाजरा बेचा। जबकि लिफ्टिंग 6000 की हुई। अब तक 221371 क्विंटल बाजरा खरीदा जा चुका है जबकि विगत वर्ष का रिकार्ड 2 लाख 50 हजार क्विंटल बाजरे का है जो जल्द ही टूट जाएगा।
सरपंचों की ली बैठक
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कनीना। कनीना के एसडीएम रणवीर सिंह ने विभिन्न गांवों के सरपंचों की बैठक ली जिसमें मनरेगा योजना के तहत काम दिया जाना है।
एसडीएम ने कहा कि मनरेगा के तहत तुरंत प्रभाव से गांवों में मुनादी करवा दी जाए जो व्यक्ति मनरेगा के तहत काम करना चाहे उन्हें नहर सफाई के कार्य में काम दिया जा सकता है। जिन गांवों के पास से नहर गुजरती है उन्हीं गांवों के सरपंचों को बुलाया गया था। उन्होंने कहा कि तुरंत प्रभाव से ऐसे व्यक्ति खंड विकास पंचायत अधिकारी कार्यालय में आकर अपना नाम रजिस्टर्ड करवा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि परिवार पहचान पत्र बनवाने बहुत जरूरी है। इस काम को प्राथमिकता दी जाए तथा मुनादी करवा दी जाए। इस मौके पर सीहोर कोटिया, करीरा, उच्चत, खेड़ी तलवाना, उन्हाणी, धनौंदा, भडफ़,अगिहार, इसराणा आदि गांवों के सरपंच मौजूद थे। इस वक्त पड़तल, भालकी और गोमला में मनरेगा योजना के तहत कार्य चल रहा है।
फोटो कैप्शन 7: एसडीएम सरपंच की बैठक लेते हुए।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कंवर सिंह कलवाड़ी की पत्नी का निधन
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कनीना। जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कंवर सिंह कलवाड़ी की धर्मपत्नी राम कला 77 का गुरुवार को स्वर्गवास हो गया है। वे चंद दिनों से बीमार चल रही थी।
उनका अंतिम संस्कार कलवाड़ी में कर दिया गया है। वह अपने पीछे 2 पुत्र दो पुत्रियां
पौत्र एवं पौत्री आदि भरा पूरा परिवार छोड़ गई है।
उनके अंतिम संस्कार में महिपाल नम्बरदार, रमेश सरपंच, सुनील अत्री, शिबू तंवर, सुंदर गुर्जर, मनोज पहलवान, बेदू राता, धर्मेंद्र रोहिल्ला, अल्केश यादव, कुलदीप यादव, प्रसनजीत, आरोहण आदि उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन: स्व रामकला
आरओ का उद्घाटन किया, लेखन सामग्री बांटी और पौधारोपण किया
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कनीना। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धनौंदा में यूपीएल कंपनी की ओर से स्कूल के लिए आरओ का उद्घाटन यूपीएल कंपनी के राष्ट्रीय हेड मुखिया डा एसएन त्रिपाठी ने किया। तत्पश्चात पौधारोपण किया, लेखन सामग्री वितरित की। इस मौके पर अध्यक्षता प्राचार्य कृष्ण कुमार ने की।
इस मौके पर डा एसएन त्रिपाठी का स्कूल में स्वागत किया तथा उन्होंने 45 लीटर वाटर आरओ का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में पानी की विशेष मांग है। विद्यार्थियों को बेहतर दर्जे का ठंडा आरओ का पानी मिलेगा तो सेहत सही रहेगी। यदि सेहत बनी रहेगी तो विद्यार्थी भविष्य में कुछ बन पाएंगे। उन्होंने कहा यूपीएल कंपनीके पूरे संसार के 200 देशों में कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि उनका मुख्य क्षेत्र रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिला है जहां भारत का 80 प्रतिशत कंपनी का काम यहीं पर निर्भर है। यहां पानी फव्वारों द्वारा दिया जाता है। पानी की कमी है। वही क्षेत्र में बहुत अधिक किसान है। कंपनी का उद्देश्य है कि किसानों के साथ साथ किसानों के बच्चों को सुविधाएं उपलब्ध करवाना है। कंपनी जो कुछ आय प्राप्त करती है उसमें से 2 प्रतिशत सामाजिक कार्यों में खर्च करती है जिसके परिणाम स्वरूप विभिन्न स्थानों पर कार्य किए हैं। और इसी कड़ी में धनौंदा में आरओ स्थापित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पूरे संसार में इस कंपनी का तीसरा स्थान है। जहां कृषि रासायनिक, बीज उत्पादन आदि का कार्य में कंपनी करती है और किसानों के सुख दुख में सदा तैयार मिलती है। उन्होंने कहा कि जहां लिसान गांव में कंप्यूटर लैब स्थापित करवाई जा रही है वहीं कंपनी सबसे पहले किसी स्कूल से पूछती है कि वह मुख्य आवश्यकता क्या है? स्मार्ट टीवी, कंप्यूटर लैब, पानी की सुविधा आदि प्रदान करना कंपनी का दायित्व बनता है। उन्होंने कहा कि बच्चे यदि पढ़ लिखकर महान बनेंगे तो देहात का नाम रोशन करेंगे। उन्होंने विद्यार्थियों को आगे बढऩे की अपील की। उन्होंने कहा कि क्षेत्र का मुख्य धंधा कृषि है किंतु 15 साल से कम उम्र के बच्चों से काम नहीं लिया जा सकता है । किसी छुट्टी/अवकाश के दिन उनको कोई जानकारी दी जा सकती है। भारत के लोग आज भी परंपरागत खेती करते हैं। यही कारण है कि किसान आज भी कुछ बेहतर हालात में नहीं है। किसान कोई भी हो सकता है चाहे वह शिक्षक है, वह भी किसान का कार्य करता है। उन्होंने कहा कि करीब आके महिपाल सिंह शिक्षक के बदौलत विद्यालय में यह आरओ स्थापित किया गया है जो विद्यालय की प्रमुख मांग थी। इस मौके पर प्राचार्य कृष्ण कुमार ने भी अपने विचार रखे।
इस मौके पर उन्होंने स्कूल परिसर में पौधारोपण किया और कहा कि यह पौधे सदा सदा रहते हैं। सदा उनको भविष्य में याद दिलाते रहते हैं। विद्यार्थियों को लेखन सामग्री वितरित की गई। इस अवसर पर एरिया मैनेजर राम किशन जाट और प्रमोद सिंह, प्राध्यापक राजेश कुमार, प्राध्यापक अनूप सिंह, प्राध्यापक राजकरण, मुख्याध्यापक महिपाल सिंह अध्यापक, संजय सिंह पीटीआई, प्रीति, लक्ष्मी यादव,सूबे सिंह महिपाल सिंह कनीना, महिपाल शास्त्री करीरा,सीमा, कविता, मैना,सुनीता सहित समस्त स्टाफ उपस्थित था।
फोटो कैप्शन 8: पौधारोपण करते हुए डा एसएन त्रिपाठी
9: आराओ का उद्घाटन करते हुए
10 लेखन सामग्री वितरित करते हुए एसएन त्रिपाठी।
बाजार से चाइनीज लाइट की लडिय़ां गायब
-दीये बनाने वालों में उत्साह
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कनीना। हर वर्ष दीवाली पर यहां के बाजार में चीन के आइटम बाजार में छाए रहते हैं किंतु इस बार टीम से बेहतर संबंध न चलने के कारण सरकार द्वारा कुछ एप पर रोक लगाने के बाद चाइनीज वस्तुएं अब धीरे-धीरे घटती जा रही हैं। दीवाली पर विशेष लाइट मंगाकर बेची जाती थी जो इस बार गायब हैं। इक्का-दुक्का दुकानदार पुराना स्टाक निकाल रहे हैं। नया सामान चाइनीज रूप में नहीं आ रहा है। यही कारण है कि अब दीये बनाने वाले खुश नजर आ रहे हैं। यदि चाइनीज लाइट नहीं आएगी तो दीये एवं मोमबत्ती जलाकर खुशियां मनाने का जरिया बन जाएगा।
दुकानदार चाइनीज आइटम लाने के प्रयास भी नहीं कर रहे वही देशभक्ति भी दिखा रहे हैं। इसलिए चाइनीज लाइट गायब है।
क्या कहते इलेक्ट्रानिक सामान बेचने वाले----
रविंद्र कुमार का कहना है कि भारत के संबंध चीन से अच्छे नहीं हैं वहीं बेरोजगारों की कमी नहीं है। उनके द्वारा बनाए गए सामान को बेचने के लिए तैयार है। इससे भारत में रोजगार बढ़ेेंगे। वे चाइनीज आइटम का बहिष्कार कर रहे हैं। अगर कहीं भी उपलब्ध होंगे तो वे खरीदकर नहीं लाऐं।
उधर सुरेश कुमार का कहना है कि हर वर्ष चाइनीज आइटम छाए रहते थे। उन्होंने चाइनीज आइटम खरीदने की अभी तक न सोची है और न हीं बाजार में उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि भारतीय वस्तुएं बाजार में अब तो आ रही है। उनको बेचकर अपनी रोटी रोजी कमाएंगे। इससे भारतीयता के साथ-साथ बाद के लोगों को रोजगार भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि लंबे समय से इलेक्ट्रानिक सामान बेचा है किंतु वे सदा ही भारत के साथ रहे हैं। भारतीयों का सामान बेचकर भारत के लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने में मदद करेंगे।
जागी दीये बनाने वालों में आश---
दीपावली के प्रति कुम्हार एवं दीये बनाने वाले लोगों में आस जागी हैं। एक दिया बनाने में 5 दिन तक लग जाते हैं और भारी मेहनत की जाती है। जिस पर इन लोगों का व्यवसाय टिका हुआ है। यद्यपि यह व्यवसाय मौसमी हो गया है। दीये बनाने में बुत कठिनाई झेलनी होती है।
दीयो के लिए मिट्टी भी दूर से लानी पड़ती है वह भी खरीदकर लानी पड़ती है। धनौंदा के सतबीर सिंह, लक्ष्मी, पूजा, देवेंद्र आदि ने बताया कि यह कार्य पुरखों से करते आ रहे हैं। विगत दीपावली पर नहीं तो न तो अधिक घड़े और न दीये बिके थे। किंतु इस बार उन्हें आशा है। उधर कनीना के कुंदन लाल, मनोहरलाल कुंदन सिंह, जगदीश कुमार, अशोक कुमार, हरि सिंह आदि ने बताया बड़ी मेहनत करके दीये बनाते हैं। माटी दड़ौली तथा नांगल मूंदी आदि से लाते हैं फिर भी मेहनत का परिणाम अच्छा नहीं आता।
दीये बेचने वाले राजेश कुमार ने बताया कि छोटा एक रुपए प्रति दीया बेचते हैं तथा बड़ा दीपक पांच रुपये का है। इस प्रकार अपनी रोटी रोजी दीये से कमाते हैं। यद्यपि मांग घटने से इनका व्यवसाय घटता जा रहा है। उन्होंने मांग की है कि कम से कम दीये जरूर प्रयोग करें ताकि उनकी मेहनत का रंग बेहतर आ सके।
फोटो कैप्शन 03: दीये बेचता हुआ राजेश कुमार
02: दीये बनाता हुआ एक जाति विशेष का लोग।
लाखों रुपए की जनसुविधा बनी है दुविधा
-दीवाली तक शुरू होने की संभावना
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कनीना। कनीना के पूर्व एसडीएम संदीप सिंह द्वारा कनीना में जहां वर्ष 2018 तक ई-टायलेट, फ्रेंडली टायलेट, इको फ्रेंडली टायलेट आदि कई नामों से जन सुविधाएं स्थापित करवाई थी किंतु इनमें से ई-टायलेट अब दुविधा बन चुकी हैं। तीन अलग अलग स्थानों पर करीब 6-6 लाखे रुपये की लागत वाली ई-टायलेट बनवाई थी किंतु स्थापित होने के बाद से खराब पड़ी हैं।
ये तीन ई-टायलेट पशु अस्पताल, तहसील कार्यालय कार्यालय, उप नागरिक अस्पताल में स्थापित किये गये थे। अब यह जन सुविधा लोगों के लिए दुविधा बन रही है। तीनों टायलेट काम नहीं कर रहे हैं। इससे पहले पशु अस्पताल के द्वार के पास जहां ई-टायलेट बना है वह पशुओं के पीने के लिए पानी की खेल तथा पुराने टायलेट को खत्म करके बनाया गया है। जब से ई-टायलेट स्थापित हैं तब से बेकार पड़ी हैं। पूर्णता स्वचालित जन-सुविधा जहां अनेकों विशेषताओं से परिपूर्ण मानी जाती थी किंतु अनेकों खामियों से परिपूर्ण बन गई है।
यह पूर्ण स्वचालित टायलेट इंसान के प्रवेश करने पर अपने आप बंद हो जाती थी और दूसरा व्यक्ति उसमें प्रवेश नहीं कर सकता था। इंसान जब इसका उपयोग कर लेता था पानी अपने आप चलता था किंतु वर्तमान में बेकार पड़ी है। डा अजीत कुमार का कहना है कि कभी यहां पुराने समय की जन-सुविधा थी जो लोगों के काम आ रही थी। उसको तोड़कर यह आधुनिक दर्जे की जन-सुविधा बना तो दी किंतु काम ही नहीं कर रही जिसके चलते लोग इधर-उधर पेशाब करने को मजबूर है। महिलाएं तो बहुत परेशान है।
उधर महेंद्र, दिनेश, रवि कुमार दुकानदार का कहना है कि जन सुविधा के नाम पर परेशानी मिल रही है। लघु शंका के लिए भी उन्हें बहुत दूर जाना पड़ता है। जहां दुकान का काम छोड़कर दूर जाने से दुकानदारी भी खराब हो जाती है। उन्होंने नगर पालिका से मांग की है कि इसे तुरंत चालू करवाया जाए ताकि लोगों को सुविधा प्राप्त हो सके। वर्तमान में पशु अस्पताल, उप नागरिक अस्पताल तथा तहसील कार्यालय में बनाई हुई टायलेट बेकार पड़ी हैं।
नगर पालिका प्रधान सतीश जेलदार से इस संबंध में बात की तो उन्होंने बताया कि ई टायलेट बनाने वाली कंपनी के अधिकारियों को बुलया गया था जिन्होंने पांच हजार रुपये प्रति माह रख रखाव का खर्चा देने की बात कही है। पालिका ने यह स्वीकार कर लिया है। ऐसे में दीपावली तक ये तीनों ई-टायलेट शुरू होने की पूरी संभावना है।
फोटो कैप्शन 4: ई-टायलेट जो बंद पड़ी है
गाड़ी में बैठाकर ले गया दूर झाडिय़ों में फिर की छेड़छाड़
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कनीना। उपमंडल में एक 27 वर्षीय उत्तरप्रदेश की महिला जो कनीना में किराए के मकान में रहती है को कनीना का युवक अपनी गाड़ी में बैठाकर दूर झाडिय़ों में ले गया और छेड़छाड़ की।
पुलिस में मीनाक्षी एडवोकेट के जरिये शिकायत दर्ज करवाई है कि वह पुलिस थाना के पास एक विमल क्लाथ एंपोरियम में काम करती है। 4 नवंबर को शाम के समय जब काम करके अपने घर आ रही थी। जब प्रिया ब्यूटी पार्लर के पास पहुंची तो सुरेंद्र आंडी पुत्र ओमप्रकाश छक्कडिय़ा सफेद कार लेकर आया और उन्हें गाड़ी में बैठ जाने की धमकी दी। उन्होंने धमकी दी कि कार में नहीं बैठी तो वह उसे और उनके पति को खत्म कर देंगे। डर के मारे औरत गाड़ी में बैठ गई। आंडी उसे ककराला की झाडिय़ों में ले गया, कपड़े फाड़ दिए, बदतमीजी की और जोर जबरदस्ती की। आंडी शराब के नशे में बताया जाता है। उन्होंने जबरदस्ती फोन छीन लिया और मिन्नत करने पर भी फोन नहीं दिया। औरत के चेहरे को भी दांतों से काटा। तत्पश्चात उसे अपनी गाड़ी में बैठाकर कनीना की हरिजन बस्ती वार्ड नंबर 3 में छोड़ गया। उन्होंने पुलिस में अपने बयान दर्ज कराए हैं। कनीना पुलिस इस संबंध में छानबीन कर रही है।
दीवाली पर्व की तैयारियां जारी, पर बाजारों में रौनक फिकी
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कनीना। वैसे तो इस वर्ष सभी त्योहार कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गए चुके हैं। इसलिए इस बार सभी त्योहारों की रंगत फीकी नजर आई हैं। गत 8 माह से भारत ही नहीं पूरा विश्व कोरोना महामारी की मार झेल रहा है तथा सभी लोगों का आर्थिक जीवन संकट में आ रखा है। वही करोना महामारी को रोकने के लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार के द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है, तथा कोरोना महामारी के कारण इस बार सभी त्योहार कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गए। वहीं दूसरी तरफ दीपों का त्योहार दीवाली के कुछ दिन शेष बचे हैं। इसलिए लोग दीवाली के त्योहार की तैयारी में जुट गए हैं तथा स्थानीय लोग दुकानदार, घरों और दुकानों की साफ-सफाई रंग रोगन में जुटे हुये हैं। 14 नवंबर को दीवाली का त्योहार कोरोना महामारी के साथ मनाया जाएगा। इस बार इतिहास में पहली बार दीवाली के दिन आतिशबाजी नजर नहीं आएगी और क्योंकि सरकार ने पटाखों पर रोक लगा दी। इसलिए इस बार दीवाली का त्योहार बिना आतिशबाजी के मनाया जाएगा तथा कही भी आतिशबाजी का शोर शराबा सुनाई नहीं देगा, इसके लिए प्रशासन ने भी आतिशबाजी के लिए दुकानदारों को हिदायत दी है। आतिशबाजी नहीं होगी और बिना आतिशबाजी के ही लोग दीपावली का त्योहार कोरोना महामारी के बीच मनाएंगे। हालांकि दीपावली के त्यौहार की रंगत बाजारों में नजर आने लग गई है तथा दुकानें भी सजने लग गई है। किंतु प्रतिवर्ष जहां नवरात्रों में लोगों की बाजार में काफी भीड़ नजर आती थी लेकिन इस बार नवरात्रों में लोगों ने कोरोना महामारी के कारण खरीददारी नहीं की ओर न हीं बाजारों में भीड़ नजर आई। इसलिए इस बार दुकानदारों को दीवाली के त्योहार पर काफी उम्मीदें हैं इसके चलते दुकानदार भी आस लगाकर बैठे हैं और काफी दुकानें सज गई है। लोग ओर दुकानदार सभी दीपों का त्योहार दीवाली की तैयारियों में जुट गए है।
घरों की रंगाई कर दे रहे हैं नया रूप-
ग्रामीण अंचल में तो अधिकांश महिलाएं परंपरागत अनुसार कच्चे घरों के गाय के गोबर व चिकनी मिट्टी से लिपाई पुताई में जुट चुकी है। जिसमें अधिकांश मिट्टी के चूल्हे, पोली की लीपाई करती नजर आ रही है। वहीं शहरों व कस्बे के पक्के मकानों में पेंटर को बुलाकर पेंटिंग रंग रोगन किया जा रहा हैं, और घरों को रंग रोगन कर नया रूप दे रहे हैं कहीं घरों को सजाने में जुट चुके हैं।
फोटो कैप्शन 1: बाजारों में चहल कदमी।
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