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Wednesday, November 11, 2020

 

दीपावली महंगी हुई 

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 कनीना। हर वर्ष दीपावली महंगी होती जा रही है। गरीब जन दीपावली पर भी कंजूसी बरतते हैं। देसी घी 800 रुपये किलो, सरसों का तेल नहीं तो 130 रुपये लीटर पहुंच गए हैं वही दीया बाती महंगे होने से लोग मजबूरन मोमबत्ती का प्रयोग कर रहे हैं। यही कारण है कि बाजार में मोमबत्तियां बिक रही है।
कनीना में दीये बेचने वाले ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं वही मोमबत्ती बेचने वाले खुश हो रहे हैं। गृहणि धापा ने बताया कि भी दीपावली पर 800 रुपये से भी अधिक महंगा बिक रहा है वहीं तेल के भी भाव बढ़ गए हैं। यही कारण है कि बेचारे गरीब अपने घर में खाने का सामान का प्रबंध करते हैं दीये और घी का प्रबंध कम करते हैं।
एक जमाना था जब लोग लोगों के घरों में देसी घी बहुत अधिक होता था। उस समय लोग देसी घी के दिए जलाते थे किंतु समय के साथ साथ बदलाव आया। देसी घी महंगा हो गया इसके चलते सरसों के तेल के दीये जलाने शुरू कर दिए थे लेकिन अब सरसों के तेल भी महंगा होने से मोमबत्ती जलाकर ही काम लिया जा रहा है।  मोमबत्ती का पैकेट बाजार में 20 रुपये से लेकर एक सौ रुपये तक का मिल रहा है वही देसी घी और तेल महंगे चल रहे हैं जिसके चलते परेशानी बढ़ी हुई है।



दुकानों के आगे सामान रखने वालों से नपा ने ली तहबाजारी

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 कनीना। दीपावली पर्व को देखते हुए दुकानदारों ने अपनी दुकानों के आगे काफी जगह घेरली है जिसके चलते नगरपालिका कर्मी तह बाजारी के तहत उनकी पर्चियां काटनी शुरू कर दी है। विस्तृत जानकारी देते हुए सतीश जेलदार पालिका प्रधान ने बताया कि नगरपालिका के नियमानुसार दुकानों के सामने जगह घेरने वालों से तह बजारी वसूली जा रही है। 7 से 10 रुपये प्रति वर्ग फीट के हिसाब से तहबाजारी वसूली गई। उन्होंने कहा इसके लिए टीम गठित की गई थी। टीम में चमनलाल एमइ्र सहित विभिन्न कर्मी मौजूद थे। इन्होंने दुकानों पर जाकर तह बाजारी के तहत पर्चियां काटी। इसी कार्य में आगामी कल भी कार्रवाई होगी और तहबाजारी के तहत पर्चियां काटी जाएंगी।


पार्टी में जोड़े अधिक से अधिक लोगों को- अजय सिंह चौटाला 

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 कनीना। जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा अजय सिंह चौटाला ने कनीना खंड के गांव उन्हाणी और कलवाड़ी में जाकर किसानों की समस्याएं सुनी। कलवाड़ी में मातम पुर्सी में भी शामिल हुए।
 डाक्टर अजय सिंह चौटाला राष्ट्रीय अध्यक्ष जेजेपी ने कलवाडी में कंवर सिंह कलवाड़ी की पत्नी के निधन पर जाकर शोक संवेदना व्यक्त की। गत दिनों कलवाड़ी की पत्नी का देहांत हो गया था। कंवर सिंह कलवाड़ी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की पत्नी राम कला गत दिनों से बीमार थी। डा अजय चौटाला ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए और कहा कि वक्त के आगे सभी को झुकना पड़ता है। उनकी इतनी अवधि थी जो जीवन यापन कर के चली गई। भगवान उनको अपने चरणों में स्थान दें।
 तत्पश्चात उन्होंने किसानों की समस्या को भी जाना। किसानों ने अपनी बाजरा बेचने से संबंधित समस्याएं बताई।
 तत्पश्चात डा चौटाला कंवर सिंह नंबरदार उन्हाणी के यहां पहुंचे और किसानों की समस्या सुनी।
कनीना में जेजेपी नेता सम्राट यादव और अनीता यादव पूर्व सीपीएस के यहां कार्यालय में जाकरकिसान से रूबरू हुये।
उल्लेखनीय है कि सम्राट यादव अटेली विधानसभा से बीजेपी के चुनाव लड़ चुके हैं जबकि अनीता यादव पूर्व सीपीएस है और अटेली से विधायक रह चुकी है। उन्होंने किसानों की समस्या सुनी और कहा कि अधिक से अधिक लोगों को पार्टी में जोड़ा जाए ताकि पार्टी का जनाधार और भी मजबूत हो सके। उन्होंने किसानों की समस्या पर कहा कि किसानों के बाजरे की समस्या है। किसानों ने बाजरा नहीं बिक पाने की समस्या बताई। उन्होंने कहा कि किसान  रात भर लाइन में खड़े रहते हैं और सुबह होने पर बाजरा बेच पाते हैं। किसान बहुत दुखी है। उन्होंने क्षेत्र के लोगों का हालचाल जाना और कहा कि आने वाले समय में जजपा बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी।। उन्होंने सभी को जी जान से जुट का जजपाका सहयोग करना तन मन धन से सहयोग करने की अपील की। इस मौके पर सम्राट यादव और अनीता यादव ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये।
डा चौटाला ने कहा कि अब तो पंचायतीराज में महिलाओं के लिए 50 फीसदी तो नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण कर देने से महिलाओं को आगे आने का मौका मिलेगा वहीं महिलाएं सुदृढ बन पाएंगी।
इस मौके पर जिला प्रधान मंजू चौधरी, राष्ट्रीय महासचिव कमलेश सैनी, राष्ट्रीय सचिव अनीता यादव, सुरेश शास्त्री, प्रदेश कर्मचारी सेल, हलका अध्यक्ष बेदू राता, युवा जिला प्रधान रविंद्र गागड़वास, युवा जिला उपप्रधान विष्णु जोगी, शहरी अध्यक्ष पवन कनीना, युवा हलका अध्यक्ष पीतांबर धनौंदा, पूर्व हल्का अध्यक्ष कर्मवीर रामपुरा, किसान सेल के हजारी लंबोरा, सुविधा शास्त्री, सुमन कारिया, विनय कुमार यादव एडवोकेट, ओम प्रकाश, रामानंद आदि मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 6: अनीता यादव अजय चौटाला के संग जजपा कार्यालय में कनीना कार्यालय में जाते हुये।
7: जजपा कार्यालय में डा अजय चौटाला समस्याएं सुनते हुए।
जान की सुरक्षा की मांग ज्ञापन के द्वारा की गई 

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 कनीना। कनीना उपमंडल के गांव स्याणा में डाक्टर सत्यवीर सिंह तथा सुनील पहलवान ने अपनी जान की सरुक्षा की मांग एक ज्ञापन एसडीएम को देकर की है।
ज्ञापन में कहा है कि स्याणा की गोचर भूमि पर उन्होंने गौशाला निर्माण करवाया था और अब उनकी जान को खतरा है। उन्होंने एक ज्ञापन एसडीएम को देना चाहा लेकिन एसडीएम न होने की सूरत में अधीक्षक सुरेंद्र कुमार को ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन में कहा गया है कि उन्होंने गांव की गोचर भूमि में गौशाला की स्थापना की गई थी जिसमें मिट्टी से भरत करवाया गया था। टीन शेड बनवाई गई है तथा गायों के लिए नाद भी बनाई गई है। 30 से 40 के लगभग गाय और बछड़े अन्य गांव से छोड़े गए थे सभी को मिलाकर करीब 95 गाय स्वस्थ और खुशहाल है। गौशाला की गाड़ी आस-पड़ोस अन्न एवं रोटी लाती है। उन्होंने आरोप लगाया है कुछ लोगों ने गौशाला के नाम से चंदा इक_ा कर रखा है जिसको हड़पना चाहते हैं। ज्ञापन में कहा है कि 8 नवंबर को गांव और आस-पड़ोस के करीब 200-250 व्यक्ति इक_े हो गए। उन्होंने उनमें से एक व्यक्ति ने तुगलकी फरमान सुनाते हुए 2 दिन के अंदर अंदर सामान उठा ले जाने की बात कही। ज्ञापन देने वालों ने कहा है कि वे 15 लाख रुपये अपनी तरफ से लगा चुके हैं अब उन्हें भगाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि उनको सुरक्षा मुहैया करवाई जाए।इस मौके पर डा सत्यवीर सिंह, सुनील कुमार, जय भगवान, नरेंद्र आदि मौजूद थे।
 फोटो कैप्शन 5: अधीक्षक सुरेंद्र को ज्ञापन देते हुए स्याणा के लोग।



पंजाब नेशनल बैंक की शाखा ने लगाया गाहड़ा में जागरूकता कैंप 

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 कनीना। पंजाब नेशनल बैंक की शाखा कनीना उपमंडल के गांव गाहड़ा में एक जन जागरूकता कैंप लगाया जिसमें अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, जीवन ज्योति बीमा योजना, केसीसी, पशु क्रेडिट कार्ड फसल बीमा योजना आदि की जानकारी दी।
 इस मौके पर पहुंचे विजय सिंह मैनेजर ने तथा नरवीर सिंह मैनेजर जेडएओ गुरुग्राम ने विभिन्न योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी और कहा कि जीवन अनमोल है। फसलों की सुरक्षा भी जरूरी है। उन्होंने सुरक्षा के लिए बीमा जरूरी बताया। इसलिए उन्होंने इन सुविधाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील की।
 इस मौके पर लोन अधिकारी सोनू एवं ललित आदि ने इन योजनाओं की जानकारी देने के अतिरिक्त कुछ बैंकिंग सेवाओं की जानकारी भी दी गई।  इस मौके पर रामकिशन शीशराम, विनय कुमार, विजय कुमार, शेर सिंह, करण सिंह, देवराज, कर्मवीर, राजवीर, सुरेंद्र आदि मौजूद थे। फोटो कैप्शन 6: गाहड़ा में पीएनबी की शाखा द्वारा आयोजित कैंप का नजारा।

कनीना क्षेत्र में मिले 10 कोरोना संक्रमित

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 कनीना। कनीना क्षेत्र में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। बुधवार को कनीना क्षेत्र में 10 कोरोना संक्रमित पाए गए जिनमें से सात अकेले कनीना से हैं।
 विस्तृत जानकारी देते हुए डा धर्मेंद्र यादव ने बताया खेड़ी गांव में 68 वर्षीय महिला जहां कोरोना संक्रमित  पाई गई है वहीं झाड़ली गांव में 27 वर्षीय युवक भी कोरोना संक्रमित मिला है। मोहनपुर नांगल में 21 वर्षीय युवती तो कोरोना संक्रमित पाई गई है। उधर कनीना में वार्ड 11 और 12 में संक्रमित अधिक पाए गए हैं। वार्ड 11 में 9 वर्षीय बच्ची एवं 11 वर्षीय बच्चा तथा 14 वर्षीय बच्ची भी कोरोना संक्रमित पाई गई है। इसी प्रकार वार्ड 11 कनीना में 38 वर्षीय पुरुष तथा 45 वर्षीय महिला संक्रमित मिली है। वार्ड नंबर 12 से 30 वर्षीय पुरुष तथा 25 वर्षीय महिला भी पाई संक्रमित गई है। धर्मेंद्र यादव का कहना है कि त्योहारों के चलते भीड़ में न जाए अगर मजबूरी हो तो मास्क लगाकर ही जाए, हाथों में ग्लव्ज हो।
डा धर्मेंद्र ने कहा कि भीड़ वाले स्थानों पर हो सके न जाए बुजुर्गों को बाहर नहीं घूमना चाहिए। उन्होंने कहा कि त्योहारों पर कोरोना बढऩे की संभावना बन जाती है। ऐसे में भीड़ वाले क्षेत्रों से बचकर रहें। ऐतिहात के सभी सावधानियां बरतें। उधर सुनील कुमार ने बताया कि कनीना के सभी कोरोना संक्रमितों को होम आइसोलेट कर दिया गया है और आगामी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।



सुपर-100 में 2 विद्यार्थियों का चयन, प्राचार्य ने दी बधाई 

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 कनीना। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गुढ़ा के दो विद्यार्थियों सुपर हंड्रेड-100 में चयन हुआ है। आज दोनों विद्यार्थियों को स्कूल परिसर में सम्मानित किया तथा उन्हें बधाई दी।्र
 विस्तृत जानकारी देते हुए खंड के वरिष्ठ प्राचार्य अभयराम यादव ने बताया कि छात्रा अर्चना एवं छात्र अनुज ने शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित सुपर हंड्रेड-100 प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त की हैं। इन बच्चों ने स्कूल का गौरव तथा गांव का नाम रोशन किया है। उनके चयन पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य अभयराम यादव ने उन्हें सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि
प्रतिभा कहीं किसी गांव में भी पाई जा सकती है। इन विद्यार्थियों ने सिद्ध कर दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। प्रतिभा के बल पर आज वे इस मुकाम तक पहुंचे हैं उन्होंने कहा कि इस प्रकार के विद्यार्थियों की आवश्यकता है जो भविष्य में कुछ कर दिखलाएंगे। इस अवसर पर प्रवक्ता सत्यवीर सिंह ,कृष्ण चंद्र, राजकुमार, नितिन मुदगिल, नीना यादव, प्रवीन कुमार, नीरज समस्त स्टाफ उपस्थित था जिन्होंने विद्यार्थियों को बधाई दी।
 प्राचार्य ने बताया कि छात्रा अलका का गत वर्ष भी सुपर-100 में चयन हुआ था। उन्होंने सभी बच्चों को इनसे प्रेरणा लेने की शिक्षा दी।
फोटो कैप्शन तीन: विद्यार्थियों के अव्वल रहने पर सम्मानित करते प्राचार्य अभयराम यादव।

शहीदों को याद करेंगे, दीवाली मनाएंगे

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कनीना। लोगों में धीरे धीरे आई जागरूकता के चलते इस बार प्रदूषण रहित दीवाली मनाने के लिए युवा एवं बुजुर्ग आगे आने लगे हैं। दीवाली के दिन दीये जलाकर, घर की मिठाई खाकर मनाएंगे।  इस बार दीवाली पर युवा एवं बुजुर्ग जागृत हैं और वे प्रदूषण के विषय में जानते हैं। मैत्रीभाव से मिलकर दीवाली मनाने का निर्णय लेने वालों की होड़ लगी हुई है। दीये जलाने व शहीदों की याद में एक एक दीया जलाने का निर्णय लिया है।
कनीना के अजीत कुमार का कहना है कि पटाखों से भारी प्रदूषण होता है जहां सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगा देने से राहत मिली है वहीं लोग जागरूक हुए हैं। यहां तक कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में वे पेड़ पौधे लगाकर तथा लोगों को सादगीपूर्ण दीवाली मनाने को प्रेरित करेंगे। उनको प्रदूषण खल रहा है।
युवा राजेश शास्त्री का कहना है कि प्रसिद्ध पर्व पर प्रदूषण क्यों करें? हवन आदि करके वातावरण को शुद्ध रखने का प्रयास किया जाएगा। उनका कहना है कि गले मिलकर मिठाई का आदान प्रदान करके ही दीवाली का आनंद आएगा। उन्होंने कहा कि खुशियों का त्योहार है इसमें नाखुशी कैसे बर्दाश्त की जाए?
निर्मल कुमार नांगल हरनाथ का कहना है कि प्रेम, भाईचारा, एकता का पर्व दीवाली है। इस पर्व पर प्रदूषण करके बुजुर्ग एवं रोगियों के लिए सांस लेने की तकलीफ पैदा हो जाती हैं।  ऐसे में अगर प्रदूषण रहित दीवाली सबके मन को लुभाएगी। उन्होंने मिठाइयां बांटकर दीवाली मनाने पर बल दिया।
 विजय पाल प्राध्ध्यापक का कहना है कि खुशी के पर्व पर प्रदूषण करके गम क्यों पैदा किया जाए? क्यों न इस बार पटाखों का खर्च किसी गरीब की सहायता एवं गायों पर खर्च किया जाए। उनका कहना है कि पटाखों से प्रदूषण होगा वो समस्त संसार के लिए खतरे की घंटी होगी। ऐसे में उन्होंने प्रदूषण न करने का संकल्प लिया है।
  समाजसेवी जसवंत सिंह का कहना है कि देसी घी को दीये में डालकर दीपावली के दिन बुजुर्ग पुराने समय से जलाते आ रहे हैं। बुजुर्ग बहुत बुद्धिमान थे। उनके अनुसार देसी घी के दीये जलाना एक हवन या यज्ञ के बराबर होता है। पर्यावरण का प्रदूषण दूर होता है तथा सुगंधित वातावरण बन जाता है। दीये का प्रकाश जहां तक जाता है वहां तक हानिकारक कीट नष्ट हो जाते हैं।
  डा मुंशीराम का कहना है कि देसी घी के दीये जलाकर हिंदुओं के महान पर्व को मनाना अति लाभदायक एवं फलदायक होता है। देसी घी के दीये जलाने प्रदूषण नामक बीमारी से बचा जा सकता है। वैसे भी घरों में पशुधन मिलता है और देसी घी भी आसानी से मिल जाता हे। ऐसे में इस पर्व पर देसी घी के दीये ही जलाएंगे।
फोटो कैप्शन: राजेश शास्त्री, सुनील कुमार, अजीत कुमार, निर्मल शास्त्री, जसवंत सिंह डा मुंशीराम।

दीपावली सादगी से मनाते हैं समाजसेवी

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कनीना।  क्षेत्र के विभिन्न समाजसेवियों से दीपावली मनाए जाने के बारे में परिचर्चा की तो सभी ने दीपावली को सादगी से मनाए जाने, हवन करने, जनसेवा करने तथा दान पुण्य करने पर बल दिया हैं।
पूर्व मुख्याध्यापक सतीश कुमार-
 मोड़ी निवासी पूर्व मुख्याध्यापक सतीश कुमार का कहना है कि दीवाली हिंदुओं का पवित्र एवं महान पर्व है। यह पर्व हमें एकता एवं भाईचारे की शिक्षा देता है। इस दिन पूरा परिवार कुछ धन निकालकर जनहित में खर्च करता है। वे सभी से पटाखे रहित, सादगी से मनाने की अपील करते हैं। वे अपने साथियों को सलाह देते हैं कि सादगी से तथा घर की मिठाई खाकर दीपावली मनाए। उनका कहना है कि इस दिन खोखले मनोरंजन न करके बेहतर कार्य, परहित के कार्य, जनसेवा करके, पौधारोपण करके दीवाली मनानी चाहिए।
सत्येंद्र यादव, प्रसिद्ध आर्य समाजी-
सत्येंद्र आर्य का कहना है कि दीवाली के दिन हमें शुभ काम करना चाहिए। प्रदूषण करने की बीमारी इसी दिन से जुड़ी है। प्रदूषण विश्वव्यापी बीमारी है जो हर इंसान पर बुरा प्रभाव डाल रही है। ऐसे में पटाखे नहीं चलाने चाहिए। मैं स्वयं भी प्रदूषण नहीं करूंगा और दूसरों को भी प्रदूषण करने से रोकूंगा। एक ओर पूरा देश महात्मा गांधी के सपनों के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन में लगा है और दूसरी ओर यदि प्रदूषण होता है तो सांस की अनेकों बीमारियां फैल जाएंगी। ऐसे में दीपावली के शुभ दिन हवन करके वातावरण को साफ सुथरा बनाने का प्रयास करूंगा और अपने साथियों को भी इस काम के लिए उत्साहित करूंगा साथ में अपील करता हूं कि जगह जगह इस दिन हवन आयोजित करके वातावरण को साफ सुथरा बनाने में अपना योगदान देवें।
मांगेलाल शर्मा, योगाचार्य-
योगाचार्य मांगेलाल ने बताया कि वे दीवाली को वर्षों से सादगी से मनाते आ रहे हैं। घर में सफाई करके, सुबह सवेरे योग एवं प्राणायाम के बाद शाम तक ईश्वर स्तुति करते हैं।  तत्पश्चात पूरा परिवार मिलकर मिठाई खाता है। बाजार की बनी मिठाइयां परिवार नहीं खाता है।  इससे मन को अति प्रसन्नता होती है। वे अपने साथियों को भी इसी तरीके से दीवाली मनाने की सलाह देता हूं। दीवाली के पर्व पर जो प्रदूषण होता है उसका कुप्रभाव मरीजों के शरीर पर कई दिनों तक पड़ता रहता है।
फोटो:  सतीश कुमार पूर्व मुख्याध्यापक, सत्येंद्र आर्य, मांगेलाल शर्मा।

शहीदों को याद करेंगे, दीवाली मनाएंगे

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कनीना। लोगों में धीरे धीरे आई जागरूकता के चलते इस बार प्रदूषण रहित दीवाली मनाने के लिए युवा एवं बुजुर्ग आगे आने लगे हैं। दीवाली के दिन दीये जलाकर, घर की मिठाई खाकर मनाएंगे।  इस बार दीवाली पर युवा एवं बुजुर्ग जागृत हैं और वे प्रदूषण के विषय में जानते हैं। मैत्रीभाव से मिलकर दीवाली मनाने का निर्णय लेने वालों की होड़ लगी हुई है। दीये जलाने व शहीदों की याद में एक एक दीया जलाने का निर्णय लिया है।
कनीना के अजीत कुमार का कहना है कि पटाखों से भारी प्रदूषण होता है जहां सरकार ने पटाखों पर प्रतिबंध लगा देने से राहत मिली है वहीं लोग जागरूक हुए हैं। यहां तक कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में वे पेड़ पौधे लगाकर तथा लोगों को सादगीपूर्ण दीवाली मनाने को प्रेरित करेंगे। उनको प्रदूषण खल रहा है।
युवा राजेश शास्त्री का कहना है कि प्रसिद्ध पर्व पर प्रदूषण क्यों करें? हवन आदि करके वातावरण को शुद्ध रखने का प्रयास किया जाएगा। उनका कहना है कि गले मिलकर मिठाई का आदान प्रदान करके ही दीवाली का आनंद आएगा। उन्होंने कहा कि खुशियों का त्योहार है इसमें नाखुशी कैसे बर्दाश्त की जाए?
निर्मल कुमार नांगल हरनाथ का कहना है कि प्रेम, भाईचारा, एकता का पर्व दीवाली है। इस पर्व पर प्रदूषण करके बुजुर्ग एवं रोगियों के लिए सांस लेने की तकलीफ पैदा हो जाती हैं।  ऐसे में अगर प्रदूषण रहित दीवाली सबके मन को लुभाएगी। उन्होंने मिठाइयां बांटकर दीवाली मनाने पर बल दिया।
सुनील कुमार यादव का कहना है कि खुशी के पर्व पर प्रदूषण करके गम क्यों पैदा किया जाए? क्यों न इस बार पटाखों का खर्च किसी गरीब की सहायता एवं गायों पर खर्च किया जाए। उनका कहना है कि पटाखों से प्रदूषण होगा वो समस्त संसार के लिए खतरे की घंटी होगी। ऐसे में उन्होंने प्रदूषण न करने का संकल्प लिया है।
  समाजसेवी जसवंत सिंह का कहना है कि देसी घी को दीये में डालकर दीपावली के दिन बुजुर्ग पुराने समय से जलाते आ रहे हैं। बुजुर्ग बहुत बुद्धिमान थे। उनके अनुसार देसी घी के दीये जलाना एक हवन या यज्ञ के बराबर होता है। पर्यावरण का प्रदूषण दूर होता है तथा सुगंधित वातावरण बन जाता है। दीये का प्रकाश जहां तक जाता है वहां तक हानिकारक कीट नष्ट हो जाते हैं।
  डा मुंशीराम का कहना है कि देसी घी के दीये जलाकर हिंदुओं के महान पर्व को मनाना अति लाभदायक एवं फलदायक होता है। देसी घी के दीये जलाने प्रदूषण नामक बीमारी से बचा जा सकता है। वैसे भी घरों में पशुधन मिलता है और देसी घी भी आसानी से मिल जाता हे। ऐसे में इस पर्व पर देसी घी के दीये ही जलाएंगे।
फोटो कैप्शन: राजेश शास्त्री, सुनील कुमार, अजीत कुमार, निर्मल शास्त्री, जसवंत सिंह डा मुंशीराम।

दीपावली सादगी से मनाते हैं समाजसेवी

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कनीना।  क्षेत्र के विभिन्न समाजसेवियों से दीपावली मनाए जाने के बारे में परिचर्चा की तो सभी ने दीपावली को सादगी से मनाए जाने, हवन करने, जनसेवा करने तथा दान पुण्य करने पर बल दिया हैं।
पूर्व मुख्याध्यापक सतीश कुमार-
 मोड़ी निवासी पूर्व मुख्याध्यापक सतीश कुमार का कहना है कि दीवाली हिंदुओं का पवित्र एवं महान पर्व है। यह पर्व हमें एकता एवं भाईचारे की शिक्षा देता है। इस दिन पूरा परिवार कुछ धन निकालकर जनहित में खर्च करता है। वे सभी से पटाखे रहित, सादगी से मनाने की अपील करते हैं। वे अपने साथियों को सलाह देते हैं कि सादगी से तथा घर की मिठाई खाकर दीपावली मनाए। उनका कहना है कि इस दिन खोखले मनोरंजन न करके बेहतर कार्य, परहित के कार्य, जनसेवा करके, पौधारोपण करके दीवाली मनानी चाहिए।
सत्येंद्र यादव, प्रसिद्ध आर्य समाजी-
सत्येंद्र आर्य का कहना है कि दीवाली के दिन हमें शुभ काम करना चाहिए। प्रदूषण करने की बीमारी इसी दिन से जुड़ी है। प्रदूषण विश्वव्यापी बीमारी है जो हर इंसान पर बुरा प्रभाव डाल रही है। ऐसे में पटाखे नहीं चलाने चाहिए। मैं स्वयं भी प्रदूषण नहीं करूंगा और दूसरों को भी प्रदूषण करने से रोकूंगा। एक ओर पूरा देश महात्मा गांधी के सपनों के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन में लगा है और दूसरी ओर यदि प्रदूषण होता है तो सांस की अनेकों बीमारियां फैल जाएंगी। ऐसे में दीपावली के शुभ दिन हवन करके वातावरण को साफ सुथरा बनाने का प्रयास करूंगा और अपने साथियों को भी इस काम के लिए उत्साहित करूंगा साथ में अपील करता हूं कि जगह जगह इस दिन हवन आयोजित करके वातावरण को साफ सुथरा बनाने में अपना योगदान देवें।
मांगेलाल शर्मा, योगाचार्य-
योगाचार्य मांगेलाल ने बताया कि वे दीवाली को वर्षों से सादगी से मनाते आ रहे हैं। घर में सफाई करके, सुबह सवेरे योग एवं प्राणायाम के बाद शाम तक ईश्वर स्तुति करते हैं।  तत्पश्चात पूरा परिवार मिलकर मिठाई खाता है। बाजार की बनी मिठाइयां परिवार नहीं खाता है।  इससे मन को अति प्रसन्नता होती है। वे अपने साथियों को भी इसी तरीके से दीवाली मनाने की सलाह देता हूं। दीवाली के पर्व पर जो प्रदूषण होता है उसका कुप्रभाव मरीजों के शरीर पर कई दिनों तक पड़ता रहता है।
फोटो:  सतीश कुमार पूर्व मुख्याध्यापक, सत्येंद्र आर्य, मांगेलाल शर्मा।

गुरुवार से दीपावली पर्व की शुरूआत

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कनीना। दीपावली का पर्व एक पर्वों का समूह है। इस पर्व से पहले तथा बाद में भी दीपावली की धूम रहती है। गुरुवार से ही दीपावली पर्व की शुरूआत हो जाएगी। धन तेरस का पर्व मनाया जाएगा।
    ग्रामीण अचल में धन तेरस(12 नवंबर) के दिन से ही दिवाली के दीये जलाने शुरू कर दिए जाते हैं। इस दिन माना जाता है कि बर्तन खरीदना लाभकारी है। यही कारण है कि इस दिन बर्तनों की दुकानों पर भारी भीड़ मिलती है। धन तेरस के दिन ही बर्तन क्यों खरीदे जाते हैं, के विषय में पंडित सुरेंद्र शर्मा बताते हैं कि देवताओं और दानवों के द्वारा समुद्र मंथन के पश्चात इसी दिन ही धनवंतरि अमृत कलश लेकर समुद्र से बाहर आए थे। अमृत पाने के लिए देवता बर्तन लेकर दौड़े थे। इसी कारण से यह दिन धनवंतरि त्रयोदशी कहलाता है। लोगों का मानना है कि धनवंतरि इस दिन ही सभी को अमृत बांटते हैं और अमृत पाने की लालसा को लेकर नए बर्तन खरीदे जाते हैं। प्रार्थना की जाती है कि उनका यह नया बर्तन अमृत से भरा रहे और परिवार खुश एवं खुशहाल रहे। वैद्य के लिए यह दिन अति शुभ माना जाता है।
   दीपावली के एक दिन पूर्व(13 नवंबर)  नरक चतुर्दशी व छोटी दीपावली का त्योहार आता है। यह पर्व श्रद्धा एवं उल्लास से मनाया जाता है। इस दिन सुबह सवेरे स्नान करना लाभप्रद माना जाता है। अत: लोग सूर्योदय से पूर्व ही स्नान करते हैं। इस पर्व को ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी दिवाली का पर्व कहा जाता है। नरक चतुर्दशी का पर्व असुर नरकासुर की याद दिलाता हैं। कनीना के ज्योतिषाचार्य अरविंद जोशी काकहना है कि इस दिन अति अभिमानी और देवताओं को सताने वाला नरकासुर राक्षस का भगवान् श्रीकृष्ण ने इसी दिन वध किया था। कहीं मृत्यु का देवता उन्हें नरक न प्रदान करे, इस भय के मारे लोग यमराज की पूजा करते हैं। इसे दूसरे दिन की दिवाली भी कहा जाता है।
  दिवाली(14 नवंबर)  का पर्व अंधेरे को मिटाने वाला तथा प्रकाश रूपी पुष्प भेजने वाला हिन्दुओं का महान पर्व है। जब भगवान् श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास भेजा गया था तभी से प्रजाजन अति दु:खी थे और पल-पल उनको याद करते रहते थे। आखिरकार एक दिन रावण ने सीता का ही हरण कर लिया और उन्हें लंका ले गया। हनुमान की सहायता से जब सीता का पता लगाया तो भगवान् श्रीराम ने लंका पर धावा बोलकर रावण का वध कर दिया जिसे दशहरा नाम दिया गया । उस दिन पश्चात श्रीराम अयोध्या के लिए लौट चले थे। जब श्रीराम अयोध्या लौटे तो लोगों ने खुशी के मारे तीन दिन देशी घी के दीये जलाए थे। तभी से यह त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। अमावस्या के दिन घोर अंधेरा होता है किंतु दीप जलाकर इस अंधेरे को नष्ट कर दिया जाता है। इस त्योहार पर घरों और आवास को चमकाया जाता है। लक्ष्मी,सरस्वती और गणेशजी की पूजा की जाती है। दीपावली के दिन ही बाल दिवस माया जा रहा है।
  दीपावली के अगले दिन(15 नवंबर)  अन्नकुट का पर्व मनाया जाता है। इसे गोवर्धन नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मंदिरों में खिचड़ी व कढ़ी बांटी जाती हैं जिसे प्रत्येक जन चाव से खाता है। गोवर्धन पर्व से जुड़ी है श्रीकृष्ण और इन्द्र देव के बीच का प्रसंग। एक बार इंद्र देव भगवान् श्रीकृष्ण से कुपित हो गए और मूसलाधार वर्षा करने लगे। गोकुल में इतनी भारी वर्षा देखकर ग्रामीण भयभीत हो गए और चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। जीव जल में डूबकर मरने लगे तो ग्रामीण दौड़कर भगवान् श्रीकृष्ण के पास आए। भगवान् श्रीकृष्ण ने उस वक्त गोवर्धन पर्वत ही अपनी अंगुली पर उठा लिया और गोकुलवासियों को उसके नीचे आने का आदेश दिया। इस प्रकार इंद्र का गर्व चूर-चूर हो गया और खुश होकर ग्रामीणों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इसी दिन आजकल गाय आदि की पूजा करने का विधान भी है। विश्वकर्मा जयंती भी मनाई जा रही है।
   दीपावली के दूसरे दिन(16 नवंबर)  को भैया दूज नाम से जाना जाता है। यह पर्व भाई बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है। विवाहित महिलाएं इस दिन अपने भाई को बुलाकर उनका आदर सत्कार करती हैं। तथा उनके दर्शन किए बगैर अन्न भी ग्रहण नहीं करती हैं। बहन भाई को तिलक करके उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए यमराज की पूजा करती हैं। इस प्रकार दिवाली का पर्व पूरे पांच दिनों तक चलने वाला पर्व है जिसका महत्व आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में उतना ही है जितना पहले कभी होता था।
फोटो कैप्शन 01: बाजार में बर्तनों की सजी हुई दुकानें।

कई तरीकों से मनाई जाती है   

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 कनीना। दीपों का त्योहार दीवाली मनाने के ग्रामीण क्षेत्रों में अलग ही ढंग हैं। एक ओर जहां पटाखों पर सरकार ने रोक लगा रखी है वहीं चोरी छिपे पटाखे बेचने का क्रम जारी है। जहां पटाखों से आम आदमी दूर भागता है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पटाखे चलाने में प्रसन्न रहते हैं। किसानों के अगली फसल में व्यस्त रहने के कारण दीवाली की रौनक कम है। अधिकांश लोग पटाखे चलाने के विरुद्ध हैं।
 दीवाली के दिन जहां दीपों व मोमबत्तियों से घर की रौनक बढ़ती है वहीं पटाखों के चलते वातावरण दूषित हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो पटाखे देर तक चलाते हैं। पटाखे चलाने में बालक,युवा तथा वृद्ध नियम रहित होकर गलियों में व्यस्त देखे जा सकते हैं। जहां अधिकांश जन प्रदूषण से बचने के लिए घरों में एकांत में बैठ जाता है वहीं युवा वर्ग पटाखे चलाता है।  
  ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों से पटाखे चलाने के बारे में पूछे जाने पर अधिकांश ने पटाखे चलाना अनुचित बताया है। आम लोगों का कहना है कि पटाखे चलाने से जहां कर्णफोड़ू ध्वनि में जीना हराम हो जाता है वहीं प्रदूषण इतना बढ़ जाता हे कि सांस लेना भी दूभर हो जाता है।  दीवाली सचमुच दीवाला निकालने वाली होती है।
   किसानों के रबी फसल की तैयारियों के चलते इस बार दीवाली की रौनक कम हैं। घरों की सजावट नाममात्र की गई है वहीं दुकानदारों का बिक्री बट्टïा कम है। मात्र मिठाई की दुकानों और कलेंडर आदि बेचने वालों के भीड़ देखने को मिल रही है।
    कनीना के समाजसेवी कुलदीप यादव का कहना है कि दीवाली खुशी का पर्व है। श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में लोगों ने घी के दीये जलाकर खुशी जताई थी किंतु अब समय बदलता ही जा रहा है। बाद में तेल के दीये जलाए गए तो अब लोग मात्र मोमबत्ती जलाकर ही खुशी का इजहार करने लगे हैं। उनका कहना है कि पटाखों से इस दिन उतनी ही विषैली गैसें निकलती हैं जितनी वर्ष भर में नहीं निकलती हैं। ऐसे में उन्होंने खुशी को पटाखे चलाकर नहीं अपितु मन से खुशी जाहिर करने पर बल दिया है। खुशी का संबंध भी तो मन से ही होता है। डा अजीत कुमार का कहना है कि पटाखे चलाने से आंखों में जलन, कानों के रोग और दिल के रोगों का खतरा बढ़ जाता है वहीं बीमार व्यक्ति का तो इस दिन जीना ही हराम हो जाता है। जीव जंतुओं और पक्षियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है वहीं जान और माल की हानि भी हो जाती है। ऐसे में उनका कहना है कि दीवाली की खुशियों को बढ़ाना चाहिए न कि पटाखे चलाकर घटाना चाहिए।


                   

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