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Sunday, November 22, 2020

 

खरीद बाजरे की खरीद नहीं हुई, उठान रहा जारी -11000 बैग का किया गया उठान 

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 कनीना। कनीना अनाज मंडी में जहां सोमवार को 50 किसान बाजरा बेचने के लिए आएंगे वहीं अब तक 7,63,3,98 बैग बाजरा कनीना मंडी में खरीदा जा चुका है जिसमें से 602318 बैग कनीना मंडी से 1,610,80 बैग गौशाला रोड से खरीदा गया है। जानकारी देते हुए हैफेड के भरपूर यादव ने बताया कि रविवार को खरीद नहीं हुई किंतु उठान जारी रहा। 11,000 बैग उठाना किया गया। अब महज अनाज मंडी में आठ हजार बैग पड़े हुए हैं। जिनका उठान जल्द ही कर दिया जाएगा। खरीद 27 नवंबर तक चलेगी।


बच्चों को ठंड लगने से बचाए
-गर्म पानी रोज पीये, बुजुर्गों को भी ठंड से बचाए

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कनीना। कनीना क्षेत्र में विगत दो दिनों से ठंड बढ़ी है। रविवार को दिनभर शीत लहर चली, आसमान में हल्के बादल भी नजर आये। ठंड पडऩे से जहां बुजुर्ग तथा छोटे बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं। वही पशुपालक भी परेशान होने लगे हैं। एक ओर कोरोना वहीं ठंड एवं शीत लहर ने परेशानी बढ़ा दी है।
 कनीना के  डा वेदप्रकाश  ने बताया कि छोटे बच्चों में ठंड जल्दी लगती है जिनमें निमोनिया तक होने की संभावना जताई है उन्होंने बताया कि छोटे बच्चों को कपड़े पहना कर सुला देने से वे ठंड के शिकार हो रहे हैं क्योंकि वह ऊपरी कपड़े फेंक देते हैं। इसलिए उन्होंने कहा कि अधिक कपड़े पहनाकर बच्चों को रजाई वगैराह नहीं ओढ़ाई जाए वही बच्चे की मां का दूध ही बच्चे के लिए सर्वोत्तम है। बच्चों को सर्दी से बचाना चाहिए सर्दी लगने पर डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए। बच्चा दो-तीन घंटे में तक दूध नहीं पीता तुरंत डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों को उसकी सांस से पता लगाया जा सकता है कि उन्हें कहीं निमोनिया आदि तो नहीं लग गया है यदि सांसों में एक विशेष प्रकार की आवाज आए तो समझों की ठंड लग गई है।
 उधर वैद्य बालकिशन शर्मा एवं हरिकिशन शर्मा ने बताया कि सर्दी से बुजुर्गों को भी बचाना जरूरी है। सर्दी से हृदयघात होने तथा सांस में तकलीफ बढऩे की समस्या पैदा हो जाती है। ऐसे में बुजुर्गों को भी सर्दी से बचाना जरूरी है। उन्हें पीने के लिए गर्म पानी देने तथा बासी भोजन न देने की सलाह दी है। उनका कहना है कि धूप निकलने पर बिस्तर से बाहर जाने देना चाहिए। सर्दी से बचाने से उनके रोगों से भी बचा जा सकता है।
  उधर पशुओं के लिए लंबे समय से औषधियां बनाने के शोध कार्य में लगे हुए विक्की एवं शिब्बू पंसारी का कहना है कि दूध देने वाले पशुओं को भी सर्दी से बचाना चाहिए वरना वे दूध कम देंगे वहीं बीमार हो सकते हैं। उनका कहना है कि पशु भी इंसान की भांति रोगों से पीडि़त हो सकते हैं। उन्हें बचाना जरूरी है। ऐसे में उन्हें गर्म बोरी आदि से ढककर आराम दिलाना जरूरी होता है।
 वैसे भी कोरोना से बचने के लिए बाहर न घूमना चाहिए, गर्म पानी पीना चाहिए, धूप में कुछ समय जरूर बैठना चाहिए। इससे सर्दी एवं कोरोना दोनों से बचा जा सकता है।

ककराला में मतदाताओं को जागरूक करने के लिए निकाली जागरूकता रैली 

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कनीना। चुनाव चाहे किसी भी प्रकार का हो, हर प्रत्याशी वोटरों को लुभाने के लिए अनेक प्रकार से प्रलोभन देते हैं  जिनमें शराब बांटना, रुपये के बदले वोट या अन्य कई प्रकार के प्रलोभन प्रमुख हैं। इन्हीं प्रलोभनों में आकर अक्सर वोटर उम्मीदवार की योग्यता को नहीं परख पाते।
ग्राम पंचायत चुनाव नजदीक आ रहें हैं और इसी आगाज के चलते क्षेत्र में सामुदायिक प्रयास देखने को मिल रहें हैं। इसी कड़ी में गांव में एक मतदाता जागरूक रैली निकली गई। बाबा भैंया सेवा दल के  सदस्य रामेश्वर दयाल ने रैली को हरी झंडी दिखाई तथा ये विचार व्यक्त किये।
 रैली का संचालन सुमेर सिंह ने किया। इस जागरूकता रैली में सभी ग्रामीणों ने चर्चा में हिस्सा लिया। रैली के दौरान महिलाओं में विशेष उत्साह था जैसे उनकी दबी हुई आवाज को मंच मिल गया हो। ग्राम में नुक्कड़ चर्चा में रमेश, पवित्रा, उगन्ता, भगवानी, कृष्णा, गंगा, रानी सहित कई महिलाओं ने हिस्सा लिया, वहीं ग्रामीण पुरुषों में राजेन्द्र भारद्वाज, गुरदयाल सिंह, अनिल, कृष्ण, पप्पू सहित अन्य ने भाग लिया।
ज्यादातर महिलाओं का कहना था कि ये बहुत ही अच्छी मुहिम है। एक-दो महीने का चुनावी मौसम सबके घरों का माहौल बदल देता है। युवा व अन्य सदस्यों को शराब की लत लग जाती है। उन्होंने प्रण लिया कि इस बार के पंचायत चुनाव में शराब बांटने या अन्य प्रलोभन देने वाले किसी भी उम्मीदवार को अपना वोट नही देंगी।
जो उम्मीदवार चुनावों में अनाब सनाब पैसे की बर्बादी करता है वह आगे चलकर भृष्टाचार को ही बढ़ावा देता है। ऐसे असमाजिक व महत्वाकांक्षी उम्मीदवार को ककराला इस बार वोट नहीं देगा। सभी ग्रामवासी मिलकर इस जागरूकता अभियान को चलायेंगे और घर-घर जाकर मतदाता को बतायेंगे कि ऐसे उम्मीदवार को पहचाने जो वोट पाने के लिये उसे लालच देकर उसके वोट को खरीदना चाहता है। यह लालच प्रलोभन चुनाव आचार संहिता के खिलाफ है। जिन उम्मीदवारों को चुनाव लडऩा है तो अपनी योग्यता के बलबूते लड़ें।
इस रैली में वीर, धर्मन्द्र, प्रदीप, सुनील, यशवंत, कैलाश, प्रवीण, योगेश, धर्मबीर, कर्मबीर, यशपाल, धर्मपाल, सुनील, अजय, पंकज और आदित्य सहित अन्य ग्रामीणों व स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया।
फोटो कैप्शन 8: जागरूकता रैली निकालते ककराला के लोग।
           9: महिलाएं जागरूकता रैली को संबोधित करती हुई।

गोपाष्टमी पर गौशालाओं में हुए कई कार्यक्रम

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कनीना। गोपाष्टमी के पर्व पर कनीना एवं आस पास गौशालाओं में कई कार्यक्रम संपन्न हुए। कहीं हवन आयोजित हुआ वहीं गायों की पूजा करके उन्हें मीठा चारा चराया गया।
  श्रीकृष्ण गौशाला कनीना, भोजावास में दिनभर गो सेवकों का तांता लगा रहा और गायों की सेवा की। इस मौके पर लोगों ने गायों के लिए विशेष मीठा भोजन बनाकर खिलाया। गौभक्त एवं गौशाला में कार्य कर रहे होशियार सिंह ने कहा कि गायों की सेवा से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। गायों की सेवा के चलते भगवान श्रीकृष्ण गोविंद नाम से जाना जाता है। गाय को माता का दर्जा दिया हुआ है और उसमें सभी देवता निवास करते हैं। गायों की सेवा करने से संताप नष्ट होते हैं वहीं जिस घर में गाय पाली जाती है उस घर में कोई आपदा एवं गरीबी नहीं आती है। इस मौके पर दूर दराज से भक्तजन पहुंचे।
  गोपाष्टमी का पर्व मनाए जाने के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं। लालदास महाराज ने बताया  कि इंद्र का गर्व चूर करने के लिए सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाए रखा था जिसके चलते इंद्र का गर्व आठवें दिन चूर चूर हो गया और वे भगवान श्रीकृष्ण की शरण में आ गए थे। तभी से भगवान श्रीकृष्ण का नाम गोविंद पड़ा था। इस दिन भगवान की कामधेनु ने अपनी दुग्ध धारा से नहलाया था और भगवान श्रीकृष्ण ने गायों की सेवा करने का वचन दिया था। तभी से यह पर्व चला आ रहा है।
  एक दूसरी कहानी सुनाते हुए सुरेंद्र जोशी ने बताया कि बलराम एवं श्रीकृष्ण ने गोकुल में गायों की सेवा करने का प्रशिक्षण लिया था और गोपाष्टमी के दिन माता यशोदा एवं नंद बाबा से आज्ञा पाकर गायों को जंगल में चराने का निर्णय लिया था। उस वक्त भगवान श्रीकृष्ण की उम्र महज छह-सात वर्ष थी। उनके द्वारा गाए चराने पर ही उनका नाम गोपालक पड़ा। भगवान श्रीकृष्ण जीवनभर गायों के रक्षक एवं सेवक बने रहे थे। यह भी माना जाता है कि राधा ने इसी दिन से जंगल में गाए चरानी शुरू की थी चूंकि लड़कियों को गाये चराने की अनुमति नहीं थी किंतु उन्होंने पुरुष ग्वाले के वस्त्र धारण किए और भगवान श्रीकृष्ण के साथ वन में गाए चराने निकल पड़ी थी।
 विभिन्न गौशालाओं में भी दिनभर भक्त गायों की सेवा करते, उनके लिए मीठा चारा देते, उनकी सेवा करते नजर आए। दान पुण्य दिनभर चलता रहा। भोजावास स्थित गौशाला में भी भक्तों ने गायों की सेवा की।

मास्क न लगाने वालों पर भारी पड़ी सीटी पुलिस

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कनीना। मास्क न लगाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। ये विचार कनीना सीटी इंचार्ज गोबिन्द यादव ने आज दर्जनों मास्क रहित लोगों के चालान काट उनको ये बात भी समझाई कि वे जब भी घर से बहार निकले तो मास्क पहन कर ही निकले वरना उनको चालान के दंड से कोई नहीं बचाएगा।
इस अवसर पर गोबिन्द यादव ने बिना मास्क पहने वालों को पहले समझाया भी और इसके बाद भी जब उनको समझ नहीं आया तो पांच सौ रुपये का चालान भी काट कर उनके हाथ में थमा दिया। सीटी इंचार्ज ने बताया कि कुछ दिन पहले कोरोना में काफी कमी आई थी लेकिन दीवाली के उपरांत एक बार फिर से उक्त महामारी का संक्रमण ज्यादा होने के कारण मास्क न लगाने वालों पर शिकंजा कसना पड़ रहा है ताकि लोगों के जान माल कि रक्षा की जा सके।


अब तो खांसना भी गुनाह समझा जाता है 

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कनीना। एक बार फिर से क्षेत्र में कोरोना संक्रमण बढऩे से अब तो खासना भी गुनाह समझा जाता है। जब कोई खांसता है तो सीधा कोरोना होने का आक्षेप लगाया जाता है। यदि कोई खांसता उसके पास से गुजरना गंवारा नहीं समझते। वास्तव में सर्दी के कारण भी रोग बढ़ रहे हैं। रोगों से बचने की सावधानी भी बढ़ती जा रही है किंतु अब खांसना बुरी नजर से देखा जाता है। एक धारणा बन गई है कि खांसता है तो जरूर इसमें खांसी, जुकाम का रोग है और कोरोना होगा। उसको तुरंत अस्पताल में जाने की सलाह देने वाले भी मिल जाते हैं।
वैसे तो विवाह शादियां शुरू हो गई हैं और विवाह शादियों में लोग बिना मास्क के ही जा रहे हैं। जिससे रोग फैलने की संभावना बढ़ गई है। प्रशासन ने वैसे तो नियम पारित कर रखे हैं परंतु नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। किसी भी शादी समारोह स्थल में जाकर देखा जाए भारी भीड़ मिलती है किंतु मुंह पर मास्क तक नहीं मिलते।



जमकर बज रहे डीजे

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 कनीना। यूं तो 25 नवंबर से देव उठनी एकादशी शुरू हो रही है और इस दिन भारी संख्या में शादियां है किंतु अभी से ही लगन आने शुरू हो गए हैं और रात भर शहनाइयां तो भूल गए डीजे पर लोग थिरकते देखे जा सकते हैं। कोरोना से पहले कभी डीजे बजे थे। ऐसे में लोग दुखी नजर आ रहे थे, अब उन्हें थोड़ी राहत मिली है और जमकर डीजे पर थिरकने लगे हैं। यहां तक कि रात भर डीजे बज रहे हैं। कोई रोक-टोक अभी नहीं है। लोग ऐसा लगता है कि डीजे बजाने वाले अपनी भड़ास निकाल रहे हैं।




हजारों मन कड़वी जलकर राख
-पूरा गांव आग बूझाने में जुटा
 -फायर ब्रिगेड ने करीब 3 घटों में काबू पाया

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कनीना। कनीना उप-मंडल के गांव स्याणा में बाबा ढाब आश्रम पर कड़वी के ढेरों में आग लग गई और देखते-देखते आग फैल गई तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचित किया।
फायर अधिकारी राकेश कुमार अपने साथियों सहित महेंद्र, देवेंद्र, प्रदीप कुमार फायरमैन तथा संदीप कुमार ड्राइवर सहित मौके पर पहुंचे। 3 घंटों तक कड़ी मशक्कत करने के बाद आग पर काबू पाया।
ढाबा आश्रम के पास समस्त स्याणा के किसान अपनी अपनी कड़वी की छुरियां(ढेरियां) लगाते हैं। यही पास में गौशाला है जिसकी कड़वी भी डाली गई थी। ग्रामीणों ने बताया कि सुबह करीब 10:30 बजे आग लग गई। ग्रामीणों ने अपने पानी के टैंकरों द्वारा पानी लाकर आग पर बूझानी शुरू कर दी। जब तक फायर ब्रिगेड पहुंची किसान त्वरित गति से आग पर काबू पाने में जुट गए।
 गांव के शमशेर सिंह कोसलिया, कैलाश लीलाराम, संदीप, प्रदीप कुमार, विनोद कुमार, नवीन यादव, राजवीर नंबरदार, सुंदर पूनिया, संदीप डागर आदि ने बताया कि जिस जगह आग लगी हुई थी उसके आगे भारी मात्रा में कड़वी लगी हुई थी जिनको भी आग लगने की संभावना थी। ऐसे में ग्रामीणों ने कड़बी को बिखेर डाला ताकि आगे आगे पहुंच सके तथा अपनी आग पर काबू पाने का प्रयास किया। आश्रम के श्रद्धानंद महाराज ने भी लोगों के साथ जमकर मदद की। आग पर काबू पाने वाले फायरमैन प्रदीप कुमार ने बताया कि 3 घंटे में आग पर काबू पाया गया है। कड़वी हजारों मन जलकर राख हो गई। हजारों मन कड़बी  बच भी गई। आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है।
  इस आग से प्रसिद्ध इंदोख, कैर, जाल के पेड़ भी जल गये। पेड़ों पर लगी आग को भी फायर ब्रिगेड ने बूझाकर काबू पाया। ये इंदोख के पेड़ स्याणा,करीरा एवं गाहड़ा के जंगल में ही मिलते हैं किंतु गाहड़ा गांव के पेड़ सूख चले हैं।
यदि आग पर  काबू  नहीं पाया जाता तो पास में गौशाला को भी नुकसान हो सकता था। लोगों ने बताया कि इस पूरे गांव की कड़वी ही ढ़ाब आश्रम में डाली जाती है। सारी कड़वी में आग  फैलने की संभावना अधिक थी।
 प्रदीप कुमार फायरमैन ने बताया कि ग्रामीणों और श्रद्धानंद महाराज का विशेष योगदान रहा जिसके चलते आग पर 3 घंटों में काबू पा लिया। आग भीषण थी।
आग पर काबू पाकर ग्रामीणों ने खुशी जताई कि एकता आज भी गांव में बरकरार है और एकता के चलते ही आज इस मुकाम तक पहुंचे की आग पर काबू पा लिया है।
गत दिवस भी जला था कनीना में भैंस और कटड़ा-
 गत दिवस भी कनीना में वार्ड दस में छप्पर को आग लग जाने से कटड़ा, भैंस तथा एक व्यक्ति का हाथ झुलस गए थे। कटड़े की मौत भी हो चुकी है। फायर अधिकारी राकेश कुमार कनीना ने बताया कि कनीना के वार्ड नंबर 10 बावरियों में बलबीर सिंह के यहां छप्पर में रात्रि करीब 12 बजे आग लग। आग इतनी भयंकर थी की फायर ब्रिगेड पहुंचने से पहले एक कटड़ा, एक भैंस जोछप्पर में थे जल गए वहीं एक व्यक्ति का हाथ भी झुलस गया था। बाद में कटड़े ने दम तोड़ दिया जबकि भैंस उपचाराधीन है।
फोटो कैप्शन 2,3,4,5: आग पर काबू पढ़ पाते लोग एवं फायरमैन।
नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही युवा वर्ग में 

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 कनीना। दिनों दिन नशे की प्रवृत्ति की ओर युवा वर्ग बढ़ता जा रहा है। जहां बुजुर्ग नशे की बुराइयों से पीडि़त देखे गए वहीं अब उनको भी युवा वर्ग ने पीछे छोड़ दिया है।
बीड़ी, सिगरेट, चिलम, हुक्का, चाय, काफी आदि की ओर विशेष रूप से आकर्षित हो रहे हैं। जहां बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम में निकोटीन पाया जाता है वही चाय काफी में कैफीन नामक नशीला पदार्थ पाया जाता है। कभी बुजुर्ग वर्ग या खेतों में काम करने वाले किसान, गरीब तबके के लोग इन चीजों का अधिक सेवन करते थे या कभी बीमारी होने पर चाय वगैराह बुजुर्ग तथा मरीज यदा-कदा पीते देखे गए थे किंतु अब चाय की लंबी लाइन लगती है।
कनीना में महाशय एवं पोंडा चायवाला  बताते हैं कि उनके पास प्रतिदिन 500 चाय तक बिक जाती है। यही नहीं जहां भी चाय की दुकान है वह भारी मात्रा में चाय बिकती है। इसी प्रकार बीड़ी, सिगरेट की बिक्री प्रतिमाह अकेले कनीना में ही लाखों में है। इसी प्रकार हुक्का चिलम की और फिर से लोगों का रुझान बढऩे लगा है। अब तो हुक्का शान की निशानी माना जाने लगा है। इस संबंध में विभिन्न प्रबुद्ध जनों से बात की गई जिनके विचार अलग-अलग थे।
सत्येंद्र आर्य का कहना है कि युवा वर्ग बीड़ी, सिगरेट, चिलम तथा हुक्के को अधिक पसंद करता है जबकि हुक्के में निकोटीन जहर पाया जाता है जो आदत डालने वाला पदार्थ है। उनका कहना है कि घरों में हुक्का अधिक प्रयोग किया जाता है इसलिए अपने बड़ों से सीख रहे हैं। उन्होंने इस प्रकार की आदत से बच्चों को बचाने की अभिभावकों से मांग की है।
 सत्यवीर सिंह प्राध्यापक का कहना है कि चाय के प्रति रुझान दिनों दिन बढ़ रहा है। कोई ऐसा कार्यालय या फिर व्यक्ति नहीं है जो चाय का सेवन न करता हो। चाय में कैफीन नशीला पदार्थ पाया जाता है जो शरीर में उत्तेजना पैदा करता है साथ में बुरा प्रभाव डालता है। विभिन्न प्रकार के रोगों में इसका अहं रोल होता है।
 गणेश अग्रवाल का कहना है कि बीड़ी सिगरेट की धुआं उड़ाने में युवा वर्ग बहुत आगे है। यद्यपि सरकार इन पर प्रतिबंध लगाती है किंतु इनका प्रचलन दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। उनका कहना है कि युवा वर्ग में तो यह गंभीर लात पैदा हो गई है। सरेआम बीड़ी सिगरेट पीते देखे जा सकता हैं। पहले तो शौकिया पीते हैं बाद में इसके आदी हो जाते हैं जिसके पीछे भी उन्होंने अभिभावकों द्वारा बीड़ी सिगरेट पीना बताया गया है। युवा एवं बच्चे बड़ों से सीख लेते हैं।
 सुनील कुमार यादव का कहना है नशीले पदार्थों के साथ साथ विभिन्न प्रकार के पान पराग आदि की लत युवा वर्ग ही नहीं बच्चों में बढ़ रही है। बच्चे भी अपने बड़ों को देखकर उन चीजों का सेवन करते हैं। बाद में भी इसके आदि हो जाते हैं। यही नहीं स्कूलों और कालेजों में जाने वाले विद्यार्थी भी स्कूल और कालेज से बाहर आकर इन चीजों का प्रयोग करते हैं। चाय तो दिनों दिन पीने की लत बढ़ रही है। ये सभी अति नुकसानदायक हैं।
   इस संबंध में कालू करीरा और बाल किशन करीरा वैद्य से बात की। उनका कहना है कि ये पदार्थ धीरे-धीरे इंसान को अंदर से खोखला कर देते हैं। रोग, असामयिक मौत, बेहोशी एवं हिंसा में शामिल होते हैं। उन्होंने इस प्रकार के नशीले पदार्थों से अपने बच्चों को बचाने की अपील की है। उनका कहना है कि अभिभावक शिक्षक चाहे तो इस प्रकार की आदतों से अपने बच्चों को बचा सकते हैं। वरना आने वाले समय में विभिन्न प्रकार के रोगों से पीडि़त बच्चे होंगे।
फोटो कैप्शन:गणेश अग्रवाल, सत्येंद्र आर्य, सत्यवीर सिंह, सुनील कुमार।


कनीना क्षेत्र में रही दुकानें खुली 

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कनीना।  देव उठनी एकादशी के चलते तथा विवाह शादियों की शुरुआत होने से कनीना क्षेत्र की दुकानें खुली रही। विगत दिनों दुकानें बंद रखने के आदेश दे दिए थे जिसके चलते दूसरे गांव से आने वाले दुकानदार दुकान खोलने के लिए नहीं आये जबकि क्षेत्रीय दुकानदारों ने अपनी दुकानें खोली। सैकड़ों दुकानें खुली तो सैकड़ों बंद रही। दोपहर तक दुकानदारों को दुकानें खुलने की सूचना मिली तो तो उन्होंने भी दुकानें खोल ली।
उल्लेखनीय है कि विगत दिनों दिया दीपावली के चलते दुकाने रविवार को खुली रही थी तो अब त्योहारों के दृष्टिगत दुकानें खोलने की ढिलाई प्रशासन द्वारा दे दी गई। जिसके चलते सैकड़ों दुकानें खुली रही। कुछ दुकानें बंद रही। उल्लेखनीय है कि 25 है नवंबर से देव उठनी एकादशी पर मार्केट में चहल-पहल बढ़ जाएगी। त्योहारों के दृष्टिगत दुकानें खुली हुई है।
फोटो कैप्शन फोटो कैप्शन एक: कनीना बस स्टेंड पर खुली दुकानों का नजारा

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