Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Monday, November 30, 2020


 कूड़ादान घोटाले  में पाथेड़ा की सरपंच कृष्णा देवी को किया गिरफ्तार
-14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा

******************************

*******************************

*************************
कनीना। कूड़ादान(डस्टबीन) घोटाले में गांव पाथेड़ा की महिला सरपंच कृष्णा देवी को पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। महेंद्रगढ़ के कार्यवाहक एसएचओ कृपाल सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि पाथेड़ा की सरपंच को घोटाले के मामले पर गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया था। जहां से उसे 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि तीन वर्ष पहले पाथेड़ा पंचायत सरपंच कृष्णा देवी पर कूड़ादान घोटाले की जांच के लिए ग्रामीण बच्चन सिंह ने सीएम विंडो में अपील लगाई थी। जिसके बाद पंचायत विभाग के एसडीओ ने गांव में जाकर 15 नवंबर 2017 को जांच करने के बाद जांच रिपोर्ट 5 फरवरी 2018 को सीएम विंडो पर अपलोड करते हुए 137201.78 रुपये घोटाला होने की बात कही थी। बीडीपीओ कनीना ने इस पर कार्रवाई करते हुए 1 मई 2018 को पुलिस थाना महेंद्रगढ़ को सरपंच कृष्णा देवी पर मुकदमा दर्ज करने के लिए लिखित आदेश दिया था। जिसे संज्ञान में लेते हुए एसएचओ महेंद्रगढ़ ने 2 मई 2018 को विभिन्न धाराओं के तहत सरपंच कृष्णा देवी पर एफआइआर नंबर 203 मामला दर्ज किया। इस मुकदमे को दर्ज करते हुए बहुत समय बीत चुका था। जिस पर कोई कार्रवाई न होती देख शिकायतकर्ता बच्चन सिंह ने थाना महेंद्रगढ़ में डीएसपी, एसपी महेंद्रगढ़ के कार्यालय में कई बार चक्कर लगाए। लेकिन उस वक्त तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला था। शिकायतकर्ता बच्चन सिंह ने बताया कि सरपंच कृष्णा देवी को 25 फरवरी 2020 को तत्कालीन जिला उपायुक्त जगदीश शर्मा ने पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 511 में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए आरोपों की गंभीरता एवं सरकारी राशि का गबन दुरुपयोग के मद्देनजर नियमित जांच अवधि के दौरान कनीना खंड की ग्राम पंचायत पाथेड़ा की सरपंच कृष्णा देवी को जनहित में निलंबित किया तथा उसे निर्देश दिए कि उसके पास जो भी चल अचल संपत्ति का चार्ज हैं वो बहुमत वाले पंच को सौंपे तथा वह भविष्य में पंचायत की कार्रवाई में भाग लेने से वंचित रहे। जिसके बाद तत्कालीन जिला उपायुक्त आरके सिंह ने सरपंच कृष्णा देवी को बहाल कर दिया था। जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में अपील कर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा है।
 

एड्स है दुसाध्य रोग

**************************
कनीना। एड्स एक दुसाध्य रोग है जिसे एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंशी सिंड्रोम मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (एचआईवी) से होता है जो कि मानव की प्राकृतिक प्रतिरोधी क्षमता को कमजोर करता है। जिसके चलते कोई भी रोग आसानी से शरीर पर धावा बोल देता है। यह रोग नहीं पितु रोगों का समूह कहा जाता है। सुरक्षा कवच के बिना एड्स पीडि़त लोग भयानक बीमारियों क्षय रोग और कैंसर आदि से पीडि़त हो जाते हैं और शरीर को सर्दी जुकाम, फुफ्फुस प्रदाह इत्यादि घेर लेते हैं।
एडस कैसे फैलता है-
डा वेदप्रकाश बताते हैं कि एक सामान्य व्यक्ति एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के शुक्राणु,, योनि स्राव अथवा रक्त के संपर्क में आता है तो उसे एड्स हो सकता है। आमतौर पर लोग एचआईवी पाजिटिव होने को एड्स समझ लेते हैं, जो कि गलत है। बल्कि एचआईवी पाजिटिव होने के 8-10 साल के अंदर जब संक्रमित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो जाती है। तब उसे घातक रोग घेर लेते हैं और इस स्थिति को एड्स कहते हैं।  यह पीडि़त व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध स्थापित करने ,दूषित रक्त आधान,संक्रमित सुई के से,एड्स संक्रमित माँ से उसके होने वाली संतान को मिल सकता है।
लक्षण-
एचआईवी से संक्रमित लोगों में लंबे समय तक एड्स के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते।  अधिकतर एड्स के मरीजों को सर्दी, जुकाम या विषाणु बुखार हो जाता है पर इससे एड्स होने का पता नहीं लगाया जा सकता। जब वायरस का संक्रमण शरीर में अधिक हो जाता है, उस समय बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं। एड्स के लक्षण दिखने में आठ से दस साल का समय भी लग सकता है।  ऐसे व्यक्ति भी एड्स फैला सकते हैं।
क्या हैं लक्षण-
डा वेदप्रकाश बताते हैं कि एड्स के लक्षणों में वजन का कम होना,लगातार खांसी बने रहना, बार-बार जुकाम का होना,बुखार,सिरदर्द,थकान,शरीर पर निशान बनना, हैजा,भोजन से अरुचि,लसीकाओं में  सूजन जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं। एचआईवी की उपस्थिति का पता लगाने हेतु एलिसा टेस्ट किया जाता है।
 पीडि़त के साथ खाने-पीने से, बर्तनों की साझीदारी से,हाथ मिलाने या गले मिलने से,एक ही टायलेट का प्रयोग करने से,मच्छर या अन्य कीड़ों के काटने से,पशुओं के काटने से,खांसी या छींकों से यह रोग नहीं फैलता।
एड्स का उपचार-
एंटी रेट्रोवाईरल थेरपी दवाईयों का उपयोग किया जाता है। इन दवाइयों का मुख्य उद्देश्य एचआईवी के प्रभाव को काम करना, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना और अवसरवादी रोगों को ठीक करना होता है।  पीडि़त साथी या व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध स्थापित नहीं करना चाहिए, खून को अच्छी तरह जांच कर ही उसे चढ़ाना चाहिए। उपयोग की हुई सुइयों या इंजेक्शन का प्रयोग नहीं करना चाहिए, दाढ़ी बनवाते समय हमेशा नाई से नया ब्लेड उपयोग करना चाहिये।

रंग लाने लगा है सात साल पुराना मसला

**********************************
कनीना। कनीना उपमंडल बने सात साल बीत गये हैं अब धीरे धीरे रंग लाने लगा है। लंबे संघर्ष के बाद कनीना में ही कार्यालय बनने की उम्मीद जगी है।
कनीना को उपमंडल का दर्जा 2013 में दिया और 15 अगस्त का झंडा तत्कालीन एसडीएम सुभिता ढाका ने फहराया था।  1955 में बने खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय परिसर में ही उपमंडल एवं न्यायिक परिसर भवन चल रहे हैं। दर्जनों बार उच्चाधिकारी एवं न्यायाधीश आकर प्रस्तावित जगह का दौरा कर चुके हैं किंतु रविवार को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के दौरे के बाद कनीनावासियों का संघर्ष रंग लाता नजर आने लगा है।
 लंबे संघर्ष की दास्तान में 2013-14 में कनीना न्यायिक परिसर तथा उपमंडल कार्यालय पीपल वाली बनी(जंगल) में बनाए जाने की कार्रवाई पूर्ण की थी किंतु अपरिहार्य कारणों से वहां पर उपमंडल कार्यालय नहीं बना और उन्हाणी  में तो कभी कनीना में कार्यालय बनाए जाने को लेकर के कवायद चली। किंतु उपमंडल कार्यालय का निर्माण शुरू हुआ है। पूर्व मंत्री नरबीर सिंह तथा पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव ने समस्त कार्यालय कनीना में अविलंब बनाए जाने की घोषणा राजकुमार कनीनवाल मार्केट कमेटी के पूर्व चेयरमैन के फार्म हाउस पर की थी तब से लेकर अब तक आशा बलवती हो रही है।
उपमंडल कार्यालय का कनीना में बनाए जाने का वर्ष 2019 में चंडीगढ़ से ही शिलान्यास भी किया गया किंतु हकीकत में भवन निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। वर्तमान में जिस जगह कार्यालय चल रहा है वहां लाइब्रेरी,ड्रेसिंग रूम, क्लाइंट के बैठने आदि की सुविधा उपलब्ध नहीं है। टीन शेड में विभिन्न वकील ग्राहकों को अटेंड कर रहे हैं। न फैमिली कोर्ट बनी है।   
संघर्ष की दास्तान.....
  2013 में तत्कालीन सीपीएस एवं अटेली विधायक अनीता यादव के भरसक प्रयासों के उपमंडल का दर्जा दिया गया। जहां प्रारंभ में पीपल वाली बणी/जंगल में पर तत्पश्चात कालर वाली जोहड़ पर तत्पश्चात खंड विकास पंचायत अधिकारी कार्यालय के पीछे भवन बनाए जाने की चर्चा जोर शोर से चली। वर्ष 2013 के बाद खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय में उपमंडल कार्यालय अस्थायी रूप से स्थापित करवा दिया गया जो आज तक वहीं चल रहा है। वर्ष 2017 में न्यायिक परिसर उन्हाणी गांव में बनाए जाने की चर्चा चलते ही 67 दिन एसडीएम कार्यालय समक्ष धरना प्रदर्शन चला। 21 फरवरी 2017 एवं 27 फरवरी 2017 को तत्पश्चात अगस्त 2018 को महापंचायत आयोजित करवाई गई ताकि सभी कार्यालय कनीना में ही बनवाए जाए। एसडीएम से बार बार मिले, 21 फरवरी से लगातार धरना जारी रहा जुलूस चला, कनीना बंद रखा गया,उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों लोग मिले, जिला उपायुक्त से तत्कालीन समय में लोग मिले, अनशन जारी रहा यहां तक कि कनीना में ही सभी कार्यालय बनाए जाने को लेकर के वर्ष 2017 में 13 पार्षदों में से 12 ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया।6 जुलाई 2015 को मनोहर लाल खट्टर ने कनीना कालेज में एक जनसभा आयोजित करते हुए फायर ब्रिगेड, सब्जी मंडी, उप मंडल कार्यालय परिसर, स्टेडियम सभी कनीना में बनाए जाने की घोषणा की थी तब से लोग चैन से नहीं बैठे हैं। कनीनावासी एकता दिखाते आये हैं चाहे मा. दिलीप सिंह पूर्व पालिका प्रधान तथा राजेंद्र सिंह लोढ़ा पूर्व प्रधान को रातों-रात उठाकर नजर बंद कर दिया था तब भी एकता का परिचय देकर छुड़वा कर ही दम लिया था। जब कनीना को वर्ष 2000 में नगर पालिका तोड़कर ग्राम पंचायत का दर्जा दे दिया और सरपंच के चुनाव करवा दिए तो निर्विरोध माना देवी को सरपंच तो बना दिया किंतु चैन से नहीं बैठे फिर से उसका इस्तीफा दिलवा दिया था। एकता का परिचय दिया और फिर से कनीना पालिका बहाल करनी पड़ी थी।
 लगातार बार-बार उच्च अधिकारी आ रहे हैं। विभिन्न अधिकारी उपमंडल कार्यालय की जगह का निरीक्षण कर रहे हैं किंतु कभी कोई समस्या तो कभी कोई अड़चन आ गया जाती। यहां तक कि वर्तमान में स्थित अस्थायी उपमंडल कार्यालय बनाए जाने की पूरी कार्रवाई शुरू कर दी थी किंतु दुकानदार एवं दुकानें आड़े आ गए।
कनीना वासी भी चैन से बैठते नजर नहीं आ रहे हैं कनीना के महेश बोहरा,पालिका के पूर्व प्रधान मा दिलीप सिंह राजेंद्र सिंह लोढ़ा, जसवंत सिंह बबलू सुमेर सिंह तथा विभिन्न लोगों का बराबर का योगदान रहा है। उपमंडल भवन कनीना में बनाए जाने को लेकर के संघर्ष चला आ रहा है।  जो कार्यालय निर्माण के बाद रुक सकता है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दौरे के बाद से कार्यालय कनीना में निर्मित की संभावना एवं संघर्ष रंग लाता नजर आने लगा है।
फोटो कैप्शन 8 व 9: वर्तमान में चल रहे न्यायिक परिसर एवं उपमंडल कार्यालय।
 

 आलू, टमाटर, प्याज चला होटलों में बथुआ पहुंचा गरीब की रसोई में 

*****************************
 कनीना। कभी आलू, प्याज, टमाटर की सब्जी गरीब तबके के लिए उपलब्ध होती थी। देर सवेर दाल खाने को मिलती थी वे अब आदमी की पहुंच से दूर हो गई है। ये होटलों में अमीरों के लिए उपलब्ध हैं जबकि गरीब की रसोई में बथुआ दस्तक दे रहा है। किसान बथुए से परिचित होने से मजबूरन सब्जी के विकल्प  के रूप में प्रयोग कर रहे हैं।
आज के दिन यदि किसान आलू, टमाटर और प्याज खरीदना चाहे तो एक-एक किलो सब्जी डेढ़ 150 से 180 के बीच तो एक किलो दाल 100 रुपये की जिसमें प्याज व टमाटर लग से डालने पड़ते हैं। दाल भी ग्रामीण क्षेत्र के किसान की पहुंच से दूर हो गई अब यह आम लोगों की पहुंच में आ गई है। होटलों में आलू की सब्जी व दाल बनती है जिनको अमीर तबका खा सकता है। अब तो जिस घर में आलू ,प्याज, टमाटर की सब्जी बनती है उसे अमीर बताया जा रहा है।
 गरीब की रसोई में झांक कर देखा जाए तो उसमें बथुआ जगह बना चुका है। जो खेतों में रबी फसल के साथ खुद पैदा होता है और अति औषधीय शाक होने के साथ-साथ कई रूपों में प्रयोग होता है। किसान कृष्ण कुमार, योगेश कुमार, रोहित कुमार आदि ने बताया कि उनकी रसोई में बथुआ मिलता है जो रक्त विकारों में लाभप्रद है। एनीमिया के शिकार लोग बथुए को ढूंढकर लाते हैं।
किस रूप में प्रयोग होता है बथुआ-
ग्रामीण क्षेत्रों में तो जहां बथुआ रायता,कोफ्ता पराठे, खाटा का साग, कढ़ी, भाजी, दाल में तथा अन्य रूपों में प्रयोग करते आ रहे हैं। खूबी है कि यह मुफ्त में उपलब्ध है और आम जन इसके बारे में परिचित है।
 आसमान छू रहे हैं भाव -
जहां आलू 50 रुपये किलो टमाटर 50 रुपये किलो प्याज 60 रुपये किलो से भी महंगे मिल रहे हैं। ऐसे में एक परिवार के लिए एक दिन की सब्जी के 150 से 180 रुपये  लगते हैं जबकि किसान गरीब होते हैं। ऐसे में बथुआ मुफ्त में मिलता है और गुणकारी होने के कारण लोग जमकर प्रयोग कर रहे हैं। जहां अमीरों को बथुआ पैसे में नसीब हो रहा है वही गरीबों को मुफ्त में और हर समय उपलब्ध हो रहा है। खेत के पास है रह रहे किसान जब चाहे इसे खेत से उखाड़कर प्रयोग कर रहे हैं। बथुआ पशुओं के लिए भी गुणकारी माना जाता है। वैद्य बालकिशन और श्रीकिशन शर्मा का कहना है कि खून की कमी, पेट की समस्याएं,वात रोग तथा विभिन्न प्रकार के रोगों में कारगर औषधि भी है। हरी पत्तेदार सब्जी भी है। आयुर्वेद में चिनोपोडियम कहा जाता है जो मानव के लिए उपहार है। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बथुआ रसोई की ओर चला और अमीरों की रसोई एवं होटलों की और प्याज टमाटर पहुंचने लगा है।
फोटो कैप्शन 3:बथुआ 4 बथुआ का रायता पीते बच्चे
5: आसमान छूती प्याज

 दिनभरा चला देवदीवाली का पर्व

****************************
कनीना। कनीना क्षेत्र में देव दीवाली का पर्व विभिन्न गांवों में श्रद्धा एवं भक्ति से मनाया गया। इस मौके पर मंदिरों में पूजा अर्चना चली तथा एक माह से चला आ रहा कार्तिक स्नान पूर्ण हो गया।
भगवान से डर कर कार्य करने वालों को कभी पश्चात नहीं करना पड़ता है क्योंकि जो भगवान से डरता है वह हमेशा शुभ कर्म ही करता है। ये विचार स्वामी श्रीकृष्णानन्द ने धनौन्दा की बणी में  गंगा पर्व व पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित एक यज्ञ के उपरांत व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि शुभ कार्य का फल हमेशा शुभ ही मिलता है इसलिए शुभ कर्म ही करने चाहिए।
संत ने कहा कि देवदीवाली कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार है जो यह उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मनाया जाता है। यह काशी शहर में दीपावली के पंद्रह दिन बाद मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि देवदीवाली की परम्परा पंचगंगा घाट 1915 मे हजारों दीये जलाकर की गयी थी। माना जाता है कि देवता भी इस उत्सव में भाग लेते हैं। दीये जलाकर शहर जगमग हो उठता है जैसे काशी में पूरी आकाश गंगा ही उतर आयी हों।  
 संत लालदास ने बताया कि तीनों लोकों में त्रिपुरासुर राक्षस का राज चलता था देवतागणों ने भगवान शिव के समक्ष त्रिपुराशूर राक्षस से उद्धार की विनती की। भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन राक्षस का वध कर उसके अत्याचारों से सभी को मुक्त कराया और त्रिपुरारि कहलाये। इससे प्रसन्न देवताओं ने स्वर्ग लोक में दीप जलाकर दीपोत्सव मनाया था तभी से कार्तिक पूर्णिमा को देवदीवाली मनायी जाने लगी। इस दिन सभी देवताओं ने काशी में प्रवेश कर दीप जलाकर दीपावली मनाई थी। देवदिवाली एक दिव्य त्योहार है।
फोटो कैप्शन 1: देव दीवाली पर्व परप धनौंदा में यज्ञ करते संत कृष्णानंद।


गुरु नानक देव की शिक्षा को जीवन में उतारें: लोढा

*******************************











कनीना। जीएल स्कूल कनीना प्रांगण में सिख धर्म के पहले गुरु,गुरु नानक देव  की जयंती पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें उनके जीवन कार्यों पर प्रकाश डालकर उनके आदर्शों पर चलने के लिए प्रेरित किया गया।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए जेपी लोढ़ा ने बताया कि गुरु नानक देव जी ने दुनिया को नाम जपो, कीरत करो, वंड चखो का संदेश देकर समाज में भाई-चारा मजबूत किया। और एक नए युग की शुरूआत की। सामाजिक कुरीतियों का विरोध कर उन्होंने समाज को नई सोच व दिशा दी। उन्होंने कहा कि गुरु जी ने ही समाज में व्याप्त ऊंच-नीच की बुराई को खत्म करने, भाई-चारक सांझ के प्रतीक के रूप में सबसे पहले लंगर की शुरूआत की। गुरूनानक देव जी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया। उन्होंने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में जाकर लोगों को पाखंडवाद से दूर रहने की शिक्षा दी।
फोटो कैप्शन 2: गुरु नानक देव को याद करते शिक्षक।

No comments: