Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Monday, November 23, 2020


 27 नवंबर को महेंद्रगढ़ में सम्मान समारोह का होगा आयोजन

*********************************

*********************************

*****************************
 कनीना। स्थानीय विद्युत निगम कार्यालय के प्रांगण में बिजली कर्मचारियों की एक बैठक सोमवार को संपन्न हुई। इस बैठक की अध्यक्षता एसएसए धर्मपाल यूनिट प्रधान एससी बीसी ने की।
 इस बैठक में कई प्रकार के मुद्दों को लेकर चर्चा की गई।  जिसमें आगामी 27 नवंबर को राज्य स्तरीय कार्यकारिणी का सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा। बैठक की अध्यक्षता कर रहे एसएसए धर्मपाल यूनिट प्रधान एससी बीसी ने बताया कि सम्मान समारोह में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मचारियों का भी सम्मान किया जाएगा। जिसमें कर्मचारियों की सभी मांगों को लेकर विचार विमर्श भी किया जाएगा।  इसके साथ ही उन समस्याओं का जल्दी उनका निदान कराने का प्रयास किया जाएगा। इस बैठक में राजेंद्र सिंह सर्किल ऑर्गेनाइजर, सज्जन सिंह यूनिट प्रधान, सत्यवीर एसएसए यूनिट सचिव, यूनिट सेक्रेटरी राजेश, लाइनमैन बाबूलाल उपप्रधान, मनोज प्रधान, सत्यवीर दहिया, संदीप सिंह, बृजलाल संगठनकर्ता, जोगेंद्र प्रेस सचिव, अनिल एल एम के अलावा अन्य कर्मचारी भी उपस्थित रहे । फोटो कैप्शन:- बैठक में शामिल को संबोधित करते वक्ता । 

 

अज्ञात कारणों से लगी आग में डेढ़ सौ मन कड़बी जलकर हुई राख
***************************

कनीना। गाहडा रोड़ पर टाइल फैक्ट्री के पास कनीना में सोमवार देर शाम अचानक आग लगने से किसान राजकुमार पुत्र बालकिशन  की डेढ़ सौ मन कड़बी जलकर राख हो गई। किसान ने तुरंत इसकी सूचना दमकल विभाग को दी। लेकिन दमकल की गाडिय़ां पहुंचने पहले ही पूरी कड़बी जलकर राख हो चुकी थी। कनीना निवासी किसान राजकुमार ने अपने खेत में चार एकड़ की कड़बी एकत्रित कर रखी थी। सोमवार देर शाम को अज्ञात कारणों से कड़बी में आग लग गई। इसके बाद किसान ने आगजनी की सूचना फायर ब्रिगेड विभाग नारनौल को दी। परंतु फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंचने से पूर्व ही कड़बी जलकर राख हो चुकी थी। फायर ऑफिसर राकेश कुमार ने बताया कि सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड वहां से रवाना हो गई और मौके पर पहुंची मौके पर पहुंचे तब तक अधिकतर कड़बी जलकर राख हो चुकी थी। फायर ब्रिगेड टीम सुनील कुमार चालक, कुलदीप फायरमैन, राकेश फायरमैन में पहुंचकर आग बुझाने का भरपूर प्रयास किया। फ़ोटो कैप्शन:- आग बुझाते हुए फायर ब्रिगेड के कर्मचारी ।


धनौंदा मे शैड माता के भंडारे व जागरण के लिए की बैठक

*********************************

 कनीना। उप मण्डल के गावं धन्नौदा मे शैड माता के भंडारे व जागरण के लिए कमेटी ने बैठक का आयोजन किया। कमेटी के सदस्य अमित प्रजापत ने जानकारी देते हुए बताया कि शैड माता के भंडारे व जागरण के लिए कमेटी ने बैठक का आयोजन क्या गया था। यह कार्यक्रम
 तीन दिन चलेगा। जिसमें तीन वेद शास्त्रियों द्वारा मंत्र उच्चारण करके तीनों दिन जप किया जाएगा। जिसमें एक विवाहित जोड़ा मुख्य यजमान के रूप में तीनों दिन पूरे कार्यक्रम में उपस्थित रहेगा। जिसके हाथों से पूजा करवाई जाएगी। पूजा में कोवीड़ 19 के निर्देशों का पालन किया जाएगा।
 कार्यक्रम की व्यवस्था को बनाने में जेबीडी युवा क्लब धंनौंदा व शैड माता मंदिर कमेटी के सभी सदस्यों   द्वारा मुख्य भूमिका निभाई जाएगी । बैठक में माता कमेटी पनी लाल प्रधान प्रजापत समाज, कैसियर राजू पंच, पवन प्रधान, शेर सिंह ठेकेदार, उपप्रधान,  सुरेश कुमार धोलिया, अमित प्रजापत, मुकेश बोहरा, हरचंदा हलवाई, रामचंद्र प्रजापत, सतपाल वर्मा, प्रकाश मिस्त्री व अन्य लोगों को जिम्मेवारी सौंपी ।
फ़ोटो कैप्शन:- बैठक के बाद माता के मंदिर में बैठे हुए कमेटी के सदस्य ।

 आठ वर्ष बाद हुई दो बेटियों के जन्म पर किया कुआ पूजन

*********************************
 कनीना। बेटा और बेटी एक समान। बेटियों के बिना सृष्टि चल ही नहीं सकती। समाज को यही संदेश देने के लिए कनीना के वार्ड नंबर 4 में बेटियों की जन्म पर को कुआं पूजन करके खुशी मनाई गई।  सूबेदार जगदीश प्रसाद ने बताया कि उनके 8 वर्ष के बाद दो पोतीयां हुई हैं जो कि बहुत खुशी की बात है उन्होंने कहा कि लड़का और लड़की में कोई फर्क नहीं होता । आज हम इतनी खुशी है इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। जगदीश प्रसाद सूबेदार से सेवानिवृत्त होकर समाज की सेवा में लगे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ सूबेदार जगदीश प्रसाद की पत्नी सोमवती देवी ने खुशी जताई उन्होंने कहा कि दादी बनने की खुशी और वह भी एक साथ दो पोतीयों के जन्म की खुशी है। कन्याओं के पिता योगेश व कन्या की मां राधा रानी ने सभी बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया। योगेश ने जानकारी देते हुए बताया कि उसकी शादी 2012 में हुई थी। 8 वर्ष बाद उनके दो कन्याओं ने जन्म लिया है। इसकी खुशी है।  परिवार ने बेटीयों के जन्म पर वे सब रस्में पूरी की जो बेटे के जन्म पर की जाती हैं। कुआं पूजन की रस्म की गई। सूबेदार जगदीश प्रसाद ने कहा कि आज बेटियां किसी भी तरह बेटों से कम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे अपनी पोतीयों  को अच्छी शिक्षा दिलवा कर अफसर बनाएंगे। इस मौके पर कैप्टन भरपूर सिंह, सूबेदार जगदीश प्रसाद, योगेश कुमार, राधा रानी, सोमवती देवी, यादवेंद्र पूर्व प्रधान गौशाला प्रधान, महेश कुमार, कृष्ण कुमार, राकेश, राम कुमार, सुशील मित्तल, रेवती देवी आदि मौजूद रहे।
फ़ोटो कैप्शन:- कुआं पूजन के लिए जाती हुई महिलाएं ।


प्याज के भाव बढ़े, मांग घटी

******************************
 कनीना। जहां प्याज के भाव दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं वह इसकी मांग घटती जा रही है। प्याज उत्पादन करने वाले किसानों का कहना है कि बाजार में बहुत कम प्याज बिकती है। विगत वर्ष प्याज के भाव कम थे, कोई पूछने वाला नहीं था। किसान हरी प्याज ही बेचने लगे हैं जिसकी मांग अधिक है। किसानों ने बताया कि बाजार में 30 से 35 रुपये किलो प्याज बिक जाती है।
     कनीना क्षेत्र के अजय कुमार, कांता देवी, गजराज सिंह महावीर सिंह ने बताया कि उन्होंने प्याज उगा रखी है। हरी प्याज की काफी मात्रा में बिक्री हुई हैं किंतु अब कीमत प्याज की मांग तो बढ़ गई है किंतु बाजार में खरीददार बहुत कम हैं। उन्होंने बताया कि बाजार में 40 से 50 किलो प्याज ही दुकानदार खरीद पाते हैं जबकि उनके पास उत्पादन अधिक है।  उन्होंने बताया कि जहां गृहणी भी प्याज का कम से कम उपयोग कर रही है। वहीं वे प्याज का विकल्प ढूंढ रही हैं। सब्जी में प्याज डालनी कम कर दी हैं।
आज प्याज के भाव 60 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं किंतु किसी भी  सब्जी की दुकान पर 30 से 40 किलो से अधिक प्याज नहीं मिलती। सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि प्याज के आए दिन भाव कम अधिक हो रहे हैं जिसके चलते वे अधिक प्याज नहीं खरीद रहे। वैसे भी नई प्याज आ जाने से वह जल्दी सड़ जाती है। ऐसे में अधिक मात्रा में लेकर दुकानदार भी प्याज को नहीं डाल रहे हैं।
विगत दिनों से प्याज एवं टमाटर के भाव बढ़ते ही जा रहे थे किंतु अब टमाटर तो कुछ सस्ता हो गया किंतु प्याज जस की तस महंगी है। उधर विगत वर्ष किसानों की प्याज के भाव कम होने से परेशानी बढ़ी थी और प्याज को कोई पूछने वाला नहीं था किंतु इस वर्ष प्याज के भाव अधिक तो मांग कम है।
फोटो कैप्शन 3: प्याज की खेती दिखाती महिला किसान

आवारा जंतुओं से किसान परेशान

**********************************
कनीना। सर्दी के मौसम में आवारा जंतु किसानों के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। नील गाय उनमें से एक हैं। ये फसल का दस फीसदी भाग तक नष्ट कर देती हैं। गेहूं तथा सरसों की फसल खेतों में हरियाली के रूप में दिखाई पडऩे लगी है।
 किसान की फसल का बहुत कुछ हिस्सा आवारा जंतुओं का निवाला बन जाता है। चूहे,मोर, नील गाय, आवारा गाएं, पक्षी, कीट, बंदर और शशक आदि  किसान के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। किसान को तो इन जीवों से फसल को बचाए रखने के लिए भारी धन खर्च करना पड़ रहा है। आवारा जंतुओं से फसल को बचाने के लिए रखवालें भी रखने पड़ते हैं जो रखवाली के बदले अनाज लेते हैं। गौशाला होने के बावजूद भी कनीना में आवारा गाएं घूम रही हैं। किसान के लिए ये भी सिरदर्द बनी हैं। गौशाला के बाद माना जाता था कि अब तो खेत इनसे बच जाएंगे किंतु आवारा गाए अभी भी देखी जा सकती हैं।  
   किसान राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, अजीत सिंह, कृष्ण कुमार आदि ने बताया कि नील गाय और आवारा गायें सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। नील गाय झुंड के रूप में चलती हैं और जिस किसी खेत में घुस जाती हैं उसे तबाह करके ही दम लेती हैं।  किसान को सबसे अधिक रखवाली इन्हीं जीवों से करनी होती है। इन्हीं जीवों से फसल को बचाने के लिए रखवालों का प्रबंध भी करना पड़ता है। आवारा गायों और नील गायों से बचने के लिए खेत में रखवाली के बावजूद भी ये गाएं फसल को नुकसान पहुंचाए बगैर नहीं रह सकती हैं। फसल को नुकसान पहुंचाने में आवारा गाएं, सुअर जैसे कितने ही जीव न केवल खेत में खड़ी अपितु काटकर डाली गई फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।
क्या कहते हैं किसान-
 किसानों का कहना है कि नील गाय उनकी फसल को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं। बाकी जानवर मिलकर जितना नुकसान नहीं पहुंचाते उतना नील गायें पहुंचा रही हैं। किसान अजीत कुमार, रमेश कुमार, सूबे सिंह ने बताया कि वे फलदार पौधे उगाते थे किंतु अब ये फलदार पौधे उगाने बंद कर दिए है क्योंकि फलदार एवं सब्जियों को नीलगाय खत्म कर जाते हैं।
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी-
कृषि विस्तार अधिकारी डा देवराज ने कहा कि यूं तो पूरे हरियाणा की ही यह समस्या है और समस्या अधिक विकराल दक्षिण हरियाणा की है जहां मेहनत अधिक करके ही किसान फसल उगाता है और उस पर पानी फेर नील गाय चंपत हो जाती है। सर्दी से बचने के लिए किसान जब घर में जाता है तभी ये नील गाय नुकसान पहुंचा जाती है। इनका नुकसान भारी है जो दस फीसदी को पार कर जाता है।









हरी सब्जी का विकल्प बथुआ हो रहा है प्रयोग

***********************************
 कनीना। सब्जी महंगी होने के कारण किसान वर्ग न केवल खेतों में खरपतवार के रूप में उगने वाले बाथू/बथुआ को सब्जी के रूप में प्रयोग कर रहे हैं वहीं खेतों से उखाड़कर दूसरों को भी खाने की प्रेरणा दे रहे हैं। बाथू गुणकारी औषधि के रूप में जानी जाती है।
उल्लेखनीय है कि बाथू मानव के काम तो आता है वहीं पशुओं के लिए भी उत्तम हरे चारे का काम करता है। सर्दियों में रबी फसल के साथ अपने आप उगने वाले इस हरे भरे शाक को ग्रामीण परिवेश के लोग बाथू,बथुआ या हरा नाम से पुकारते हैं जिसे आयुर्वेद में कई गुणों की खान व औषधियों में काम में लाया जाता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे चिनोपाडियम कहते हैं।
 किसान दिनेश कुमार, रवि कुमार, महेश कुमार ने बताया बाथू का किसी जमाने में गरीब तबके के लोग ही प्रयोग में लाते थे जो महंगी बाजार की सब्जी खरीदने में असमर्थ थे किंतु आजकल बदलाव आ गया है और अमीर एवं रोगी जनों के लिए रामबाण दवा का काम कर रहा है विशेषकर पेट की बीमारी एवं एनिमिया के शिकार इसे ढूंढते  फिरते हैं। उनका कहना है कि जब बाजार में अन्य सब्जियां महंगी हो रही है तो ऐसे में बाथू ही गुणकारी सब्जी का काम करेगा। ये किसान स्वयं भी इसे प्रयोग कर रहे हैं और दूसरों को भी इसे खाने की सलाह दे रहे हैं। वैद्य बालकिशन का कहना है कि पेट की बीमारियों एवं खून की कमी को दूर करने में सहायक है।
 किसानों कुलदीप बोहरा, देशराज, आशा, शकुंतला आदि ने बताया कि वे इसे रायता, देसी सब्जी बनाने में प्रयोग कर रहे हैं वहीं आटे में मिलाकर रोटियां बना रहे हैं वहीं इससे जायकेदार पराठे भी बना रहे हैं। ये व्यंजन उनको बहुत अधिक भा रहे हैं। यही नहीं अपितु वे सरसों का साग व अन्य खेतों में पाई जाने वाली हरी सब्जियां प्रयोग में ला रहे हैं। खरपतवार के रूप में अपने आप खेतों में उगने वाला बाथू ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण शाक माना जाता है। कई रूपों में मानव के काम आता है वहीं पशुओं के लिए भी उत्तम हरे चारे का काम करता है। सर्दियों में फसल के साथ अपने आप उगने वाले इस हरे भरे शाक को ग्रामीण परिवेश के लोग बाथू,बथुआ या हरा नाम से पुकारते हैं।
    बाथू आजकल किसानों के लिए आय का साधन बनता जा रहा है। इसके गुणों को देखते हुए अमीर जन इसे बाजार से खरीद कर लाते हैं और बड़े ही चाव से खाते हैं जिससे सिद्ध होता है कि बीते जमाने की गरीबों की सब्जी अब अमीरों का भोजन बनती जा रही है। बाजार में किसान इसे उखाड़कर बेच रहे हैं और आमदनी कर रहे हैं। एक ओर जहां सब्जी महंगी हो रही हैं और हरी सब्जियां तो आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। ऐसे में बथुआ किसानों के लिए ही नहीं अपितु आम जन के लिए मुफ्त की हरी सब्जी बन गयी है।   
फोटो 1 व दो: बाथू खेतो ंमें उगा हुआ।

No comments: