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Saturday, November 21, 2020

 

27 नवंबर तक चलेगी कनीना मंडी में खरीद,रविवार को खरीद रहेगी बंद 

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 कनीना। 20 नवंबर तक कनीना अनाज मंडी तथा श्री कृष्ण गौशाला दोनों स्थानों पर बाजरे की खरीद जारी थी किंतु शनिवार से बाजरे की खरीद केवल अनाज मंडी कनीना में ही चली
 विस्तृत जानकारी देते हुए जगदीश कुमार पर्चेजर ने बताया कि हैफेड द्वारा 1 अक्टूबर से बाजरे की खरीद जारी की थी। प्रारंभ में सौ सौ किसानों को बुलाया गया फिर 200 तत्पश्चात बढ़ाकर 500 किसानों को प्रतिदिन बुलाया जा रहा था। अब फिर से 50 किसानों को ही बुलाया गया था। श्रीकृष्ण गौशाला रोड कनीना पर खरीद कार्य बंद कर दिया गया है क्योंकि अब किसानों की संख्या कम है। भरपूर सिंह ने बताया गत दिवस के बचे हुये किसानों सहित 191 किसानों ने 4550 क्विंटल बाजरा बेचा। अब तक कनीना अनाज मंडी में कुल 3,82,500 क्विंटल बाजरे की खरीद की जा चुकी है जिसमें 70,000 क्विंटल गौशाला रोड पर तथा 2,91,387 क्विंटल कनीना मंडी से खरीद की जा चुकी है। 20 नवंबर को 4550 क्विंटल बाजरा खरीदा गया। उन्होंने बताया कि 27 नवंबर तक खरीद जारी रहेगी। रविवार को खरीद नहीं होगी।


जल्द ही पकड़वा कर दूर भेजे जाएंगे बंदर 

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कनीना। कनीना नगर पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि कनीनावासी बंदरों से परेशान है। उन्होंने कहा कि बंदरों को पकड़वाने के लिए टेंडर छोड़ा जाएगा और जल्द इन बंदरों को पकड़कर भिजवाया जाएगा। एक बार पहले भी नगरपालिका ने अभियान चलाया था।
उल्लेखनीय है कि कनीना क्षेत्र में बंदरों ने भारी नुकसान पहुंचाया है। लोगों को भी काटा है वही जीना मुहाल कर रखा है। फल सब्जी तो कतई नहीं होने देते। ऐसे में लोग बार-बार शिकायत कर रहे हैं। कनीना मंडी से शिवकुमार अग्रवाल बार-बार आरटीआई लगाकर बंदरों को पकड़वाने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में नगर पालिका प्रधान ने कहा कि कनीना नगर से बंदरों को पकड़ा जाएगा ताकि लोगों को कुछ दिन के लिए तो आराम मिल सके। उन्होंने कहा कि एक टीम गठित की जाएगी जो बार-बार बिना बताए अतिक्रमण करने वालों पर शिकंजा कसेगी। बार बार कार्रवाई के बावजूद भी दुकानदार अतिक्रमण कर लेते हैं। अब सप्ताह में कम से कम एक बार कार्रवाई की जाएगी।

मोबाइल टीम ने कनीना कालेज में लिये 130 सैंपल
-6 कोरोना संक्रमित आये जिनमें दो स्कूली विद्यार्थी भी

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कनीना। कनीना क्षेत्र में जहां एक और गांवों में कोरोना संक्रमण के केस बढ़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों में भी स्कूली विद्यार्थियों की कोरोना संक्रमतों की संख्या बढऩे लगी है। स्कूल में कोरोना का संक्रमण न फैले इसके लिए लगातार प्रशासन प्रयासरत है। स्कूलों में 30 नवंबर तक अवकाश घोषित किये जा चुके हैं। कालेजों से भी मोबाइल टीम ने सैंपल किये। इसी कड़ी में मोबाइल टीम सीएमओ डा अशोक कुमार, डाक्टर नवीन कुमार की देखरेख में कनीना में शनिवार को मोबाइल टीम नंबर दो जिसमें सुदेश कुमार इंचार्ज, दीपक एलटी,मनोज एलटी, सहित अन्य शामिल थे। मोबाइल टीम ने कनीना कालेज से 130 शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के सैंपल लिये।
उन्होंने बताया कि स्कूलों के साथ-साथ दूसरे लोगों को विशेषकर संक्रमित लोग जिनके संपर्क में आए उनके भी सैंपल लिए जा रहे हैं। ये सैंपल मेवात मेडिकल कालेज भेजे जाते हैं जहां एक से तीन दिन के पश्चात रिपोर्ट आती है। उन्होंने बताया कि कनीना के विभिन्न स्कूलों में सैंपल लिए गये थे जिनमें से दो विद्यार्थी कोरोना संक्रमित सहित 6 संक्रमित मिले हैं।
कनीना के वार्ड नंबर 12 से 14 वर्षीय लड़की संक्रमित पाई गई है जबकि वार्ड 5 से14 वर्षीय स्कूली छात्र संक्रमित मिले हैं उन्होंने 19 नवंबर को सैंपल दिया था। उधर कनीना के वार्ड 8 से 38 वर्षीय महिला तथा वार्ड 3 से 23 वर्षीय युवक कोरोना संक्रमित मिले हैं।  सेहलंग से 29 वर्षीय महिला जिन्होंने 18 नवंबर को सैंपल दिया था संक्रमित मिली। 19 नवंबर को ही कनीना 27 वर्षीय युवक ने सैंपल लिया था जो कोरोना संक्रमित पाया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने आगामी कार्रवाई कर दी है। इन होम आइसोलेट कर दिया गया है। डा धर्मेंद्र ने बताया कि सावधानी से ही इस रोग से बचा जा सकता है।
 फोटो कैप्शन 04: कनीना कालेज से सैंपल लेते हैं मोबाइल टीम।
 

 

चाइल्ड लाइन दोस्ती सप्ताह आयोजित

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कनीना। चाइल्ड लाइन महेन्द्रगढ़ द्वारा आयोजित चाइल्ड लाइन से दोस्ती सप्ताह कार्यक्रम के तहत शपथ ग्रहण कार्यक्रम चाइल्डलाइन के समन्वयक व टीम सदस्यों द्वारा क्षेत्र के अधिकांश विद्यालयों में जाकर जागरूकता अभियान चलाया गया। जिसमें मदर्स स्कूल अटेली, रामचन्द्र स्कूल कनीना, एम डी एस स्कूल बेवल, सरस्वती शिक्षा निकेतन स्कूल माजरा कलां आदि विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थियों तथा अध्यापकों को जागरूक करते हुए विद्यार्थियों को गुड टच - बैड टच, यौन शोषण तथा बच्चों से संबंधित अन्य समस्याओं से अवगत कराया। 1098 हेल्पलाइन के बारे में तथा चाइल्ड एक्ट के बारे में विस्तार से जाकारी देते हुए शपथ दिलवाई । विद्यार्थियों तथा अध्यापकों ने शपथ लेते हुए यह पर्ण लिया कि हम बच्चों से जुड़ी हुई हर समस्या के लिए तत्पर रहेंगे ।
इस अवसर पर महेन्द्रगढ़ चाइल्ड लाइन के समन्वयक साहिल यादव ने बच्चों से जुड़ी हुई समस्याओं के बारे में अधिकारियों को अवगत कराया तथा चाइल्ड लाइन के हेल्पलाइन नम्बर 1098 से संबंधित जानकारी देते हुए इस प्रोग्राम के तहत उन्हे बच्चों की हर संभव मदद करने के लिए प्रोत्साहित किया।
फोटो कैप्शन 3: चाइल्डलाइन कार्यक्रम आयोजित करते समन्वयक साहिल यादव एवं अन्य।

बच्चों में ठंड लगने की बीमारी बढ़ी

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कनीना। कनीना क्षेत्र में विगत एक सप्ताह से लगातार ठंड पड़ रही है। शनिवार को दिनभर शीत लहर चली। ठंड पडऩे से जहां बुजुर्ग तथा छोटे बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं। वही पशुपालक भी परेशान होने लगे हैं। एक ओर कोरोना वहीं ठंड एवं शीत लहर ने परेशानी बढ़ा दी है।
 कनीना के डा अजीत कुमार शर्मा, डा वेदप्रकाश  ने बताया कि छोटे बच्चों में ठंड जल्दी लगती है जिनमें निमोनिया तक होने की संभावना जताई है उन्होंने बताया कि छोटे बच्चों को कपड़े पहना कर सुला देने से वे ठंड के शिकार हो रहे हैं क्योंकि वह ऊपरी कपड़े फेंक देते हैं। इसलिए उन्होंने कहा कि अधिक कपड़े पहनाकर बच्चों को रजाई वगैराह नहीं ओढ़ाई जाए वही बच्चे की मां का दूध ही बच्चे के लिए सर्वोत्तम है। बच्चों को सर्दी से बचाना चाहिए सर्दी लगने पर डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए। बच्चा दो-तीन घंटे में तक दूध नहीं पीता तुरंत डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों को उसकी सांस से पता लगाया जा सकता है कि उन्हें कहीं निमोनिया आदि तो नहीं लग गया है यदि सांसों में एक विशेष प्रकार की आवाज आए तो समझों की ठंड लग गई है।
 उधर वैद्य बालकिशन शर्मा एवं हरिकिशन शर्मा ने बताया कि सर्दी से बुजुर्गों को भी बचाना जरूरी है। सर्दी से हृदयघात होने तथा सांस में तकलीफ बढऩे की समस्या पैदा हो जाती है। ऐसे में बुजुर्गों को भी सर्दी से बचाना जरूरी है। उन्हें पीने के लिए गर्म पानी देने तथा बासी भोजन न देने की सलाह दी है। उनका कहना है कि धूप निकलने पर बिस्तर से बाहर जाने देना चाहिए। सर्दी से बचाने से उनके रोगों से भी बचा जा सकता है।
  उधर पशुओं के लिए लंबे समय से औषधियां बनाने के शोध कार्य में लगे हुए विक्की एवं शिब्बू पंसारी का कहना है कि दूध देने वाले पशुओं को भी सर्दी से बचाना चाहिए वरना वे दूध कम देंगे वहीं बीमार हो सकते हैं। उनका कहना है कि पशु भी इंसान की भांति रोगों से पीडि़त हो सकते हैं। उन्हें बचाना जरूरी है। ऐसे में उन्हें गर्म बोरी आदि से ढककर आराम दिलाना जरूरी होता है।

एसएसबी के जवान की हार्ट अटैक से हुई मौत
-शस्त्र झुकाकर जवान को दी अंतिम सलामी

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कनीना।  दौंगड़ा जाट निवासी सशस्त्र सीमा बल में उतराखंड के चमौली के गुवालद में कार्यरत 29 वर्षीय सिपाही ईश्वर सिंह का हृदयगति रुकने से देहांत हो गया। सरपंच सरपंच ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि सिपाही ईश्वर सिंह की मौत की खबर सुनकर शनिवार दौंगड़ा जाट के ग्रामीणों में शौक की लहर दौड़ गई। 6 मेाह पहले ही  सिपाही ईश्वर सिंह के पिता दयानंद का देहांत हुआ था। पति की मौत की खबर सुनकर जवान की पत्नी किस्मत का व 4 वर्षीय पुत्री हंसु का रो-रो कर बुरा हाल रहा है।  वहीं सिपाही की मां भी शोक से बेसुध थी।  गत 18 नवंबर की सायं को जवान ईश्वर सिंह ने अपनी माता से फोन पर आखिरी बातचीत की थी वहीं 19 की सुबह ड्यूटी पर कार्यरत ईश्वर को हार्ट अटैक आ गया। जवान के शव को गांव लेकर पहुंचे एसएसबी के सब इंस्पेक्टर तहसीलदार व 7 जवानों की टुकड़ी ने तिरंगे में लिपटा शव परिवारजनों को अंतिम संस्कार के लिए सौंपा।
 सिपाही ईश्वर सिंह की पत्नी किस्मत 7 माह के गर्भ से है। गत 18 नवंबर की सांय को जवान ईश्वर सिंह ने अपनी माता से फोन पर बातचीत की थी वहीं 19 की सुबह ड्यूटी पर कार्यरत ईश्वर को हार्ट अटैक आ गया। जवान के शव को गांव लेकर पहुंचे सब इंस्पेक्टर तहसीलदार व 7 जवानों की टुकड़ी ने तिरंगे में लिपटा शव परिवारजनों को अंतिम संस्कार के लिए सौंपा। सिपाही ईश्वर सिंह की अंतिम यात्रा में कृष्ण सिपाही ईश्वर सिंह की अंतिम यात्रा में कृष्ण नम्बरदार, होशियार, रणधीर नम्बरदार, पंच निरंजन, एडवोकेट हेमंत सिहमा, अनिल यादव दौंगडा अहीर, पूर्व सरपंच मनीराम, भूप पंच, पंच अमर सिंह, सतबीर, महावीर मास्टर, बलजीत, जुगलाल, सतबीर, अमीलाल, दोंगड़ा अहीर पुलिस चौकी प्रभारी पवन कुमार, सरपंच ओमप्रकाश शर्मा सहित आस-पास के गांवों के सैंकड़ो लोगों ने शामिल होकर शोक प्रकट किया। शमशानघाट पर एसएसबी 25 बटालियन सब इंस्पेक्टर अमीचंद ने 11 जवानों के साथ गार्ड ऑफ ऑनर में शस्त्र झुकाकर सलामी सिपाही ईश्वर सिंह को अंतिम सलामी दी।
फोटो कैप्शन 2: एसएसबी के सिपाही के अंतिम सलामी देते जवान।

गायों की पूजा का पर्व है गोपाष्टमी, पर्व 22 नवंबर को

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कनीना। गोपाष्टमी का पर्व गायों की विधि विधान से पूजा का पर्व है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा चलाए गए इस पर्व पर गायों को विभिन्न प्रकार का चारा खिलाया जाता है और सुबह सवेरे से ही पूजा शुरू कर दी जाती है। उनको छापे लगाए जाते हैं तथा रोली एवं मेहन्दी लगाकर पूजा की जाती है। विभिन्न गौशालाओं में भी विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
  कार्तिक शुक्ल अष्टमी यानी 22 नवंबर को यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व पर ही भगवान श्रीकृष्ण का एक नाम गोबिंद पड़ा था। कनीना के ज्योतिषाचार्य अरविंद जोशी बताते हैं कि गोपाष्टमी पर गायों की विधि विधान से पूजा की जानी चाहिए। घर में अगर गाय न हो तो गौशाला में जाकर भी पूजा की जा सकती है। उनके अनुसार गाय में सभी देवता निवास करते हैं और उनके गोबर में भी लक्ष्मी का निवास पाया जाता है। यही कारण है कि कच्चे घरों को गाय के गोबर से लीप पोतकर साफ सुथरा बनाया जाता है। सुबह से शाम तक उनकी इस दिन पूजा करनी चाहिए। गाय को मां का दर्जा दिया हुआ है। ऐसे में गायों की पूजा करने का विधान भी है।
  गोपाष्टमी का पर्व मनाए जाने के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं। बताया जाता है कि इंद्र का गर्व चूर करने के लिए सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाए रखा था जिसके चलते इंद्र का गर्व आठवें दिन चूर चूर हो गया और वे भगवान श्रीकृष्ण की शरण में आ गए थे। तभी से भगवान श्रीकृष्ण का नाम गोविंद पड़ा था। इस दिन भगवान की कामधेनु ने अपनी दुग्ध धारा से नहलाया था और भगवान श्रीकृष्ण ने गायों की सेवा करने का वचन दिया था। तभी से यह पर्व चला आ रहा है।
  एक दूसरी कहानी के अनुसार बलराम एवं श्रीकृष्ण ने गोकुल में गायों की सेवा करने का प्रशिक्षण लिया था और गोपाष्टमी के दिन माता यशोदा एवं नंद बाबा से आज्ञा पाकर गायों को जंगल में चराने का निर्णय लिया था। उस वक्त भगवान श्रीकृष्ण की उम्र महज छह-सात वर्ष थी। उनके द्वारा गाए चराने पर ही उनका नाम गोपालक पड़ा। भगवान श्रीकृष्ण जीवनभर गायों के रक्षक एवं सेवक बने रहे थे। यह भी माना जाता है कि राधा ने इसी दिन से जंगल में गाए चरानी शुरू की थी चूंकि लड़कियों को गाये चराने की अनुमति नहीं थी किंतु उन्होंने पुरुष ग्वाले के वस्त्र धारण किए और भगवान श्रीकृष्ण के साथ वन में गाए चराने निकल पड़ी थी। इस दिन मेहंदी के थापे लगाकर हल्दी एवं रोली से गायों की पूजा करने से सभी विकार पूर्ण हो जाते हैं।


17 सालों से अहम भूमिका निभा रही है कनीना गौशाला 

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 कनीना। कनीना की श्रीकृष्ण गौशाला वर्ष 2003 से क्षेत्र में है भूमिका निभा रही है। गायों की सेवा हो रही है वहीं गायों का दूध लोगों के रोगों को दूर करने में अहम भूमिका निभा रहा है।
श्रीकृष्ण गौशाला कनीना वासियों के सहयोग से स्थापित हुई थी जो 2003 की रजिस्टर्ड है( यहां करीब दो हजार गाय जिनमें से 27 गाय दुधारू है। गाए दिन-रात गौशाला में रहकर खुश हैं।
 विस्तृत जानकारी देते हुए हुकुम सिंह आर्य प्रधान गोशाला कनीना ने बताया कि कनीना गौशाला में 27 गाय दुधारू है। प्रतिदिन 70 लीटर दूध दे रही है जो 40 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बिक जाता है।  कनीना गोशाला बेहतरीन गोशालाओं में से एक है।
गाय के दूध की भारी मांग है। दूर दराज के लोग दूध ले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 15 आदमी गायों की सेवा कर रहे हैं। 5 ट्रैक्टर ट्रॉली गायों की के लिए अन्न एवं चारा लाकर उनकी सेवा में लगी हुई हैं। कनीना गोशाला में प्रारंभ में 200 गायें थी और आज 1700 गायें हैं। गो ग्रास के लिए तीन गाडिय़ां तथा दो निजी गाडिय़ां काम कर रही हैं जो प्रतिदिन विभिन्न गांवों से गो ग्रास के रूप में 30 मण रोटी, दलिया, आटा  लेकर आती हैं। दूध वाली गायों को अलग से चारा खिलाया जाता है।
 कनीना गोशाला में देवराज महाशय,जगमाल सिंह, हुकुम सिंह, डा मेहरचंद, यादवेंद्र यादव, मनफूल सिंह, हुकुम सिंह आदि कनीना गौााला के प्रधान रह चुके हैं। गौशाला बड़ी बेणी नामक स्थान पर स्थापित है। जहां के लिए गौशाला द्वार बनाया गया है वहीं गायों को रखने के लिए धूप एवं छाया तथा हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है। गौशाला प्रतिवर्ष अपना वार्षिक उत्सव मनाती है तथा लोगों में देसी गाय पालने की प्रवृत्ति को पैदा कर रही है। गौ सेवा में गौशाला में सेवारत होशियार सिंह ने बताया कि वह गायों की सेवा करके बहुत प्रसन्न हैं। जहां गाय के गोबर से खाद बनाया जा रहा है वहीं गोबर गैस प्लांट भी लगाया गया है। कनीना के समाजसेवी भगत सिंह ने समय समय पर दान दक्षिणा देकर इसमें सहयोग किया हुआ है।  देसी गाय का दूध, घी, मक्खन आदि की भारी मांग है। यही कारण है एक बार फिर से गायों की सेवा करने में लोग जुट गए हैं। पुराने समय में गाय को माता का दर्जा देते थे वैसे ही गायों के प्रति एक बार फिर से रोगों से बचने के लिए उनकी सेवा की प्रवृत्ति बढ़ी है।
गौशाला प्रधान का कहना है कि कोई भी व्यक्ति गाय या बछड़ा गौशाला में छोड़ सकता है बशर्ते कि बछउ़ा छोडऩे का 1100 रुपये तो गाय छोडऩे का 2100 रुपये एक बार देने पड़ते हैं। उन्होंने गाये ं पालने पर बल दिया।
फोटो कैप्शन 1: कनीना गौशाला का एक नजारा साथ में गौशाला के गेट की फोटो।
   2: कनीना गौशाला में गायें।

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