एक की दवा रियेक्षन से मौत तो दूसरे ने की आत्महत्या
मामला दर्ज
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कनीना। कनीना खंड के दो अलग-अलग गांवों में एक की दवा के रियेक्षन से तो दूसरे ने आत्महत्या की। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
मिली जानकारी के अनुसार भोजावास गांव में सत्यवीर नामक 48 वर्षीय की दवा के रियेक्षन से मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने पुलिस में दी जानकारी अनुसार वह शराब का आदि था। उसके शराब के छोडऩे की दवा ला रखी थी जो नाक में डाली जाती थी। उसने शराब पी ली और दवा नाक में डाल ली जिसके रियेक्षन हो गया। जिन्हें महेंद्रगढ़ अस्पताल ले जाया गया जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। दौंगड़ा चौकी में इत्तफाकिया मौत का मामला दर्ज कर लिया है। शव का पोस्टमार्टम महेंद्रगढ़ से कराया जाएगा।
दूसरी तरफ नांगल मोहनपुर में 45 वर्षीय राजेंद्र सिंह ने संदिग्ध परिस्थितियों में खेतों में मृत मिला। जिसने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली है।
मृतक के भाई अशोक ने पुलिस में दी जानकारी अनुसार राजेंद्र सिंह किसी कंपनी में काम करता था। उनके पास किसी का फोकन आया कि उनका भाई खेतों में मृत पड़ा है। उन्होंने जाकर देखा तो लोग जमा हो रहे थे। उन्होंने पुलिस को सूचित किया पुलिस मौके पर पहुंची। उन्होंने पुलिस में बताया कि मृतक ने चार व्यक्तियों से पैसे उधार ले रखे थे जिसमें से कुछ चूकता भी कर दिया था। उन व्यक्तियों के दबाव में खेतों में जाकर जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली है। उसके पास से सुसाइड नोट मिला है जिसमें चार व्यक्तियों के नाम लिखे हैं। पुलिस ने चार व्यक्तियों के विरुद्ध मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। उनका पोस्टमार्टम महेंद्रगढ़ से कराया जाएगा।
बेरी के बाग एवं बेरी के पौधे दिये उखाड़
-किसी जमाने में बेर के लिए प्रसिद्ध था कनीना
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कनीना। बुजुर्गों के वक्त एक कहावत कनीना पर लागू की जाती थी--रेवाड़ी की रेवड़ी, कनीना के बेर। जल्दी से खा लो करना नहीं देर। आज कनीना के लोग ही बेर खरीदकर लाते हैं। बाग एवं बेरी के पौधे किसान काट देते हें। पेट भरने के लिए बाग उजाड़ दिये गये वहीं गेहूं एवं सरसों में बेरी का पौधा कई रोगों का सहायक बनता है।
गरीबों के सेव गरीब लोगों के लिए बेहतर आय का स्रोत बन गए हैं। चार माह तक ये बाजार में उपलब्ध होते हैं। कनीना क्षेत्र में रेहडिय़ों पर भारी मात्रा में बेर उपलब्ध हैं। बेर जैसे रसीले फल गरीबों के सेव कहलाते हैं। बेर नामक वो फल हैं जिसका स्वाद तो भगवान् श्रीराम ने भी भीलनी के हाथों से लिया था। बेरों का ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर उपभोग किया जाता है यहां तक कि अधिक मात्रा में उत्पन्न बेरों को सूखा लिया जाता हैं और वर्ष भर खाया जाता है। बेरों के गुणों की जानकारी देते हुए विभिन्न लोगों से चर्चा हुई।
श्रीकिशन वैद्य का कहना है कि गरीब जन जो महंगे दामों पर सेव नहीं खरीद सकते हैं वे अपने बेर खाकर विटामिन सी की आपूर्ति कर लेते हैं। बेरों के दो रूप होते हैं जिनमें से देशी नाम से जाना जाने वाला बेर अधिक मीठा एवं पौष्टिïक होता है जबकि हरे रंग का लंबा बेर कम पौष्टिïक एवं कम खनिज लवण प्रदान करने वाला होता है। बेर का व्यवसाय भी होने लगा है। बेर खाने से मुंह में दांतों की एक्सरसाइज होती है वहीं मसुड़े भी स्वस्थ रहते हैं। कनीना क्षेत्र कभी बेर के लिए प्रसिद्ध था जहां अनेक बाग होते थे अब वे अन्न पैदा करने के लिए काट डाले हैं।
कुलदीप बोहरा का कहना है कि सर्दी के मौसम में बेर को जमकर खाया जा सकता है जो लाभकारी साबित होता है। किसान के खेतों में दोनों ही प्रकार के बेर उगाए जाते हैं जो किसान के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकते हैं। शहरी किसान तो इन बेरों को बेचकर आय कमा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कनीना में बेरी के पौधे हर किसान के खेत में होते थे जिन पर मधुर फल लगते थे किंतु वे पौधे फसल पैदावार में घातक साबित हुये जिसके चलते बेरी बहुत कम रह गई। बकरी चराने वालों ने भी बकरी का प्रमुख चारा होने से काट डाले।
बागवानी विभाग बेरी के पौधे उगाने की किसानों को सलाह देता आ रहा है। वैसे भी भूमि बेर की काश्त के लिए लिए बेहतर होने के कारण बेरी उगाकर उनसे लाभ उठाने पर बल दे रहा है। किसान खेत में फसल भी ले सकते हैं और बेरी से बेर के फल भी ले सकते हैं। एक ओर जहां बेर की मांग बढ़ती ही जा रही है वहीं बच्चे एवं बूढ़े भी बेर को चाव से खाते हैं।
रोशन कुमार का कहना है कि ये फल बिना किसी अधिक मेहनत के खेतों में पैदा होते हैं। रबी फसल के साथ-साथ भी स्वयं पैदा हो जाते हैं। बड़े पेड़ों के भी लगते हैं तो झाडिय़ों के भी लगते हैं। झाड़ी के लगने के कारण इन्हें झाड़ीवाले बेर नाम से भी जाना जाता है। बागों में जो बेर लगते हैं उन्हें बागू बेर कहते हैं। कभी कनीना एवं आस पास झाड़ी भारी मात्रा में मिलती थी जो फसल पैदावार में घातक थी। टै्रक्टर एवं हल नहीं चल पाता था इसलिये उन्हें उखाड़ फेंका और कनीना एवं आस पास बेर खत्म होते जा रहे हैं।
कृषि विस्तार सलाहाकार डा देवराज का कहना है कि बेरी बागों के रूप में तो लाभप्रद है किंतु फसल के बीच खड़ी हो तो फसली रोग फैलाने में सहायक है। इसलिए इनको काट दिया और कनीना क्षेत्र से बेर लुप्तप्राय हैं। कुछ किसान जैसे महाबीर सिंह करीरा, अजय इसराणा,गजराज मोड़ी इन्हें उगा रहे हैं और पैदावार ले रहे हैं। अब तो कनीना के बेर लगभग खत्म हैं।
फोटो कैप्शन 7: बेर की एक फोटो।
साथ मेेंं डा देवराज यादव, रोशन , श्रीकिशन, कुलदीप बोहरा,
पौधारोपण जनहित का कार्य-नवीन कौशिक
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कनीना। कनीना बीइंग हुमैन सेवा मंडल के अध्यक्ष नवीन कौशिक की अध्यक्षता में पौधारोपण अभियान चलाया। कनीना क्षेत्र के विभिन्न धार्मिक स्थानों पर पौधारोपण किया जिनमें फलदार, छायादार पौधे लगाए।
नवीन कौशिक ने बताया कि बेरी, अमरूद, सेहजना, पीपल, बरगद के पौधे विभिन्न स्थानों पर लगाते हुए कहा कि पेड़ पौधे लगाना जनहित का कार्य होता है। यह सदा फल, फूल, छाया आदि देते आए हैं। सदियों से हमें ऑक्सीजन दे रहे हैं। इनकी रक्षा करना हम सभी का फर्ज है। उन्होंने कहा कि जो पौधों को काटता है वह नरक का भागीदार होता है। उसे धरती पर रहने का अधिकार नहीं है। इस मौके पर उन्होंने विभिन्न स्थानों पर पौधारोपण किया। उन्होंने बताया कि उनकी संस्था अब तक हजारों पौधे विभिन्न स्थानों पर लगा चुकी है। इस अवसर पर उनके साथ वीर सिंह छावड़ी, अभिनव बाली, लोकेश कुमार माली आदि मौजूद थे जिन्होंने पौधारोपण किया।
फोटो कैप्शन 8: पपड़ी का पौधा लगाते हुए बीइंग ह्यूमैन सेवा मंडल के सदस्य।
मनोहर सरकार को लोकतंत्र सेनानियों को लेकर की गई घोषणाओं की याद दिलाई
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,कनीना। आपातकाल के समय जेलों में बंद रहे आपातकाल बंदियों की संस्था लोकतंत्र सेनानी संघ जिला महेंद्रगढ़ की एक आवश्यक बैठक निजामपुर रोड स्थित दफ्तर 40 ्र, इंडस्ट्रियल एरिया में हुई। बैठक की अध्यक्षता जिला महेंद्रगढ़ लोकतंत्र सेनानी संघ के अध्यक्ष हरिराम मित्तल ने की। बैठक में लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गोविंद भारद्वाज विशेष रूप से उपस्थित थे। बैठक में जिला महेंद्रगढ़ लोकतंत्र सेनानी संघ से जुड़े कई सदस्यों व उनके परिजनों ने हिस्सा लिया। लोकतंत्र सेनानी संघ की इस बैठक में सभी सदस्यों ने प्रदेश की मनोहर सरकार को लोकतंत्र सेनानियों को लेकर की गई घोषणाओं की याद दिलाई। लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गोविंद भारद्वाज ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से अपील की कि उनकी तरफ से की गई घोषणाओं को मुख्यमंत्री जल्द पूरा करवाने की कृपा करें। गोविंद भारद्वाज ने कहा कि हरियाणा में मनोहर सरकार पार्ट वन में मुख्यमंत्री जी ने लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान करते हुए कई घोषणाएं की थी। जिनमें से कई अभी भी लंबित है। भारद्वाज ने कहा कि आपातकाल के समय जेलों में बंद रहे आपातकाल बंदियों को हरियाणा की मनोहर लाल सरकार ने लोकतंत्र सेनानी घोषित किए पूरे 2 साल पूरे हो गए। लेकिन अब तक सरकार की तरफ से इसको लेकर कोई गजट नोटिफिकेशन जारी नहीं किया। वहीं सरकार की तरफ से लोकतंत्र सेनानियों के लिए शुभ्र ज्योत्सना योजना शुरू की गई थी। जिसके तहत हरियाणा रोडवेज की बसों में लोकतंत्र सेनानी पत्नी समेत एक सहायक के रूप में मुफ्त यात्रा के लिए मान्य थे। लेकिन इस घोषणा को लेकर जिलों में सरकार की तरफ से कोई पत्र जारी नहीं किया गया। जिसके कारण हरियाणा रोडवेज की बसों में सफर करने के दौरान लोकतंत्र सेनानियों को कई बार रोडवेज बस कंडक्टर से अपमानित होना पड़ता है। बैठक में इसको लेकर भी मांग उठी कि सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों को सरकारी रिटायर कर्मचारीयों की तर्ज पर मेडिकल मेडिकल सुविधा की भी घोषणा की थी। लेकिन मेडिकल सुविधा का लाभ लेने के लिए बुजुर्ग लोकतंत्र सेनानियों को लंबे वक्त तक स्वास्थ्य विभाग वह जिलाधीश कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं जिससे उन्हें इस उम्र में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गोविंद भारद्वाज ने सरकार से मांग की कि सरकार स्वास्थ्य सेवा में कैशलेस कार्ड आयुष्मान योजना में उनको सम्मलित करें। वहीं लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान राशि (मासिक पेंशन) के रूप में शासकीय आदेश आदेश के तहत जो पेंशन मिल रही है उसे सरकार विधानसभा में बिल लाकर पास करें। ताकि भविष्य में राजस्थान और मध्य प्रदेश की भांति कोई दूसरी सरकार प्रदेश में बनी तो वह उसे रद्द ना कर सके। वहीं महंगाई और बीमारी को ध्यान में रखते हुए पारिवारिक जीविका संचालन के लिए पेंशन के रूप में मिल रही ?10000 की राशि बहुत कम है ऐसे में उसे भी अन्य राज्यों की भांति ?25000 मासिक पेंशन किए जाने की मांग भी बैठक में प्रमुख तौर पर उठी। इसके अलावा स्वर्ग सिधार चुके लोकतंत्र सेनानियों के परिजनों को सहायता राशि या सरकारी नौकरी दिए जाने की भी मांग की गई । बैठक में लोकतंत्र सेनानियों पर आपातकाल के समय दर्ज मुकदमे खारिज कर सम्मान बहाल व देशद्रोही धाराएं हटाने की भी मांग की गई। इसके अलावा बैठक में देश में 1975 में आपातकाल को अवैध करार दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर किए जाने पर भी सहमति हुई। ताकि भविष्य में कोई भी सरकार संविधान में प्रदत शक्तियों का दुरुपयोग ना कर सके।
नि:शुल्क नवोदय परीक्षाओं की तैयारी का हुआ शुभारंभ
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कनीना। उपमंडल के गांव ककराला की बहुउद्देश्यीय लाइब्रेरी ने सफलता मन्त्र जूनियर मुहिम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रामनिवास पूनिया व प्रोफेसर डा कर्मवीर ने उपस्थित सभी बच्चों को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुये सभी बच्चों को सफलता मंत्र मुहिम के प्रथम बैच में सम्मिलित होने की भी बधाई दी।
पुस्तकालय समिति के अध्यक्ष रामनिवास ने बताया कि गांव से ही पढ़े लिखे और आयकर विभाग से ज्वाइंट कमिशनर के पद से सेवानिवृत्त श्री पूनिया जी आज भी बच्चों के प्रेरणास्रोत हैं। वो काफी लंबे अर्से से चाहते थे कि उनके गांव के बच्चों के लिये शिक्षा के संसाधनों में ज्यादा से ज्यादा सुधार हो ताकि कोई भी होनहार बच्चा अच्छी शिक्षा से वंचित न रह सकें।
डा कर्मवीर ने बताया कि आज के बदलते युग में बच्चों को पुस्तकालय से क्या लाभ मिल सके और उनको कौन सी सुविधाएं चाहिये जिससे यह सार्वजनिक पुस्तकालय उनके लक्ष्यों में सहायक भूमिका अदा कर सकें। यह सब बातों का ध्यान रखा जा रहा है।
इसमें समाज के विचारकों, प्रबुद्धजनों व शिक्षाविदों के साथ विचार संगोष्ठी, कैरियर गाइडेंस सेमिनार, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु कोचिंग् आयोजन आदि सभी जरूरतों को ध्यान में रखकर वो आगे बढ़ रहें हैं।
छोटे बच्चों को नवोदय, सैनिक स्कूल व अन्य उच्च कोटि संस्थाओं में प्रवेश पाने के लिए कोई तैयारी करने विशेष साधन नहीं था। कोरोना के चलते बच्चे स्कूल भी नहीं जा पा रहे हैं, इसीलिए उनकी जरूरत का संज्ञान लेते हुये यह मुहिम शुरू की है।
इस अवसर पर सफ़लतामन्त्र के सभी शिक्षक पंकज कुमार, आदेश कुमार, विकास जांगड़ा, अमित कुमार को सम्मानित किया गया।
सफ़लता मन्त्र जूनियर मुहिम के प्रथम बैच के सभी बच्चों ने कविता व गीत सुनाकर अतिथियों का अभिवादन किया। पुस्तकालय की तरफ से सभी बच्चों को पुरस्कृत किया गया। शर्मिला और मनीषा छात्राओं ने नए वर्ष की पहली पुस्तकालय सदस्यता ली।
इस शुभ अवसर पर उपप्रधान अजय कुमार,
सेवानिवृत्त मा. रामचन्द्र, मा रामेश्वर दयाल, मा सुनील, मा गुलशन, पूर्व प्रधान डा राजीव, पूर्व प्रधान राममेहर, शैक्षणिक समन्वयक नवीन कुमार, पर्यावरण समन्वयक इंद्रपाल शर्मा, लाइब्रेरी प्रभारी विकास, नाजिम यादव, अभिषेक आदि ग्रामीण उपस्थित रहें।
फोटो कैप्शन 5: बीबीएमडी क्लब ककराला में होनहार बच्चों को सम्मानित करते हुए पदाधिकारी।
फ्री-स्टाइल महिला एवं पुरुष कुश्ती आयोजित
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कनीना। फ्लोरेंस कुश्ती एकेडमी बाघोत में फ्रीस्टाइल महिला एवं पुरुष ककुश्ती का आयोजन संपन्न हुआ। इस प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि जैसे रामजस पहलवान बाघोत, विशिष्ट अतिथि महावीर पहलवान थे।
प्रतियोगिता में बाघोत निवासी प्रदीप कुमार
ने 57 किलो वजन में, अरविंद कुमार 61 किलो कोटिया, राजेश 65 किलो, रितेश 70 किलो बाघोत, देवेंद्र 74 किलो, कृष्ण कुमार 79 किलो, सोनू कुमार 86 किलो, सोमबीर 92 किलो बाघोत निवासी, हरीश कुमार 97 किलो, संदीप 125 किलो ने जीती वहीं महिला वर्ग तन्नू 50 किलो प्रिया कुमारी 53 किलो, सुमित कुमारी 68 किलो ने ने बाजी मारी। इस प्रतियोगिता के मुख्य अतिथि जसराम पहलवान ने भी अपने विचार व्यक्त किए तथा जय भगवान पहलवान व कोच राजेंद्र सिंह अनुज, रोहतास पीटीआई, महावीर पहलवान एकेडमी संचालक ने प्रतियोगिता को सफल करवाया।
फोटो कैप्शन 6: कुश्ती करने से पहले पहलवान। जागरण
दूसरे दिन भी छाए रहे आसमान में बादल
-सूर्य देव के दर्शन नहीं हुए
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कनीना। कनीना क्षेत्र में दूसरे दिन भी मौसम फसल अनुकूल रहा। जहां शनिवार को 2 एमएम बारिश हुई वहीं पाला नहीं जमा, रविवार को भी हालात शनिवार जैसे ही रहे। किसान इस मौसम को फसल के अनुकूल बता रहे हैं। मौसम विभाग बूंदाबांदी की संभावना जता चुका है।
इस वक्त सरसों और गेहूं की प्रमुख रूप से दो फसलें खेतों में खड़ी हुई हैं। किसान सूरत सिंह, महेंद्र कुमार, दमन सिंह, केशव आदि ने बताया कि मौसम फसल के अनुकूल बन गया है, बारिश होना फसल के लिए लाभप्रद होगा। लगातार दो दिनों से जहां बूंदाबांदी और आसमान में बादल छाए हुए हैं वहीं फसल लहलहा रही है। पाला पडऩा बंद हो गया है। पल-पल मौसम बदल रहा है। सुबह जहां हल्की धुंध पड़ी फिर बादल छा गए। कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में बूंदाबांदी भी हुई किंतु अच्छी बारिश अभी तक सर्दियों के मौसम में नहीं हुई है। किसान अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं।
इस वक्त होने वाली बारिश फसल के लिए लाभप्रद मानी जाती है क्योंकि इस वक्त फसल पकान पर नहीं पहुंची है। धरा पर दूर-दराज तक पीली सरसों नजर आती है। 16 फरवरी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा, जब तक फूल अधिक संख्या में न बचने की संभावना बनी है। जिस गति से फूल आ रहे हैं अगर वैसे ही फूल आते रहे तो जनवरी माह में अधिकांश फूल खत्म हो जाएंगे। तत्पश्चात फसल पकने लग जाएगी किसान सूबे सिंह, रोहित कुमार, देशराज आदि ने बताया कि फसल के लिए बूंदाबांदी लाभप्रद है यदि ऐसा ही मौसम चला तो फसल को अधिक लाभ होगा।
फोटो कैप्शन 3: धरा पर दूर तक पीली सरसों नजर आते हुये।
ठंड के चलते बंदर हुए गायब
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कनीना। लंबे समय तक बंदरों से परेशान रहने वाले कस्बा कनीना वासियों को ठंड के समय थोड़ी राहत मिली है। जब से पाला जम रहा है, कड़ाके की ठंड पड़ रही है, बंदर गायब हो गए हैं। कनीना मंडी के शिव कुमार, रविंद्र बंसल, गणेश अग्रवाल ने कहा कि बंदरों से हर वर्ष लाखों रुपए की क्षति होती है। इससे बचने का एकमात्र उपाय उन्हें पकड़कर दूर छोडऩा है। नगरपालिका ने यह प्रयास भी किया था किंतु सफलता अस्थाई रही।
बंदर जहां पेड़ पौधों को पूर्ण रूप से क्षति पहुंचाते हैं वहीं पानी की टंकियों को भी क्षति पहुंचा रहे हैं। बंदरों के कारण कस्बा कनीना में आधा दर्जन लोग घायल भी हो चुके हैं वहीं कितने ही लोग परेशान है। बंदरों के कारण खिड़की दरवाजे बंद करके लोग बैठ जाते हैं ताकि बंदरों से बचा जा सके।
क्योंकि सर्दी अधिक होने से बंदरों को भी ठंड लगती है इसलिए बंदर अचानक गायब हो गए हैं। कभी इक्का-दुक्का बंदर जरूर नजर आता है किंतु वह भी सुस्त महसूस नजर आता है। ऐसे में क्षेत्रवासियों ने बंदरों से राहत मिली है। कुलदीप कुमार, रवि कुमार, महिपाल सिंह, सुरेंद्र सिंह आदि ने बताया कि जिन बंदरों से कनीनावासी अनहक परेशान थे वे सर्दियों में नहीं दिखाई देते। उन्हें खुशी जताई कि बंदर कम से कम सर्दियों में तो उनका पीछा छोड़ दिया है। परंतु गर्मियां आते ही जल्दी सुबह और देर रात तक भारी नुकसान पहुंचाते हैं। नया गांव-बहाला में तो बंदर हजारों की संख्या में पाए जाते हैं जहां पेड़ों के ऊपर चोटी या तो है ही नहीं या छतरीनुमा बना डाले हैंं।
समाजसेवी एवं आरटीआई एक्सपर्ट शिव कुमार अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने तो कई बार प्रशासन से आरटीआई द्वारा बंदरों को दूर छोडऩे की जानकारी हासिल की है किंतु बंदरों से प्रशासन ने कोई विशेष राहत नहीं दी लेकिन ठंड ने थोड़ी थोड़े समय के लिए राहत जरूर दे दी है।
सुसज्जित लैब हो ग्रामीण क्षेत्रों में
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कनीना। ग्रामीण क्षेत्रों में मिडिल एवं उच्च विद्यालयों को सुसज्जित लैबयुक्त करने की मांग बढ़ रही है। विज्ञान के युग में विज्ञान शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान की प्रयोगशालाओं पर बल देना जरूरी बताया जा रहा है। अभी तक मिडिल स्कूलों में विज्ञान लैब पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश सचिव धर्मपाल शर्मा ने बताया कि सरकार विज्ञान शिक्षा को बढ़ावा दे रही है किंतु कई राजकीय वरिष्ठ, राजकीय उच्च एवं माध्यमिक स्कूलों में विज्ञान तक के पद समाप्त कर दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि कनीना के सिहोर, भडफ़, कोटिया, कनीना मंडी आदि दर्जनों स्कूलों से विज्ञान का पद भी स्वीकृत नहीं है जिसके चलते विज्ञान शिक्षण बेहतर ढंग से नहीं चल पा रहा है। यही नहीं अपितु ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञान की प्रयोगशाला का अभाव होने से भी परेशानी बढ़ रही है। बेरोजगार विज्ञान शिक्षकों की कोई कमी नहीं है।
उधर विज्ञान शिक्षण को प्रयोगशाला के माध्यम से पढ़ाने की जरूरत होती है किंतु अधिकांश राजकीय माध्यमिक एवं उच्च विद्यालयों में विज्ञान प्रयोगशाला तक नहीं है। महज विज्ञान किट से काम चलाया जाता है। ऐसे में विद्यार्थी बगैर विज्ञान के उपकरणों से विज्ञान को बेहतर ढंग से नहीं सीख पा सकते हैं। उन्होंने मांग की है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित माध्यमिक एवं उच्च विद्यालयों में विज्ञान प्रयोगशालाएं जरूर स्थापित की जाए ताकि विज्ञान शिक्षण में रुचि बढ़ सके।
उन्होंने कहा कि विज्ञान शिक्षकों के पद को तकनीकी पद घोषित किया जाए। अभी तक विज्ञान की पुस्तक का नाम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी रख दिया है किंतु विज्ञान शिक्षकों के पद को तकनीकी घोषित करने की मांग को दफन किया जा रहा है। उन्हें प्रायोगिक भत्ता भी दिया जाए।
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