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Sunday, January 24, 2021

 

राम जन्मभूमि निधि समर्पण के लिए चलेगा अभियान
-बैठक में लिया निर्णय
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कनीना।  राम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान के तहत विश्व हिंदू परिषद प्रखंड कनीना की बैठक का आयोजन खाटू श्याम मंदिर परिसर में किया गया।
 सभी गांवों से मौजूद ग्राम प्रमुख को निधि समर्पण की जानकारी दी। कनीना प्रखंड के सभी गांवों से टोलिया आई हुई थी जिसमें निधि समर्पण अभियान के लिए कनीना मंडल के अध्यक्ष एवं संयोजक महेश बोहरा और श्यामसुंदर महाशय को बनाया गया।
 बूचावास मंडल से कौशल्या एवं जानी को बाघोत से सुरेश अत्री और हेमराज,रामबास मंडल से मोहित और कुलदीप धनौन्दा से संत लाल  और लखन लाल, उच्चत गांव से अमीलाल व  राम किशन, स्याणा से अतर सिंह, पोता गांव से शक्ति सिंह, नोताना गांव से हरि बल्लभ,  सेहलंग से वीरेंद्र सिंह  मास्टर विजय पाल, खेड़ी से रण सिंह तलवाना, बुचावास से मदन लाल शर्मा और मनीष झगडोली से जगदीश मास्टर और मदन, पाथेडा से मयंक और मास्टर सतपाल, अगियार से  देवेंद्र नंबरदार दिनेश शर्मा,  रसूलपुर से सतीश आर्य, नांगल हरनाथ से जितेंद्र यादव, झाड़ली से राधेश्याम शर्मा, छीतरोली से वेद प्रकाश, खडख़ड़ा बास से महावीर पहलवान रामबास से बलजीत ककराला से कंवर सिंह, कपुरी से रविन्द्र, ढाणा से अमर सिंह, मानपुरा से अभय सिंह, सिहोर से मास्टर बुधराम, गाहडा से रामसिंह साहब, अनील कोटिया से, सूरजभान करीरा, गुढ़ा से दलीप,जयसिंह भडफ से, रविन्द्र, सुनील, रघबीर नम्बरदार उन्हाणी, प्रताप सिंह संयोजक बनाया गया।
कस्बे के 13 वार्डों के लिए टोलिया बनाई गई जिसमें वार्ड नंबर एक से विष्णु व सुनील, दो से संदीप राठी, पालाराम, तीन से जितेंद्र राजपाल, चार से यादराम, पांच से प्रविन्द्र, छह से हरिराम, सात आशिश गोस्वामी, आठ से जगदीश प्रसाद आचार्य, नौ से योगेश, दस से मोहर सिंह, ग्यारह से अरुणा कौशिक, बारह से कंवर सैन तथा तेहरा से सुनीता को मनोनीत किया गया। प्रखंड के सभी गांवों से आए हुए लोगों का प्रखंड अध्यक्ष महेश बोहरा ने स्वागत किया। विभाग प्रचारक संजय सिंह सावंत सिंह ,शिवकुमार ,मास्टर सुरेंद्र सिंह वि_ल गिरी महाराज प्रखंड अध्यक्ष महेश बोहरा ने मिलकर टोलियों का निर्माण किया।
फोटो कैप्शन 11 व 13: टोलियों का निर्माण करते हुए बैठक:

नेताजी मेमोरियल क्लब में चले दूसरे दिन खेल
 - 6 टीमों के बीच चला मुकाबला
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कनीना। नेताजी मेमोरियल क्लब कनीना में चल रहे पांच दिवसीय ओपन फुटबाल प्रतियोगिता में दूसरे दिन 6  विभिन्न टीमों के बीच खेल संपन्न हुए। अंडर-17 के आयोजित मैचों के विषय में जानकारी देते हुए सतपाल साहब प्रधान नेताजी मेमोरियल क्लब ने बताया कि पहला मैच आरपीएस महेंद्रगढ़ और खेड़ी के बीच चला जिसमें आरपीएस 2-1 से विजयी रही।  दूसरा मैच रेवाड़ी और धनौंदा की टीमों के बीच चला जिसमें रेवाड़ी की टीम 2-1 से विजयी रही। तीसरा मैच ग्वालियर और धनौंदा की टीमों के बीचचेंला जिसमें ग्वालियर की टीम 3-0 से विजयी हुई। चौथा खेल जयपुर और उन्हाणी की टीमों के बीच चला जिसमें जयपुर की टीम 2-0 से विजयी रही। पांचवां मैच जोधपुर और बालावास की टीमों के बीच चला जिसमें जोधपुर की टीम 3-0 से विजयी हुई। और
अंतिम खेल आरपीएस और धनौंदा की टीमों के बीच चला जिसमें आरपीएस 2-1 से विजयी रही। बता दें कि खेलों का शुभारंभ जहां शनिवार को सीताराम विधायक अटेली ने किया था, खेल 5 दिन चलेंगे और अंतिम दिन पारितोषिक वितरण होगा। इस मौके पर विभिन्न खिलाड़ी एवं क्लब के पदाधिकारी मौजूद थे।
 फोटो कैप्शन  12: खेलो के मैदान में उतरे खिलाड़ी।

कहने को है माडल स्कूल लेकिन शारीरिक शिक्षक का पद भी खाली
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 कनीना। राजकीय माडल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना बेहतरीन विद्यालयों में से एक होता है किंतु यहां अनेकों पद रिक्त पड़े हैं।
इस विद्यालय में जहां शारीरिक शिक्षक का पद खाली है वहीं डीपीई का पद भी खाली पड़ा है। विद्यालय में समस्त अनुशासन के लिए पीटीई तथा डीपीई का अहं रोल होता है। ऐसे में इन पदों के रिक्त होने पर अनुशासन एक कोरी कल्पना मात्र रह जाता है।
 मिली जानकारी के अनुसार कंप्यूटर साइंस का एक पद रिक्त है वही हिंदी, गणित, अंग्रेजी प्रवक्ताओं के पद भी खाली पड़े हैं। पद रिक्त होने से पढ़ाई बाधित हो रही है।



लोहे के भावों में हुई भारी वृद्धि
-रोजगगार पर पड़ रहा है बुरा असर
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 कनीना। कोरोना काल में जहां लोहे के भाव कम होते थे वो कोरोना काल एवं लाकडाउन समाप्त होते ही भाव बहुत बढ़े हैं। उस वक्त जिन्होंने घर बनवाए वो सस्ते में निपट गये किंतु अब घर बनवाना भी महंगा हो गया है।
ज्यों ही कोरोना काल और लाकडाउन से कुछ राहत मिलने लगी है लोहे के भाव में बेतहाशा वृद्धि हुई है जिसको लेकर मकान बनाने वाले ही नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के लोहे के बक्से, संदूक, अलमीरा बनाने वाले भी परेशान हो चले हैं। यद्यपि लोहे के भाव में वृद्धि के कारणों को अैलग अलग तरीकों से पेश किया जा रहा है परंतु भाव के बढऩे से जहां अलमारी आदि की मांग घटी है वही लोग बेहद तंग हैं।
लोहे के सरिये आदि बेचने वाले मुकेश नंबरदार ने बताया कि कोरोना काल में करीब 42 रुपये प्रति किलोग्राम से सरिये मिलते थे। एक माह पहले भी लगभग भाव 43 रुपये प्रति किलो के करीब था किंतु ज्यों ही कोरोना से कुछ राहत मिली भाव 17 रुपये किलो तक बढ़ गए थे किंतु वर्तमान में 53 रुपए के भाव में सरिया मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इसलिए मकान बनाने वाले बेहद परेशान हैं। लोहे के भाव में ज्यादा तेजी हुई है।
उधर अलमारी, बक्से आदि का निर्माण करने वाले भीम सिंह कनीना मंडी ने बताया कि उनको लोहे की चद्दर महंगे भावों पर मिल रहे हैं। एक महीने में 25 रुपये प्रति किलो भाव बढ़ गए हैं। वर्तमान में 83 रुपये प्रति किलो के भाव से 60 एमएम मोटी लोहे की चद्दर मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि नवंबर माह में 58 रुपये किलो के हिसाब से संदूक और बक्से बनाने की लोहे की चादर मिलती थी। उन्हें खेद जताया की भाव तो बढ़ गए लेकिन ग्राहक कम हो गए। उनकी रोटी रोजी ही छिनती नजर आती है। एक ओर जहां कोराना काल से कुछ उभरें हैं वहीं अब रोजगार चलाना कठिन हो गया है।
 उनकी मांग है कि सरकार को छोटे रोजगार करने वाले तथा कोरोना काल से उभरकर आने वाले, स्वयंरोजगार करने वाले लोगों की सहायतार्थ बढ़ते हुए भाव पर काबू करें।
फोटो कैप्शन 9: लोहे के संदूक बनाता मिस्त्री।


 गायब होती जा रही है पक्षियों की चहचहाहट
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कनीना। गायब हो चली है पक्षियों की चहचहाहट। अब न तो घरों में तथा न खेतों में पक्षियों का कलरव सुनाई पड़ता है। इस संबंध में बुजुर्गों का कहना है कि खेतों में जहरीली दवाएं डाले जाने तथा आखेट से उनकी संख्या घट रही है। अब तो इक्का दुक्का ही किसी पक्षी का शोर सुनाई पड़ता है।  
   झोपड़ी की जगह आलीशान कोठियां बन जाने से पक्षियों की कलरव अब नहीं सुनाई पड़ता है। भीषण गर्मी में उनके लिए जल एवं अन्न न मिलना, खेतों में जहरीली दवाएं एवं खाद डालने ने उनको हाशिए पर ला खड़ा किया है।
  किसी जमाने में घरों में चिडिय़ां एवं रंग बिरंगे जीव कलरव करते, सुबह सवेरे चहचहाहट सुनाई पड़ती थी। उस वक्त कोठियां कम होती थी और कच्चे घर एवं झोपड़ी अधिक होती थी। विभिन्न प्रकार की चिडिय़ों के दर्शन ही नही अपितु उनके गीत भी सुनने को मिलते थे किंतु अब दर्शन ही दुर्लभ हो गए हैं।
 इन पक्षियों को समाप्त करने में जहां उच्च वोल्ट की तारें, किसान द्वारा खेतों में जहरीली दवाएं, खाद डालने एवं उनके लिए गर्मियों में जल का अभाव का अहं योगदान रहा है। इस संबंध में पीपल फार एनिमल्स के राजेंद्र सिंह का कहना है कि किसानों ने अपने हाथों से उनको मार डाला है।
 बिजली के तार भी पक्षियों की मौत के कारण बन रहे हैं वहीं रेडियेशन भी उनके लिए घातक साबित हो रहे हैं। जीवों के जानकार प्रो रविंद्र का कहना है कि आगामी दिनों में ये पक्षी ढूंढे से भी नहीं मिलेंगे। अनेकों प्रयोग पक्षियों पर हो रहे हैं।
 उनका कहना है कि पक्षियों की चहचहाहट गुल होने के पीछे कई कारण रहे हैं जिनमें मुख्यत: जीवों के लिए आवास का अभाव, जहरीले अन्न खाना, पानी न मिलना तथा सर्दी एवं गर्मी के चलते मौत हो जाना प्रमुख हैं। उच्च वोल्टेज के तार एवं शिकार आदि भी कुछ हद तक जिम्मेदार हैं। गर्मियों में उनके लिए जल का अभाव उनकी मौत का कारण बन रहा है। उन्होंने कहा कि पक्षियों का मानव से गहरा संबंध रहा है किंतु अब झोपड़ी न होने से पक्षी आवास कहां बनाए?  
कभी बहुत पास होते थे पक्षी-
एक वक्त था जब पक्षी इंसान के पास बैठते थे। उनको दाना एवं पानी अपने हाथों से दिया जाता था। कनीना के बाबा मोलडऩाथ गीदड़ एवं मोरों को अपने हाथों से दाना एवं खाना खिलाते थे। बुजुर्ग उन पर रहम करते थे। यही कारण था कि वे इंसान के दोस्त थे। अब पक्षियों को मारने से लोग नहीं चूकते। बुलबुल एवं मोर किसान के दोस्त होते थे।
फोटो कैप्शन 8: बिजली के तारों पर बैठे पक्षी।


बालिका दिवस पर परिचर्चा
-लड़किया कर सकती हैं परिवार एवं समाज का हित
-जिन परिवारों में केवल लड़कियां हैं उनसे हुई बातचीत
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 कनीना। कनीना क्षेत्र के अनेक ऐसे लोग हैं जिनके परिवार में केवल लड़कियां हैं लड़के नहीं है। बालिका दिवस पर उनसे लड़कियों के बारे में चर्चा करने पर उन्होंने लड़कियों को लड़कों की अपेक्षा ज्यादा अच्छा माना। यद्यपि ये लोग विभिन्न पेशों में लगे हैं और अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं लेकिन फिर भी सभी एकमत से बालिकाओं के पक्ष में नजर आए।
 कनीना के विजेंद्र सिंह जो मुख्याध्यापक बतौर सरकारी स्कूल में कार्यरत है जिनके केवल दो लड़कियां हैं। उन्होंने दोनों को बेहतर शिक्षा दिलवाई है। विजेंद्र सिंह का कहना है कि उनके कोई लड़का नहीं है परंतु वे बहुत खुश हैं। एक लड़की की उन्होंने स्नातकोत्तर की शिक्षा दिलवाकर शादी कर दी है वहीं दूसरी विज्ञान स्नातकोत्तर एवं शिक्षा स्नातक है जो नौकरी की लाइन में खड़ी हुई है। उनका कहना है कि उन्हें किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं, लड़कियों ने उनका जो सेवाभाव निभाया है वैसा लड़के नहीं निभा सकते। ऐसे में वे समाज को संदेश दे रहे हैं कि लड़कियां अभिशाप नहीं हैं। लड़कियां घर परिवार में शकुन का द्योतक हैं।
संजय कुमार पेशे से शारीरिक शिक्षक हैं तथा अपनी नसबंदी करवाई हुई है। उनके केवल एक ही लड़की है। संजय कुमार का कहना है कि लड़कियां दो परिवारों की सेवा करती है। उनका कहना है कि उनकी लड़की दस जमा दो में पढ़ रही है और वे नीट की तैयारी करवा रहे हैं।  वे उन्हें अच्छी शिक्षा दिलवाकर अपना दायित्व पूरा कर रहे हैं। संजय कुमार का कहना है कि उनके घर में लड़की होना परिवार के लिए बहुत लाभप्रद साबित हो रही है। उनका कहना है कि भ्रूण हत्या करवाने या दहेज आदि की मांग करने वाले लोगों को लड़कियों के बारे में जानकारी नहीं है। ऐसे में वो ऐसा कर रहे हैं। उन्हें खुशी है कि उनके घर में  लड़की है।
 उधर झाड़ली के लोकगायक एवं गीतकार महेंद्र शर्मा कि केवल दो ही लड़कियां है जिनको वे लड़कों की भांति पाल रहे हैं। उनका कहना है कि उनके लिए तो यह लड़कियां ही लड़के हैं और उन्हें बेहद खुशी है कि उनकी भी लड़कियां लड़कों से किसी प्रकार का नहीं हैं।
उन्होंने बताएं उनकी दो लड़कियां एक आठवीं कक्षा और एक दसवीं कक्षा में पढ़ रही हैं। वे बेहतर शिक्षा दिलवा देंगे ताकि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके और समाज के लिए एक उदाहरण बन सके। वे अति प्रसन्न हैं। दोनों लड़कियों से बहुत समय दे पा रहे हैं।
गुढ़ा के इंद्रजीत दुकानदारी करते हैं जिनकी दो लड़कियां है। उनका कहना है कि वह अपनी दोनों लड़कियों को लड़कों की भांति रखते हैं। उनको हर प्रकार से निपुण बनाने के लिए तैयारियों में जुटे हुए हैं। शिक्षा के अतिरिक्त समाज की शिक्षा तथा हर प्रकार का ज्ञान उनको दिया जा रहा है। उनकी इच्छा है कि वह पढ़ लिखकर ही अपने पैरों पर खड़ी हो सके और समाज को एक नई दिशा दे सके। इसी सोच को लेकर इंद्रजीत सिंह आगे बढ़ रहे हैं। उनका कहना है कि लड़कियां किसी प्रकार भी लड़कों से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं।
 फोटो कैप्शन: इंद्रजीत, महेंद्र शर्मा ,संजय और विजेंद्र सिंह

कालेज गई लड़की गायब
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कनीना। बवाना निवासी जयप्रकाश ने कनीना थाने में शिकायत दी है कि उनकी लड़की शुक्रवार को कालेज गई थी जो लौटकर नहीं आई। कनीना पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
मितली जानकारी अनुसार जयप्रकाश बवाना ने थाना कनीना में एक दरखास्त दी कि उसकी लड़की भारती जो दिनांक 22 जनवरी  को महेंद्रगढ़ कॉलेज में गई थी जो अभी तक वापस नहीं आई है जिस पर पुलिस ने अभियोग दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है।


फल एवं सब्जियां आ गई हैं बड़े आकार के, गुणवत्ता कम नहीं













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 कनीना। बाजार में बड़े आकार के बेर, अमरूद,बैंगन आदि आए हुए हैं। अधिक वजन होने के कारण किसान अधिक लाभ कमा रहे हैं। कभी इंसान अधिक मोटे होते थे उनको बुरा मानते थे किंतु अब लोग बड़े आकार के फल एवं सब्जियों को खाना पसंद कर रहे हैं। बाजार में जहां 60-70 ग्राम के बेर, 500 ग्राम के अमरुद, सवा किलो तक वजन के बैंगन आए हुए हैं जहां पहले भी 10 किलोग्राम तक की मूली, 3 किलोग्राम तक शलजम तथा 12 किलोग्राम तक घिया किसानों ने उगाकर नाम कमाया हुआ है। समय-समय पर दैनिक जागरण ने समाचार पत्र में प्रकाशित किया था बाजार में आए हुए बेरों के विषय में जिला उद्यान अधिकारी रेवाड़ी डा मनदीप सिंह ने बताया कि यद्यपि मिठास कम है। ये थाईलैंड से आए हुए एप्पल बेर नाम से जाने जाते हैं, इनमें पौष्टिक तत्व देशी बेरों से कम नहीं होते हैं। वास्तव में ये बेर अमरूद और सेव जैसे नजर आते हैं। उनका कहना है कि ये बेर किसानों को अच्छी पैदावार देते हैं यद्यपि इन की प्रजाति अलग है। इनके पौधे बेलदार होते हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बेर के पौधे पेड़ के रूप में पाए जाते हैं ।उन्होंने कहा कि खाने में बेशक स्वाद कम हो किंतु पौष्टिकता कम नहीं है।
उधर हार्टिकल्चर सुपरवाइजर कनीना डा अंकुश ने बताया कि बाजार में हाइब्रिड प्रकार की सब्जियां बाजार में आई हुई हैं। वैज्ञानिक चाहते हैं कि अधिक वजन की सब्जी और फल होंगे जो किसानों के लिए लाभप्रद होंगे। उन्होंने कहा कि यदि मिठास कम होता है तो पोटाश कम डाला जाता है। जब फूल आ जाते हैं उसे में पोटेशियम डालना चाहिए जिससे बेरों में मिठास आएगा। उन्होंने कहा कि कुछ कमियां हाइब्रिड बेरों में मिलती है जैसे बेर की गुठली टूट जाती है। ऐसे में जहां ग्रामीण क्षेत्रों मिलने वाले बेर मिठास से परिपूर्ण होते हैं। उन्होंने कहा कि सभी फलों में धीरे-धीरे हाइब्रिड प्रकार आ गई है जो खाने में भी स्वादिष्ट होते हैं और पौष्टिक तत्व अधिक पाए जाते हैं।
 उधर किसान अजय, महावीर सिंह,सूबे सिंह गजराज सिंह आदि विभिन्न प्रकार के बेर  उगा रहे हैं। उनका कहना है कि अक्सर लोगों में यह भ्रांति है कि स्वास्थ्य के लिए ये बड़े बेर एवं फल सब्जियां हानिप्रद हैं। इसके बारे में डाक्टर देवराज कृषि विस्तार सलाहकार का कहना है कि स्वास्थ्य के लिए ये फल एवं सब्जियां नुकसानदायक नहीं है। इनका उपयोग करना सेहत के लिए लाभप्रद साबित होगा। उन्होंने कहा कि मौसमी फल आते हैं इन्हें प्रयोग करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि कनीना क्षेत्र में जहां किसान राजेंद्र सिंह ने 10 किलोग्राम की मूली, दिलीप कुमार कनीना ने 3 किलोग्राम की शलजम ,योगेश कुमार किसान ने 12 किलोग्राम की देशी घिया, संजय ने 6 फुट की शकरकंद उत्पन्न करके नाम कमाया है जिनके समाचार भी प्रकाशित हुए हैं। वो ही किसान अब अधिक लाभ लेने के लिए उत्तम दर्जे की हाइब्रिड किस्में उगाने जा रहे हैं
फोटो कैप्शन 5: बड़े आकार के बैंगन
 6: बड़े आकार के अमरुद
 7:बड़े आकार के बेर

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