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Saturday, January 16, 2021

 कड़ाके की सर्दी में भी पढ़ाया है शिक्षकों ने
-मासिक टेस्ट भी नहीं हो पाया
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कनीना। जब मौसम पढ़ाने के अनुकूल रहा तब तक सरकार ने स्कूलों में कोरोना के चलते अवकाश घोषित किया और अब जमकर ठंड और पाला पड़ रहा है तो स्कूल खुले हुये हैं। अभी तक कक्षा छह से आठ तक कोई मासिक टेस्ट भी नहीं आयोजित किया है जिसको लेकर शीतकालीन अवकाश रद्द किये गये थे। ऐसे में कड़ाके की ठंड में भी शिक्षकों ने शिक्षण कार्य किया है।
 उल्लेखनीय है कि कोरोना काल लंबे समय तक चला। जब तक कोरोना काल चला अवकाश पर अवकाश रहे किंतु  सर्दी का माहौल बढ़ता गया शीतकालीन अवकाश भी रद्द कर दिए गए। यहां तक कि मकर संक्रांति पर भी अवकाश नहीं हुआ और सर्दी में शिक्षक भी स्कूल जाते रहे हैं। यह कयास लगाए जा रहे थे कि अवकाश कुछ समय के लिए होंगे किंतु ऐसा नहीं हुआ। सरकार के इस कदम की सराहना की जा रही है।
 शिक्षकों ने बताया कि सरकार ने छठी से आठवीं तक के अवसर पर मासिक टेस्ट करवाने का निर्णय लिया था। किंतु अभी तक तिथि घोषित नहीं की गई है अब तो जनवरी भी आधी जा चुकी है। शीतकालीन अवकाश रद्द करने के पीछे आनलाइन टेस्ट करवाना था किंतु आज तक न तो टेस्ट करवाया गया है और न निकट भविष्य में करवाए जाने की कोई तिथि घोषित की गई है।


मुर्गी पालने वाले बेहद परेशान
- अंडे और मुर्गियों की घटी है मांग
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 कनीना। मुर्गी पालने वाले लोग इस बार भी घाटे में जा चुके हैं। विगत वर्ष कोरोना ने मार की तो इस वर्ष के प्रारंभ में ही बर्ड फ्लू मार कर चुका है। मुर्गियों की मांग न होने से मुर्गी पालकों ने मुर्गियों को मारने पर विवश होना पड़ा है। जहां बर्ड फ्लू की चर्चा आते ही लोगों ने अंडे तथा चिकन आदि को खाना ही बंद कर दिया। यहां तक कि मुर्गी पालने वाले लोग बेहद परेशान नजर आए। न तो अंडे अच्छे भाव दे पा रहे हैं नहीं कोई मांग है, चिकन खाने भी कम हो गये हैं। सर्दियों में ही अंडे एवं चिकन की मांग होती रही है।
ठेले पर अंडे लगाने वाले लोग भी अब अंडे नहीं लगा पा रहे हैं, उनकी बिक्री कम हो रही है। अंडे का ठेला लगाने वाले धानू, मितरू, शामा आदि ने बताया कि सर्दी प्रारंभ होते ही अंडेएवं चिकन की मांग थी जिसके चलते मुर्गी पालन केंद्र खुल गये किंतु देखते ही देखते बर्ड फ्लू की चर्चा ने इनकी मांग घटा दी।
क्या कहते मुर्गी पालक-
मुर्गी पालक योगेश, रोहित, भरपूर, धर्मेंद्र, दिनेश आदि का कहना है कि मुर्गी पागल अब घाटे का सौदा बन गया है। प्रतिदिन एक मुर्गी पर जितना खर्च आता है उससे कम कीमत का अंडा प्राप्त होता है। डेढ़ सौ ग्राम तक चारा प्रति मुर्गी खा जाती है। चार माह तक मुर्गी दाना खाती रहती है तत्पश्चात अंडे देना शुरू करती है। उन्होंने बताया कि उन्होंने 7 हजार मुर्गी थी जिन पर प्रतिदिन 20 हजार रुपये का खर्चा आया और 24000 रुपये के अंडे बिक रहे थे। जब से बर्ड फ्लू अफवाह चली तत्पश्चात अंडों की बिक्री घट गई, अंडे की मांग एवं दाम भी घट गए। उन्होंने बताया कि एक मुर्गी 130 दिन बाद अंडा देना शुरू करती है और 180 दिन बाद अंडे देने की गति यौवन पर आ जाती है। पूरे जीवन में एक मुर्गी करीब 300 अंडे देती है जबकि मुर्गी को बड़ा करना, दवाई, बिजली का खर्चा, मजदूरी दवाई, ट्रे आदि अलग से खर्च करनी पड़ती है।
  उन्होंने बताएं विगत वर्ष कोरोना की मार पड़ी थी किंतु मुर्गी दाना भी महंगा था इसलिए मुर्गी फार्म स्थापित करना घाटे का सौदा बना था। इस वर्ष कुछ उम्मीद थी वह बर्ड फ्लू की भेंट चढ़ गया। उन्होंने बताया कि यदि मुर्गी फार्म केंद्र पर लगाया गया खर्चा 2 साल में भी पूरा नहीं होता तो इसका मतलब है कि घाटे का सौदा चल रहा है। उन्होंने 50 लाख रुपए लागत से मुर्गी फार्म स्थापित करवाया था लेकिन उस पर अभी तक मुर्गी फार्म स्थापित करने का खर्चा प्राप्त नहीं हो पाया है।
बाजार में अंडे की थोक में 4 रुपये से 4.25 रुपये प्रति अंडे तक चल रही है जिसके चलते उनकी मजदूरी भी पूरी नहीं हो पा रही और मुर्गी फार्म चलाने वाले बेहद परेशान हैं।
फोटो कैप्शन 13: मुर्गी फार्म में खाना खाती मुर्गियां।

मेरी बेटी मेरी पहचान के तहत किया सम्मानित
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कनीना। खण्ड के गांव पडतल में चौकीदार रमेश के घर पोती दित्या के जन्म लेने पर खुशियां मनाई गई। कन्या के दादा रमेश चौकीदार व दादी शकुंतला ने बताया कि पोती दित्या के जन्म से ही परिवार में एक खुशी का माहौल बन गया है।
 दित्या के पिता सेना में कार्यरत हैं जो खबर सुनते ही खुशी से झूम उठे। इस अवसर पर सामाजिक संस्था बीइंग ह्यूमन सेवा मंडल ने अपने अभियान मेरी बेटी मेरी पहचान के तहत लड़की की माता भारती देवी व पिता रामकिशन को संस्था की तरफ से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। कन्या के पिता रामकिशन व माता भारती ने बताया कि बेटी दित्या के जन्म से ही एक खुशी की लहर पूरे परिवार में आई क्योंकि बेटियां वो सौभाग्य है जो सभी को भगवान भी प्रदान नहीं कर सकते हैं। आज यह सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ है।
इस अवसर पर संस्था की तरफ से गजे सिंह विकास आदि ने बताया कि उनकी संस्था ने लगातार दो वर्षों से यह कार्यक्रम चला ररखा है। अब तक सैकड़ों परिवारों को कन्या जन्म पर सम्मानित कर चुकी है जिससे कि लिंगानुपात को बराबर रखने में बहुत मदद मिलेगी। इस अवसर पर अजय, विकास, इंद्रजीत, हरिआनंद व ग्रामीण मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 11: बीइंग हृूमैन सेवा मंडल के पदाधिकारी पड़तल में भारती को सम्मानित करते हुए।


500 डोज वैक्सीन पहुंची कनीना
-शनिवार को लगाया 60 कर्मियों को

कनीना। उप नागरिक अस्पताल में लंबे इंतजार के बाद कोरोना की 500 डाज पहुंच चुकी हैं। शनिवार को पहुंची डोज एक सौ कर्मियो को लगाने का लक्ष्य रखा था जो हासिल कर लिया है।
विस्तृत जानकारी देते हुए एसएमओ डा धर्मेंद्र यादव ने बताया अस्पताल में कोरोना वैक्सीन की 500 डोज आ चुकी हैं। नियमानुसार शनिवार से डोज लगाने शुरू कर दी है। हेल्थ वर्कर को सबसे पहले डोज दिए जाना है। 100 कर्मियों का लक्ष्य डोज लगाने का रखा था वह हासिल कर लिया है।
एसएमओ ने बताया कि इन्हीं व्यक्तियों को दूसरी डोज 28 दिन बाद उन्हें दी जाएगी। उन्होंने कहा सरकारी दायित्वों का पालन करते हुए जो भी आगामी निर्देश मिलेंगे उनका  पालन किया जाएगा।
ये डोज शुक्रवार को पहुंचने का की संभावना थी लेकिन किसी कारणवश समय पर नहीं पहुंची और शनिवार को यह डोज पहुंच पाई है।
बहुत देर कर दी ........
कोरोना ने बहुत तड़पाया ,बहुत सताया आखिरकार देर से ही सही अब वैक्सीन आ चुकी है।  बहुत से बुजुर्ग व्यक्ति कोरोना से मौत के शिकार हुए हैं। काश! थोड़ा पहले आ जाती तो बहुत से लोगों की जान बचाई जा सकती थी परंतु कहावत है देर आए दुरुस्त आए। यदि देर से भी आई है तो बेहतर परिणाम दे यही लोगों की दुआ है। अब बहुत जल्द कोरोना का विनाश निश्चित है।
सबसे पहले लगवाई एएनएम ने-
कोरोना की पहली डोज एएनएम बिमला ने लगवाई तत्पश्चात एसएमओ डा धर्मेंद्र यादव ने यह वैक्सीन लगवाई। चूंकि पहली डोज एएनएम बिमला ने लगवाई ऐसे में उन्हें एक पौधा एसएमओ डा धर्मंद्र ने उन्हें भेंट किया। एसएमओ डा धर्मेंद्र ने बताया कि सबसे पहले डोज लगवाने के कारण उन्हें यह सम्मान दिया गया है। उन्होंने खुशी जताई कि सरकार द्वारा रखे गये लक्ष्य पर डोज दी गई है।
फोटो कैप्शन 12: डा धर्मेंद्र वैक्सीन लगवाते हुूए
             13: एएनएम बिमला को पौधो भेंट करते हुए डाक्टर धर्मेंद्र। बिमला ने कनीना में सबसे पहले डोज ली। फोटो: डा धर्मेंद्र

  तहसील कार्यालय समक्ष धरना 18 को
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कनीना। केन्द्र सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर बहुजन समाज पार्टी तथा प्रजा भलाई संगठन के कार्यकत्र्ता आगामी 18 जनवरी को अटेली तहसील कार्यालय पर धरना देंगे।
 उक्त जानकारी देते हुए बसपा नेता अतरलाल एडवोकेट ने कहा की देश का अन्नदाता पिछले 52 दिनों से केन्द्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में सड़कों पर बैठा है परन्तु केन्द्र सरकार कारर्पोरेट घरानों के दबाव में आकर किसानों की मांग नहीं मान रही है। उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा अपनाए जा रहे तानाशाही हथकंडों पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि सरकार की संवेदनहीनता के कारण किसान आंदोलन उग्र हो सकता है। आंदोलन में सैकड़ों से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। उन्होंने किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के प्रत्येक परिवार को एक करोड़ रुपये तथा सरकारी नौकरी देने और उनके खिलाफ बनाए गए झूठे मुकदमे वापिस लेने की मांग की है।







हाथ होते हुये भी काम न करने वाला है दिव्यांग-लवली
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कनीना। राजकीय माडल संस्कृति सीनियर सेकेंडरी स्कूल कनीना में रोल माडल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। रोल माडल के रूप में लवली नामक एक दिव्यांग को आमंत्रित किया गया।
लवली कनीना जो एक दिव्यांग होते हुए अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाती है। उन्होंने विद्यालय के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुये कहा कि ईश्वर ने उन्हें शत प्रतिशत विकलांग तो बना दिया किंतु हिम्मत नहीं छोड़ी। अपने बलबूत्ते पर व्हील चेयर के जरिये एमएससी तथा बीएड किया जो अपने आप में उल्लेखनीय है किंतु इतना होते हुये भी गर्व नहीं किया। नौकरी नहीं मिली तो क्या अपने घर पर ही टिफन बनाकर लोगों तक पहुंचाना शुरू किया जिसमें उनके भाई का अहं योगदान रहा है। दूर दराज तक उनका भाई टिफन पहुंचाता है और वो घर पर निठल्ले न बैठकर जमकर मेहनत करती है। आज उनके पदचिह्नों पर लोग चलने के लिए तैयार हैं। उनका उदाहरण देकर लोग अपने बच्चों को ऊंची तालीम दिलाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि लोग अपंगता का बहाना करके हाथ पर हाथ रख बैठ जाते हैं किंतु यह नहीं सोचते कि भगवान ने उन्हें दो हाथ दिये हैं जिनसे वे अपना काम तथा दूसरों का काम भी करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि जिंदगी में कभी हिम्मत न हारना ही महानता की निशानी है। अगर हट्टा कट्टा होते हुये भी मेहनत करके नहीं कमा सकता तो वो सचमुच अपंग है।  उनकी हिम्मत भरी बातें सुन सुनकर विद्यार्थियों की आंखों में आंसू आ गये।
इसी मौके पर सरकारी अस्पताल कनीना से सुमन और सरिता ने भी रोल माडल की भूमिका निभाई, सभी विद्यार्थियों ने रोल माडल द्वारा बताई गई बातों को ध्यान पूर्वक सुना। इस अवसर पर प्राचार्य लाल सिंह,  प्रवक्ता संस्कृत रमन शास्त्री,  प्रवक्ता ईश्वर सिंह, अमृत सिंह विशेष शिक्षक, पंकज कुमार मुख्याध्यापक, सुरेश कुमार मुख्य अध्यापक, माया, सुशीला, सुषमा, बलजीत डीपी, ओमरति एबीआरसी आदि शिक्षक उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 10. रोल माडल(दिव्यांग) संबोधित करते हुए।

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