एसडीओ दिवाकर राय का प्रमोशन व तबादला होने पर दी विदाई पार्टी
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कनीना। कनीना में पंचायती राज विभाग में पिछले 6 वर्षों से सेवा दे रहे एसडीओ दिवाकर राय का एक्शन पद पर पदोन्नति होने व तबादला होने पर आफिस के कर्मचारियों व अन्य लोगों ने विदाई पार्टी दी। कार्यक्रम में बीडीपीओ देशबंधु ने संबोधित करते हुए कहा कि दिवाकर राय ने कनीना क्षेत्र में रहते हुए बहुत अच्छी सेवाएं दी हैं। एसडीओ दिवाकर राय ने इस मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा क्षेत्र की जनता ने हमेशा मेरा सहयोग किया है। प्रशासन को अगर वहां की जनता का साथ मिले तो समस्या समाधान होने में अधिक वक्त नहीं लगता है।
इसके बाद स्टाफ की ओर से उन्हें उपहार भेंट किए गए।
इस विदाई पार्टी में बीडीपीओ देशबंधु, जेई मनोज, जेई जितेंद्र, जेई, प्रवीण, जेई मंजीत, एसइपीओ अरविंद, अकाउंटेंट अशोक, बंटी ठेकेदार गाहडा, सुंदरलाल ठेकेदार, जितेंद्र अकाउंटेंट, महेंद्र सरपंच, कृष्ण सरपंच सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 12: एसडीओ दिवाकर राव की पदोन्नति होने पर विदाई समारोह में सम्मान देते एसडीओ पंचायती राज कार्यालय के लोग।
भाजपा के दो दिवसीय प्रशिक्षण में जनाधार बढ़ाने पर दिया बल
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,कनीना। मंडल प्रशिक्षण योजना के अंतर्गत भारतीय जनता पार्टी जिला महेंद्रगढ़ ने प्रशिक्षण शिविर की शुरुआत की। इसी कड़ी में कनीना मंडल के प्रशिक्षण वर्ग की शुरुआत आरएस वाटिका कनीना में राकेश शर्मा एडवोकेट जिला अध्यक्ष भाजपा ने दीप प्रज्वलित करके की। जिला अध्यक्ष ने आज कनीना मंडल में पार्टी कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण वर्ग में पार्टी की कार्यपद्धति के विषय में बोलते हुए बताया कि कि भाजपा के लिए राष्ट्र सर्वोपरि है द्वितीय पर पार्टी है और भाजपा का कार्यकर्ता अपने आप को तीसरे नंबर पर रखकर कार्य करता है हमारा लक्ष्य राष्ट्र को सर्वोपरि मानकर उसका विकास करना पार्टी के प्रति हमारी निष्ठा ही हमारी ताकत है कार्यकर्ता का समर्पण भाव और निष्ठा के साथ किया गया कार्य हमें पार्टी सबसे अलग दिखाने का काम करता है हमारी योजना में समाज के अंतिम पद पर बैठे व्यक्ति उसका विकास कैसे हो यह हमारी पार्टी की प्राथमिकता रहती है भाजपा का आधार सुशासन एवं गरीब व्यक्ति का विकास और राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव यही कार्यपद्धति है सामूहिकता से निर्णय और व्यक्ति निष्ट की बजाए संगठन निषठ कार्य करना यह भाजपा की कार्य पद्धति का अंग है ।
कनीना मंडल के प्रशिक्षण शिविर में द्वितीय सत्र के वक्ता अजीत सिंह कलवाड़ी, तृतीय सत्र के वक्ता अटेली विधायक सीताराम यादव, चतुर्थ सत्र के वक्ता प्रदेश सचिव मनीष मित्तल , पंचम स्तर के वक्ता गोविंद भारद्वाज जी रहे। इनके अलावा अटेली विधानसभा प्रमुख नरेंद्र झिमरिया,अटेली विधानसभा सह प्रमुख सुरेश शर्मा व हरिराम मित्तल और कनीना मंडल प्रभारी मुन्नी लाल शर्मा जी रहे। इनके अलावा 100 कार्यकर्ताओं ने प्रशिक्षण लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया और प्रशिक्षण लिया।
फोटो कैप्शन 13: प्रशिक्षण लेते भाजपा सदस्य एवं पदाधिकारी
14: भाजपा जिला अध्यक्ष राकेश शर्मा दीप प्रज्वलित करते हुये।
डाक्टर नरेंद्र को पत्नी शौक
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कनीना। कनीना के जाने-माने चिकित्सक नरेंद्र सिंह की पत्नी एडवोकेट मधुबाला (60) का हृदयगति के रुक जाने से देहांत हो गया। वे बार एसोसिएशन कनीना की सदस्या थी तथा अपने पीछे एक पुत्र राहुल तथा एक दत्तक पुत्र सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गई हैं।
उनका अंतिम संस्कार आज कनीना में कर दिया गया। उनके अंतिम संस्कार में बार एसोसिएशन के सभी पदाधिकारी एवं सदस्यों सहित कनीना पालिका के दोनों पूर्व प्रधान मा दलीप सिंह, राजेंद्र सिंह लोढ़ा, विभिन्न प्रतिष्ठानों के डाक्टर तथा भारी संख्या में गणमान्य जन मौजूद थे। उनकी अचानक मृत्यु होने पर बार एसोसिएशन ने अपना एक दिन का वर्क सस्पेंड रखा तथा अनेकों दुकानें शौक में बंद रही।
फोटो कैप्शन: एडवोकेट मधुबाला
बरसात की वजह से गाहड़ा गांव के मुख्य मार्ग पर भरा पानी, राहगीर परेशान
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कनीना । उपमंडल के गांव गाहड़ा के मुख्य मार्ग पर बरसात पानी भर गया। जिससे राहगीर परेशान हो रहे है। ग्रामीण शिवलाल, राजेंद्र प्रसाद, जगदीश, जय भगवान, पप्पू, संतलाल, हरि ओम, सुरेंद्र, राजेश, प्रदीप, समाजसेवी सुशील यादव, रमेश, मोनू, नरेंद्र आदि ने बताया कि बरसात के मौसम में अक्सर इस मार्ग पर पानी भर जाता है। जिससे राहगीरों और स्थानीय ग्रामीणों को काफी परेशानी हो रही है। सबसे ज्यादा परेशानी पैदल चलने वाले राहगीरों को होती है।
इस पानी की वजह से कई बार पैदल चलने वाले राहगीर गिरकर चोटिल तक हो जाते है। गांव के इसी रास्ते से ग्राम सीहोर, बव्वा, करोली, नयागांव, घड़ी सहित आधा दर्जन से अधिक गांव के लोग निकलते है। बता दें कि पिछले वर्ष इस सड़क का निर्माण करवाया गया था। जिससे ग्रामीणों ने आपत्ति भी जताई थी कि यहां पर सही तरीके से रोड बनाया जाए नहीं तो बरसात के दिनों में यहां इस गड्ढे नुमा सड़क पर पानी भर जाएगा । लेकिन उस वक्त ठेकेदार ने रातो रात इस सड़क का निर्माण करवा दिया।अब आने जाने वाले लोग बहुत ज्यादा परेशान हो रहे हैं कई बार दोपहिया वाहन चालक इसमें गिर जाते हैं। जिससे उनके कपड़े खराब हो जाते हैं हल्की-फुल्की चोट भी लग जाती है। पानी निकासी के संबंध में स्थानीय ग्रामीण कई बार ग्राम पंचायत के जिम्मेदार लोगों से शिकायत कर नाली बनवाने की मांग कर चुके है। गांव के सरपंच राजू इंदौरा ने बताया कि यह हमारा ग्राम पंचायत के अंतर्गत नहीं आता है। परेशान ग्रामीणों ने कहा कि जल्दी ही इसका कोई समाधान नहीं हुआ तो जल्दी ही मुख्यमंत्री तक इसकी शिकायत की जाएगी ।
क्या कहते हैं सोमदत्त,पीडब्ल्यूडी एसडीओ-
नाला बना कर एक जगह गड्ढे खुदवा कर रिचार्ज बोर की तरह इसमें पानी छोड़ा जाएगा। 1 वर्ष पहले इसका स्टीमेट बनवा कर। उच्चाधिकारियों को भेज दिया था। सरकार के बजट के हिसाब से इस वर्ष अप्रूवल नहीं मिली। उम्मीद है कि नए वित्त वर्ष में इसकी अप्रूवल मिल जाएगी आमजन को इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।
फ़ोटो कैप्शन 12: गाहडा के मुख्य मार्ग पर बरसात के कारण भरा हुआ पानी
उम्मीदें 2021
पर्यावरण को बचाने में कटिबद्ध हैं युवा एवं बुजुर्ग
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कनीना। जिला महेंद्रगढ़ के दर्जनभर युवा एवं एवं बुजुर्ग पर्यावरण को बचाने के लिए दिनरात जुटे हुये हैं। महिलाएं भी आगे आ रही हैं जिनसे वर्ष 2021 में अनेकों उम्मीदें जुड़ी हैं। नवीन कौशिक इसराणा, मनोज रामबास, अजय एवं गजराज सिंह मोड़ी, सूबे सिंह एवं राजेंद्र सिंह कनीना, लक्की सिंगड़ा एवं पिंकी यादव सिगड़ा, बिमला कनीना, अजीत सिंह कनीना, पोहप सिंह, मनोज मेघनवास ने पेड़ पौधे लगाकर धरा को हरा भरा बनाने का संकल्प लिया हुआ है। फल, फूल एवं छायादार पेड़ों की कतार लगा दी है।
लक्की सिगड़ा-
जब तक जियेंगे पेड़ लगाएंगे कहावत पर चल रहे हैं लक्की सिंगड़ा। लक्की सीगड़ा चेयरमैन बीएमडी क्लब ने अब तक 20 हजार पौधे लगा चुके है। उन्होंने मंदिरों में तथा घरों के लिए औषधीय पौधे, छायादार एवं फलदार पौधे बांट चुके हैं। स्वयं अपने हाथों से लगाये हैं। पर्यावरण संरक्षण अभियान के अन्तर्गत एक परिवार -एक पौधा मिशन के तहत देश भर में एक लाख पौधे लगाकर वातावरण को हरा-भरा करने का संकल्प लिया हुआ हैं।,वर्ष 2020 में भी 1000 पौधे लगाकर इसी मुहिम को गति प्रदान की हैं। एक परिवार -एक परिंडा अभियान का आगाज किया 5000 परिंडे लगवाकर पक्षियों को संरक्षित करने का कार्य किया ताकि प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ावा मिल सके तथा पांच हजार मास्क बाट चुके हैं।। एक बेटी -एक पौधा अभियान का शुभारंभ किया क्लब के सदस्यों के जन्मदिवस एवं अन्य अवसरों पर भी सन्देश अभियान के तहत 300 से ज्यादा पौधरोपण किये हैं। सैकड़ों पुरस्कार प्राप्त हैं।
पिंकी यादव-
जीना है तो पेड़ों के संग विषय मन में धारण कर पिंकी यादव आगे बढ़ रही हैं। कहने को तो सिगड़ा गांव से समाजसेवी एवं काउंसलर हैं जिन्हें डिंपल यादव उर्फ पिंकी प्रतिदिन नाम से जानते हैं। हर आपदा में आगे बढ़ चढ़कर सहयोग करती आई हैं। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी लोगों को पर्यावरण के प्रति रुचि पैदा करके एक हजार पौधे कोविड-19 में लगा चुकी हैं। वे लोगों को पर्यावरण बचाने के लिए कटिबद्ध है। महिलाओं में जाकर पहले पौधे भेंट करती हें और फिर उन्हें पौधे लगाने के लाभों की जानकारी देती हैं। किचन गार्डन से घरों में हरियाली पैदा कर पर्यावरण को बचाने का प्रयास कर रही हैं। मास्क बांटने में तथा तथा भोजन के पैकेट बांटने में उनका अहं योगदान रहा है।
नवीन कौशिक--
नवीन कौशिक बीइंग ह्यूमन सेवा मंडल अध्यक्ष कोरोना काल में कपड़े, भोजन प्रदान करने, पौधारोपण करने तथा तुलसी बांटने में अग्रणी रहे हैं और एक हस्ति बतौर उभरे हैं। अपने जीवन में 15 हजार पौधे लगाये हैं परंतु तुलसी बांटने में उनका नाम अग्रणी है। उनकी संस्था ने पूरे ही जिले में जाकर विभिन्न स्थानों पर पौधारोपण किया है। धार्मिक स्थान, शहीद स्मारक, श्मशानघाट के अतिरिक्त किसी जन्म दिन एवं गमी के दिनों में याद में पौधारोपण करवाते हैं। उनका नाम लड़कियां होने पर माता को सम्मानित करने में भी एक है। उन्हें तीन दर्जन विभिन्न पुरस्कार मिल चुके हैं। पेड़ लगाना धर्म हैं हमारा वाक्य को पूरा कर रहे हैं।
जरा याद हमें भी कर लो---
यूं तो जिला महेंद्रगढ़ में बुजुर्गों के पदचिह्नों पर कई युवा चल रहे हैं किंतु ऐसे भी लोग हुये हैं जो पौधों की सेवा करके खाना खाते थे। उन्हाणी के दीपचंद पहवान, उन्हाणी के जगमाल सिंह, कनीना के मंगल सिंह ऐसी शख्सियत हुई हैं जिन्होंने हजारों पौधे लगाये जो आज भी जोहड़, स्कूल, श्मशानघाट एवं धार्मिक स्थानों पर उन्हें पुकार रहे हैं। ये दोनों वृक्षमित्र अब काल के गाल में समा गये हैं किंतु उन्हें लोग कभी नहीं भूला पाएंगे।
दो भाइयों की जोड़ी-
कनीना निवासी सूबे सिंह और उनका बड़ा भाई राजेंद्र सिंह अपने ट्यूबवेल पर परिवार सहित रहते हैं और देसी फल सब्जियां उगाकर पर्यावरण को जहरीला होने से से बचा रहे हें। आज भी गोबर गैस प्लांट, गोबर के खाद से फल एवं सब्जी उगाना, आम, अमरूद का बाग लगाकर नाम कमाया हैं। उन्होंने श्रीआई, चौलाई, बाथू, देसी फल,मतीरा, कचरी, गरबूंदा, बाड़ करेला, जंगली करेला एवं कई औषधीय पौधे उगाकर लोगों की सेवा में अर्पित किया है। लुप्तप्राय फल एवं सब्जी उगाते हैं और बांटते हैं। उनका कहना है कि वे कभी खाद नहीं डालते न जहरीली दवा का छिड़काव करते हैं। बायो गैस संयंत्र से ही घर एवं पशुओं खाना पकाना, केंचुआ पालन करके नाम कमाया है वहीं जंगली जीवों की सुरक्षा में हर वक्त तल्लीन रहते हैं। अभ्यारण्य खोलने के लिए राष्ट्रपति को भी पत्र लिख चुके हैं जिसकी अनुमति मिलने पर पांच एकड़ में अभ्यारण्य बनाकर पर्यावरण की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करेंगे। दोनों भाइयों की जोड़ी पर्यावरणविद के नाम से प्रसिद्ध है।
रवींद्र यादव पूर्व शिक्षक-
रवींद्र यादव राजस्थान में मुख्य शिक्षक पद पर कार्य करते हुए अब सेवानिवृत्त हो गए हैं। उन्होंने 58 वर्ष की उम्र तक सेवा दौरान रोड़वाल , बिरनवास , माजरा , ढीकवाड़ में करीब एक हजार पौधे लगाकर हरा भरा क्षेत्र बनाने में कसर नहीं छोड़ी है। वे जहां भी सेवा दौरान रहे वहीं पर बस एक ही ध्येय पौधे लगाने का रहा। वे पर्यावरण प्रदूषण से बेहद परेशान हैं और पर्यावरण को साफ सुथरा बनाने के लिए प्रयासरत हैं। यही उद्देश्य लेकर वे दिन हो या रात अपने घर में कार्य करते रहते हैं।
सेवानिवृति के बाद वे अपने उन्हाणी गांव के पास स्थित खेत पर ही रहते हैं। आज के दिन उन्होंने अपने घर को ही बाग बगीचा बना डाला है। उन्होंने अपने खेत को शोध केंद्र का रूप दिया हुआ है और सर्दी व गर्मी में जो सब्जी एवं फल बाजार में उपलब्ध हैं वे सभी उगा रखे हैं। ये फल एवं सब्जियां बिना उर्वरक एवं दवाएं डाले ही पैदा की जाती हैं। उनके घर आंगन में ऐरोकेरिया, यूफोरबिया, संतरा, बेर, नींबू, मालटा, अनार, आंवला, चीकू, अमरूद, आंवला, कैलेंउूला, मछलीपाम, गेंदा, बोटल बू्रस, डेहलिया, गुलदाउदी, मनी प्लांट, गुलाब, कैक्टस, साइकस, फाइकस, क्रिसमिस, लैला मजनूं, मोगरा, जटरोपा, अरंड, कीकर, जाटी, नीम, रात की रानी, तुलसी का बाग, बेरी, एलो वेरा, मूली, गाजर, मेथी, शलजम, चना, पालक, सागवान सहित कितने ही फल एवं सब्जियां उगा रखे हैं।
लक्ष्मी देवी
जिला महेंद्रगढ़ के उप-मंडल कनीना निवासी लक्ष्मी देवी अपने खेतों में ट्यूबवेल पर अपने पति संग रहती हैं किंतु उन्होंने अपना-अपना काम बांट रखा है। लक्ष्मी देवी गोबर से गोबर गैस बनाकर सारे परिवार का खाना बनाती है वहीं अपने गोबर गैस प्लांट से निकली सलरी से केंचुआ पालन करती आ रही है। इस प्रकार प्राप्त खाद को न केवल बेचने के काम में ले रही हैैं अपितु वे अपने पति के लिए खेतों में डालने के लिए उत्तर खाद प्रदान करती हैं। करीब चार वर्षों से केंचुआ पालन कर रही हैं। यही नहीं लक्ष्मी देवी ने इसी जैविक खाद के बल पर सब्जियां उगाने का काम भी किया है। वर्ष भर उनके पास विभिन्न प्रकार की हरी सब्जियां उपलब्ध होती हैं।
जिला महेंद्रगढ़ के कनीना उप-मंडल के गांव झाड़ली की सुनीता मावता(32) न केवल कृषि में बढ़ चढ़कर भाग लेती है। आत्मा स्कीम जो किसानों के लिए कार्यरत है की सदस्या भी वे रह चुकी हैं। केंचुआ खाद केंद्र लगवाएं तथा पेड़ पौधे भी लगाए हैं। उनका जीवन किसानों की सेवा में ही लगा हुआ है।
परोक्ष रूप से पर्यावरण को बचाने वाले-
पर्यावरण को परीक्ष रूप से जैविक खेती करके या फिर नर्सरी लगाकर सेवा करने वालों में इसराणा के अजय कुमार, मोड़ी से अजय कुमार, गजराज सिंह, कांता देवी, भोजावास से सत्यवीर सिंह, अजीत कुमार कनीना आदि लगे हुये हैं।
कंवर सिंह कलवाड़ी---
पौधे लगाने में तथा आंवला,नींबू, बेलपत्र का बाग लगाकर मन को मोह रहे हैं वहीं पर्यावरण को बचा रहे हैं। एक ओर नेता हैं वहीं पर्यावरणविद हैं। दो एकड़ में विभिन्न फलों के बाग लगाकर पर्यावरण बचाने की मुहिम तेज किये हुये हैं। महाबीर सिंह करीरा भी बेरी एवं नींबू का बाग लगाकर पर्यावरण को साफ सुथरा बना रहे हैं।
मनोज रामबास--
कई सालों की मेहनत से गांव के युवाओं को साथ लेकर मनोज रामबास गांव के राधा कृष्ण मंदिर व धर्मशाला भवन के पास सुंदर पार्क का निर्माण किया है। पार्क निर्माण के साथ पौधारोपण अभियान लगातार जारी है। गाव के धर्मशाला परिसर से लेकर बणी-जंगलात की खाली पड़ी जमीन पर हजारों पौधे लगाये है जिसमें फल फुल के साथ साथ छायादार पौधे नीम, पीपल, बरगद, पीलखन, जामुन, कदम, शहतूत, नींबू फाइकस आदि के लगाये हैं। ज्यादातर पौधे घर पर तैयार किया गया है जैसे गुड़हल फाइकस के पौधे कटिंग से व अन्य छायादार पौधे बीज से तैयार किये गये है।
मनोज कुमार मेघनवास
मनोज मेघनवास एक ऐसा नाम है जिसने तो सब कुछ पौधे ही मान लिये हैं। प्रयास नामक संस्था के सहयोग से जी जान एक कर पर्यावरण बचाने में अग्रसर हैं। कई अवार्ड मिल चुके हैं। पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को आगे बढ़ाने में वन विभाग का सहयोग कर वन क्षेत्र बढ़ाने में मनोज मेघनवास टीम बना लगभग 250 गांवों , सार्वजनिक स्थानों, विद्यालयों में लगवा चुके हैं हजारों पौधे। लगभग 30,000 पौधे पेड़ बनने की ओर अग्रसर है।
फोटो 8: रामबास में मनोज एवं युवाों द्वारा निर्मित पार्क
9 बीएमडी क्लब सिगड़ा द्वारा पौधारोपण
10-रवींद्र पूर्व शिक्षक पौधों के साथ
11-जीवामृत खाद फव्वारा सेट से खेत में पहुंचाते मोड़ी के किसान
12-लक्ष्मी देवी का पार्क
साथ में लक्की सिंगड़ा, पिंकी यादव, मनोज रामबास, मनोज मेघनवास, सूबे सिंह, रवींद्र मास्टर, राजेंद्र सिंह, पिंकी यादव,लक्की सिंगड़ा आदि।
लोक गायक बतौर नाम कमाया है कनीना के विशेष शिक्षक ने
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कनीना। प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती यह कहावत सिद्ध करके दिखाई है कनीना के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत विशेष शिक्षक(स्पेशल टीचर) अमृतलाल ने। अमृत लाल का हरियाणवी रागिनी गायकों में एक अजूब नाम है उनकी रागनी विशेष अवसरों पर ध्यान पूर्वक सुनी जाती है। दिव्यांग विद्यार्थियों का शिक्षण भी करता है और रागिनी गायकी में आनंद महसूस करता है।
अमृतलाल ने बताया कि उनका जन्म राजस्थान की तहसील बहरोड़ के छोटे से गांव कोहड में पिता स्वर्गीय नेपाल सिंह व माता निर्मला देवी के घर हुआ। बचपन से ही अमृत प्रतिभा के धनी रहे हैं। केवल 14 साल की उम्र में गांव की रामलीला में अपने ताऊ हीरा सिंह जी के सानिध्य में रहकर लक्ष्मण का अभिनय किया। लक्ष्मण के अभिनय के साथ-साथ अंगद, मंदोदरी, केवट का भी समय-समय पर अभिनय किया। रामलीला क्लब में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार प्राप्त किया। रागिनी भजन गाने का शौक 14 साल की उम्र से लगा जब गांव की सत्संग मंडली के साथ बाबा भगवान दास महाराज के मंदिर में जाते थे। तब गांव वाले कलाकार नत्थू सिंह, गणपत सिंह ,नरेश कुमार शर्मा, सुभाष जांगिड़ आदि भजन गाते थे। तब यह विचार किया कभी मैं भी कलाकार बनूंगा। यह आस लगाकर सर्वप्रथम नरेश कुमार शर्मा व गुरु मुकेश सिंह राघव से ज्ञान लेकर राधा बन गई जिलाधीश भजन गाकर शुरुआत की। फिल्मी रागिनी की तरफ रुख अपनाया। पहली बार गांव में ही रात्रि में जयमल फत्ता के इतिहास की रागनी गाकर गांव वालों का मन मोह लिया। उनके पिता स्व पाल सिंह भी रागिनियां के बहुत शौकीन थे। वे अपने पिता के पास बैठकर रागिनी सुनाते थे। पहली रागिनी के बाद मुड़कर नहीं देखा। उसके बाद सन् 2006 में अपनी पत्नी रविता के साथ कनीना में आकर यहां भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। वर्तमान में अमृत सिंह घड़वा, बैंजो के साथ पंडित लखमी चंद, पंडित मांगेराम के द्वारा रचित किस्से गाकर लोगों के बीच विशेष अवसरों पर, छठी की रात्रि में, कुआं पूजन पर, विवाह उत्सव पर रागिनी गाकर जनता का मन मोह लेते हैं। सुर और ताल के साथ ऊंची आवाज में किस्से सुनाते हैं। आज उनका नाम विशेष गायकों में हैं। रागिनी गाकर कई सम्मान पा चुके हैं।
फोटो कैप्शन 7: रागिनी गाते अबमृतलाल।
कालेजों में रह गए काफी सीटें खाली
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कनीना। कनीना उपमंडल में 2 सरकारी कालेज हैं जिनमें से एक लड़कियों का तथा दूसरा लड़कों का है। दोनों में विभिन्न स्नातक स्तर के कोर्सों में इस बार काफी सीटें खाली रह गई है। सरकार द्वारा भरसक प्रयास किया गया था किंतु सभी सीटें नहीं भर पाई। खाली सीटें कोरोना की भेंट चढ़ गई हैं।
प्राचार्य डा विक्रम सिंह यादव राजकीय कन्या महाविद्यालय उन्हाणी ने बताया कि बीए की 160 सीटों में से 121 सीटें भर पाई, बीएससी की 80 सीटों में से 60 सीटें भर गई हैं। बीकाम की 80 सीटों में से 11 सीटें भर पाई परंतु विगत वर्ष की तुलना में अधिक विद्यार्थियों ने प्रवेश पाया है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार विद्यार्थी अधिक हैं। पिछले वर्ष जहां 130 सीटें भरी हुई थी इस बार 192 सीटें भर गई है। उन्होंने बताया कि 2019 में यह कालेज शुरू हुआ था प्रारंभ में 70 छात्राओं ने प्रवेश पाया था दूसरे वर्ष 130 व तीसरे वर्ष अर्थात वर्तमान सत्र में 192 छात्राओं ने प्रवेश पाया है परंतु सभी सीटें नहीं भर पाई।
राजकीय महाविद्यालय कनीना के डा हरिओम भारद्वाज प्रोफेसर ने बताया की बीए की 640 सीटों में से 160 सीटों में से 555 सीटें भर गई हैं, बीकाम की 160 सीटों में से 61 सीटें भर गई हैं। बीएससी नान मेडिकल की 320 सीटों में से 267 भर पाई वहीं बीएससी मेडिकल के प्रति कुछ रुझान देखने को मिला और 80 सीटों के मुकाबले 68 सीटें भर गई है। उन्होंने बताया इस बार कोरोना के चलते सीटें खाली रह गई है। वर्तमान में प्राचार्य महेंद्रगढ़ डा दिलबाग सिंह को प्राचार्य का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है।
स्नातकोत्तर कोर्स बहाल कियक जाए
-60 कमरों वाला बेहतरीन कालेज है कनीना
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कनीना। कनीना का राजकीय महाविद्यालय 2014 से सरकारी तथा 15 सालों से स्वायत्त कालेज के रूप में विख्यात रहा है। यहां कभी एमएससी गणित, एमए अंग्रेजी और हिंदी की कक्षाएं भी चलती थी किंतु 2014 में जब से सरकारी बैना है तब से स्नातकोत्तर सहित 6 विभिन्न कोर्स कोर्स तोड़ डाले जिनमें से बीएससी मेडिकल कोर्स जरूर बहाल किया है। कालेज में जहां 60 कमरों वाले कालेज में 2476 विद्यार्थी वर्तमान में शिक्षा पा रहे हैं। न तो यहां कोई स्नातकोत्तर कोर्स है और न ही आसपास कोई कालेज है।
स्नातकोत्तर कोर्स के लिए या तो महेंद्रगढ़ जाना पड़ता है जो कनीना से 20 किलोमीटर दूर है या फिर रेवाड़ी 35 किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है। यहां सभी सुसज्जित लैब है इसलिए भी इस कालेज स्नातकोत्तर को शुरू करने की मांग उठ रही है। कनीना के पार्षद मोहन सिंह, विजयपाल महिपाल सिंह, किशन सिंह, देवेंद्र कुमार आदि ने सरकार से मांग की है कि कालेज में स्नातकोत्तर को शुरू किए जाए। प्रधान नगरपालिका कनीना ने बताया कि वो भी इस कालेज में स्नातकोत्तर कोर्स लाने के लिए उच्चाधिकारियों से बात करेंगे।
कनीनला का यह सरकारी कालेज स्वायत्त कालेज होता था तब बीसीए, बीबीए, एमएससी गणित, एमए अंग्रेजी व हिंदी कोर्स चलते थे। उन्हीं को बहाल किया जाए ताकि विद्यार्थियों को कुछ राहत मिल सके। यहां करीब 55 गांवों से विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं ओर चारों ओर से ट्रेन व बस मार्गों से जुड़ा हुआ है।
विश्वविद्यालय महाविद्यालय में जहां कुल 51 का टीचिंग स्टाफ है जिनमें से 42 एक्सटेंशन प्राध्यापक काम कर रहे हैं रेगुलर स्टाफ की कमी है वहीं प्राचार्य का अतिरिक्त भार डा दिलबाग सिंह प्राचार्य महेंद्रगढ़ को दिया हुआ है। अगर सरकार इस कालेज की ओर ध्यान दें तो निसंदेह उत्तम कालेजों में से एक बन सकता है। कभी इस कालेज के विद्यार्थी विश्वविद्यालय में टाप टेन में रहे हैं। यही कारण है इसका क्रमोन्नत करने की मांग की गई है ताकि यह स्नातकोत्तर कालेज बन सके।
फोटो कैप्शन 2 एवं 3: कनीना कालेज।
क्षेत्र में हुई 26 एमएम बारिश
-किसानों के चेहरे खिले
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कनीना। कनीना क्षेत्र में विगत 4 दिनों से माहौल बारिशमय बना हुआ है। लगातार रुक रुककर बूंदाबांदी हो रही है। 3 दिन बेशक 2 एमएम बारिश हुई हो लेकिन विगत 24 घंटों में 26
एमएम बारिश हो चुकी है और समाचार लिखे जाने तक बूंदाबांदी जारी थी।
किसान सुरेंद्र सिंह, विजयपाल, धर्मेंद्र, अजीत सूबे सिंह आदि ने बताया कि बारिश ने उनके वारे न्यारे कर दिये है। जहां गेहूं, जौ एवं सरसों आदि की फसलों को पानी की जरूरत महसूस की जा रही थी वह पूर्ति हो जाने से अब किसान बेहद प्रसन्न है। बार-बार फव्वारों द्वारा सिंचाई की जा रही थी, उससे अब छुटकारा मिल गया है। माहौल सावन जैसा दिखाई पडऩे लगा है। सोमवार की पूरी रात बूंदाबांदी चली जिसके चलते अब लोगों में खुशी है कि बेहतरीन बारी पैदावार होगी। सड़क के किनारे, खेतों में पानी जमा हो गया है। बारिश से दिनभर की गतिविधियां छिन्न भिन्न हो गई हैं।
कृषि विशेषज्ञ डाक्टर देवराज एवं डाक्टर देवेंद्र ने बताया कि क्षेत्र में 20 एमएम बारिश फसलों के लिए पर्याप्त अनुकूल है। यद्यपि ठंड घट गई है किंतु मौसम फसलों के अनुरूप बन गया है। खेतों में फसलें बारिश के बाद लहराने लगी है। करीब 20 हजार हेक्टेयर पर सरसों एवं करीब 11 हजार हेक्टेयर पर गेहूं की बिजाई की हुई है। किसानों की प्रमुख अनाज देने वाली फसल गेहूं है, वही सरसों को किसान बेच कर वर्ष भर की आय प्राप्त करते हैं। उन्होंने बताया कि वैसे तो खरीफ और रबी दो फसलें उगाई जाती है लेकिन रबी फसल अनाज के रूप में कम उगाई जाती है। यही कारण है कि अब किसान सही समय पर सही मात्रा में बारिश का होना शुभ संकेत बता रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि समय-समय पर बूंदाबांदी होना भी लाभप्रद होता है। जब तक की फसल पकने न लग जाये तब तक बारिश लाभप्रद साबित हो रही है।
यद्यपि इस बार धुंध कम पड़ रही है किंतु पाला बहुत पड़ा है। पाले से विगत दिनों जहां सब्जी की फसलों में नुकसान हुआ है उसकी भरपाई अब अच्छी पैदावार से संभव हो सकती है। सरसों फूल आए हुए हैं और संपूर्ण धरा पीली नजर आती है। ठंड होने से अब फसल में आब आएगी।
फोटो कैप्शन 01: गेहूं की लहलहाती फसल।
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