Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**: June 2020

Tuesday, June 30, 2020

भाजपा अध्यक्ष बनाए जाने पर मिठाई बांटी
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 कनीना। कृष्णपाल गुर्जर को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर बाघोत के सरपंच विनोद कुमार ने लड्डू बांटकर खुशी का इजहार किया तथा हाईकमान का आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार भाजपा न केवल मजबूत बनेगी अपितु जनाधार बढ़ता ही चला जाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा अवधि दिनोंदिन विकास के आयाम चूम रही है। इसलिए आने वाले समय में भाजपा का होगा। इस अवसर पर भडफ़ के सरपंच महेंद्र सिंह, ककराला के सरपंच कृष्ण सिंह सहित दर्जनों सरपंच उपस्थित थे।
 फोटो कैप्शन 4: लड्डू बांटकर खुशी का इजहार करते हुए बाघोत सरपंच।

कनीना में किया गया स्क्रीनिंग 

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 कनीना। कनीना कस्बे में 3 कोरोना केस आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सीहोर रोड कनीना में कंटेनमेंट जॉन बनाते हुए स्क्रीनिंग की गई। कंटेनमेंट जोन में 3 घाट तथा 13 लोगों को स्क्रीनिंग किया गया वहीं बफर जोन में 4 घर तथा 20 लोगों का स्क्रीनिंग किया गया।
 फोटो कैप्शन 5: स्क्रीनिंग करते स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी।

भाजपा अध्यक्ष बनाए जाने पर मिठाई बांटी 

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 कनीना। कृष्णपाल गुर्जर को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर बाघोत के सरपंच विनोद कुमार ने लड्डू बांटकर खुशी का इजहार किया तथा हाईकमान का आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार भाजपा न केवल मजबूत बनेगी अपितु जनाधार बढ़ता ही चला जाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा अवधि दिनोंदिन विकास के आयाम चूम रही है। इसलिए आने वाले समय में भाजपा का होगा। इस अवसर पर भडफ़ के सरपंच महेंद्र सिंह, ककराला के सरपंच कृष्ण सिंह सहित दर्जनों सरपंच उपस्थित थे।
 फोटो कैप्शन 4: लड्डू बांटकर खुशी का इजहार करते हुए बाघोत सरपंच।

कनीना में किया गया स्क्रीनिंग 

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 कनीना। कनीना कस्बे में 3 कोरोना केस आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सीहोर रोड कनीना में कंटेनमेंट जॉन बनाते हुए स्क्रीनिंग की गई। कंटेनमेंट जोन में 3 घाट तथा 13 लोगों को स्क्रीनिंग किया गया वहीं बफर जोन में 4 घर तथा 20 लोगों का स्क्रीनिंग किया गया।
 फोटो कैप्शन 5: स्क्रीनिंग करते स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी।

मानसून के दृष्टिगत नगर पालिका ने उठाये कई कदम 

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कनीना। नगर पालिका ने भविष्य में बारिश के दृष्टिगत कई कदम उठाए हैं यहां एक जोहड़ का पानी लगभग खत्म कर दिया वहीं दूसरे जोहड़ का पानी भी खत्म किया जाएगा, तत्पश्चात तीसरे जोहड़ में शुद्ध पानी भरवा कर बाबा मोलडऩाथ आश्रम स्थल को सुंदर बनाया जाएगा। विस्तृत जानकारी देते हुए कनीना पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि करीब एक माह से सफाई कर्मचारी और पालिका प्रशासन इस कार्य में जुटा हुआ है। बारिश का पानी गलियों में न खड़ा हो इसके लिए बस स्टैंड को साफ कर दिया गया है वहीं उन्हें ढक दिया गया है।
 उन्होंने बताया कि लंबे समय से कनीना में कालरवाली जोहड़ समस्या बना हुआ था जिसका जल समाप्त कर दिया गया है और इस जल को पाइप द्वारा रेवाड़ी सड़क मार्ग से होते हुए एसटीपी तक पहुंचाया जा रहा है। विगत वर्ष इस जोहड़ के कारण वार्ड नंबर एक और 11 में बरसात के जल के घरों में घुसने की समस्या आई थी वो अब नहीं आयेगी।
कालरवाली जोहड़ जोहड़ का पानी होद में डाला जाएगा वहां से पानी एसटीपी तक पहुंचेगा और इस प्रकार इस क्षेत्र में अब भविष्य में किसी प्रकार का गंदा पानी घरों में नहीं घुस पाएगा। उन्होंने कहा इस कार्य के पूर्ण होते ही कनीना का होलीवाला जोहड़ की सुध ली जाएगी उसका सारा पानी निकालकर एसटीपी तक पहुंचाया जाएगा। तत्पश्चात वहां पानी का ठहराव नहीं होगा और इस प्रकार समूचा कस्बे का पानी एसटीपी तक पहुंचता रहेगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न नाले साफ करवा दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि बाबा म़ोलडऩाथ आश्रम का एक पुराना जोहड़ है। आश्रम का पुराने जोहड़ की खुदाई पूर्ण हो चुकी है। इसे शुद्ध पानी से भरा जाएगा। या तो नहर से पानी लाया जाएगा या अन्य किसी तरीके से इस को पानी से भर दिया जाएगा। दैनिक जागरण ने इस जोहड़ के बारे में विस्तार से लिखा था और जिसके चलते ही जोड़कर खुदाई पूर्ण हो गई है। अब इसको पानी से भर कर बाबा मोलडऩाथ आश्रम को चार चांद लगाए जाएंगे।
उन्होंने सतीश जेलदार ने बताया कि पानी निकासी के प्रबंध के पश्चात कनीना के विकास कार्यों पर ध्यान देने का विचार है। उन्होंने कहा कि कनीना बस स्टैंड स्थित पशु अस्पताल को डीएवी के पास स्थानांतरित किया जाएगा और यहां पर एक मार्केट स्थापित करने का विचार है।
 फोटो कैप्शन:सतीश जेलदार।

कोरोना महामारी व गलवान घाटी में हुई वारदात के बाद से लोगों ने तेजी से चीनी सामान का बहिष्कार करना किया शुरू

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-क्षेत्र की दुकानों पर चीनी सामान की बिक्री 45 प्रतिशत से घटकर हुई करीब 15 प्रतिशत
-उपभोक्तओं द्वारा स्वदेशी वस्तुओं को दिया जा रहा है बढ़ावा
कनीना। बीते कुछ समय से चीन की हरकतें देश के लोगों को गुस्सा दिलाती जा रही हैं। पहले तो चीन ने वुहान शहर से दुनियाभर में कोरोना वायरस को फैलाया और अब भारत की सीमा पर किए गए हमले से लोगों में जमकर आक्रोश भर गया है। अपने गुस्से को बताने के लिए लोग चीन के वस्तुओं के बजाय विकल्प के रूप में स्वदेशी वस्तुओं को खरीदने की तवज्जो दे रहे हैं। इसमें भी कई लोगों की प्राथमिकता है कि लोकल को वोकल किया जाए। कनीना खंड में भी लोगों ने चाइना की वस्तुओं का बहिष्कार कर अपना रोष जताना शुरू कर दिया है। जिसके चलते चाइनिज सामान की खरीददारी पर काफी प्रभाव देखा जा सकता है। कस्बे में इलेक्टॉनिक सामान बेचने वाले व मोबाइल विक्रेताओं ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद से लोगों के द्वारा चाइनीज सामान को काफी कम महत्व दिया जा रहा था। लेकिन अब गलवान में हुई घटना के बाद से इस पर काफी असर देखा जा सकता है। दुकानदारों ने बताया कि इससे पहले प्रतिदिन करीब 40 से 45 प्रतिशत सामान चाइनीज ही बिकता था। लेकिन अब यह केवल 15 से 20 प्रतिशत पर ही रह गया है। ऐसा लगता है कि कुछ समय के बाद यह भी बिलकुल बंद हो जाएगा। दुकानदारों ने सभी गलवान घाटी में हुई घटना को लेकर रोष प्रकट करते हुए लोगों को स्वदेशी सामान को महत्व देने की अपील की है ताकि देश आगे बढ़ सके।
क्या कहते क्षेत्र के लोग व व्यापारी
दीपक सिहोर ने बताया कि गलवान घाटी में चीन के सैनिकों द्वारा धोखे से मारे गए 20 जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि देश के लोगों को इस समय अपनी ताकत देखाकर चीन के बने उत्पादों का बहिष्कार करे व स्वदेश में बनी वस्तुओं के उपयोग पर बल दिया जाए।
कपिल कोटिया ने बताया कि कोरोना महामारी की वजह से लोगों के द्वारा पहले से की चीन से आने वाले सामान का काफी कम उपयोग किया जा रहा था। लेकिन गलवान घाटी में हुई घटना के बाद से लोगों के द्वारा लगभग पूर्ण रूप से ही चीन के सामान का बहिष्कार किया जा रहा है। जो एक सही कदम है इससे जहां स्वदेशी कम्पनियों के सामान की खपत बढ़ेगी वहीं चीन को भी आर्थिक रूप से छति पहुंचेगी।
दुकानदार ओमबीर यादव ने बताया कि उसकी दुकान पर प्रतिदिन चीन की कम्पनी के द्वारा बनाए गए दो से तीन मोबाइल बिकते थे। लेकिन पिछले कुछ दिनों से दुकान पर आने वाले लोगों के द्वारा चीन की कम्पनी के द्वारा बनाए गए मोबाइलों को अनदेखा किया जा रहा है। लोग चीन की कम्पनियों के बजाए अन्य कम्पनियों के मोबाइल को महत्व दे रहे है।
दुकानदार प्रदीप महेश्वरी ने बताया कि कोरोना महामारी व गलवान घाटी में हुई घटना के बाद से क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे देश में ही चीन की कम्पनियों के द्वारा बनाए जाने वाले सामानों की मांग काफी घटी है। इससे पहले चीन की कम्पनियों के सामान ही लोगों के द्वारा सबसे ज्यादा खरीदा जाता था। लेकिन अब इनकी खरीददारी पर काफी प्रभाव पड़ा है। इससे स्वदेशी उद्योगों व देश को काफी लाभ मिलने की उम्मीद है।
फोटो कैप्शन: ओमबीर,कपिल, दीपक, प्रदीप।

मानसून के दृष्टिगत नगर पालिका ने उठाये कई कदम 

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कनीना। नगर पालिका ने भविष्य में बारिश के दृष्टिगत कई कदम उठाए हैं यहां एक जोहड़ का पानी लगभग खत्म कर दिया वहीं दूसरे जोहड़ का पानी भी खत्म किया जाएगा, तत्पश्चात तीसरे जोहड़ में शुद्ध पानी भरवा कर बाबा मोलडऩाथ आश्रम स्थल को सुंदर बनाया जाएगा। विस्तृत जानकारी देते हुए कनीना पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि करीब एक माह से सफाई कर्मचारी और पालिका प्रशासन इस कार्य में जुटा हुआ है। बारिश का पानी गलियों में न खड़ा हो इसके लिए बस स्टैंड को साफ कर दिया गया है वहीं उन्हें ढक दिया गया है।
 उन्होंने बताया कि लंबे समय से कनीना में कालरवाली जोहड़ समस्या बना हुआ था जिसका जल समाप्त कर दिया गया है और इस जल को पाइप द्वारा रेवाड़ी सड़क मार्ग से होते हुए एसटीपी तक पहुंचाया जा रहा है। विगत वर्ष इस जोहड़ के कारण वार्ड नंबर एक और 11 में बरसात के जल के घरों में घुसने की समस्या आई थी वो अब नहीं आयेगी।
कालरवाली जोहड़ जोहड़ का पानी होद में डाला जाएगा वहां से पानी एसटीपी तक पहुंचेगा और इस प्रकार इस क्षेत्र में अब भविष्य में किसी प्रकार का गंदा पानी घरों में नहीं घुस पाएगा। उन्होंने कहा इस कार्य के पूर्ण होते ही कनीना का होलीवाला जोहड़ की सुध ली जाएगी उसका सारा पानी निकालकर एसटीपी तक पहुंचाया जाएगा। तत्पश्चात वहां पानी का ठहराव नहीं होगा और इस प्रकार समूचा कस्बे का पानी एसटीपी तक पहुंचता रहेगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न नाले साफ करवा दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि बाबा म़ोलडऩाथ आश्रम का एक पुराना जोहड़ है। आश्रम का पुराने जोहड़ की खुदाई पूर्ण हो चुकी है। इसे शुद्ध पानी से भरा जाएगा। या तो नहर से पानी लाया जाएगा या अन्य किसी तरीके से इस को पानी से भर दिया जाएगा। दैनिक जागरण ने इस जोहड़ के बारे में विस्तार से लिखा था और जिसके चलते ही जोड़कर खुदाई पूर्ण हो गई है। अब इसको पानी से भर कर बाबा मोलडऩाथ आश्रम को चार चांद लगाए जाएंगे।
उन्होंने सतीश जेलदार ने बताया कि पानी निकासी के प्रबंध के पश्चात कनीना के विकास कार्यों पर ध्यान देने का विचार है। उन्होंने कहा कि कनीना बस स्टैंड स्थित पशु अस्पताल को डीएवी के पास स्थानांतरित किया जाएगा और यहां पर एक मार्केट स्थापित करने का विचार है।
 फोटो कैप्शन:सतीश जेलदार।

कोरोना महामारी व गलवान घाटी में हुई वारदात के बाद से लोगों ने तेजी से चीनी सामान का बहिष्कार करना किया शुरू
-क्षेत्र की दुकानों पर चीनी सामान की बिक्री 45 प्रतिशत से घटकर हुई करीब 15 प्रतिशत
-उपभोक्तओं द्वारा स्वदेशी वस्तुओं को दिया जा रहा है बढ़ावा
कनीना। बीते कुछ समय से चीन की हरकतें देश के लोगों को गुस्सा दिलाती जा रही हैं। पहले तो चीन ने वुहान शहर से दुनियाभर में कोरोना वायरस को फैलाया और अब भारत की सीमा पर किए गए हमले से लोगों में जमकर आक्रोश भर गया है। अपने गुस्से को बताने के लिए लोग चीन के वस्तुओं के बजाय विकल्प के रूप में स्वदेशी वस्तुओं को खरीदने की तवज्जो दे रहे हैं। इसमें भी कई लोगों की प्राथमिकता है कि लोकल को वोकल किया जाए। कनीना खंड में भी लोगों ने चाइना की वस्तुओं का बहिष्कार कर अपना रोष जताना शुरू कर दिया है। जिसके चलते चाइनिज सामान की खरीददारी पर काफी प्रभाव देखा जा सकता है। कस्बे में इलेक्टॉनिक सामान बेचने वाले व मोबाइल विक्रेताओं ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद से लोगों के द्वारा चाइनीज सामान को काफी कम महत्व दिया जा रहा था। लेकिन अब गलवान में हुई घटना के बाद से इस पर काफी असर देखा जा सकता है। दुकानदारों ने बताया कि इससे पहले प्रतिदिन करीब 40 से 45 प्रतिशत सामान चाइनीज ही बिकता था। लेकिन अब यह केवल 15 से 20 प्रतिशत पर ही रह गया है। ऐसा लगता है कि कुछ समय के बाद यह भी बिलकुल बंद हो जाएगा। दुकानदारों ने सभी गलवान घाटी में हुई घटना को लेकर रोष प्रकट करते हुए लोगों को स्वदेशी सामान को महत्व देने की अपील की है ताकि देश आगे बढ़ सके।
क्या कहते क्षेत्र के लोग व व्यापारी
दीपक सिहोर ने बताया कि गलवान घाटी में चीन के सैनिकों द्वारा धोखे से मारे गए 20 जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि देश के लोगों को इस समय अपनी ताकत देखाकर चीन के बने उत्पादों का बहिष्कार करे व स्वदेश में बनी वस्तुओं के उपयोग पर बल दिया जाए।
कपिल कोटिया ने बताया कि कोरोना महामारी की वजह से लोगों के द्वारा पहले से की चीन से आने वाले सामान का काफी कम उपयोग किया जा रहा था। लेकिन गलवान घाटी में हुई घटना के बाद से लोगों के द्वारा लगभग पूर्ण रूप से ही चीन के सामान का बहिष्कार किया जा रहा है। जो एक सही कदम है इससे जहां स्वदेशी कम्पनियों के सामान की खपत बढ़ेगी वहीं चीन को भी आर्थिक रूप से छति पहुंचेगी।
दुकानदार ओमबीर यादव ने बताया कि उसकी दुकान पर प्रतिदिन चीन की कम्पनी के द्वारा बनाए गए दो से तीन मोबाइल बिकते थे। लेकिन पिछले कुछ दिनों से दुकान पर आने वाले लोगों के द्वारा चीन की कम्पनी के द्वारा बनाए गए मोबाइलों को अनदेखा किया जा रहा है। लोग चीन की कम्पनियों के बजाए अन्य कम्पनियों के मोबाइल को महत्व दे रहे है।
दुकानदार प्रदीप महेश्वरी ने बताया कि कोरोना महामारी व गलवान घाटी में हुई घटना के बाद से क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे देश में ही चीन की कम्पनियों के द्वारा बनाए जाने वाले सामानों की मांग काफी घटी है। इससे पहले चीन की कम्पनियों के सामान ही लोगों के द्वारा सबसे ज्यादा खरीदा जाता था। लेकिन अब इनकी खरीददारी पर काफी प्रभाव पड़ा है। इससे स्वदेशी उद्योगों व देश को काफी लाभ मिलने की उम्मीद है।
फोटो कैप्शन: ओमबीर,कपिल, दीपक, प्रदीप।

सेनिटाइजर एवं मास्क प्रदान करने की मांग

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कनीना। ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन हरियाणा ने सामाजिक न्याय अधिकारिता एवं न्याय मंत्री हरियाणा सरकार को ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन हरियाणा अपनी मांगों का ज्ञापन ओमप्रकाश यादव राज्य मंत्री हरियाणा सरकार को सौंपेगी। इस संबंध में एक नोटिस  नारनौल कार्यालय इंचार्ज रमेश कुमार को दे दिया है।
 महासचिव महेन्द्र सिंह ने ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन के महासचिव ने बताया कि   उनकी मुख्य मांगों में सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, न्यूनतम वेतन 28 हजार रुपये देने,सफाई के उपकरण देने, मास्क सेनेटराइजर, ग्लव्ज, साबुन व मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि जोखिम भत्ता 10000 रुपये, वर्दी भत्ता 8000 रुपये प्रति वर्ष दिया जाए। सामाजिक सुरक्षा व पेंशन योजना लागू किया जाए, पहचान पत्र व नियुक्ति पत्र जारी किया जाए, 250 जनों की आबादी पर एक ग्रामीण सफाई कर्मचारी लगाया जाए आदि प्रमुख मांगे हैं। इस मौके पर महेन्द्र सिंह कामरेड, सुभाष चन्द्र एडवोकेट, यूनियन के वरिष्ठ सदस्य कृष्ण कुमार शामिल थे।


अभी स्कूल में विद्यार्थी नहीं आएंगे 

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 कनीना। कनीना खंड शिक्षा अधिकारी अभय राम यादव ने बताया कि अभी स्कूलों में बच्चे नहीं आएंगे। अभी तक ऐसा कोई आदेश नहीं मिला है जिसके चलते स्थिति यथावत रहेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को स्कूल में आना ही पड़ेगा, जब तक कोई आगे आगामी आदेश नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि अक्सर शिक्षक वर्ग फोन पर बार बार पूछते हैं परंतु स्कूल यूं ही चलते रहेंगे। उन्होंने कहा कि जब भी कोई आदेश सरकार देगी उसका पालन किया जाएगा और तुरंत सूचित कर दिया जाएगा।

कोरोना के केस बढ़कर हुये 41 

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कनीना। कनीना उपमंडल में कोरोना के तीन केस और आने से कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 41 हो गई है।इससे पहले 38 केस थे। तीनों ही केस कनीना के है।
विस्तृत जानकारी देते हुए एसएमओ डा धर्मेंद्र ने बताया कि कोरोना केसों में एक नाई की दुकान चलाता है, वही दूसरा दुकानदार है तो एक केस कोलकाता से आया एक आर्मी पर्सन है। उन्होंने बताया आगामी कार्रवाई करते हुए स्क्रीनिंग करवा दी गई है तथा लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि नियमों का पालन किया जाए तो रोग बढऩे की संभावना कम रहेगी।

Monday, June 29, 2020

 कोरोना केस बढ़कर हुये 38   कोटिया में नया केस आया
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 कुल केस 38      ठीक होकर वापस                              आये-अधिकांश         मौत 01
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गांव का नाम         कोरोना पोजिटिव संख्या
1.   ककराला       06
2.   इसराना         02
3.   रामबास        02
4.   कनीना          05
5.   मोहनपुर        01
6.   सिहोर           02
7.  छीथरोली        01
8.   गोमला         01
9.   खैराना          01
10  धनौंदा          03
11  रसूलपुर        02
12  सेहलंग         01
13  गाहड़ा          01
14 दौंगड़ा अहीर    01
15  नांगल हरनाथ  01
16  मुडायन        01
17 करीरा          02
18 कोटिया         01+1
19 भडफ़           01
20 बचीनी          01
21 उच्चत           01
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वापस आये-अधिकांश ठीक होकर आये हैं। अब तक एक मौत हुई है



 



कोटिया में आया नया कोरोना केस

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कनीना। कनीना खंड के गांव कोटिया में नया केस कोरोना पाजिटिव मिला है। अब तक कोरोना केस 38 पहुंच गये हैं। एसएमओ डा धर्मेंद्रग ने बताया कि कि मुम्मबई में रेलवे में काम करने वाले इस सज्जन ने 22 जून को सेंपल दिया था और सोमवार को केस पाजिटिव आया।
स्वास्थ्य विभाग की टीम जिसमें शीशराम सुपरवाइजर, सुनील कुमार एमपीएचडब्ल्यू, राजेश कुमार, सुशीला, सुमन एवं आशा वर्कर ने स्क्रीनिंग कर 7 घर एवं 29 व्यक्ति कंटेंनमेंट जोन में तो 14 घर एवं 76 व्यक्ति बफर जोन में रखते हुए कार्रवाई कर दी है।

युवा पीढ़ी भी हुक्के की शौकीन

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 कनीना। युवा पीढ़ी जहां फास्ट फूड के प्रति अति शौकीन है वही हुक्के की शौकीन भी नजर आने लगी है। स्कूल एवं कालेज के विद्यार्थी भी हुक्का पीते हुए देखे गए हैं। मां-बाप काम कुछ ढीला पड़ जाने के कारण इस प्रकार की घटनाएं घट रही हैं।
 अक्सर कॉलेज और स्कूल में जाने वाले विद्यार्थी फास्ट फूड एवं कोल्ड ड्रिंक आदि का सेवन जमकर करती ही है वही अब सिगरेट और हुक्का पीते हुए भी देखे जा सकते हैं। हुक्के के प्रति तो विशेष आकर्षण बढ़ता जा रहा है। कनीना के नरेश कुमार ने बताया कि जब किसी जगह हुक्का चल रहा होता है बुजुर्ग तथा अधेड़ उम्र के लोग हुक्का पी रहे होते हैं तो कालेज एवं स्कूल के विद्यार्थी भी उनके पास आकर बैठ जाते हैं और हुक्का गुडग़ड़ाने लग जाते हैं। यही नहीं सिगरेट के शौकीन तो अधिक संख्या में कालेज विद्यार्थी देखे जा सकते हैं।
शिक्षक दिनेश कुमार ने बताया कि अब सरकार ने विद्यार्थियों के प्रति कुछ नियम भी बदल दिए हैं। अब शिक्षक विद्यार्थियों को पीटना तो दूर डरा धमका भी नहीं सकते। यही कारण है कि विद्यार्थी शिक्षकों से भी नहीं डरते वही मां बाप से भी नहीं डर रहे हैं। मां-बाप अगर बच्चों को डराते धमकाते तो किसी अनहोनी घटना का शिकार भी हो सकते हैं। उधर आर्य समाज के राव मोहर सिंह ने बताया कि कुछ संस्कार और सभ्यता में परिवर्तन आ गया है जिसके चलते युवा पीढ़ी अब गुरु मां-बाप आदि को के प्रति कम ध्यान देती है और कुछ घटिया आदतों में संलिप्त देखी जा सकती है।

वृक्षमित्र रह गए कम, अधिक वृक्ष लगाने वालों की हो चुकी है मौत 

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कनीना। कनीना क्षेत्र में अधिक पेड़ लगाने वाले व्यक्ति कम होते जा रहे हैं। कनीना के मंगल सिंह, उन्हाणी के दीपचंद पहलवान वृक्षमित्र नाम से जाने जाते रहे हैं जिनकी बदौलत भारी पेड़ लगे हैं। दोनों की मौत हो चुकी है।अब पेड़ काटने वाले अधिक हैं तथा लगाने वाले कम हैं।
  कनीना क्षेत्र में वृक्ष लगाने वालों की कोई कमी नहीं थी। कनीना के मंगल सिंह प्रसिद्ध वृक्षमित्र थे। उन्होंने कनीना के विभिन्न स्थानों पर भारी संख्या में वृक्ष लगाए। विशेषकर जोहड़, सार्वजनिक स्थल, स्कूल, जंगल, बस स्टैंड आदि प्रमुख थे। उनके द्वारा लगाए हुए वृक्ष आज भी जिंदा हैं। वे नगरपालिका में कर्मचारी होते थे परंतु जितना भी वक्त उन्हें मिलता था वे पेड़ पौधे लगाते थे। वे अब जग में नहीं रहे हैं। उनके पदचिह्नों पर उनके पूर्व शिक्षक रविंद्र कुमार आज भी पेड़ पौधे लगा रहे हैं। उन्हाणी के जगमाल सिंह ने पूरी बगीची ही तैयार की है जो विगत दिनों से अस्वस्थ चल रहे हैं। वे चारपाई पर रह रहे हैं।
   उधर कनीना के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में लंबे समय तक कर्मचारी रहे दीपचंद पहलवान अपने समय के जाने माने पहलवान थे तथा वृक्षमित्र कहलाते थे। आज वे इस दुनिया में नहीं हैं तथा वे अविवाहित थे। उन्होंने भी जहां तहां जगह मिली दिनरात पेड़ लगाए वहीं स्कूल एवं बस स्टैंड पर उन्होंने भी भारी संख्या में पेड़ लगाए थे। आज वे वृक्षमित्र के रूप में जाने जाते हैं। जब कभी पेड़ पौधों की बात चलती है तो उनका नाम आदर से लिया जाता है।
  आज पेड़ों की संख्या कम होती जा रही है। पेड़ लगाने के लिए प्रयास तो किए जाते हैं परंतु बेहतर प्रयास नहीं किए जाते हैं जिसके चलते पेड़ों की संख्या घट रही है। पेड़ लगाने के लिए विभिन्न संस्थाएं सामने आ रही हैं परंतु पेड़ लगाकर भूल जाते हैं जिसके चलते वे पेड़ दम तोड़ देते हैं।

क्षेत्र में हुई बूंदाबांदी 

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 कनीना। गत दिनों से पड़ रही गर्मी के बाद कनीना क्षेत्र में दोपहर उपरांत बूंदाबांदी हुई। बूंदाबांदी महज एक एमएम थी जिससे गर्मी से राहत मिली है वही फसलों के लिए भी यह बूंदाबांदी लाभप्रद साबित होगी। वैसे तो किसान अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं किंतु अच्छी बारिश अभी तक नहीं हुई है। इस वक्त खेतों में कपास,बाजरा,पशुचारे आदि की फसल खेतों में खड़ी हुई है। जहां इस बार कोरोना की मार पड़ी है वही टिड्डी दल भी कुछ क्षेत्रों में नुकसान कर गया है। ऐसे में किसान बारिश होने का इंतजार कर रहे हैं। ताकि कुछ फसल पैदावार हो सके।

उप नागरिक अस्पताल में एसडीम ने किया दौरा

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 कनीना। एसडीएम कनीना रणवीर सिंह ने उप नागरिक अस्पताल कनीना का दौरा कर ऑक्सीजन गैस सप्लाई से संबंधित जानकारी हासिल की।
 मिली जानकारी अनुसार भविष्य में यदि कोई आपदा आती है तो उस समय कनीना के इस अस्पताल को डीसीएचसी( डिस्ट्रिक्ट कोविड-19 हेल्थ सेंटर) स्थापित किया जा सकता है। ऐसे में समुचित जानकारी हासिल की जा रही है ताकि समय पर यदि कोई आपदा आए तो उसका निदान हो सके। उन्होंने जाकर गैस सिलेंडर आदि को चेक किये। उधर एसएमओ डॉ धर्मेंद्र ने बताया कि यहां के अस्पताल में 19 बड़े सिलेंडर तथा पांच छोटे सिलेंडर ऑक्सीजन के आए हुए हैं। पाइपलाइन द्वारा ऑक्सीजन गैस सीधे मरीज तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। इस प्रकार भविष्य में यदि कोई आवश्यकता हुई तो उसका लाभ मरीजों को मिलेगा।
इस अवसर पर शीशराम सुपरवाइजर सहित विभिन्न डॉक्टर उपस्थित थे।
 फोटो कैप्शन तीन: एसडीएम कनीना उप नागरिक अस्पताल में जानकारी हासिल करते हुए।


ककराला गांव के लोगों की हुई स्क्रीनिंग 

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कनीना। रविवार को जहां ककराला गांव में कोरोना के और मरीज आने से स्वास्थ्य विभाग की टीम ने घर-घर जाकर स्क्रीनिंग की।
 इस मौके पर ककराला में  बनाए गए कंटेनमेंट जोन में 6 घर तथा 39 व्यक्ति वही बफर जोन में 40 घर और 212 व्यक्ति शामिल किए गए हैं। इन सभी की स्क्रीनिंग की गई।
 शीशराम सुपरवाइजर की देखरेख में संदीप सिंह एमपीडब्ल्यू, संतोष एएनएम स्नेहलता और आशा ने अहम भूमिका निभाई।
  कनीना उपमंडल में  संक्रमितों का आंकड़ा 37 पहुंच गया है।विभााग ने अधिकांश लोगों को पटीकरा में भर्ती कराया गया हैद्ध पहले से भेजे गए मरीज स्वस्थ्क होकर आ गये हैं।
 डॉ धर्मेंद्र एसएमओ का कहना है कि नियमों का सही ढंग से पालन किया जाए तो रोगों से बचा जा सकता है। उनका कहना है कि जब कहीं बाहर जाना पड़े तो हाथों पर ग्लव्ज, मुंह पर मास्क, सिर पर कुछ पहन कर धूप से बचाना चाहिए तथा रोग से बचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखना बहुत जरूरी है ताकि रोग से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि अच्छे ढंग के मास्क प्रयोग करने चाहिए वही अच्छे ढंग के सैनिटाइजर प्रयोग किये जाने चाहिए।
उन्होंने सभी नियमों का पालन करने की हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग और बच्चों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, वही किसी खास काम की वजह से बाहर जाना पड़े तो ही नियमानुसार ही जाना चाहिए। सभी मुंह, हाथ, नाक अच्छी प्रकार ढक लेने चाहिए। उन्होंने कहा अक्सर लोग मास्क तो लगा लेते हैं लेकिन वह दिखावे मात्र लगाती हैं जबकि नाकों को पूर्णता ढकना चाहिए।
फोटो कैप्शन 4:ककराला गांव में स्क्रीनिंग करते हुए स्वास्थ्यकर्मी।

प्याज का कर रहे हैं स्टाक,बढ़ रहे हैं भाव, एक पखवाड़े में भाव दोगुने पहुंचे

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कनीना। क्षेत्र में प्याज उगाने वाले किसान अपने प्याज का स्टॉक कर रहे हैं। प्याज महंगी होती जा रही है। प्रति किलो भाव एक पखवाड़े में दोगुने हो गए हैं। मार्केट में प्याज 20 रुपये किलो पहुंच गई है। एक सप्ताह पहले भाव आठ रुपये किलो था।
  उल्लेखनीय है कनीना क्षेत्र के कई किसान प्याज उगाकर उसका स्टाक करने में लगे हुए हैं। वैसे किसान सूबे सिंह,राजेंद्र सिंह, अजीत कुमार ने बताया कि प्याज को लंबे समय तक स्टोर करना कठिन होता है। अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में देसी प्याज उगाई जाती है जो कुछ दिनों के बाद सडऩे लग जाती है। विशेषकर जब बारिश में मौसम होता है तो उस समय यह सड़कर बदबू देने लग जाती है किंतु सीकर कि प्याज लंबे समय तक चल सकती है। उन्होंने बताया कि किसानों में होड़ लगी हुई है कि अधिक से अधिक प्याज को स्टोर किया जाए।  यहां उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष विगत वर्षों गांव में भी प्याज बेचने के लिए रेहड़ी वाले, ऊंटगाड़ी तथा अपने ट्रैक्टर आदि में प्याज डालकर बेचने के लिए किसान आते थे किंतु इस बार कम किसान प्याज बेचने आ रहे हैं। इस बार यदि प्याज का भाव देखा जाए तो बड़े-बड़े शहरों में भी प्याज 20 से 25 रुपये किलो बिक रही है। किसान बताते हैं कि इस वक्त प्याज जब खोदी जाती है तो काफी सस्ती होती है। किसान अपनी प्याज का स्टॉक कर रहे हैं ताकि महंगे दामों पर उसे बेच सके।
 उधर प्रोग्रेसिव किसान महावीर सिंह करीरा ने बताया कि प्याज का स्टॉक लंबे समय तक नहीं चल सकता। अधिकतम दो ढाई महीने तक प्याज को रखा जा सकता है। आने वाले समय में क्या रंग दिखाएगी और कितने लोगों को की आंखों में आंसू लाएगी।
फोटो कैप्शन 1: प्याज की फोटो।

बिजली ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़ाने और वार्ड सात में पोल लगवाने की मांग

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कनीना। जहां एक तरफ गर्मी का कहर जारी है वही बिजली कम आने की समस्या से कस्बे के वार्ड नंबर 6 व 7 के लोगों का जीना हराम हो गया है जिसको लेकर लोग एकत्रित होकर हरियाणा विद्युत निगम के स्थानीय कार्यालय में पहुंचे तथा वहा मौजूद विभाग के एसडीओ से मुलाकात कर बिजली की समस्या का दुखड़ा रोया। वार्डों के लोगों ने एसडीओ से मुलाकात कर बताया कि वार्ड 6 में बिजली का जो ट्रांसफार्मर लगा है उस पर कनेक्षन ज्यादा है तथा वह कम पावर की है जिसके कारण इस ट्रांसफार्मर से जुड़े लोगों को बिजली आपूर्ति ठीक ढंग से नही हो पाती है। लोगों को बिजली की समस्या के कारण रात भर बैठ कर गुजारने पर मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने यह भी बताया कि उक्त वार्डो में एक घर भी ऐसा नही है जिसका बिजली बिल बकाया हो लेकिन उसके बाद भी बिजली कि समस्या अपने आप में बड़ी समस्या है जिसे किसी भी सूरत में बरदाश्त नही किया जाएगा। वही वार्ड नंबर 7 के लोगों ने बिजली एसडीओ को बताया कि कस्बे के लगभग वार्डो में बिजली के पोल लग चुके है लेकिन वार्ड न बर सात की पैस कलोनी में बिजली के पोल अभी तक नही लगने के कारण लोगों ने बिजली की केबल रिहायसी मकानों के ऊपर से गुजार कर लगाई हुई है जिसके कारण वार्ड सात के लोगों को बड़ी समस्या बनी हुई है। वार्ड वासियों ने यह भी बताया कि बिजली की केबल बिना पोल के लगाई हुई है जो जमीन से मात्र चार या पांच फुट ऊंची होने के कारण यहां कोई भी बड़ा हादसा होने का अंदेशा बना रहता है। वार्ड वासियों ने विद्युत निगम के एसडीओ से मांग कर वार्ड सात मेें पोल लगवाने अथवा वार्ड छह में ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़वाने की गुहार लगाई है। ताकि लोगों को आए दिन होने वाली बिजली समस्या से निजात मिल सके। वही एसडीओ ने सभी वार्डवासियों की समस्या सुनी तथा जल्द ही उसके समाधान का आश्वासन दिया।
फोटो कैप्शन 2: वार्डवासी समस्या सुनाते हुये।

Sunday, June 28, 2020

  कोरोना केस बढ़कर हुये 38   कोटिया में नया केस आया
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 कुल केस 38      ठीक हुये अधिकांश    मौत 01
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गांव का नाम         कोरोना पोजिटिव संख्या
1.   ककराला       06
2.   इसराना         02
3.   रामबास        02
4.   कनीना          05
5.   मोहनपुर        01
6.   सिहोर           02
7.  छीथरोली        01
8.   गोमला         01
9.   खैराना          01
10  धनौंदा          03
11  रसूलपुर        02
12  सेहलंग         01
13  गाहड़ा          01
14 दौंगड़ा अहीर    01
15  नांगल हरनाथ  01
16  मुडायन        01
17 करीरा          02
18 कोटिया         01+1
19 भडफ़           01
20 बचीनी          01
21 उच्चत           01
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वापस आये-अधिकांश ठीक होकर आये हैं। अब तक एक मौत हुई है

कनीना उपमंडल में पांच नए कोरोना के मामले आने से क्षेत्र में भय का माहौल
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-चार गांवों में की गई स्क्रीनिंग
कनीना। कनीना उपमंडल में बढ़ते कोरोना के मामले ने कस्बे व इसके आसपास के क्षेत्र के लोगों की नींद उड़ाकर कर रख दी है। वही विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रविवार को कस्बे के निकटवर्ती गांवों में पांच नए कोरोना के संक्रमित मामले सामने आए है। अब तक कुल संख्या 37 पहुंच गई है।
विभाग से मिली सूचना अनुसार पांच नए संक्रमितों में पहला केस ककराला गांव से है जो गत 26 जून को हनुमान गढ़ राजस्थान से आया है, दूसरा व्यक्ति कोटिया का है जो दो दिन पूर्व दिल्ली सीआरपीएफ से आए था तथा तीसरा केस राकेश भडफ़ का है जो दिल्ली से आया था वही चौथा केस ककराला का है जो दिल्ली से आया था।  पांचवा केस  करीरा का है जो दो दिन पूर्व जम्मू-कश्मीर से आया था। इन सबने अपनी जांच दो दिन पूर्व सरकारी अस्पताल कनीना में सैंपल देकर कराई जिसमें अस्पताल ने सैंपल रोहतक भेज कर जांच रिर्पोट ली जिसमें विभाग ने  पांचों लोगों को संक्रमित घोषित करार दिया।
अब कनीना उपमंडल में लगभग संक्रमितों का आंकड़ा 37 पहुंच गया है जो एक चिन्ता का विषय है। वही विभाग ने यह भी बताया कि उक्त सभी लोगों को पटीकरा में भर्ती कराया गया है तथा तीन अन्य लोगों को होम आइसोलेट किया गया है और इनके आसपास के लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है।
विभिन्न गांवों में की गई स्क्रीनिंग- कनीना क्षेत्र में पांच कोरोना के नए मामले सामने आने से जहां गांव करीरा,कोटिया,भडफ़ एवं ककराला में लोगों की स्क्रीनिंग की गई। इसके लिए विभिन्न टीमें गठित की गई जिनमें राकेश कुमार एमपीएचडब्ल्यू, सुनील कुमार एमपीएचडब्ल्यू, शीशराम सुपरवाइजर, सुशीला, सुमन एएनएम,राजबीर एवं शारदा नियुक्त किए गए थे।
विस्तृत जानकारी अनुसार करीरा में चार घर एवं 19 व्यक्ति कंटेनमेंट जोन तथा वहीं बफर जोन में 21 घर एवं 100 व्यक्ति शामिल किए गए हैं। भडफ़ में 6 घर तथा 23 व्यक्तियों को कंटेनमेंट जोन तथा 25 घर और 119 व्यक्तियों को बफर जोन में शामिल किया है। कोटिया में जहां 6 घर और 28 व्यक्तियों को कंटेनमेंट जोन में तथा 25 घर और 126 व्यक्ति बफर जोन में शामिल किए गया है इसी प्रकार ककराला में भी स्क्रीनिंग की गई है।
अब तक आए 37 के अब तक इस रोग से पीडि़तों के आ चुके हैं। कनीना क्षेत्र में अब तक अधिकांश रोगी ठीक हो चुके हैं महज एक कोरोना की मौत अब तक हुई है।  धीरे-धीरे कोरोना की केस अचानक बढऩे लगे हैं। जहां विगत 3 दिनों में 7 केस आए हैं।
क्या कहते हैं ऐसे में एसएमओ-
 डॉ धर्मेंद्र एसएमओ का कहना है कि नियमों का सही ढंग से पालन किया जाए तो रोगों से बचा जा सकता है। उनका कहना है कि जब कहीं बाहर जाना पड़े तो हाथों पर ग्लाव्ज, मुंह पर मास्क, सिर पर कुछ पहन कर धूप से बचाना चाहिए तथा रोग से बचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखना बहुत जरूरी है ताकि रोग से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि अच्छे ढंग के मास्क प्रयोग करने चाहिए वही अच्छे ढंग के सैनिटाइजर प्रयोग किये जाने चाहिए।
उन्होंने सभी नियमों का पालन करने की हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग और बच्चों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, वही किसी खास काम की वजह से बाहर जाना पड़े तो ही नियमानुसार ही जाना चाहिए। सभी मुंह, हाथ, नाक अच्छी प्रकार ढक लेने चाहिए। उन्होंने कहा अक्सर लोग मास्क तो लगा लेते हैं लेकिन वह दिखावे मात्र लगाती हैं जबकि नाकों को पूर्णता ढकना चाहिए।
फोटो कैप्शन 3: गांव करीरा में स्क्रीनिंग करते अधिकारी।

कोरोना केस बढ़कर हुये 37   28 जून को पांच नये केस करीरा,ककराला,कोटिया एवं भडफ़ में आए हैं। ककराला में दो केस नये हैं।
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 कुल केस 37      ठीक होकर वापस                                         आये-अधिकांश    मौत 01
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गांव का नाम         कोरोना पोजिटिव संख्या
1.   ककराला       04+2
2.   इसराना         02
3.   रामबास        02
4.   कनीना          05
5.   मोहनपुर        01
6.   सिहोर           02
7.  छीथरोली        01
8.   गोमला         01
9.   खैराना          01
10  धनौंदा          03
11  रसूलपुर        02
12  सेहलंग         01
13  गाहड़ा          01
14 दौंगड़ा अहीर    01
15  नांगल हरनाथ  01
16  मुडायन        01
17 करीरा          01+1
18 कोटिया         01
19 भडफ़           01
20 बचीनी          01
21 उच्चत           01
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वापस आये-अधिकांश ठीक होकर आये हैं। अब तक एक मौत हुई है

प्याज का कर रहे हैं स्टाक,बढ़ रहे हैं भाव, एक पखवाड़े में भाव दोगुने पहुंचे

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कनीना। क्षेत्र में प्याज उगाने वाले किसान अपने प्याज का स्टॉक कर रहे हैं। प्याज महंगी होती जा रही है। प्रति किलो भाव एक पखवाड़े में दोगुने हो गए हैं। मार्केट में प्याज 20 रुपये किलो पहुंच गई है। एक सप्ताह पहले भाव आठ रुपये किलो था।
  उल्लेखनीय है कनीना क्षेत्र के कई किसान प्याज उगाकर उसका स्टाक करने में लगे हुए हैं। वैसे किसान सूबे सिंह,राजेंद्र सिंह, अजीत कुमार ने बताया कि प्याज को लंबे समय तक स्टोर करना कठिन होता है। अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में देसी प्याज उगाई जाती है जो कुछ दिनों के बाद सडऩे लग जाती है। विशेषकर जब बारिश में मौसम होता है तो उस समय यह सड़कर बदबू देने लग जाती है किंतु सीकर कि प्याज लंबे समय तक चल सकती है। उन्होंने बताया कि किसानों में होड़ लगी हुई है कि अधिक से अधिक प्याज को स्टोर किया जाए।  यहां उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष विगत वर्षों गांव में भी प्याज बेचने के लिए रेहड़ी वाले, ऊंटगाड़ी तथा अपने ट्रैक्टर आदि में प्याज डालकर बेचने के लिए किसान आते थे किंतु इस बार कम किसान प्याज बेचने आ रहे हैं। इस बार यदि प्याज का भाव देखा जाए तो बड़े-बड़े शहरों में भी प्याज 20 से 25 रुपये किलो बिक रही है। किसान बताते हैं कि इस वक्त प्याज जब खोदी जाती है तो काफी सस्ती होती है। किसान अपनी प्याज का स्टॉक कर रहे हैं ताकि महंगे दामों पर उसे बेच सके।
 उधर प्रोग्रेसिव किसान महावीर सिंह करीरा ने बताया कि प्याज का स्टॉक लंबे समय तक नहीं चल सकता। अधिकतम दो ढाई महीने तक प्याज को रखा जा सकता है। आने वाले समय में क्या रंग दिखाएगी और कितने लोगों को की आंखों में आंसू लाएगी।
फोटो कैप्शन 5: प्याज की फोटो।


कर्जा देने संबंध में आयोजित की गई बैठक

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कनीना। कनीना नगर पालिका में पालिका प्रधान सतीश जैलदार के अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई जिसमें क्षेत्र के विभिन्न रेहडी/ ठेले पर फल/सब्जी बेचने वाले लोगों को आमंत्रित किया गया। बैठक में सरकार की योजना पर विचार किया गया।
पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि 60त्न7 प्रतिशत ब्याज दर पर उन्हें 10 हजार रुपये तक का लोन दिया जा सकता है। उसके लिए नगरपालिका तसदीक करके देगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए शर्त है कि वह नगर पालिका द्वारा प्रदत्त या निर्धारितजमीन पर ही ठेला लगाता हो ,कहीं अतिक्रमण न करके चलते फिरते रूप में सामान बेचता हो। उन्हें यह राशि उपलब्ध करवाई जा सकती है। प्राप्त राशि को समय पर लौटा देता हैं तो बैंक भविष्य में ज्यादा राशि देने को तैयार हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि बताया कि इस बार बैठक में बहुत कम ठेले वाले लोग पहुंचे। जबकि लोगों को बार-बार सूचना दे दी गई थी। उनका कहना कि भविष्य में एक बार फिर इसी संबंध में बैठक आयोजित होगी ताकि गरीब तबके के ठेले पर फल सब्जी बेचने वालों को यह राशि बैंक द्वारा उपलब्ध करवाई जा सके।
 फोटो कैप्शन 6: नपा में बैठक का एक नजारा।



टिड्डी से हुये नुकसान की भरपाई करने की मांग

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कनीना।बहुजन समाज पार्टी के नेता एवं समाजसेवी ठाकुर अतरलाल एडवोकेट ने राज्य सरकार तथा जिला प्रशासन से टिड्डी दल से फसलों को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए प्रभावित किसानों को मुआवजा देने की मांग की है।
 अतरलाल ने टिड्डियों से हुए नुकसान से प्रभावित गांव दौंगड़ा अहीर, दौंगड़ा जाट, मुंडिया खेड़ा, बेवल, झिंगावन,  सुंदरह, भोजावास, गोमला, गोमली, मोड़ी, अटाली, सागरपुर, खैरानी, खैराना, रातां, मोहलड़ा,गढ़ी खारीवाड़ा आदि गांवों के किसानों की फसल को हुए नुकसान का मौके पर जायजा लेने के बाद कहा कि टिड्डी दल ने किसानों की लहलहाती कपास और बाजरा की फसल तबाह कर दी है। उन्होंने कहा कि खेतों में उजड़ी फसलों को देखकर किसान हैरान-परेशान हैं। उन्होंने राज्य सरकार तथा जिला प्रसाशन से तत्काल विशेष गिरदावरी करवाकर प्रभावित किसानों को कपास की फसल में हुए नुकसान का उचित मुआवजा देने की मांग की। इस अवसर पर मौजूद किसान अनिल, गजराज, राजेश, राजपाल, उत्तम, सुरेश, कैलाश, राज, बलबीर, रतन सिंह, ओमप्रकाश, शेर सिंह, भगत सिंह ने बताया कि टिड्डियों से हुए नुकसान के कारण कई किसान सदमे में हैं। यदि सरकार तथा जिला प्रशासन ने तत्काल मुआवजा देने की कार्रवाई शुरू नहीं की तो किसान आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।
फोटो कैप्शन 1: टिड्डी दल का नुकसान देखते हुए किसान एवं नेता।

ककराला में सार्वजनिक पुस्तकालय का हुआ उदघाटन

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कनीना। संस्था की चतुर्थ वर्षगांठ के अवसर पर बाबा भैया सेवा दल के तत्वावधान में ककराला में सार्वजनिक पुस्तकालय का उद्घाटन डॉ कर्मवीर द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष रहे रामेश्वर दयाल ने बताया कि संस्था डॉ कर्मवीर के विचारों से बहुत प्रभावित थी औऱ गत 2 वर्ष उनके टेलेंट कार्यक्रम में रखें विचारों से उन्हें बहुत हौसला मिला कि आज के समाज में हरेक गांव में एक सार्वजनिक पुस्तकालय का होना बहुत आवश्यक है। इससे युवाओं को नई दिशा मिलेगी और पूरे गाँव का वातावरण बदलेगा।
डॉ कर्मवीर ने बताया कि उनका सपना है कि क्षेत्र में कम से कम 50 पुस्तकालय ऐसे विकसित हों जहाँ आज का युवा जुड़ सके और उनके लिये वो सदैव प्रयासरत रहेंगे। उन्होंने संस्था के सभी सदस्यों व स्वयंसेवकों का उत्साह बढ़ाया और कहा संस्था क्षेत्र में एक अनुकरणीय उदाहरण देने के लिये आगे बढ़ रही है। वो हरेक स्तर पर सँस्था के साथ खड़े हैं और इस पुस्तकालय हेतु भी विशेष धनराशि के साथ उन्होंने पुस्तकों का खजाना बढ़ाने के लिये आहुति दी। उन्होंने कहा यह पुस्तकालय केवल पुस्तकों के लिये होगा, बल्कि एक सम्पूर्ण ज्ञान संग्रहालय के रूप में विकसित होगा। हम यहां हर रचनात्मकता को सम्मान देंगे, सिस्टम से जुड़े लोगों को युवाओं के लिये उनके अनुभव शेयर करने हेतु सेमिनार आयोजित करेंगे। हमें हर चैलेंज का सामना करेंगे और अपने विचार के लिये सदैव प्रयासरत रहना है।
संस्था के कोर कमेटी सदस्य नवीन कुमार ने बताया कि पुस्तकालय की सभी गतिविधियों व पुस्तकों की जानकारी घर पर उपलब्ध करवाने हेतु संस्था की मोबाइल ऐप पर पुस्तकालय लिंक भी डाला गया है। यह लिंक अजय कुमार इंजीनियर ने नि:शुल्क विकसित करके दिया है। सँस्था पुस्तकालय को अभी प्रथम दो महीने के लिये सीमित संसाधनों के साथ ही आमजन के उपयोग हेतु खोल रही है व इसके बाद आगे विस्तार के लिये आमजन उपयोग कर्ताओं से सुझाव लिये जायेंगे। संस्था पुस्तकालय के लिये अलग से एक प्रबंधन कमेटी गठित करके उसको यह पुस्तकालय सौंपेगी जिसमें ग्राम के स्वेछुक व्यक्ति इसके स्थायी सदस्य बन सकते हैं।
इस पुस्तकालय को योजना रूप देने में अजय कुमार ने अपना घर संस्था को पुस्तकालय भवन के रूप में उपयोग हेतु नि:शुल्क भेंट किया है और युवा स्वयं सेवक अभिषेक ने इस पुस्तकालय हेतु अग्रिम भूमिका निभाई है जिसके लिये डॉ कर्मवीर ने उनको सम्मानित किया।
साथ ही संस्था ने वर्षगांठ के अवसर पर पिछले एक वर्ष से पौधारोपण अभियान में पौधे गोद लेकर देखभाल करने वाले सभी स्वयंसेवकों को ककराला के ग्रीन हीरो  के नाम से प्रशस्ति पत्र व टी शर्ट्स देकर सम्मानित किया गया। गत वर्ष के संस्था के बड़े कार्यक्रमों में अग्रिम भूमिका देने वाले कार्यकर्ताओं में सुंदर लाल, मा मनमोहन सिंह, कुलदीप को भी प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
कृश यादव पुत्र सतीश कुमार, सुनील कुमार पुत्र रामनिवास व अजय कुमार पुत्र सतबीर सिंह को वर्ष 2019-20 के लिये संस्था के सर्वश्रेष्ठ स्वयंसेवक के तौर पर साईकिल, टी शर्ट्स व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। डॉ राजीव को कोरोना योद्धा का प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
इस मौके पर बनवारीलाल स्टेट अवार्डी, पूर्व प्रधान डॉ राजीव व राममेहर, कोषाध्यक्ष मदनपाल, नवीन कुमार, मनोज कुमार, मा. सुनील कुमार, मा. गुलशन, रामकिशन, बोबी, जगदेव, संस्था के स्वयंसेवक व अन्य ग्रामीण मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 2: पुस्तकालय का उद्घाटन करते हुए प्रो कर्मवीर।


Saturday, June 27, 2020

 कोरोना केस बढ़कर हुये 38   कोटिया में नया केस आया
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 कुल केस 38      ठीक हुये अधिकांश    मौत 01
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गांव का नाम         कोरोना पोजिटिव संख्या
1.   ककराला       06
2.   इसराना         02
3.   रामबास        02
4.   कनीना          05
5.   मोहनपुर        01
6.   सिहोर           02
7.  छीथरोली        01
8.   गोमला         01
9.   खैराना          01
10  धनौंदा          03
11  रसूलपुर        02
12  सेहलंग         01
13  गाहड़ा          01
14 दौंगड़ा अहीर    01
15  नांगल हरनाथ  01
16  मुडायन        01
17 करीरा          02
18 कोटिया         01+1
19 भडफ़           01
20 बचीनी          01
21 उच्चत           01
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वापस आये-अधिकांश ठीक होकर आये हैं। अब तक एक मौत हुई है



 टिडृडी से हुए नुकसान का जायजा लेने पहुंचे एसडीएम
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दौंगडा अहीर व झिगावन सहित खेतों का किया दौरा
किसानों की फसल देख की किसानों से बातचीत, किसानों ने की मुआवजे की मांग
 कनीना: एसडीएम कनीना रणबीर सिंह ने अटेली के विधायक सीताराम यादव व जिला उपायुक्त आरके सिंह के दिशा-निर्देश पर उपमंडल में टिडृडी दल से हुए नुकसान का जायजा लिया। एसडीएम ने नुकसान का जायजा लेते हुए किसानों को जागरूक करते हुए कहा कि खतरा अभी टला नहीं है। कृषि विभाग की रिर्पोट के अनुसार अभी और भी टिडृडी दल सक्रिय है। इस लिए किसान अपने खेतों की निगरानी रखे व टिडृडी दल की सूचना तुरंत ही प्रशासन को दे। ताकि समय रहते सूचना मिलने पर तुरंत प्रशासन की ओर से राहत व बचाव कार्य शुरू किया जा सके।
शनिवार को एसडीएम ने गांव दौंगडा अहीर, झिगावन, बेवल, सुंदरह, भोजावास, मोडी, गोमला आदि स्थानों का दौरा किया। एसडीएम किसानों के साथ खेतों में गए व नुकसान को देखा। दौंगडा गांव के सरपंच नीतू यादव, किसान शेरसिंह, छाजूराम, अनिल, शुक्रम नंबरदार, सतपाल, सुनील, महावीर व झिगावन गांव से सरपंच प्रियंका देवी सहित किसानों ने एसडीएम को खेतों में हुए नुकसान की जानकारी दी। किसानों से एसडीएम के सामने मुआवजे की मांग की। एसडीएम ने उचित कार्रवाई का किसानों को आश्वासन दिया।
विदित रहे कि गत दिवस शुक्रवार को टिडृडी दल कनीना उपमंडल के गांव दौगडा अहीर, झिगावन, भोजावास, गोमला, बेवल, सुंदरह, होते हुए रेवाडी की सीमा में प्रवेश कर गया था। हालांकि प्रशासन की सजगता व किसानों के सहयोग से टिडृडी दल को यहां से भगाने में कामयाब रहा था। प्रशासन की ओर से स्वयं एसडीएम रणबीर सिंह, नायब तहसीलदार सतपाल, एसइपीओ दिनेश कुमार, कनीना थाना इंचार्ज इंस्पेक्टर विनय कुमार, सहित गांव के सरपंच, नंबरदार, पटवारी व ग्राम सचिव मौके पर पहुंच टिडृडी दल को नुकसान करने से बचाने की कोशिश की व टिडृडी दल को उपमंडल के खेतों से भगाने में कामयाबी हासिल की थी।
खतरा अभी टला नहीं
एसडीएम रणबीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान में बहुत से टिडृडी दल सक्रिय है। लेकिन प्रशासन भी किसानों की फसलो को बचाने में पूरी तरह से तैयार है। एसडीएम ने गांव के सरपंचों व किसानों से अपील की है  िकवे खेतों में ंपूरी नजर रखे व टिडृडी दल को भगाने के लिए तेज आवाज करें ताकि वे फसल को नुकासन होने से बचा सके।
आखिर रंग लाई बैठक
एसडीएम रणबीर सिंह ने शुक्रवार को सुबह टिडृडी दल को भगाने के लिए अधिकारियों की बैठक ली। बैठक के बाद अधिकारी अलर्ट मोड पर आ व टिडृडी दल को भगाने में कामयाब रहे।
टिडृडी दल को देखते हुए छुटृटी रद
एसडीएम ने टिडृडी दल के खतरे को भांपते हुए पहले ही सभी कर्मचारियों की छुटृटी पर पहले ही रोग लगा दी थीै। इसके साथ प्रशासन की ओर से उपमंडल के गांवों में लगातार मुनादी कर ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है। एसडीएम स्टाफ के साथ-साथ एसडीएम भी गांवों में जाकर लोगों को जागरूक कर रहे है।
वर्जन
शुक्रवार को उपमंडल के कई गांवों में टिडृडी दल पहुंच गया था। हालांकि प्रशासन व लोगों की सजगता से टिडृडी दल को भगाने में कामयाबी मिली है। लेकिन हमें अब भी अपनी फसल का पूरा ध्यान रखना है व कहीं भी टिडृडी दल दिखाई देते तो एसडीएम कार्यालय के कंटोल रूम नंबर 01285235044 पर इसकी सूचना अवश्य दें।
रणबीर सिंह, एसडीएम, कनीना उपमंडल।




कोरोना के कस बढ़ रहे हैं। उच्चत में एक केस कोरोना पाजिटिव और आ गया है। धीरे धीरे केस बढ़ ही रहे हैें।
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कनीना के अधिकांश जंगलों का अस्तित्व खतरे में
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कनीना। कनीना क्षेत्र में विभिन्न सरकारी जंगलों(बेणियों) में अवैध कब्जा बढ़ता ही जा रहा है। चारों ओर से किसानों ने पेड़ काट काट कर जंगलों का विनाश कर दिया है। कनीना की बड़ी बेणी(जंगल), छोटी बेणी  मानका वाली बेणी, रनास वाली बेणी सभी लगभग समाप्त होने के कगार पर हैं। सरकार को पैमाइश करवा कर समस्त सरकारी जमीन अपने कब्जे में लेनी चाहिए। पेड़ों की कटाई करने वालों पर भी कार्रवाई की जाए। कुछ जन अवैध पक्के मकान बनाकर बिजली कनेक्शन, पानी आदि सभी सुविधाएं लेकर के सरकार को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
  मिली जानकारी अनुसार कनीना पालिका के करीब 335 कनाल 16 मरला जमीन कृषि योग्य है वहीं कोटिया गांव के पास रणास की बेणी(जंगल)32 कनाल पांच मरला है जहां सीवर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लग चुका है वहीं बड़ी बेणी करीब 800 कनाल की है जिसमें से 58 एकड़ डीएवी को 99 सालों के पट्टे पर, पांच एकड़ गौशाला के लिए तथा दस एकड़ वन विभाग एवं वाटर सप्लाई हेतु दिया हुआ है, 115 प्लाट भी बने हुए हैं। करोड़ों की लागत से कान्ह सिंह पार्क भी बना है। पीपलावाली बेणी 125 कनाल, मानका वाली बेणी एक एकड़ आठ मरला  82 कनाल, दस मरला है।
  सभी बणियां चारों ओर से पेड़ काटकर संकीर्ण बना डाली हैं वहीं अवैध निर्माण करके बिजली पानी कनेक्षन भी ले रखे हैं। जंगली जीव लुप्त हो गए हैं वहीं जंगलों के एक सिरे से दूसरे सिरे तक आर पार देखा जा सकता है। इनकी पैमाइश करवाकर पौधारोपण करवाने की मांग बढऩे लगी है।



पर्यावरण सुधारने में निभा रहे हैं अहम भूमिका

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 कनीना। कनीना क्षेत्र में कई ऐसे किसान और समाजसेवी है जिन्होंने पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए अहम भूमिका निभाई है। वे अपने मिशन में निरंतर अग्रसर है। उनका कहना है कि वे ताउम्र पेड़ पौधे लगाएंगे प्रदूषण से समाज को बचाएंगे, वही ताप घटाने में भी पेड़ पौधे लगाकर हम भूमिका निभाएंगे।
अजीत कुमार कनीना अपने ट्यूबवेल पर रहने वाले अजीत कुमार पेड़ पौधों के मित्र कहलाते हैं। उन्होंने फलदार, फूलदार तथा छायादार पौधे लगाकर क्षेत्र हरा-भरा बना रखा है। उनका ट्यूबवेल पेड़ पौधों के कारण आकर्षण का केंद्र है। गजराज सिंह मोड़ी को हरियाणा सरकार ने सम्मानित किया हुआ है। उन्होंने किन्नू का बाग भी लगाया है वही विभिन्न फलदार पौधे ट्यूबवेल पर लगाकर लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं। कृषि क्षेत्र में भी वे आर्गेनिक खेती कर रहे हैं। वर्षा का जल संरक्षित कर रहे हैं।
 किसान महावीर करीरा नेे नींबू, बेरी, लेहसवा आदि के बाग लगा रखे हैं। वे केंचुआ खाद बनाने में अग्रणी है और सरकार द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। पर्यावरण को बचाने में पेड़ पौधे, फलदार, फूलदार पौधे लगाने के अतिरिक्त उर्वरकों से भूमि को बचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
राजेंद्र सिंह जिन्हें लोग डॉक्टर नाम से पुकारते हैं, केंचुआ खाद बनाने में, आम, नींबू, अमरूद, अंगूर आदि के पौधे लगाने में अहम योगदान दिया है।वे बिना उर्वरक की सब्जियां एवं फल उगाने में माहिर हैं। जंगली जीवों को बचाने के लिए कार्यक्रम चलाते हैं। अपने ट्यूबवेल पर आर्गेनिक खेती करते हैं। अभ्यारण्य खोलना चाहते हैं। राजेंद्र सिंह के भाई सूबे सिंह है। दोनों भाइयों की जोड़ी पर्यावरण बचाने की मिसाल है। वे भी देसी फल सब्जियां उगाकर लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं।  रविंद्र कुमार पूर्व शिक्षक कनीना सभी पर्वों पर खर्च की जाने वाली राशि पेड़ों पर खर्च करके महकता हुआ किचन गार्डन बना रखा है। उन्होंने 300 चीकू के पेड़, मौसमी, नींबू, आंवला जामुन आदि उगाकर क्षेत्र में नाम कमाया है। सेवानिवृत्ति के बाद पेड़ पौधों की रक्षा का एक ही ध्येय लेकर चल रहे हैं।
फोटो कैप्शन: गजराज मोड़ी, महावीर करीरा, राजेंद्र सिंह, रविंद्र कुमार सूबे सिंह, अजीत कुमार।



बढ़ता जा रहा है ग्रामीण क्षेत्रों में भी कैंसर, खान पान में आई कमी

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कनीना। कैंसर आए दिन जिंदगियां लील रही है। डाक्टरों को कहना है कि इस रोग के पीछे खान पान एवं विकिरण हैं। शरीर में प्रतिजैविक एवं प्रतिरक्षी पदार्थों की कमी आने से ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी बीमारी से तंग आ चुके हैं। अब तो ग्रामीण लोग भी इस रोग से पीडि़त होने लगे हैं।
    कस्बा कनीना एवं आस पास गांवों में ही नजर डाले तो आए दिन कोई न कोई कैंसर से पीडि़त व्यक्ति नजर आता है। विगत वर्षों में कैंसर जैसी घातक बीमारी ने प्रो हंसराज यादव, प्रसिद्ध लेखिका सुमन यादव, रतन लाल मित्तल, पत्रकार देवेंद्र निंभल,  कैप्टन अशोक साहब, प्रसिद्ध नेता विनोद अग्रवाल को लील लिया है। कितने ही अन्य जन कैंसर ने लील लिए हैं।
  कैंसर रोग के पीछे वैध श्रीकिशन करीरा का कहना है कि बेहतर एवं संतुलित खान पान न होने से रोग बढ़े हैं। उनका मानना है कि अगर संतुलित आहार नियमित रूप से मिलता रहे और भोजन में सब्जी, फल का मिश्रण हो तो रोग कम होने की संभावना बन जाती है। बीज एवं दवाएं विके्रता महेश कुमार, कुलदीप कुमार, बिजेंद्र सिंह, खेतों में डाले जाने वाली रासायनिक दवाइयां, उर्वरक, वातावरण प्रदूषण एवं हानिकारक विकिरण के चलते कैंसर जैसे रोग बढ़े हैं। कैंसर पर काबू नहीं पाया गया है। उधर पार्षद कनीना मोहन सिंह,सुमेर सिंह चेयरमैन, महेंद्र शर्मा झाड़ली का कहना है कि  कभी गांवों का खान पान बेहतर होता था इसी लिए गांवों में ये बीमारियां ना के बराबर होती थी। अब व्यायाम, दिनचर्या बदल जाने से बीमारी बढ़ रही है। उधर रवि कुमार, सुरेश कुमार, सुनील कुमार आदि का कहना है कि मोबाइल, कंप्यूटर एवं टीवी का अधिक प्रयोग भी इस रोग में सहायक है।
 डा वेदप्रकाश का कहना है कि पेड़ पौधे लगाने की हाबी होनी चाहिए, खेतों में देशी खाद का प्रयोग करे, सुबह शाम घूमने जाए जिस से हमारा शरीर निरोग रहे। फोन आदि कम प्रयोग करे, बाजार की फल एवं सब्जियां धोकर प्रयोग करे। शरीर में गांठ होने पर तुरंत जांच करवाए।



कनीना को विधानसभा क्षेत्र तोडऩे का गम बरकरार है आज भी

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 कनीना। कनीना कभी विधानसभा क्षेत्र होता था जिसे तोडऩे का गम आज भी लोगों को हैं। 1972 के चुनावों तक कनीना विधानसभा क्षेत्र होता था। वर्तमान में अटेली तो इससे पूर्व जाटूसाना में रहकर कनीना के विकास कार्यों को धीमी गति मिली है। कनीना अपना खोया हुआ सम्मान पाना चाहता है।
 उल्लेखनीय है कि 1972 में कनीना विधानसभा का अंतिम चुनाव हुआ था जिसमें विशाल हरियाणा पार्टी से कनीना निवासी दलीप सिंह 20261 मत लेकर विजयी हुए थे जबकि हारने वाले प्रत्याशी सूबेदार ओंकार सिंह आइएनसी को 17134 मत मिले थे। 1972 से पहले भी दिलीप सिंह विधानसभा के एमएलए रहे थे वही सूबेदार ओंकार सिंह भी कनीना के एमएलए रहकर मंत्री पद तक पहुंचे थे। किंतु 1972 के चुनाव के बाद हलके को तोड़कर जाटूसना विधानसभा के तहत डाल दिया गया। यद्यपि जाटूसना से चुना गया प्रत्याशी कई बार मंत्री पद पर रहा लेकिन कनीना के विकास कार्यों की ओर बहुत कम ध्यान दिया जिसके चलते कनीना पिछड़ता चला गया। तत्पश्चात कनीना अटेली विधानसभा में क्षेत्र के तहत डाल दिया गया। तब भी कनीना वासियों की हालात बेहतर नहीं बनी। अटेली से पूर्व विधायक अनीता यादव ने कनीना का उपमंडल का दर्जा जरूर दिलवाया था।
   यद्यपि कनीनावासी 2007 में विधानसभा परिसीमन आयोग के समक्ष पेश हुए किंतु कनीना को विधानसभा का दर्जा नहीं मिला। कनीना अगर विधानसभा क्षेत्र होता तो विकास के क्षेत्र में अग्रणी कस्बा होता। वर्तमान में कनीना कस्बा उपमंडल का दर्जा लिए हुआ है किंतु विधानसभा नहीं है। दुर्भाग्य उस समय होता है जो कनीना खास रेलवे स्टेशन पर फास्ट और सुपरफास्ट ट्रेन तक ठहरा नहीं करती। कनीना के विकास कार्य जिस गति से होने चाहिए नहीं हो पा रहे।  आज भी जब विधानसभा की बात चलती है तो लोग 1972 के दिनों को याद कर बैठते हैं।

स्कूल को किया सेनिटाइज 

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कनीना। शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में सुरक्षा के दृष्टिगत सैनिटाइजर सोडियम  हाइड्रोक्लोराइड का घोल भेजा गया है। जिसका राजकीय प्राथमिक पाठशाला तथा राजकीय उच्च विद्यालय भडफ़ के सभी कमरों,बरामदे में खेल के मैदान को सैनिटाइज करवाया गया। स्कूल प्रभारी महेश कुमार, अध्यापक फूलचंद की देखरेख में यह कार्य पूर्ण किया गया। इस अवसर पर विद्यालय प्रभारी ने सरकार एवं विभाग द्वारा दिए किये गये प्रयास की काफी सराहना की। उन्होंने कहा कि स्कूलों में सेनिटाइजर से सेकनिटाइज किया गया है। कुछ स्कूलों में तो शेल्टर होम स्थापित किए गए थे, जहां भारी संख्या में श्रमिक ठहरे थे, ऐसे में उन स्कूलों और कमरों को सैनिटाइज करके ही भविष्य में विद्यार्थियों को बैठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सभी विद्यालयों में शिक्षकों को पूर्ण रूप से बुलाया जा रहा है, ऐसे में वहां सुरक्षा की दृष्टि से सैनिटाइजर होना जरूरी है। यही कारण है कि स्कूलों में सरकार ने सैनिटाइजर भेजे थे जिसकी सहायता से अब स्कूलों में को सैनिटाइज किया जा रहा है। फूलचंद अध्यापक ने बताया कि उनका स्कूल सदा ही इस प्रकार के कार्य में गहरी रुचि दर्शाता है और उनके स्कूल में सैनिटाइजर दिये गये हैं जिनकी सहायता सेस्कूलों को सेनिटाइज किया जाएगा।
फोटो कैप्शन 1: स्कूल में सेनिटाइजर से सेनिटाइज करते हुए।



बैंक कर्मचारियों ने लगाए पौधे 

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 कनीना। एचडीएफसी बैंक कनीना ने कनीना खास रेलवे स्टेशन के बाहर पौधारोपण किया और गो ग्रीन प्लांट्स के तहत हर वर्ष की भांति यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। विस्तृत जानकारी देते हुए ब्रांच मैनेजर देवेंद्र शर्मा ने बताया कि उनका उद्देश्य है अधिक से अधिक पौधे लगाए जाए। हर वर्ष उनकी शाखा पौधारोपण करती है ताकि हरियाली बढ़ सके। उन्होंने कहा कि पौधारोपण अभियान अगले माह चलेगा किंतु बारिश होने वाली है। इसलिए उन्होंने पौधारोपण किया है। इस अवसर पर यूनिट हेड के प्रीतम सिंह, मनोज दहिया आदि उपस्थित थे। पर्यावरण को साफ एवं स्वच्छ बनाने के लिए एचडीएफसी बैंक हर समय तैयार रहता है।
फोटो कैप्शन दो: पौधा रोपण करते हुए एचडीएफसी बैंक के कर्मचारी एवं अधिकारी।


Friday, June 26, 2020


आहट सुनाई देने लग गई है टिड्डी दल की
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 कनीना। जिला महेंद्रगढ़ के आसपास की टिड्डी दल की आहट सुनाई देने लग गई है। जिसके चलते प्रशासन और किसान सतर्क हो गए हैं। टिड्डी दल जिस खेत में प्रवेश कर जाता है उस खेत को तबाह करके ही दम लेता है। जहां टिड्डी दल रात के समय बैठता है/आराम करता उस समय इसको स्प्रे करके मारा जा सकता है।
 कनीना खंड कृषि अधिकारी गजानंद शर्मा ने बताया कि टिड्डी दल जब कहीं आए तो शोर शराबे करके इसे भगाया जा सकता है। डीजे बजा कर,कचोला, कांशी के बर्तन, छाज पीटकर, पीपा बजाकर तथा घरेलू उपकरण आदि से भगाया जा सकता है और इसे बैठने से रोका जा सकता है।
जब टिड्डी दल रात को बैठ जाता है तो इस पर स्प्रे करके इसको खत्म किया जा सकता है अन्यथा इसे लाठी-डंडों से नहीं मारा जा सकता।
 उन्होंने बताया कि 2 बाई 2 किलोमीटर में लाखों टिड्डी दल चलते हैं और 1 दिन में 35,000 लोगों का खाना चट कर जाते हैं। ऐसे में जब भी कभी भी टिड्डी दल दिखाई दे तो तुरंत खंड कृषि अधिकारी कार्यालय में सूचना देनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि मौसम यदि अनुकूलित हुआ तो यह प्रवेश कर सकता है। यह सदा हवा की दिशा में ही चलता है। प्रतिदिन डेढ़ सौ किलोमीटर दूरी हवा की दिशा में तय कर सकता है। उन्होंने बताया कि यदि पछुआ हवा चलेगी तो हमारे इस क्षेत्र में टिड्डी दल आने की संभावना घट जाती है। उन्होंने बताया कि सावधानी में ही बचाव है। टिड्डी दल को रोकने के लिए जरूरी है कि समय पर सावधान रहें।
यूं तो टिड्डियों  ने कई देशों को परेशान कर रखा है वहीं देश देश के कुछ राज्य टिड्डी दल के कहर से जूझ रहे हैं। गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र इस समय टिड्डी दल से परेशान है। दिल्ली और यूपी भी अलर्ट है। किंतु जहां कहीं भी जाये वहां सब कुछ तबाह कर देते हैं।
माना जाता है कि पूरी धरती के 1/5 भाग को कवर कर सकता है। टिड्डी दल संसार की 1/10 जनसंख्या की रोजी.रोटी छीन सकते हैं। जग में 60 देशों में इसका कहर चल रहा है।
हनीमून ट्रिप पर आता है टिड्डी दल---
भारत में मॉनसून से पहले अपनी संख्या बढ़ाने के लिए टिड्डी दल भारत में आता है। भारत में कई जगह कहर बरपाने को तैयार है। ये अजीब जीव संख्या बढ़ाने के साथ साथ फसल को तबाह कर देते हैं।
कैसे हो पहचान-
टिड्डी दल झुंड में ही चलते हैं। मेटिंग के दो दिन बाद ही पीले टिड्डी अंडे देते हैं। मादा जमीन में करीब 6 इंच गहराई पर अंडे देती है। उस जगह सूराख हो जाता है और सूराख के मुंह पर सफेद पाउडर सा दिखाई पड़ता है। ऐसे में टिड्डी दल तीन-चार दिन एक जगह रुकते हैं।
अंडे से लारवा निकलकर 30 दिन में ही पूरा वयस्क हो जाता है। दिनभर ये उड़ते हैं और शाम होते ही पेड़ों पर पौधों पर बैठ जाते हैं। रात भर बैठे रहते हैं फिर सूरज उगने के साथ ही उडऩे लगते हैं। ऐसे में खेत में आने से रोकने के लिए डीजे साउंड या जोर से ढोलक, ड्रम, थाली आवाज की जाये जो इन्हें पसंद नहीं है। साउंड इनको पसंद नहीं है। इससे ये भागते हैं।
इनको मारने के लिए मालाथियान, क्लोरोपाइरीफास आदि नाम के पेस्टिसाइड का छिड़काव किया जाता है।



















विभिन्न सरपंचों को निकाला ड्रा 
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 कनीना। कनीना खंड के सरपंच पदों के लिए आरक्षण का कार्य कनीना एसडीएम कार्यालय में संपन्न हुआ। एसडीएम रणवीर सिंह की अध्यक्षता में यह कार्य पूर्ण हुआ। इस मौके पर महिला आरक्षित गांव में 14 गांव शामिल है जिनमें अकबरपुर नांगल, सीहोर, भालकी, सिगड़ा, ढाणा, सेहलंग, धनौंदा, नौताना, गाहड़ा,मोहनपुर गुढ़ा, मानपुरा, झाड़ली और कपूरी है वहीं अनुसूचित जाति महिला के लिए 4 गांव आरक्षित हुए हैं जिनमें मोड़ी,उच्चत, सिगड़ीऔर गगड़वास है।
 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सात गांव हुए जिनमें  कोटिया,मुडायन, बूचावास, कोका पड़तल, अगिहार और बचीनी है। उधर बचे हुए अनारक्षित 27 गांव हैं जिनमें आनावास, भोजावास,बेवल, बवानिया बागोत, चेलावास, छितरौली, गोमला, इसराणा, झीगावन,झगड़ोली, कैमला, करीरा, खैराना ककराला, खेड़ी, नांगल, खेड़ा, रसूलपुर, रामबास, पोता, पाथेड़ा, पोता, रसूलपुर, स्याणा, सुंदरह,उन्हाणी और तलवाना शामिल है।
फोटो कैप्शन 4: आरक्षण करते हुए एसडीएम कनीना।

कनीना खंड के गांव में टिड्डी दल ने बोला धावा

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कनीना। खंड के गांव झीगावन में टिड्डी दल ने धावा बोल दिया। समूचा प्रशासन टिड्डी दल से राहत पाने के लिए जुट गया है। जहां ढोल नगाड़ों से उनको भगाया जा रहा है वहीं आगामी कार्रवाई में प्रशासन जुटा  है ।वर्तमान में टिड्डी दल भारी मात्रा में बाजरे के क्षेत्रों में बैठा हुआ है और उनको ग्रामीण बर्तन बजाकर भगा रहे हैं।
फोटो कैप्शन 5: झीगावन के खेतों में टिड्डी दल को देखते अधिकारी।

पेमेंट जल्द करवाने का आश्वासन

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कनीना। कनीना मंडी में विधायक अटेली सीताराम समक्ष कुछ किसान पेश हुए और उन्होंने उनकी सरसों पेमेंट करवाने की मांग की। विधायक सीताराम ने उच्च अधिकारियों से बात करके उन्हें आश्वस्त किया कि जल्द ही उनकी सरसों की पेमेंट कर दी जाएगी।
 किसानों ने बताया कि विगत दिनों सरकारी तौर पर सरसों बेची गई थी जिसमें 3166 बैग के पैसे अभी तक किसानों को नहीं मिले हैं। किसानों ने मांग की कि जल्द से जल्द उनकी पेमेंट करवाई जाए। मौके पर ही सीताराम विधायक ने उच्चाधिकारियों से बात की और उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी पेमेंट नहीं रोकी जाएगी।


वीरेंद्र सिंह को चेयरमैन तथा समुंदर सिंह को उप चेयरमैन चुना गया 

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 कनीना। कनीना कोऑपरेटिव मार्केटिंग सोसायटी कनीना, बोर्ड ऑफ  डायरेक्टर के चुनाव संपन्न हुए। जिसमें सर्वसम्मति से चेयरमैन वीरेंद्र कुमार गुढ़ा को तथा उप चेयरमैन समुंदर सिंह छितरौली को चुना गया।
 विस्तृत जानकारी देते हुए चेयरमैन हैफेड मैनेजर सत्येंद्र सिंह यादव ने बताया की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के चेयरमैन तथा उप चेयरमैन के लिए पांच चुने हुए तथा तीन मनोनीत सदस्य हाजिर थे। पीठासीन अधिकारी सतीश रोहिल्ला उप-रजिस्ट्रार सहकारी समिति भिवानी उपस्थित थे। वहीं 5 डायरेक्टर नरेंद्र सिंह समुंदर सिंह, शुगन सिंह, संतरा देवी, केसर सिंह के साथ राम कुमार डीएम हैफेड नारनौल, सुधीर अहलावत सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति महेंद्रगढ़, चंद्रभान निरीक्षक निरीक्षक सहकारी समिति कनीना सरकारी सदस्य बतौर हाजिर हुये। मौके पर समुद्र सिंह ने वीरेंद्र सिंह का नाम चेयरमैन के लिए प्रस्तावित किया और उन्हें सर्वसम्मति से चुन लिया गया। वहीं उप प्रधान के लिए समुद्र सिंह का नाम शुगन सिंह गुढ़ा ने प्रस्तावित किया और उन्हें सर्वसम्मति से उप चेयरमैन चुना गया। इस मौके पर विधायक सीताराम यादव भी उपस्थित थे। तत्पश्चात चुने हुए पदाधिकारियों ने मिलकर सीताराम यादव का आभार व्यक्त किया और उनसे आशीर्वाद पाया। फोटो कैप्शन 3: सीताराम यादव के पास बैठे चेयरमैन एवं उपचेयरमैन।

सरसों की खरीद न होने से परेशान
-खरीद किये जाने की मांग बढ़ी

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कनीना। कनीना क्षेत्र में किसानों की सरसों न बिकने से किसानों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। किसानों का कहना है कि सरसों नहीं खरीदे जाने से उनके घर के काम ठप हो गये है। जहां खरीफ फसल की बिजाई चल रही है  वहीं रबी फसल की पैदावार घरों में पड़ी हुई है। किसानों ने बताया कि सरसों की सरकारी खरीद न होने से परेशानी बढ़ी है। तेल मिलों पर ही सरसों बेची जा सकती है किंतु किसानों का कहना है कि वहां अच्छे भाव नहीं मिलते हैं।
किसान मोहन कुमार ने बताया कि उन्होंने तथा उनकी पत्नी ने सरसों बेचने के लिए आनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया था। इसकी बिक्री के लिए इंतजार में बैठे हैं किंतु अभी तक सरकार ने उनकी सरसों की खरीद नहीं कर पाई है जिसके चलते उनके घर में सरसों पड़ी है और घर का बजट डगमगा रहा है। आय का प्रमुख स्रोत सरसों ही होती है।
उधर सूबे सिंह किसान का कहना है रबी की फसल एकमात्र पैदावार होती जिस को बेचकर भी अपनी आय प्राप्त करते हैं लेकिन सरकार ने उनकी सरसों नहीं खरीदी है। उन्होंने रजिस्ट्रेशन भी करवाया था। उनका कहना है कि सभी घर के कार्य तथा अन्य कार्य भी पैदावार बिक्री से ही पूरे किए जाते हैं और वे अब रुक गए हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द सरसों खरीदने का प्रबंध किया जाए।
 महेश कुमार का कहना है कि उन्होंने भी सरसों का रजिस्ट्रेशन करवाया था लेकिन सरसों रजिस्ट्रेशन के पश्चात कुछ किसानों की सरसों खरीद ली गई वे इंतजार करते ही रह गए। ऐसे में उनकी मांग है कि उनकी सरकारी रेट पर सरसों की खरीद करवाई जाए। उनका कहना है किसानों का एकमात्र आय का साधन सरसों होती है। यदि सरसों नहीं बिकेगी तो घर का काम कैसे चल पायेगा।
   किसान राकेश कुमार ने बताया कि सरसों घर पर पड़ी हुई है। वे सरकार द्वारा खरीद का इंतजार कर रहे हैं। सरकार जब सरसों खरीदेगी तभी सरसोंं बेचकर घर परिवार का गुजर बस कर पायेंगे। कृष्ण कुमार, दिनेश कुमार, राकेश कुमार, राज सिंह, प्रेम कुमार आदि किसानों ने बताया कि वे परेशान हैं और सरसों खरीद का इंतजार कर रहे हैं।  उधर कनीना मार्केट कमेटी के चेयरमैन राजकुमार कनीनवाल उप प्रधान ओमप्रकाश लिसानिया का कहना है कि सरकार का आदेश आते ही सरसों की खरीद शुरू करवा देंगे। अभी तक सरकार का कोई आदेश नहीं आया है जिसके चलते वे असहाय नजर आते हैं। उन्होंने बताया कि तेल मिलों पर सरसों बेचना का विकल्प खुला है। अब तो निजी संस्थानों पर भी सरसों खरीद की पाबंधी है।
 क्षेत्र के किसानों की कनीना मंडी के अतिरिक्त सेहलंग, दोंगड़ा अहीर और करीरा में भी खरीद की गई थी।  गेहूं की खरीद विगत दिनों तक जारी थी। किंतु सरसों खरीद नहीं हो पाई। कनीना की हैफेड, हरियाणा स्टेट वेयरहाउस आदि ने सरसों की खरीद की थी किंतु सरकार द्वारा अचानक सरसों खरीद में ब्रेक लगा देने से अब सरसों खरीद का काम बंद पड़ा है। किसान परेशान हैं।
 फोटो कैप्शन: किसान सूबे सिंह, महेश कुमार, मोहन कुमार, राकेश कुमार।


जून माह में हुई 68 एमएम बारिश, नहीं हो पाई पूर्ण बिजाई 

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 कनीना। जून माह में कनीना क्षेत्र में महज 68 एमएम बारिश हो चुकी है। फिर भी बिजाई का कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं।
वर्ष 2018 में जून माह में 70 एमएम बारिश हुई थी। 2019 में 25 एमएम बारिश हुई थी किंतु इस बार जून माह में 68 एमएम बारिश हो चुकी है। 30 फीसदी किसानों ने बाजरे की बीजाई कर डाली है। किसानों को बेसब्री से बारिश होने का इंतजार है। शुक्रवार को हल्की बूंदाबांदी हुई जो खड़ी कपास एवं खरीफ की फसल के लिए लाभकारी है।
 कनीना खंड के किसान भी बारिश का इंतजार कर रहे हैं। कनीना की बावनी भूमि अर्थात 52000 हेक्टेयर के रूप में जानी जाती है। यहां किसान बारिश के समय में खरीफ फसल की बिजाई करता है। यद्यपि खड़ी फसल अनाज के लिए कम तथा फोडर के लिए अधिक उगाई जाती है। विगत वर्ष से बाजरे की सरकारी खरीद होने से किसान बाजरे की बिक्री करने के लिए उत्साहित नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि बेहतर बाजरे का बीज तथा खाद किसानों ने पहले से ही घरों में रखा हुआ है ताकि बारिश होते ही बिजाई की जा सके। अभी तक भीषण गर्मी पड़ रही है, तापमान 40 डिग्री से अधिक रहता है। विगत दिनों से हल्की बूंदाबांदी हुई है। ऐसे में जब तक अच्छी बारिश नहीं होती किसान परेशान नजर आएंगे।
फोटो कैप्शन 2: किसानों के खेतों में खड़ी बाजरे की फसल।

Thursday, June 25, 2020

 कनीना खंड के गांव झीगावन में टिड्डी दल ने धावा बाल दिया है। किसान सावधान रहे। डीजे/ढोल/बर्तन पीटकर भगाए।







हौसले की मिसाल 
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तपती धूप में पेड़ों के नीचे बैठकर विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं शिक्षक

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कनीना। बेशक इन दिनों हर वर्ष ग्रीष्मावकाश चलते रहे हो, तापमान 40 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर पहुंच गया हो परंतु शिक्षक इस वर्ष कोरोना का हालातों में स्कूलों में बैठकर ऑनलाइन शिक्षण कार्य करवा रहे हैं। चारों ओर कोरोना का डर, अधिकारी घर से बाहर निकलना गंवारा नहीं समझते किंतु शिक्षक बेशक 57 साल का हो या रिटायरमेंट के पास हो मजबूरन सरकार के आदेशों का पालन करते हुए स्कूलों में जा रहे हैं।  ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बिजली न आने से कमरों के अंदर बैठना तो कठिन हो जाता है, महज पेड़ों की छाव में पेड़ों के नीचे बैठकर एसएमएस/व्हाट्सएप आदि के जरिए वीडियो, ऑडियो, टेक्स्ट आदि भेज कर न केवल बेहतरीन शिक्षण कार्य अपितु उनका फीडबैक लेकर उपलब्ध करवा रहे हैं। अप्रैल मास की कर्म जारी है।
कुछ निजी स्कूलों ने तो अवकाश भी घोषित किया हुआ है किंतु सरकारी स्कूल इस मामले में एक नंबर पर पहुंच गए हैं जो दिन रात एक किए हुए हैं और ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षण कार्य थोड़ी जटिल प्रक्रिया है जिसमें वयोवृद्ध शिक्षकों को आधुनिक यंत्र चलाने में परेशानी हो रही है परंतु उनके हिम्मत का हौसला देखने से ही बनता है।  बेशक झज्जर जैसे जिलों में सभी शिक्षकों को एक साथ नहीं बुलाया जा रहा है किंतु जिला महेंद्रगढ़ में सभी शिक्षक विद्यालयों में मौजूद रहते हैं। यहां तक कि अधिकारी अपने कार्यालयों से निकालकर किसी स्कूल तक पहुंचना गवारा नहीं समझते हो परंतु ये शिक्षक बिना किसी लाग लपेट के बेहतरीन शिक्षण कार्य कर रहे हैं।     कनीना खंड के गांव खेड़ी तलवाना, गुढ़ा, कनीना तथा धनौंदा ऐसे स्कूल है जहां पर शिक्षण कार्य में बहुत अधिक उन्नति की है। यद्यपि सभी स्कूल ही शिक्षण कार्य कर रहे हैं स्कूलों में अधिक जोर दिया जा रहा है। प्राचार्य कृष्ण कुमार ने बताया कि सरकार के आदेशों के अनुसार व्हाट्सएप के अतिरिक्त एसएमएस के जरिए ऑनलाइन शिक्षण करवाना जरूरी है। इसकी प्रतिपुष्टि भी जाती है।
कनीना खंड शिक्षा अधिकारी अभय राम यादव त्जी जान से टूटे हुए हैं और प्रत्येक स्कूल की प्रतिपुष्टि लेकर उच्चाधिकारियों तक भेजते रहते हैं।  अधिकांश शिक्षकों के जीवन में यह पहला अवसर है जब यह ऑनलाइन शिक्षण कार्य करवाना पड़ रहा है।
 उल्लेखनीय है कि एक समय था जब सरकार ने स्कूलों में एक बार मोबाइल रखने पर प्रतिबंध लगा दिया था वो ही मोबाइल बेहतर सेवा का जरिया बना हुआ है। जो शिक्षक बेहतरीन मोबाइल नहीं खरीद पाते थे अब उन्होंने मोबाइल खरीदने पड़े हैं। यहां तक कि जो शिक्षक नेट/डाटा आदि की जानकारी नहीं रखते थे और अब प्रतिमाह डाटा खर्च करने को बाध्य हो गए हैं। कुल मिलाकर नई तकनीकी ज्ञान हुआ है वहीं विद्यार्थियों में भी नई तकनीकी कौशल का अभ्यास बढ़ाना पड़ा है। अभिभावक भी विद्यार्थियों से संपर्क में रहकर शिक्षण कार्य करवा रहे हैं। बेशक इस पद्धति का परिणाम कुछ भी आए पर एक तीर से कई निशाने साध दियेे हैं।
विद्यार्थी सुरेश, दिनेश, कर्मवीर आदि अपने मां-बाप के फोन लेकर शिक्षण कार्य करते हैं। उनकी देखरेख में कार्य को पूर्ण किया जाता है। कुल मिलाकर पूर्ण तंत्र अर्थात शिक्षक, विद्यार्थी अभिभावक, अधिकारी सभी सतर्क हो गए हैं और आधुनिक शिक्षा पद्धति को आधुनिक तकनीकों से पढऩे को मजबूर हैं।
फोटो कैप्शन दो: पेड़ों की छांव में ऑनलाइन शिक्षण करवाते शिक्षक।







अंधड़ ने तोड़े पेड़

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कनीना। कनीना क्षेत्र में दोपहर बाद आये अंधड़ ने जगह जगह पेड़ तोड़ दिये हैं वहीं टीनशेड आदि उड़ा दिये हैं। किसान बारिश का इंतजार कर रहे थे किंतु महज बूंदाबांदी हुई। अभी भी गर्मी पड़ रही है।


शहीदों को याद किया 

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कनीना। गलवान घाटी में शहीद हुए हमारे भारतीय सैनिकों को भारतीय जनता कार्यकर्ता मोर्चा ने पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि दी और शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन धारण किया।   कनीना शहीद स्मारक पर जाकर उन शहीदों को याद किया गया। उन्होंने कहा कि इन शहीदों की कुर्बानी कभी नहीं भुलाई जाएगी जिन्होंने चीन के सैनिकों को मारकर प्राण न्यौछावार किये हैं। जिसमें भारतीय जनता कार्यकर्ता मोर्चा के प्रदेश सचिव दीपक वशिष्ठ ए जिला उपाध्यक्ष विजेंद्र चौहान, सर्व जन युवा वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नानकराम भारद्वाज, पवन राठौड़, कृष्ण, दीपांशु, नवीन व कुलदीप दहिया मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 1: कनीना शहीद स्मारक पर शहीदों को याद करते हुए।



 
शहीदों को याद किया 

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कनीना। गलवान घाटी में शहीद हुए हमारे भारतीय सैनिकों को भारतीय जनता कार्यकर्ता मोर्चा ने पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि दी और शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन धारण किया।   कनीना शहीद स्मारक पर जाकर उन शहीदों को याद किया गया। उन्होंने कहा कि इन शहीदों की कुर्बानी कभी नहीं भुलाई जाएगी जिन्होंने चीन के सैनिकों को मारकर प्राण न्यौछावार किये हैं। जिसमें भारतीय जनता कार्यकर्ता मोर्चा के प्रदेश सचिव दीपक वशिष्ठ ए जिला उपाध्यक्ष विजेंद्र चौहान, सर्व जन युवा वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नानकराम भारद्वाज, पवन राठौड़, कृष्ण, दीपांशु, नवीन व कुलदीप दहिया मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 1: कनीना शहीद स्मारक पर शहीदों को याद करते हुए।



जिला संगठन मंत्री बने विक्रांत यदुवंशी 

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कनीना। विक्रांत यदुवंशी को भारतीय जनता कार्यकर्ता मोर्चा महेंद्रगढ़ का जिला  संघठन मंत्री नियुक्त किया गया है।
     कार्यकर्ता मोर्चा के नवनियुक्त  जिला संगठन मंत्री विक्रांत यदुवंशी ने अपनी नियुक्ति पर कार्यकर्ता मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन पंडित, हरियाणा के प्रदेश उपाध्यक्ष जितेन्द्र जोनी और  हरियाणा के प्रदेश मिडिया प्रभारी मयंक तंवर का आभार जताते हुए कहा कि कार्यकर्ता मोर्चा को संगठनात्मक एवं वैचारिकता के आधार पर देश व प्रदेश में युवाओं तक पहुंचा कर मजबूती के साथ संवाद से समर्थन और समर्थन से सम्मान की बात की जाएगी। सामान्य कार्यकर्ता संगठन के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं उनके महत्व को समाज में सम्मान दिलाना संगठन का मुख्य कार्य रहेगा।
    भारतीय जनता कार्यकर्ता मोर्चा के  जिला संगठन मंत्री विक्रांत यदुवंशी ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने भारतीय जनता कार्यकर्ता मोर्चा अपने राजनीतिक भविष्य को देखते हुए ज्वाइन किया है और जिले एवं पूरे प्रदेश के हर क्षेत्र में संगठन के विचारों का प्रचार प्रसार एवं संगठनात्मक गतिविधियां शुरू की जाएंगी और युवाओं को राष्ट्रभक्ति की ओर आकर्षित करेंगे और पूरे जिले और प्रदेश के युवाओं को राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित करेंगे ।

83 थैली ढैंचा बीज उपलब्ध

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संवाद सहयोगी, कनीना। कनीना क्षेत्र के किसान ढैंचा उगाकर हरी खाद बना रहे हैं। जो भूमि पैदावार कम देने लग जाती है उसमें कृषि वैज्ञानिक ढैंचा उगाने की सलाह देते हैं। 12 -12 किलों की 83 थैलियां ढैंचा की कनीना में उपलब्ध हैं। खंड कृषि अधिकारी गजानंद शर्मा ने बताया कि जो किसान ढैंचा बोना चाहते हैं वे अपना आधार कार्ड की प्रति सहित सरकारी बीज केंद्र से ढैंचा ले सकता है। 130 रुपये में थैली उपलब्ध है।
ढैंचा से बनाते हैं हरी खाद--
कनीना क्षेत्र के किसान ढैंचा उगाकर हरी खाद तैयार कर रहे हैं। यह खाद बेहतर खाद मानी जाती है। जिन खेतों में पैदावार घट जाती है, नमी की मात्रा अधिक हो वहां पर ढैंचा उगाकर मिट्टी पलट हल द्वारा हरे पेड़ पौधों कोई मिट्टी में दबा दिया जाता है जो हरी खाद का कारण बनते हैं। यह खाद बेहतर पैदावार के लिए जाना जाता है।
ढैंचा उगाकर हरी खाद बनाकर बेहतर पैदावार लेना ही उद्देश्य होता है। वैसे भी तीन प्रकार के खाद जिन्हें हरा खाद, गोबर का खाद तथा कंपोस्ट खाद नाम से खाद जाने जाते हैं जिन में हरा खाद अच्छा खाद माना जाता है जो प्रदूषण रहित होता है। कृषि वैज्ञानिक भी हरी खाद की सलाह किसानों को देते हैं। लगातार फसल पैदावार से खेत में पैदावार घटती चली जाती है, ऐसे में ढैंचा उगाना बेहतर है। पूर्व कृषि अधिकारी डा देवराज यादव का कहना है कि फसल पैदावार के लिए ढैंचा जैसी फसलें उगाकर उन्हें भूमि में दबा दिया जाता है जो हरी खाद बन जाता है। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार ढैंचा के बीज अनुदान पर उपलब्ध करवा रही है ताकि उससे ढैंचा उगाकर किसान पैदावार बढ़ा सके।

खानपान में बदलाव आने का कारण उम्र घटी -मांगेराम शर्मा 

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 कनीना। खानपान में बदलाव करने से उम्र घटती जा रही है। जब पितामह भीष्म युद्ध कर रहे थे उस समय उनकी उम्र करीब 175 वर्ष थी। ये विचार मिट्टी एवं योग से रोग उपचार करने वाले समाजसेेवी मांगेराम शर्मा ने यहां व्यक्त किये।
 उन्होंने कहा कि आर्यव्रत में सभी जन यज्ञ तथा संध्या के उपरांत ही शुद्ध सात्विक भोजन करते थे करते थे जिसके चलते वे बलशाली एवं बुद्धिमान थे किंतु 6000 वर्ष पहले बदलाव आने लगा।  बाद में मुगलों का एवं अंग्रेजों का शासन रहा। उन्होंने आर्यव्रत में बहुत दिन में बदलाव लाने का प्रयास किया क्योंकि उन्हें मालूम था जब तक खानपान में बदलाव नहीं किया जाएगा तब तक आर्यव्रत के लोग किसी के काबू नहीं आ सकेंगे। बुद्धि और शक्ति में महान होंगे। जहां गायों मुगल शासकों ने आर्य लोगों से गायों को दूर करने का प्रयास किया वहीं अंग्रेजों ने शराब एवं चाय आदि मुफ्त में पिलाकर आर्यव्रत के लोगों को शुद्ध सात्विक भोजन से दूर कर दिया जिसका परिणाम है कि आज युवा भी बुजुर्ग नजर आते हैं।
 उन्होंने कहा कि आहार, निद्रा, ब्रह्मचर्य और परिश्रम पर यदि सही ध्यान दिया जाए तो उम्र ही नहीं अपितु बल और शक्ति में महानता मिलेगी। यदि इनमें बदलाव आ गया तो उम्र भी घटेगी, शरीर भी रोगी हो जाएगा। उन्होंने फिर से शुद्ध सात्विक भोजन करने, यज्ञ एवं संध्या करने पर बल दिया ताकि आर्यव्रत पुरानी सभ्यता और संस्कृति को पुन: हासिल कर सके।


इस बार कम उगाया गया है सफेद सोना














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 कनीना। सफेद सोने की ओर एक बार किसान का रुझान घटा है। खरीफ फसल बतौर कैश क्रोप के नाम से प्रसिद्ध कपास का रकबा इस बार विगत वर्षों से कम उगाया गया है। रबी फसल सरसों से बेहतर पैदावार देती है। कपास की बड़ी मंडी चरखी दादरी में ही हैं। इस वर्ष 5950 हेक्टेयर पर कपास की बीजाई की है जो विगत वर्ष यह 8200 हेक्टेयर पर की गई थी।
   विगत वर्षों केवल दो हजार हेक्टेयर भू भाग पर कपास की कृषि की गई तो तीन वर्ष पूर्व करीब पांच हजार हेक्टेयर पर कपास उगाई गई थी जबकि दो वर्ष पूर्व 7000 हेक्टेयर पहुंच गया था। विगत वर्ष 8200 हेक्टेयर पर बीजाई की गई थी। इस वर्ष आंकड़ा महज 5950 है। एक एकड़ में करीब दस से 12 क्विंटल कपास हो जाती है। साथ में इसके सूखे हुए तने भी सरसों की भांति जलाने के काम आते हैं। इसके पत्ते भी खाद का काम करते हैं और पौधे को जल भी अधिक नहीं चाहिए।
  किसानों राजेश, महेश, अजीत कुमार आदि ने बताया कि खरीफ फसल बतौर बाजरा या ग्वार उगाया जाता है जिनमें आवारा जीव भी अधिक लगते हैं। यह फसल कम पानी में भी बेहतर पैदावार देती है और आवारा जंतु भी कम लगते हैं।  नील गाय कपास की फसल को खाते नहीं अपितु उसे तोड़ जाते हैं। गर्मी में इस फसल को उगाकर जहां पानी देने में कोई विशेष कठिनाई भी नहीं होती है। कपास के पत्ते जो खाद बनाते हैं जिससे कपास के बाद अगली फसल बेहतर होती है।