बिजली आपूर्ति की समस्या को दूर कराने की गुहार
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कनीना। पिछले लंबे समय से बिजली की समस्या को लेकर किसान है। मोहनपुर फीडर के नीचे लगने वाले उपभोक्ताओं ने बिजली कार्यालय कनीना पहुंच कर विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों से बात कर इस समस्या का समाधान करने की गुहार लगाई है। ताकि लोगों को आए दिन बिजली से आने वाली समस्याओं से निजात मिल सके।
ग्रामीण आनन्द कुमार, कृष्णपाल, अनूप सिंह, पवन कुमार, कपिल कुमार, प्रदीप, जसविंद्र, नवीन कुमार, रवि कुमार, बलवान सिंह, अमित कुमार, लालाराम के अलावा अन्य पीडि़त किसानों ने बताया कि गांव तो बूचावास है लेकिन हमारी जमीन मोहनपुर फीडर के नीचे लगती है जिसमें बिजली की भारी समस्या बनी रहती है। पिछले वर्ष से इस फीडर में कभी लाइट ठीक तो कभी लाइट केवल दो फेजों में आने के कारण न तो मोटर ही चल सकती है और न ही बच्चों की पढ़ाई ही ठीक ढंग से हो सकती है जिसको लेकर कई बार विभाग को लिखित व मौखिक में बताया गया है। परंतु समस्या ज्यों कि त्यों मुंह बाये खड़ी है।
किसानों ने बताया कि बिजली की समस्या के कारण फसलों मेें भी पानी कम लगता है जिसके कारण पैदावार कम होती है लेकिन विभाग इस समस्या की और कोई ध्यान नही दे रहा है। वही पीडि़त किसानों ने बताया कि बिजली विभाग के एसडीओ से मिल कर इस समस्या के समाधान की मांग कि है। अधिकारी ने समस्या समाधान का आश्वासन दिया है।
फोटो कैप्शन 3: ग्रामीण बिजली अधिकारी से मिलने जाते हुए।
दस चालान काटे
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कनीना। कोरोना काल में मास्क न पहनकर घूमते हुए दस लोगों के कनीना चौकी प्रभारी एएसआई गोविंद सिंह ने काटे। विगत दिनों से यह कार्रवाई जारी है। लोग अपनी सुरक्षा स्वयं भी नहीं करना चाह रहे हैं।
बिजली आपूर्ति की समस्या को दूर कराने की गुहार
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कनीना। पिछले लंबे समय से बिजली की समस्या को लेकर किसान है। मोहनपुर फीडर के नीचे लगने वाले उपभोक्ताओं ने बिजली कार्यालय कनीना पहुंच कर विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों से बात कर इस समस्या का समाधान करने की गुहार लगाई है। ताकि लोगों को आए दिन बिजली से आने वाली समस्याओं से निजात मिल सके।
ग्रामीण आनन्द कुमार, कृष्णपाल, अनूप सिंह, पवन कुमार, कपिल कुमार, प्रदीप, जसविंद्र, नवीन कुमार, रवि कुमार, बलवान सिंह, अमित कुमार, लालाराम के अलावा अन्य पीडि़त किसानों ने बताया कि गांव तो बूचावास है लेकिन हमारी जमीन मोहनपुर फीडर के नीचे लगती है जिसमें बिजली की भारी समस्या बनी रहती है। पिछले वर्ष से इस फीडर में कभी लाइट ठीक तो कभी लाइट केवल दो फेजों में आने के कारण न तो मोटर ही चल सकती है और न ही बच्चों की पढ़ाई ही ठीक ढंग से हो सकती है जिसको लेकर कई बार विभाग को लिखित व मौखिक में बताया गया है। परंतु समस्या ज्यों कि त्यों मुंह बाये खड़ी है।
किसानों ने बताया कि बिजली की समस्या के कारण फसलों मेें भी पानी कम लगता है जिसके कारण पैदावार कम होती है लेकिन विभाग इस समस्या की और कोई ध्यान नही दे रहा है। वही पीडि़त किसानों ने बताया कि बिजली विभाग के एसडीओ से मिल कर इस समस्या के समाधान की मांग कि है। अधिकारी ने समस्या समाधान का आश्वासन दिया है।
फोटो कैप्शन 3: ग्रामीण बिजली अधिकारी से मिलने जाते हुए।
दस चालान काटे
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कनीना। कोरोना काल में मास्क न पहनकर घूमते हुए दस लोगों के कनीना चौकी प्रभारी एएसआई गोविंद सिंह ने काटे। विगत दिनों से यह कार्रवाई जारी है। लोग अपनी सुरक्षा स्वयं भी नहीं करना चाह रहे हैं।
आयुर्वेद की वटी वितरित
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संवाद सहयोगी,कनीना। कोरोना महामारी से बचाव के लिए प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों के अंतर्गत आयुष केंद्र खेड़ी की वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ शशि मोरवाल ने खंड के गांव खरखड़ा बास में 180 वरिष्ठ नागरिकों को कोरोना संक्रमण से बचाव की गिलोय घनवटी गुडूची घनवटी दवा का वितरण किया।
इस अवसर पर उन्होंने वरिष्ठ जनों को संबोधित करते हुए कहा कि अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें सामाजिक दूरी बनाए रखें तथा दिन में दो बार भोजन के बाद इस औषधि का प्रयोग करें। वहीं दालचीनी,अदरक, तुलसी पत्ते तथा काली मिर्च काढ़ा समय-समय पर पीते रहे। इस प्रकार उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी तथा कोरोने जैसी बीमारी से भी दूर रहेंगे।
इस अवसर पर उनके साथ वरिष्ठ प्रवक्ता व धनौंदा कंटेनमेंट जोन के अधिकारी नरेश कौशिक ने बताया कि आज इस महामारी से बचाव के लिए आयुर्वेद अच्छा सहारा है। इसी से देश में लाखों लोग स्वस्थ हुए है। उन्होंने बताया कि कोरोना का संक्रमण सबसे अधिक क्रानिक बीमारियों के मरीजों, गर्भवती महिलाओं तथा बच्चों को होने की संभावना रहती है। अत: इस समूह को विशेष रूप से बचाया जाए।
उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वे इसे गंभीरता से लें तथा दिन में बार-बार साबुन से हाथ धोने व किसी भी बाहरी सामान को छूने से बचें। आयुर्वेद केंद्र के कर्मचारी कपिल, सरिता, खरकड़ा बास की आंगनवाड़ी सहायिका अनीता देवी, हवलदार नंदकिशोर खटाना, सरपंच धर्म सिंह, कृष्ण कुमार, पुष्प लता सहित अनेक पंचायत सदस्य भी उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 1: आयुर्वेद वटी वितरित करते हुए डा शशी मोरवाल।
कोरोना से बचने के सभी नियमों का पालन करें- डा धर्मेंद्र
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कनीना। कनीना उप नागरिक अस्पताल के एसएमओ डॉ धर्मेंद्र ने कहा कि कोरोना पीडि़त व्यक्तियों को जहां सरकार सभी व्यवस्थाओं में रखती है वही सभी जनों का फर्ज बनता है कि वो कोरोना से बचने के सभी नियमों का पालन करें।
उन्होंने फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखने, हाथों में ग्लव्ज पहनने, मुंह पर मास्क लगाने आदि की हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि यदि रोग से स्वयं ही बचाव नहीं करोगे तो रोक द्वारा धावा बोलना सुनिश्चित होगा। उन्होंने बताया कि इस समय कनीना क्षेत्र से 8 मरीज ठीक होकर कोरोना योद्धा बनकर लौटे हैं।
डा धर्मेंद्र ने बताया कि अभी तक रामबास से दो, इसराना से दो, गोमला से एक, कनीना से दो, रसूलपुर से एक, धनौंदा से दो मरीज कोरोना को मात देकर आए हैं। उन्होंने बताया कि कनीना उप नागरिक अस्पताल के तहत 20 कोरोना पाजिटिव केस पाए गए हैं जिनमें से अभी तक 12 उपचाराधीन है। उन्होंने बताया कि सेहलंग, धनौंदा तथा भोजावास अलग से स्वास्थ्य केंद्र हैं तथा उनकी रिपोर्ट इनमें शामिल नहीं है।
कप्तान हुकमचंद पाथेड़ा योगा से करते हैं दिन की शुरुआत
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कनीना। कप्तान हुकमचन्द पाथेड़ा सुबह जल्दी उठकर योग से ही दिन की शुरुआत करते हैं। पहले उन्हें घुटनों एवं दिल से सम्बन्धित समस्या रहती थी। जब से सुबह जल्दी उठकर योग को दैनिक जीवन में ढाला हैं तब से उन्हें इस बीमारी से काफी निजात मिला हैं। वर्तमान में योग दिनचर्या में शामिल हो गया हैं। कप्तान हुकमचन्द पाथेड़ा का कहना हैं की प्रतिदिन सुबह 1 घण्टा योगा के लिए समय निकालती हैं।
योग इतना शक्तिशाली और प्रभावी इसलिए है क्योंकि यह सद्भाव और एकीकरण के सिद्धांतों पर काम करता है। योग के आध्यात्मिक लाभ भी हैं। सूर्योदय या सूर्यास्त के वक़्त योग का सही समय है। योग करने से पहले स्नान ज़रूर करें। योग खाली पेट करें। योग करने से 2 घंटे पहले कुछ ना खायें।आरामदायक सूती कपड़े पहनें। किसी शांत वातावरण और सॉफ जगह में योग अभ्यास करें।अपना पूरा ध्यान अपने योग अभ्यास पर ही केंद्रित रखें। योग अभ्यास धैर्य और दृढ़ता से करें।अपने शरीर के साथ ज़बरदस्ती बिल्कुल ना करें। धीरज रखें। योग के लाभ महसूस होने मे वक़्त लगता है। अगर आपके शरीर में लचीलापन कम है तो आपको शुरुआत में अधिकतर आसन करने में कठिनाई हो सकती है।
फोटो कैप्शन : हुकुमचंद।
डिम्पल यादव ने दैनिक जीवन में योग को अपनाया
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कनीना। काउंसलर डिंपल यादव प्रतिदिन सुबह 1 घण्टा योगा के लिए समय निकालती हैं। पिंकी यादव का कहना हैं की हमें प्रतिदिन अपने घर पर खुली जगह पर योग के लिए अवश्य समय निकलना चाहिए इससे न केवल शरीर स्वस्थ्य रहेगा बल्कि दिनचर्या में अच्छी रहेगी। योग की उत्पत्ति के विषय में सही समय का अनुमान लगाना तो कठिन है लेकिन योग हजारों वर्ष पहले उतपन्न हुआ है। योग हमारे ऋषि-मुनियों की देन है।
आज के वैज्ञानिक युग में भी योग सर्वमान्य और लोकप्रिय हैं। योग का इतिहास बहुत पुराना है यह पुरातन काल से चला आ रहा है।
जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए नियम आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार धारणा,ध्यान,समाधियोग वर्तमान की सबसे बहुमूल्य विरासत है। यह आज की आवश्यकता है और कल की संस्कृति हैं।
योग सही तरह से जीने का विज्ञान है और इसलिए इसे दैनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए। यह हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक, आदि सभी पहलुओं पर काम करता है। योग का अर्थ एकता या बांधना है। इस शब्द की जड़ है संस्कृत शब्द युज, जिसका मतलब है जुडऩा। आध्यात्मिक स्तर पर इस जुडऩे का अर्थ है सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का एक होना। व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है। यह योग या एकता आसन, प्राणायाम, मुद्रा, बंध, षट्कर्म और ध्यान के अभ्यास के माध्यम से प्राप्त होती है। योग के कई आध्यात्मिक लाभ भी हैं। इनका विवरण करना आसान नहीं है, क्योंकि यह आपको स्वयं योग अभ्यास करके हासिल और फिर महसूस करने पड़ेंगे। हर व्यक्ति को योग अलग रूप से लाभ पहुँचाता है तो योग को अवश्य अपनायें और अपनी मानसिक, भौतिक, आत्मिक और अध्यात्मिक सेहत में सुधार लाएं।
फोटो कैप्शन: डिंपल
आपातकाल के समय जेल काटकर आये थे हरि राम मित्तल
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कनीना। जिला महेंद्रगढ़ के कनीना कस्बा में रह रहे हरिराम मितल लोकतंत्र के प्रहरियों में से एक जिन्होंने 6 दिसंबर 1975 को सत्याग्रह किया, जिसका परिणाम भुगतते हुए उन्होंने उन्हें जेल की सजा मिली। छह अप्रैल 1956 चेलावास में मामचंद और शांति देवी के यहां पैदा हुई संतान लोकतंत्र के सजग प्रहरी बनकर उभरी।
उन दिनों जब इंदिरा गांधी पूर्व प्रधानमंत्री ने 24 जून 1975 की रात को आपात काल घोषित कर दिया था। आपातकाल के विरोध में नारनौल में सात जनों ने सत्याग्रह की राह अपनाया जिनमें सत्यप्रकाश गुरुग्राम, मौजी राम, लक्ष्मीनारायण, रामनिवास तथा हरिराम मित्तल एवं दो अन्य साथियों ने नारनौल के आजाद चौक से जुलूस शुरू किया और बाजार से होते हुए कचहरी तक आंदोलन किया। उनके इस कृत्य से रुष्ट होकर उन्हें बंदी बना लिया। उस वक्त सरकार के विरुद्ध किसी भी प्रकार की बोलने की आजादी नहीं थी, पत्रकारिता पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। जायज बातों पर भी सेंसरशिप लगी हुई थी, पब्लिक के साथ अन्याय किया जाता था, जबरन नसबंदी की की जा रही थी चाहे 15 साल का हो या 85 वर्ष का, बसों में सवार हो या ट्रेनों में सवार और सभी को पकड़कर नसबंदी कर दी जाती थी। नसबंदी करने वाले डॉक्टरों के लिए इनाम की घोषणा भी कर रखा था। जबरन नसबंदी के परिणाम स्वरूप लोगों में भारी रोष पनपा। यदि कोई खुलकर बोलता तो पुलिस पकड़ कर ले जाती उसे मीसा या डीआईआर लगा देती। मीसा लगने पर न्यायालय में भी नहीं जा सकते थे। डीआईआर लगने पर सुनवाई न्यायालय में बड़ी मुश्किल से हो पाती थी। बिना बात नेताओं के अंदर कर दिया गया। इंदिरा गांधी को इलाहाबाद कोर्ट हरा दिया गया, उनका चुनाव अवैध घोषित हो चुका था। उस समय कनीना में आरएसएस शाखा के सदस्य के रूप में शिव कुमार अग्रवाल आदि को भी पकड़ लिया गया और उन्हें जेलों में बंद कर दिया गया।
6 जनवरी 1976 को जमानत मिल गई। हरिराम मित्तल बताते हैं कि वह उस वक्त उनकी उम्र महज 19 वर्ष की थी। शादी नहीं हुई थी किंतु उनकी दादी मनभावती गुजर चुकी थी वहीं उनकी मंझली बहन की 19 जनवरी 1976 को शादी होनी थी। ऐसे में जब वे जेल में थे तो घर परिवार बेहद परेशान रहा। आखिरकार 1977 तक केस चलता रहा और 21 मार्च 1977 को आपात काल खत्म कर दिया गया केस वापस ले लिए गए। उनका केस भी खत्म हो गया।
जेल के वक्त उस वक्त उनका सारा परिवार दुखी था। वे दो भाई और पांच बहने परिवार के सदस्य थे। इस वक्त भी उनकी मां शांति देवी(87) जीवित है वह भी उन दिनों को याद करके सिहर उठती है परंतु आखिरकार उनकी वर्तमान सरकार ने सुनी। 26 जनवरी 2016 को नारनौल में ताम्रपत्र लेकर उन्हें पुरस्कृत किया उस समय विक्रम सिंह मंत्री भी हाजिर थे। दो अक्टूबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें बसों में सफर करने के लिए बस पास प्रदान किया। प्रथम नवंबर 2017 को दस हजार रुपये प्रति माह पेंशन घोषित की और उसी दिन से लागू है।
हरिराम मित्तल बताते हैं कि जब वे नारनौल जेल में गए तब 17 साथी थे। जिनमें से कुछ रेवाड़ी के भी थे। उन दिनों दर्पण नामक अखबार चोरी-छिपे छपता था, चोरी छिपे ही बांटा जाता था, वे बड़ी लगन से उसे पढ़ते थे जिसमें लिखा होता था कि प्रजा अगर अन्यायी हो तो राजा दंड देता है लेकिन राजा अगर अन्यायी हो तो उसे कौन दंड देगा? महज धर्म की रक्षा पब्लिक करती है। धर्म की रक्षा करते हुए वे वर्तमान में 64 साल के हो गए हैं लेकिन इंदिरा गांधी की आपातकाल को नहीं भूल सकते। वे कहते हैं कि आपातकाल में इतना प्रतिबंध और भय था कि लोग सच को सच नहीं कह सकते थे। किसी के साथ बड़े से बड़ा अन्याय होता था तो भी कोई सुनवाई नहीं करता था। उनके विरुद्ध भी 107/151 धारा लगाकर अंदर किया गया। वर्तमान में उनकी दो लड़कियां और दो लड़के हैं लड़कियों की शादी हो चुकी है तथा एक लड़का अभी भी कुंवारा है। उनकी पत्नी ललिता देवी उनका साथ दे रही है। दसवीं कक्षा कनीना स्कूल से पढ़ाई की। उनका परिवार चेलावास से कनीना में 1964-65 में आ गया था तब से वे कनीना में ही रह रहे हैं। जब वे संगठन थे तो उन्हें बताया जाता था कि उन्हें जेल में बड़ी सी यातनाएं दी जाएंगी परंतु उनके विचार शुद्ध थे, देशभक्ति थी तथा जज्बा था जिसको लेकर इस मुकाम पर पहुंचे हैं। सरकार ने उन्हें जो सम्मान दिया उसके लिए आभार व्यक्त करते हैं और वर्तमान में एक स्टोर चला रहे हैं।
फोटो कैप्शन : हरिराम मित्तल
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