आहट सुनाई देने लग गई है टिड्डी दल की
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कनीना। जिला महेंद्रगढ़ के आसपास की टिड्डी दल की आहट सुनाई देने लग गई है। जिसके चलते प्रशासन और किसान सतर्क हो गए हैं। टिड्डी दल जिस खेत में प्रवेश कर जाता है उस खेत को तबाह करके ही दम लेता है। जहां टिड्डी दल रात के समय बैठता है/आराम करता उस समय इसको स्प्रे करके मारा जा सकता है।
कनीना खंड कृषि अधिकारी गजानंद शर्मा ने बताया कि टिड्डी दल जब कहीं आए तो शोर शराबे करके इसे भगाया जा सकता है। डीजे बजा कर,कचोला, कांशी के बर्तन, छाज पीटकर, पीपा बजाकर तथा घरेलू उपकरण आदि से भगाया जा सकता है और इसे बैठने से रोका जा सकता है।
जब टिड्डी दल रात को बैठ जाता है तो इस पर स्प्रे करके इसको खत्म किया जा सकता है अन्यथा इसे लाठी-डंडों से नहीं मारा जा सकता।
उन्होंने बताया कि 2 बाई 2 किलोमीटर में लाखों टिड्डी दल चलते हैं और 1 दिन में 35,000 लोगों का खाना चट कर जाते हैं। ऐसे में जब भी कभी भी टिड्डी दल दिखाई दे तो तुरंत खंड कृषि अधिकारी कार्यालय में सूचना देनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि मौसम यदि अनुकूलित हुआ तो यह प्रवेश कर सकता है। यह सदा हवा की दिशा में ही चलता है। प्रतिदिन डेढ़ सौ किलोमीटर दूरी हवा की दिशा में तय कर सकता है। उन्होंने बताया कि यदि पछुआ हवा चलेगी तो हमारे इस क्षेत्र में टिड्डी दल आने की संभावना घट जाती है। उन्होंने बताया कि सावधानी में ही बचाव है। टिड्डी दल को रोकने के लिए जरूरी है कि समय पर सावधान रहें।
यूं तो टिड्डियों ने कई देशों को परेशान कर रखा है वहीं देश देश के कुछ राज्य टिड्डी दल के कहर से जूझ रहे हैं। गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र इस समय टिड्डी दल से परेशान है। दिल्ली और यूपी भी अलर्ट है। किंतु जहां कहीं भी जाये वहां सब कुछ तबाह कर देते हैं।
माना जाता है कि पूरी धरती के 1/5 भाग को कवर कर सकता है। टिड्डी दल संसार की 1/10 जनसंख्या की रोजी.रोटी छीन सकते हैं। जग में 60 देशों में इसका कहर चल रहा है।
हनीमून ट्रिप पर आता है टिड्डी दल---
भारत में मॉनसून से पहले अपनी संख्या बढ़ाने के लिए टिड्डी दल भारत में आता है। भारत में कई जगह कहर बरपाने को तैयार है। ये अजीब जीव संख्या बढ़ाने के साथ साथ फसल को तबाह कर देते हैं।
कैसे हो पहचान-
टिड्डी दल झुंड में ही चलते हैं। मेटिंग के दो दिन बाद ही पीले टिड्डी अंडे देते हैं। मादा जमीन में करीब 6 इंच गहराई पर अंडे देती है। उस जगह सूराख हो जाता है और सूराख के मुंह पर सफेद पाउडर सा दिखाई पड़ता है। ऐसे में टिड्डी दल तीन-चार दिन एक जगह रुकते हैं।
अंडे से लारवा निकलकर 30 दिन में ही पूरा वयस्क हो जाता है। दिनभर ये उड़ते हैं और शाम होते ही पेड़ों पर पौधों पर बैठ जाते हैं। रात भर बैठे रहते हैं फिर सूरज उगने के साथ ही उडऩे लगते हैं। ऐसे में खेत में आने से रोकने के लिए डीजे साउंड या जोर से ढोलक, ड्रम, थाली आवाज की जाये जो इन्हें पसंद नहीं है। साउंड इनको पसंद नहीं है। इससे ये भागते हैं।
इनको मारने के लिए मालाथियान, क्लोरोपाइरीफास आदि नाम के पेस्टिसाइड का छिड़काव किया जाता है।
विभिन्न सरपंचों को निकाला ड्रा
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कनीना। कनीना खंड के सरपंच पदों के लिए आरक्षण का कार्य कनीना एसडीएम कार्यालय में संपन्न हुआ। एसडीएम रणवीर सिंह की अध्यक्षता में यह कार्य पूर्ण हुआ। इस मौके पर महिला आरक्षित गांव में 14 गांव शामिल है जिनमें अकबरपुर नांगल, सीहोर, भालकी, सिगड़ा, ढाणा, सेहलंग, धनौंदा, नौताना, गाहड़ा,मोहनपुर गुढ़ा, मानपुरा, झाड़ली और कपूरी है वहीं अनुसूचित जाति महिला के लिए 4 गांव आरक्षित हुए हैं जिनमें मोड़ी,उच्चत, सिगड़ीऔर गगड़वास है।
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सात गांव हुए जिनमें कोटिया,मुडायन, बूचावास, कोका पड़तल, अगिहार और बचीनी है। उधर बचे हुए अनारक्षित 27 गांव हैं जिनमें आनावास, भोजावास,बेवल, बवानिया बागोत, चेलावास, छितरौली, गोमला, इसराणा, झीगावन,झगड़ोली, कैमला, करीरा, खैराना ककराला, खेड़ी, नांगल, खेड़ा, रसूलपुर, रामबास, पोता, पाथेड़ा, पोता, रसूलपुर, स्याणा, सुंदरह,उन्हाणी और तलवाना शामिल है।
फोटो कैप्शन 4: आरक्षण करते हुए एसडीएम कनीना।
कनीना खंड के गांव में टिड्डी दल ने बोला धावा
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कनीना। खंड के गांव झीगावन में टिड्डी दल ने धावा बोल दिया। समूचा प्रशासन टिड्डी दल से राहत पाने के लिए जुट गया है। जहां ढोल नगाड़ों से उनको भगाया जा रहा है वहीं आगामी कार्रवाई में प्रशासन जुटा है ।वर्तमान में टिड्डी दल भारी मात्रा में बाजरे के क्षेत्रों में बैठा हुआ है और उनको ग्रामीण बर्तन बजाकर भगा रहे हैं।
फोटो कैप्शन 5: झीगावन के खेतों में टिड्डी दल को देखते अधिकारी।
पेमेंट जल्द करवाने का आश्वासन
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कनीना। कनीना मंडी में विधायक अटेली सीताराम समक्ष कुछ किसान पेश हुए और उन्होंने उनकी सरसों पेमेंट करवाने की मांग की। विधायक सीताराम ने उच्च अधिकारियों से बात करके उन्हें आश्वस्त किया कि जल्द ही उनकी सरसों की पेमेंट कर दी जाएगी।
किसानों ने बताया कि विगत दिनों सरकारी तौर पर सरसों बेची गई थी जिसमें 3166 बैग के पैसे अभी तक किसानों को नहीं मिले हैं। किसानों ने मांग की कि जल्द से जल्द उनकी पेमेंट करवाई जाए। मौके पर ही सीताराम विधायक ने उच्चाधिकारियों से बात की और उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी पेमेंट नहीं रोकी जाएगी।
वीरेंद्र सिंह को चेयरमैन तथा समुंदर सिंह को उप चेयरमैन चुना गया
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कनीना। कनीना कोऑपरेटिव मार्केटिंग सोसायटी कनीना, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के चुनाव संपन्न हुए। जिसमें सर्वसम्मति से चेयरमैन वीरेंद्र कुमार गुढ़ा को तथा उप चेयरमैन समुंदर सिंह छितरौली को चुना गया।
विस्तृत जानकारी देते हुए चेयरमैन हैफेड मैनेजर सत्येंद्र सिंह यादव ने बताया की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के चेयरमैन तथा उप चेयरमैन के लिए पांच चुने हुए तथा तीन मनोनीत सदस्य हाजिर थे। पीठासीन अधिकारी सतीश रोहिल्ला उप-रजिस्ट्रार सहकारी समिति भिवानी उपस्थित थे। वहीं 5 डायरेक्टर नरेंद्र सिंह समुंदर सिंह, शुगन सिंह, संतरा देवी, केसर सिंह के साथ राम कुमार डीएम हैफेड नारनौल, सुधीर अहलावत सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति महेंद्रगढ़, चंद्रभान निरीक्षक निरीक्षक सहकारी समिति कनीना सरकारी सदस्य बतौर हाजिर हुये। मौके पर समुद्र सिंह ने वीरेंद्र सिंह का नाम चेयरमैन के लिए प्रस्तावित किया और उन्हें सर्वसम्मति से चुन लिया गया। वहीं उप प्रधान के लिए समुद्र सिंह का नाम शुगन सिंह गुढ़ा ने प्रस्तावित किया और उन्हें सर्वसम्मति से उप चेयरमैन चुना गया। इस मौके पर विधायक सीताराम यादव भी उपस्थित थे। तत्पश्चात चुने हुए पदाधिकारियों ने मिलकर सीताराम यादव का आभार व्यक्त किया और उनसे आशीर्वाद पाया। फोटो कैप्शन 3: सीताराम यादव के पास बैठे चेयरमैन एवं उपचेयरमैन।
सरसों की खरीद न होने से परेशान
-खरीद किये जाने की मांग बढ़ी
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कनीना। कनीना क्षेत्र में किसानों की सरसों न बिकने से किसानों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। किसानों का कहना है कि सरसों नहीं खरीदे जाने से उनके घर के काम ठप हो गये है। जहां खरीफ फसल की बिजाई चल रही है वहीं रबी फसल की पैदावार घरों में पड़ी हुई है। किसानों ने बताया कि सरसों की सरकारी खरीद न होने से परेशानी बढ़ी है। तेल मिलों पर ही सरसों बेची जा सकती है किंतु किसानों का कहना है कि वहां अच्छे भाव नहीं मिलते हैं।
किसान मोहन कुमार ने बताया कि उन्होंने तथा उनकी पत्नी ने सरसों बेचने के लिए आनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया था। इसकी बिक्री के लिए इंतजार में बैठे हैं किंतु अभी तक सरकार ने उनकी सरसों की खरीद नहीं कर पाई है जिसके चलते उनके घर में सरसों पड़ी है और घर का बजट डगमगा रहा है। आय का प्रमुख स्रोत सरसों ही होती है।
उधर सूबे सिंह किसान का कहना है रबी की फसल एकमात्र पैदावार होती जिस को बेचकर भी अपनी आय प्राप्त करते हैं लेकिन सरकार ने उनकी सरसों नहीं खरीदी है। उन्होंने रजिस्ट्रेशन भी करवाया था। उनका कहना है कि सभी घर के कार्य तथा अन्य कार्य भी पैदावार बिक्री से ही पूरे किए जाते हैं और वे अब रुक गए हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द सरसों खरीदने का प्रबंध किया जाए।
महेश कुमार का कहना है कि उन्होंने भी सरसों का रजिस्ट्रेशन करवाया था लेकिन सरसों रजिस्ट्रेशन के पश्चात कुछ किसानों की सरसों खरीद ली गई वे इंतजार करते ही रह गए। ऐसे में उनकी मांग है कि उनकी सरकारी रेट पर सरसों की खरीद करवाई जाए। उनका कहना है किसानों का एकमात्र आय का साधन सरसों होती है। यदि सरसों नहीं बिकेगी तो घर का काम कैसे चल पायेगा।
किसान राकेश कुमार ने बताया कि सरसों घर पर पड़ी हुई है। वे सरकार द्वारा खरीद का इंतजार कर रहे हैं। सरकार जब सरसों खरीदेगी तभी सरसोंं बेचकर घर परिवार का गुजर बस कर पायेंगे। कृष्ण कुमार, दिनेश कुमार, राकेश कुमार, राज सिंह, प्रेम कुमार आदि किसानों ने बताया कि वे परेशान हैं और सरसों खरीद का इंतजार कर रहे हैं। उधर कनीना मार्केट कमेटी के चेयरमैन राजकुमार कनीनवाल उप प्रधान ओमप्रकाश लिसानिया का कहना है कि सरकार का आदेश आते ही सरसों की खरीद शुरू करवा देंगे। अभी तक सरकार का कोई आदेश नहीं आया है जिसके चलते वे असहाय नजर आते हैं। उन्होंने बताया कि तेल मिलों पर सरसों बेचना का विकल्प खुला है। अब तो निजी संस्थानों पर भी सरसों खरीद की पाबंधी है।
क्षेत्र के किसानों की कनीना मंडी के अतिरिक्त सेहलंग, दोंगड़ा अहीर और करीरा में भी खरीद की गई थी। गेहूं की खरीद विगत दिनों तक जारी थी। किंतु सरसों खरीद नहीं हो पाई। कनीना की हैफेड, हरियाणा स्टेट वेयरहाउस आदि ने सरसों की खरीद की थी किंतु सरकार द्वारा अचानक सरसों खरीद में ब्रेक लगा देने से अब सरसों खरीद का काम बंद पड़ा है। किसान परेशान हैं।
फोटो कैप्शन: किसान सूबे सिंह, महेश कुमार, मोहन कुमार, राकेश कुमार।
जून माह में हुई 68 एमएम बारिश, नहीं हो पाई पूर्ण बिजाई
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कनीना। जून माह में कनीना क्षेत्र में महज 68 एमएम बारिश हो चुकी है। फिर भी बिजाई का कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं।
वर्ष 2018 में जून माह में 70 एमएम बारिश हुई थी। 2019 में 25 एमएम बारिश हुई थी किंतु इस बार जून माह में 68 एमएम बारिश हो चुकी है। 30 फीसदी किसानों ने बाजरे की बीजाई कर डाली है। किसानों को बेसब्री से बारिश होने का इंतजार है। शुक्रवार को हल्की बूंदाबांदी हुई जो खड़ी कपास एवं खरीफ की फसल के लिए लाभकारी है।
कनीना खंड के किसान भी बारिश का इंतजार कर रहे हैं। कनीना की बावनी भूमि अर्थात 52000 हेक्टेयर के रूप में जानी जाती है। यहां किसान बारिश के समय में खरीफ फसल की बिजाई करता है। यद्यपि खड़ी फसल अनाज के लिए कम तथा फोडर के लिए अधिक उगाई जाती है। विगत वर्ष से बाजरे की सरकारी खरीद होने से किसान बाजरे की बिक्री करने के लिए उत्साहित नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि बेहतर बाजरे का बीज तथा खाद किसानों ने पहले से ही घरों में रखा हुआ है ताकि बारिश होते ही बिजाई की जा सके। अभी तक भीषण गर्मी पड़ रही है, तापमान 40 डिग्री से अधिक रहता है। विगत दिनों से हल्की बूंदाबांदी हुई है। ऐसे में जब तक अच्छी बारिश नहीं होती किसान परेशान नजर आएंगे।
फोटो कैप्शन 2: किसानों के खेतों में खड़ी बाजरे की फसल।
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