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Monday, June 29, 2020

 कोरोना केस बढ़कर हुये 38   कोटिया में नया केस आया
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 कुल केस 38      ठीक होकर वापस                              आये-अधिकांश         मौत 01
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गांव का नाम         कोरोना पोजिटिव संख्या
1.   ककराला       06
2.   इसराना         02
3.   रामबास        02
4.   कनीना          05
5.   मोहनपुर        01
6.   सिहोर           02
7.  छीथरोली        01
8.   गोमला         01
9.   खैराना          01
10  धनौंदा          03
11  रसूलपुर        02
12  सेहलंग         01
13  गाहड़ा          01
14 दौंगड़ा अहीर    01
15  नांगल हरनाथ  01
16  मुडायन        01
17 करीरा          02
18 कोटिया         01+1
19 भडफ़           01
20 बचीनी          01
21 उच्चत           01
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वापस आये-अधिकांश ठीक होकर आये हैं। अब तक एक मौत हुई है



 



कोटिया में आया नया कोरोना केस

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कनीना। कनीना खंड के गांव कोटिया में नया केस कोरोना पाजिटिव मिला है। अब तक कोरोना केस 38 पहुंच गये हैं। एसएमओ डा धर्मेंद्रग ने बताया कि कि मुम्मबई में रेलवे में काम करने वाले इस सज्जन ने 22 जून को सेंपल दिया था और सोमवार को केस पाजिटिव आया।
स्वास्थ्य विभाग की टीम जिसमें शीशराम सुपरवाइजर, सुनील कुमार एमपीएचडब्ल्यू, राजेश कुमार, सुशीला, सुमन एवं आशा वर्कर ने स्क्रीनिंग कर 7 घर एवं 29 व्यक्ति कंटेंनमेंट जोन में तो 14 घर एवं 76 व्यक्ति बफर जोन में रखते हुए कार्रवाई कर दी है।

युवा पीढ़ी भी हुक्के की शौकीन

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 कनीना। युवा पीढ़ी जहां फास्ट फूड के प्रति अति शौकीन है वही हुक्के की शौकीन भी नजर आने लगी है। स्कूल एवं कालेज के विद्यार्थी भी हुक्का पीते हुए देखे गए हैं। मां-बाप काम कुछ ढीला पड़ जाने के कारण इस प्रकार की घटनाएं घट रही हैं।
 अक्सर कॉलेज और स्कूल में जाने वाले विद्यार्थी फास्ट फूड एवं कोल्ड ड्रिंक आदि का सेवन जमकर करती ही है वही अब सिगरेट और हुक्का पीते हुए भी देखे जा सकते हैं। हुक्के के प्रति तो विशेष आकर्षण बढ़ता जा रहा है। कनीना के नरेश कुमार ने बताया कि जब किसी जगह हुक्का चल रहा होता है बुजुर्ग तथा अधेड़ उम्र के लोग हुक्का पी रहे होते हैं तो कालेज एवं स्कूल के विद्यार्थी भी उनके पास आकर बैठ जाते हैं और हुक्का गुडग़ड़ाने लग जाते हैं। यही नहीं सिगरेट के शौकीन तो अधिक संख्या में कालेज विद्यार्थी देखे जा सकते हैं।
शिक्षक दिनेश कुमार ने बताया कि अब सरकार ने विद्यार्थियों के प्रति कुछ नियम भी बदल दिए हैं। अब शिक्षक विद्यार्थियों को पीटना तो दूर डरा धमका भी नहीं सकते। यही कारण है कि विद्यार्थी शिक्षकों से भी नहीं डरते वही मां बाप से भी नहीं डर रहे हैं। मां-बाप अगर बच्चों को डराते धमकाते तो किसी अनहोनी घटना का शिकार भी हो सकते हैं। उधर आर्य समाज के राव मोहर सिंह ने बताया कि कुछ संस्कार और सभ्यता में परिवर्तन आ गया है जिसके चलते युवा पीढ़ी अब गुरु मां-बाप आदि को के प्रति कम ध्यान देती है और कुछ घटिया आदतों में संलिप्त देखी जा सकती है।

वृक्षमित्र रह गए कम, अधिक वृक्ष लगाने वालों की हो चुकी है मौत 

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कनीना। कनीना क्षेत्र में अधिक पेड़ लगाने वाले व्यक्ति कम होते जा रहे हैं। कनीना के मंगल सिंह, उन्हाणी के दीपचंद पहलवान वृक्षमित्र नाम से जाने जाते रहे हैं जिनकी बदौलत भारी पेड़ लगे हैं। दोनों की मौत हो चुकी है।अब पेड़ काटने वाले अधिक हैं तथा लगाने वाले कम हैं।
  कनीना क्षेत्र में वृक्ष लगाने वालों की कोई कमी नहीं थी। कनीना के मंगल सिंह प्रसिद्ध वृक्षमित्र थे। उन्होंने कनीना के विभिन्न स्थानों पर भारी संख्या में वृक्ष लगाए। विशेषकर जोहड़, सार्वजनिक स्थल, स्कूल, जंगल, बस स्टैंड आदि प्रमुख थे। उनके द्वारा लगाए हुए वृक्ष आज भी जिंदा हैं। वे नगरपालिका में कर्मचारी होते थे परंतु जितना भी वक्त उन्हें मिलता था वे पेड़ पौधे लगाते थे। वे अब जग में नहीं रहे हैं। उनके पदचिह्नों पर उनके पूर्व शिक्षक रविंद्र कुमार आज भी पेड़ पौधे लगा रहे हैं। उन्हाणी के जगमाल सिंह ने पूरी बगीची ही तैयार की है जो विगत दिनों से अस्वस्थ चल रहे हैं। वे चारपाई पर रह रहे हैं।
   उधर कनीना के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में लंबे समय तक कर्मचारी रहे दीपचंद पहलवान अपने समय के जाने माने पहलवान थे तथा वृक्षमित्र कहलाते थे। आज वे इस दुनिया में नहीं हैं तथा वे अविवाहित थे। उन्होंने भी जहां तहां जगह मिली दिनरात पेड़ लगाए वहीं स्कूल एवं बस स्टैंड पर उन्होंने भी भारी संख्या में पेड़ लगाए थे। आज वे वृक्षमित्र के रूप में जाने जाते हैं। जब कभी पेड़ पौधों की बात चलती है तो उनका नाम आदर से लिया जाता है।
  आज पेड़ों की संख्या कम होती जा रही है। पेड़ लगाने के लिए प्रयास तो किए जाते हैं परंतु बेहतर प्रयास नहीं किए जाते हैं जिसके चलते पेड़ों की संख्या घट रही है। पेड़ लगाने के लिए विभिन्न संस्थाएं सामने आ रही हैं परंतु पेड़ लगाकर भूल जाते हैं जिसके चलते वे पेड़ दम तोड़ देते हैं।

क्षेत्र में हुई बूंदाबांदी 

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 कनीना। गत दिनों से पड़ रही गर्मी के बाद कनीना क्षेत्र में दोपहर उपरांत बूंदाबांदी हुई। बूंदाबांदी महज एक एमएम थी जिससे गर्मी से राहत मिली है वही फसलों के लिए भी यह बूंदाबांदी लाभप्रद साबित होगी। वैसे तो किसान अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं किंतु अच्छी बारिश अभी तक नहीं हुई है। इस वक्त खेतों में कपास,बाजरा,पशुचारे आदि की फसल खेतों में खड़ी हुई है। जहां इस बार कोरोना की मार पड़ी है वही टिड्डी दल भी कुछ क्षेत्रों में नुकसान कर गया है। ऐसे में किसान बारिश होने का इंतजार कर रहे हैं। ताकि कुछ फसल पैदावार हो सके।

उप नागरिक अस्पताल में एसडीम ने किया दौरा

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 कनीना। एसडीएम कनीना रणवीर सिंह ने उप नागरिक अस्पताल कनीना का दौरा कर ऑक्सीजन गैस सप्लाई से संबंधित जानकारी हासिल की।
 मिली जानकारी अनुसार भविष्य में यदि कोई आपदा आती है तो उस समय कनीना के इस अस्पताल को डीसीएचसी( डिस्ट्रिक्ट कोविड-19 हेल्थ सेंटर) स्थापित किया जा सकता है। ऐसे में समुचित जानकारी हासिल की जा रही है ताकि समय पर यदि कोई आपदा आए तो उसका निदान हो सके। उन्होंने जाकर गैस सिलेंडर आदि को चेक किये। उधर एसएमओ डॉ धर्मेंद्र ने बताया कि यहां के अस्पताल में 19 बड़े सिलेंडर तथा पांच छोटे सिलेंडर ऑक्सीजन के आए हुए हैं। पाइपलाइन द्वारा ऑक्सीजन गैस सीधे मरीज तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। इस प्रकार भविष्य में यदि कोई आवश्यकता हुई तो उसका लाभ मरीजों को मिलेगा।
इस अवसर पर शीशराम सुपरवाइजर सहित विभिन्न डॉक्टर उपस्थित थे।
 फोटो कैप्शन तीन: एसडीएम कनीना उप नागरिक अस्पताल में जानकारी हासिल करते हुए।


ककराला गांव के लोगों की हुई स्क्रीनिंग 

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कनीना। रविवार को जहां ककराला गांव में कोरोना के और मरीज आने से स्वास्थ्य विभाग की टीम ने घर-घर जाकर स्क्रीनिंग की।
 इस मौके पर ककराला में  बनाए गए कंटेनमेंट जोन में 6 घर तथा 39 व्यक्ति वही बफर जोन में 40 घर और 212 व्यक्ति शामिल किए गए हैं। इन सभी की स्क्रीनिंग की गई।
 शीशराम सुपरवाइजर की देखरेख में संदीप सिंह एमपीडब्ल्यू, संतोष एएनएम स्नेहलता और आशा ने अहम भूमिका निभाई।
  कनीना उपमंडल में  संक्रमितों का आंकड़ा 37 पहुंच गया है।विभााग ने अधिकांश लोगों को पटीकरा में भर्ती कराया गया हैद्ध पहले से भेजे गए मरीज स्वस्थ्क होकर आ गये हैं।
 डॉ धर्मेंद्र एसएमओ का कहना है कि नियमों का सही ढंग से पालन किया जाए तो रोगों से बचा जा सकता है। उनका कहना है कि जब कहीं बाहर जाना पड़े तो हाथों पर ग्लव्ज, मुंह पर मास्क, सिर पर कुछ पहन कर धूप से बचाना चाहिए तथा रोग से बचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखना बहुत जरूरी है ताकि रोग से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि अच्छे ढंग के मास्क प्रयोग करने चाहिए वही अच्छे ढंग के सैनिटाइजर प्रयोग किये जाने चाहिए।
उन्होंने सभी नियमों का पालन करने की हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग और बच्चों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, वही किसी खास काम की वजह से बाहर जाना पड़े तो ही नियमानुसार ही जाना चाहिए। सभी मुंह, हाथ, नाक अच्छी प्रकार ढक लेने चाहिए। उन्होंने कहा अक्सर लोग मास्क तो लगा लेते हैं लेकिन वह दिखावे मात्र लगाती हैं जबकि नाकों को पूर्णता ढकना चाहिए।
फोटो कैप्शन 4:ककराला गांव में स्क्रीनिंग करते हुए स्वास्थ्यकर्मी।

प्याज का कर रहे हैं स्टाक,बढ़ रहे हैं भाव, एक पखवाड़े में भाव दोगुने पहुंचे

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कनीना। क्षेत्र में प्याज उगाने वाले किसान अपने प्याज का स्टॉक कर रहे हैं। प्याज महंगी होती जा रही है। प्रति किलो भाव एक पखवाड़े में दोगुने हो गए हैं। मार्केट में प्याज 20 रुपये किलो पहुंच गई है। एक सप्ताह पहले भाव आठ रुपये किलो था।
  उल्लेखनीय है कनीना क्षेत्र के कई किसान प्याज उगाकर उसका स्टाक करने में लगे हुए हैं। वैसे किसान सूबे सिंह,राजेंद्र सिंह, अजीत कुमार ने बताया कि प्याज को लंबे समय तक स्टोर करना कठिन होता है। अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में देसी प्याज उगाई जाती है जो कुछ दिनों के बाद सडऩे लग जाती है। विशेषकर जब बारिश में मौसम होता है तो उस समय यह सड़कर बदबू देने लग जाती है किंतु सीकर कि प्याज लंबे समय तक चल सकती है। उन्होंने बताया कि किसानों में होड़ लगी हुई है कि अधिक से अधिक प्याज को स्टोर किया जाए।  यहां उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष विगत वर्षों गांव में भी प्याज बेचने के लिए रेहड़ी वाले, ऊंटगाड़ी तथा अपने ट्रैक्टर आदि में प्याज डालकर बेचने के लिए किसान आते थे किंतु इस बार कम किसान प्याज बेचने आ रहे हैं। इस बार यदि प्याज का भाव देखा जाए तो बड़े-बड़े शहरों में भी प्याज 20 से 25 रुपये किलो बिक रही है। किसान बताते हैं कि इस वक्त प्याज जब खोदी जाती है तो काफी सस्ती होती है। किसान अपनी प्याज का स्टॉक कर रहे हैं ताकि महंगे दामों पर उसे बेच सके।
 उधर प्रोग्रेसिव किसान महावीर सिंह करीरा ने बताया कि प्याज का स्टॉक लंबे समय तक नहीं चल सकता। अधिकतम दो ढाई महीने तक प्याज को रखा जा सकता है। आने वाले समय में क्या रंग दिखाएगी और कितने लोगों को की आंखों में आंसू लाएगी।
फोटो कैप्शन 1: प्याज की फोटो।

बिजली ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़ाने और वार्ड सात में पोल लगवाने की मांग

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कनीना। जहां एक तरफ गर्मी का कहर जारी है वही बिजली कम आने की समस्या से कस्बे के वार्ड नंबर 6 व 7 के लोगों का जीना हराम हो गया है जिसको लेकर लोग एकत्रित होकर हरियाणा विद्युत निगम के स्थानीय कार्यालय में पहुंचे तथा वहा मौजूद विभाग के एसडीओ से मुलाकात कर बिजली की समस्या का दुखड़ा रोया। वार्डों के लोगों ने एसडीओ से मुलाकात कर बताया कि वार्ड 6 में बिजली का जो ट्रांसफार्मर लगा है उस पर कनेक्षन ज्यादा है तथा वह कम पावर की है जिसके कारण इस ट्रांसफार्मर से जुड़े लोगों को बिजली आपूर्ति ठीक ढंग से नही हो पाती है। लोगों को बिजली की समस्या के कारण रात भर बैठ कर गुजारने पर मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने यह भी बताया कि उक्त वार्डो में एक घर भी ऐसा नही है जिसका बिजली बिल बकाया हो लेकिन उसके बाद भी बिजली कि समस्या अपने आप में बड़ी समस्या है जिसे किसी भी सूरत में बरदाश्त नही किया जाएगा। वही वार्ड नंबर 7 के लोगों ने बिजली एसडीओ को बताया कि कस्बे के लगभग वार्डो में बिजली के पोल लग चुके है लेकिन वार्ड न बर सात की पैस कलोनी में बिजली के पोल अभी तक नही लगने के कारण लोगों ने बिजली की केबल रिहायसी मकानों के ऊपर से गुजार कर लगाई हुई है जिसके कारण वार्ड सात के लोगों को बड़ी समस्या बनी हुई है। वार्ड वासियों ने यह भी बताया कि बिजली की केबल बिना पोल के लगाई हुई है जो जमीन से मात्र चार या पांच फुट ऊंची होने के कारण यहां कोई भी बड़ा हादसा होने का अंदेशा बना रहता है। वार्ड वासियों ने विद्युत निगम के एसडीओ से मांग कर वार्ड सात मेें पोल लगवाने अथवा वार्ड छह में ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़वाने की गुहार लगाई है। ताकि लोगों को आए दिन होने वाली बिजली समस्या से निजात मिल सके। वही एसडीओ ने सभी वार्डवासियों की समस्या सुनी तथा जल्द ही उसके समाधान का आश्वासन दिया।
फोटो कैप्शन 2: वार्डवासी समस्या सुनाते हुये।

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