कोरोना के दो पॉजिटिव केस और मिलने से संख्या 26 पहुंची
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कनीना। कनीना उपमंडल में जहां कोरोनावायरस बढ़कर 26 हो गए हैं वहीं कोरोनावायरस बढऩे का सिलसिला जारी है। अभी तक कोरोना पॉजिटिव 24 थे लेकिन सोमवार को दो कोरोना इनकी संख्या बढ़कर 26 हो गई है। उनमें से 10 कोरोना पोजिटिव केस नेगेटिव होकर वापस आ गये हैं।
कोरोना पॉजिटिव केस को या तो पटिकरा भेज देते या फिर उसे घर आइसोलेट किया जाता है। मिली जानकारी अनुसार मुडायन और नंगल हरनाथ गांव में 1-1 कोरोना पॉजिटिव केस पाया गया है। मुडायन में पाया गया कोरोना पोजिटिव केस हरियाणा पुलिस में गुडग़ांव में कार्यरत बताया उन्हें पटिकरा भेज दिया गया है जबकि नंगल हरनाथ में मारुति में कार्य करने वाला एक केस नेगेटिव पॉजिटिव पाया गया जिसे घर पर ही आइसोलेट कर दिया गया है।
विस्तृत जानकारी देते हुए डॉ धर्मेंद्र एसएमओ कनीना ने बताया कि कोरोना सं संबंधित समस्त कार्रवाई पूर्ण कर दी गई है। उन्होंने कहा कि जब तक लोग कोरोना के नियमों का पालन नहीं करेंगे और कोरोना से बचने के सभी नियमों का पालन नहीं करेंगे तब तक कोरोना केस बढ़ते ही चले जाएंगे। इस समय उन्होंने फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखने, हाथों को साफ करने, मास्क लगाने आदि जैसी हिदायतें दी गई। उन्होंने कहा कि बचाव में ही बचाव है।
कनीना क्षेत्र में कोरोना की स्थिति--- 15 जून 2020
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कुल केस 26 ठीक होकर वापस आये-10
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गांव का नाम कोरोना पोजिटिव संख्या
1. ककराला 03
2. इसराना 02
3. रामबास 02
4. कनीना 04
5. मोहनपुर 01
6. सिहोर 02
7. छीथरोली 01
8. गोमला 01
9. खैराना 01
10 धनौंदा 03
11 रसूलपुर 01
12 सेहलंग 01
13 गाहड़ा 01
14 दौंगड़ा अहीर 01
15 नांगल हरनाथ 01
16 मुडायन 01
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वापस आये-10
शिक्षकों को विद्यालय में बुलाए जाने का जताया कड़ा विरोध
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कनीना। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने शिक्षकों को स्कूलों में बुलाए जाने का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि अगर किसी शिक्षक की जरूरत हो तो उसे बुलाया जा सकता है लेकिन अधिक शिक्षकों को किसी हाल में नहीं बुलाना चाहिए। कोरोना केस बढ़ते ही जा रहे हैं ऐसे में स्कूलों में वैसे भी सुविधाएं नहीं दी गई है तो कोरोना केस बढऩे के और ज्यादा चांस बढ़ जाएंगे।
अध्यापक संघ के राज्य सचिव धर्मपाल शर्मा ने यहां जारी एक बयान में कहा कि कुछ प्राचार्य मनमर्जी से शिक्षकों को बुला रहे हैं जबकि शिक्षा विभाग का स्पष्ट आदेश है कि कुछ शिक्षकों को ही बुलाया जाए जिनकी कुछ जरूरत हो। उन्होंने कहा वैसे तो 25 फीसदी शिक्षकों को ही बुलाने का आदेश मुख्य रूप से हुआ है। उन्होंने कहा कि उनमें भी अधिक उम्र के शिक्षकों को, गर्भवती महिलाएं तथा किसी बीमारी से पीडि़त शिक्षक को नहीं बुलाया जा रहा है किंतु प्राचार्य तथा मुखिया अपनी मनमर्जी से सभी शिक्षकों को बुला रहे हैं या सभी शिक्षकों को एक साथ भी बुला रहे हैं।
उन्हें बड़ा खेद हुआ कि एक तरफ पूरा विश्व महामारी की चपेट में है और शिक्षक घर बैठे बेहतर कार्य कर रहे हैं। विद्यार्थियों को पढ़ाने का कार्य कर रहे हैं यहां तक कि अप्रैल माह से लगातार पढ़ा रहे हैं फिर भी उनको स्कूल में बुलाना मुनासिब समझ रहे हैं। जबकि सभी कार्य आज के दिन ऑनलाइन हो रहे हैं फिर भी शिक्षकों को बुलाकर रोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अध्यापक संघ इस नियम को कि कुछ शिक्षकों या सभी शिक्षकों को स्कूल में बुलाने का कड़ा विरोध करता है तथा इसके विरुद्ध आंदोलन भी तैयार करेगा। उन्होंने कहा कि स्कूल एक ऐसी संस्था है जहां से रोग फैलने के सबसे ज्यादा चांस होते हैं एक और ये वो स्कूल जहां श्रमिक रुके थे और शेल्टर होम स्थापित हुए थे ,उसी जगह अभिन्न शिक्षकों को बैठकर बढ़ाना होगा। कुछ स्कूलों में तो सफाई कर्मी न होने से सफाई व्यवस्था नहीं होती है। यदि कुछ शिक्षकों कोया सभी शिक्षकों शिक्षकों को बुलाते हैं तो उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा? इस संबंध में उन्होंने कहा कि गतिविधियां जरूर शिक्षक अपने घर से पूरा कर सकते हैं।
पक्षियों के लिए कर रहे हैं प्रबंध
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कनीना। भीषण गर्मी में इंसानों के साथ साथ पशु-पक्षीयों के कण्ठ सूख रहे हैं । हम सभी में उतनी तो संवेदनशीलता होनी ही चाहिए कि पशु- पक्षियों को दाना-पानी की कहीं कोई समस्या नहीं आए। दाना-पानी के अभाव में अगर कोई पशु या पक्षी तड़पता है, भीषण गर्मी का शिकार होकर भूख और प्यास से दम तोड़ देता है तो हमारी संवेदना ऐसों की मदद के लिए जरूर होनी चाहिए।
बीएमडी क्लब व जेबीड़ी युवा क्लब धनौंदा लगातार पक्षियों के लिए सकोरे रख रहा है । बीएमडी कलावा जेबीडी क्लब के सदस्यों ने धनौंदा गांव मे पक्षियो के लिए सकोर रखे वहीं दाना- पानी की उचित व्यवस्था की गई। संस्था के सदस्य अमित प्रजापत ने बताया की इस भीषण गर्मी मे बेजुबान पक्षियो के लिए दाना पानी का प्रबंध करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। गांव के सार्वजनिक स्थानो पर लगातार सकोरे रख रहे है । संस्था के सदस्य सकोरे रखने के साथ-साथ दाने पाने की व्यवस्था भी कर रहे हैं इसके साथ ही सभी रखे हुए स्कूलों की जिम्मेवारी भी ले रहे हैं हर रोज इसमें दाना पानी डालेंगे । सुबह सबसे पहले संस्था के सदस्यों ने श्री हरी मंदिर मे अमित व प्रियंका ने सकोर रखे उसके बाद शैड माता मे तन्नु व विशाल ने सकोर रखे इसके साथ ही शहीद मुर्ति के पास रवि व सुरेंद्र ने उसके स्टेडियम के पास नरेश व देवीराम ने सकोरे रखे ।
फोटो कैप्शन 3: पक्षियों के लिए शिकोरे रखते हुए।
शिवकुमार अग्रवाल ने चौ देवीलाल के संग जेल में बिताए थे छह माह
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कनीना। कनीना मंडी के शिव कुमार अग्रवाल जिनका लोकतंत्र के प्रहरियों में नाम क्षेत्र में सर्वोपरि है। उनके पूर्वज कनीना खंड के गांव मोहनपुर(नांगल) से कनीना में 1940 में आए थे। चंपा देवी एवं प्रह्लाद राय के घर में 28 जुलाई 1941 में जन्में शिवकुमार अग्रवाल ने पंजाब विश्वविद्यालय से मार्च 1958 में दसवीं की परीक्षा पास की। उन्होंने 7 जुलाई 1975 से 16 दिसंबर 1975 तक जेल की यातनाएं सही।
1975 में जब वे आरएसएस की शाखा, कनीना मंडी में स्टोर तथा समाचार पत्र के एजेंट भी थे। 5 जुलाई को कनीना थाने से एक पुलिसकर्मी आए और कहा कि थानेदार ने बुलाया हैं। जब शिवकुमार अग्रवाल उनके साथ कनीना पुलिस स्टेशन पहुंचे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उनके विरुद्ध 7 जुलाई को एफआईआर दर्ज कर दी और महेंद्रगढ़ जेल में भेज दिया गया। न्यायालय ने 5 महीने की सजा और 100 रुपये जुर्माना लगा दिया, अगर जुर्माना नहीं भरता तो 2 माह की अतिरिक्त सजा काटने का प्रावधान रखा। सरकार के विरुद्ध गुप्त मीटिंग करके सरकार के आदेशों का पालन न करने का आरोप भी उन पर लगाया गया।
वे बताते हैं कि 2 मई 1961 में उनकी शादी हुई थी। उनके चार बच्चे जिनमें दो लड़के और दो लड़कियां थी। जब जेल में गए तो चारों बच्चे गणेश, महेश, लक्ष्मी और कृष्णा तथा उनकी पत्नी कैलाशी देवी पर बुरी बीती। क्योंकि उस समय बच्चों की उम्र 7 साल, पांच साल, तीन तथा एक वर्ष थी। सारा कष्ट उनकी पत्नी कैलाशी देवी पर आ पड़ा। घर में कोई बड़ा व्यक्ति नहीं था जो परिवार की देखरेख कर सके।
उधर जब जयप्रकाश नारायण द्वारा आपातकाल का विरोध किया उस समय वे संघ चलाते थे। 1955 के संघ का संचालन करते हुए कई पदों पर रहे हैं। आपातकाल के समय संघ ने सरकार का विरोध नहीं किया किंतु सरकार की यातनाएं जरूर सहन करनी पड़ी। 1975 से 1977 तक आपातकाल लागू रहा।
शिवकुमार बताते हैं कि जब वे महेंद्रगढ़ जेल भेजे गए तो 13 लोग थे जिनमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल, नारनौल के मनोहर लाल सैनी, मुकुट बिहारी संघी, रोहतक से श्याम खोसला, प्रोफेसर तेजा सिंह, बलदेव तायल, कामरेड पृथ्वी सिंह, जगराम, पन्नालाल आदि प्रमुख जेल के साथी थे।
महेंद्रगढ़ ट्रायल कोर्ट के फैसले के विरुद्ध 16 दिसंबर 1975 को सेशन कोर्ट नारनौल पहुंचे तो 100 रुपये जुर्माना वापस मिल गया, निर्दोष साबित करते हुए जेल की सजा भी माफ कर दी किंतु जब तक वे 6 महीने की जेल की सजा भुगत चुके थे। जब 16 दिसंबर 1975 को शाम के करीब 5:00 बजे पैसेंजर ट्रेन से कनीना खास रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो कनीना व आसपास गांवों की भारी भीड़ उन्हें देखने के लिए जमा थी। भीड़ तथा यात्रियों ने उनका भव्य स्वागत किया, खुफिया विभाग के लोग भी उनसे मिलने आए। उनके विरुद्ध न्यायालय में किसी ने कोई गवाही नहीं दी गई। महेंद्रगढ़ न्यायालय में रामफल सिपाही ने जब उनके विरुद्ध बयान नहीं दिया तो वकील ने जबरन उनके विरुद्ध गवाही देने की बात कही। उन्होंने बताया जब आपातकाल चली तब उन्होंने आरएसएस की शाखा नहीं चलाई फिर भी उनके विरुद्ध डीआईआर की धारा 33 के तहत मामला दर्ज किया। आठ गवाह जिनमें 4 सरकारी और 4 गैर सरकारी बनाए गए जिन्होंने किसी ने भी उनके विरुद्ध कोई गवाही नहीं दी।
शिवकुमार अग्रवाल जेल की यादें ताजा करते हुए बताते हैं कि जेल के अंदर वे खाना बनाते थे और खाया जाता था। वे अपने साथ एक डायरी भी ले गए थे, जिसका अध्ययन करते रहते थे। अब भी वह डायरी,कनीना थाने का काटा हुआ चालान तथा सेशन जज का फैसला उनके पास सुरक्षित है। उनकी डायरी में 115 पेज हैं जिन पर जेलर की मोहर लगी हुई है। आज भी शाखा चलाते हैं डायरी पढ़कर सुनाते हैं। डायरी में अपने हाथों से लेख, अच्छी अच्छी धार्मिक बातें लिख रखी है। जब वे जेल में थे तो कनीना के लाजपत सेठ और वेद प्रकाश चेलावास के यहां शादी की सूचना भी जेल में गई जिनका उन्होंने जेल से जवाब दिया।
जेल में शरद पूर्णिमा की खीर अपने हाथों से बनाई थी, जन्माष्टमी का पर्व मनाया था। वे बैडमिंटन चौधरी देवीलाल के साथ भी खेलते थे सैर पर भी जाते थे और उनके साथ बेहतर संबंध बन गए थे। यही कारण है कि जब हरियाणा के मुख्यमंत्री बने तो कई बार उनके पास आए चुनाव लडऩे का आफर दिया परंतु वे राजनीति में नहीं आना चाहते थे। वे बताते हैं कि मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री उनके घर 1989-90 में आए थे जब वे संघ चलाते थे। वर्तमान में वे अपना स्टोर चलाते हैं।
सरकार ने आखिरकार उनके लिए 26 जनवरी 2016 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा ताम्र पत्र दिया गया। दो अक्टूबर 2016 को पहचान पत्र एवं बस पास जारी किया, 1 नवंबर 2017 को दस हजार रुपये पेंशन घोषित की गई। 79 वर्षीय शिव कुमार प्रसन्न है। वे प्रभु में बड़ा विश्वास रखते हैं। उल्लेखनीय है कि शिव कुमार ने सारे परिवार का नाम ही शिवभोले एवं देवी देवताओं के नाम पर रख रखा है।
फोटो कैप्शन: शिव कुमार की डायरी, चालान, कोर्ट का फैसला, शिव परिवार।
कप्तान हुकमचंद पाथेड़ा योगा से करते हैं दिन की शुरुआत
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कनीना। कप्तान हुकमचन्द पाथेड़ा सुबह जल्दी उठकर योग से ही दिन की शुरुआत करते हैं। पहले उन्हें घुटनों एवं दिल से सम्बन्धित समस्या रहती थी। जब से सुबह जल्दी उठकर योग को दैनिक जीवन में ढाला हैं तब से उन्हें इस बीमारी से काफी निजात मिला हैं। वर्तमान में योग दिनचर्या में शामिल हो गया हैं। कप्तान हुकमचन्द पाथेड़ा का कहना हैं की प्रतिदिन सुबह 1 घण्टा योगा के लिए समय निकालती हैं।
योग इतना शक्तिशाली और प्रभावी इसलिए है क्योंकि यह सद्भाव और एकीकरण के सिद्धांतों पर काम करता है। योग के आध्यात्मिक लाभ भी हैं। सूर्योदय या सूर्यास्त के वक़्त योग का सही समय है। योग करने से पहले स्नान ज़रूर करें। योग खाली पेट करें। योग करने से 2 घंटे पहले कुछ ना खायें।आरामदायक सूती कपड़े पहनें। किसी शांत वातावरण और सॉफ जगह में योग अभ्यास करें।अपना पूरा ध्यान अपने योग अभ्यास पर ही केंद्रित रखें। योग अभ्यास धैर्य और दृढ़ता से करें।अपने शरीर के साथ ज़बरदस्ती बिल्कुल ना करें। धीरज रखें। योग के लाभ महसूस होने मे वक़्त लगता है। अगर आपके शरीर में लचीलापन कम है तो आपको शुरुआत में अधिकतर आसन करने में कठिनाई हो सकती है।
फोटो कैप्शन : हुकुमचंद।
डिम्पल यादव ने दैनिक जीवन में योग को अपनाया
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कनीना। काउंसलर डिंपल यादव प्रतिदिन सुबह 1 घण्टा योगा के लिए समय निकालती हैं। पिंकी यादव का कहना हैं की हमें प्रतिदिन अपने घर पर खुली जगह पर योग के लिए अवश्य समय निकलना चाहिए इससे न केवल शरीर स्वस्थ्य रहेगा बल्कि दिनचर्या में अच्छी रहेगी। योग की उत्पत्ति के विषय में सही समय का अनुमान लगाना तो कठिन है लेकिन योग हजारों वर्ष पहले उतपन्न हुआ है। योग हमारे ऋषि-मुनियों की देन है।
आज के वैज्ञानिक युग में भी योग सर्वमान्य और लोकप्रिय हैं। योग का इतिहास बहुत पुराना है यह पुरातन काल से चला आ रहा है।
जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए नियम आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार धारणा,ध्यान,समाधियोग वर्तमान की सबसे बहुमूल्य विरासत है। यह आज की आवश्यकता है और कल की संस्कृति हैं।
योग सही तरह से जीने का विज्ञान है और इसलिए इसे दैनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए। यह हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक, आदि सभी पहलुओं पर काम करता है। योग का अर्थ एकता या बांधना है। इस शब्द की जड़ है संस्कृत शब्द युज, जिसका मतलब है जुडऩा। आध्यात्मिक स्तर पर इस जुडऩे का अर्थ है सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का एक होना। व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है। यह योग या एकता आसन, प्राणायाम, मुद्रा, बंध, षट्कर्म और ध्यान के अभ्यास के माध्यम से प्राप्त होती है। योग के कई आध्यात्मिक लाभ भी हैं। इनका विवरण करना आसान नहीं है, क्योंकि यह आपको स्वयं योग अभ्यास करके हासिल और फिर महसूस करने पड़ेंगे। हर व्यक्ति को योग अलग रूप से लाभ पहुँचाता है तो योग को अवश्य अपनायें और अपनी मानसिक, भौतिक, आत्मिक और अध्यात्मिक सेहत में सुधार लाएं।
फोटो कैप्शन: डिंपल
योग से ठीक हुआ रोग
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कनीना।
मेरा नाम ईश्वर कौशिक है। मैं पेशे से हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर हूं और महेंद्रगढ़ नगर में 11 हट्टा बाजार का रहने वाला हूं। 2008 में मुझे कुश्ती खेलते हुए हुई असावधानी के कारण कमर के निचले हिस्से में भयंकर दर्द हो गया था। जो समय के साथ उबड़-खाबड़ रास्तों में गाड़ी चलाने से स्थायी रोग हो गया और मेरा जीवन लगभग रुक सा गया।
फिर 2017 में मैंने अपने भाई मनोज कौशिक की सलाह और मार्गदर्शन में योग का सहारा लिया। मैंने योग गुरु स्वामी रामदेव के यूट्यूब पर वीडियो में बताए हुए अनुलोम-विलोम, भुजंगासन, कंधरासन, सेतुबंध आसन जैसे अभ्यास करने शुरू किए। अपने भाई के सहयोग से आज मैं 90 प्रतिशत तक स्वस्थ हूं, हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर की नौकरी भी मिली और अब लम्बी दूरी पर भी बस चलाने का काम कर पता हूं, इसके पीछे योग का ही कमाल है। मैं अब नियमित योग करता हूं।
स्वस्थ हो या रोगी , मैं अपनी तरफ से सभी को ही योग करने की सलाह देना चाहूंगा।
फोटो ईश्वर कौशिक
नियमित योग किया, स्वस्थ हूं
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कनीना।
मैं कृष्ण कुमार महेंद्रगढ़ के लावन गांव का निवासी हूं। मैं पिछले 12 वर्षों से स्वयं योग कर रहा हूं और पिछले 4 वर्षो से गांव के बच्चों व युवाओं को भी इसके लिए प्रेरित करके साथ में योग सीखा रहा हूं।
मैंने सबसे पहले 2007 में बड़े बुजुर्गों की सलाह व पुस्तकों में पढ़कर योग को जाना। इसमें रुचि पैदा हुई तो योग में और अधिक खोजबीन शुरू कर दी। मुझे प्राणायाम और सूर्य नमस्कार बहुत पसंद है। यह योग और खान-पान के नियंत्रण का ही परिणाम है कि पिछले लम्बे समय से मैं बीमार नहीं हुआ हूं और मेरी आयु के अन्य लोगों को सामान्यत: होने वाले दर्द या अन्य रोगों से मैं अभी दूर हूं।
2015 में हमारे गांव लावण के माध्यमिक विद्यालय प्रांगण में पतंजलि योग समिति के द्वारा 5 दिवसीय निशुल्क योग शिविर लगाया गया था। इसमें योग शिक्षक निलेश मुदगल ने बड़ी ही सरल विधि और भाषा शैली के साथ कराए गए योगाभ्यास से मुझ में नई ऊर्जा और उत्साह भर दिया। शिविर के अंतिम दिवस समापन पर उन्होंने हवन करवाया और हवन की दक्षिणा के रूप में गांववासियों से नियमित योगाभ्यास करने व इसे कभी ना छोडऩे का संकल्प मांगा। उसके अगले दिन से ही मैं अपने गांव की बणी में मंदिर के पास सभी लोगों को निशुल्क नियमित योग सिखाने लग गया। यह दिनचर्या आज भी सतत जारी है।
आज तक मैंने योग से जो भी लाभ पाएं हैं उनके अनुभव से मैं सभी से यही कहता हूं कि योग बिना नुकसान और बिना खर्च की दवाई है। इसे जितना जल्दी हो सके सभी को शुरू कर देना चाहिए।
फोटो कृष्ण कुमार
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कनीना। कनीना उपमंडल में जहां कोरोनावायरस बढ़कर 26 हो गए हैं वहीं कोरोनावायरस बढऩे का सिलसिला जारी है। अभी तक कोरोना पॉजिटिव 24 थे लेकिन सोमवार को दो कोरोना इनकी संख्या बढ़कर 26 हो गई है। उनमें से 10 कोरोना पोजिटिव केस नेगेटिव होकर वापस आ गये हैं।
कोरोना पॉजिटिव केस को या तो पटिकरा भेज देते या फिर उसे घर आइसोलेट किया जाता है। मिली जानकारी अनुसार मुडायन और नंगल हरनाथ गांव में 1-1 कोरोना पॉजिटिव केस पाया गया है। मुडायन में पाया गया कोरोना पोजिटिव केस हरियाणा पुलिस में गुडग़ांव में कार्यरत बताया उन्हें पटिकरा भेज दिया गया है जबकि नंगल हरनाथ में मारुति में कार्य करने वाला एक केस नेगेटिव पॉजिटिव पाया गया जिसे घर पर ही आइसोलेट कर दिया गया है।
विस्तृत जानकारी देते हुए डॉ धर्मेंद्र एसएमओ कनीना ने बताया कि कोरोना सं संबंधित समस्त कार्रवाई पूर्ण कर दी गई है। उन्होंने कहा कि जब तक लोग कोरोना के नियमों का पालन नहीं करेंगे और कोरोना से बचने के सभी नियमों का पालन नहीं करेंगे तब तक कोरोना केस बढ़ते ही चले जाएंगे। इस समय उन्होंने फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखने, हाथों को साफ करने, मास्क लगाने आदि जैसी हिदायतें दी गई। उन्होंने कहा कि बचाव में ही बचाव है।
कनीना क्षेत्र में कोरोना की स्थिति--- 15 जून 2020
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कुल केस 26 ठीक होकर वापस आये-10
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गांव का नाम कोरोना पोजिटिव संख्या
1. ककराला 03
2. इसराना 02
3. रामबास 02
4. कनीना 04
5. मोहनपुर 01
6. सिहोर 02
7. छीथरोली 01
8. गोमला 01
9. खैराना 01
10 धनौंदा 03
11 रसूलपुर 01
12 सेहलंग 01
13 गाहड़ा 01
14 दौंगड़ा अहीर 01
15 नांगल हरनाथ 01
16 मुडायन 01
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वापस आये-10
शिक्षकों को विद्यालय में बुलाए जाने का जताया कड़ा विरोध
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कनीना। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने शिक्षकों को स्कूलों में बुलाए जाने का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि अगर किसी शिक्षक की जरूरत हो तो उसे बुलाया जा सकता है लेकिन अधिक शिक्षकों को किसी हाल में नहीं बुलाना चाहिए। कोरोना केस बढ़ते ही जा रहे हैं ऐसे में स्कूलों में वैसे भी सुविधाएं नहीं दी गई है तो कोरोना केस बढऩे के और ज्यादा चांस बढ़ जाएंगे।
अध्यापक संघ के राज्य सचिव धर्मपाल शर्मा ने यहां जारी एक बयान में कहा कि कुछ प्राचार्य मनमर्जी से शिक्षकों को बुला रहे हैं जबकि शिक्षा विभाग का स्पष्ट आदेश है कि कुछ शिक्षकों को ही बुलाया जाए जिनकी कुछ जरूरत हो। उन्होंने कहा वैसे तो 25 फीसदी शिक्षकों को ही बुलाने का आदेश मुख्य रूप से हुआ है। उन्होंने कहा कि उनमें भी अधिक उम्र के शिक्षकों को, गर्भवती महिलाएं तथा किसी बीमारी से पीडि़त शिक्षक को नहीं बुलाया जा रहा है किंतु प्राचार्य तथा मुखिया अपनी मनमर्जी से सभी शिक्षकों को बुला रहे हैं या सभी शिक्षकों को एक साथ भी बुला रहे हैं।
उन्हें बड़ा खेद हुआ कि एक तरफ पूरा विश्व महामारी की चपेट में है और शिक्षक घर बैठे बेहतर कार्य कर रहे हैं। विद्यार्थियों को पढ़ाने का कार्य कर रहे हैं यहां तक कि अप्रैल माह से लगातार पढ़ा रहे हैं फिर भी उनको स्कूल में बुलाना मुनासिब समझ रहे हैं। जबकि सभी कार्य आज के दिन ऑनलाइन हो रहे हैं फिर भी शिक्षकों को बुलाकर रोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अध्यापक संघ इस नियम को कि कुछ शिक्षकों या सभी शिक्षकों को स्कूल में बुलाने का कड़ा विरोध करता है तथा इसके विरुद्ध आंदोलन भी तैयार करेगा। उन्होंने कहा कि स्कूल एक ऐसी संस्था है जहां से रोग फैलने के सबसे ज्यादा चांस होते हैं एक और ये वो स्कूल जहां श्रमिक रुके थे और शेल्टर होम स्थापित हुए थे ,उसी जगह अभिन्न शिक्षकों को बैठकर बढ़ाना होगा। कुछ स्कूलों में तो सफाई कर्मी न होने से सफाई व्यवस्था नहीं होती है। यदि कुछ शिक्षकों कोया सभी शिक्षकों शिक्षकों को बुलाते हैं तो उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा? इस संबंध में उन्होंने कहा कि गतिविधियां जरूर शिक्षक अपने घर से पूरा कर सकते हैं।
पक्षियों के लिए कर रहे हैं प्रबंध
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कनीना। भीषण गर्मी में इंसानों के साथ साथ पशु-पक्षीयों के कण्ठ सूख रहे हैं । हम सभी में उतनी तो संवेदनशीलता होनी ही चाहिए कि पशु- पक्षियों को दाना-पानी की कहीं कोई समस्या नहीं आए। दाना-पानी के अभाव में अगर कोई पशु या पक्षी तड़पता है, भीषण गर्मी का शिकार होकर भूख और प्यास से दम तोड़ देता है तो हमारी संवेदना ऐसों की मदद के लिए जरूर होनी चाहिए।
बीएमडी क्लब व जेबीड़ी युवा क्लब धनौंदा लगातार पक्षियों के लिए सकोरे रख रहा है । बीएमडी कलावा जेबीडी क्लब के सदस्यों ने धनौंदा गांव मे पक्षियो के लिए सकोर रखे वहीं दाना- पानी की उचित व्यवस्था की गई। संस्था के सदस्य अमित प्रजापत ने बताया की इस भीषण गर्मी मे बेजुबान पक्षियो के लिए दाना पानी का प्रबंध करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। गांव के सार्वजनिक स्थानो पर लगातार सकोरे रख रहे है । संस्था के सदस्य सकोरे रखने के साथ-साथ दाने पाने की व्यवस्था भी कर रहे हैं इसके साथ ही सभी रखे हुए स्कूलों की जिम्मेवारी भी ले रहे हैं हर रोज इसमें दाना पानी डालेंगे । सुबह सबसे पहले संस्था के सदस्यों ने श्री हरी मंदिर मे अमित व प्रियंका ने सकोर रखे उसके बाद शैड माता मे तन्नु व विशाल ने सकोर रखे इसके साथ ही शहीद मुर्ति के पास रवि व सुरेंद्र ने उसके स्टेडियम के पास नरेश व देवीराम ने सकोरे रखे ।
फोटो कैप्शन 3: पक्षियों के लिए शिकोरे रखते हुए।
शिवकुमार अग्रवाल ने चौ देवीलाल के संग जेल में बिताए थे छह माह
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कनीना। कनीना मंडी के शिव कुमार अग्रवाल जिनका लोकतंत्र के प्रहरियों में नाम क्षेत्र में सर्वोपरि है। उनके पूर्वज कनीना खंड के गांव मोहनपुर(नांगल) से कनीना में 1940 में आए थे। चंपा देवी एवं प्रह्लाद राय के घर में 28 जुलाई 1941 में जन्में शिवकुमार अग्रवाल ने पंजाब विश्वविद्यालय से मार्च 1958 में दसवीं की परीक्षा पास की। उन्होंने 7 जुलाई 1975 से 16 दिसंबर 1975 तक जेल की यातनाएं सही।
1975 में जब वे आरएसएस की शाखा, कनीना मंडी में स्टोर तथा समाचार पत्र के एजेंट भी थे। 5 जुलाई को कनीना थाने से एक पुलिसकर्मी आए और कहा कि थानेदार ने बुलाया हैं। जब शिवकुमार अग्रवाल उनके साथ कनीना पुलिस स्टेशन पहुंचे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उनके विरुद्ध 7 जुलाई को एफआईआर दर्ज कर दी और महेंद्रगढ़ जेल में भेज दिया गया। न्यायालय ने 5 महीने की सजा और 100 रुपये जुर्माना लगा दिया, अगर जुर्माना नहीं भरता तो 2 माह की अतिरिक्त सजा काटने का प्रावधान रखा। सरकार के विरुद्ध गुप्त मीटिंग करके सरकार के आदेशों का पालन न करने का आरोप भी उन पर लगाया गया।
वे बताते हैं कि 2 मई 1961 में उनकी शादी हुई थी। उनके चार बच्चे जिनमें दो लड़के और दो लड़कियां थी। जब जेल में गए तो चारों बच्चे गणेश, महेश, लक्ष्मी और कृष्णा तथा उनकी पत्नी कैलाशी देवी पर बुरी बीती। क्योंकि उस समय बच्चों की उम्र 7 साल, पांच साल, तीन तथा एक वर्ष थी। सारा कष्ट उनकी पत्नी कैलाशी देवी पर आ पड़ा। घर में कोई बड़ा व्यक्ति नहीं था जो परिवार की देखरेख कर सके।
उधर जब जयप्रकाश नारायण द्वारा आपातकाल का विरोध किया उस समय वे संघ चलाते थे। 1955 के संघ का संचालन करते हुए कई पदों पर रहे हैं। आपातकाल के समय संघ ने सरकार का विरोध नहीं किया किंतु सरकार की यातनाएं जरूर सहन करनी पड़ी। 1975 से 1977 तक आपातकाल लागू रहा।
शिवकुमार बताते हैं कि जब वे महेंद्रगढ़ जेल भेजे गए तो 13 लोग थे जिनमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल, नारनौल के मनोहर लाल सैनी, मुकुट बिहारी संघी, रोहतक से श्याम खोसला, प्रोफेसर तेजा सिंह, बलदेव तायल, कामरेड पृथ्वी सिंह, जगराम, पन्नालाल आदि प्रमुख जेल के साथी थे।
महेंद्रगढ़ ट्रायल कोर्ट के फैसले के विरुद्ध 16 दिसंबर 1975 को सेशन कोर्ट नारनौल पहुंचे तो 100 रुपये जुर्माना वापस मिल गया, निर्दोष साबित करते हुए जेल की सजा भी माफ कर दी किंतु जब तक वे 6 महीने की जेल की सजा भुगत चुके थे। जब 16 दिसंबर 1975 को शाम के करीब 5:00 बजे पैसेंजर ट्रेन से कनीना खास रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो कनीना व आसपास गांवों की भारी भीड़ उन्हें देखने के लिए जमा थी। भीड़ तथा यात्रियों ने उनका भव्य स्वागत किया, खुफिया विभाग के लोग भी उनसे मिलने आए। उनके विरुद्ध न्यायालय में किसी ने कोई गवाही नहीं दी गई। महेंद्रगढ़ न्यायालय में रामफल सिपाही ने जब उनके विरुद्ध बयान नहीं दिया तो वकील ने जबरन उनके विरुद्ध गवाही देने की बात कही। उन्होंने बताया जब आपातकाल चली तब उन्होंने आरएसएस की शाखा नहीं चलाई फिर भी उनके विरुद्ध डीआईआर की धारा 33 के तहत मामला दर्ज किया। आठ गवाह जिनमें 4 सरकारी और 4 गैर सरकारी बनाए गए जिन्होंने किसी ने भी उनके विरुद्ध कोई गवाही नहीं दी।
शिवकुमार अग्रवाल जेल की यादें ताजा करते हुए बताते हैं कि जेल के अंदर वे खाना बनाते थे और खाया जाता था। वे अपने साथ एक डायरी भी ले गए थे, जिसका अध्ययन करते रहते थे। अब भी वह डायरी,कनीना थाने का काटा हुआ चालान तथा सेशन जज का फैसला उनके पास सुरक्षित है। उनकी डायरी में 115 पेज हैं जिन पर जेलर की मोहर लगी हुई है। आज भी शाखा चलाते हैं डायरी पढ़कर सुनाते हैं। डायरी में अपने हाथों से लेख, अच्छी अच्छी धार्मिक बातें लिख रखी है। जब वे जेल में थे तो कनीना के लाजपत सेठ और वेद प्रकाश चेलावास के यहां शादी की सूचना भी जेल में गई जिनका उन्होंने जेल से जवाब दिया।
जेल में शरद पूर्णिमा की खीर अपने हाथों से बनाई थी, जन्माष्टमी का पर्व मनाया था। वे बैडमिंटन चौधरी देवीलाल के साथ भी खेलते थे सैर पर भी जाते थे और उनके साथ बेहतर संबंध बन गए थे। यही कारण है कि जब हरियाणा के मुख्यमंत्री बने तो कई बार उनके पास आए चुनाव लडऩे का आफर दिया परंतु वे राजनीति में नहीं आना चाहते थे। वे बताते हैं कि मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री उनके घर 1989-90 में आए थे जब वे संघ चलाते थे। वर्तमान में वे अपना स्टोर चलाते हैं।
सरकार ने आखिरकार उनके लिए 26 जनवरी 2016 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा ताम्र पत्र दिया गया। दो अक्टूबर 2016 को पहचान पत्र एवं बस पास जारी किया, 1 नवंबर 2017 को दस हजार रुपये पेंशन घोषित की गई। 79 वर्षीय शिव कुमार प्रसन्न है। वे प्रभु में बड़ा विश्वास रखते हैं। उल्लेखनीय है कि शिव कुमार ने सारे परिवार का नाम ही शिवभोले एवं देवी देवताओं के नाम पर रख रखा है।
फोटो कैप्शन: शिव कुमार की डायरी, चालान, कोर्ट का फैसला, शिव परिवार।
कप्तान हुकमचंद पाथेड़ा योगा से करते हैं दिन की शुरुआत
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कनीना। कप्तान हुकमचन्द पाथेड़ा सुबह जल्दी उठकर योग से ही दिन की शुरुआत करते हैं। पहले उन्हें घुटनों एवं दिल से सम्बन्धित समस्या रहती थी। जब से सुबह जल्दी उठकर योग को दैनिक जीवन में ढाला हैं तब से उन्हें इस बीमारी से काफी निजात मिला हैं। वर्तमान में योग दिनचर्या में शामिल हो गया हैं। कप्तान हुकमचन्द पाथेड़ा का कहना हैं की प्रतिदिन सुबह 1 घण्टा योगा के लिए समय निकालती हैं।
योग इतना शक्तिशाली और प्रभावी इसलिए है क्योंकि यह सद्भाव और एकीकरण के सिद्धांतों पर काम करता है। योग के आध्यात्मिक लाभ भी हैं। सूर्योदय या सूर्यास्त के वक़्त योग का सही समय है। योग करने से पहले स्नान ज़रूर करें। योग खाली पेट करें। योग करने से 2 घंटे पहले कुछ ना खायें।आरामदायक सूती कपड़े पहनें। किसी शांत वातावरण और सॉफ जगह में योग अभ्यास करें।अपना पूरा ध्यान अपने योग अभ्यास पर ही केंद्रित रखें। योग अभ्यास धैर्य और दृढ़ता से करें।अपने शरीर के साथ ज़बरदस्ती बिल्कुल ना करें। धीरज रखें। योग के लाभ महसूस होने मे वक़्त लगता है। अगर आपके शरीर में लचीलापन कम है तो आपको शुरुआत में अधिकतर आसन करने में कठिनाई हो सकती है।
फोटो कैप्शन : हुकुमचंद।
डिम्पल यादव ने दैनिक जीवन में योग को अपनाया
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कनीना। काउंसलर डिंपल यादव प्रतिदिन सुबह 1 घण्टा योगा के लिए समय निकालती हैं। पिंकी यादव का कहना हैं की हमें प्रतिदिन अपने घर पर खुली जगह पर योग के लिए अवश्य समय निकलना चाहिए इससे न केवल शरीर स्वस्थ्य रहेगा बल्कि दिनचर्या में अच्छी रहेगी। योग की उत्पत्ति के विषय में सही समय का अनुमान लगाना तो कठिन है लेकिन योग हजारों वर्ष पहले उतपन्न हुआ है। योग हमारे ऋषि-मुनियों की देन है।
आज के वैज्ञानिक युग में भी योग सर्वमान्य और लोकप्रिय हैं। योग का इतिहास बहुत पुराना है यह पुरातन काल से चला आ रहा है।
जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए नियम आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार धारणा,ध्यान,समाधियोग वर्तमान की सबसे बहुमूल्य विरासत है। यह आज की आवश्यकता है और कल की संस्कृति हैं।
योग सही तरह से जीने का विज्ञान है और इसलिए इसे दैनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए। यह हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक, आदि सभी पहलुओं पर काम करता है। योग का अर्थ एकता या बांधना है। इस शब्द की जड़ है संस्कृत शब्द युज, जिसका मतलब है जुडऩा। आध्यात्मिक स्तर पर इस जुडऩे का अर्थ है सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का एक होना। व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है। यह योग या एकता आसन, प्राणायाम, मुद्रा, बंध, षट्कर्म और ध्यान के अभ्यास के माध्यम से प्राप्त होती है। योग के कई आध्यात्मिक लाभ भी हैं। इनका विवरण करना आसान नहीं है, क्योंकि यह आपको स्वयं योग अभ्यास करके हासिल और फिर महसूस करने पड़ेंगे। हर व्यक्ति को योग अलग रूप से लाभ पहुँचाता है तो योग को अवश्य अपनायें और अपनी मानसिक, भौतिक, आत्मिक और अध्यात्मिक सेहत में सुधार लाएं।
फोटो कैप्शन: डिंपल
योग से ठीक हुआ रोग
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कनीना।
मेरा नाम ईश्वर कौशिक है। मैं पेशे से हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर हूं और महेंद्रगढ़ नगर में 11 हट्टा बाजार का रहने वाला हूं। 2008 में मुझे कुश्ती खेलते हुए हुई असावधानी के कारण कमर के निचले हिस्से में भयंकर दर्द हो गया था। जो समय के साथ उबड़-खाबड़ रास्तों में गाड़ी चलाने से स्थायी रोग हो गया और मेरा जीवन लगभग रुक सा गया।
फिर 2017 में मैंने अपने भाई मनोज कौशिक की सलाह और मार्गदर्शन में योग का सहारा लिया। मैंने योग गुरु स्वामी रामदेव के यूट्यूब पर वीडियो में बताए हुए अनुलोम-विलोम, भुजंगासन, कंधरासन, सेतुबंध आसन जैसे अभ्यास करने शुरू किए। अपने भाई के सहयोग से आज मैं 90 प्रतिशत तक स्वस्थ हूं, हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर की नौकरी भी मिली और अब लम्बी दूरी पर भी बस चलाने का काम कर पता हूं, इसके पीछे योग का ही कमाल है। मैं अब नियमित योग करता हूं।
स्वस्थ हो या रोगी , मैं अपनी तरफ से सभी को ही योग करने की सलाह देना चाहूंगा।
फोटो ईश्वर कौशिक
नियमित योग किया, स्वस्थ हूं
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कनीना।
मैं कृष्ण कुमार महेंद्रगढ़ के लावन गांव का निवासी हूं। मैं पिछले 12 वर्षों से स्वयं योग कर रहा हूं और पिछले 4 वर्षो से गांव के बच्चों व युवाओं को भी इसके लिए प्रेरित करके साथ में योग सीखा रहा हूं।
मैंने सबसे पहले 2007 में बड़े बुजुर्गों की सलाह व पुस्तकों में पढ़कर योग को जाना। इसमें रुचि पैदा हुई तो योग में और अधिक खोजबीन शुरू कर दी। मुझे प्राणायाम और सूर्य नमस्कार बहुत पसंद है। यह योग और खान-पान के नियंत्रण का ही परिणाम है कि पिछले लम्बे समय से मैं बीमार नहीं हुआ हूं और मेरी आयु के अन्य लोगों को सामान्यत: होने वाले दर्द या अन्य रोगों से मैं अभी दूर हूं।
2015 में हमारे गांव लावण के माध्यमिक विद्यालय प्रांगण में पतंजलि योग समिति के द्वारा 5 दिवसीय निशुल्क योग शिविर लगाया गया था। इसमें योग शिक्षक निलेश मुदगल ने बड़ी ही सरल विधि और भाषा शैली के साथ कराए गए योगाभ्यास से मुझ में नई ऊर्जा और उत्साह भर दिया। शिविर के अंतिम दिवस समापन पर उन्होंने हवन करवाया और हवन की दक्षिणा के रूप में गांववासियों से नियमित योगाभ्यास करने व इसे कभी ना छोडऩे का संकल्प मांगा। उसके अगले दिन से ही मैं अपने गांव की बणी में मंदिर के पास सभी लोगों को निशुल्क नियमित योग सिखाने लग गया। यह दिनचर्या आज भी सतत जारी है।
आज तक मैंने योग से जो भी लाभ पाएं हैं उनके अनुभव से मैं सभी से यही कहता हूं कि योग बिना नुकसान और बिना खर्च की दवाई है। इसे जितना जल्दी हो सके सभी को शुरू कर देना चाहिए।
फोटो कृष्ण कुमार
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