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Monday, June 8, 2020

कनीना क्षेत्र में कोरोना की स्थिति--- नौ जून 2020
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 कुल केस 21         वापस आया-01
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गांव का नाम         कोरोना पोजिटिव संख्या
1.   ककराला       02
2.   इसराना         02
3.   रामबास        02
4.   कनीना          04
5.   मोहनपुर        01
6.   सिहोर           02
7.  छीथरोली        01
8.   गोमला         01
9.   खैराना          01
10  धनौंदा          02
11  रसूलपुर        01
12  सेहलंग         01
13  गाहड़ा          01


वापस आया-01



कोरोना युद्ध जीतकर लौटा गौरव-
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कोरोना से अधिक नहीं डरना चाहिए- गौरव

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कनीना।  कोरोना पाजिटिव पूरे उपमंडल कनीना में 19 आ चुके हैं लेकिन उनमें से रामबास का सबसे पहला व्यक्ति कोरोना पोजिटिव था वह कोरोना युद्ध जीतकर वापिस आ गया है। कोरोना योद्धा बतौर उन्होंने कहा कि कोरोना का जितना डर लगता है उतना भयभीत नहीं होना चाहिए।
    उन्होंने बताया कि उनकी कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आई थी उससे पहले वे दिल्ली में सीजीएल परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। वहां आसपास लोग करोना नेगेटिव थे और उनके साथ रहने वाले कोई भी साथी कोरोना पोजिटिव नहीं पाया गया था। उन्हें शक है कि उनके यहां प्रतिदिन  रोगपानी का कैन रखने वाला कोई व्यक्ति कोरोना पोजिटिव था जिसके कारण रोग फैल गया। अपनी पर्सनल कार से घर आए तो उनके दिमाग में स्वत: ही प्रश्न उठा कि कहीं लोग कुछ कहे इससे पहले अपनी जांच क्यों न करा ली जाए और उन्होंने जांच करवाई जिसमें कोरोना की पुष्टि हो गई।
उन्होंने बताया कि उन्हें उनके घर से स्वास्थ्य विभाग की टीम नारनौल के पटिकरा गांव ले गई जहां कुछ और मरीजों को इकट्ठा करके झज्जर के कॉलेज में ले जाकर ठहराया गया जो कोरोना सेंटर बनाया गया है। उन्होंने बताया कि को झज्जर के इस सेंटर पर 4 जून को उन्हें छुट्टी मिली। इस दौरान उनका जीवन बहुत व्यवस्थित चला। उन्हें पढऩे लिखने की सभी वस्तुएं ले जाने की छूट थी ऐसे में वे अपनी पढ़ाई संबंधित पुस्तकें और आदि लेकर गए थे। वो अपनी दिनचर्या बताते हैं कि झज्जर में डाक्टरों ने उनसे बेहतर बर्ताव किया। समय पर नाश्ता, दोपहर का भोजन, शाम का खाना यहां तक कि हल्दी वाला दूध पिलाया गया।
उन्होंने बताया कि वे सुबह शाम व्यायाम जरूर करते रहे। व्यायाम का प्रभाव पड़ा कि वह तुरंत ठीक हो गए। उनका मानना है कि झज्जर में से 99 फीसदी लोग रिकवर होकर वापस घर जा रहे हैं। जिस जगह है उस जगह पे थे लेकिन किसी प्रकार की शिकायत करते  तुरंत डॉक्टर अटेंड करते थे। वह परिवार से लंबे समय से दूर रहे हैं ऐसे में परिवार से दूर रहना उन्हें कतई नहीं खला। गौरव कुमार बताते हैं कि जब उनकी जांच हुई तो महज गले से लार ली गई थी तथा नाक से कुछ पदार्थ लेकर के जांच की गई थी। कोरोना पाजिटिव की सूचना पाकर वे भयभीत नहीं हुये क्योंकि उन्हें विश्वास था कि तुरंत ठीक हो जाएंगे। इसका परिणाम निकला कि वो कोरोना को हराकर अपने घर लौट आए हैं। ठंडी वस्तु, दही एवं लस्सी उन्हें खाने पीने की अनुमति नहीं थी। उनका कहना है कि भोजन पर विशेष ध्यान दिया जाये ताकि शरीर में रोग रोधक क्षमता का विकास हो शरीर में उत्पन्न न हो।
वे बताते हैं  झज्जर में उन्हें कोई विशेष दवाई नहीं दी गई बल्कि विटामिन एवं मल्टीविटामिन आदि की कुछ गोलियां दी गई थी। उन्हें उनका कहना है कि शुद्ध शाकाहार भोजन का प्रयोग करें शरीर में रोग निरोधक क्षमता उत्पन्न होगी और रोग स्वत: ही नजदीक नहीं आऐंगे। आज वह कोरोना योद्ध बनकर लोगों के सामने एक आदर्श के रूप में उपस्थित है।
 फोटो कैप्शन:  गौरव रामबास।




जिला मुख्यालय महेंद्रगढ़ में स्थापित करवाने के लिए सौंपा ज्ञापन 

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कनीना। कनीना क्षेत्र की सामाजिक संथाओ बीएमडी क्लब ,वॉइस ऑफ़ यूथ गाहड़ा,भारतीय जनता कार्यकर्ता मोर्चा ,विकासार्थ जन सेवा संगठन मानपुरा,स्टार युवा क्लब ढाणा,सर्वोदय युवा मंडल,विश्व वाल्मीकि धर्म संगठन भोजावास सहित विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों ने बीडीपीओ कनीना युद्धवीर सिंह को जिला मुख्यालय के सम्बन्ध में ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन बीडीपीओ कनीना के माध्यम से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हरियाणा सरकार को भेजा गया हैं।
मंयक तंवर,लक्की सीगड़ा , इन्द्रजीत शर्मा,जितेंद्र ,सुनील कुमार ,नवीन कौशिक ,रजनीश मोहित कुमार द्वारा सयुंक्त रूप से यह ज्ञापन सौंपा गया है।
बीएमडी क्लब के चेयरमैन लक्की सीगड़ा ने कहा की जिला मुख्यालय महेन्द्रगढ़ स्थापित करवाने के मुद्दे पर तमाम राजनीतिक दल के नेताओं ने विधानसभा चुनाव में भी समाधान कराने का वादा किया था लेकिन किसी भी सरकार ने भी आज तक इस पूरे मामले को अमलीजामा नहीं पहनाया हैं। अब केवल एक साजिश के तहत महेन्द्रगढ़ जिले का नाम बदला जा रहा है। महेन्द्रगढ़ की जनता जिले के मान-सम्मान के संघर्ष के लिए तैयार हैं और सरकार की इस साजिश कामयाब नहीं होने देगी। महेंद्रगढ़ जिले का नाम बदलने की सरकार की मंशा से यहां की जनता के साथ नाइंसाफी होगी अगर सरकार ऐसा करती है तो 36 बिरादरी अपने हक के लिए आन्दोलन करने पर मजबूर होगी।
उन्होंने भी कहा की जब से हरियाणा प्रदेश का जन्म हुआ तब से महेन्द्रगढ़ जिले का अस्तित्व हैं। महेन्द्रगढ़ जिले का नाम बदलकर नारनौल करने से न सिर्फ इस जिले की गौरवशाली इतिहास को ठेस पहुंचेगी बल्कि जिस राजा के नाम से जिले का नामांकन हुआ उसका भी अपमान होगा। इतिहास के अनुसार भी  हरियाणा के 7 जिलों में महेन्द्रगढ़ जिला शामिल रहा है लेकिन अपने राजनीतिक लाभ के चलते पूर्व के सभी मुख्यमंत्रियों ने इसे सिकुडऩे का काम किया। सरकार जल्द से जल्द जिला मुख्यालय को महेंद्रगढ़ में स्थापित करवाने की तरफ ध्यान दे अन्यथा सरकार के खिलाफ एक बड़ा जन आंदोलन करेंगे चाहे कितनी भी कुर्बानी देनी पड़े।

कनीना को बनाया जाये जिला-
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  उधर पूर्व सीपीएस अनीता यादव ने एक बयान में कहा है कि नाम ही बदलना चाहे तो इससे बेहतर होगा कि नारनौल को अलग से जिला बना दिया जाये तथा कनीना-महेंद्रगढ़ को मिलकार महेंद्रगढ़ या फिर जरूरत हो तो कनीना जिला बना दिया जाये। इससे कनीना का मान सम्मान भी बरकरार रह जायेगा।
फोटो कैप्शन 2: बीडीपीओ को ज्ञापन देती संस्थाएं।

कनीना से दादरी मार्ग पर चल रहे सड़क निर्माण  कार्य को शुरू कराने की गुहार

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कनीना। कनीना से दादरी जाने वाली सड़क पर निर्माण कार्य कछुआ गति से चलने के कारण राहगीरों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस मार्ग पर दर्जनों गांव पड़ते हैं।
 लोगों का कहना है कि कनीना से दादरी मार्ग पर प्रशासन द्वारा सड़क निर्माण का कार्य पिछले कई माह से चल रहा है लेकिन निर्माण कार्य धीमी गति से चलने के कारण परेशानी उठानी पड़ रही हैं। इस मार्ग का निर्माण कार्य जल्दी करने की मांग उठ रही है।


कोरोना योद्धा अवार्ड से नवाजा गया पूर्व सरपंच को 

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 कनीना। उपमंडल कनीना के गांव खेड़ी के पूर्व सरपंच चौधरी रामनिवास को उनकी बेहतर सेवाओं और कोविड-19 महामारी में लोगों को राहत देने के चलते हरियाणा शेड्यूल कास्ट एंड बैकवर्ड वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा कोरोना योद्धा सम्मान से नवाजा गया।  उन्होंने इस खुशी में कहा कि वे मजदूरों की दिनरात सेवा करते रहे हैं और भविष्य में भी कोरोना के चलते किसी प्रकार की उनकी जरूरत होगी वह तत्पर मिलेंगे।


सख्ती बरतने से ही बच पाएंगे कोरोना से 

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कनीना। क्षेत्र में दिनोंदिन कोरोना बढ़ता ही जा रहा है जिसके दृष्टिगत जहां एक और बाजार खोल दिए गए हैं वहीं बस एवं ट्रेन सेवा भी शुरू हो गई है। यही एक कारण है कि लोगों का आवागमन जारी हो गया है और रोग तेजी से फैल रहे हैं। लेकिन अब लोग जागरूक होने लगे हैं और उनका कहना है कि जब तक हिमाचल और पंजाब की भांति सख्ती नहीं बरती जाएगी और कफ्र्यू तक नहीं लगाया जाएगा तब तक कोरोना नहीं रुक पायेगा।
 कनीना के सुरेंद्र कुमार, योगेश कुमार अग्रवाल, रवि कुमार, सुरेश कुमार, महेश कुमार बोहरा, कुलदीप सिंह, सुमेर सिंह चेयरमैन, मोहन सिंह अन्य लोगों ने बताया कि जब किसी गांव में कोई कोरोना पोजिटिव आता है तो उसे उसी गांव के स्कूल या धर्मशाला में रखा जाए। स्कूल और धर्मशाला अभी खाली पड़ी है। अगर किसी के पास अलग से रहने की क्षमता है तो अपने खर्चे पर किसी होटल वगैरह में रहे जिससे होटल मालिक का भी गुजारा होगा और उन्हें अपनी अलग से सेवा भी मिल सकेंगी। उनका कहना है कि जब तक लोगों का आवागमन बढ़ता रहेगा कोरोना यूं ही फैलता रहेगा। उन्होंने कहा कि अभी भी वक्त है कोरोना को रोका जा सकता है। हम सभी की भी जिम्मेदारियां तो बनती ही है कि लोगों को भी जागरूक करना चाहिये।

कंटेनमेंट में की गई स्क्रीनिंग 

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कनीना। रविवार को जहां कनीना क्षेत्र में 3 कोरोना पाजिटिव केस पाए जाने के पश्चात पूरा प्रशासन सतर्क हो गया है।  कंटेनमेंट जोन बना दिये गये है। कंटेनमेंट जोन में 106 घर शामिल किए गए हैं तथा इन 106 घरों में रहने वाले 862 लोगों की स्क्रीनिंग की गई।
 स्क्रीनिंग डा धर्मेंद्र एसएमओ कनीना की अध्यक्षता में की गई है ताकि यह पता लगाया जा सके कि किसी दूसरे में रोग की संभावना तो नहीं है। उधर कोरोना पॉजिटिव पाए गए व्यक्तियों के साथ रहे हुये लोगों की पहचान करके उन्हें में भी क्वारेंटाइन कर दैेने संबंधित नोटिस जारी कर दिये गए हैं। उन्हें भी 14 दिन क्वारेंटाइन रखने के नोटिस दे दिए गए हैं। इस प्रकार पूरी सावधानी बरती जा रही है।
फोटो कैप्शन 1:स्वास्थ्य कर्मी कनीना मंडी में स्क्रीनिंग करते हुये।

प्रतिदिन विशेष सफाई अभियान 

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 कनीना। कनीना के कंटेनमेंट जोन में सफाई की विशेष व्यवस्था की गई है। कनीना पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि तीन व्यक्ति कोरोना पोजिटिव मिले हैं। वे जिस क्षेत्र से संबंध रखते हैं वहां सफाई कर्मियों को विशेष हिदायत दी गई है कि प्रतिदिन उस क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया जाए। वैसे तो प्रतिदिन सफाई पूरे कस्बा में ही होती लेकिन उन क्षेत्रों में विशेष सफाई के लिए आदेश देने के बाद सफाई कर्मी
सफाई कार्य में जुटे मिलते हैं।

निराई में लगे किसान 

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 कनीना। क्षेत्र में जहां कपास की फसल बड़ी हो गई है, ऐसे में किसान तेजी से निराई कार्य में लग रहे हैं। जहां भी देखें कपास बोने वाले किसान अपने खेतों में निराई करके, अवांछनीय पौधों को हटा रहे हैं।
 किसानों सुरेश कुमार, रवि कुमार, महेश कुमार, दिनेश कुमार आदि से बात की तो उन्होंने कहा कि विगत दिनों जहां ओलावृष्टि से उपमंडल के कुछ गांवों में कपास की फसल को नुकसान हुआ है किंतु कनीना क्षेत्र में किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं है। ऐसे में फसल बड़ी हो गई है। बारिश से उसको लाभ हुआ है। अब फसल की निराई की जा रही है। निराई के बाद तेजी से फसल बढ़ेगी।
  उन्होंने कहा कि अब बारिश का समय आने वाला है जिससे बारिश अधिक होगी तो खेतों में अच्छी पैदावार होगी। बुजुर्ग हो या बच्चा सभी खेतों में काम में लग रहे हैं। जहां एक और कोरोना से बचने का बेहतर इलाज खेतों में काम करना है वही किसान परिवार सुबह से शाम तक इसी  कार्य में व्यस्त रहते हैं।
फोटो कैप्शन 3: बुजुर्ग खेतों की निराई करते हुए।


1.20 लाख के तरबूज बेचे किसान ने

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 कनीना। यूं तो कहने के लिए तरबूज है लेकिन ऑर्गेनिक खेती करके बेहतर आय कमाने वाले इसराणा के किसान अजय कुमार ने महज आधा एकड़ जमीन में तरबूज उगा कर 1.20 लाख रुपये की आय प्राप्त कर ली है।
 अजय कुमार ने बताया कि विगत कई माह से ऑर्गेनिक सब्जियां तैयार कर रहे हैं  जनकी कोरोना काल में बेहतर मांग है। उन्होंने बताया कि करीब ढाई माह पहले तरबूज की खेती की गई थी। आधा एकड़ में 30 रुपये लागत आई थी और अब तरबूज तैयार हो गए हैं। कुछ और दिनों के तरबूज मेहमान है फिर ये तरबूज समाप्त हो जाएंगे।
 उन्होंने बताया कि अब तक 1.20 लाख रुपये की बिक्री कर चुके हैं और निकट भविष्य में कुछ और आय होने की उम्मीद है। अजय कुमार किसान ऑर्गेनिक खेती के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने जहां बैंगन, भिंडी, तोरई, टमाटर, करेला, ग्वार फली, ककड़ी तथा विभिन्न अन्य ऑर्गेनिक सब्जियां उगाई हैं। सड़क के किनारे यह किसान इसी कार्य में जुटे रहते हैं और बेहतर पैदावार लेकर भी उन्होंने नाम कमाया है। अजय किसान का कहना है कि कोरोना के वक्त या तो घर की उगाई हुई सब्जी खानी चाहिए या फिर ऑर्गेनिक सब्जियां खानी चाहिए। अन्य सब्जियां नुकसानदायक हो सकती है।
 उन्होंने बताया कि तरबूज सात-आठ किलोग्राम का एक-एक प्राप्त हो रहा है और आधा एकड़ में तरबूज उगाए उनकी भारी मांग है। दूरदराज से लोग आकर के तरबूज ले जा रहे हैं।
 फोटो कैप्शन 4: तरबूज दिखाते हुए अजय किसान।




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