नहीं भूला पाये हैं आपात काल के समय का दर्द, आज भी याद हैं यातनाएं
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कनीना। 25 जून 1975 को जब देश में आपातकाल लागू हुआ था उसके बाद कुछ लोगों को जबरन पकड़कर जेल में डाल दिया गया। कोई बोलता तो यातनाएं मिलती थी।। अब भी अनेकों प्रत्यक्षदर्शी जीवित हैं जो उन दिनों को याद कर दुखी हो उठते हैं। वे बताते कि आपातकाल काला कानून से कम नहीं था। उस वक्त मनमर्जी अत्याचार किए गए।
संतरा देवी 68 वर्ष ने अपने भाई को जेल में जाते हुये देखा था। वो बताती है कि आपातकाल के समय उनके भाई को जेल में ले गए तो उनके करीब आधा दर्जन परिवार सदस्य बहुत दुखी हुए। खाने पीने रहने की समस्या आ गई थी क्योंकि बच्चे छोटे थे। उनकी शादी भी उस वक्त हुई थी जब उनके भाई जेल में थे। न कोई सुनने वाला था। अगर कोई बोलता तो उसे भी अंदर कर दिया जाता था। संतरा देवी ने आपातकाल की याद को ताजा करते हुए बताया कि उस वक्त भाई जेल में चला गया था और उसने घर पर भी नहीं बताया था बाद में अन्य लोगों से और जब सामान घड़ी वगैरह घर पहुंची तो पता चला कि वह आपातकाल के दौरान जेल में जाने का पता लगा और अगले एक-दो दिन बाद ही दादी की मौत हो गई थी और थोड़े दिन बाद ही जब बहन की शादी थी तो हरिराम को जेल पर जमानत पर 1 दिन के लिए लेकर आए थे।
माया देवी बुजुर्ग महिला है जिनकी उम्र 79 साल है। इनके नाते में बेटा जेल गया थे। उनका कहना है कि बिना किसी नोटिस के उनके बेटे को घर से गिरफ्तार करके जेल में ठूंस दिया था। उस समय की हालात बताती है कि कोई नियम कानून नहीं होते थे। जबरन लोगों का परिवार नियोजन करवाया जा रहा था। बसों से उतारकर नसबंदी कर दी जाती थी। लोग छुपते फिर रहे थे। आंदोलन बेअसर थे। लोगों को जबरन कैद में डाला जा रहा था।
अध्यापक नेता कंवरसेन वशिष्ठ 65 का कहना है कि उस जमाने में हरियाणा में चौधरी बंसीलाल की सरकार होती थी और वे अस्थाई शिक्षक होते थे। उन्हें नौकरी से हटा दिया गया था। बहुत भारी आंदोलन सरकार के विरुद्ध चला। आंदोलन दौरान उन्हें 10 दिन दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताए और 1977 तक उनका आंदोलन चलता रहा। उन्होंने बताया कि चौधरी देवीलाल उस समय सत्ता में आए तो उन्होंने उनका दुखड़ा सुनकर उनकी समस्या का समाधान किया। आपातकाल में बहुत अधिक परेशान रहे।
बनारसीदास 80 वर्ष हैं जिनका नाते में बेटा जेल में गया था। उनका कहना है कि उनके बेटे को जबरन पकड़कर ले जाया गया। उनका कहना है कि घर पर बच्चे छोटे होने की वजह से वह बेहद परेशान हुई किंतु लोगों की मदद से उन्होंने घर का को यथावत चलाए रखा। आखिरकार एक दिन उनके वे जेल से छूटकर आया तब उन्हें बहुत तसल्ली हुई थी। वो कहते है कि उस समय कोई नियम कानून नहीं था। जबरन किसी को भी पकड़ लिया जाता था।
फोटो कैप्शन: कंवरसेन वशिष्ठ, बनारसीदास, माया देवी,संतरा देवी।
गर्मियों में बेहतर पेय बन रहा है राबड़ी
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कनीना। क्षेत्र में जहां भीषण गर्मी पड़ रही है वहीं ताप 40 डिग्री पर पहुंच जाता है। ऐसे में जहां ग्रामीण क्षेत्र के लोग पेयजल के अतिरिक्त सबसे अधिक राबड़ी का प्रयोग कर रहे हैं। उन्हें गर्मी से ही नहीं बचाती बल्कि शरीर को ठंडक पहुंचाती है। पुराने समय से बुजुर्ग घर पर राबड़ी तैयार करते थे और उसका दिनभर सेवन करते थे ताकि गर्मी और लू से बचा जा सके।
राबड़ी जौ का आटा, प्याज, बेशन, लस्सी से बनने वाला गर्मियों का ग्रामीण क्षेत्र का बेहतर टानिक है जिसे लस्सी में घोल कर ग्रामीण क्षेत्र के लोग पीते हैं। अब तो राबड़ी दुकानों पर बिक्री के लिए भी उपलब्ध हो गई है।
सुमेर सिंह चेयरमैन का कहना है कि उन्हें राबड़ी बहुत पसंद है। वे घर का काम करते हैं किंतु घर में राबड़ी प्रयोग करते हैं। राबड़ी गर्मी से उन्हें बचाती है अपितु पेयजल की पूर्ति करती है। उनका कहना है कि उनके पूर्वज भी प्रयोग करते थे जिसके जिनसे सीखकर वे भी इसका उपयोग कर रहे हैं।
राजेंद्र सिंह का कहना है सुबह खाने में तथा दोपहर के खाने में राबड़ी का जरूर उपयोग करते हैं। राबड़ी उनके लिए टॉनिक का कार्य कर रही है। उनका कहना है कि बेशक उन्हें कोई चीज खाने पीने के लिए मिले या न मिले किंतु राबड़ी पीकर उनको प्रसन्नता होती है। गर्मी एवं लू ये बचाती है वहीं नींद अच्छी आती है ताकि वे 2 घंटे विश्राम कर सके। उनका कहना है कि वे किसान है दिनभर खेतों में काम करना पड़ता है या अन्य कोई कार्य करना पड़ता है तो उन्हें दोपहर के बेहतर नींद पाने के लिए राबड़ी प्रयोग करनी पड़ती है।
भडफ़ के सुरेश कुमार(56) साइकिल स्टोर चलाते हैं। उनका कहना है कि उन्हें राबड़ी बेहद पसंद है। पूर्वज भी बताते थे कि राबड़ी से बेहतर कोई टॉनिक नहीं है। ठंडा, चाय आदि की जगह राबड़ी पीनी चाहिए जो सेहत के लिए लाभकारी है वहीं गर्मी से बचाती है। राबड़ी पीने से जहां भूख शांत हो जाती है वही गर्मी में शरीर के लिए ठंडक प्रदान करती है और वे दिनभर प्रसन्न रहते हैं। महेश बोहरा का कहना है कि वे सुबह दो-तीन लीटर राबड़ी लेकर अपने साथ आते हैं। आस पड़ोस के दुकानदारों को राबड़ी पिलाते हैं। वे बीज भंडार का कार्य कर रहे हैं और उनका कहना है कि जब तक राबड़ी नहीं पी लेते तब तक उनके मन को तसल्ली नहीं होती। प्याज, बेसन, जौ का आटा लस्सी आदि से बनी राबड़ी दूसरे साथियों को भी पिलाते हैं। उनका कहना है कि पूर्वजों ने जिस चीज का सबसे अधिक उपयोग गर्मी भगाने के लिए किया था वे भी उसका उपयोग कर रहे हैं।
वैद्य बालकिशन एवं श्रीकिशन का कहना है कि राबड़ी पीने से बीपी,शुगर,हृदयघात रोगों में लाभ होता है वहीं लू, गर्मी से बचाती है तथा नींद लाने में शुद्ध शाकाहार पेय है।
फोटो कैप्शन : राजेंद्र सिंह, महेश बोहरा, सुरेश कुमार, सुमेर सिंह
पतंगबाजी जोर पकडऩे लगी
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कनीना। कनीना क्षेत्र में पतंगबाजी जोर पकडऩे लगी है। यद्यपि 23 जुलाई को हरियाली तीज का पर्व मनाया जा रहा है। जब तक पतंगबाजी धीरे-धीरे जोर पकड़ती चली जाएगी।
विद्यार्थी वर्ग, युवा वर्ग एवं बच्चे छतों पर देर शाम स्कूल से आने के पश्चात पतंगबाजी में लग जाते हैं। विभिन्न दुकानों पर पतंग एवं डोर आई हुई है। युवा वर्ग पतंग व डोर लाकर छतों पर खड़े होकर शाम को पतंग उड़ाते हैं। बारिश होने के बाद खुशी के अवसर पर भी यह पतंगबाजी का लुत्फ उठाया जाता है। कनीना में हरियाली तीज तक ही पतंगबाजी की जाती है। तत्पश्चात पतंगबाजी बंद हो जाती है।
उधर योगेश कुमार, कृष्ण कुमार, रोहित कुमार ने बताया कि यह डोर बरेली से से अधिक आती है। युवा वर्ग धीरे-धीरे पतंग एवं डोर के शौकीन बनते चले जाएंगे और हरियाली तीज तक पतंग उड़ा कर मजा लेंगे। हरियाली तीज के बाद पतंगबाजी धीरे-धीरे घटने लग जाती है और बंद हो जाती है। बरसात के बाद बेहतर फसल होने के चलते भी पतंगबाजी का पर्व मनाया जाता है।
गर्मियों में बेहतर पेय बन रहा है राबड़ी
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कनीना। क्षेत्र में जहां भीषण गर्मी पड़ रही है वहीं ताप 40 डिग्री पर पहुंच जाता है। ऐसे में जहां ग्रामीण क्षेत्र के लोग पेयजल के अतिरिक्त सबसे अधिक राबड़ी का प्रयोग कर रहे हैं। उन्हें गर्मी से ही नहीं बचाती बल्कि शरीर को ठंडक पहुंचाती है। पुराने समय से बुजुर्ग घर पर राबड़ी तैयार करते थे और उसका दिनभर सेवन करते थे ताकि गर्मी और लू से बचा जा सके।
राबड़ी जौ का आटा, प्याज, बेशन, लस्सी से बनने वाला गर्मियों का ग्रामीण क्षेत्र का बेहतर टानिक है जिसे लस्सी में घोल कर ग्रामीण क्षेत्र के लोग पीते हैं। अब तो राबड़ी दुकानों पर बिक्री के लिए भी उपलब्ध हो गई है।
सुमेर सिंह चेयरमैन का कहना है कि उन्हें राबड़ी बहुत पसंद है। किंतु अपने साथ दोपहर में प्रयोग करने के लिए राबड़ी लेकर आते हैं। राबड़ी गर्मी से उन्हें बचाती है अपितु पेयजल की पूर्ति करती है। उनका कहना है कि उनके पूर्वज भी प्रयोग करते थे जिसके जिनसे सीखकर वे भी इसका उपयोग कर रहे हैं।
राजेंद्र सिंह का कहना है सुबह खाने में तथा दोपहर के खाने में राबड़ी का जरूर उपयोग करते हैं। राबड़ी उनके लिए टॉनिक का कार्य कर रही है। उनका कहना है कि बेशक उन्हें कोई चीज खाने पीने के लिए मिले या न मिले किंतु राबड़ी पीकर उनको प्रसन्नता होती है। गर्मी एवं लू ये बचाती है वहीं नींद अच्छी आती है ताकि वे 2 घंटे विश्राम कर सके। उनका कहना है कि वे किसान है दिनभर खेतों में काम करना पड़ता है या अन्य कोई कार्य करना पड़ता है तो उन्हें दोपहर के बेहतर नींद पाने के लिए राबड़ी प्रयोग करनी पड़ती है। लोग अक्सर डॉक्टर नाम से जानते हैं और लोगों की सेवा करते आ रहे हैं।
भडफ़ के सुरेश कुमार(56) साइकिल स्टोर चलाते हैं। उनका कहना है कि उन्हें राबड़ी बेहद पसंद है। पूर्वज भी बताते थे कि राबड़ी से बेहतर कोई टॉनिक नहीं है। ठंडा, चाय आदि की जगह राबड़ी पीनी चाहिए जो सेहत के लिए लाभकारी है वहीं गर्मी से बचाती है। राबड़ी पीने से जहां भूख शांत हो जाती है वही गर्मी में शरीर के लिए ठंडक प्रदान करती है और वे दिनभर प्रसन्न रहते हैं। महेश बोहरा का कहना है कि वे सुबह दो-तीन लीटर राबड़ी लेकर अपने साथ आते हैं। आस पड़ोस के दुकानदारों को राबड़ी पिलाते हैं। वे बीज भंडार का कार्य कर रहे हैं और उनका कहना है कि जब तक राबड़ी नहीं पी लेते तब तक उनके मन को तसल्ली नहीं होती। प्याज, बेसन, जौ का आटा लस्सी आदि से बनी राबड़ी दूसरे साथियों को भी पिलाते हैं। उनका कहना है कि पूर्वजों ने जिस चीज का सबसे अधिक उपयोग गर्मी भगाने के लिए किया था वे भी उसका उपयोग कर रहे हैं।
वैद्य बालकिशन एवं श्रीकिशन का कहना है कि राबड़ी पीने से बीपी,शुगर,हृदयघात रोगों में लाभ होता है वहीं लू, गर्मी से बचाती है तथा नींद लाने में शुद्ध शाकाहार पेय है।
फोटो कैप्शन : राजेंद्र सिंह, महेश बोहरा, सुरेश कुमार, सुमेर सिंह
पतंगबाजी जोर पकडऩे लगी
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कनीना। कनीना क्षेत्र में पतंगबाजी जोर पकडऩे लगी है। यद्यपि 23 जुलाई को हरियाली तीज का पर्व मनाया जा रहा है। जब तक पतंगबाजी धीरे-धीरे जोर पकड़ती चली जाएगी।
विद्यार्थी वर्ग, युवा वर्ग एवं बच्चे छतों पर देर शाम स्कूल से आने के पश्चात पतंगबाजी में लग जाते हैं। विभिन्न दुकानों पर पतंग एवं डोर आई हुई है। युवा वर्ग पतंग व डोर लाकर छतों पर खड़े होकर शाम को पतंग उड़ाते हैं। बारिश होने के बाद खुशी के अवसर पर भी यह पतंगबाजी का लुत्फ उठाया जाता है। कनीना में हरियाली तीज तक ही पतंगबाजी की जाती है। तत्पश्चात पतंगबाजी बंद हो जाती है।
उधर योगेश कुमार, कृष्ण कुमार, रोहित कुमार ने बताया कि यह डोर बरेली से से अधिक आती है। युवा वर्ग धीरे-धीरे पतंग एवं डोर के शौकीन बनते चले जाएंगे और हरियाली तीज तक पतंग उड़ा कर मजा लेंगे। हरियाली तीज के बाद पतंगबाजी धीरे-धीरे घटने लग जाती है और बंद हो जाती है। बरसात के बाद बेहतर फसल होने के चलते भी पतंगबाजी का पर्व मनाया जाता है।
बिना मास्क वालों के काटे 15 चालान
संवाद सहयोगी,कनीना। बिना मास्क सड़क पर चलने वालों के कनीना पुलिस ने 15 चालान काटे हैं। एएसआई गोविंद सिंह ने बताया कोरोना काल के समय भी मास्क को सही ढंग से नहीं लगाते या मास्क पूर्णरूप से नहीं लगाते, ऐसे लोगों के विरुद्ध पुलिस कार्रवाई कर रही है।
इसी कड़ी में 15 लोगों के चालान काटे गये हैं। प्रत्येक पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
दुर्घटना में 4 घायल
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संवाद सहयोगी, कनीना। कनीना-रेवाड़ी मार्ग पर स्थित एस्सार पेट्रोल पंप के पास एक ट्राला और वैगनआर के बीच टक्कर में वैगनआर में सवार चार लोग घायल हो गए। लोगों तुरंत हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार रेवाड़ी की ओर से ट्राला आ रहा था तथा आगे वैगनआर मोड़ काट रही थी। ट्राले ने वैगनआर को टक्कर मार दी जिससे उसमें सवार 4 लोग घायल हो गए जिन्हें कनीना के उप नागरिक अस्पताल लाया गया जहां उनकी हालत को देखते हुए हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है।चारों राजस्थान के चौबारा गांव के रहले वाले हैं।
जिला संगठन मंत्री बने विक्रांत यदुवंशी
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कनीना। विक्रांत यदुवंशी को भारतीय जनता कार्यकर्ता मोर्चा महेंद्रगढ़ का जिला संघठन मंत्री नियुक्त किया गया है।
कार्यकर्ता मोर्चा के नवनियुक्त जिला संगठन मंत्री विक्रांत यदुवंशी ने अपनी नियुक्ति पर कार्यकर्ता मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन पंडित, हरियाणा के प्रदेश उपाध्यक्ष जितेन्द्र जोनी और हरियाणा के प्रदेश मिडिया प्रभारी मयंक तंवर का आभार जताते हुए कहा कि कार्यकर्ता मोर्चा को संगठनात्मक एवं वैचारिकता के आधार पर देश व प्रदेश में युवाओं तक पहुंचा कर मजबूती के साथ संवाद से समर्थन और समर्थन से सम्मान की बात की जाएगी। सामान्य कार्यकर्ता संगठन के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं उनके महत्व को समाज में सम्मान दिलाना संगठन का मुख्य कार्य रहेगा।
भारतीय जनता कार्यकर्ता मोर्चा के जिला संगठन मंत्री विक्रांत यदुवंशी ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने भारतीय जनता कार्यकर्ता मोर्चा अपने राजनीतिक भविष्य को देखते हुए ज्वाइन किया है और जिले एवं पूरे प्रदेश के हर क्षेत्र में संगठन के विचारों का प्रचार प्रसार एवं संगठनात्मक गतिविधियां शुरू की जाएंगी और युवाओं को राष्ट्रभक्ति की ओर आकर्षित करेंगे और पूरे जिले और प्रदेश के युवाओं को राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित करेंगे ।
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