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Saturday, February 20, 2021

 

अनिश्चितकालीन धरना सीखा रहा है दुकानदारों को कई गुर
-एकता का पाठ सिर चढ़कर बोल रहा है
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 कनीना। बेशक दुकानदारों का अनिश्चितकालीन धरना 13वें दिन प्रवेश कर गया हो और उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही हो परंतु बहुत कुछ गुरु दुकानदारों को सीखा गया है। इन दुकानदारों की हालात भी दिल्ली में धरने पर बैठे किसानों जैसी बनती जा रही है।
 कभी भी सभी दुकानें एक साथ बंद होते हुए नहीं देखी गई लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पंचायत समिति की दुकानों में बैठे सभी दुकानदार धरने पर एकमत होकर बैठे हुए हैं। सभी की दुकानें लगातार 13 दिनों से बंद है। इस प्रकार एकता का गुरु उनमें भर आया है।
कभी इन दुकानदारों के पास फुर्सत नहीं मिलती थी। दिनभर अपनी रोटी रोजी में लगे रहते थे उनको अब फुर्सत ही फुर्सत हैं। सभी दुकानदार सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक धरने पर बैठे मिलते हैं। यह सत्य है कि इस समय को बीताने के लिए ताश ही सहारा बन गई है। दिनभर ताश पीटकर मन को दिलासा दिला रहे हैं।
सभी दुकानदार एक मत है चाहे घर में हालात बहुत गंभीर हो, घर में बीमार हो, खाने के लाले पड़ रहे हो किंतु सभी में यह बात देखने को मिल रही है कि बेशक खाने के कुछ दुकानदारों के पास लाले पड़ रहे हो किंतु सभी एकमत धरने पर बैठे हैं। सभी दुकानदारों का कहना है कि बेशक भूखे मर जाएंगे परिवार वालों को खाना नहीं मिले परंतु हम धरने पर अडिग रहेंगे और दुकानें तब तक नहीं खोलेंगे जब तक उनका समाधान नहीं हो जाता। चने के साथ घुन को पीसना मजबूरी और जरूरी होता है।
इस प्रकार दुकानदारों में दृढ़ निश्चय भी यह अनिश्चितकालीन धरना सीखा गया है।
यह सत्य है कि बहुत से दुकानदार हैंड टू माउथ है जो जितना कमाते उसी से गुजर बसर करते थे, अब वे कमा नहीं रहे हैं फिर भी धरने में एकता का परिचय देने में मददगार साबित हो है। जहां सबसे बड़ी बात देखने को मिली इन दुकानों के पास ठेले भी फटकने का नाम नहीं ले रहे हैं और ये दुकानदार किसी ठेले को अपनी बंद दुकानों के आगे भी नहीं लगाने देंगे। और न ही दुकानदार चाहते कोई यहां आकर ठेला लगाए। उनमें यह गुण भी पैदा कर दिया है। जहां लंबे समय से चला आ रहा इनका धरना कस्बा वासियों के लिए परेशानी का सबब भी बन सकता है। अब तो लोग यह कहने लग गए हैं कि देख लो न्यायिक परिसर और उपमंडल कार्यालय अपने आप ही किसी गांव में चले जाएंगे जबकि पहले  कस्बावासी जिसके लिए 67 दिन का धरना दे रहे थे, जिसके चलते कनीना में ही ये कार्यालय बनने सुनिश्चित हुये थे वो अब हाथों से छीनते नजर आने लगे हैं।
अब तो कुछ लोग दबी जुबान से कहने लग गए कि भाड़ में जाए न्यायिक परिसर और उपमंडल कार्यालय बस दुकानदारों की दुकानें नहीं टूटनी चाहिए। धरने पर बैठे दुकानदार आशान्वित है कि उनकी दुकानें निश्चित रूप से बची रहेंगी बेशक न्यायिक परिसर कहीं भी बने क्योंकि रोटी रोजी से अधिक कीमती न्यायिक परिसर इस समय उन्हें नजर नहीं आ रहे हैं। कुछ तो कहने भी लग गये हैं कि जब रोटी रोजी ही नहीं बचेगी तो क्या हम न्यायिक परिसर में कटोरा लेकर भीख मांगेंगे।


पहले भी बहुत कुछ खोया और अब उपमंडल भी न्यायिक परिसर भी हाथ से सिसकते नजर आने लगे
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 कनीना। जिस न्यायिक परिसर और उपमंडल कार्यालय के कनीना में निर्माण के लिए बेशक कस्बावासियों ने जी जान की बाजी लगाकर 67 दिन धरना दिया हो किंतु अब वो कस्बावासियों के हाथों से खिसकता नजर आने लग गया हैं। दुकानदारों का धरना उन पर हावी होने लगा है। अगर कोई समाधान नहीं निकला तो माना जा रहा है कि यह उपमंडल कार्यालय और न्यायिक परिसर भी ठीक उसी प्रकार कनीना से दूसरे गांव में जाएंगे जैसे पहले भी फायर ब्रिगेड, कनीना का महिला कालेज, कनीना अनाज मंडी, कनीना की सब्जी मंडी,औषधीय पार्क.........आदि अन्यत्र चले गये। इससे पहले भी कस्बा वासियों ने बहुत कुछ खोया है जहां जेबीटी सेंटर भी किसी जमाने में होता था वही कनीना एक विधानसभा क्षेत्र होता था जिसको भी कनीना ने खो दिया है। वास्तव में कस्बा वासियों ने बहुत कुछ खोया है पाया कम है। उपमंडल कार्यालय बनने में विगत 7 वर्षों का इंतजार कर रहे थे वह उपमंडल कार्यालय भी अब कनीना वासियों के हाथों से खिसकने की संभावना नजर आ रही है। ऐसे भी कई लोग नजर आने लगे हैं जो यही चाहते हैं कि किसी प्रकार का कनीना का उपमंडल कार्यालय और न्यायिक परिसर किसी अन्य गांवों में चले जाए, चाहे अप्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपना पूरा जोर लगा रहे हैं। अब तो कस्बा कनीना में न्यायिक परिसर उपमंडल कार्यालय को रोकते हुए बहुत कम लोग नजर आने लगे हैं। परिणाम कुछ भी हो पर अभी तक जो धरना दुकानदारों का चल रहा है वह कस्बा वासियों के लिए भारी पड़ सकता है।

बस स्टैंड कनीना में बढ़ती जा रही है गंदगी
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 कनीना। कनीना बस स्टेंड परिसर में गंदगी बढ़ती ही जा रही है। जहां लोगों को मलमूत्र इधर उधर त्यागते देखा जा सकता है वहीं सुअर मंडराते देखे जा सकते हैं। आस पास के दुकानदार भी दीवार के ऊपर से गंदगी फेंक जाते हैं।
 कनीना  बस स्टैंड समक्ष पूर्व दिशा में गंदगी साम्राज्य बना हुआ है वही मल मूत्र त्यागा जाता है। पास में दुकानें होने के कारण लोग अपनी संपूर्ण दुकानों की गंदगी यहीं डाल अपने कार्य को इतिश्री समझ लेते हैं। यहां पर आवारा जंतु सुअर आदि मंडराते रहते हैं। पास में जहां कनीना के कई धार्मिक स्थल भी है। मोलडऩाथ धाम, खाटू श्याम मंदिर भी पास में है किंतु लोग गंदगी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। बस स्टैंड क्षेत्र में यह गंदगी डाली जा रही है। लोगों ने पालीथिन, कूड़ा कचरा डालना शुरू कर दिया है।
 कनीना का संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ आश्रम तथा बस स्टैंड कनीना परिसर आपस में छू रहे हैं। दोनों के बीच में विलायती कीकर भारी मात्रा में होने से लोग मलमूत्र त्यागने यहीं आते हैं। बस स्टैंड परिसर की एक दीवार छोटी होने से दुकानदार मौका देख कूड़ा कचरा यही डाल जाते हैं। यही कारण है कि बस स्टैंड परिसर गंदगी से भरा दिखाई पड़ रहा है। जर्जर हालात में बस स्टैंड तथा जर्जर शौचालयों के चलते गंदगी जीना हराम कर रही है।
इस संबंध में पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि यह क्षेत्र बस स्टैंड के क्षेत्राधिकार में आता है किंतु उनका प्रयास है कि इस गंदगी को हटाया जाए। गंदगी को हटवाने के वे प्रयास करेंगे। अगर विलायती झाडिय़ों को काटकर जगह को समतल कर दिया जाए तो एक सुंदर बस स्टैंड बनकर उभरेगा।
  फोटो कैप्शन 7:बस स्टैंड के सामने डाला गया कूड़ा कचरा।

बिजली बचत ही बिजली उत्पादन -रामरतन गोमली
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 कनीना। कनीना 132 केवी उपकेंद्र पर कार्यरत रामरतन गोमली सर्कल सचिव एचएसईबी वर्कर्स यूनियन गुडग़ांव ने कहा कि बिजली बचत ही बिजली उत्पादन है। उन्होंने कहा कि लोग बिजली चोरी करते हैं जिससे न केवल सरकार को नुकसान होता है अपितु बिजली चोरी से कोई भी दुर्घटना घट सकती है। उन्होंने इस प्रकार की चोरी आदि को बिल्कुल बंद कर देने की बात कही। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता जितना ईमानदारी से काम करेंगे सरकार उतनी ही सुविधा अधिक दे पाएगी।
 उन्होंने कहा कि बिजली चोरी करने से हमेशा मन डरा रहेगा। सही ढंग से वे काम नहीं कर पाएंगे।  उन्होंने कहा कि आने वाले समय में किसानों की फसल कटाई का काम चलेगा। फसल कटाई तथा इक_ी करने में भी सावधानी बरतनी होगी।
फोटो: राम रतन गोमली।




चने की खेती भूले किसान, चने के हरे पौधे भी बिकने लगे
-चने के हरे पौधे भी बिक रहे हैं 40 रुपये किलो
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कनीना। किसान चने की खेती करना भूलते जा रहे हैं। गर्मियों के मौसम में चने को भूनकर(भुगड़े)खाते थे। अब तो चने के हरे पेड़ भी हर सब्जी की दुकान पर बिक रहे हैं। चने के हरे पेड़ 40 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं।
  एक वक्त था जब कनीना क्षेत्र में हजारों एकड़  में  चने की खेती की जाती थी। अब  चने की पैदावार ही नहीं होने से किसानों ने इसकी खेती छोड़ दी है। अब इक्का दुक्का किसान ही अपने खेत में उगाता है। यहां तक चटनी आदि के लिए किसान एक या दो क्यारियों में ही चने उगाते हैं ताकि विभिन्न कार्यों में उपयोग कर सके।  
  किसान अजीत कुमार, सूबे सिंह एवं राजेंद्र सिंह ने बताया कि एक जमाना था जब हर घर में चने की खेती की जाती थी जिसे पूरी गर्मी आनंद से रोटी एवं अन्य रूपों में प्रयोग किया जाता था। अब जमाना लद गया है। जौ-चने की रोटी खाने के लिए या फिर धानी एवं भुगड़ा बनवाने के लिए दूसरे क्षेत्रों से जौ खरीदकर लाते हैं। कनीना क्षेत्र में करीब छह हेक्टेयर भू भाग पर चने की खेती की गई है। चने के पौधे के हरे पत्ते चटनी,खाटा का साग, कढ़ी आदि में डालते हैं वहीं हरे चने भी सब्जी एवं चटनी में काम में लेते हैं। हरे चने को भी तलकर ठेले वाले अपनी रोटी रोजी कमाते हैं। चने की खेती को आज भी किसान नहीं भूले हैं। नहरी पानी तथा खेतों की सिंचाई करने से चने की खेती नहीं हो पा रही है। चने को उगाने के लिए एक बार की बारिश ही पर्याप्त मानी जाती थी। सूखा चना 60 रुपये किलो तथा चने की दाल 70 रुपये किलो बिक रही है। होटलों, विवाह शादियों में मेसी रोटी प्रसिद्ध हो रही है वहीं चने के बेशन की कढ़ी ग्रामीण क्षेत्रों में बेहद प्रसिद्ध हो रही है।
क्या करते हैं चने के पौधों का-
 बुजुर्ग बताते हैं कि चने की खेती न होने से चने के रहे पेड़ भी बिकने लग गए हैं। चने के पेड़ों पर लगी टाट से हरे चने निकाल कर जहां हरी सब्जियां बनाते हैं वही चटनी आदि के काम में भी लेते हैं। यही कारण है कि हरे चनों की मांग बढ़ती जा रही है और कुछ व्यक्ति विशेष तो हरे चनों से अपनी रोटी रोजी कमा रहे हैं। कुछ लोग तो गाडिय़ां भर कर चने लाते हैं और उन्हें बेचते हैं। मिली जानकारी अनुसार नांगल चौधरी तथा राजस्थान क्षेत्रों से भारी मात्रा में हरे चने लाए जा रहे हैं और यह पौधे युक्त चने बाजार में बेचे जा रहे हैं। जिनकी भारी मांग है। इन चनों को खरीदने वालों की भी कोई कमी नहीं है।
 कृषि वैज्ञानिक डा देवेंद्र कुमार, मनोज कुमार आदि बताते हैं कि चने की खेती से खेत में उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। उन्होंने समय समय पर फलीदार एवं दलहन जाती के पौधे उगाने पर बल दिया।
 फोटो कैप्शन 5 एवं 6: हरे चनों के पौधे दुकानों पर बिकते हुये।

शनिवार को कनीना क्षेत्र में पड़ा कोहरा
-खड़ी फसलों को लाभ होने की उम्मीद
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 कनीना। कनीना क्षेत्र में मौसम बार बार बदल रहा है। कुछ दिन मौसम साफ रहने के बाद अचानक शनिवार कनीना क्षेत्र में सघन धुंध पड़ी। हर 5 से 7 दिन बाद कोहरा पड़ता है जो महज एक दिन ही रहता है। कोहरे के चलते वाहन घोंघे की चाल सके चलाए गए वहीं जन जीवन अस्त व्यस्त रहा। सरसों लगभग पक चुकी हैं।एक बार फिर से लोग ऊनी वस्त्रों में लिपटे देखे गये।
 धुंध का खड़ी फसल पर बेहतर प्रभाव पडऩे की उम्मीद है। वैसे भी कनीना क्षेत्र में सरसों की फसल लगभग पक चुकी है। क्षेत्र में करीब 20,000 हेक्टेयर पर सरसों की फसल खड़ी है जिसकी मार्च के दूसरे या तीसरे सप्ताह में कटाई शुरू होने के आसार हैं। वहीं गेहूं की 10,500 हेक्टेयर पर फसल खड़ी है। अभी तक सरसों की बंपर पैदावार होने की संभावना जताई जा रही है।
क्षेत्र में बार बार मौसम बदल रहा है। कनीना क्षेत्र में जहां इस बार सर्दियों के मौसम में बार-बार मौसम में परिवर्तन हुआ है किंतु धुंध कुछ दिन ही पड़ी है। जहां जनवरी माह में कई बार मौसम में बदलाव आया है। सर्दी, धुंध, कोहरा, पाला, धूप, एवं बादल के अलावा हल्की बारिश भी जनवरी माह में हुई है। किसान देवेंद्र, सूबे सिंह, दिनेश कुमार, राजपाल आदि का कहना है कि सरसों की फसल पकने लगी है।
  कृषि विस्तार अधिकारी डा देवराज यादव एवं डा देवेंद्र यादव ने कहा कि धुंध फसल के लिए बेहतर है। अभी तक मौसम शुष्क चल रहा था जिसका कुप्रभाव सरसों की खड़ी फसल पर पड़ सकता था। गेहूं की फसल को भी सर्दी की जरूरत होती है। धुंध से एक बार फिर से मौसम में नमी बनेगी तथा ठंड बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि अभी तक बेहतर पैदावार होने की उम्मीद है।
फोटो कैप्शन 2 व 3: कनीना क्षेत्र में पड़ता हुआ कोहरा।


अनिश्चितकालीन धरना 13वें दिन रहा जारी
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कनीना। कनीना पंचायत समिति की दुकानों में बैठे दुकानदारों का अनिश्चितकालीन धरना 13वें दिन जारी रहा। अब दुकानदार आर पार की लड़ाई के मूड में हैं जिसके चलते उन्हें समझाने आने वाले महज निराश होकर लौट जाते हैं। इनकी धरना कई लोगों के लिए लाभप्रद साबित होगा। एक ओर कनीना की 67 दिन की मेहनत असफल हो सकती है वहीं न्यायिक परिसर अन्यत्र जा सकता है। कनीना की इस घटना को लेकर कई लोगों की नजरें टिकी हैं।
हालांकि  नगरपालिका पार्षदों ने भी अब तक दो प्रस्ताव पारित कर लिये हैं जिनमें छह दुकानदारों को दुकानें टूटने की स्थिति में अन्यत्र दुकान देने तत्पश्चात जिस किसी दुकानदार की दुकान टूटती है तो उसके लिए नगरपालिका के पुराने कार्यालय के पास कांप्लेक्स बनाकर दुकानें दी जाएंगी। दुकानदार अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं।
शनिवार को सुबह सवेरे नेताजी मेमोरियल क्लब उनका धरना स्थल तक जुलूस निकाला तथा व्यापारी एकता के नारे लगाये। तत्पश्चात धरने पर बैठ गए। दुकानदार महेश बोहरा, सुरेश कुमार, रवि कुमार, पवन कुमार, गोविंदा, मोदी राम, रूप तथा कई अन्य दुकानदारों ने कहा कि वे अपने फैसले पर अडिग हैं। जब तक उनकी दुकानें सुरक्षित नहीं हो जाती तब तक धरने से नहीं हटेंगे और न ही दुकान खोलेंगे। उन्होंने कहा कि वे नहीं चाहते कि न्यायिक परिसर भी अन्यत्र बने। कुल मिलाकर नतीजा शून्य रहा, दुकानदार अपनी बातों पर अड़े रहे और धरने पर बैठे हैं।
 फोटो कैप्शन 4: जुलूस निकालते हुए दुकानदार।

भव्य प्रांगण के चलते दूर दराज तक विख्यात है कनीना का राजकीय  विद्यालय
-संत शिरोमणि बाबा खेतानाथ ने रखी थी नींव
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 कनीना। स्टेडियम तथा सभी सुविधाओं से युक्त कनीना का राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय न केवल भवन के मामले में अपितु बेहतरीन पार्क एवं पेड़ पौधों के बारे में जाना जाता है। यहां हजारों जिला शिक्षा अधिकारी, डाक्टर, वकील, प्रोफेसर लेक्चरर, प्राध्यापक ,पत्रकार पढ़कर निकले हैं। 1984 में बणी(जंगल) में यह विद्यालय तैयार किया गया था। तत्पश्चात लगातार अपनी बुलंदियों को छूता जा रहा है। विद्यालय में जहां बस स्टैंड के पास स्कूल का स्टेडियम भी है जहां समय-समय पर विभिन्न खेल कूद एवं अन्य गतिविधियां आयोजित होती रहती हैं। इस विद्यालय में जहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की न्यू एजूकेशन पालिसी 1986 के तहत कक्षाएं बैठाई गई थी। विद्यालय में दो समानांतर लाइनों में बेहतरीन 22 कमरे निर्मित हैं वहीं सुसज्जित लाइब्रेरी जिसमें हजारों पुस्तक के रखी हुई हैं जो विद्यार्थियों का ज्ञान बढ़ा रही हैं। पेड़ पौधों के मामले में इस विद्यालय का कोई मुकाबला नहीं है। अशोका के पेड़ जिस बेहतरीन तरीके से स्वर्गीय दीपचंद पहलवान चौकीदार ने लगाए थे वे आज भी उनकी याद दिला रहे हैं। जहां स्कूल कैंपस को चार बराबर भागों में बांटा गया है जिनमें  घास के लान लगे हुए हैं वहीं एक भाग में कक्षाएं तथा एक भाग प्रार्थना एवं सभाएं आयोजित होती रहती हैं। बाबा मोलडऩाथ सत्संग मंडल की ओर से बहुत बड़ा हाल भी यहां निर्मित किया गया है जहां खंड भर के विद्यालयों की मीटिंग आयोजित होती रहती हैं। खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय भी इस विद्यालय भवन के पीछे बना हुआ है। जहां विद्यालय में बास्केटबाल का बहुत पुराना खेल का मैदान है वहीं दिव्यांग विद्यार्थियों (सीडब्ल्यूएसएन)का खंड स्तर का केंद्र  है जिनके लिए अन्य विद्यार्थियों से अलग शौचालय की सुविधा उपलब्ध है। वर्तमान में इस विद्यालय को माडल संस्कृति का दर्जा दिया हुआ है तथा अब इसे सीबीएसई से मान्यता दी जा रही है। इस विद्यालय की नींव संत शिरोमणि बाबा खेतानाथ ने रखी थी।
यहां विद्यालय में दो अलग ट्रेड आईटी तथा पीसीए(पेसेंट केयर अटेंडेंट) सरकार एवं शिक्षा विभाग शुरू किए हुए हैं। लिगल लिटरेसी क्लब बना हुआ है वही बालिका मंच भी गठित किया हुआ है। विद्यालय में एनसीसी एवं एनएसएस ,विज्ञान क्लब बने हुए हैं। इस विद्यालय में जहां वर्तमान में 400 के करीब विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे वहीं 50 के करीब प्राचार्य काम कर चुके हैं। पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी बीके सचदेवा यहां शिक्षण कार्य करने के बाद इस पद पर पहुंचे थे। विद्यालय जहां जहां आकर्षण का केंद्र बना हुआ है वही इस विद्यालय के बाहर के मुख्य द्वार पर पेंटिंग तथा अंदर जिस ढंग से पेंटिंग की हुई है वह भी आकर्षण का केंद्र है। उच्च विद्यालय में यदि जिला प्रशासन अधिक ध्यान दें विद्यालय जिलेभर में नंबर एक पर पहुंच सकता है।
विद्यालय में जहां कंप्यूटर युक्त कंप्यूटर लैब भी बनी हुई है वही वर्तमान में साइंस लैब, आर्ट एंड क्राफ्ट एवं स्टडी रूम निर्माणाधीन है। इस विद्यालय का बेहतरीन इतिहास रहा है।
 फोटो कैप्शन 01: विद्यालय की सुंदरता को दर्शाती हुई।







प्रतिदिन 3-3 स्कूलों का दौरा करेंगे विभिन्न शिक्षा अधिकारी
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 कनीना। 10वीं और 12वीं कक्षा के बोर्ड के परीक्षा परिणाम अच्छे लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। इसके लिए शिक्षा विभाग ने कमर कस ली है। विस्तृत जानकारी देते हुए कार्यकारी खंड शिक्षा अधिकारी अभयराम यादव ने बताया कि जहां बेहतर रिजल्ट लाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी सुनील दत्त यादव ने कनीना के राजकीय स्कूल में स्कूल मुखियों की बैठक ले चुके हैं वही आदेश दिया है कि उप जिला शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी, संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी दो से तीन स्कूलों को प्रतिदिन चेक करेंगे। वहां शिक्षण कार्य का माहौल देखेंगे तथा हिदायतें भी देंगे। उन्होंने कुछ भी हो अतिरिक्त कक्षाएं लगाई जाए या पढ़ाने में अतिरिक्त ध्यान दिया जाए तथा शिक्षकों की मदद ली जाए रिजल्ट अच्छे आने चाहिए।
आगामी दो माह तक कठोर परिश्रम करके दसवीं एवं बारहवीं कक्षा के बोर्ड के परीक्षा परिणाम बेहतर लाने के भ्रसक प्रयास करने चाहिए। ये विचार जिला शिक्षा अधिकारी सुनीलदत्त यादव ने रावमाविद्यालय कनीना में आयोजित खंड स्तरीय स्कूलों के प्राचार्यों की बैठक को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि विगत वर्ष कोरोना के चलते शिक्षण कार्य सुचारु रूप से नहीं चल पाया है किंतु अब स्कूल खुल चुके हैं जहां गरीब तबके के अधिक विद्यार्थी आ रहे हैं। उनकी कड़ी मेहनत कर बेहतर परिणाम लाना चाहिए। जिस विषय का विगत वर्ष परिणाम अच्छा नहीं रहा था उस विषय पर अधिक ध्यान देना चाहिए। किसी भी शिक्षक की मदद लेकर परिणाम सुधारने का प्रयास करना है।
 इसी कड़ी में उप जिला शिक्षा अधिकारी शक्ति पाल ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने भी बेहत परिणाम जाने के टिप्स दिये। उन्होंने कहा कि विशेष कक्षाएं लगाई जाए ताकि परीक्षा परिणाम अच्छा आ सके। तथा कार्यवाहक बीइओ अभयराम कनीना ने अपने विचार रखे व सभी अधिकारियों का स्वागत किया और सभी प्राचार्य ने आश्वासन दिया की विशेष कक्षा लगाकर और बच्चों पर विशेष ध्यान देकर मेहनत करवाकर परीक्षा परिणाम में सुधार करके दिखाएंगे।
इस अवसर पर अटेली खंड के बीइओ सन्तोष चौहान ,सुमेर सिह  ,महेन्द्र सिह, कार्यवाहक प्राचार्य रमन शास्त्री ,सतबीर,ज्ञान सिह, बाबूलाल प्रधान व सभी उपस्थित थे।


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