सोमवार से दुकानदार एसडीएम कार्यालय समक्ष देंगे अनिश्चितकालीन धरना
-एसडीम को देंगे ज्ञापन भी
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कनीना। कनीना न्यायिक परिसर एवं उप-मंडल कार्यालय निर्माण में आड़े आने वाली 154 दुकानों को तोड़े जाने की संभावना को लेकर सभी दुकानदारों ने नेताजी मेमोरियल क्लब कनीना में एक बैठक आयोजित की। जिसकी अध्यक्षता महेश बोहरा व्यापार मंडल प्रधान ने की।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सोमवार से सभी दुकानदार अपनी दुकानों को बंद करके एसडीएम को ज्ञापन देंगे, तत्पश्चात अनिश्चितकालीन धरने पर सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक बैठ जाएंगे। इस दौरान अगर किसी दुकानदार ने दुकान खोली तो उस पर 11 हजार रुपये का जुर्माना कर दिया जाएगा।
श्री बोहरा ने कहा कि जब तक सरकार उन्हें पूर्ण रूप से आश्वासन न दे दे कि उनकी दुकानें नहीं तोड़ी जाएंगी तब तक यह धरना जारी रहेगा। यदि आवश्यक हुआ तो अपने परिवार के बच्चों को लेकर भी धरने पर बैठ सकते हैं और भविष्य में और भी कड़े निर्णय लिए जा सकते हैं।
इस अवसर पर कुछ दुकानदार शामिल नहीं हुए जबकि बहुत से दुकानदार बैठक में हाजिर रहे। उधर हरिराम मित्तल ने कहा कि वे धरने पर नहीं बैठेंगे किंतु दुकानें तोड़े जाने के पक्ष में नहीं है। इस अवसर पर रवि कुमार, सतीश गुप्ता, दिनेश कुमार, उदय राम, दीनदयाल, अजीत, राज कुमार राजू, कोहली, सोमदत्त, संतराम, अजय गोयल, प्रभात मुकेश, रतन सिंह, विजय कुमार, संदीप, पवन शर्मा, रूप शर्मा, अमर जांगड़ा, सीब्बू पंसारी आदि मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 10:कनीना के नताजी क्लब में बैठक आयोजित करते हुए दुकानदार।
कई गांवों में निधि समर्पण के लिये मिला सहयोग
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कनीना। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के लिए निधि समर्पण अभियान के दौरान कनीना खंड के सीहोर गांव में विश्व हिंदू परिषद के विभाग मंत्री सुरेंद्र सिंह और कनीना प्रखंड के सह-संयोजक दिलावर ने बताया कि सूबेदार नित्यानंद जी ने 11,000 रुपयेऔर मास्टर दयानंद जी ने 5,100 रुपए का सहयोग दिया। गांव में सूबेदार नित्यानंद मास्टर दयानंद लेक्चरर राजकुमार सूबेदार राजेंद्र सूबेदार जगदीश डाक्टर सुमेर सिंह नरेश अमित जितेंद्र आदि टोली बनाकर पूरे गांव में संपर्क अभियान चलाए हुए है। गांव गाहड़ा में आर्य समाज के प्रधान कैप्टन राम सिंह, पूर्व सरपंच रणवीर सिंह शिव मंदिर के प्रधान सुरेश, ईश्वर सिंह, अनिल परदेसी आदि ने टोलियां बनाकर गांव में निधि एकत्रित की। रामबास मंडल के संयोजक बलजीत सिंह ने बताया कि रामबास में टोली बनाकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के लिए निधि संग्रह के संपर्क अभियान पूरे गांव में जोर शोर से चला। इसी कड़ी में गांव ढाणा में मास्टर अमर सिंह और उपेंद्र ने बताया कि गांव में टोली बनाकर कार्य पूरे उत्साह से चलाया जा रहा है। धनौंदा मंडल के संयोजक लखन लाल ने बताया कि गांव कैमला धनौंदा, झाड़ली, छितरौली में टोलियां बनाकर समर्पण निधि का कार्य पूरे उत्साह से चल रहा है। बाघोत मंडल के संयोजक सूबेदार हेमराज ने बताया कि बाघोत गांव का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है जिसकी राशि जमा की जा चुकी है। इसी के साथ गांव तलवाना, स्याणा व पोता में कार्य आज पूरे उत्साह के साथ चला। बूचावास मंडल के संयोजक जितेंद्र ने बताया की बूचावास मंडल के गांव अभियान रसूलपुर में कार्य संपन्न हो चुका है गांव झागड़ोली, बूचावास का खेड़ा और नांगल हरनाथ में कार्य पूरे उत्साह के साथ चल रहा है। कनीना नगर में आज निधि समर्पण का कार्य वार्ड नंबर 1 में मनफूल आर्य, विष्णु, सुनील एडवोकेट ने अभियान चलाया वहीं वार्ड नंबर 6 में शिव कुमार, हरिराम सेठ ने टोली के साथ अभियान का संचालन किया। वार्ड नंबर 5 में मास्टर राम प्रताप मास्टर महिपाल निधि समर्पण प्रकार कार्य लगे है।
फोटो कैप्शन 9: सिहोर गांव के लोग समर्पण निधि दिलावर सिंह को देते हुए।
वृक्षों की सेवा में जुटे हैं सुरेश कुमार
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कनीना। करीरा के सुरेश कुमार पेंटर जहां पेंटिंग में नाम कमा चुके हैं वहीं वे वर्षों से पेड़ों की सुरक्षा में लीन है। उनकी एक वाटिका पंचवटी वाटिका नाम से प्रसिद्ध है। इसमें लगाए गए पेड़ अब बड़े हो गए हैं और उनकी देखभाल में अभी से जुट गए हैं।
करीरा के प्रसिद्ध जंगल राजा वाली बनी नाम से जानी जाती है जहां तक पहुंचने के लिए पक्का मार्ग वर्तमान सरपंच राकेश कुमार ने निर्मित करवा दिया है। इसी सड़क मार्ग पर जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा के पीछे उनकी एक छोटी सी वाटिका है जिसका नाम पंचवटी वाटिका है। इस वाटिका में जहां उन्होंने कनेर, बेलपत्र, सेमल, नीम, कीकर आदि उगा रखे हैं वहीं गुजरने रोड के साथ-साथ भी अब उन्होंने पेड़ पौधे लगाने शुरू कर दिए हैं। जहां भी वो जाते हैं लोगों से विवाह शादी, किसी उत्सव या किसी बुजुर्ग की मृत्यु पर उनके परिजनों, सरकारी सेवा में लगने पर उनके हाथों से एक एक पेड़ लगाते हैं और उसकी देखभाल करते हैं। उन्हें नियमित पानी देना तथा उनकी कटाई छटाई करने जिम्मेदारी उन्हीं पर है। सुरेश कुमार के पिता निहाल सिंह पेंटिंग के रूप में प्रसिद्ध है वही सुरेश कुमार भी अपने पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए पेंटिंग में नाम कमा चुके हैं। उनका एक ही सपना विगत 15 वर्षों से चला आ रहा है कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए और उन्हें भी वृक्ष मित्र नाम से जाना जाए। इसलिए दिन रात जुटे हुए हैं। कई बार अपनी इस सेवा के बल पर सम्मानित हो चुके हैं।
हर वर्ष राजावाली बनी में लगने वाले हनुमान मेले के समय तक इस मार्ग को हरा-भरा बना देते हैं। उनका कहना है कि इस बार जहां सर्दी अधिक पढऩे से अधिकांश पेड़ों की पत्तियां खत्म हो गई है। किंतु जल्दी इन पर पत्तियां लौट आएंगी। जहां पंचायत भी उनका पूरा सहयोग कर रही है वहीं वे पानी डालकर पेड़ों की देखरेख कर रहे हैं। उनके दोस्त भी इस काम में हाथ बंटा रहे हैं। उनका कहना है कि पेड़ की देखभाल एक बच्चे के समान करनी पड़ती है। पंचायतों तथा विभिन्न लोगों से उनको सहयोग मिल रहा है और उनके काम को की प्रेरणा दूरदराज तक पहुंच रही है।
सुरेश कुमार का कहना है कि आने वाले समय में यदि कोई वस्तु संसार को सुरक्षित रख सकती है तो पेड़ पौधे हैं। इसलिए पेड़ पौधों की अधिक से अधिक लगाए जाने की मांग कर रहे हैं और स्वयं भी पेड़ पौधे लगा रहे हैं। उनके साथ ही सहयोगी भी उसके इस काम में मदद कर रहे हैं।
फोटो कैप्शन 7: सुरेश कुमार की पंचवटी पार्क एवं सुरेश कुमार।
एक अप्रैल से बदलेंगे कनीना मंडी के दिन
-खुली मंडियों में सरसों के भाव अधिक रहने के आसार
-सरसों का 4650 तो गेहूं का 1975 रुपये प्रति क्विंटल है समर्थन मूल्य
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संवाद सहयोगी,कनीना। अनाज खरीद के वक्त नंबर वन पर रहने वाली कनीना की अनाज मंडी अब सुनसान पड़ी है। खरीद में मदद करने वाले आढ़ती अब एक अप्रैल का इंतजार करेंगे। रबी एवं खरीफ फसल पैदावार के बाद ही रौनक बढ़ती है। एक अप्रैल से सरसों की आवक होने से मंडी में रौनक बढ़ जाएगी। इस बार खुली मंडियों में सरसों के भाव अधिक रहने की संभावना, वर्तमान में सरसों 5800 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। सरसों की आवक के समय 5000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव रह सकते हैं। आढ़ती बेसब्री से कर रहे हैं अनाज आवक का इंतजार। 40 आढ़ती किसानों के आने का इंतजार कर रहे हैं। चार माह तक अनाज मंडी सुनसान रहती है।
किसी वक्त कनीना की अनाज मंडी व्यापारिक प्रतिष्ठानों में से एक होती थी और महेंद्रगढ़ के पास तक इसका विस्तार होता था किंतु समय के साथ साथ अब व्यापारिक प्रतिष्ठान की चमक धीमी पड़ती चली गई है। आज कनीना के सामान्य बस स्टैंड की ओर सघन क्षेत्र बनता जा रहा है और बहुत से व्यापारिक प्रतिष्ठान एवं कार्यालय कनीना मंडी से बस स्टैंड की ओर जा रहे हैं।
वर्तमान में कनीना मंडी में रेलवे स्टेशन, कुछ बैंक शाखाएं, हैफेड, मार्केट कमेटी, वेयर हाउस, खंड कृषि अधिकारी कार्यालय स्थित हैं और बाकी सभी कार्यालय बस स्टैंड की ओर अधिक हैं। यही कारण है कि कनीना मंडी में चहल कदमी अनाज आवक के समय ही बढ़ती है बाकी समय सूनी सूनी पड़ी नजर आती है। वैसे तो चेलावास में नई अनाज मंडी का काम चल रहा है जिसके तैयार होने में अभी समय लगेगा।
कनीना मंडी से आढ़ती रविंद्र बंसल, ओमप्रकाश लिसानिया, शिव कुमार अग्रवाल ने बताया कि जब गेहूं या सरसों की आवक होती तो चहल पहल बढ़ जाती है वहीं गेहूं की खरीद के वक्त भी चहल पहल बढ़ जाती है। शेष समय में मंडी के व्यापारी ग्राहक कम और धूल अधिक फांकते हैं। मार्च माह के अंत में सरसों एवं अप्रैल माह में गेहूं की आवक होती है। कनीना की मंडी 1935 में स्थापित होने के कारण आज भी कनीना को कनीना मंडी के नाम से जाना जाता है। कनीना अनाज मंडी के रविंद्र बंसल उप प्रधान व्यापार मंडल का कहना है कि कनीना मंडी के व्यापार मंडल के उप प्रधान रविंद्र बंसल ने बताया कि सरसों का समर्थन मूल्य 4650 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 रुपये प्रति क्विंटल है। विगत वर्ष की तुलना में गेहूं 50 रुपये तो सरसों 225 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है। उन्होंने बताया कि इस बार सरसों की मांग अधिक है तथा तेल मीलों के पास स्टाक न होने से समर्थन मूल्य से सरसों के भाव अधिक रहने के आसार है।
फोटो कैप्शन 8: कनीना की सूनी पड़ी अनाज मंडी।
वृक्षों की सेवा में जुटे हैं सुरेश कुमार
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कनीना। करीरा के सुरेश कुमार पेंटर जहां पेंटिंग में नाम कमा चुके हैं वहीं वे वर्षों से पेड़ों की सुरक्षा में लीन है। उनकी एक वाटिका पंचवटी वाटिका नाम से प्रसिद्ध है। इसमें लगाए गए पेड़ अब बड़े हो गए हैं और उनकी देखभाल में अभी से जुट गए हैं।
करीरा के प्रसिद्ध जंगल राजा वाली बनी नाम से जानी जाती है जहां तक पहुंचने के लिए पक्का मार्ग वर्तमान सरपंच राकेश कुमार ने निर्मित करवा दिया है। इसी सड़क मार्ग पर जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा के पीछे उनकी एक छोटी सी वाटिका है जिसका नाम पंचवटी वाटिका है। इस वाटिका में जहां उन्होंने कनेर, बेलपत्र, सेमल, नीम, कीकर आदि उगा रखे हैं वहीं गुजरने रोड के साथ-साथ भी अब उन्होंने पेड़ पौधे लगाने शुरू कर दिए हैं। जहां भी वो जाते हैं लोगों से विवाह शादी, किसी उत्सव या किसी बुजुर्ग की मृत्यु पर उनके परिजनों, सरकारी सेवा में लगने पर उनके हाथों से एक एक पेड़ लगाते हैं और उसकी देखभाल करते हैं। उन्हें नियमित पानी देना तथा उनकी कटाई छटाई करने जिम्मेदारी उन्हीं पर है। सुरेश कुमार के पिता निहाल सिंह पेंटिंग के रूप में प्रसिद्ध है वही सुरेश कुमार भी अपने पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए पेंटिंग में नाम कमा चुके हैं। उनका एक ही सपना विगत 15 वर्षों से चला आ रहा है कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए और उन्हें भी वृक्ष मित्र नाम से जाना जाए। इसलिए दिन रात जुटे हुए हैं। कई बार अपनी इस सेवा के बल पर सम्मानित हो चुके हैं।
हर वर्ष राजावाली बनी में लगने वाले हनुमान मेले के समय तक इस मार्ग को हरा-भरा बना देते हैं। उनका कहना है कि इस बार जहां सर्दी अधिक पढऩे से अधिकांश पेड़ों की पत्तियां खत्म हो गई है। किंतु जल्दी इन पर पत्तियां लौट आएंगी। जहां पंचायत भी उनका पूरा सहयोग कर रही है वहीं वे पानी डालकर पेड़ों की देखरेख कर रहे हैं। उनके दोस्त भी इस काम में हाथ बंटा रहे हैं। उनका कहना है कि पेड़ की देखभाल एक बच्चे के समान करनी पड़ती है। पंचायतों तथा विभिन्न लोगों से उनको सहयोग मिल रहा है और उनके काम को की प्रेरणा दूरदराज तक पहुंच रही है।
सुरेश कुमार का कहना है कि आने वाले समय में यदि कोई वस्तु संसार को सुरक्षित रख सकती है तो पेड़ पौधे हैं। इसलिए पेड़ पौधों की अधिक से अधिक लगाए जाने की मांग कर रहे हैं और स्वयं भी पेड़ पौधे लगा रहे हैं। उनके साथ ही सहयोगी भी उसके इस काम में मदद कर रहे हैं।
फोटो कैप्शन 7: सुरेश कुमार की पंचवटी पार्क एवं सुरेश कुमार।
एक अप्रैल से बदलेंगे कनीना मंडी के दिन
-खुली मंडियों में सरसों के भाव अधिक रहने के आसार
-सरसों का 4650 तो गेहूं का 1975 रुपये प्रति क्विंटल है समर्थन मूल्य
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कनीना। अनाज खरीद के वक्त नंबर वन पर रहने वाली कनीना की अनाज मंडी अब सुनसान पड़ी है। खरीद में मदद करने वाले आढ़ती अब एक अप्रैल का इंतजार करेंगे। रबी एवं खरीफ फसल पैदावार के बाद ही रौनक बढ़ती है। एक अप्रैल से सरसों की आवक होने से मंडी में रौनक बढ़ जाएगी। इस बार खुली मंडियों में सरसों के भाव अधिक रहने की संभावना, वर्तमान में सरसों 5800 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। सरसों की आवक के समय 5000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव रह सकते हैं। आढ़ती बेसब्री से कर रहे हैं अनाज आवक का इंतजार। 40 आढ़ती किसानों के आने का इंतजार कर रहे हैं। चार माह तक अनाज मंडी सुनसान रहती है।
किसी वक्त कनीना की अनाज मंडी व्यापारिक प्रतिष्ठानों में से एक होती थी और महेंद्रगढ़ के पास तक इसका विस्तार होता था किंतु समय के साथ साथ अब व्यापारिक प्रतिष्ठान की चमक धीमी पड़ती चली गई है। आज कनीना के सामान्य बस स्टैंड की ओर सघन क्षेत्र बनता जा रहा है और बहुत से व्यापारिक प्रतिष्ठान एवं कार्यालय कनीना मंडी से बस स्टैंड की ओर जा रहे हैं।
वर्तमान में कनीना मंडी में रेलवे स्टेशन, कुछ बैंक शाखाएं, हैफेड, मार्केट कमेटी, वेयर हाउस, खंड कृषि अधिकारी कार्यालय स्थित हैं और बाकी सभी कार्यालय बस स्टैंड की ओर अधिक हैं। यही कारण है कि कनीना मंडी में चहल कदमी अनाज आवक के समय ही बढ़ती है बाकी समय सूनी सूनी पड़ी नजर आती है। वैसे तो चेलावास में नई अनाज मंडी का काम चल रहा है जिसके तैयार होने में अभी समय लगेगा।
कनीना मंडी से आढ़ती रविंद्र बंसल, ओमप्रकाश लिसानिया, शिव कुमार अग्रवाल ने बताया कि जब गेहूं या सरसों की आवक होती तो चहल पहल बढ़ जाती है वहीं गेहूं की खरीद के वक्त भी चहल पहल बढ़ जाती है। शेष समय में मंडी के व्यापारी ग्राहक कम और धूल अधिक फांकते हैं। मार्च माह के अंत में सरसों एवं अप्रैल माह में गेहूं की आवक होती है। कनीना की मंडी 1935 में स्थापित होने के कारण आज भी कनीना को कनीना मंडी के नाम से जाना जाता है। कनीना अनाज मंडी के रविंद्र बंसल उप प्रधान व्यापार मंडल का कहना है कि कनीना मंडी के व्यापार मंडल के उप प्रधान रविंद्र बंसल ने बताया कि सरसों का समर्थन मूल्य 4650 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 रुपये प्रति क्विंटल है। विगत वर्ष की तुलना में गेहूं 50 रुपये तो सरसों 225 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है। उन्होंने बताया कि इस बार सरसों की मांग अधिक है तथा तेल मीलों के पास स्टाक न होने से समर्थन मूल्य से सरसों के भाव अधिक रहने के आसार है।
फोटो कैप्शन 8: कनीना की सूनी पड़ी अनाज मंडी।
एक दिवसीय एनएसएस कैंप का आयोजन
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कनीना। राजकीय महाविद्यालय कनीना में एक दिवसीय एनएसएस कैंप का आयोजन किया गया जिसमें एनएसएस के विद्यार्थियों ने भाग लिया। कैंप में प्रोफेसर एसएस यादव व डा हरिओम भारद्वाज ने जीवन में एनएसएस का महत्व पर अपने विचार रखे। एनएसएस इंचार्ज संदीप ककरालिया ने कहा कि स्कूल परिसर में घास के साथ साथ अनेक अवांछनीय पौधे खड़े हो जाते है जिनकी सफाई करना परम आवश्यक है। कालेज की साफ सफाई करने हर विद्यार्थी का परम कत्र्तव्य है। कालेजों में एनएसएस क्लब के मार्फत प्रांगण को साफ सुथरा बनाया जाता है। विद्यार्थियों का भी यह फर्ज बनता है। उन्होंने किसी भी काम को छोटा न समझकर सभी कामों को उत्सुकता से पूर्ण करने पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि इस तरह के एक दिवसीय सफाई अभियान चलाकर सफाई के प्रति लोगों को जागरूक करना है। एक सच्चा स्वयं सेवक वही होता है जो अपने सहयोग से दूसरे लोगों को भी जागरूक करने का कार्य करे। उन्होंने बताया कि इस तरह के कैम्प में छात्रों को यही सिखाया जाता है कि वो खुद भी जागरूक हो सके तथा अपने आसपास के लोगों को भी जागरूक कर सके।
इस मौके पर कालेज कैंपस की सफाई की गई। उन्होंन बताया कि सात दिवसीय कैम्प का आयोजन मंगलवार से किया जाएगा। इस मौके पर प्रोफेसर विनोद यादव, डा यतेन्द्र,डा संदीप, डा अजय, नीनू यादव, बलराज, कंवर पाल, राकेश, तरुण सहित स्टाफ मौजूद था।
फोटो कैप्शन 3: कालेज प्रांगण की सफाई करते एनएसएस स्वयंसेवक।
बसंत पंचमी को लेकर मशरूम उत्पादक खुश
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कनीना। कनीना क्षेत्र के सभी खुंभी उत्पादन करने वाले किसान बसंत पंचमी को लेकर खुश हैं। जिस दिन भारी संख्या में विवाह शादियां हो रही हैं, वहीं विवाहोत्सव पर खुंभी की सब्जी मुख्य रूप से बनाई जाती है। सभी उत्पादकों को पूर्व में ही खुंभी की बुकिंग करवा रखी है।
उल्लेखनीय है कि खुंभी की सब्जी दिनोंदिन प्रसिद्धि पा रही है। यही कारण है कि कनीना क्षेत्र में आधा दर्जन खुंभी उत्पादक किसान है। विवाह शादियों को लेकर इन सभी के पास पहले से खुंभी की बुकिंग हो चुकी है। रामकिशन किसान कनीना जो खुंभी उत्पादन करते आ रहे हैं, का कहना है कि 14 फरवरी से 16 फरवरी तक 3 दिनों उनके पास खुंभी की बुकिंग हो चुकी है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में खुंभी एक सौ रुपए किलो बाजार में बिक रही है।
यद्यपि पहले खुंभी का भाव 125 रुपये किलो तक भी पहुंच गया था, तत्पश्चात भाव गिर गए और 80 रुपये किलो बिकी है। एक बार फिर से भाव बढऩे लगे हैं क्योंकि उत्पादन घटता जा रहा है। वर्तमान में 100 रुपये किलो के हिसाब से खुंभी बिक रही है। उन्होंने बताया कि बसंत पंचमी पर विवाद शादियां चलेंगी। इन दिनों उनके पास डेढ़ क्विंटल खुंभी की बुकिंग है। उन्होंने कहा कि इस समय कम उत्पादन हो रहा है इसलिए मांग अधिक है। बसंत पंचमी के बाद 15 मार्च फुलेरा दोज पर बहुत अधिक शादियां होंगी किंतु तब तक खुंभी खत्म हो चुकी होगी। कनीना के ज्योतिष आचार्य सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि 16 फरवरी और 25 मार्च को अबूझ शादियां होती है इसलिए इन दिनों सभी मैरिज प्लेस भी बुक हो चुके हैं।
फोटो कैप्शन 4: खुंभी पैदा करने वाले रामकिशन अपनी खुंभी की खेती के साथ।
अकेले दो लाख रुपये के गन्ने देता है बेच
-रेतीले क्षेत्र में उगाई ईख
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कनीना। यूं तो कनीना में रामकिशन नामक किसान ने बासमती चावल और ईंख उगाने का लंबे समय तक प्रयोग किया और सफलता भी हासिल की किंतु महेंद्रगढ़ जिले में पानी की कमी होने के कारण ईख उगाना कठिन कार्य है। परंतु खेड़ी तलवाना का किसान नरेश विगत 3 वर्षों से 2 बीघा जमीन में ईख उगाता आ रहा है। ट्यूबवेल के पानी से ईख उगाता है और दो लाख के गन्ने हर वर्ष बेच देता है। विगत वर्ष कोरोना के चलते लोगों ने गन्ना प्रयोग नहीं किया। नरेश कुमार ने बताया कि गन्ना 1 एकड़ में 400 क्विंटल तक पैदावार देता है जिसके पत्ते तथा ऊपरी भाग पशु चारे के रूप में काम लेते है तथा खाद भी बनाते हैं। 3 वर्ष पूर्व गन्ने की प्योद लगाई थी तब से लगातार गन्ने की बेहतर पैदावार हो रही है। लोग गन्ना खरीदने के लिए उनके पास चलकर आते हैं। आसपास गांव में गन्ना चूसने के प्रति रुझान है और किसान इसी काम से अपने परिवार की रोटी रोजी कमा लेता है। उन्होंने बताया कि जनवरी से गन्ना बेचा जा रहा है जो करीब 4 माह तक चलेगा।
क्या कहते हैं कृषि विशेषज्ञ-
कृषि विस्तार सलाहकार डा देवराज का कहना है कि गन्ना की फसल नहरी पानी और कठोर जमीन में अधिक होती है। जिला महेंद्रगढ़ राजस्थान से जुड़ा होने के कारण यहां जमीन नरम है, नहरी पानी कम है इसलिए गन्ना नहीं उगाते। गन्ना अप्रैल में उगाया जाता है और नंबर दिसंबर में काटना शुरू कर दिया जाता है। जूस के लिए अलग प्रकार होती है तथा चीनी मिलों के लिए गन्ने की अलग प्रकार उगाई जाती है।
क्या कहते हैं गन्ना चूसने वाले-
गन्ने की मांग इस क्षेत्र में अधिक है। गन्ना चूसने के लोग शौकीन होते हैं। गन्ना चूसने वाले रवि कुमार, सुरेश कुमार, दिनेश कुमार, कृष्ण कुमार, योगेश कुमार आदि ने बताया कि गन्ना चूसने से उनकी दांतो की बढिय़ा कसरत हो जाती है। उधर डाक्टर वेद प्रकाश ने बताया कि गन्ना पीलिया, कैंसर, मधुमेह, वजन कम करने, प्रतिरोधकता बढ़ाने, यूरिन से जुड़ी समस्याओं में बहुत कारगर है। गन्ने के रस में जहां कैल्शियम, लोहा, मैग्नेशियम, पोटैशियम आदि भी पाए जाते हैं। इसलिए गन्ने के रस का उपयोग करना सेहत के लिए लाभप्रद है। यही कारण है कि गन्ने की मांग दक्षिण हरियाणा में अधिक है।
फोटो कैप्शन 02 व 03: नरेश कुमार खेड़ी की गन्ने की फसल।
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