पालिका प्रधान ने दो टूक कहा -यदि धरने पर बैठे दुकानदारों को दुकानें चाहिए तो नगरपालिका में आ सकते हैं
-बाहरी लोग दुकानें नहीं दे सकते
******************************************************************
********************************************************************
******************************************************************
कनीना। यदि यह दुकानदार दुकानें चाहते हैं तो उन्हें उनकी टेबल पर आना होगा, वे स्वयं उनके पास चलकर गए थे, हाथ जोड़कर निवेदन करने पर भी उनकी बात तो ठुकरा दिया। यहां तक कि कनीना के पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा सहित विभिन्न प्रमुख जन उनके बीच जा चुके हैं परंतु ये दुकानदार नहीं मान रहे हैं। अब वे उनके पास चलकर नहीं जाएंगे। आने वाले चार दिनों में कनीना वासियों की एक बैठक आयोजित करने जा रहे हैं। उससे पहले नगर पालिका के पुराने भवन के पास शापिंग कांप्लेक्स बनाने की रणनीति तय की जा रही है। सभी पार्षदों की बैठक बुलाकर वहां की जमीन पर शापिंग कांप्लेक्स बनाए जाने की तैयारी भी की जाएगी। श्री जेलदार ने कहा कि दुर्भाग्य है कनीना का महिला कालेज, कनीना की सब्जी मंडी, अनाज मंडी तथा फायर ब्रिगेड अन्यत्र जा चुके है। यदि उस वक्त धरना दिया जाता तो ये भवन अन्यत्र नहीं जाते। और मौजूदा स्थिति में यदि दुकानदारों का यही व्यवहार रहा तो न्यायिक परिसर और उपमंडल कार्यालय से भी हाथ धोना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि यह दुकानदार दोहरी बातों पर चल रहे हैं। जब न्यायिक परिसर बाहर किसी दूसरे गांव में बनने की बात चली तो इन्होंने आंदोलन में भाग लिया कि ये कार्यालय कनीना में बनने चाहिए और अब यहां बन रहे है तो उनका साथ नहीं दे रहे हैं। उन्होंने दृढ़ संकल्पित होकर कहा कि वे दुकानदारों के साथ जी जान से एक किए हुए हैं। यह उनकी अकेले की बात नहीं अपितु कनीनावासियों की मांग है और सहानुभूति है जिसके लिए वे चाहते हैं कि यदि किसी दुकानदार की दुकान टूटती है तो उसे दुकान नगरपालिका दे। उन्होंने कहा कि केवल 6 दुकानें तोड़ी जाने की बात थी, तत्पश्चात प्रशासनिक भवन बनने शुरू हो जाते। यद्यपि छह दुकानदारों ने सहर्ष हलफनामा देने की बात कही थी परंतु उन्होंने स्वयं प्रस्ताव पारित कर पहले पालिका की दुकान देने की बात पक्की करनी चाही ताकि प्रधान रहे या ना रहे आने वाले समय में उनको दुकानें जरूर मिल पाए परंतु दुकानदारों ने उनकी बातों पर भी विश्वास नहीं किया।
उन्होंने कहा कि बाहर के लोग आकर हस्तक्षेप कर रहे हैं, वे कोई दुकान नहीं दे सकते और न हीं की दुकानें बचा सकते यदि कोई दुकानें देगा तो नगरपालिका देगी। वे खुद भी दुकानें नहीं दे सकते क्योंकि वे पालिका प्रधान आज है भविष्य में नहीं रहेंगे। इसलिए पालिका नगरपालिका का साथ देना चाहिए नगर पालिका प्रशासन समस्त सरकार इन दुकानदारों के हित चाहती है। अभी भी अगर ये दुकानदार उनके पास आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही कस्बा वासियों की बैठक बुलाई जा रही है जिसमें सारी बातें स्पष्ट कर दी जाएंगी ताकि आने वाले समय में पालिका प्रधान को दोषी नहीं ठहरा सकें।
फोटो: पालिका प्रधान सतीश जेलदार।
पुलवामा हमले के शहीदों की याद में स्वयंसेवकों ने रखा मौन
*********************************************************
कनीना। राजकीय महाविद्यालय कनीना के तत्वाधान में ग्राम ककराला में चलाए जा रहे एनएसएस शिविर के छठे दिन बाबा गुलाब गिरी धाम व पीपा जोहड मे साफ सफाई की। इस मौके पर मुख्य वक्ता बतौर जिला बागवानी अधिकारी पलवल विनीत यादव मौजूद रहे।
श्री यादव ने बागवानी क्षेत्र में सरकार के द्वारा दिए जाने वाली योजनाओं एवं सब्सिडी के बारे में बताया। नई तकनीक के माध्यम से फलों के सदुपयोग के बारे में बताया वहीं आर्गेनिक बागवानी के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन किया।
इस मौके पर पुलवामा हमले के शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन धारण रखा। एनएसएस अधिकारी संदीप ककरालिया ने कहा कि सैनिकों की बदौलत ही आज सुरक्षित हवा में सांस ले रहे हो। सैनिकों का सदा सम्मान करना चाहिए। इस मौके पर डा बलराज, डा अजय प्रकाश, डा कवरपाल, पीताम्बर शर्मा, राकेश, महेश आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 11: ककराला गांव में एनएसएस शिविर में सफाई करते स्वयंसेवक।
कई रूपों में मनाया जाता है बसंत पंचमी
************************************************************
कनीना। कनीना क्षेत्र में बसंत पंचमी का पर्व 16 फरवरी के दिन मनाया जा रहा है। बसंत पंचमी का पर्व कई मायनों में सामाजिक एकता व भाईचारे का पर्व है। माघ कृष्ण पंचमी के दिन मनाए जाने वाले इस त्यौहार से जुड़ा है वासंती परिधान, पूजा अर्चना, होली गायन व नृत्य। मौसम मदमस्त करने के साथ-साथ मनमोहक होता है।
किसानों के लिए सह वक्त प्रफुल्लित करने वाला होता है। किसानों की फसलें लहलहाने लगती हैं। सरसों के पीले रंग के फूल धरा को पीला परिधान ओढ़े होने का आभास कराते हैं। वृक्षों पर नई कोपलें,गेहूं की बालियां आ जाती हैं। ग्रामीण अंचलों में तो इस पर्व का अधिक महत्व होता है। पतंगबाजी एवं मां सरस्वती की पूजा का पर्व है।
बसंत पंचमी से जुड़ी हे अक्षरज्ञान की परंपरा। प्राचीन समय से बड़े बूढ़े अपने बच्चों को इसी दिन से ज्ञान देना शुरू करते थे। घर-घर में माँ सरस्वती की पूजा होती है। बताया जाता है कि शिव, ब्रह्मïा, विष्णु काम व रति की पूजा करने का प्रावधान भी होता है। बताया जाता है कि भगवान् भोलेनाथ को पार्वती ने बसंत बहार में ही आकर्षित किया था। राजस्थान में तो इस दिन मां की मूर्ति बनाकर पूजा करने के उपरांत नृत्य करने की परंपरा भी है।
बसंत पंचमी को पीले वस्त्र पहनने की परंपरा भी चली आ रही है। पीले वस्त्र पहनकर नृत्य किया जाता है। महिलाएं मंदिरों में जाकर पीले पुष्प अर्पित करती हैं। घरों में पीले चावल बनाकर चाव से खाये जाते हैं। बसंत पंचमी को विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा करके सद्बुद्धि और विद्या का वरदान मांगते हैं। कवियों ने ऋतुराज बसंत का कविताओं में और साहित्य में मार्मिक वर्णन किया है। प्रेमियों के लिए भी यह दिन मदमस्त करने वाला होता है। जहां भी देखो खुशियों की बहार आ जाती है। किसान जहां खेतों में फसल पकती देख प्रसन्न होते हैं वहीं पक्षी भी ठंड से बचकर फसल खाने को लालायित दिखाई पड़ते हैं। भंवरे बागों और फसलों पर गूंजन करते हैं और मधुमक्खियां दिनभर फूलों से पराग इक_ïा करने में लगी रहती हैं और इंसान को मेहनत करने की प्रेरणा देती हैं।
इस पर्व के आगमन का द्योतक ही पेड़ पौधों पर फूलों का आना तथा मौसम का सुहावना होना माना जाता है। किसानों के लिए बसंत का कुछ विशेष महत्व होता है। किसान अपने खेतों की ओर देख-देखकर मन ही मन में विभोर हो जाता है और आने वाली खुशहाली को याद करता। अपने खेत में अच्छी फसल पैदा होने की संभावना को मन में धारण करके भगवान् एवं मां सरस्वती का आभार व्यक्त करता है। देश के विभिन्न भागों में इस त्योहार को अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है लेकिन सभी का अंतिम उद्देश्य मां की पूजा करना और सदबुद्धि पाने की प्रार्थना करना होता है।
कवियों की कल्पना का आधार एवं मन में एक विचार सृजन का वक्त बसंत अति सुहावना लगता है। इस मौसम का विभिन्न कवियों ने अपनी तूलिकाओं से विभिन्न रंगों में उकेरा है। इस मौसम को देखकर लगता है कि सचमुच कामदेव धरा पर अवतरित हो गए हैं। किसान हो या आम जन सभी को प्रकृति का बहुरंगी नजारा अति मनमोहक लगता है।
फोटो कैप्शन 12: खेतों में लहलहाते पीले पीले सरसों के फूल।
ठेलों पर नजर आते देसी बेर
***************************************************************
कनीना। क्षेत्र में देसी बेरों की बहार देखने को मिल रही है। ठेलों पर देसी बेर बेचे जा रहे हैं। ठेले वाले प्रतिदिन एक 800 रुपये तक अकेले बेर से कमा लेता है। कनीना के निवासी मोहन ने बताया कि वे ठेले पर प्रतिदिन 30 किलो बेर 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेच देता है। ये बेर राजस्थान से 30 रुपये किलो तक आते हैं। इस प्रकार भी अपनी रोटी रोजी अकेले ठेले पर बेर बेचकर कमा लेते हैं और इनकी मांग अधिक है। खाने में मधुर अधिक होते।
फोटो कैप्शन 6: बेर बेचता हुआ मोहन।
एक साल बाद फिर से सेवा भारती का शुरू हुआ शिविर
-127 मरीजों मरीज पहुंचे शिविर में
**********************************************************************
कनीना। सेवा भारती हरियाणा की कनीना शाखा द्वारा 38वां हृदय रोग, हड्डी रोग, नेत्र रोग जांच एवं परामर्श शिविर का आयोजन किया गया। मेट्रो अस्पताल एवं हृदय रोग संस्थान से डा अश्वनी यादव, डाक्टर आरबी यादव, डाक्टर विकास यादव, डाक्टर सुमित पाहन नेत्र रोग विशेषज्ञ ने रोगियों की जांच की, दवाइयां एवं चश्मे निशुल्क वितरित किए। शिविर में 127 मरीज पहुंचे।
इस मौके पर हृदय रोग विशेषज्ञ डा अश्विनी यादव ने कहा कि समय-समय पर हृदय की जांच करवा लेनी चाहिए यदि रक्तचाप बढ़ता है या घटता है तो उसका समय रहते इलाज करवा लेना चाहिए। वही डॉ सुमित पाहन नेत्र रोग विशेषज्ञ ने कहा कि आंखें जहान की सबसे बड़ी वस्तु है, आंखों की देखभाल करनी चाहिए। यदि किसी प्रकार की समस्या हो तो डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
विस्तृत जानकारी देते हुए सेवा भारती के योगेश अग्रवाल ने बताया कि अब यह कैंप हर माह के दूसरे रविवार को लाला शिवलाल धर्मशाला रेलवे स्टेशन कनीना मंडी के पास सुबह 9:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है। शिविर में सेवा भारती शाखा कनीना के अध्यक्ष सुरेश शर्मा, सचिव श्याम सुंदर बंसल, योगेश अग्रवाल, योगेश गुप्ता, डा वेद प्रकाश शर्मा, रोहित, नरेश शर्मा पार्षद, अनुपाल सिंह साहब, शिवकुमार अग्रवाल, प्रेम सिंह, अमित कुमार, कंवरसेन वशिष्ठ, राजेंद्र सिंह, ओम प्रकाश कौशिक, जगदीश आचार्य सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 10: नेत्र शिविर में जांच करते हुए डाक्टर।
खीमज माता का मेला आरोग्य सप्तमी को
*************************************************************
कनीना। 18 फरवरी को सेहलंग में खीमज माता का मेला भरने जा रहा है। कोविड-19 के नियमानुसार मेले में खेल प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। विस्तृत जानकारी देते हुए खिमज सेवादल के विजयपाल सेहलंगिया ने बताया किस मेले में वालीबाल सैमेसिंग 21,000 रुपये की होगी जिसमें दूसरे स्थान पर आने पर 15,000 रुपये दिए जाएंगे। कबड्डी नेशनल प्रथम को 21000 रुपये तथा दूसरे स्थान पर रहने वाले को 15000 रुपये दिए जाएंगे। 21,000 रुपये तक की कुश्तियां भी आयोजित होंगी। उन्होंने बताया कि 1600 मीटर दौड़ के विजेताओं को 1500 और 1100 रुपये प्रथम और द्वितीय को, 800 मीटर दौड़ अंडर-14 को 1500 एवं 1100 रुपये क्रमश: प्रथम और द्वितीय को, लड़कियों की 800 मीटर दौड़ में प्रथम और द्वितीय को क्रमश: 1500 एवं 1100 रुपये क्रमश: प्रथम एवं द्वितीय को, 400 मीटर बूढ़ों की दौड़ में 1500 और 1100 रुपये दिये जाएंगे। इसके अलावा ऊंची कूद लंबी कूद में भी आयोजित होने जा रही है। उन्होंने बताया कि मास्क लगाकर उचित दूरी बनाकर ही यहां आ सकते हैं।
दुकानदारों की हड़ताल के चलते ठेले वालों का दर्द उभर कर आया सामने
**************************************************************
कनीना। बेशक पंचायत समिति की दुकानों में बैठे सैकड़ों दुकानदार विगत 7 दिनों से दुकानें अनिश्चितकालीन के लिए बंद रख धरने पर बैठे हैं और दुकाने प्रात: दस बजे से शाम पांच बजे तक बंद रखते हैं किंतु मुश्किल से दो जून की रोटी कमाने वाले रेहड़ी और ठेले वालों का दर्द उभर कर सामने आया है।
कनीना मंडी तिराहे पर कुछ ठेलेवाले सरेआम सड़क पर खड़े हुए हैं। वे मानते हैं कि वे गलत जगह पर खड़े हैं कोई भी दुर्घटना घट सकती है किंतु जो दुकानदार धरने पर बैठे हुए हैं वे अपनी दुकानों के आगे इन ठेले वालों को भी फल सब्जी नहीं बेचने दे रहे हैं जिसके चलते इनके चेहरे पर दर्द स्पष्ट है। शिवकुमार केलेवाले ने बताया कि वे लंबे समय से ठेले पर फल सब्जी फल बेचते आ रहे हैं जिससे परिवार की रोटी कमाते हैं किंतु जिस जगह वे ठेला लगाते थे वहां के दुकानदार धरने पर हैं और वे ठेला तक नहीं लगाने दे रहे हैं। ऐसे में मजबूरी में सड़क के किनारे ठेले पर फल बेच रहे हैं और जान जोखिम में डाल रहे हैं। विकास कुमार ने बताया की प्रतिदिन हजारों रुपये के फल बाहर से मंगवाते हैं किंतु इन्होंने दुकानें बंद रखने की हड़ताल की है तब से भारी नुकसान में जा रहे हैं। यही नहीं सुंदरलाल ठेले वाले ने बताया कि वह बेहद परेशान है जहां अपना ठेला लगाकर रोटी रोज कमाते थे वहां धरने पर बैठे दुकानदारों ने ठेला नहीं लगाने दे रहे हैं। श्याम सुंदर से जिनकी चाय की दुकान क्षेत्र में प्रसिद्ध है। इन दुकानदारों की हड़ताल से परेशान होकर दुकान के सामने सड़क के दूसरी ओर आखिरी चाय बेचने का कार्य करने लगे हैं। उनका कहना है कि मजबूरी में अपनी दुकान को छोड़कर चाय बेच रहे हैं। उनका कहना है कि रोटी रोजी कमाने के लिए आखिर वे मजबूर हैं।
उल्लेखनीय है कनीना बस स्टैंड के आस पास जहां बहुत से ठेलेवालों ने तो अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि वह प्रतिदिन के हिसाब से दुकानदारों पांच हजार रुपये तक प्रति माह इन दुकानदारों को दे रहे हैं। एक ओर जितना किराया कुछ दुकानदार नगर पालिका या पंचायत समिति में दे रहे हैं उससे कहीं अधिक किराया दुकानों के आगे सड़क के किनारे ठेले लगाने वालों से वसूल रहे हैं परंतु यह ठेले वाले मजबूर हैं।
फोटो कैप्शन 3: सड़क के बीच में ठेला लगाए खड़े ठेले वाले।
हड़ताल में शामिल होने वाले दुकानदार अब दुकानें खोलने का तलाशने लगे वैकल्पिक मार्ग
*****************************************************************
कनीना। यद्यपि पंचायत समिति की दुकानों में बैठे दुकानदार 7 दिनों से दुकानें बंद करके अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है किंतु इन 7 दिनों में देखा जाए तो कई दुकानदारों ने दुकानें चलाने का अपना वैकल्पिक मार्ग ढूंढ लिया है। अपनी रोटी रोजी भी नहीं खोना चाहते और हड़ताल में भी भाग लेना चाहते हैं। यही कारण है कि बहुत से दुकानदारों ने तो अपनी दुकानों के बाहर स्टीकर लगा दिये हैं कि यह दुकान कहां शिफ्ट हो गई है। यह सत्य है कि हड़ताल पर बैठे हुए दर्जनों दुकानदारों ने हड़ताल के समानांतर अपना सामान भी बेचना शुरू कर दिया है। यह बात उनके दुकानों के बाहर लगे स्टिकर से पता चल रही है।
वैसे भी दुकानदार अनिश्चित काल तक दुकानें बंद करके धरने पर बैठने का मतलब है अपना नुकसान खुद कर रहे हैं क्योंकि दुकानें बंद रखने का सीधा सा अर्थ है कि सरकार को कोई नुकसान नहीं होता अर्थात जो कुछ नुकसान होगा वह दुकानदार ही झेल रहे हैं। वैसे धरने पर बैठे दुकानदारों का जहां उच्च न्यायालय में मामला चला हुआ है वहीं अवमानना नोटिस तक जारी करवा चुके हैं जिसके चलते मार्च माह में सुनवाई होने जा रही है। अगर पंचायत समिति की माने तो उनका कहना है कि उन्होंने तहबाजारी के तहत दुकानें/खोखे रखने का आदेश दिया था यहां तक कि पंचायत समिति मानती है कि ये दुकानें मनमर्जी से लंबाई चौड़ाई की बनी हुई हैं।
हड़ताल पर बैठे हुए दुकानदार भी मानते हैं कि उनके ग्राहक खत्म हो रहे हैं किंतु उनका कहना है कि रोटी रोटी छीने उससे बेहतर है कि अपनी रोटी रोजी को बचाने का प्रयास करेंगे। प्रशासन दुकानदारों के साथ है किंतु दुकानदार अपने हड़ताल पर अडिग है। यदि यह हड़ताल लंबी चलती है निश्चित रूप से सभी दुकानदार इन दुकानों को छोड़कर किन्हीं और दुकानों में ही सामान बेचने को मजबूर हो जाएंगे।
फोटो कैप्शन 4: दुकानों के बाहर लगे हुए स्टीकर दर्शाती दुकाने जिन पर लिखा है कि यह दुकान कहां शिफ्ट हो गई?
किसान ने बनाया सस्ता गोबर गैस प्लांट -प्रतिदिन प्रदान कर रहा है गैस
*************************************************************************
कनीना। एक और जहां कुकिंग गैस सिलेंडर महंगा हो रहा है वही किसान किसी वैज्ञानिक से कम नहीं है और गोबर गैस प्लांट बनाकर कुकिंग गैस सिलेंडर को मात देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। ऐसा ही एक किसान कनीना के देशराज वार्ड 13 (वैद्य कालोनी) में है जिन्होंने एक जुगाड़ी गोबर गैस प्लांट बना है जिसमें तीन-चार दिन में एक बार एक गाय/भैंस का गोबर का घोल डालता है और यह गैस टायर की ट्यूब में में इक_ी करके प्रयोग में ले रहा है। इस प्रकार प्राप्त गैस से एक गाय का दोनों समय की चाट पका रहा है। करीब दो वर्षों से उनका यह यंत्र काम कर रहा है।
उनके इस अजीबोगरीब संयंत्र को देखने के लिए किसान आ रहे हैं। किसान देशराज ने बताया कि उन्होंने यू-ट्यूब तथा नेट पर गोबर गैस प्लांट धरातल पर बनाने की सूचना मिली। जिसको लेकर वे 3500 रुपए की केमिकल डालने की 1000 लीटर की खाली टंकी लाए, जिसमें 400 रुपये के पाइप तथा वाहनों की चार रबड़ की ट्यूब लगाकर 600 रुपये के चूल्हे से पशु की चाट पकाना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि वे एक गाय का गोबर 3 से 4 दिन में डालते हैं। प्रारंभ में जहां इस टंकी से 15 दिन में गैस बननी शुरू हुई थी और अब लगातार गैस बन रही है। 15 दिसंबर से 15 जनवरी सर्दी अधिक पडऩे से गैस कम बनती है वरना लगातार दोनों समय का पशु की चाट पकाई जा रही है। गोबर गैस के लिए ताप अधिक चाहिए। उन्होंने बताया कि उन्होंने स्वयं इस संयंत्र का निर्माण किया है जो कम जगह घेरता है।
किसान ने बताया कि है संयंत्र लंबे समय तक लीक नहीं होता तथा इसकी सफाई करना भी आसान है। इस संयंत्र के नीचे एक नोजल लगा है जिससे इसकी सफाई आसानी से हो सकती है जबकि धरती में बनाया जाने वाला गोबर गैस प्लांट टिकाऊ नहीं होता वहीं यह भर जाने के बाद इसे खाली करने की बड़ी समस्या आती है। उन्होंने बताया कि वह क्षेत्र का पहला किसान है जिन्होंने अपने दम पर इस संयंत्र का निर्माण किया है। उसके इस संयंत्र पर जहां किसी प्रकार का कोई अनुदान नहीं लिया है। उनका कहना है यदि 2 टंकी जोड़ दी जाए तो और एक गाय के गोबर से अधिक गैस प्राप्त हो सकेगी। किसान ने बताया कि ट्यूब जब गैस की भर जाती है तो उन पर वजन रखा जाता है ताकि चूल्हे तक गैस आ सके और आसानी से प्रयोग कर सकें।देशराज ने बताया कि उन्होंने जब यू-ट्यूब पर देखा तो उस पर गैस इक_ी करने के लिए जहां एक छोटा ड्रम प्रयोग किया गया था वही बायोगैस संयंत्र की टंकी भी छोटी थी। उन्होंने बड़े स्तर पर यह संयंत्र लगाया है। उनके संयंत्र को देखने वाले लोगों की भारी भीड़ लगी रहती है ताकि इस प्रकार का संयंत्र वे भी अपने घर में लगा सके।
उधर कृषि विस्तार अधिकारी डा देवराज यादव ने बताया कि सरकार गोबर गैस प्लांट पर 9000 रुपये तक की सब्सिडी देती है लेकिन यह गोबर गैस प्लांट धरती में बनाया जाता है। उन्होंने बताया यदि कोई किसान गोबर गैस प्लांट लगाना कृषि विभाग उनके लिए मददगार है। यह कई वर्षों तक काम कर सकता है। वर्तमान में कई जगह कार्य कर रहे हैं।
फोटो कैप्शन 01: बायो गैस संयंत्र दिखाते हुए तथा उसका प्रयोग करते हुए देशराज किसान।
धरने पर दुकानदार अडिग
-जल्द ही देखेंगे बनने वाले न्यायिक परिसर का नक्षा
***********************************************************************
कनीना। कनीना के सैकड़ों दुकानदारों का एसडीएम कार्यालय कनीना के समक्ष सड़क के दूसरी ओर धरना सातवें दिन जारी रहा। दुकानदार पूर्ण रूप से अडिग नजर आए। वे लगातार धरने पर बैठे हैं। यद्यपि प्रशासन की ओर से कोई अधिकारी उनसे मिलने अभी तक नहीं आया है किंतु विभिन्न गांवों से लोग और पंचायतें लगातार उनके पास आ रही है जिसके चलते उनके हौसले बुलंद हैं। रविवार को उनके बीच रोकी पार्षद सहानुभूति लेकर पहुंचे।
ये दुकानदार भी नहीं चाहते कि उनकी दुकानें न तोड़ी जाए और यह भी नहीं चाहते कि न्यायिक परिसर एवं उपमंडल कार्यालय कनीना से बाहर जाए। वे चाहते हैं कि दुकानें भी बनी रहे और उपमंडल कार्यालय भी यहीं पर बन जाए अर्थात सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे वाली कहावत पर चल रहे हैं। विभिन्न लोग समय-समय पर उनके पास आकर मध्यस्थता कर रहे हैं परंतु अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि उपमंडल कार्यालय और न्यायिक परिसर के लिए कितनी दुकानों की बलि देनी पड़ सकती है। यदि एक नजर नगर पालिका प्रधान के विगत दिनों पारित प्रस्ताव पर डालें तो स्पष्ट है कि 6 दुकानें तोड़ी जा सकती हैं ताकि न्यायिक परिसर के लिए मार्ग चौड़ा किया जा सके परंतु अस्पष्टता के अभाव में न तो मध्यस्थता करने वाले कुछ कर पा रहे हें और दुकानदार भी सहमें हुये हैं। बहरहाल अभी तो यही कवायद चल रही है कि न्यायिक परिसर और उपमंडल कार्यालय के लिए दुकानें तोड़ी जाएगी या नहीं अगर तोड़ी जाती हैं तो कितनी?
अभी तक कौन-कौन मिलने आए-
अभी तक जहां आधा दर्जन गांवों की पंचायतें जिनमें कैमला, झाड़ली, धनौंदा, तलवाना आदि की पंचायतें आ चुकी है वहीं जिला पार्षद अजय सेहलंग, बाघोत के महावीर सिंह पहलवान सहित विभिन्न जन आकर उनका हौसला बढ़ा चुके हैं। बसपा नेता अतरलाल दो बार उनके बीच आ चुके हैं यहां तक कि वे अपनी तरफ से सहयोग राशि 5100 रुपये अंशदान के रूप में भी दे चुके हैं और ज्ञापन भी उच्चाधिकारियों को भेज चुके हैं।
अगर पंचायत समिति की माने तो उसका कहना है कि तहबाजारी के तहत खोखे दिए गए थे दुकानें नहीं। ऐसे में दुकानदारों का कहना है कि उन्होंने नियमानुसार दुकानें बनाई थी जिनका किराया भी भरते आ रहे हैं। पंचायत समिति के रिकार्ड में 153 दुकाने/खोखे शामिल किये गये है। यह मसला 2 सालों से चला आ रहा है। पहले भी पंचायत समिति ने दुकानें खाली करने के नोटिस जारी किए थे और इस वर्ष फिर से जनवरी माह में नोटिस जारी किए हैं जिसके चलते दुकानदार एकमत और एकजुट सहित धरने पर बैठे हैं।
दुकानदारों में नक्शा देखने की बात कही-
धरने पर बैठे महेश बोहरा, रवि कुमार, सुरेश कुमार, रूप सिंह आदि ने कहा कि अभी तक उन्हें नक्शा नहीं देखा है। नक्शा देखकर बताया जा सकेगा की कितनी दुकानें तोड़ी जा सकती है। इसके लिए मध्यस्थता करने वाले तथा दुकानदारों का प्रतिनिधित्व मंडल जल्द ही उच्च अधिकारियों से इस संबंध में मिल सकता है।
बैठक जल्द ही-
कस्बा के लोग दुकानदारों के मसले को अपने स्तर पर हल करना चाहते हैं। प्रशासन की ओर से अभी तक कोई अधिकारी नहीं आ रहा है जिसके चलते वे निकट भविष्य में बैठक भी बुला रहे हैं। जिसमें इस समस्या का समाधान निकालने पर चर्चा हो सकती है किंतु अभी तक कोई तारीख मुकर्रर नहीं की गई है।
पंचायत समिति के दुकानदारों कठिन दौर- पंचायत समिति की दुकानों में बैठे दुकानदारों का धरना उन दुकानदारों के लिए कठिन साबित हो रहा है जिनकी रोटी रोजी इसी से प्राप्त होती है और उनका 7 दिनों से धंधा बिल्कुल चौपट हो चुका है जबकि कुछ ऐसी दुकानदार भी है जिनकी दुकानें पंचायत समिति और नगरपालिका दोनों में है। वे अपना धंधा पालिका की दुकानों में जमाए हुए है तथा नजरें पंचायत समिति की दुकानों पर टिकाए हुए हैं। अभी तक आधा दर्जन दुकानदारों ने अपनी दुकानें खोलने का वैकल्पिक मार्ग अपना लिया है।
फोटो कैप्शन 2: रोकी पार्षद दुकानदारों को अपना सहयोग देने की बात कहते हुए।
No comments:
Post a Comment