दो दिवसीय कैंप एवं प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया
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कनीना। कस्बे के राजकीय पशु चिकित्सालय में आज अनुसूचित जाति के पशुपालकों के लिए दो दिवसीय कैंप एवं प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इसमें 20 पशुपालकों ने हिस्सा लिया। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ अमित सांगवान असिस्टेंट प्रोफेसर सर्जरी हरियाणा पशु विज्ञान केंद्र रिवासा ने पशुपालकों को विभिन्न बीमारियों से बचाव के तरीके बताएं एवं रिवासा केंद्र पर मिलने वाली सुविधाओं के बारे में विस्तार से बताया। इस मौके पर उपस्थित उप मंडल अधिकारी भूप सिंह यादव ने पशुपालकों को कृत्रिम गर्भाधान पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा। सिंह ने बताया कृत्रिम गर्भाधान से अच्छी नस्ल के पशु तैयार किए जा सकते हैं एवं पशुपालक अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। डॉ पवन कांगड़ा ने पशुपालकों को सेक्स शार्टेड सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान करवाने पर जोर दिया ताकि सड़कों पर खुले घूम रहे गोवंश से मुक्ति मिल सके। डॉक्टर पवन कांगड़ा ने बताया की हमारे हॉस्पिटल में बछड़ी पैदा होने वाला बीज सिर्फ 200 रुपये में आमजन के लिए उपलब्ध है। अनुसूचित जनजाति के पशुपालक 50 प्रतिशत सब्सिडी पर लोन लेकर पशु व्यवसाय को अपना सकते हैं विशेष रुप से अनुसूचित जाति के लोगों के लिए भेड़ पालन, बकरी पालन, शुअर पालन एवं दो से तीन दुधारू पशुओं की मिनी डेयरी की स्कीम है
बंद घर से सामान आदि चोरी करने का मामला दर्ज
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कनीना। कनीना थाना के तहत पडऩे वाले बवाना गांव की रचना देवी ने कनीना पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि उनके बंद मकान से एक व्यक्ति ने सामान चोरी करके अपने घर में लगा लिया तथा पशुधन भी उनके घर में बांध रहा है। कनीना पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है।
रचना देवी ने पुलिस ने बताया कि हाल ही में जाखोद़ राजस्थान में रह रहे हैं। उनका मकान गांव बवाना में है। मकान में उनकी शादी का सामान रखा था। वे खाने कमाने के लिए जाखोद चले गए जहां उन्हें पता चला कि उनके मकानों की रजिस्ट्री हो रही है, जिसके चलते वे बवाना आए ।उन्होंने पुलिस में कहा है कि मकान में रखा सामान नहीं मिला जिसमें पूरा फर्नीचर, डबल बेड, सोफा सेट, ड्रेसिंग टेबल, टीवी, फ्रिज, एसी, गैस सिलेंडर, 200 से 300 जोड़ी कपड़े, 251 बर्तन, गोदरेज की अलमारी आदि गायब मिले। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्यवीर नामक व्यक्ति उनका यह सामान चुरा कर अपने चौबारे में लगा लिया है। और सत्यवीर उन्हें पिस्तौल दिखाकर जान से मारने की धमकी दे रहा है। जिसके चलते उन्होंने सत्यवीर एवं उनके परिवार के विरुद्ध मामला दर्ज कराने की मांग की है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। उन्होंने साथ में कहा है कि उनके घर में पशु बांध रखे हटवाए जाएं।
खड़ी गाड़ी को मारी टक्कर, जान से मारने की धमकी
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कनीना। अजीत नांगल हरनाथ ने की शिकायत पर कनीना पुलिस ने उनकी गाड़ी को टक्कर मारने तथा कुछ जनों द्वारा जान से मारने की धमकी दी है। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। अजीत कुमार ने पुलिस में दी शिकायत में कहा गया है कि वह अपने दोस्त की गाड़ी को लेकर अपने घर नांगल हरनाथ से बवानिया की ओर जा रहा था। जब वे बवानिया के नजदीक पहुंचा तो पीछे से एक थार गाड़ी तेज गति से आ रही थी। गाड़ी को देख उन्होंने अपनी गाड़ी की गति बढ़ा दी और बवानिया में रविंद्र नामक अपने दोस्त के प्लाट में ले जाकर खड़ी कर दी। उनकी खड़ी गाड़ी को थार गाड़ी से टक्कर मारी से गाड़ी में नुकसान हुआ तथा थार गाड़ी से कुछ लोगों को उतरते देख अजीत खेतों की और भाग खड़ा हुआ। गाड़ी से उतर कर वे लोग उसे मारने की धमकी दे रहे थे। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
टावर की बैटरी चोरी, कनीना पुलिस ने किया मामला दर्ज
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कनीना। वोडाफोन कंपनी के टावर इसराणा से 48 बैटरी सेल चोरी हो जाने का मामला कनीना पुलिस में जितेंद्र कुमार इसराणा ने दर्ज कराया है।
कनीना पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि वे कंपनी में सिक्योरिटी सुपरवाइजर पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने कहा है कि वोडाफोन कंपनी के टावर पर अज्ञात चोर ने 48 बैटरी चोरी कर लिये तथा केबिन का कुछ हिस्सा भी तोड़ दिया है। उन्होंने कहा है कि सात या आठ फरवरी की रात को ये बैटरी चोरी हुई हैं।
बैलगाड़ी से हेलीकाप्टर तक सफर दूल्हा-दुल्हन ने किया पूरा
-70 साल में सब कुछ बदला
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कनीना। विगत करीब 70 वर्षों में दूल्हे द्वारा बैलगाड़ी से हेलीकाप्टर तक का सफर तय कर लिया है। अब तो लोग ठहाके लगाकर कहते सुने जा सकते हैं कि भविष्य में लोग विमान द्वारा बारात में जाया करेंगे।
करीब 70 साल पहले जहां दूल्हा और दुल्हन बैलगाड़ी में सफर करते थे। साथ में बाराती भी बैल गाडिय़ों में ही जाते थे। विज्ञान की क्रांति के चलते और पैसे की अधिकता होने के चलते अब हेलीकाप्टर द्वारा ही दूल्हा-दुल्हन आने-जाने लग गए हैं। परंतु उस जमाने का बैलगाड़ी का आनंद बुजुर्ग नहीं भुला पा रहे हैं। कनीना के वयोवृद्ध पूर्व प्रधान मास्टर दिलीप सिंह तथा पूर्व सैनिक ब्रह्मानंद शर्मा, पूर्व मुख्याध्यापक एवं पार्षद करतार सिंह बताते हैं कि वे बैलगाड़ी में बारात में गए हुए हैं। दूल्हा-दुल्हन भी बैलगाडिय़ों में ही साथ जाते थे। मा. दलीप सिंह बताते हैं कि सबसे पहले वे कनीना से मांढैया बैलगाड़ी में बारात में गए थे जब उनकी उम्र करीब दस वर्ष होती थी। तत्पश्चात एक समय ऐसा भी आया जब कनीना से रेवाड़ी कोयले से चलने वाली रेलगाड़ी द्वारा रेवाड़ी तक जाकर, रात ठहर, अगले दिन घड़ी टांकड़ी तक बैलगाड़ी से बारात में गये। बारात तक 3 दिनों तक रुकती थी और खाने का अंदाज अलग होता था। आज सब कुछ बदल कर रख दिया। पूर्व सैनिक ब्रह्मानंद एवं पूर्व मुख्याध्यापक एवं पार्षद मा. करतार सिंह भी बताते हैं कि बैलगाडिय़ों के सफर से आज के त्वरित वाहनों तक के सफर को देख चुके हैं। बैल गाडिय़ों के बाद ऊंट गाडिय़ों में सफर में होने लगा। तत्पश्चात ट्रैक्टर-ट्राली बहुत लंबे समय तक विवाह शादियों में और विभिन्न उत्सवों में काम आई। शादियों में ट्रैक्टर ट्राली लंबे समय तक बारात का साधन रही। बारात के साथ में दूल्हा दुल्हन आते जाते थे। फिर तो शादी में दूल्हा दुल्हन के लिए एंबेसडर की मांग रही। दूल्हा दुल्हन के लिए स्पेशल एंबेसडर की जाने लगी। फिर मारुति तत्पश्चात विभिन्न प्रकार की त्वरित गाडिय़ां दूल्हा दुल्हन के लिए सजा कर ले जाने लगे। अब तो हेलीकाप्टर से दूल्हा दुल्हन जाने लगे हैं।
हेलीकाप्टर की मांग शहरी क्षेत्रों की तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्रों में बढऩे लगी है। दूल्हा दुल्हन के आने जाने का रिवाज बढ़ता ही जा रहा है। यही कारण है कि अब तो लोग ठहाके लगाकर कहने लगे हैं कि भविष्य में वायुयान द्वारा भी बारात जाया करेंगी।
फोटो कैप्शन 9: दूल्हा दुल्हन बरात में आने पर जमा भीड़।
सर्वर समस्या के चलते अवसर एप पर सेट की परीक्षा में आई परेशानी
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कनीना। हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा सेट नामक परीक्षा पहली बार आनलाइन करवाने की ठानी है किंतु कक्षा छह से से आठ की यह परीक्षा प्रारंभ में ही सर्वर की भेंट चढ़ गई है। प्रतिदिन दो दो विषयों के पेपर होने निर्धारित हैं अवसर एप पर कभी नेट तो कभी सर्वर काम नहीं किया जिसके चलते स्कूल समय दौरान बहुत कम विद्यार्थियों का पेपर हल हो पाया।
मिली जानकारी अनुसार जिन विद्यार्थियों का पेपर हल हो गया वो अंतिम सबमिट नहीं हो पाया। यद्यपि पेपर हल करने का समय 24 घंटों का दिया गया है। अब शुक्रवार को पता चल पाएगा कि कितने विद्यार्थियों का पेपर हल हो पाया। कुछ स्कूलों में विद्यार्थियों को अतिरिक्त समय रोके जाने का समाचार भी मिला है ताकि सर्वर समस्या हल हो सके।
हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के जिला सचिव सत्यवीर सिंह ने बताया कि आज प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में मोबाइल फोन से अवसर एप पर कक्षा छठी की अंग्रेजी व गणित विषय की सेट की परीक्षा थी। जिसमें दिन भर सर्वर की समस्या होने के कारण विद्यार्थी अपनी सेट की परीक्षा नहीं दे सके । उन्होंने बताया कि यह परीक्षा विद्यार्थियों को अपने फोन से अवसर एप पर देनी थी लेकिन नेट की समस्या होने के कारण विद्यार्थी अपनी अंग्रेजी व गणित विषय की सेट की परीक्षा देने के लिए दिनभर परेशान रहे। जिला सचिव ने कहा कि विद्यार्थी की सेट की परीक्षा आफ लाइन ही करवाई जाए ताकि विद्यार्थियों एवं अभिभावकों को फोन,सर्वर एवं नेट की समस्या से परेशान ना होना पड़े। सरकारी स्कूलों के अध्यापक भी विद्यार्थियों की सेट की परीक्षा के लिए दिनभर प्रयास करते रहे। परीक्षा ना देने के कारण विद्यार्थी ,उनके माता-पिता व अध्यापकों में सरकार व शिक्षा विभाग के प्रति भारी रोष पनप रहा है।
बेल वाली सब्जियां उगाने का सही वक्त- देवराज
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कनीना। कृषि विस्तार अधिकारी कनीना डा देवराज ने कहा कि बेल वाली सब्जियां उगाने का यह सही वक्त है। अगर पेड़ों की थोड़ी बहुत छंगाई करनी है तो भी इसी वक्त संभव है ताकि बसंत में नए पत्ते फूल उत्पन्न हो सके। उन्होंने कहा कि अक्सर फरवरी माह में पेड़ पौधों की पनपने का बेहतरीन समय होता है। ऐसे समय लौकी, तोरई, चप्पल कद्दू, भिंडी, ग्वार आदि अनेकों प्रकार की सब्जियां उगाई जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक को भी इस समय उगाया जा सकता है। साल भर में कई बार पालक उगाकर लाभ उठाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि यह वक्त फसल में दीमक आने का होता है। इस समय दीमक का प्रकोप फसल में देखा जा सकता है। उन्होंने कहा किसानों को अपनी फसल दीमक से बचाने के पर्याप्त प्रबंध करने चाहिए। इस वक्त फिर से गर्मी तापमान बढऩे लगा है जिसके चलते फसल जल्दी पक सकती है किंतु पैदावार कम देगी।
अनिश्चितकालीन धरना 11वें दिन जारी
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कनीना। कनीना पंचायत समिति की दुकानों में बैठे दुकानदारों का अनिश्चितकालीन धरना 11वें दिन जारी रहा। उनकी मध्यस्थता करने कई लोग पहुंचे वहीं उनके धरने को समर्थन देने भी लोग पहुंचे किंतु नतीजा जस का तस रहा।
नगर पालिका के पूर्व प्रधान मा. दलीप सिंह उन को समझाने के लिए आए और कुछ लोग और भी मध्यस्थता करने के लिए आए किंतु बात सिरे नहीं चढ़ पाई।
उधर नगरपालिका पार्षदों ने भी एक प्रस्ताव पास करके सरकार को भेजा जिसमें कहा गया है कि किसी दुकानदार की दुकान टूटती है तो उसके लिए नगरपालिका के पुराने कार्यालय के पास कांप्लेक्स बनाकर दुकानें दी जाएंगी। दुकानदार अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं।
गुरुवार को सुबह सवेरे नेताजी मेमोरियल क्लब उनका धरना स्थल तक जुलूस निकाला तथा व्यापारी एकता के नारे लगाये। तत्पश्चात धरने पर बैठ गए। दुकानदार महेश बोहरा, सुरेश कुमार, रवि कुमार, पवन कुमार, गोविंदा, मोदी राम, रूप तथा कई अन्य दुकानदारों ने कहा कि वे अपने फैसले पर अडिग हैं। जब तक उनकी दुकानें सुरक्षित नहीं हो जाती तब तक धरने से नहीं हटेंगे और न ही दुकान खोलेंगे। उन्होंने कहा कि वे नहीं चाहते कि न्यायिक परिसर भी अन्यत्र बने। न्यायिक परिसर भी चाहते हैं और दुकानें भी यही देखना चाहते हैं।
उधर नगर पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि वह अपने वादे पर कायम है तथा पूरा कस्बा कनीना उनके साथ है। यदि कोई दुकान टूटती है तो वे उन्हें नगर पालिका की ओर से दुकान कांप्लेक्स बना कर देंगे। कुल मिलाकर नतीजा शून्य रहा, दुकानदार अपनी बातों पर अड़े रहे और धरने पर बैठे हैं।
फोटो कैप्शन 8: जुलूस निकालते हुए दुकानदार।
ग्रामीण क्षेत्रों में हो गई है होली की तैयारियां
-सवा माह चलते हैं होली के खेल
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कनीना। होलिका दहन की ग्रामीण क्षेत्रों में तैयारियां शुरू हो गई हैं। बसंत पंचमी को ही होली का डांडा गाडऩे का रिवाज है जबकि कनीना में होलिका दहन की तैयारी 27 फरवरी से शुरू होगी। 28 मार्च को होलिका दहन का पर्व मनाया जाएगा।
डांडा गाडऩे का अर्थ सीधे शब्दों में बताते हुए सुरेद्र शर्मा ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि विधि विधान से जल का घड़ा भूमि में दबाकर ईंधन डाल देते हैं जिसके बाद गांव में कोई पर्व नहीं मनाते जब तक कि होलिका दहन का काम पूर्ण न हो जाये। कुछ जगह सवा माह पहले तो कुछ जगह एक माह पूर्व ही डांडा गाडऩे का रिवाज है। गांव धनौंदा में तो सड़क मार्ग पर स्कूल के सामने ही डांडा गाड़ा जाता है।
कनीना में वर्षों से होलिका दहन रेवाड़ी रोड़ के पास एक जोहड़ के किनारे संपन्न होता है जिसे होलीवाला जोहड़ कहा जाता है। होली से एक माह पूर्व एक घड़े में पानी भरकर अच्छी तरह ढ़ककर होलिका दहन स्थल पर गाड़ दिया जाता है जिसे होली का डांडा नाम से जाना जाता है। व्योवृद्ध डा मेहरचंद, बाबू वेदप्रकाश, राजेंद्र सिंह आदि बताते हैं कि डांडा गाडऩे के बाद बहुएं अपने ससुराल को नहीं छोड़ती उनके लिए मायके जाना भी अशुभ माना जाता है। तत्पश्चात डांडे के ऊपर ईंधन उपले व गोबर के बने हुए ढाल व तलवार कस्बावासी मिलकर डालते हैं। कई दिनों तक ईंधन का ऊंचा ढेर लगाया जाता है। कस्बावासियों के अनुसार वर्षों पूर्व ईंधन का ढेर सभी घर परिवार मिलकर लगाते थे किंतु अब वह रिवाज नहीं रहा है। युवा पीढ़ी रात के समय कई दिन लुक्का छिपी का खेल खेलती है। दहन के करीब एक सप्ताह पूर्व से ही ईंधन का ढेर बड़ा करना शुरू कर दिया जाता है। होली दहन वाले दिन प्रात:काल से ही सभी घर परिवारों द्वारा बनाए गए विशेष आकार के अस्त्र शस्त्र एक रस्सी में पिरोकर ईंधन के ढेर पर डालते हैं। गोबर के बने हुए अस्त्र शस्त्र ढाल बिड़कला नाम से जाने जाते हैं। इनके अंदर कुछ मिट्टïी के दीये भी भरे होते हैं। प्रात: उठते ही गोबर के बने ये अस्त्र शस्त्र होली दहन स्थल पर ईंधन के ऊपर महिलाएं डालने जाती हैं। विवाहित स्त्रियां दिनभर व्रत रखती हैं जो होलिका दहन तक चलता है। ज्यों-ज्यों शाम होती है महिलाएं होली वाले ईंधन के चारों तरफ कच्चा सूत लपेटती हैं और परिक्रमा करती हैं। गोबर के अस्त्र शस्त्र डालने तथा परिक्रमा के पीछे क्या रहस्य है जितने मुंह उतनी बात हैं। वर्षों से शाम के समय दंगल का आयोजन भी होता है जो सिमटता जा रहा है। अंधेरा होते ही अनोखा दृश्य उत्पन्न होता है निश्चित समय पर होली के ईंधन को आग लगा दी जाती है। प्रारम्भ में महिलाएं आग को पानी से बूझा देती हैं किंतु जब आग नहीं बूझ पाती तो लपटें ऊंची उठती हैं जो होलिका दहन नाम से जानी जाती हैं। व्रत रखने वाली महिलाएं होलिका दहन पर पहुंचकर जल चढ़ाकर व्रत खोलती हैं। होली दहन वाले दिन किसान अपनी पकी हुई जौ की फसल का एक नमूना लाकर लंबे डंडे पर बांध लेता है तथा होलिका दहन में पकाकर घर लाता है। सारा परिवार इन अन्न के दानों को चखकर विभिन्न पकवान प्रयोग करता है। इस दिन के बाद ही फसल कटाई शुरू की जाती है।
रातभर होलिका दहन चलने के पश्चात दुलेंडी की प्रात: आती है। होली की आग में चने भूनने की प्रथा भी चली आ रही है। महिलाएं उन मिट्टïी के दीयों को आग से ढंूढकर लाती हैं जो गोबर के बने अस्त्रों में छुपे थे। इन दीयों को लाभकारी तथा रोग निवारक माना जाता है। जब आग बूझ जाती है तो गाड़ा हुआ पानी से भरा घड़ा निकाला जाता है। यदि घड़े में पानी कम है तो माना जाता
है कि फसल कम होगी। अगर पानी अधिक हैं तो माना जाता हे कि फसल अच्छी होगी। अगर घड़े में कोई पानी नहीं है तो माना जाता है कि अकाल पड़ेगा।
होली के चारों तरफ परिक्रमा के पीछे बड़े बूढ़ों का कहना है कि यह प्रहलाद तथा होलिका के समय से प्रथा चली आ रही है। जब प्रहलाद को होलिका की गोद में बैठाकर आग लगाई थी तब भक्तजनों ने परिक्रमा करके भगवान् से अरदास की थी कि प्रहलाद के प्रणों की रक्षा करना। तभी से परिक्रमा का सिलसिला चला आ रहा है। होलिका दहन के प्रारंभ में महिलाएं जल डालती हैं जिसके पीछे माना जाता हे कि जब प्रहलाद को होलिका की गोद में बैठाकर जलाना चाहा तो जल से आग बूझाकर प्राण रक्षा करने के प्रयास किए थे जो आज भी चले आ रहे हैं। महिलाएं व्रत रखकर अपने पति की तथा परिवार के सदस्यों की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
फोटो कैप्शन 7: धनौंदा में सड़क के बीच गाड़ा गया होली का डांडा।
जल जीवन संवाद कार्यक्रम का हुआ आयोजन
जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग जल संरक्षण -पिंकी यादव
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कनीना। जल एवं स्वच्छता सहायक संगठन एवं जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग कनीना द्वारा जल जीवन मिशन के तहत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बूचावास में जल जीवन संवाद कार्यक्रम के साथ में निबंध,भाषण एवं स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल प्राचार्य सूबे सिंह ने की। इस कार्यक्रम की संयोजिका सक्षम युवा पिंकी थी। खंड संसाधन संयोजक इंद्रजीत द्वारा आयोजित पेय जल जांच की जानकारी देते हुए उपस्थित लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया।
अध्यक्षता करते हुए सूबे सिंह प्राचार्य ने जल संरक्षण के प्रति जागरूक करते हुए कहा की धरती पर समस्त जीवन चक्र को बनाए रखने के लिए हवा, पानी और भोजन बहुत ही जरूरी है। जिसमें से जल प्रकृति की अनमोल धरोहर है बिना जल के इस धरती पर जीवन का होना संभव नहीं है। जल की एक-एक बूँद सभी के लिए बहुत ही कीमती है। इसीलिए सभी को बहुत ही सोच समझ के साथ जल का सीमित उपयोग करना चाहिए और जल संरक्षण में अधिक से अधिक अपनी भूमिका को निभाना चाहिए।
पिंकी यादव ने भी जल संरक्षण पर अपने विचार रखते हुए कहा की पानी के उपयोग उपयोगिता को सीमित करना एवं सही तरीके से पानी का संरक्षण करना है। आज हमारे लिए जल संरक्षण हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया हैं। शुद्ध जल एक सीमित संसाधन है जिसके लिए जल संरक्षण अति आवश्यक है। जल स्थानीय उपयोग से लेकर कृषि एवं उद्योग तक एक मूलभूत आवश्यक अंग है जिसके द्वारा यह सभी कार्य सफलतापूर्वक किए जाते हैं। अत: इस प्राकृतिक संसाधन का संरक्षण करना हमारे लिए अति आवश्यक है।
निबंध प्रतियोगिता में साक्षी ने प्रथम, दुष्यंत ने दूसरा एवं अंजलि ने तीसरा स्थान प्राप्त किया भाषण प्रतियोगिता में अजय ने प्रथम, कुमकुम ने दूसरा एवं अन्नू ने तीसरा स्थान प्राप्त किया एवं स्लोगन प्रतियोगिता में खुशबू ने प्रथम,हिमानी ने दूसरा एवं पायल ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। जल एवं स्वच्छता सहायक संगठन द्वारा विजेता प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित भी किया गया।
इस कार्यक्रम में सुरेश कुमार,विजय सिंह ,सुनीता, सरला ,रामनिवास, निर्मला ,पूनम ,सतबीर सिंह, अनीता, विनोद कुमार सहित अन्य स्कूल स्टाफ एवं स्कूली विद्यार्थी थे।
फोटो कैप्शन 13: अव्वल रहे विद्यार्थियों को सम्मानित करते ।
अब तो आर पार की लड़ाई के मूड में है धरने पर बैठे दुकानदार
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कनीना। विगत 11 दिनों से एसडीएम कार्यालय के समक्ष चल रहे पंचायत समिति की दुकानों में बैठे दुकानदारों का अनिश्चितकालीन धरना अब आर-पार लड़ाई के मूड में पहुंच गया है। जहां कनीना के कुछ लोगों ने मध्यस्थता करते हुए मामले को सिरे चढ़ाने का प्रयास किया किंतु धरने पर बैठे दुकानदारों ने सभी की दलील और आश्वासन खारिज कर दिये और अब तो आर पार की लड़ाई लडऩे के मूड में है वही कोर्ट के फैसले पर भी नजर टिकने लगी है।
सैकड़ों दुकानदार और सैकड़ों परिवार इन दुकानों पर निर्भर करते हैं किंतु एक निर्णय लेने के उपरांत सभी दुकानदार अब धरने पर बैठे हैं। धरने को धीरे-धीरे कुछ लोग समर्थन देते आ रहे हैं जिससे एक बार फिर से कनीना में अनेकों चर्चाएं शुरू हो गई हैं। सरकार और प्रशासन तो दो वर्ष पहले से ही कनीना में न्यायिक परिसर और उपमंडल कार्यालय बनाने के लिए सहमत नहीं थे किंतु 67 दिनों तक चले कनीनावासियों के धरना प्रदर्शन के बाद यह दिन आया था कि आखिरकार सभी उपमंडल स्तर के कार्यालय कनीना में निर्मित होंगे।
परंतु कार्यालय के निर्माण में दुकानें अड़चन मानी जाने लगी और अब एक नई समस्या उभरकर कस्बा वासियों के समक्ष खड़ी है या तो कस्बावासी एवं प्रशासन इनकी समस्या हल करें वरना अपना आंदोलन ये दुकानदार जी जान से लड़ेंगे। बेशक सरकार का कोई नुमाइंदा इनसे मिलने और आश्वासन देने अभी तक नहीं आया है किंतु इन्होंने मन में पक्का ठान रखा है कि जो कुछ हम करेंगे वह हमारे हित में होगा। यही कारण है कि अब इनके सुलहनामा करने वाले कोसों दूर नजर आने लगे हैं। अब तो तमाशबीन बनकर लोग देख रहे हैं कि दुकानदारों में कितना हौसला है? कुछ लोग तो यहां तक कि यह कहने लग गए हैं कि यह आंदोलन कुछ नया करके दिखाएगा। आखिर क्या रंग लाता है यह तो परिणाम आने के बाद ही कहा जाएगा परंतु यह आवाज लोगों के मुंह पर देखने को मिल रही कि धरना प्रदर्शन लंबा चला तो न्यायिक परिसर और उपमंडल कार्यालय कुछ लोगों की इच्छा अनुसार समीपी गांवों में चले जाएंगे। यहां तक की कुछ लोग तो दबी जुबान से यह भी कह रहे हैं कि दुकानें बचाओ, दुकानदारों की रोटी रोजी बचाओ चाहे अंजाम कुछ भी हो। बहरहाल अब नजरें दुकानदारों पर टिकी हुई है।
धरने पर बैठे दुकानदार अब आक्रामक मूड में नजर आए। यही कारण है कि मध्यस्थता करने वाले नजर नहीं आ रहे हैं। दुकानदारों के हौसले बुलंद है और वे कहते हैं कि आप हमारी जीत निश्चित है। वे अपनी दुकानों को बचाएंगे चाहे कोई बलिदानी देनी पड़े।
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