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Saturday, February 27, 2021

 स्वच्छता भगवान को प्रिय-डा सुरेंद्र सिंह
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कनीना। 'स्वच्छता भगवान को सर्वप्रिय है। ऐसे में अपने घरों से स्वच्छता का सबक लेकर हर जगह सफाई पर ध्यान देना चाहिएÓ। ये विचार धनौंदा के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में चल रहे सात दिवसीय एनएसएस कैंप को संबोधित करते हुए डा सुरेंद्र सिंह प्राचार्य रावमा विद्यालय देवराला(भिवानी)ने व्यक्त किये।
   उन्होंने कहा कि बताया कि इस तरह के कैम्प लगाकर सफाई के प्रति लोगों को जागरूक करना है। एक सच्चा स्वयं सेवक वही होता है जो अपने सहयोग से दूसरे लोगों को भी जागरूक करने का कार्य करे। उन्होंने बताया कि इस तरह के कैम्प में छात्रों को यही सिखाया जाता है कि वो खुद भी जागरूक हो सके तथा अपने आसपास के लोगों को भी जागरूक कर सके।
  इस मौके पर स्वयंसेवकों ने स्कूल प्रांगण में न केवल सफाई की अपितु विभिन्न मार्गों से पड़े हुए रोड़े आदि हटवाकर आने जाने के लिए सुगम बनाया। बच्चों ने रास्तों में खड़ी घास एवं गंदगी को हटाकर सुंदर बनाया।
  इस मौके पर एनएसएस प्रभारी अनूप सिंह प्रवक्ता ने बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आत्म निर्भरता एवं किसी काम को छोटा न समझकर करने की सबक सिखाना है। उन्होंने कहा कि बच्चे पढ़ लिखकर अपने घर एवं आस पास साफ सफाई करने से हिचकिचााते हैं। यदि उनके दिलोदिमाग में गंदगी स्वयं साफ करने की प्रबल इच्छा हो जाए तो एक ना एक दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने सभी कार्यों को बराबर समझकर करने पर बल दिया। इस मौके पर मुख्याध्यापक महिपाल सिंह, चौ सुमेर सिंह सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर, समाजसेवी चांदराम, प्रीति डीपीई ने भी संबोधित किया।  इस मौके पर  समस्त स्टाफ मौजूद था।  मुख्य अतिथि सहित अन्य जनों को स्मृति चिह्न भेंट किये गये।
फोटो कैप्शन 4: चांदराम को स्मृति चिह्न देते अनूप सिंह एवं अन्य।
        5: एनएसएस यूनिट को संबोधित करते डा सुरेंद्र देवराला।


संत रविदास सामाजिक क्रांति के साथ स्वराज क्रांति के भी पुरोधा थे-अतरलाल
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कनीना। संत रविदास सामाजिक क्रांति के साथ स्वराज क्रांति के भी पुरोधा थे। उन्होंने अपनी वाणी में पराधीनता को पाप बताकर लोगों को स्वराज के प्रति जागृत किया था।
ये विचार बहुजन समाज पार्टी के नेता सअतरलाल एडवोकेट ने ग्राम मोड़ी तथा पड़तल में संत शिरोमणि रविदास जयंती पर आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। इससे पूर्व उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं के साथ संत रविदास के चित्र पर माल्यार्पण कर समाज में समरसता तथा खुशहाली की कामना की। उन्होंने कहा कि भक्तिकाल में संत रविदास ने अपने दोहो, गीतों और पदों की रचना करके लोगों में सामाजिक समरसता तथा स्वाधीनता के भाव प्रकट किए। उन्होंने संत रविदास की शिक्षाओं को आज भी उपयोगी बताते हुए युवाओं से उनकी शिक्षाओं पर चलने की अपील की। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने संत रविदास द्वारा रचित शब्द, दोहो तथा पदों का पाठ किया तथा उनके पथ पर चलने पर संकल्प लिया। समारोह में पूर्व चेयरमैन भाग सिंह तंवर, नरेन्द्र सिंह, हरगोविंद, राजेश कुमार, जयप्रकाश, जसवंत, औमप्रकाश, रोहताश सिंह, सरदार सिंह, रिसाल सिंह, अजीत सिंह, दलीप सिंह, भौम सिंह, संदीप, गोपी, छोटूराम, रामस्वरूप, रामकुवार, हरी सिंह, हंसराज, ताराचंद, समीन कुमार पंच, कुलदीप, नरेश, जयप्रकाश, सतीश, ग्यारसी देवी, बनारसी, चन्द्रवाली, होशियार सिंह अनेक जन उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 6: मोड़ी में संत रविदास को याद करते ठाकुर अतरलाल।

पूर्णिमा के व्रत से सभी कष्ट होते हैं दूर-कृष्णानंद
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कनीना। पूर्णिमा के व्रत से मानव के सभी कष्ट दूर होते है। मानव को अपने जीवन रूपी यात्रा में पूर्णिमा व्रत अवश्य ही करना चाहिए। ये विचार संत कृष्णानंद धनौंदा ने पूर्णिमा व्रत के अवसर पर व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि व्रत एक प्रतिज्ञा होती है और उस प्रतिज्ञा रूपी व्रत में प्रभु के बताए मार्ग पर चल कर उनके आचरण का अनुसरण करके अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए। इस मौके पर कई जन मौजूद थे।


निधि प्राप्त करने में राष्ट्र सेविका समिति का अहं योगदान- सुनीता यादव
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कनीना। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के लिए महेंद्रगढ़ जिले में राष्ट्र सेविका समिति की मातृ शक्ति का विशेष योगदान रहा है। ये विचार व्यक्त करते हुए राष्ट्र सेविका समिति की सह-विभाग कार्यवाही का सुनीता यादव ने खाटू श्याम मंदिर कनीना में व्यक्त किये।
उन्होंने बताया कि महेंद्रगढ़ जिले में समिति की महिलाओं ने भी अपना योगदान दिया। जिले के विभिन्न स्थानों पर समिति की मातृ शक्ति ने स्वयं प्रेरणा से अपने जिम्मे निधि समर्पण करवाने का कार्य लेते हुए कनीना नगर के वार्ड नंबर 13 में सुनीता यादव, शारदा यादव, शर्मिला यादव और 11 में अरुणा कौशिक राष्ट्र ने ही यह कार्य पूर्ण किया। उन्होंने बताया कि अटेली प्रखंड में के गांव कुंजपुरा में अनीता यादव की टीम ने हरसू की ढाणी में सुनीता यादव ने टोली बनाकर निधि प्राप्त करने का कार्य किया।वहीं महेंद्रगढ़ नगर में डॉ शोभा यादव ने वार्ड नंबर  एक और 15 को अपने जिम्मे लेते हुए कार्य पूर्ण कर शहर के दूसरे स्थानों पर भी टोलियों का सहयोग किया। डॉ शोभा यादव ने बताया कि घर घर जाकर विशेष लोगों से भी संपर्क किया और अपने वादों के प्रत्येक घर में संपर्क कर निधि प्राप्त करती। राम मंदिर के प्रति लोगों की श्रद्धा चरम पर है। पाली खंड के पाली गांव में मातृ शक्ति ने पाली गांव को पूरा किया। नारनौल नगर में सरिता और कुसुम की टोली ने अपना योगदान दिया। जिले में राष्ट्र सेविका समिति की मातृ शक्ति का निधि समर्पण एवं संपर्क अभियान में दिया गया सहयोग सभी के लिए और विशेष तौर पर महिलाओं के लिए समाज जागरण का कार्य एक प्रेरणा स्रोत के रूप में देखा जाएगा।
उन्होंने बताया कि निधि प्राप्त करने का यह कार्य श्रीश्याम मंदिर कनीना में एक बैठक का आयोजन कर संतों के आशीर्वाद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक श्रीमान संजय के मार्गदर्शन के साथ एक जनवरी से 27 फरवरी तक सतत प्रयास करते हुए पूर्ण किया है।
फोटो कैप्शन 8:श्याम मंदिर कनीना में बैठक में जानकारी देते हुए सुनीता।

विभिन्न गांवो में मनाई संत रविदास जयंती
-मीराबाई भी संत रविदास की थीं शिष्या
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कनीना। कनीना तथा आस पास गांवों में संत रविदास की 644वीं जयंती मनाई गई। संत के जीवन एवं मूल्यों को दर्शाने वाली अनेकों गांवों व शहरों में झांकियां आयोजित की गई। उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किये गये।
    खंड के गांव रामबास में अंबेडकर भवन में समाजसेवी वेदप्रकाश नंबरदार की अध्यक्षता रविदास जयंती मनाई। उन्होंने कहा कि कृष्णभक्त मीराबाई के भी गुरू रविदास ही थे। महाकवि तुलसीदास भी रविदास का आदर करते थे। काशी के नरेश की पत्नी भी रैदास की शिष्या बताई जाती है।
    उन्होंने कहा कि संत रविदास यूं तो निर्गुण राम के उपासक थे किंतु उनके पदों में गोपाल, हरि, माधव, बनवारी, केशव आदि शब्दों का खुलकर प्रयोग हुआ है।  संत रविदास गृहस्थी होकर भी उनकी साधना प्रबल थी।  संत रविदास के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने  तत्कालीन समय में थे। उस समय भारत में जातिवाद चरम पर था ,ऐसे समय में एक चर्मकार के घर जन्में रविदास ने न केवल रूढि़वाद , मूर्तिपूजा, व जातिवाद जैसी कुरीतियों पर करारी चोट की बल्कि सभी वर्गों के लोगों को  अपना अनुयायी बनाया। एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक बार एक ब्राह्मण गंगा तीर्थयात्रा करने जा रहा था, वह  संत रविदास के पास आया व उन्हें साथ चलने को कहा तो सन्त रविदास ने कहा कि मैने एक सन्त मित्र को जूते बनाकर देने का वादा किया हुआ है,इसलिए में आज गंगा यात्रा नहीं कर सकता,क्योंकि यदि मैं वादाखिलाफी करता हूं तो यह घोर पाप होगा,आप गंगा जी को मेरी एक भेंट दे देना। यह कहकर रविदास ने उस ब्राह्मण को एक सुपारी भेंटस्वरूप दी। ब्राह्मण ने गंगा स्नान के बाद अनमने मन से वह सुपारी गंगा नदी में उछाल दी। उस ब्राह्मण ने वह सुपारी फेंकी तो थी अनमने मन से मगर उस वक्त वह आश्चर्यचकित रह गया जब तत्काल गंगा जी ने साक्षात देवी रूप में प्रकट होकर नदी जल में गिरने से पूर्व ही उस सुपारी को अपने दोनो हाथ में ग्रहण कर लिया और लुप्त हो गयी, ब्राह्मण भयभीत हो दौड़ा-दौड़ा संत रविदास के चरणों में जा गिरा तब संत रविदास ने कहा कि अगर आदमी का मन साफ नहीं है तो तीर्थ यात्राओं का कोई औचित्य नही है, यह कहते हुए उन्होंने दूसरा चमत्कार दिखाते हुए अपनी कटौती में ही गंगा जी को प्रकट कर दिया और कहा-- मन चंगा तो कटौती में गंगा। संत ने कहा कि उन्होंने न केवल इस प्रकार के चमत्कारों के द्वारा तत्कालीन समाज को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया बल्कि समाज में अनेकों कुरीतियों का दमन कर लोगों को श्रेष्ठ रास्ता दिखाया। इस अवसर पर पूर्व सरपंच माया देवी, हरद्वारीलाल पूर्व पंच, डा राजेश, ज्ञानेश्वर निंभल, कपिल निंभल, सतवीर सिंह पंच, चांद सिंह, रमेश चौकीदार आदि मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 9: रामबास गांव में रविदास की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करते वेद प्रकाश एवं अन्य। 

 

 

 

 

 

पहले डैडली और फिर फैंडली हो गई पीडि़ता

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कनीना। उपमंडल के गांव की एक महिला ने पुलिस में शिकायत देकर पहले दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था वही पुलिस ने पीडि़ता के बयान पर मामला दर्ज कर जांच आरंभ भी की थी लेकिन आरोपी पुलिस की पकड़ से बहार था। वही कुछ दिन बाद वही आरोपी एक बार फिर गांव पहुंचा और महिला से मिला तो परिजनों को इसकी भनक लग गई जिस पर उन्होंने आरोपी की घुनाई कर डाली थी। वही पुलिस ने पीडि़त महिला के 164 के बयान दर्ज कराए जहां पीडि़ता ने आरोपी के हक में बयान देकर मामले का रुख ही बदल दिया।


दुकानदारों ने अचानक धरना किया समाप्त
-खुद धरने पर बैठे थे और खुद ही धरना किया समाप्त
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 कनीना। कनीना पंचायत समिति की दुकानों में बैठे दुकानदारों का विगत 20 दिनों से चला आ रहा धरना प्रदर्शन तथा क्रमिक अनशन अचानक यू टर्न ले गया। धरने के 20वें दिन शाम को करीब चार बजे अचानक उन्होंने अपना आंदोलन समाप्त करने का निर्णय ले लिया। महेश बोहरा व्यापारी एकता मंच के अध्यक्ष ने कहा कि उनकी न्यायालय में 8 मार्च की सुनवाई थी वह अब 16 जुलाई की हो गई है। इसलिए उन्होंने सर्वसम्मति से फैसला ले लिया है कि धरना समाप्त किया जाए। सभी ने उनकी सराहना की और बिना किसी शर्त, बिना किसी दबाव के खुद ही धरना शुरू किया था और अब खुद ही धरना समाप्त कर दिया है।
अपना ही कुछ खोया है 20 दिनों में -
बेशक धरना अचानक समाप्त कर दिया है लेकिन विगत 20 दिनों में सरकार का कोई नुमाइंदा इनसे मिलने नहीं आया और न ही उन्होंने किसी की कोई सुननी चाही। यही कारण है कि जिस धरने की संभावना लंबा खींचने की हो गई थी वह अचानक इन्होंने अपना ही नुकसान करके समाप्त कर दिया है। विगत 20 दिनों में उन्होंने जो कुछ कमाना था वह नहीं कमा पाए। अब तक की अपनी दुकान सुरक्षित करने की मांग कर रहे थे, वह मांग पूरी हुये बगैर धरना समाप्त कर दिया है।
धरने समापन के अवसर पर उपस्थित थे अनेक जन-
 धरना आंदोलन समाप्त करते समय जहां कनीना के पूर्व प्रधान मास्टर दलीप सिंह, मुकेश रोकी  पार्षद, बसपा नेता अतरलाल सहित विभिन्न दुकानदार मौजूद थे।
बुरे फंसे मेहमान -यद्यपि धरना प्रदर्शन व क्रमिक अनशन का निर्णय लेकर एक प्रकार से बुरे फंस गए थे क्योंकि न तो कोई उनके धरने प्रदर्शन को समाप्त करवाने के लिए आए। इसके चलते उन्होंने स्वत: ही धरना प्रदर्शन समाप्त कर दिया। जहां धरना प्रदर्शन समाप्त होते ही सभी के चेहरों पर मुस्कान आ गई क्योंकि बहुत सेे ऐसे दुकानदार धरने में शामिल हैं जिनकी रोटी रोजी दुकान से होने वाली आय है। उनकी 20 दिनों से आय नहीं हो रही थी। कई दुकानदार मन से धरना समाप्त करना चाहते थे किंतु कहना कहीं भारी न पड़ जाये, वो चुप थे।
अध्यक्षता करने आए कुछ लोग-
मध्यस्थता करवाने कुछ लोग इनके बीच धरने में आये किंतु इन्होंने किसी की एक भी नहीं सुनी। समय-समय पर आए मास्टर दिलीप सिंह पूर्व प्रधान, मास्टर दिलीप सिंह पार्षद, कमल पार्षद, पालिका प्रधान सतीश जेलदार तथा कई अन्य जन इनकी मध्यस्थता करने और समझाने के लिए आए। यहां तक कि इनको समझाया गया कि दुकान में कम से कम खोलकर भी आंदोलन किया जा सकता है किंतु इन्होंने किसी की एक नहीं मानी। दुकानदारों ने अपने मन की आवाज सुनी और अचानक धरना समाप्त कर दिया।
बेशक दुकानदारों का अनिश्चितकालीन धरना 20वें दिन प्रवेश कर समाप्त हो गया परंतु बहुत कुछ गुरु दुकानदारों को सीखा गया है। इन दुकानदारों की हालात भी दिल्ली में धरने पर बैठे किसानों जैसी बनती जा रही है।
 कभी भी सभी दुकानें एक साथ बंद होते हुए नहीं देखी गई लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पंचायत समिति की दुकानों में बैठे सभी दुकानदार धरने पर एकमत होकर बैठे हुए हैं। सभी की दुकानें लगातार 20 दिनों तक बंद रही। इस प्रकार एकता का गुरु उनमें भर आया है।
सभी दुकानदार एक मत रहे चाहे घर में हालात बहुत गंभीर हो, घर में बीमार हो, खाने के लाले पड़ रहे हो किंतु सभी में यह बात देखने को मिली कि बेशक खाने के कुछ दुकानदारों के पास लाले पड़ रहे हो किंतु सभी एकमत धरने पर बैठे रहे।  इस प्रकार दुकानदारों में दृढ़ निश्चय भी यह अनिश्चितकालीन धरना सीखा गया है।
यह सत्य है कि बहुत से दुकानदार हैंड टू माउथ है जो जितना कमाते उसी से गुजर बसर करते थे, अब वे कमा नहीं रहे थे फिर भी धरने में एकता का परिचय देने में मददगार साबित हुये हें। जहां सबसे बड़ी बात देखने को मिली इन दुकानों के पास ठेले भी फटकने का नाम नहीं ले रहे थे और ये दुकानदार किसी ठेले को अपनी बंद दुकानों के आगे भी नहीं लगाने देंगे। और न ही दुकानदार चाहते कोई यहां आकर ठेला लगाए। उनमें यह गुण भी पैदा कर दिया है।
फोटो कैप्शन 10: धरना समाप्त करते हुए कनीना के दुकानदार।
 

 

निधि प्राप्त करने में राष्ट्र सेविका समिति का अहं योगदान- सुनीता यादव

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कनीना। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के लिए महेंद्रगढ़ जिले में राष्ट्र सेविका समिति की मातृ शक्ति का विशेष योगदान रहा है। ये विचार व्यक्त करते हुए राष्ट्र सेविका समिति की सह-विभाग कार्यवाही का सुनीता यादव ने खाटू श्याम मंदिर कनीना में व्यक्त किये।
उन्होंने बताया कि महेंद्रगढ़ जिले में समिति की महिलाओं ने भी अपना योगदान दिया। जिले के विभिन्न स्थानों पर समिति की मातृ शक्ति ने स्वयं प्रेरणा से अपने जिम्मे निधि समर्पण करवाने का कार्य लेते हुए कनीना नगर के वार्ड नंबर 13 में सुनीता यादव, शारदा यादव, शर्मिला यादव और 11 में अरुणा कौशिक राष्ट्र ने ही यह कार्य पूर्ण किया। उन्होंने बताया कि अटेली प्रखंड में के गांव कुंजपुरा में अनीता यादव की टीम ने हरसू की ढाणी में सुनीता यादव ने टोली बनाकर निधि प्राप्त करने का कार्य किया।वहीं महेंद्रगढ़ नगर में डॉ शोभा यादव ने वार्ड नंबर  एक और 15 को अपने जिम्मे लेते हुए कार्य पूर्ण कर शहर के दूसरे स्थानों पर भी टोलियों का सहयोग किया। डॉ शोभा यादव ने बताया कि घर घर जाकर विशेष लोगों से भी संपर्क किया और अपने वादों के प्रत्येक घर में संपर्क कर निधि प्राप्त करती। राम मंदिर के प्रति लोगों की श्रद्धा चरम पर है। पाली खंड के पाली गांव में मातृ शक्ति ने पाली गांव को पूरा किया। नारनौल नगर में सरिता और कुसुम की टोली ने अपना योगदान दिया। जिले में राष्ट्र सेविका समिति की मातृ शक्ति का निधि समर्पण एवं संपर्क अभियान में दिया गया सहयोग सभी के लिए और विशेष तौर पर महिलाओं के लिए समाज जागरण का कार्य एक प्रेरणा स्रोत के रूप में देखा जाएगा।
उन्होंने बताया कि निधि प्राप्त करने का यह कार्य श्रीश्याम मंदिर कनीना में एक बैठक का आयोजन कर संतों के आशीर्वाद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक श्रीमान संजय के मार्गदर्शन के साथ एक जनवरी से 27 फरवरी तक सतत प्रयास करते हुए पूर्ण किया है।
फोटो कैप्शन 8:श्याम मंदिर कनीना में बैठक में जानकारी देते हुए सुनीता। 


विभिन्न गांवो में मनाई संत रविदास जयंती
-मीराबाई भी संत रविदास की थीं शिष्या
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कनीना। कनीना तथा आस पास गांवों में संत रविदास की 644वीं जयंती मनाई गई। संत के जीवन एवं मूल्यों को दर्शाने वाली अनेकों गांवों व शहरों में झांकियां आयोजित की गई। उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किये गये।
    खंड के गांव रामबास में अंबेडकर भवन में समाजसेवी वेदप्रकाश नंबरदार की अध्यक्षता रविदास जयंती मनाई। उन्होंने कहा कि कृष्णभक्त मीराबाई के भी गुरू रविदास ही थे। महाकवि तुलसीदास भी रविदास का आदर करते थे। काशी के नरेश की पत्नी भी रैदास की शिष्या बताई जाती है।
    उन्होंने कहा कि संत रविदास यूं तो निर्गुण राम के उपासक थे किंतु उनके पदों में गोपाल, हरि, माधव, बनवारी, केशव आदि शब्दों का खुलकर प्रयोग हुआ है।  संत रविदास गृहस्थी होकर भी उनकी साधना प्रबल थी।  संत रविदास के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने  तत्कालीन समय में थे। उस समय भारत में जातिवाद चरम पर था ,ऐसे समय में एक चर्मकार के घर जन्में रविदास ने न केवल रूढि़वाद , मूर्तिपूजा, व जातिवाद जैसी कुरीतियों पर करारी चोट की बल्कि सभी वर्गों के लोगों को  अपना अनुयायी बनाया। एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक बार एक ब्राह्मण गंगा तीर्थयात्रा करने जा रहा था, वह  संत रविदास के पास आया व उन्हें साथ चलने को कहा तो सन्त रविदास ने कहा कि मैने एक सन्त मित्र को जूते बनाकर देने का वादा किया हुआ है,इसलिए में आज गंगा यात्रा नहीं कर सकता,क्योंकि यदि मैं वादाखिलाफी करता हूं तो यह घोर पाप होगा,आप गंगा जी को मेरी एक भेंट दे देना। यह कहकर रविदास ने उस ब्राह्मण को एक सुपारी भेंटस्वरूप दी। ब्राह्मण ने गंगा स्नान के बाद अनमने मन से वह सुपारी गंगा नदी में उछाल दी। उस ब्राह्मण ने वह सुपारी फेंकी तो थी अनमने मन से मगर उस वक्त वह आश्चर्यचकित रह गया जब तत्काल गंगा जी ने साक्षात देवी रूप में प्रकट होकर नदी जल में गिरने से पूर्व ही उस सुपारी को अपने दोनो हाथ में ग्रहण कर लिया और लुप्त हो गयी, ब्राह्मण भयभीत हो दौड़ा-दौड़ा संत रविदास के चरणों में जा गिरा तब संत रविदास ने कहा कि अगर आदमी का मन साफ नहीं है तो तीर्थ यात्राओं का कोई औचित्य नही है, यह कहते हुए उन्होंने दूसरा चमत्कार दिखाते हुए अपनी कटौती में ही गंगा जी को प्रकट कर दिया और कहा-- मन चंगा तो कटौती में गंगा। संत ने कहा कि उन्होंने न केवल इस प्रकार के चमत्कारों के द्वारा तत्कालीन समाज को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया बल्कि समाज में अनेकों कुरीतियों का दमन कर लोगों को श्रेष्ठ रास्ता दिखाया। इस अवसर पर पूर्व सरपंच माया देवी, हरद्वारीलाल पूर्व पंच, डा राजेश, ज्ञानेश्वर निंभल, कपिल निंभल, सतवीर सिंह पंच, चांद सिंह, रमेश चौकीदार आदि मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 9: रामबास गांव में रविदास की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करते वेद प्रकाश एवं अन्य।

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