Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**: June 2022

Thursday, June 30, 2022

 मार पिटाई मसले में 3 लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। बाइक पर सवार तीन युवकों के आगे स्विफ्ट डिजायर गाड़ी लगा कर मार पिटाई की जिसके चलते पुलिस ने 3 लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है। कनीना पुलिस में विकास खरखड़ाबास ने मामला दर्ज करवाया है। उन्होंने कहा है कि वह बीए द्वितीय वर्ष का कॉलेज का विद्यार्थी है। 26 जून को वह अपने दोस्त प्रमोद एवं अमन धनौदा तीनों अमन की मोटरसाइकिल पर बैठकर गांव उन्हाणी की ओर जा रहे थे। मोटरसाइकिल को विकास चला रहा था। करीब शाम 5 बजे धनौंदा नहर के पास पहुंचे तो उनकी मोटरसाइकिल के आगे स्विफ्ट डिजायर गाड़ी लगा दी और वे तीनों गिर गए। विकास को अपनी गाड़ी में डालकर तीनों लोग उसे झाड़ली ले गए जहां उनके साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। उन्होंने पुलिस में शिकायत की है कि जिस गाड़ी में उसे डाल कर ले गए थे उसमें पिस्तौल रखा था तथा उनका पर्स एवं फोन आदि गाड़ी में गिर गए तथा उसे झाड़ली बस स्टैंड पर पटक कर चलते बने।  घायल अवस्था में विकास को कनीना के सरकारी अस्पताल लाया गया जहां से उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। जहां उनका इलाजरेवाड़ी में चल रहा है। उनकी शिकायत पर संदीप अजय और धर्मेंद्र के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।



पर्यावरण संरक्षण के लिए लगाए पौधे
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कनीना की आवाज । गांव रामपुरा में गत दिवस पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी संस्था वाइब्रेंट रामपुरा फाउण्डेशन के संस्थापक सदस्य राकेश कुमार ने अपने पूर्वजों की याद में गांव की बणी में त्रिवेणी की स्थापना कर युवाओं को पर्यावरण संरक्षण का सन्देश दिया।
उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व ही गांव के युवाओं द्वारा वाइब्रेंट रामपुरा फाउण्डेशन नामक संस्था का गठन किया जो पर्यावरण, शिक्षा और युवाओं के लिए समर्पित है जिसके तहत युवा वृक्षारोपण कर उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उठा रहे हैं।
इस अवसर पर मुख्य रूप से पंडित बुधराम हठयोगी, राजकुमार, कुलदीप पर्यावरण मित्र, विकास,उमेश ,तुषार आदि अन्य युवा और ग्रामीण मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 01: युवा वर्ग त्रिवेणी लगाते हुए।


बारिश में छतों की ही नहींं अपितु टंकियों की भी रखे सफाई-सुनील कुमार
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में अब बारिश शुरू हो गई है जिसके चलते अनेकों परेशानियां भी होने की संभावना बढ़ गई है। कनीना के एमपीएचडब्ल्यू सुनील कुमार ने बताया कि बारिश का पानी सरकारी छतों पर अक्सर जमा हो जाता है। अपने घर के छात्रों का तो ध्यान दे लिया जाता है किंतु सरकारी कार्यालयों की छतों का कोई ध्यान नहीं देते जिसके कारण नमी बन जाती है और वहां पर मच्छरों का लारवा भी पैदा हो जाता है जो स्वास्थ्य संबंधी समस्या पैदा कर सकता है। उन्होंने समय-समय पर सरकारी छतों की सफाई करने और जमा पानी को निकालने की बात कही वहीं उन्होंने पानी की टंकियों को सप्ताह में एक बार साफ करने की भी सलाह दी।
  उन्होंने कहा कि अक्सर पानी की सफाई न करने से उनमें मच्छर पैदा हो जाते हैं साथ में उन्होंने कहा कि क्लोरीन की गोलियां डाली जाए जिससे पानी साफ हो जाएगा वही पानी में लाल दवाई या फिर उपलब्ध चूने का टुकड़ा भी डाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्र्राय: बारिश के मौसम कुछ में अधिक फैलने की संभावना होती है ऐसे में पानी जमा न होने दें। जहां भी पानी के बर्तन है उन्हें जरूर साफ रखें, इस प्रकार पानी साफ उपलब्ध होगा वही स्वास्थ्य भी बना रहेगा।
फोटो कैप्शन 2 व 3: छतों पर जमा पानी तथा पानी की टंकियां चेक करता एमपीएचडब्ल्यू।

 क्षेत्र में हुई 30 एमएम बारिश
-अभी संकेत और बारिश के 

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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में गुरुवार सुबह से ही रुक-रुक कर बारिश हो रही है। समाचार लिखे जाने तक 30 एमएम बारिश हो चुकी थी और आसमान में बादलों की हलचल से लगता है और अधिक बारिश अभी आएगी। किसान खुश हो गए हैं। अभी तक कोई बाजरे की फसल नहीं उगाई गई हैं। ज्यों ही बारिश थम जाएगी किसानों की बिजाई करने की संभावना प्रबल हो जाएगी क्योंकि अब वक्त बाजरे की बिजाई का आ गया है।
किसान बीजाई के लिए तैयार खड़े हैं। पहले से ही बीज खरीद कर रखे हुए हैं। किसान सूबे सिंह अजीत कुमार, महेंद्र कुमार, राजेंद्र सिंह आदि ने बताया कि अब वक्त बाजरे की बीजाई का आ गया है। अभी मौसम विभाग मानसूनी बारिश होने की शुरुआत बता रहा है।
 क्या कहते हैं कृषि अधिकारी डॉ देवराज -
डा देवराज पूर्व कृषि अधिकारी बताते हैं कि बाजरे की फसल 70 से 90 दिनों की होती है जिसके लिए 30 से 40 एमएम बारिश की जरूरत होती है। एक से 15 जुलाई के बीच सबसे बेहतर बीजाई मानी जाती है। यदि अगेती फसल है तो 25 जून से 10 जुलाई के बीच की जाती है। डेढ़ किलो बाजरा प्रति एकड़ बिजाई की जानी चाहिए। कनीना की भौगोलिक रूप से जमीन 33000 हेक्टेयर है जबकि सिंचित भूमि 30,000 हेक्टेयर है।

यूजी नीट की होने वाली परीक्षा में हाथ लगी निराशा 

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कनीना की आवाज। यूं तो यूजी नीट की परीक्षा हर वर्ष देश के विभिन्न स्थानों पर आयोजित होती है किंतु इस बार यूजी नीट की परीक्षा के लिए महेंद्रगढ़, नारनौल, रेवाड़,ी झज्जर तथा अन्य जिले भी शामिल किए गए थे। विद्यार्थियों ने खुश होकर ये सेंटर भर तो दिए किंतु हाल ही में यूजी नीट द्वारा अलॉट किए गए शहरों की सूची में महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, नारनौल आदि गायब मिले। विद्यार्थी अमित कुमार, सुजल, दिनेश आदि ने बताया कि उन्होंने महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और झज्जर जिलों की वरीयता भरी थी किंतु अब हाल ही में घोषित यूज नीट के शहरों में उनका सेंटर गुरुग्राम में दिया गया है जिसके लेकर के उन्हें अच्छी खासी निराशा हाथ लगी है।





 कनीना के डूबने के हुए पूरे आसार
- सीवर व्यवस्था हुई ठप,पालिका प्रधान और जन स्वास्थ्य विभाग आमने-सामने
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 कनीना। यूं तो कनीना में हर वर्ष मानसून के समय गलियों में दो से तीन फीट पानी जमा हो जाता है किंतु इस बार कनीना के डूबने की आसार अधिक हो गए हैं क्योंकि कनीना की सीवर व्यवस्था पूर्णत ठप पड़ी है। एक ओर जहां पालिका प्रधान जन स्वास्थ्य विभाग से सख्त नाराज नजर आए वही जन स्वास्थ्य विभाग के कर्मी और अधिकारियों का कहना है कि उनकी कोई गलती नहीं है। वे नियमित रूप से काम कर रहे हैं।
 जहां कनीना के विभिन्न 13 वार्डों में सीवर व्यवस्था स्थापित की गई है। इन सीवरों का पानी कनीना-नाहड़ रोड पर स्थित एसटीपी में जाता है जहां से पानी को साफ करके कृषि के लिए प्रदान किया जाता है किंतु वहां जगह कम उपलब्ध होने के कारण जन स्वास्थ्य विभाग ने सीवर वाटर स्टोर करने के लिए जगह मांगी थी। वर्तमान में करीब 6 एकड़ जमीन नगर पालिका द्वारा पीपला वाली बणी में उपलब्ध करवा दी गई। जन स्वास्थ्य विभाग ने भी नाहड़ रोड पर स्थित एसटीपी को पीपला वाली बणी से जोड़ दिया और व्यवस्था शुरू कर दी है किंतु जिस गति से गंदा पानी निकलना चाहिए नहीं निकल पा रहा। अधिकांश सीवर ठप पड़े हैं उनका पानी नालियों और गलियों में बह रहा है जिससे लगता है कि आने वाले समय में मानसून जब पूरे वेग पर होगा तो कनीना की गलियां जलमग्न हो जाएंगी और कनीना के डूबने के आसार बढ़ गए हैं।
कनीना पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि वे जी जान से जुटे हुए हैं कि कहीं भी किसी गली में पानी न जमा हो, नालियों की पूर्ण सफाई कर रखी है किंतु कनीना कस्बे का अधिकांश गंदाजल कालरवाला और होलीवाला जोहड़ में इक_ा होता है जहां से गंदा पानी और सीवर का पानी एसटीपी(सीवर वाटर ट्रीटमेंट)पर पहुंचाया जाता है जहां पानी को साफ कर किसानों को उपलब्ध करवाया जाता है क्योंकि नाहड़ रोड पर एसटीपी के लिए जगह कम पड़ गई थी जिसकी मांग जन स्वास्थ्य विभाग ने कुछ वर्षों पहले की थी। नगरपालिका ने आखिरकार 4 वर्षों के बाद पीपला वाली बणी में जगह उपलब्ध करवा दी जिससे जन स्वास्थ्य विभाग संतुष्ट नहीं है। जन स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अब भी जगह कम पड़ रही है 26 एकड़ जमीन में से 6 एकड़ जमीन उपलब्ध करवाई है। यदि जगह अधिक हो तो अधिक पानी इक_ा किया जा सकता है ।
उधर पालिका प्रधान का कहना है कि वे
यदि जन स्वास्थ्य विभाग सही ढंग से सीवर अवस्था को चलाएं तो किसी प्रकार का पानी गलियों में नहीं खड़ा होगा परंतु सबसे बड़ी अड़चन है कि वर्तमान में ही जब सभी सीवर व्यवस्था ठप पड़ी है तो भविष्य क्या होगा। उधर इस संबंध में जेई सुरेंद्र कुमार से बात की गई उन्होंने बताया कि उनका एसटीपी पर पानी खींचने का सिलसिला तीव्र गति से जारी है और पानी को पीपला वाली बनी में पहुंचाया जा रहा है। हालांकि उनका कहना है कि जो जमीन उपलब्ध करवाई गई है यह पर्याप्त नहीं है पीपला वाली बनी में अधिक जमीन उपलब्ध करवाई जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि नगर पालिका को चाहिए कि बरसात का पानी का इक_ा किया जाए और इस बरसात के पानी को पाइपों द्वारा किसी बणी में पहुंचा देना चाहिए परंतु पालिका इस प्रकार का प्रबंध नहीं कर रही है उल्टे जोहड़ों का पानी भी सीवर में डाल रही है जिसके चलते समस्या बन रही है। परंतु उन्होंने कहा कि पीपला वाली बनी में पानी तेज गति से जा रहा है वही एसटीपी पर पानी का खिंचाव भी तीव्र गति से चल रहा है। सभी कार्य नियमानुसार चल रहे हैं। रही बात सीवर की, तो उन्होंने कहा कि कुछ वार्डों में उन्होंने सीवर व्यवस्था को ठीक करवा दिया है किंतु जो कुछ रह गई है उनको करवाना बाकी है।
 चाहे अंजाम कुछ भी हो परंतु भविष्य कैसा होगा सभी की नजरें सीवर पर टिकी हुई हैं। सीवर अवस्था सही नहीं रहेगी तो भविष्य में कनीना की गलियों जलमग्र होने की संभावना बढ़ जाएगी।
फोटो कैप्शन : प्रधान सतीश जेलदार।









विभिन्न मंचों ने किया प्रदर्शन, जलाया पुतला
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कनीना की आवाज। राजस्थान के उदयपुर में नूपुर शर्मा के समर्थक कन्हैया की हत्या के बाद गुरुवार को कनीना में व्यापार एकता मंच, विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल के कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान संगठन के सदस्यों ने आतंकवादियों का पुतला जलाते हुए कस्बे के अम्बेडकर चौक से लेकर मंडी टी प्वाईंट तक नारेबाजी करते हुए रोष प्रदर्शन किया व राष्ट्रपति से हत्यारों को फांसी देने की मांग की है। क्षेत्र में सुरक्षा की दृष्टि को देखते हुए जिला पुलिस अधीक्षक विक्रांत भूषण, डीएसपी राजीव कुमार सहित भारी पुलिस बल भी तैनात रहा व किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए फायर ब्रिगेड वाटर कैनन का प्रबंध भी किया गया था। रोष प्रदर्शन के दौरान व्यापार एकता मंच के प्रधान महेश बोहरा, विश्व हिंदू परिषद से सुनील कुमार व बजरंग दल से प्रधान विजय सिंह ने कहा कि जिस तरीके से राजस्थान में यह जघन्य घटना घटी है इसमें कहीं न कहीं सरकार भी दोषी है, क्योंकि वहां पर हिंदुओं की सुरक्षा नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि कन्हैयालाल ने इससे पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए नूपुर शर्मा के बयान का समर्थन किया था। एक टीवी डिबेट में नूपुर ने पैगंबर मोहम्मद पर बयान दिया था, जिसके बाद मुसलमानों ने सड़क पर उतर कर विरोध किया था। कन्हैयालाल को भी धमकियां मिली थीं। डर के मारे कन्हैयालाल ने 6 दिनों तक अपनी दुकान भी नहीं खोली। तमाम तरह की सावधानी के बावजूद मंगलवार शाम को उनकी हत्या कर दी गई। उसके बाद हत्यारों ने एक वीडियो भी बनाया और प्रधानमंत्री को भी धमकियां दीं जो कि बहुत गलत है। हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने कहा कि देश में इस तरह का बर्ताव बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस दौरान उनके साथ सुबे सिंह, महेश बोहरा, पिंटू गुप्ता, योगेश कुमार, सोनू हिन्दू,  संजीत कुमार, देवेन्द्र कुमार, सुनील कुमार, सतीश आर्य, मास्टर कृष्ण कुमार, अंकुश शर्मा सहित अनेकों युवक उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 04: विभिन्न संगठन कनीना में प्रदर्शन करते हुए।

Wednesday, June 29, 2022

 जिला स्तरीय बाक्सिंग प्रतियोगिता का आयोजन एक को
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कनीना की आवाज। जिला स्तरीय जूनियर बालक / बालिका बाक्सिंग चयन / ट्रायल का आयोजन दिनांक एक जुलाई को एसडीवमा विद्यालय ककराला में किया जाएगा। खिलाडिय़ों की आयु एक जनवरी 2006 से 31 दिसम्बर 2007 के बीच होनी चाहिए।
भारवर्ग  44-46 , 48, 50, 52, 54, 57, 60, 63, 66, 70, 75, 80 व 80$ किलोग्राम
इस  प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाडियों को अपना जन्म प्रमाण पत्र,आधार कार्ड, दो पासपोर्ट साइज फोटो एवं अंक पत्र मार्क सीट के साथ प्रात: दस बजे प्रतियोगिता स्थल पर पहुंचना अनिवार्य है।


एक जुलाई से खुलेंगे स्कूल
-समय होगा प्रात: 8 बजे से दोपहर पश्चात 2:30 बजे तक
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कनीना की आवाज।। ग्रीष्मावकाश के बाद एक जुलाई से स्कूल फिर से खुलेंगे परंतु इस बार समय प्रात: आठ बजे से शाम 2:30 बजे तक का होगा। इस संबंध में निदेशक मौलिक शिक्षा विभाग में पत्र जारी कर दिया है और पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि अब स्कूलों का समय विद्यार्थियों एवं अध्यापकों के लिए सामान रहेगा। स्कूल प्रात: 8 बजे को लगेंगे और दोहपहर पश्चात 2:30 बजे अवकाश होगा।



 बादलों ने दी गर्मी से राहत
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में विगत दिनों से भीषण गर्मी पडऩे के बाद बुधवार को दोपहर पश्चात बादलों ने नभ पर डेरा जमा लिया। आकाश में बादल छाए जाने के कारण गर्मी से राहत मिली है। मौसम विभाग आगामी दिनों में बारिश होने की संभावना जताई है।


धारावाहिक-11
1942 में स्थापित कनीना का रेलवे स्टेशन कनीना खास नाम से जाना जाता है
-बगुले जैसी दो इंजिन एवं दो डब्बों वाली डीजल ट्रेन चलती थी
- कनीना की आवाज/ डा होशियार सिंह यादव
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यूं तो कनीना का नाम कनीना मंडी के रूप में जाना जाता है किंतु कनीना रेलवे स्टेशन कनीना खास नाम से जाना जाता है क्योंकि यह स्टेशन एक खास स्टेशन था तथा कनीना से से मिलता जुलता एक और रेलवे स्टेशन होने की वजह से कनीना का रेलवे स्टेशन कनीना खास नाम दिया गया था।
कनीना रेलवे स्टेशन से मिलता जुलता किनाना रेलवे स्टेशन है इसलिए इस स्टेशन को विशेष नाम कनीना खास दिया गया था। वैसे भी बीकानेर राजा का यह भाषण का स्टेशन होता था। इसकी स्थापना बीकानेर के महाराज गंगा सिंह (1888 से 1943) ने करवाई थी। जब कनीना मंडी का गेट जब 1939 में तैयार हो गया कनीना मंडी स्थापित होने लगी उस समय कनीना बीकानेर रेलवे मंडल के तहत पड़ता था इसलिए बीकानेर के महाराज से इस रेलवे स्टेशन की स्थापना के लिए मांग की गई। यह मांग स्वयं नहीं अपितु इंग्लिश प्रेसिडेंट अंबाला से पत्र लिखवाया गया और बीकानेर के राजा से निवेदन किया गया कि कनीना मंडी स्थापित है इसलिए यहां रेलवे स्टेशन स्थापित किया जाए। चूंकि रेलवे लाइन कनीना से होकर नहीं गुजरनी थी बल्कि इसराणा और रामबास से होकर गुजरनी थी जिसके लिए आज भी रास्ता पड़ा हुआ, पूरी तैयारी हो गई थी।  महाराज गंगा सिंह ने कनीना वासियों की मांग को देखते हुए एक मोड़ कनीना एवं गुढ़ा ररेलवे स्टेशन के बीच देकर और इसे कनीना खास रेलवे स्टेशन से गुजारा गया। 1939 में रेलवे लाइन स्थापित की गई तथा 1942 में कनीना खास रेलवे स्टेशन स्थापित किया गया था जो आज भी खड़ा हुआ है। 1941 में महाराजा गंगा सिंह ने सथापना स्वयं अपने हाथों से की थी। यहां उनका बेहतर स्वागत किया गया तथा पानी आदि छिड़क कर स्वागत किया गया। रेलवे स्टेशन कनीना से सीधी बीकानेर ट्रेन जाने लगी। रेलवे स्टेशन स्थापित करवाने में सबसे अहम रोल में मेजर भवानी सिंह कनीना का माना जाता है। उस समय मेजर भवानी सिंह ने जो भूमिका निभाई जिसके चलते स्थापित हुआ। इस रेलवे स्टेशन कि स्थापित होने के बाद कनीना मंडी निवासी इमारती लकड़ी ,पत्थर तथा बिनौला मंगवाते थे। पुराने समय का माल गोदाम आज भी जर्जर पड़ा है। यहां पर मीटर गेज होती थी जिससे बहुत प्रसिद्ध ट्रेन डीजल निकलती थी। 1963 में यहां से डीजल ट्रेन निकलती थी जिसके दो डब्बे और दो ही इंजिन होते थे। सफेद बुगले जैसे रंग की यह ट्रेन डीजल नाम से जानी जाती थी। बताया जाता है कि भारत के प्रधानमंत्री  जवाहरलाल नेहरू को यह ट्रेन जापान से मिली थी और इसे इसी रूट पर चलाया गया था। क्योंकि यह रेलवे लाइन एक विशेष लाइन के रूप से जानी जाती थभ्।
बाद में वह डीजल खराब हो गई और उसकी जगह जो ट्रेन चलाई गई उसे लंबे समय तक डीजल नाम से जाना जाता रहा था जो सुबह दस बजे कनीनाप आती थी। पुराने समय से बीकेएसआ नाम से ट्रेन चलती थी ििजसे बीकेएस नाम से जाना जाता था। जिसका अर्थ बीकानेर स्टेट रेलवे लाइन ट्रेन नाम था। बीकानेर से दिल्ली को जोडऩे वाला यह एक खास ट्रेन का रास्ता बन गया था। लंबे समय तक यहां से अनेकों ट्रेन गुजरती थी और लगभग सभी ट्रेन यहां रुकती थी किंतु 2008 में नया रेलवे स्टेशन स्थापित किया गया और लाइन को ब्रॉडगेज में बदल दिया गया तत्पश्चात कनीना में ट्रेनों का ठहराव लगभग बंद हो गया।
   अब एक बार फिर से इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई जाने की तैयारी हो रही है। कनीना से 5 किलोमीटर दूर गुढ़ा रेलवे स्टेशन के पास पावर हाउस स्थापित किया गया है जो इस लाइन को बिजली प्रदान करेगा जबकि एसएसई अधिकारी का क्वार्टर यहां बन चुका है जहां एसएसई बैठा करेंगे। यही नहीं कनीना और बड़ी बणी के बीच में एक बड़ा केंद्र स्थापित किया गया है जहां रेलवे लाइन से संबंधित ट्रेनों में किसी प्रकार की कमी आने पर उन्हें ठीक किया जाएगा। इसलिए बिजली की ट्रेन उस क्वार्टर से होकर गुजरा करेंगी जिनमें किसी प्रकार की कमी होगी।
परंतु दुर्भाग्य है आज के दिन इस रेलवे स्टेशन की कोई सुध नहीं ली जा रही है। अधिकांश ट्रेन नहीं रुकती है। चार वर्ष पूर्व यहां रेलवे बुकिंगु खिड़की स्थापित हुई है। इस रेलवे स्टेशन के पास अब विभिन्न अधिकारियों के क्वार्टर बनकर तैयार हो गए हैं विशाल रेलवे पार्क 2014 में बनाया गया है।
रेलवे स्टेशन एवं रेलवे पार्क के पास छायादार पौधे लगे हुये हैं। रेलवे स्टेशन की बुर्जी राजस्थान के बीकानेर मंडल से जुड़े होने का प्रमाण है। बीकानेर तक सभी स्टेशनों पर इस प्रकार की बुर्जी बनाई गई हैं। समुद्र तल से यह स्टेशन 254 मीटर ऊंचा है। मनमोहक रेलवे स्टेशन कनीना उपमंडल का है किंतु यहां न तो एक लाइन से दूसरी लाइन तक जाने की सीढिय़ां अर्थात ओवरब्रीज है और न ही अभी तक जंक्षन बन पाया है। कोसली से नारनौल एवं अलवर को जोडऩे वाली रेलवे लाइन अगर कनीना से होकर गुजरती है तो सभी जंक्षन की सुविधाएं उपलब्ध हो जाएंगी। इस क्षेत्र में कार्रवाई जारी है। साल में दो बार माता के नवरात्रे आते हैं उस वक्त घड़ी महासर की माता मेले के लिए दो फास्ट ट्रेन अस्थाई ठहराव करती हैं।
सावधान--
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धारावाहिक -12
धारावाहिक -12 में पढ़ेंगे कनीना मंडी का इतिहास।
सभी स्थलों की फोटो साथ हैं।



बूंदाबांदी रहेगी जारी
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कनीना की आवाज। आज बुधवार रात और कल सुबह को भी पूर्वी हवाओं व पश्चिमी हवाओं के टकराव से हरियाणा के दक्षिण-पश्चिम इलाकों व उत्तर-पुर्वी राजस्थान के इलाकों पर बादलों में फुटाव हो रहा है। जिसके कारण अगले कुछ घण्टो में हरियाणा के भिवानी, दादरी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, मेवात जिले में हल्की से मध्यम बारिश होगी। इसके अलावा अम्बाला, पंचकूला, यमुनानगर में बादलवाही के बीच हल्की बारिश जारी रहेगी।ड ॉ चंद्रमोहन नोडल अधिकारी पर्यावरण क्लब राजकीय महाविद्यालय नारनौल*






































Tuesday, June 28, 2022

 
भारत विकास परिषद की बैठक संपन्न हुई
-कई अहं मुद्दों पर हुई चर्चा
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कनीना की आवाज । श्रीराम प्लेस झज्जर रोड रेवाड़ी में भारत विकास परिषद दक्षिण हरियाणा प्रांत की बैठक संपन्न हुई जिसमें चंद्रसेन जैन नेशनल ग्रुप सांग स्पर्धा के चेयरमैन ने अपने उद्घाटन भाषण में भारत विकास परिषद स्थापना के बारे में बताया और कहा कि  विवेकानंद की शताब्दी 12 जनवरी 1963 को मनाने के बाबत डॉ सूरज प्रकाश ने दिल्ली में  फैसला लिया था तथा वे चाइना युद्ध 1962 प्रेरित हुये थे। उनकी सोच थी युद्ध के समय देश में सामाजिक सहायता व्यवस्था बनाने के लिए एक संगठन का  देश होना आवश्यक है जो युद्ध पीडि़तों के परिवारों की सहायता कर सकें। कार्यशाला में दायित्व धारियों को उसके कार्यों की जानकारी प्रधान महेंद्र शर्मा प्रांतीय प्रधान ने समझाई। डा आरबी यादव महासचिव ने दक्षिणी हरियाणा में 31 शाखाओं में होने वाले कार्यों को विस्तार से बताया। शाखा कनीना से प्रांतीय गौ सेवा प्रमुख कवंर सैन वशिष्ठ ने प्रधान महेंद्र शर्मा को वर्ष 2021-22 में किए गए कार्यों का ब्यौरा दिया। कनीना शाखा के सचिव लखनलाल कैमला ने कनीना शाखा से मीटिंग में शामिल होने वाले सदस्य कृष्ण सिंह उप प्रधान, देशराज सह सचिव, सुरेश कुमार शर्मा संस्कार प्रमुख, गो सेवा प्रमुख कवंर सैन वशिष्ठ का परिचय करवाया। प्रदेश उपप्रधान हितेंद्र बोहरा, राजकुमार अग्रवाल, तरुण त्यागी ,अनिल मंगला ,श्रीमती निधि  जैन ने कार्यशाला मीटिंग में अपने विचार रखे। मीटिंग में सभी 31 शाखाओं के महा अधिकारी उपस्थित थे। सभी ने सेवा संस्कार के बारे में समाज को जागरूक करने की शपथ ली शाखा कार्यों पर प्रसन्नता व्यक्त की गई।
फोटो कैप्शन एक: भारत विकास परिषद की बैठक में मुख्य अतिथि को सम्मानित करते पदाधिकारी।



  कोचिंग सेेंटर खोलने की मांग
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कनीना की आवाज । बसपा नेता ठाकुर अतरलाल एडवोकेट ने राज्य सरकार व जिला प्रशासन से कोचिंग संस्थानों को तत्काल खोलने की मांग की है।
  अतरलाल ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर और जिला उपायुक्त को भेजे ज्ञापन में उक्त मांग उठाई। उन्होंने कहा कि कोचिंग संस्थान बंद किए जाने से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवा तथा छात्र-छात्राओं को भारी नुकसान हो रहा है। अभी जुलाई व अगस्त में हरियाणा सरकार व अन्य कई राज्य व केन्द्र की प्रतियोगी परीक्षाएं होनी हैं। जिनकी तैयारी के लिए युवा तथा छात्र-छात्राओं ने जिला के कोचिंग संस्थानों ने प्रवेश ले रखा है। परन्तु सरकार व जिला प्रशासन द्वारा अग्निपथ योजना का बहाना बनाकर कोचिंग संस्थानों को बंद किया जाना लोकतंत्र तथा छात्र हितों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि कोचिंग संस्थान बंद किए जाने से युवा तथा छात्र-छात्राओं के साथ उनके अभिभावकों में भी भारी रोष व्याप्त है। अभिभावकों ने अपने बच्चों को कोचिंग दिलाने के लिए कोचिंग संस्थानों में फीस जमा करवा रखी है। परन्तु राज्य व जिला प्रशासन द्वारा कोचिंग संस्थान बंद किए जाने से छात्र-छात्रा कोचिंग लेने से वंचित हो रहे हैं। जिसका असर उनकी पढ़ाई पर पड़ रहा है। ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि कोचिंग संस्थान तत्काल नहीं खोले गए तो अभिभावक आंदोलन करने को मजबूर होंगे।




5 नामजद तथा 2-3 अन्य पर मार पिटाई का मामला दर्ज
-घायलों को हायर सेंटर किया रेफर
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कनीना की आवाज । कनीना उपमंडल के गांव बेवल निवासी रितेश कुमार एवं उनके दोस्त के साथ पांच नामजद तथा 2-3 अन्य द्वारा मार पिटाई करने का मामला दर्ज करवाया है। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर, जांच शुरू कर दी है। शिकायतकर्ता ने पुलिस में बताया है कि वह नेहरू कालेज फरीदाबाद में एमएससी की पढ़ाई कर रहा है। 17 मई को गांव का धर्मेंद्र नामक व्यक्ति उनकी भाभी संग आपत्तिजनक हालात में पकड़ा था। जिसके बाद धर्मेंद्र उनके परिवार से रंजिश रखता है। शिकायतकर्ता ने कहा कि धर्मेंद्र और उसकी भाभी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की थी जिसके चलते धर्मेंद्र कहीं भी रास्ते में समय मिलते ही आते जाते उसकी भाभी तथा उसके बारे में टीका टिप्पणी करता आ रहा है।
 26 जून को शिकायतकर्ता का दोस्त नवनीत बेवल गांव के बस स्टैंड स्थित एक हेयर सैलून से बाल कटवाने के लिए गए थे। जहां धर्मेंद्र भी आ गया आते ही अभद्र व्यवहार करने लगा जिसके चलते नवनीत वह शिकायतकर्ता वहां से घर की ओर आ गए। इसके बाद फिर से शाम को नवनीत तथा शिकायतकर्ता बेवल की बणी में जिम करने के लिए गए थे कि रास्ते में धर्मेंद्र अपने 7-8 दोस्तों को लेकर वहां आ गया और मार पिटाई शुरू कर दी। धर्मेंद्र के साथ पवन, दीपक, महेंद्र पाल, अजय तथा 2-3 अन्य व्यक्ति थे जिन्होंने लोहे के पंचनुमा हथियार लेे रखे थे। उन्होंने शिकायतकर्ता और नवनीत को चोट मारी तथा उसके अन्य साथियों ने लात घुसा से मारा। भीड़ जमा हो जाने से वे भाग खड़े हुए तथा भविष्य में जान से मारने की धमकी दे गए। उधर नवनीत तथा शिकायतकर्ता को नारनौल अस्पताल भर्ती करवाया गया जहां से उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया। दोनों को नारनौल अस्पताल भर्ती करवाया जहां से उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है जांच अभी जारी है।


ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के बाद बच्चों को पुन: स्कूल भेजने के लिए तैयार करे मानसिक रूप से अभिभावक
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कनीना की आवाज । ग्रीष्मकालीन अवकाश बच्चों के लिए उनके स्कूली जीवन का सबसे यादगार समय होता है। यह ब्रेक बच्चों के लिए सबसे खुशी के समय में से एक है और इसके बाद सीखने के कई अनुभव भी हो सकते लेकिन जैसे ही छुट्टियों की समाप्ति निकट आती है, बच्चे स्कूल जाने की चिंता से गुजऱने लगते हैं और अब एक जुलाई को पुन: स्कूल खुल रहे है इसलिए प्रत्येक माता पिता अपने बच्चों को मानसिक रूप से तैयार करे यह कहना शिक्षक व समाज सेवी मास्टर राजेश उन्हाणी का है।
उनका कहना है कि माता-पिता के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि उनका बच्चा स्कूल में फिर से प्रवेश करने और अपनी पढ़ाई शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। हालांकि, एक बच्चे के भीतर परिवर्तनों को तैयार करने की प्रक्रिया आसान नहीं है-कुछ के लिए यह तनाव मुक्त हो सकता है जबकि कुछ के लिए यह जटिल हो सकता है।
 इसलिए माता-पिता के साथ-साथ बच्चे को बैक-टू-स्कूल चिंता से उबरने और छुट्टियों के बाद अपना स्कूल शुरू करने के लिए माता पिता दिनचर्या को पुनव्र्यवस्थित करे गर्मी की छुट्टियों के दौरान, बच्चे देर तक सोने की स्वतंत्रता का आनंद लेते हैं। उनकी तनाव मुक्त दिनचर्या उन्हें स्कूल के लिए तैयार करने की दिशा में पहला कदम है। यह सुझाव दिया जाता है कि माता-पिता स्कूल के घंटों के अनुसार दिनचर्या में बदलाव करें। यह दृष्टिकोण अत्यंत प्रभावी है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि एक बच्चे को शेड्यूल और अनुकूलन की आदत हो। ऐसा करने में विफलता के परिणामस्वरूप बच्चों को बदले हुए घंटों में खुद को स्थापित करने के लिए भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
अपने बच्चे से स्कूल खुलने की बात करें कोई भी बच्चा कभी भी तारीख से एक रात पहले स्कूल फिर से खुलने की खबर नहीं सुनना चाहेगा। माता-पिता के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने बच्चों से बात करें और उनसे उनकी भावनाओं के बारे में पूछें। माता-पिता और बच्चे के बीच शुरू किया गया एक खुला संचार किसी को यह समझने देगा कि क्या बच्चा उत्साहित है । माता-पिता को अपने बच्चों को अपने स्कूल के फिर से खुलने के बारे में पहले से ही सूचित करना चाहिए। यह प्रक्रिया बच्चे की भलाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
स्कूल में एक किक स्टार्ट सुनिश्चित करने के लिए, बच्चों में उत्साह को प्रोत्साहित करें। उन्हें बाहर निकालें और उन्हें स्कूल के सभी नए आवश्यक सामान - टिफिन बॉक्स, किताबें, बैग, और इसी तरह प्राप्त करें। यह दृष्टिकोण न केवल एक बच्चे की ऊर्जा को बढ़ावा देगा बल्कि, बहुत जरूरी आशावाद को भी शामिल करेगा इसके परिणामस्वरूप, एक बच्चा सकारात्मक मानसिकता के साथ अपने स्कूल की पुन: शुरुआत करेगा जो माता पिता व  उनके पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए फायदेमंद रहेगी।




उफ यह गर्मी, हाय यह गर्मी, मौसम ने पैदा की बेशर्मी
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कनीना की आवाज । वर्तमान परिदृश्य में हरियाणा एनसीआर दिल्ली और विशेषकर जिला महेंद्रगढ़ में चारों तरफ़ आमजन के द्वारा बस एक ही बात निकल रही है उफ़ उफ़ गर्मी ,हाय हाय गर्मी, मारेगी गर्मी ,कसुती गर्मी, जानलेवा गर्मी ,कब आएगी बारिश कब मिलेगी राहत  क्योंकि सम्पूर्ण इलाके पर उमस और पसीने वाली भीषण गर्मी अपने तीखे तेवरों से आगाज किये हुए है। मौसम विशेषज्ञ डॉ चंद्रमोहन ने बताया कि राजस्थान हरियाणा एनसीआर दिल्ली पर लगातार  पश्चिमी हवाओं  का आधिपत्य स्थापित है साथ ही अरब सागर की नमी वाली हवाओं का रूख मरूस्थलीय पश्चिमी हिस्से से होता हुआ राजस्थान में प्रवेश हों रहा है जिसकी वजह से नमी और आर्द्रता की मात्रा में बढ़ोतरी दर्ज हुई है साथ ही मरूस्थलीय गर्म हवाओं का मेल हो रहा है जिसकी वजह से राजस्थान हरियाणा एनसीआर दिल्ली में अधिकतर स्थानों पर समुंद्री तटों जैसी मौसम बना हुआ है और उमस भरी पसीने वाली गर्मी अपने चरम शबाब पर है। परन्तु जल्द ही यानि कल से ही दक्षिणी पूर्वी नमी वाली हवाओं का प्रभुत्व  होने वाला है जिसकी वजह से उत्तर पश्चिम भारत के राज्यों राजस्थान हरियाणा एनसीआर दिल्ली, उत्तर प्रदेश पंजाब में  जैसे ही हवाओं का रुख  पूर्ण रूप से बदल जाएगा है  वैसे ही जल्द मानसून रफ्तार पकडऩे की प्रबल संभावनाएं बन रही है। उत्तर पश्चिम मैदानी राज्यों में मानसून के लिए परिस्थितियों अनुकूल होती जा रही है। एनसीआर दिल्ली हरियाणा और पजाबं में अच्छी बारिश का दौर 29 जून रात्रि से  शुरू हो कर जुलाई  के सप्ताहांत तक  सम्पूर्ण हरियाणा एनसीआर दिल्ली में  बारिश होने की  प्रबल संभावनाएं बन रही है । हरियाणा एनसीआर दिल्ली में अभी उमस और पसीने वाली गर्मी से कल 29 जून दोपहर तक  राहत नहीं मिलने वाली है। परन्तु  दोपहर बाद सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ की वजह से हरियाणा एनसीआर दिल्ली में अधिकतर स्थानों पर  मौसम करवट लेने वाला है।  सम्पूर्ण इलाके पर बादल अपना डेरा जमा लेंगे और  कुछ स्थानों पर रात से ही राहत भरी बारिश के साथ 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने और अंधड़ आंधी चलने साथ ही सिमित स्थानों गरज चमक के साथ पर ओलावृष्टि और साथ ही साथ सम्पूर्ण हरियाणा एनसीआर दिल्ली में 29 जून की रात्रि और 30 जून सुबह से बारिश की गतिविधियों में तेजी आएगी साथ ही हवाओं के रुख बदलने से हरियाणा एनसीआर दिल्ली में मानसून गतिविधियां रफ्तार पकडऩे की प्रबल संभावनाएं बन रही है इस लिए भारतीय मौसम विभाग ने सम्पूर्ण इलाके पर ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी कर दिया है । आज हरियाणा एनसीआर दिल्ली में अधिकतर स्थानों पर बादलों ने डेरा जमा लिया था परन्तु  मंगलवार को हरियाणा में बारिश की गतिविधियां देखने को नहीं मिलीं। परन्तु सम्पूर्ण हरियाणा एनसीआर दिल्ली में 29 जून की रात्रि और 30 जून सुबह से ही बारिश की गतिविधियों  और साथ ही साथ 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की गतिविधियों को दर्ज किया जाएगा,  जिसकी वजह से सम्पूर्ण इलाके से उमस और पसीने वाली  उफ़ और प्रचंड भीषण गर्मी से आमजन को राहत मिल सकती है। आज हरियाणा एनसीआर दिल्ली में अधिकतर स्थानों पर अधिकतम तापमान 37.0  डिग्री सेल्सियस से 45.1डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। जबकि जिला महेंद्रगढ़ में आज सुबह से ही उमस और पसीने वाली गर्मी अपने तीखे तेवरों से आगाज किये हुए है जिसकी वजह से सम्पूर्ण इलाके में आमजन आफ़त भरी उफ़ गर्मी कसुती गर्मी से परेशान हैं। आज मंगलवार को दोपहर बाद से बादल वाही देखने को मिलीं परन्तु सम्पूर्ण इलाका शुष्क बना हुआ है। आज जिला महेंद्रगढ़ में नारनौल और महेंद्रगढ़ का अधिकतम तापमान क्रमश 43.4  डिग्री सेल्सियस और 44.2   डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया  जबकि जिला महेंद्रगढ़ में नारनौल और महेंद्रगढ़ का न्यूनतम तापमान क्रमश: 32.0 डिग्री सेल्सियस और 30.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जो सामान्य तापमान से 6.1 डिग्री सेल्सियस अधिक बने हुए हैं। राजस्थान से लगती सीमा की वजह से उमस और पसीने वाली गर्मी का आगाज इलाके पर अधिक देखने को मिल रहा है। जिला महेंद्रगढ़ में दिन के साथ रातें भी गर्म और शुष्क बनीं हुईं हैं जिला महेंद्रगढ़ पर 29 जून देर रात्रि या 30 जून को सुबह से ही राहत भरी बारिश और तेज गति से हवाएं चलने की और साथ ही साथ आने वाले दिनों में जुलाई की शुरुआत से जिला महेंद्रगढ़ मानसून बारिश से सराबोर होने की प्रबल संभावनाएं बन रही।  





धारावाहिक-10
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इंसानों की धर्मशाला के साथ-साथ पशुओं की धर्मशाला भी प्रसिद्ध थी कनीना मंडी की
-पौष सुदी विक्रमी संवत 1998 को रखी गई थी धर्मशालाओं की नीव
- डा.होशियार सिंह यादव/कनीना की आवाज
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यूं तो कनीना का इतिहास अपने हाथ में अजूबा है परंतु कनीना को दूर-दराज तक इसकी विशाल अनाज मंडी के नाम से ही जाना जाता है। कनीना अनाज मंडी में आज के दिन विकास की चकाचौंध पर नाचती नजर आती है और नई अनाज मंडी चेलावास में लगभग बनकर तैयार है किंतु एक जमाना था जब कनीना अनाज मंडी में रेलवे स्टेशन के पास पशुओं की धर्मशाला भी होती थी जो आपने आज ही आप हमें अजीब लगती है। इंसानों की धर्मशाला और पशुओं की धर्मशाला साथ साथ होना उस समय की लोगों की धार्मिक आस्था को इंगित करता है।
 वयोवृद्ध कनीना के पालिका के पूर्व प्रधान मास्टर दिलीप सिंह बताते हैं कि गुढ़ा गांव से आये मुन्ना लाल ने पशुओं की धर्मशाला के साथ-साथ इंसानों की धर्मशाला भी बनाई थी। आज वह इंसान स्वर्ग सिधार चुके और उनकी समाधि हाथीखाना के एक कोने में विराजमान है।
कनीना वासियों को आजादी से पूर्व कभी नाभा तो कभी पटियाला और आजादी के बाद पेप्सू रियासतों के बीच जीवन यापन करना पड़ा है। और यह कर्म हरियाणा स्थापना 1966 तक जारी रहा।
पोष सुदी विक्रमी संवत 1998 से पहले एक बार राजा मालविंदर बहादुर कनीना में किसी काम से अपने हाथी पर बैठकर आए थे। सौभाग्य से कनीना रेलवे स्टेशन के पास पहुंचे तो उनकी मुलाकात लोगों से हुई। उन्होंने पूछा कि कहीं इंसानों और पशुओं के ठहरने के लिए जगह है। उस वक्त कनीना मंडी के लाला मुन्नालाल ने आगे बढ़कर कहा कि महाराज अभी तक तो कोई जगह नहीं है किंतु अगली बार जब आप आओगे तो निश्चित रूप से आपको पशुओं को ठहराने के लिए धर्मशाला तथा इंसानों के ठहराने के लिए धर्मशाला मिल जाएगी। बताया जाता है कि उसके बाद धर्मशालाओं का निर्माण किया जहां समय समय पर राजा महाराजाओं ने दौरा किया और इंसानों की धर्मशाला में स्वयं ठहरे जबकि पशुओं की धर्मशाला में उनके हाथी ठहरे। जिस धर्मशाला में हाथी ठहरे थे उसे हाथीखाना नाम दिया गया जबकि इंसानों की धर्मशाला में राजा महाराजा तथा इंसान ठहरे थे। जहां हाथीखाना का महज दरवाजा बचा है बाकी भाग पर अवैध कब्जे तथा खंडहर बना हुआ है जबकि धर्मशाला आज भी विधिवत रूप से चल रही है। धर्मशाला में जहां वर्षों से सेवक भूमिका निभा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 1939 में कनीना मंडी का भव्य गेट रेलवे स्टेशन के पास बनाया गया और अनाज मंडी केें लिए 96 कनाल 15 मरला जमीन उपलब्ध करवाई गई थी। उस वक्त कनीना मंडी की धर्मशाला और पशुओं की धर्मशाला बनाने का कार्य चला था।
अंग्रेजी तारीख 6 दिसंबर 1941 को यहां हाथीखाना अर्थात पशुओं की धर्मशाला और इंसानों की धर्मशाला की नीव रखी। नीव रखते ही यहां पर हलचल बढ़ गई। इस संबंध में पुराने रिकॉर्ड आज भी उपलब्ध है। मंडी के अगले गेट पर जहां पास में राजा द्वारा दान किए हुए मैदान में  भी पुराना कुआं और प्याऊ लगी हुई है। यद्यपि जर्जर अवस्था में हैं। मंडी गेट का निर्माण यहां खोदे गये कुएं के जल से करवाया गया था।
उस वक्त राजा द्वारा 60 गुणा 250 फुट का यह एरिया धर्मशाला आदि के लिए दान किया गया था। जहां एक ओर बावड़ी और प्याऊ का निर्माण किया गया था।वर्ष 1948 में जहां इस धर्मशाला में पुलिस चौकी की स्थापना की गई। यद्यपि पुलिस चौकी कुछ समय के लिए रखी जानी थी किंतु पुलिस चौकी न हटाए जाने के चलते तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल को 28 फरवरी 1949 के दिन तार द्वारा धर्मशाला खाली करवाने की प्रार्थना लाला मुन्ना लाल द्वारा अनेकों तार/टेलीग्राम नारनौल, जीएम पटियाला, मुख्यमंत्री से गुहार लगाई गई थी जिनका रिकॉर्ड आज भी उपलब्ध है। 28 फरवरी 1949 के बाद भी चार बार अन्य तार/ टेलीग्रामो द्वारा इसे पुन: खाली करने की बात कही गई थी किंतु बार-बार खाली ने किए जाने पर कार्रवाई जारी रही। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर नेहरू को भी तार प्रेषित किये गये। 2 फरवरी 1951 को फिर से टेलीग्राम भेजकर यह धर्मशाला खाली करवाने की बात कही।  2 फरवरी 1951 तक यह पुलिस चौकी इसी धर्मशाला में जारी रही इसके बाद से कनीनाके वर्तमान थाना परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया। 1952 में जहां धर्मशाला में औषधालय की स्थापना की गई जहां 12 से 15 मरीज रोजाना आते थे जिसका रिकार्ड भी आज तक उपलब्ध है। एक और जहां पशुओं के लिए ठहरने की जगह थी वह इंसानों के ठहरने की धर्मशाला बनाई हुई थी। उस जमाने में आसपास भडफ़,धरसू तथा विवभिन्न गांवों मेें बहुत से पशु मेले लगते थे। महेंद्रगढ़ से रेवाड़ी के लिए जो रेलवे लाइन के लिए जगह निर्धारित की गई थी उस पर रेलवे लाइनें न बिछाई जाने के चलते लोगों का आवागमन, पशुओं का आवागमन उसी रास्ते से जारी  रहा। आज भी यह    महेंद्रगढ़ से रेवाड़ी तक का कच्चा रास्ता इसराणा के पास से होकर गुजरता है। इसे कुछ जगह पक्का भी कर दियाा गया है। भारी संख्या में लोग थके हारे पशुओं सहित यहां आते थे। पशुओं को हाथी खाने में तथा स्वयं इंसानों की धर्मशाला में विश्राम करते थे। यहां तक कि उस जमाने से मुफ्त धर्मशाला काम कर रही है। कभी कबार अधिक संख्या में लोग धर्मशाला मेें ठहराव करते थे तो उनसे खाना बनवाने में मदद ली जाती थी। यही धर्मशाला का चार्ज समझा जाता था। सभी मिलकर यहां खाना बनाते थे खाकर विश्राम करते थे। उस जमाने में रामभक्त चेलावास से और भेलिया भडफ़ निवासी धर्मशाला का केयरटेकर का काम करते थे। वर्तमान में राजेश कुमार युवक इस धर्मशाला का केयरटेकर का काम कर रहा है। उससे पहले करीब 35 सालों तक राजेश कुमार के दादा हरद्वारी लाल धर्मशाला की देखरेख का कार्य करते थे।  2017 से राजेश कुमार इस धर्मशाला की देखरेख कर रहे हैं। आज भी उस जमाने की धर्मशाला में इंसानों के ठहरने का नियम आदि लगे हुए हैं। यद्यपि धर्मशाला का दो वर्षों पूर्व जीर्णोद्धार कर दिया गया है और बेहतर ढंग की धर्मशाला बनी हुई है परंतु पशु धर्मशाला अर्थात हाथीखाना का केवल गेट बाकी है। उस जमाने भव्य गेट  पत्थर तथा कड़ी द्वारा बनाई गई छत स्वर्णिम युग की याद दिलाते हैं। हाथी खाने के एक पुराने पड़े हुए क्षेत्र के एक कोने में लाला मुन्ना लाल की समाधि स्थित है जहां उन्हें दफनाया गया था।   
सत्य है कि 1939 में कनीना रेलवे लाइन बिछाई गई, 1942 में रेलवे स्टेशन स्थापित किया गया 1939 में कनीना का बड़ा गेट स्थापित हुआ, 1965 में कनीना मंडी में लाइट आई परंतु उस जमाने का हाथी खाना और धर्मशाला आज भी मन को ममोह रहे हैं। विभिन्न धार्मिक गतिविधियां उस जमाने से 1984 तक पशु धर्मशाला में जारी रही।
 














रामलीला एवं नाटक मंचन-
जिसे पशु धर्मशाला अर्थात हाथीखाना कहते हैं में रामलीला का मंचन, विभिन्न प्रकार के नाटक मंचन विभिन्न प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम चलते थे। पूरा कस्बा कनीना इन रामलीला का आनंद लेने के लिए पहुंचते थे। मंजे हुए कलाकार यहां रामलीला का मंचन करते थे। लेखक स्वयं भी उस वक्त की रामलीला देखने के लिए छोटी उमर में वहां जाते  थे, आज भी उनकी स्मृतियों में रामलीला मंचन घर किए हुए है।
   जनसेवा---
  पशु धर्मशाला और इंसानों की धर्मशाला में उस समय ही नहीं वर्तमान समय में भी समय समय पर आने की गतिविधियां चलती है। जहां गोगामेड़ी में जाने वाले यात्रियों के लिए खाना दिया जाता है वह भी इसी धर्मशाला में बनता है वहीं विभिन्न अवसरों पर भी धर्मशाला में भोजन आदि का प्रबंध किया जाता है। यह सत्य है कि इस वक्त इक्का-दुक्का यात्री ही यहां ठहराव करता है। ऐसे ही नहीं पास में दूसरी भी धर्मशालाएं हैं जिसके चलते कभी कोई यात्री यहां विश्राम करता है।
धर्मशाला निर्माण के समय कनीना का रेवेन्यू अधिकारी/राजस्व अधिकारी बावल बैठता था। इसलिए उस समय के लाला मुन्नालाल द्वारा लिखे हुए उर्दू के टेलीग्राम मौजूद है जिन का हिंदी रूपांतरण भी करवाया जा चुका है। वास्तव में उस जमाने की हाथी खाना और धर्मशाला अपने आप में महत्व रखते हैं शायद दूर दराज तक का कनीना पहला स्थान होगा जहां पशुओं की धर्मशाला बनाई गई थी। पशुओं की धर्मशाला नाम सुनकर अजीब जरूर लगता है किंतु हाथीखाना जब सुन सकते तो पशु की धर्मशाला भी सुनी जा सकती है। राजा महाराजा भी इन्हीं धर्मशाला में ठहरते थे कितना अजीब संयोग होता था किंतु आज के दिन राजा महाराजा के लिए ठहरने के लिए आलीशान कोठियां होती है इस जमाने को याद कर उन लोगों को याद कर मन प्रसन्नचित्त हो जाता है।
सावधान--
यह आलेख कापीराइट के तहत है। किसी प्रकार की फोटो एवं टैक्सट कापी करना दंडनीय अपराध एवं कापी राइट एक्ट के तहत जुर्म होगा। यह ब्लाग रजिस्टर्ड ब्लाग है।

धारावाहिक -11
धारावाहिक -11 में पढ़ेंगे कनीना के रेलवे स्टेशन का इतिहास।
सभी स्थलों की फोटो साथ हैं।