भारत विकास परिषद की बैठक संपन्न हुई
-कई अहं मुद्दों पर हुई चर्चा
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कनीना की आवाज । श्रीराम प्लेस झज्जर रोड रेवाड़ी में भारत विकास परिषद दक्षिण हरियाणा प्रांत की बैठक संपन्न हुई जिसमें चंद्रसेन जैन नेशनल ग्रुप सांग स्पर्धा के चेयरमैन ने अपने उद्घाटन भाषण में भारत विकास परिषद स्थापना के बारे में बताया और कहा कि विवेकानंद की शताब्दी 12 जनवरी 1963 को मनाने के बाबत डॉ सूरज प्रकाश ने दिल्ली में फैसला लिया था तथा वे चाइना युद्ध 1962 प्रेरित हुये थे। उनकी सोच थी युद्ध के समय देश में सामाजिक सहायता व्यवस्था बनाने के लिए एक संगठन का देश होना आवश्यक है जो युद्ध पीडि़तों के परिवारों की सहायता कर सकें। कार्यशाला में दायित्व धारियों को उसके कार्यों की जानकारी प्रधान महेंद्र शर्मा प्रांतीय प्रधान ने समझाई। डा आरबी यादव महासचिव ने दक्षिणी हरियाणा में 31 शाखाओं में होने वाले कार्यों को विस्तार से बताया। शाखा कनीना से प्रांतीय गौ सेवा प्रमुख कवंर सैन वशिष्ठ ने प्रधान महेंद्र शर्मा को वर्ष 2021-22 में किए गए कार्यों का ब्यौरा दिया। कनीना शाखा के सचिव लखनलाल कैमला ने कनीना शाखा से मीटिंग में शामिल होने वाले सदस्य कृष्ण सिंह उप प्रधान, देशराज सह सचिव, सुरेश कुमार शर्मा संस्कार प्रमुख, गो सेवा प्रमुख कवंर सैन वशिष्ठ का परिचय करवाया। प्रदेश उपप्रधान हितेंद्र बोहरा, राजकुमार अग्रवाल, तरुण त्यागी ,अनिल मंगला ,श्रीमती निधि जैन ने कार्यशाला मीटिंग में अपने विचार रखे। मीटिंग में सभी 31 शाखाओं के महा अधिकारी उपस्थित थे। सभी ने सेवा संस्कार के बारे में समाज को जागरूक करने की शपथ ली शाखा कार्यों पर प्रसन्नता व्यक्त की गई।
फोटो कैप्शन एक: भारत विकास परिषद की बैठक में मुख्य अतिथि को सम्मानित करते पदाधिकारी।
कोचिंग सेेंटर खोलने की मांग
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कनीना की आवाज । बसपा नेता ठाकुर अतरलाल एडवोकेट ने राज्य सरकार व जिला प्रशासन से कोचिंग संस्थानों को तत्काल खोलने की मांग की है।
अतरलाल ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर और जिला उपायुक्त को भेजे ज्ञापन में उक्त मांग उठाई। उन्होंने कहा कि कोचिंग संस्थान बंद किए जाने से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवा तथा छात्र-छात्राओं को भारी नुकसान हो रहा है। अभी जुलाई व अगस्त में हरियाणा सरकार व अन्य कई राज्य व केन्द्र की प्रतियोगी परीक्षाएं होनी हैं। जिनकी तैयारी के लिए युवा तथा छात्र-छात्राओं ने जिला के कोचिंग संस्थानों ने प्रवेश ले रखा है। परन्तु सरकार व जिला प्रशासन द्वारा अग्निपथ योजना का बहाना बनाकर कोचिंग संस्थानों को बंद किया जाना लोकतंत्र तथा छात्र हितों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि कोचिंग संस्थान बंद किए जाने से युवा तथा छात्र-छात्राओं के साथ उनके अभिभावकों में भी भारी रोष व्याप्त है। अभिभावकों ने अपने बच्चों को कोचिंग दिलाने के लिए कोचिंग संस्थानों में फीस जमा करवा रखी है। परन्तु राज्य व जिला प्रशासन द्वारा कोचिंग संस्थान बंद किए जाने से छात्र-छात्रा कोचिंग लेने से वंचित हो रहे हैं। जिसका असर उनकी पढ़ाई पर पड़ रहा है। ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि कोचिंग संस्थान तत्काल नहीं खोले गए तो अभिभावक आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
5 नामजद तथा 2-3 अन्य पर मार पिटाई का मामला दर्ज
-घायलों को हायर सेंटर किया रेफर
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कनीना की आवाज । कनीना उपमंडल के गांव बेवल निवासी रितेश कुमार एवं उनके दोस्त के साथ पांच नामजद तथा 2-3 अन्य द्वारा मार पिटाई करने का मामला दर्ज करवाया है। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर, जांच शुरू कर दी है। शिकायतकर्ता ने पुलिस में बताया है कि वह नेहरू कालेज फरीदाबाद में एमएससी की पढ़ाई कर रहा है। 17 मई को गांव का धर्मेंद्र नामक व्यक्ति उनकी भाभी संग आपत्तिजनक हालात में पकड़ा था। जिसके बाद धर्मेंद्र उनके परिवार से रंजिश रखता है। शिकायतकर्ता ने कहा कि धर्मेंद्र और उसकी भाभी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की थी जिसके चलते धर्मेंद्र कहीं भी रास्ते में समय मिलते ही आते जाते उसकी भाभी तथा उसके बारे में टीका टिप्पणी करता आ रहा है।
26 जून को शिकायतकर्ता का दोस्त नवनीत बेवल गांव के बस स्टैंड स्थित एक हेयर सैलून से बाल कटवाने के लिए गए थे। जहां धर्मेंद्र भी आ गया आते ही अभद्र व्यवहार करने लगा जिसके चलते नवनीत वह शिकायतकर्ता वहां से घर की ओर आ गए। इसके बाद फिर से शाम को नवनीत तथा शिकायतकर्ता बेवल की बणी में जिम करने के लिए गए थे कि रास्ते में धर्मेंद्र अपने 7-8 दोस्तों को लेकर वहां आ गया और मार पिटाई शुरू कर दी। धर्मेंद्र के साथ पवन, दीपक, महेंद्र पाल, अजय तथा 2-3 अन्य व्यक्ति थे जिन्होंने लोहे के पंचनुमा हथियार लेे रखे थे। उन्होंने शिकायतकर्ता और नवनीत को चोट मारी तथा उसके अन्य साथियों ने लात घुसा से मारा। भीड़ जमा हो जाने से वे भाग खड़े हुए तथा भविष्य में जान से मारने की धमकी दे गए। उधर नवनीत तथा शिकायतकर्ता को नारनौल अस्पताल भर्ती करवाया गया जहां से उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया। दोनों को नारनौल अस्पताल भर्ती करवाया जहां से उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है जांच अभी जारी है।
ग्रीष्मकालीन छुट्टियों के बाद बच्चों को पुन: स्कूल भेजने के लिए तैयार करे मानसिक रूप से अभिभावक
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कनीना की आवाज । ग्रीष्मकालीन अवकाश बच्चों के लिए उनके स्कूली जीवन का सबसे यादगार समय होता है। यह ब्रेक बच्चों के लिए सबसे खुशी के समय में से एक है और इसके बाद सीखने के कई अनुभव भी हो सकते लेकिन जैसे ही छुट्टियों की समाप्ति निकट आती है, बच्चे स्कूल जाने की चिंता से गुजऱने लगते हैं और अब एक जुलाई को पुन: स्कूल खुल रहे है इसलिए प्रत्येक माता पिता अपने बच्चों को मानसिक रूप से तैयार करे यह कहना शिक्षक व समाज सेवी मास्टर राजेश उन्हाणी का है।
उनका कहना है कि माता-पिता के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि उनका बच्चा स्कूल में फिर से प्रवेश करने और अपनी पढ़ाई शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। हालांकि, एक बच्चे के भीतर परिवर्तनों को तैयार करने की प्रक्रिया आसान नहीं है-कुछ के लिए यह तनाव मुक्त हो सकता है जबकि कुछ के लिए यह जटिल हो सकता है।
इसलिए माता-पिता के साथ-साथ बच्चे को बैक-टू-स्कूल चिंता से उबरने और छुट्टियों के बाद अपना स्कूल शुरू करने के लिए माता पिता दिनचर्या को पुनव्र्यवस्थित करे गर्मी की छुट्टियों के दौरान, बच्चे देर तक सोने की स्वतंत्रता का आनंद लेते हैं। उनकी तनाव मुक्त दिनचर्या उन्हें स्कूल के लिए तैयार करने की दिशा में पहला कदम है। यह सुझाव दिया जाता है कि माता-पिता स्कूल के घंटों के अनुसार दिनचर्या में बदलाव करें। यह दृष्टिकोण अत्यंत प्रभावी है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि एक बच्चे को शेड्यूल और अनुकूलन की आदत हो। ऐसा करने में विफलता के परिणामस्वरूप बच्चों को बदले हुए घंटों में खुद को स्थापित करने के लिए भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
अपने बच्चे से स्कूल खुलने की बात करें कोई भी बच्चा कभी भी तारीख से एक रात पहले स्कूल फिर से खुलने की खबर नहीं सुनना चाहेगा। माता-पिता के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने बच्चों से बात करें और उनसे उनकी भावनाओं के बारे में पूछें। माता-पिता और बच्चे के बीच शुरू किया गया एक खुला संचार किसी को यह समझने देगा कि क्या बच्चा उत्साहित है । माता-पिता को अपने बच्चों को अपने स्कूल के फिर से खुलने के बारे में पहले से ही सूचित करना चाहिए। यह प्रक्रिया बच्चे की भलाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
स्कूल में एक किक स्टार्ट सुनिश्चित करने के लिए, बच्चों में उत्साह को प्रोत्साहित करें। उन्हें बाहर निकालें और उन्हें स्कूल के सभी नए आवश्यक सामान - टिफिन बॉक्स, किताबें, बैग, और इसी तरह प्राप्त करें। यह दृष्टिकोण न केवल एक बच्चे की ऊर्जा को बढ़ावा देगा बल्कि, बहुत जरूरी आशावाद को भी शामिल करेगा इसके परिणामस्वरूप, एक बच्चा सकारात्मक मानसिकता के साथ अपने स्कूल की पुन: शुरुआत करेगा जो माता पिता व उनके पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए फायदेमंद रहेगी।
उफ यह गर्मी, हाय यह गर्मी, मौसम ने पैदा की बेशर्मी
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कनीना की आवाज । वर्तमान परिदृश्य में हरियाणा एनसीआर दिल्ली और विशेषकर जिला महेंद्रगढ़ में चारों तरफ़ आमजन के द्वारा बस एक ही बात निकल रही है उफ़ उफ़ गर्मी ,हाय हाय गर्मी, मारेगी गर्मी ,कसुती गर्मी, जानलेवा गर्मी ,कब आएगी बारिश कब मिलेगी राहत क्योंकि सम्पूर्ण इलाके पर उमस और पसीने वाली भीषण गर्मी अपने तीखे तेवरों से आगाज किये हुए है। मौसम विशेषज्ञ डॉ चंद्रमोहन ने बताया कि राजस्थान हरियाणा एनसीआर दिल्ली पर लगातार पश्चिमी हवाओं का आधिपत्य स्थापित है साथ ही अरब सागर की नमी वाली हवाओं का रूख मरूस्थलीय पश्चिमी हिस्से से होता हुआ राजस्थान में प्रवेश हों रहा है जिसकी वजह से नमी और आर्द्रता की मात्रा में बढ़ोतरी दर्ज हुई है साथ ही मरूस्थलीय गर्म हवाओं का मेल हो रहा है जिसकी वजह से राजस्थान हरियाणा एनसीआर दिल्ली में अधिकतर स्थानों पर समुंद्री तटों जैसी मौसम बना हुआ है और उमस भरी पसीने वाली गर्मी अपने चरम शबाब पर है। परन्तु जल्द ही यानि कल से ही दक्षिणी पूर्वी नमी वाली हवाओं का प्रभुत्व होने वाला है जिसकी वजह से उत्तर पश्चिम भारत के राज्यों राजस्थान हरियाणा एनसीआर दिल्ली, उत्तर प्रदेश पंजाब में जैसे ही हवाओं का रुख पूर्ण रूप से बदल जाएगा है वैसे ही जल्द मानसून रफ्तार पकडऩे की प्रबल संभावनाएं बन रही है। उत्तर पश्चिम मैदानी राज्यों में मानसून के लिए परिस्थितियों अनुकूल होती जा रही है। एनसीआर दिल्ली हरियाणा और पजाबं में अच्छी बारिश का दौर 29 जून रात्रि से शुरू हो कर जुलाई के सप्ताहांत तक सम्पूर्ण हरियाणा एनसीआर दिल्ली में बारिश होने की प्रबल संभावनाएं बन रही है । हरियाणा एनसीआर दिल्ली में अभी उमस और पसीने वाली गर्मी से कल 29 जून दोपहर तक राहत नहीं मिलने वाली है। परन्तु दोपहर बाद सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ की वजह से हरियाणा एनसीआर दिल्ली में अधिकतर स्थानों पर मौसम करवट लेने वाला है। सम्पूर्ण इलाके पर बादल अपना डेरा जमा लेंगे और कुछ स्थानों पर रात से ही राहत भरी बारिश के साथ 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने और अंधड़ आंधी चलने साथ ही सिमित स्थानों गरज चमक के साथ पर ओलावृष्टि और साथ ही साथ सम्पूर्ण हरियाणा एनसीआर दिल्ली में 29 जून की रात्रि और 30 जून सुबह से बारिश की गतिविधियों में तेजी आएगी साथ ही हवाओं के रुख बदलने से हरियाणा एनसीआर दिल्ली में मानसून गतिविधियां रफ्तार पकडऩे की प्रबल संभावनाएं बन रही है इस लिए भारतीय मौसम विभाग ने सम्पूर्ण इलाके पर ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी कर दिया है । आज हरियाणा एनसीआर दिल्ली में अधिकतर स्थानों पर बादलों ने डेरा जमा लिया था परन्तु मंगलवार को हरियाणा में बारिश की गतिविधियां देखने को नहीं मिलीं। परन्तु सम्पूर्ण हरियाणा एनसीआर दिल्ली में 29 जून की रात्रि और 30 जून सुबह से ही बारिश की गतिविधियों और साथ ही साथ 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की गतिविधियों को दर्ज किया जाएगा, जिसकी वजह से सम्पूर्ण इलाके से उमस और पसीने वाली उफ़ और प्रचंड भीषण गर्मी से आमजन को राहत मिल सकती है। आज हरियाणा एनसीआर दिल्ली में अधिकतर स्थानों पर अधिकतम तापमान 37.0 डिग्री सेल्सियस से 45.1डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। जबकि जिला महेंद्रगढ़ में आज सुबह से ही उमस और पसीने वाली गर्मी अपने तीखे तेवरों से आगाज किये हुए है जिसकी वजह से सम्पूर्ण इलाके में आमजन आफ़त भरी उफ़ गर्मी कसुती गर्मी से परेशान हैं। आज मंगलवार को दोपहर बाद से बादल वाही देखने को मिलीं परन्तु सम्पूर्ण इलाका शुष्क बना हुआ है। आज जिला महेंद्रगढ़ में नारनौल और महेंद्रगढ़ का अधिकतम तापमान क्रमश 43.4 डिग्री सेल्सियस और 44.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि जिला महेंद्रगढ़ में नारनौल और महेंद्रगढ़ का न्यूनतम तापमान क्रमश: 32.0 डिग्री सेल्सियस और 30.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जो सामान्य तापमान से 6.1 डिग्री सेल्सियस अधिक बने हुए हैं। राजस्थान से लगती सीमा की वजह से उमस और पसीने वाली गर्मी का आगाज इलाके पर अधिक देखने को मिल रहा है। जिला महेंद्रगढ़ में दिन के साथ रातें भी गर्म और शुष्क बनीं हुईं हैं जिला महेंद्रगढ़ पर 29 जून देर रात्रि या 30 जून को सुबह से ही राहत भरी बारिश और तेज गति से हवाएं चलने की और साथ ही साथ आने वाले दिनों में जुलाई की शुरुआत से जिला महेंद्रगढ़ मानसून बारिश से सराबोर होने की प्रबल संभावनाएं बन रही।
धारावाहिक-10
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इंसानों की धर्मशाला के साथ-साथ पशुओं की धर्मशाला भी प्रसिद्ध थी कनीना मंडी की
-पौष सुदी विक्रमी संवत 1998 को रखी गई थी धर्मशालाओं की नीव
- डा.होशियार सिंह यादव/कनीना की आवाज
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यूं तो कनीना का इतिहास अपने हाथ में अजूबा है परंतु कनीना को दूर-दराज तक इसकी विशाल अनाज मंडी के नाम से ही जाना जाता है। कनीना अनाज मंडी में आज के दिन विकास की चकाचौंध पर नाचती नजर आती है और नई अनाज मंडी चेलावास में लगभग बनकर तैयार है किंतु एक जमाना था जब कनीना अनाज मंडी में रेलवे स्टेशन के पास पशुओं की धर्मशाला भी होती थी जो आपने आज ही आप हमें अजीब लगती है। इंसानों की धर्मशाला और पशुओं की धर्मशाला साथ साथ होना उस समय की लोगों की धार्मिक आस्था को इंगित करता है।
वयोवृद्ध कनीना के पालिका के पूर्व प्रधान मास्टर दिलीप सिंह बताते हैं कि गुढ़ा गांव से आये मुन्ना लाल ने पशुओं की धर्मशाला के साथ-साथ इंसानों की धर्मशाला भी बनाई थी। आज वह इंसान स्वर्ग सिधार चुके और उनकी समाधि हाथीखाना के एक कोने में विराजमान है।
कनीना वासियों को आजादी से पूर्व कभी नाभा तो कभी पटियाला और आजादी के बाद पेप्सू रियासतों के बीच जीवन यापन करना पड़ा है। और यह कर्म हरियाणा स्थापना 1966 तक जारी रहा।
पोष सुदी विक्रमी संवत 1998 से पहले एक बार राजा मालविंदर बहादुर कनीना में किसी काम से अपने हाथी पर बैठकर आए थे। सौभाग्य से कनीना रेलवे स्टेशन के पास पहुंचे तो उनकी मुलाकात लोगों से हुई। उन्होंने पूछा कि कहीं इंसानों और पशुओं के ठहरने के लिए जगह है। उस वक्त कनीना मंडी के लाला मुन्नालाल ने आगे बढ़कर कहा कि महाराज अभी तक तो कोई जगह नहीं है किंतु अगली बार जब आप आओगे तो निश्चित रूप से आपको पशुओं को ठहराने के लिए धर्मशाला तथा इंसानों के ठहराने के लिए धर्मशाला मिल जाएगी। बताया जाता है कि उसके बाद धर्मशालाओं का निर्माण किया जहां समय समय पर राजा महाराजाओं ने दौरा किया और इंसानों की धर्मशाला में स्वयं ठहरे जबकि पशुओं की धर्मशाला में उनके हाथी ठहरे। जिस धर्मशाला में हाथी ठहरे थे उसे हाथीखाना नाम दिया गया जबकि इंसानों की धर्मशाला में राजा महाराजा तथा इंसान ठहरे थे। जहां हाथीखाना का महज दरवाजा बचा है बाकी भाग पर अवैध कब्जे तथा खंडहर बना हुआ है जबकि धर्मशाला आज भी विधिवत रूप से चल रही है। धर्मशाला में जहां वर्षों से सेवक भूमिका निभा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 1939 में कनीना मंडी का भव्य गेट रेलवे स्टेशन के पास बनाया गया और अनाज मंडी केें लिए 96 कनाल 15 मरला जमीन उपलब्ध करवाई गई थी। उस वक्त कनीना मंडी की धर्मशाला और पशुओं की धर्मशाला बनाने का कार्य चला था।
अंग्रेजी तारीख 6 दिसंबर 1941 को यहां हाथीखाना अर्थात पशुओं की धर्मशाला और इंसानों की धर्मशाला की नीव रखी। नीव रखते ही यहां पर हलचल बढ़ गई। इस संबंध में पुराने रिकॉर्ड आज भी उपलब्ध है। मंडी के अगले गेट पर जहां पास में राजा द्वारा दान किए हुए मैदान में भी पुराना कुआं और प्याऊ लगी हुई है। यद्यपि जर्जर अवस्था में हैं। मंडी गेट का निर्माण यहां खोदे गये कुएं के जल से करवाया गया था।
उस वक्त राजा द्वारा 60 गुणा 250 फुट का यह एरिया धर्मशाला आदि के लिए दान किया गया था। जहां एक ओर बावड़ी और प्याऊ का निर्माण किया गया था।वर्ष 1948 में जहां इस धर्मशाला में पुलिस चौकी की स्थापना की गई। यद्यपि पुलिस चौकी कुछ समय के लिए रखी जानी थी किंतु पुलिस चौकी न हटाए जाने के चलते तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल को 28 फरवरी 1949 के दिन तार द्वारा धर्मशाला खाली करवाने की प्रार्थना लाला मुन्ना लाल द्वारा अनेकों तार/टेलीग्राम नारनौल, जीएम पटियाला, मुख्यमंत्री से गुहार लगाई गई थी जिनका रिकॉर्ड आज भी उपलब्ध है। 28 फरवरी 1949 के बाद भी चार बार अन्य तार/ टेलीग्रामो द्वारा इसे पुन: खाली करने की बात कही गई थी किंतु बार-बार खाली ने किए जाने पर कार्रवाई जारी रही। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर नेहरू को भी तार प्रेषित किये गये। 2 फरवरी 1951 को फिर से टेलीग्राम भेजकर यह धर्मशाला खाली करवाने की बात कही। 2 फरवरी 1951 तक यह पुलिस चौकी इसी धर्मशाला में जारी रही इसके बाद से कनीनाके वर्तमान थाना परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया। 1952 में जहां धर्मशाला में औषधालय की स्थापना की गई जहां 12 से 15 मरीज रोजाना आते थे जिसका रिकार्ड भी आज तक उपलब्ध है। एक और जहां पशुओं के लिए ठहरने की जगह थी वह इंसानों के ठहरने की धर्मशाला बनाई हुई थी। उस जमाने में आसपास भडफ़,धरसू तथा विवभिन्न गांवों मेें बहुत से पशु मेले लगते थे। महेंद्रगढ़ से रेवाड़ी के लिए जो रेलवे लाइन के लिए जगह निर्धारित की गई थी उस पर रेलवे लाइनें न बिछाई जाने के चलते लोगों का आवागमन, पशुओं का आवागमन उसी रास्ते से जारी रहा। आज भी यह महेंद्रगढ़ से रेवाड़ी तक का कच्चा रास्ता इसराणा के पास से होकर गुजरता है। इसे कुछ जगह पक्का भी कर दियाा गया है। भारी संख्या में लोग थके हारे पशुओं सहित यहां आते थे। पशुओं को हाथी खाने में तथा स्वयं इंसानों की धर्मशाला में विश्राम करते थे। यहां तक कि उस जमाने से मुफ्त धर्मशाला काम कर रही है। कभी कबार अधिक संख्या में लोग धर्मशाला मेें ठहराव करते थे तो उनसे खाना बनवाने में मदद ली जाती थी। यही धर्मशाला का चार्ज समझा जाता था। सभी मिलकर यहां खाना बनाते थे खाकर विश्राम करते थे। उस जमाने में रामभक्त चेलावास से और भेलिया भडफ़ निवासी धर्मशाला का केयरटेकर का काम करते थे। वर्तमान में राजेश कुमार युवक इस धर्मशाला का केयरटेकर का काम कर रहा है। उससे पहले करीब 35 सालों तक राजेश कुमार के दादा हरद्वारी लाल धर्मशाला की देखरेख का कार्य करते थे। 2017 से राजेश कुमार इस धर्मशाला की देखरेख कर रहे हैं। आज भी उस जमाने की धर्मशाला में इंसानों के ठहरने का नियम आदि लगे हुए हैं। यद्यपि धर्मशाला का दो वर्षों पूर्व जीर्णोद्धार कर दिया गया है और बेहतर ढंग की धर्मशाला बनी हुई है परंतु पशु धर्मशाला अर्थात हाथीखाना का केवल गेट बाकी है। उस जमाने भव्य गेट पत्थर तथा कड़ी द्वारा बनाई गई छत स्वर्णिम युग की याद दिलाते हैं। हाथी खाने के एक पुराने पड़े हुए क्षेत्र के एक कोने में लाला मुन्ना लाल की समाधि स्थित है जहां उन्हें दफनाया गया था।
सत्य है कि 1939 में कनीना रेलवे लाइन बिछाई गई, 1942 में रेलवे स्टेशन स्थापित किया गया 1939 में कनीना का बड़ा गेट स्थापित हुआ, 1965 में कनीना मंडी में लाइट आई परंतु उस जमाने का हाथी खाना और धर्मशाला आज भी मन को ममोह रहे हैं। विभिन्न धार्मिक गतिविधियां उस जमाने से 1984 तक पशु धर्मशाला में जारी रही।
रामलीला एवं नाटक मंचन-
जिसे पशु धर्मशाला अर्थात हाथीखाना कहते हैं में रामलीला का मंचन, विभिन्न प्रकार के नाटक मंचन विभिन्न प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम चलते थे। पूरा कस्बा कनीना इन रामलीला का आनंद लेने के लिए पहुंचते थे। मंजे हुए कलाकार यहां रामलीला का मंचन करते थे। लेखक स्वयं भी उस वक्त की रामलीला देखने के लिए छोटी उमर में वहां जाते थे, आज भी उनकी स्मृतियों में रामलीला मंचन घर किए हुए है।
जनसेवा---
पशु धर्मशाला और इंसानों की धर्मशाला में उस समय ही नहीं वर्तमान समय में भी समय समय पर आने की गतिविधियां चलती है। जहां गोगामेड़ी में जाने वाले यात्रियों के लिए खाना दिया जाता है वह भी इसी धर्मशाला में बनता है वहीं विभिन्न अवसरों पर भी धर्मशाला में भोजन आदि का प्रबंध किया जाता है। यह सत्य है कि इस वक्त इक्का-दुक्का यात्री ही यहां ठहराव करता है। ऐसे ही नहीं पास में दूसरी भी धर्मशालाएं हैं जिसके चलते कभी कोई यात्री यहां विश्राम करता है।
धर्मशाला निर्माण के समय कनीना का रेवेन्यू अधिकारी/राजस्व अधिकारी बावल बैठता था। इसलिए उस समय के लाला मुन्नालाल द्वारा लिखे हुए उर्दू के टेलीग्राम मौजूद है जिन का हिंदी रूपांतरण भी करवाया जा चुका है। वास्तव में उस जमाने की हाथी खाना और धर्मशाला अपने आप में महत्व रखते हैं शायद दूर दराज तक का कनीना पहला स्थान होगा जहां पशुओं की धर्मशाला बनाई गई थी। पशुओं की धर्मशाला नाम सुनकर अजीब जरूर लगता है किंतु हाथीखाना जब सुन सकते तो पशु की धर्मशाला भी सुनी जा सकती है। राजा महाराजा भी इन्हीं धर्मशाला में ठहरते थे कितना अजीब संयोग होता था किंतु आज के दिन राजा महाराजा के लिए ठहरने के लिए आलीशान कोठियां होती है इस जमाने को याद कर उन लोगों को याद कर मन प्रसन्नचित्त हो जाता है।
सावधान--
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धारावाहिक -11
धारावाहिक -11 में पढ़ेंगे कनीना के रेलवे स्टेशन का इतिहास।
सभी स्थलों की फोटो साथ हैं।
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