सोमवार को हुआ पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय
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कनीना की आवाज। सोमवार रात को एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने की वजह से कल रात और आज मंगलवार को उत्तरी मैदानी राज्यों विशेषकर राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में अच्छी बारिश दर्ज की गई। वहीं पश्चिमी भागों में भारी बरसात भी दर्ज की गई है, जबकि पंजाब,उत्तरी हरियाणा के हिस्सों में, दिल्ली एनसीआर और पश्चिमी उत्तरप्रदेश में सोमवार दोपहर तक कुछ स्थानों पर बरसात दर्ज की गई है राजकीय महाविद्यालय नारनौल के पर्यावरण क्लब के नोडल अधिकारी डॉ चंद्रमोहन ने बताया कि इस मौसम प्रणाली का प्रभाव हरियाणा के दक्षिणी हिस्सों में कम रहा। अभी सम्पूर्ण मैदानी राज्यों राजस्थान, हरियाणा एनसीआर दिल्ली में पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता मौजूद हैं जिसकी वजह से सोमवार शाम/रात को ताज़ा सक्रिय बादलों का निर्माण पाकिस्तान और साथ लगते भारत के पंजाब, राजस्थान के हिस्सों पर शुरू होगा, देर रात को और बुधवार सुबह के बीच इन इलाकों में फिर तेज़ बारिश के दौर दर्ज किए जायेंगे। कुछ स्थानों पर भारी बारिश के दौर दर्ज किए जा सकते है, मध्य रात्रि से कल दोपहर के बीच पंजाब, हरियाणा, दिल्ली एनसीआर और पश्चिमी उत्तरप्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश और कहीं कहीं तेज़ बारिश के दौर भी दर्ज किए जायेंगे। ।वर्तमान मौसम प्रणाली से हरियाणा एनसीआर दिल्ली में अधिकतर स्थानों पर तापमान में गिरावट दर्ज हुई है और मौसम सुहावना बना हुआ है आज हरियाणा एनसीआर दिल्ली में अधिकतर स्थानों पर अधिकतम तापमान 30.0 डिग्री सेल्सियस से 35.0 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया है। आमजन के मन में अभी प्रश्न है कि कब समाप्त होगा इस मौसमी प्रणाली का असर वर्तमान अध्ययन व विश्लेषण के अनुसार 22 जून के दोपहर तक पश्चिमी विक्षोभ का असर कमजोर हो जायेगा और उत्तर भारत के पर्वतीय और मैदानी राज्यों पंजाब राजस्थान हरियाणा एनसीआर दिल्ली में मौसम फिर शुष्क हो जायेगा। 22 से 28 जून से बीच सम्पूर्ण इलाके में मौसम साफ और गरम और शुष्क हो जायेगा, सम्पूर्ण इलाके में एक बार फिर से तापमान में वृद्धि दर्ज की जाएगी और वातावरण में मौजूद प्रचुर मात्रा में नमी की वजह से उमस और पसीने वाली गर्मी अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देंगी क्योंकि राजस्थान हरियाणा एनसीआर दिल्ली में एक बार फिर से पश्चिमी उष्ण और शुष्क हवाओं का प्रभुत्व स्थापित हो जाएगा। परन्तु आने वाले दिनों में हीट बेव लू नहीं चलेगी। आज जिला महेंद्रगढ़ में मौसम प्रणाली के आंशिक प्रभाव से सुबह से ही सम्पूर्ण इलाके में बादलों ने डेरा जमा लिया और सुबह से ही हल्की बुंदाबांदी और फुहार देखने को मिली जिसकी वजह से सम्पूर्ण जिला महेंद्रगढ़ का मौसम सुहावना बना हुआ है। आज जिला महेंद्रगढ़ में नारनौल और महेंद्रगढ़ का अधिकतम तापमान क्रमश 34.8 डिग्री सेल्सियस और 34.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। जबकि जिला महेंद्रगढ़ में नारनौल और महेंद्रगढ़ का न्यूनतम तापमान क्रमश:24.4 डिग्री सेल्सियस और 25.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है जिला महेंद्रगढ़ में आज मौसम प्रणाली द्वारा 5.0 मिलीमीटर बारिश हुई है ( महेंद्रगढ़ 1.2 , सतनाली 1.0 , नांगल चौधरी,1.0 कनीना 1.0, अटेली 0.5 , नारनौल 0.5,) आज शाम को भी मौसम प्रणाली के प्रभाव से आंधी अंधड़ चलने की गतिविधियों को दर्ज किया गया है रात्रि के दौरान जिला महेंद्रगढ़ में कुछ स्थानों पर प्री मानसून गतिविधियां की संभावना बन रही है।, वर्तमान परिदृश्य के अनुसार मैदानी राज्यों हरियाणा, एनसीआर दिल्ली , राजस्थान और उत्तर प्रदेश के साथ उत्तरी पहाड़ी इलाकों में मानसून का आगाज 29/30 जून से पहले नही होने वाला है ।परन्तु अभी के विश्लेषण और अध्ययन के अनुसार मानसून का फैलाव अभी अधिक नहीं दिख रहा क्योंकि बंगाल की खाड़ी पर अभी कम दबाव का क्षेत्र नहीं बनता नजर नहीं आ रहा है।
कनीना में आठवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस राजकीय महाविद्यालय में मनाया गया
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कनीना की आवाज। कनीना। कनीना में आठवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस राजकीय महाविद्यालय में मनाया गया। इस कार्यक्रम में एसडीएम सुरेंद्र सिंह मुख्यातिथि रहे वही खंड विकास पंचायत अधिकारी बलराम गुप्ता भी मौजूद रहे।
इस मौके पर सैकड़ों लोगों ने योग किया
एसडीएम सुरेंद्र सिंह ने कहा कि योग हमारी संस्कृति का हिस्सा है। यह पुराने जमाने से चला आ रहा है। इसे आगे ले जाने की हम सभी की जिम्मेदारी है। योग हमारे मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध रखता है। योग करने से रोग भी नही आते है वही अपने आप को देखने का मौका भी देता है। मनुष्य को योग अवश्य करना चाहिए ताकि निरोग रह सके। इस मौके पर सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया और योग किया। इस मौके पर ओमप्रकाश बीईओ कार्यालय, नरेश कौशिक, विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थी एवं शिक्षक मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 07: कालेज कनीना में योग दिवस मनाते हुए।
महाविद्यालय में आयोजित हुआ योग दिवस
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कनीना की आवाज। अंतर्राष्ट्रीय योगा दिवस के उपलक्ष्य में राजकीय महाविद्यालय नारनौल के योगा क्लब और एनएसएस यूनिट्स के सानिध्य में और केंद्रीय संचार ब्यूरो, भारत सरकार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, क्षेत्रीय कार्यालय नारनौल के सौजन्य से विस्तार व्याख्यान पेंटिंग प्रतियोगिता व योगा डेमो और योग संबंधी कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय कार्यकारी प्राचार्य डा राष्ट्रपाल की अध्यक्षता में किया गया। जिसमें योग से संबंधित जुड़े लोगों के वक्तव्य, पोस्टर पेंटिंग प्रतियोगिता, शपथ ग्रहण, के आयोजन के साथ योग आसनों का डेमो किया गया और उनके महत्व के बारे में जानकारी दी गई। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में बजरंग जांगिड़, योगाचार्य को बुलाया गया जिन्होंने योग के संबंध में विस्तार से जानकारी दी व अनेक आसनों के महत्व एवं उनके करने की बारे में डेमो भी दिया व इससे जुड़े युवाओं ने कार्यक्रम में विचारों को सुना व योग आसनों का डेमो भी देखा। योगा प्रोटोकॉल के अनुसार उन्होंने प्रार्थना के साथ साथ अलोम विलोम प्राणायाम ,कपालभाति, वृक्षासन ताड़ासन, शीतली प्राणायाम, श्वसन क्रिया, भ्रमरी प्राणायाम, उज्जाई प्राणायाम के अतिरिक्त बीपी शुगर और मानसिक रोगों से बचाव हेतु योग की उपयोगिता के बारे में विस्तार से बताया।
महाविद्यालय योग क्लब के नोडल अधिकारी डा चंद्रमोहन ने बताया कि योग व्यायाम का ऐसा प्रभावशाली प्रकार है, जिसके माध्यम से शरीर के अंगों बल्कि मन, मस्तिष्क और आत्मा में संतुलन बनाया जाता है। यही कारण है कि योग से शारीरिक व्याधियों के अलावा मानसिक समस्याओं से भी निजात पाई जा सकती है। उन्होंने युवाओं से प्रतिदिन योग करने का आह्वान किया व साथ साथ युवाओं को महाविद्यालय में नशे से दूर रहने की प्रेरणा दी व चारित्रिक निर्माण की महत्ता पर प्रकाश डाला और नशा और नशें का कारोबार करने वालों के प्रति सचेत और आवाज बुलंद करने का आह्वान किया व उपस्थित छात्र-छात्राओं को नशा जागरूकता और योग करने की शपथ भी दिलवाई गई। विभाग प्रवक्ता राजेश अरोड़ा ने बताया कि 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दी और 21 जून 2015 को प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया । उन्होंने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वह अपने संपर्क में आने वाले सभी लोगों को योग की महता से अवगत कराते हुए कहां कि योग स्वस्थ जीवन जीने की कला है जो मन, मस्तिष्क व आत्मा में संतुलन करता है। योग के द्वारा अनेक गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है व इसके निरंतर अभ्यास से हमें अनेक प्रकार के फायदे होंगे अत: सभी को योग का प्रतिदिन अभ्यास करते रहना चाहिए व इसे अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाएं।
कार्यक्रम में अनेक योगासनों का डेमो भी दिया गया व इसके फायदों से अवगत कराया गया द्य साथ ही अनेक समस्याओं जैसे बी पी, शुगर, कमर दर्द, गले की समस्याओं व फेफड़ों को सुदृढ़ करने संबंधी आसान व योग के बारे में डेमो दिया गया। इस पैंटिग प्रतियोगिता में डॉ यशपाल और डॉ रिचा कुमारी और डॉ मीना कुमारी ने निर्णायक मंडल की भूमिका निभाई। इस पेंटिंग प्रतियोगिता में करीब 40 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया जिसमें प्रथम सुमन रानी एमएससी, द्वितीय शबनम एमएससी और तृतीय स्थान पर काजल एमएससी रहे जिनको सर्टिफिकेट और पारितोषिक वितरण राजकीय महिला महाविद्यालय नारनौल के प्राचार्य डॉ यशपाल के करकमलों द्वारा किया गया और साथ ही साथ सभी प्रतिभागियों को योगा बुकलेट भी वितरित की गई। इस अवसर पर डॉ हवा सिंह, डॉ सुभाष चन्द्र डॉ सत्य पाल सुलोदिया ने एनएसएस यूनिट्स प्रभारी,डॉ प्रियंका शर्मा ,डॉ रिचा, डॉ पूनम यादव और पूनम के साथ विरेन्द्र कुमार मौजूद थे
फोटो कैप्शन 01 एवं 02: नारनौल कालेज में योग दिवस मनाते हुए तथा छात्राओं को सम्मानित करते प्राचार्य।
योग वह औषधि है ,जो ब्रह्मांड की किसी भी बीमारी को ठीक करने का सामथ्र्य रखती- विक्रम सिंह
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कनीना की आवाज। राजकीय कन्या महाविद्यालय उन्हाणी में प्राचार्य डा विक्रम यादव की अध्यक्षता में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर छात्राओं को योग का प्रशिक्षण पतंजलि योग पीठ जिला प्रभारी जुगबीर सिंह,योग शिक्षिका गीता देवी तथा संजय पीटीआई ने दिया। उन्होंने योग क्रियाओं को क्रियान्वयन कराते हुए उनके लाभों एवं सकारात्मक प्रभावों का विवेचन करते हुए कहा कि योग वह औषधि है जो ब्रह्मांड की किसी भी बीमारी को ठीक करने का सामथ्र्य रखती है। दैनिक जीवन में योग को शामिल करना सबसे स्वास्थ्यप्रद अभ्यासों में से एक है जिसे लोग कभी भी बना सकते हैं। यह न केवल आपको शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाता है बल्कि आपके मन और आत्मा को भी शांत करता आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी।इ इस कार्यक्रम में महाविद्यालय परिवार के सभी स्टाफ सदस्यों ने भाग लिया। प्राचार्य महोदय डॉ. विक्रम यादव ने युवा वर्ग को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में योग का उदय हुआ है और यह स्वस्थ जीवन जीने की कला के तौर पर भी पहचान रखता है. योग शरीर के सभी रोगों की पूर्ण चिकित्सा पद्धति भी माना जाता है। बीते कुछ सालों में योग को लेकर हमारे यहां भी जागरुकता काफी बढ़ गई है और कोरोना के आने के बाद से ही लोग अपनी सेहत को लेकर काफी फ्रिकमंद हो गए हैं और कई लोगों ने अपनी जीवन शैली में योग को शामिल कर लिया है। योगासन सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक प्रगति में भी सहायक माना जाता है। प्राध्यापक वर्ग ने भी ने भी अपने वक्तव्य में कहा कि योग संस्कृत शब्द युज से बना है। योग का अर्थ है व्यक्तिगत चेतना या आत्मा का सार्वभौमिक चेतना या आत्मा के साथ मिलन। योग मानवता के लिए एक उपहार है, और इसे जीवन में जल्दी शुरू किया जाना चाहिए ताकि इस प्राचीन प्रथा के आजीवन लाभों को प्राप्त कर सके। आज का युवा वर्ग तनावग्रस्त हैं। कॉलेजों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा, साथियों के दबाव से निपटना, यौवन का कठिन चरण, पाठ्येतर गतिविधियाँ और माता-पिता और शिक्षकों की अपेक्षाओं को पूरा करना बच्चों के लिए बहुत तनावपूर्ण है। इस दबाव से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है योग का अभ्यास। अभ्यास का आपके शरीर और तंत्रिका, श्वसन और पाचन तंत्र जैसे सिस्टम पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। योग उनकी
भावनाओं और व्यवहार को भी प्रभावित करता है; यह मानसिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और रचनात्मकता में सहायता करता है। जैसे आप बीज बोने से पहले मिट्टी तैयार करते हैं, वैसे ही आपको दिमाग तैयार करने की जरूरत है आदि के बहुत ही रोचक एवं ज्ञानवर्धक जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ. सुधीर यादव, डॉ. सीमा देवी, डॉ. अंकिता यादव, डॉ नीतू, कविता , सीमा, समेश चंद, राजेश, हरपाल, अनिल, मोनू यादव, कंवर सिंह उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 03: उन्हाणी कालेज में योग दिवस मनाते हुए।
बार एसोसिएशन द्वारा मनाया गया योग दिवस
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कनीना की आवाज। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर न्यायालय परिसर कनीना में बार एसोसिएशन कनीना के द्वारा योग दिवस मनाया गया। बार एसोसिएशन के प्रधान दीपक चौधरी ने बताया कि पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट चंडीगढ़ की गाइडलाइन के अनुसार पहली बार कोर्ट परिसर में आठवां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। दीपक चौधरी ने बताया आज हमारा देश योग की वजह से वैश्विक शक्ति के रूप में उभर कर सामने आया है योग से पूरे विश्व को भारत ने मनवाया है, के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 जून 2015 को पहली बार भारत में योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनवाया था ।
योगा ट्रेनर ममता यादव ने आज यह प्रशिक्षण दीया और बताया कि योग करने से शरीर तो स्वस्थ रहता ही है उसके साथ साथ मस्तिष्क भी चिंता रहित रहता है योग को नियमित करने से शरीर के अंदर किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं रहती। इस मौके पर अधिवक्ताओं की रामबास ने बताया कि योग एक साधना है ऋषि मुनियों के द्वारा साधना करके योग का विकास हुआ। इस मौके पर बार के प्रधान दीपक चौधरी, अधिवक्ता ओपी रामबास, मास्टर योगा ट्रेनर एडवोकेट ममता यादव, बार के सचिव सुनील राव,एडवोकेट मनोज शर्मा, पवन यादव, कोर्ट स्टाफ से देवेंद्र नाजिर, प्रदीप कौशिक, विसाल, एडवोकेट शिवचरण, एडवोकेट विनोद,केवल ,बलजीत, बिरेंद्र,अंकुश,ललित ,योगेश उर्फ बंटी, आदि अन्य साथी व बार सदस्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 04: बार कनीना योग दिवस मनाते हुए।
कनीना कालेज में मनाया योग दिवस
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कनीना की आवाज। योग भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा तोहफा है जो भारत ने विश्व गुरु बन कर संसार को दिया है व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए कम से कम एक घंटा प्रतिदिन योग करना चाहिए तभी हम एक सुखद एवं सफल जीवन की आशा कर सकते हैं। उक्त विचार कनीना के उपमंडल अधिकारी नागरिक सुरेंद्र सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर उपस्थित योग साधकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज योग के बलबूते भारत पूरे विश्व में अपनी छाप छोडऩे में सफल रहा है। आठवां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पीकेएसडी कॉलेज कनीना में धूमधाम से मनाया गया जिसमें आयुष विभाग ,शिक्षा विभाग एवं पंचायत विभाग की अहम भागीदारी रही। आज के योग कार्यक्रम में करीब 722 लोगों ने भाग लिया। योग दिवस का शुभारंभ मुख्य अतिथि उपमंडल अधिकारी नागरिक सुरेंद्र सिंह ने दीप प्रज्वलित करके किया मंच संचालन वरिष्ठ प्रवक्ता नरेश कौशिक ने किया तथा बताया कि आठवां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पूरे जिले में पूरे प्रदेश में देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है तथा इसमें साधकों द्वारा योग प्रोटोकॉल का पालन करते हुए योग साधना व विभिन्न आसन प्राणायाम किए गए हैं। पतंजलि योग समिति के जगबीर सिंह यादव योग प्रशिक्षक गीता कुमारी, पूजा कौशिक कनीना के बीडीपीओ बलराम गुप्ता ,वरिष्ठ आयुर्वेद अधिकारी शशि मोरवाल, डॉक्टर नेहा यादव नगर पालिका कनीना के पूर्व प्रधान मास्टर दिलीप सिंह भाजपा मंडल प्रभारी अतर सिंह कैमला, पंचायत सचिव राजपाल यादव लखन लाल कैमरा एनसीसी अधिकारी सुनील कुमार, प्रोफेसर संदीप यादव ग्राम सचिव जितेंद्र सिंह, ओम प्रकाश कौशिक, रााजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल के प्राचार्य आरके धूपिया, प्राचार्य सुविरा यादव हेड मास्टर राजकुमार यादव पड़तल, सुरेश यादव मुख्याध्यापक कन्या उच्च विद्यालय वरिष्ठ प्रवक्ता विजय पाल यादव, सत्यवीर सिंह यादव पड़तल, नितिन मोदगिल, दीपक शर्मा, प्रवीन शास्त्री आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर खंड के सभी स्कूलों के प्राचार्य एनसीसी के कैडेट एवं शिक्षक उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 06: कनीना कालेज में योग मनाते हुए।
गांव रामबास योग की क्रियाएं करवाई गई
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कनीना की आवाज। अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के शुभ अवसर पर कनीना खंड के गांव रामबास की सुनीता देवी ने छोटे छोटे बच्चों को योग की अनेकों क्रियाएं करवाई व उनका महत्व भी विस्तार से बताया। कपालभाति, भ्रामरी, ताडासन, उष्ट्रासन,शलभासन तथा जोगिंग इत्यादी आसन करवाए। उन्होंने बताया की भारतीय संस्कृति का में प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों के द्वारा योग व आयुर्वेद के महत्व को समस्त दुनिया ने अपनाकर अपने जीवन को सफल किया है। बड़ी से बड़ी बीमारियों का निर्वाण योग के द्वारा ही संभव हो सकता है। इसलिए हर बच्चे, जवान,बुजर्ग को निरन्तर योग करना चाहिए। इस अवसर पर सचिन, चरण सिह, साहिल, हर्ष, मोहित, सोनू मुनेश इत्यादि अनेकों बच्चों ने भागीदारी की।
फोटो कैप्शन 05: रामबास में योग क्रियाएं करवाते हुए सुनीता।
धारावाहिक-05
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कान्ह सिंह के गोत्र कनीन के नाम पर पड़ा कनीना का नाम
-चूंकि कान्ह सिंह का गोत्र कनीन था जो बाद में कनीनवाल बन गया
--डा होशियार सिंह यादव- कनीना की आवाज
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कहां गए वो लोग?
प्राण न्यौछावर कर दिए, देश प्रेम का था अजीब रोग।
शहीदों के लिए समय नहीं, कहां गए अब वो लोग।
करीब 800 वर्ष पूर्व कान्हा और बुधा दो भाई कनीना की पावन भूमि पर आए। दोनों भाइयों में अनमिट प्यार था जिसके चलते कान्हा ने कनीनवाल गोत्र का कनीना बसाया और बुधा ने दूर जाकर बूढ़वाल बसाया। कान्हा के गोत्र कनीन के नाम पर गांव कनीना नाम पड़ा । उनका दूर दराज तक का क्षेत्र था। आज भी कनीना के लोगों का गोत्र कनीनवाल है। समय बदलता गया और यहां सरदार जोध सिंह आए जो अति बलशाली होने के साथ-साथ दबंग भी थे। उन्होंने अपनी धाक के झंडे गाड़ दिए और करीब 40 गावों पर अपनी धाक जमा ली। सभी ग्रामीण उन्हीं के पदचिह्नों पर चलते थे। उनके पश्चात चौधरी माधो सिंह हुए जिन्होंने सदा व्रत लगाया और क्षेत्र में अपना नाम कमाया। यही नहीं चौधरी हरभज सिंह ऐसे योद्धा थे जो किसी से हार नहीं मानते थे। उनके सिर कट सकते थे परन्तु झुके नहीं सकते थे। यही कारण था कि जयपुर के राजा के विरुद्ध उनका युद्ध क्या हुआ, लगातार 12 वर्षों तक लड़ते रहे। हार नहीं मानी और उन्हें हराकर ही दम लिया। ऐसे बहादुरों का गांव अब बदहाल क्यों?
सदाव्रत लगाने वाले, युद्ध में आगे बढऩे वाले, जिनकी बुद्धि-बल था अमोघ।
वीरों को अब याद नहीं करते, वीरों को याद करने वाले, कहां गए वो लोग।
समय बदला। मुगलों का राज आया कनीना क्षेत्र के वीरों और रणबांकुरों में कमी नहीं आई। कनीना के हरजीमल हुए जिन्होंने अपने विरुद्ध आंखें दिखाने वाले राजपूतों को कुचल डाला जिससे प्रसन्न होकर मुगल बादशाह ने उन्हें 10 परगनों का सरदार नियुक्त किया गया। उनकी बहादुरी से मुगल और राजपूत ताउम्र परिचित रहे। हरजीमल कुल में आगे चलकर हरसेवक का उदय हुआ जिनके नाम के डंके तो दूर दराज तक बजे थे। क्योंकि कनीना के बहादुर लोग किसी से डरे नहीं यही वजह थी कि उनको कुचलने के लिए खानजादा करीब 500 घुड़सवार लेकर युद्ध करने कनीना आ पहुंचा। हरसेवक के विरुद्ध जमकर युद्ध हुआ। धीरे-धीरे खानजादा की फौज कम हो गई। हारता देख खानजादा युद्ध से भाग खड़ा हुआ और हरसेवक की जीत हुई। हरसेवक को हराने के लिए कान्हौर निगाना के बदमाशों की टुकड़ी कनीना की ओर आ रही थी जिसे हरसेवक व उनके साथियों ने पीट पीटकर वापस भेज दिया।
'एक से बढ़कर एक शूरवीर जन्में इस मिट्टी ने,
कभी नहीं दुश्मन से हारे, कहते हें इसे संयोग।
आज उन वीरों की कुर्बानी को भूला रहे क्यों,
उन वीरों को नमन करने वाले कहां गए लोग।
कुछ समय बीता था। हरसेवक को नीचा दिखाने के लिए जाखड़ का एक सरदार एक बदमाशों की टोली लेकर आया। हरसेवक ने अपने भाई गुमानीराम को बदमाशों से लडऩे के लिए भेजा। गुमानीराम कनीना से करीब 3 किलोमीटर दूर उतर में बदमाशों से जा टकराया। गुमानीराम इतना बहादुर था कि उसने बदमाशों के सरदार को ही मार गिराया। यह घटना देख बदमाशों के होश उड़ गए और भाग कर जान बचाई। अपने अस्त्र शस्त्र भी वहीं डालकर भाग गए। बहादुरी के किस्से यहीं नहीं रुके अपितु गुमानीराम को मांढ़ण की लड़ाई में राव मित्रसैन ने आमन्त्रित किया। गुमानीराम साथियों सहित युद्ध में पहुंचा और उन्हें विजय दिलवाई। अब तो कनीना के लोगों की ख्याति इतनी फैली की 1753 में कनीना के जालान मोहल्ला के चौ. रूपराम को पूना में राजा माधोराम पेशवा ने उन्हें फौज का सरदार बनाया। पूना में सतपुड़ा पहाड़ पर भीलों का सफाया करके तथा निजाम हैदराबाद के किला खरेड़ा पर विजय के झंडे गाड़ दिए। पेशवा इतने प्रसन्न हुए कि 18 लाख रुपये जागीर व 52 किलो की रक्षा का भार सौंपा। यही नहीं अपितु 1761 में जब चौधरी रूपराम की मृत्यु हुई तो उनका छोटा पुत्र गद्दी पर बैठा। 1761 में ही यह रियासत अंग्रेजों के हाथ आ गई। जब 1857 का गदर हुआ तब कनीना नाभा के राजा के अधीन था। सिख राजा नाभा ने भी कनीना को विशेष दर्जा दे रखा था।
'परहित में मग्न समय का वीर करते उपयोग,
शुद्ध शाकाहारी भोजन दूध-घी का करते उपयोग।
वीरों को भुलाने वाले मांस सुरा अब करे उपयोग,
वीरों की याद ताजा करे, कहां गए वो लोग?
समय बदला अंग्रेजों का शासन आया। परन्तु यहां के वीरों में कमी नहीं आई। प्रथम विश्वयुद्ध द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों ने मेजर भवानी सिंह, जमादार भैरो सिंह, सूबेदार छाजूराम, सूबेदार बुधराम, सूबेदार प्रभाती लाल जैसे वीरों को जंगी इनाम से नवाजा और बहादुरी की प्रशंसा की। उनके द्वारा तुर्की सेना को हराने के कारण अंग्रेज उनकी बहादुरी के कायल रहे। तुर्की सेना के उन्होंने छक्के छुड़ाए। तत्पश्चात आजादी की लड़ाई में तथा नेताजी की फौज में मंगल सिंह, गणेशी लाल, गंगाराम व नेतराम ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाए। भवानी सिंह को कनीना के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। 1962, 1965, 1971 के युद्धों में तथा आतंकवाद को मिटाने में शहीद शेर सिंह, शहीद रामकुमार, शहीद सुमेर सिंह, शहीद अशोक कुमार, शहीद सुजान सिंह, शहीद लालसिंह ने बहादुरी के झंडे गाड़ दिए और अशोक चक्र व शौर्य चक्र एवं वीर चक्र हासिल कर सिद्ध कर दिया की कनीना के वीर कुछ कम नहीं हैं।
'कारगिल हो या विश्वयुद्ध, कनीना के वीरों का अमिट उद्योग।
वीरों को श्रद्धा से याद करे, कहां गए वो महान लोग।
समय बदला अंग्रेजों का शासन आया। परन्तु यहां के वीरों में कमी नहीं आई। प्रथम विश्वयुद्ध द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों ने मेजर भवानी सिंह, जमादार भैरो सिंह, सूबेदार छाजूराम, सूबेदार बुधराम, सूबेदार प्रभाती लाल जैसे वीरों को जंगी इनाम से नवाजा और बहादुरी की प्रशंसा की। उनके द्वारा तुर्की सेना को हराने के कारण अंग्रेज उनकी बहादुरी के कायल रहे। तुर्की सेना के उन्होंने छक्के छुड़ाए। तत्पश्चात आजादी की लड़ाई में तथा नेताजी की फौज में मंगल सिंह, गणेशी लाल, गंगाराम व नेतराम ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाए। भवानी सिंह को कनीना के संस्थापक के रुप में जाना जाता है। 1962,1965,1971 के युद्धों में तथा आतंकवाद को मिटाने में शहीद शेरसिंह, शहीद रामकुमार, शहीद सुमेरसिंह, शहीद अशोक कुमार, शहीद सुजानसिंह, शहीद लालसिंह ने बहादुरी के झंडे गाड़ दिए और अशोक चक्र वीर चक्र, व शौर्य चक्र हासिल कर सिद्ध कर दिया की कनीना के वीर कुछ कम नहीं हैं।
'कारगिल हो या विश्वयुद्ध, कनीना के वीरों का अमिट उद्योग। कनीना के अर्जुन सिंह तथा जयनारायण लाठी चलाने जिसे पटे के अच्छे खिलाड़ी थी। दोनों का नाम अबोहर में विशेष रूप से लिया जाता है। कनीना की अर्जुन सिंह की ताकत को जानने वाले आज भी उन्हें याद करते हैं।
वीरों को श्रद्धा से याद करे, कहां गए वो महान लोग।
समय बदला अंग्रेजों का शासन आया। परन्तु यहां के वीरों में कमी नहीं आई। प्रथम विश्वयुद्ध द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों ने मेजर भवानी सिंह, जमादार भैरो सिंह, सूबेदार छाजूराम, सूबेदार बुधराम, सूबेदार प्रभाती लाल जैसे वीरों को जंगी इनाम से नवाजा और बहादुरी की प्रशंसा की। उनके द्वारा तुर्की सेना को हराने के कारण अंग्रेज उनकी बहादुरी के कायल रहे। तुर्की सेना के उन्होंने छक्के छुड़ाए। तत्पश्चात आजादी की लड़ाई में तथा नेताजी की फौज में मंगल सिंह, गणेशी लाल, गंगाराम व नेतराम ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाए। भवानी सिंह को कनीना के संस्थापक के रुप में जाना जाता है। 1962,1965,1971 के युद्धों में तथा आतंकवाद को मिटाने में शहीद शेरसिंह, शहीद रामकुमार, शहीद सुमेरसिंह, शहीद अशोक कुमार, शहीद सुजानसिंह, शहीद लालसिंह ने बहादुरी के झंडे गाड़ दिए और अशोक चक्र वीर चक्र, व शौर्य चक्र हासिल कर सिद्ध कर दिया की कनीना के वीर कुछ कम नहीं हैं।
'कारगिल हो या विश्वयुद्ध, कनीना के वीरों का अमिट उद्योग।
वीरों को श्रद्धा से याद करे, कहां गए वो महान लोग।
कनीना की बणियों एवं जोहड़ों का इतिहास-
कनीना की अधिकांश बणियों का अस्तित्व खतरे में हैं। कनीना क्षेत्र में विभिन्न सरकारी जंगलों (बणियों) में अवैध कब्जा बढ़ता ही जा रहा है। चारों ओर से किसानों ने पेड़ काट काट कर जंगलों का विनाश कर दिया है। कनीना की बड़ी बणी, छोटी बणी, मानका वाली बणी, रनास वाली बणी सभी लगभग समाप्त होने के कगार पर हैं। सरकार को पैमाइश करवा कर समस्त सरकारी जमीन अपने कब्जे में लेनी चाहिए। पेड़ों की कटाई करने वालों पर भी कार्रवाई की जाए। कुछ जन अवैध पक्के मकान बनाकर बिजली कनेक्शन, पानी आदि सभी सुविधाएं लेकर के सरकार को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
कनीना पालिका के करीब 335 कनाल 16 मरला जमीन कृषि योग्य है वहीं कोटिया गांव के पास रणास की बणी 32 कनाल पांच मरला है जहां सीवर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लग चुका है वहीं बड़ी बणी करीब 800 कनाल की है जिसमें से 58 एकड़ डीएवी को 99 सालों के पट्टे पर, पांच एकड़ गौशाला के लिए तथा दस एकड़ वन विभाग एवं वाटर सप्लाई हेतु दिया हुआ है, 115 प्लाट भी बने हुए हैं। करोड़ों की लागत से कान्ह सिंह पार्क भी बना है। पीपलावाली बणी 125 कनाल, मानका वाली बणी एक एकड़ आठ मरला 82 कनाल, दस मरला है।
सभी बणियां चारों ओर से पेड़ काटकर संकीर्ण बना डाली हैं वहीं अवैध निर्माण करके बिजली पानी कनेक्षन भी ले रखे हैं। जंगली जीव लुप्त हो गए हैं वहीं जंगलों के एक सिरे से दूसरे सिरे तक आर पार देखा जा सकता है। इनकी पैमाइश करवाकर पौधारोपण करवाने की मांग बढऩे लगी है। लोगों का कहना है कि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया तो वो दिन दूर नहीं जब एक इंच जगह भी बणियों की नहीं बच पाएगी।
आलम यह है कि जब भी कोई कार्यालय इन बणियोंं की जगह बनाये जाने की सोची जाती है तो वहां मौके पर जमीन उपलब्ध नहीं हो पाती है या जोहड़ बने दिखाये जाते हैं।
कनीना के जोहड़ों का इतिहास-
यूं तो कनीना की बावनी भूमि मानी जाती थी जिसका अर्थ है 52000 हेक्टेयर। इस जमीन पर जोहड़ों एवं बणियों की कोई कमी नहीं थी। होली वाला जोड़ आज भी प्रसिद्ध होलिका दहन किया जाता है। कनीना के अस्पताल के पास का जोहड़ 16 कनाल 7 मरला में होता था इसी प्रकार कनीना का पीपला/पीपल वाला जो आज भी प्रसिद्ध है। कभी साफ पानी से भरा होता था। साल्हा वाली जोहड़ी 3 एकड़ में स्थित है वहीं मोलडऩाथ जोहड़ 9 कनाल 13 मरला में स्थित है। सिरस वाला 2 एकड़ जमीन पर स्थित है वहीं भैया वाला जोहड़ 9 कनाल 8 कनाल 9 मरला जमीन पर है। इसी प्रकार गुहली जोहड़ी आधा एकड़ में स्थित है वही रणास वाला जोहड़ 8 कनाल 19 मरला में स्थित है। मानका का जोहड़ 82 कनाल 10 मरला में स्थित है। सभी जोहड़ चहुं ओर से जाल के पेड़ों से आच्छादित होते थे, सघन जाल उनके अंदर घुसना भी कठिन होता था। यहां अनेक प्रकार के फल एवं सब्जियों भी मिलती थी वहीं जड़ी बूटियां भी पर्याप्त मात्रा में होती थी। लोग जाल के फल पील खाते थे जोहड़ में स्नान करते थे और जोहड़ का ही पानी कई बार पीने के काम में लेते थे। कैरों से टींट एवं पीचू प्राप्त होते थे, चौलाई की भरमार होती थी। सारे ही जोहड़ अपने आप में प्रसिद्ध रहे हैं लेकिन इन सभी में अगर देखा जाए संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ का जोहड़ बहुत प्रसिद्ध रहा है।
कालरवाली जोहड़--
कस्बा कनीना यूं तो जोहड़ों का कस्बा नाम से जाना जाता है। जहां कनीना के प्रादुर्भाव से पहले कालरवाली जोहड़ का नाम एक है। वर्तमान में कस्बा का अधिकांश पानी सहेजे हुए हैं। कभी शुद्ध जल से भरा हुआ यह जोहड़ दूर दराज तक प्रसिद्ध था जिसके जल का लोग आचमन करके इसके तट पर पूजा अर्चना करते थे। कालांतर में इसका जल गंदे जल से तबदील हो गया। यद्यपि एसटीपी(सीवर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट) के निर्माण के बाद से इस जोहड़ का जल फसल उत्पादन में सबसे अधिक काम में लाया जा रहा है।
एक वक्त था जब कस्बा कनीना में छोटी बणी कालरवाली जोहड़ से शुरू होकर संत शिरोमणि मोलडऩाथ और बस स्टैंड तक पहुंचती थी। यहां पर दामोदरदास की कुई होती थी। दामोदरदास एक संत होते थे जिन्होंने जोहड़ के किनारे तप स्थल बनाया था और जल के लिए कुआं खुदवाया था। जिनके यहां से प्रस्थान के बाद कुआं भी समाप्त हो गया है किंतु अवशेष आज भी उपलब्ध हैं। कालरवाली जोहड़ के तहत करीब 20 एकड़ जमीन होती थी। यह जोहड़ इसलिए कालरवाली नाम से पुकारा जाता है क्योंकि इस का जल कल्लर /कालर होता था जो फसल के लिए ज्यादा कारगर नहीं था। वैसे भी स्थान पर बहुत अधिक कंकर होते थे। यह स्थल के चारो ओर कैर और जाल आदि के भारी संख्या में पेड़ होते थे। कनीना बसासत के समय महात्माओं का आगमन और डेरा रहा। दामोदरदास वाली कुई पर लोग नहाते थे और आराम भी करते थे। तत्पश्चात इस जोहड़ के किनारे बुजुर्गों ने विशेषकर नगर पालिका के पूर्व कर्मी स्व. मंगल सिंह ने यहां न केवल पीपल के पेड़ लगाए अपितु दिन रात सेवा की। आज वो पीपल के पेड़ भी इस जोडऩे ने लील लिये है। कम से कम एक दर्जन बड़े पेड़ इस जोहड़ में समा गए हैं। इस जोहड़ के किनारे बुजुर्ग रघुबीर सिंह(पूजा के बल पर भगत जी कहते थे), चौ. तारा सिंह आदि जोहड़ का आचमन करते थे और इसके तट पर घंटों पूजा अर्चना करते थे। यहां पर गाय इक_ी होती थी। कनीना में तीन स्थलों स्कूल, होली वाला जोहड़ और कालरवाली जोहड़ पर 100 से 200 गाये ठहरती थी। वे भी इसी का जल पीती थी। वन्य जीव जंतु इस जोहड़ का पानी पीते थे। साफ-सुथरा पानी होने के कारण पानी का उपयोग किया जाता था। लंबे समय तक बारिश का पानी सहेजता था। उस वक्त बारिश अधिक होने के कारण भी इस जोहड़ में पानी अधिक ठहरता था।
यह शुद्ध पानी का जोहड़ सैकड़ों सालों तक शुद्ध जल धारण करने के बाद कालांतर में गंदे पानी के जोहड़ में तब्दील कर दिया गया। नगर पालिका की ओर से कस्बा कनीना के संपूर्ण नाले और नालियों का जल होलीवाला और कालर वाली जोहड़ में डालने की योजना बनी और यहां गंदा जल भरने लगा लेकिन शिविर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लग जाने से इस जोहड़ में सहेजा हुआ गंदा पानी भी बेशकीमती बन गया है। जोहड़ से 3 किलोमीटर दूर रणास वाली बणी में शिविर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगा दिए जाने के बाद इस जोहड़ का पानी वर्तमान पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने एसटीपी तक पहुंचाने की नई योजना बनाई और उसे सिरे चढ़ा दिया है। पानी को पाइपों द्वारा एसटीपी तक ले जाया जाता है जहां शोधित पानी को किसानों को आपूर्तित किया जाता है। वर्तमान में इस जोहड़ का जल धीरे-धीरे काम होता जा रहा है, वरना इस जोहड़ कम जल कम होने का नाम नहीं लेता था।
कस्बा कनीना के पुराने जोहड़ों में कालरवाली का भी एक नाम है। जोहड़ का जल आसपास के कैरों और जालों में रहने वाले वन्य प्राणी भी प्रयोग करते थे। आज न तो बणी बची हैं और न पुराना कुआं। अपितु अतिक्रमण के चलते जोहड़ का अस्तित्व ही समाप्त होने के कगार पर है। आने वाले समय में जोहड़ एक छोटे तड़ाग में तबदील होने की संभावना बन गई है।
होलीवाला जोहड़--
कनीना के रेवाड़ी मार्ग पर करीब 800 सालों से होलीवाला नामक जोहड़ पानी सहेजे हुए है। कभी साफ पानी भरा होता था किंतु अब यह गंदे पानी से भरा है। वर्तमान में काई/शैवाल जमा हुआ है और गंदा पानी महज रिचार्ज के काम आ रहा है। 30 सालों पहले इस जोहड़ में गर्मियों में स्नान किया जाता था तथा पशुओं को पानी पिलाया जाता था। गर्मियों के समय भारी भीड़ मिलती थी।
पूर्वजों के वक्त से कनीना के इस जोहड़ पर ही होलिका दहन किया जाता रहा है। ऐसे में जोहड़ का नाम होली के कारण होलीवाला पड़ा है किंतु वर्षों पूर्व इस जोहड़ के बीचोंबीच बड़ा रास्ता था। एक ओर का जोहड़ पीलिया जोहड़ तो दूसरी ओर का जोहड़ होलीवाला नाम से जाना जाता था। पीलिया जोहड़ का पानी अति साफ होने के कारण जन पीते थे। समय बीतता गया और जोहड़ के बीच का मार्ग भी पानी भरकर खत्म हो गया। अब केवल इसमें गंदा जल भरा हुआ है और यह समस्या बना हुआ है।
पूर्वजों के समय से ही यहां होली का दहन किया जाता रहा है। कभी बारिश का साफ पानी भरता था परंतु समय ने करवट ली और पालिका कनीना ने संपूर्ण कस्बा को दो भागों में बांटकर गंदा पानी जमा किया जाने लगा। आधे कस्बा का होलीवाला तो आधे कस्बा का कालरवाली जोहड़ में पानी इकट्ठा करके जल शोधित केंद्र तक ले जाया जाने लगा। एक समय ऐसा था कि इस जल को फसलों के लिए भी प्रयोग किया गया। मत्स्य पालन में परेशानी होने से यह कार्य बाधित रहा।
मोलडऩाथ जोहड़-
कस्बा कनीना ऐतिहासिक जोहड़ का अब पुनरुद्धार लगभग हो चुका है। सैकड़ों वर्षों से वर्षा जल को सहेजा था, बाद में मलिन पानी भर दिया किंतु अब इसे वर्षा जल के अलावा साफ पानी से भरा जाएगा और संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ आश्रम नाम से जाना जाएगा। तत्पश्चात सैलानियों को भी आश्रम एवं जोहड़ आकर्षित करेगा। कभी यहां छोटी बणी होती थी जिसकी एक दर्जन जाल आज भी पौराणिकता को इंगित करती हैं।
जोहड़ का सौंदर्यीकरण का काम लगभग पूर्ण हो चुका है। 28 लाख लागत आई है। मोलडऩाथ आश्रम के पास के करीब एक दर्जन धार्मिक स्थलों को सीधे जोहड़ से जोड़ा गया है। जिस प्राकृतिक जोहड़ के पास बैठकर तप करते थे उसको एक बार फिर से पानी से भरा जा रहा है। इस बार पक्की चारदीवारी भी बनाई जा चुकी है। इस जोहड़ की ऐतिहासिकता को देखते हुए साफ पानी से भरने के लिए दो साल पूर्व एक मुहिम शुरू की थी जिसके तहत पालिका प्रधान ने जोहड़ का पुनरुद्धार शुरू करवाया था। छह माह से अधिक समय से इस जोहड़ पर काम चलता रहा । अब इसकी चारदीवारी बनाकर साफ पानी से भरने का निर्णय लिया है।
मोलडऩाथ का तप स्थल है जोहड़-
जाल के पेड़ों से आच्छादित यह जंगल में जोहड़ होता था। लेखक डा एचएस यादव की पुस्तक संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ के अनुसार संत मोलडऩाथ इस जोहड़ के किनारे बैठकर तप करते थे। यह जोहड़ साफ पानी से भरा होता था। जीव जंतु यहां विचरित करते थे। 72 साल पहले यहां मोर और गीदड़, कबूतर, चिडिय़ा और नाना प्रकार के जीव जंतु बाबा के आसपास घूमते रहते थे। संत इसी जोहड़ का पानी पीता था। इसी पानी से स्नान करता था। जब जल समाधि लेनी होती तो समाधि भी लेते थे। कालांतर में बणी समाप्त कर दी।
परंतु कनीना बस स्टैंड स्थापना के बाद इस जोहड़ को मलिन कर दिया था और अब इसका पुनरुद्धार किया गया है। जोहड़ और बाबा की आस्था को ध्यान में रखते हुए इसका पुनरुद्धार किया गया है ताकि आने वाले समय में लोग जोहड़ के दर्शन कर सके और बाबा की यादों में खो जाए। वर्तमान में इस जोहड़ की खुदाई करके चारदीवारी बनाई जा चुकी है। यहां पास में ही खाटू श्याम मंदिर 2019 में निर्मित हुआ था जिसके लिए खाटू तालाब की आवश्यकता होती है। ऐसे में यह जोहड़ खाटू श्याम मंदिर के तालाब का काम भी करेगा।
सांस रोकने की क्षमता थी बाबा में-
बाबा मोलडऩाथ विक्रमी संवत 2006 में ब्रह्मलीन हो गये थे किंतु संत को पानी में समाधि लगाने की क्षमता थी। समाधि लगाकर लंबे समय ठहरने की होड़ सिरसवाला जोहड़ में लगी थी। जहां बाबा रामेश्वरदास जोहड़ से जल्दी बाहर आ गये थे और बाबा मोलडऩाथ अधिक देर रहे थे जिसके चलते उन्हें निमोनिया हो गया था। बाद में वे ब्रह्मलीन हुये।
क्या क्या हैं योजनाएं-
यह जोहड़ साफ पानी से भरने की योजना है जो पानी को सहेजेगा। इसके पेंदे में एक बोर करवाया गया है ताकि जल का रिचार्ज होता रहे। करीब 28 लाख की लागत से नगरपालिका इस जोहड़ को एक तरफ से खाटू श्याम तो दूसरी ओर से शिवालय,सीताराम मंदिर, हनुमान मंदिर, शिर्डी के मंदिर, शनिदेव मंदिर, माता मंदिर, मोलडऩाथ आश्रम, राधाकृष्ण मंदिरों को जोहड़ के किनारे उतरने का प्रबंध किया जाएगा। आपस में एक पुल से जोड़ा गया है ताकि कोई भी श्रद्धालु आये वो तालाब के दर्शन कर सके। नहर से जोहड़ को जोडऩे के प्रयास किये जाएंगे। यह पानी को सहेजेगा, रिचार्ज भी करेगा तथा पानी को विभिन्न कामों में लिया जाएगा। लाखों लीटर पानी स्टोर होगा।
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धारावाहिक -06
धारावाहिक -06 में पढ़ेंगे कनीना के मठों का इतिहास। जल्द ही कनीना की आवाज ब्लाग में। कनीना का मठ मोहल्ला नाम क्यों पड़ा तथा क्या है इतिहास पढ़े आगामी अंक में।
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