Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Friday, June 17, 2022

 
केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के विरोध में  कनीना क्षेत्र के सैकड़ों युवाओं  व छात्रों का फूटा गुस्सा
- 5 घंटों तक सड़क मार्ग रखा जाम, दिया एसडीएम को ज्ञापन
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कनीना की आवाज । अग्रिवीर मुद्दे को लेकर कनीना में सेकड़ों युवक कनीना-महेंद्रगढ़ मार्ग पर जराम लगाकर सड़कों पर बैठ गये। सरकार विरोधी नारे लगाये तथा एसडीएम कनीना सुरेंद्र सिंह के एक ज्ञापन भी दिया। वे करीब 5 घंटे धरने पर बैठे रहे। वाहन चाल अपने वाहनों को वैकल्पिक मार्गों से निकालते देखे गये तथा वाहनों की लंबी कतार लग गई।
एसडीएम सुरेंद्र सिंह औरडीएसपी राजीव कुमार मौके पर दल बल सहित पहुंचे तथाछात्रों को काफी समझाने का प्रयास किया लेकिन युवा नही माने।
बाद में कुछ छात्रों ने एसडीएम सुरेंद्र सिंह को  रक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जिसमें अग्निपथ योजना को बंद करने की मांग की है। वही अन्य भर्तियों में तीन साल की छूट देने तथा कई भर्तियों का रिजल्ट घोषित करने की मांग की है।
युवक एवं छात्र सुबह 10 बजे से रेवाड़ी  महेंदरगढ़ सड़क मार्ग पर  कनीना बस स्टैंड के सामने जाम लगाकर बैठ गये। लाख समझाया किंतु वे नहीं माने।
एसडीएम सुरेंद्र सिंह,डीएसपी राजीव कुमार, तहसीलदार नवनीतकौर सहित कनीना सदर थाना प्रभारी ब्रह्मप्रकाश, सिटी थाना प्रभारी मूल चंद सहित अन्य अधिकारीगण व पुलिस स्टाफ मौजूद रहा। करीब तीन बजे एसडीएम मौके पर पुन: पहुंचे और उन्हें समझाया। छात्रों ने एक ज्ञापन एसडीएम को मौके पर ही दिया और जाम हटाया।
फोटो कैप्शन 2: जाम स्थल पर युवक अग्रिवीर मुद्दे पर ज्ञापन देते हुए।



 21 जून को मनेगा योग दिवस
-अध्यापक रहेंगे उपस्थित
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कनीना की आवाज। 21 जून को कनीना के राजकीय महाविद्यालय प्रांगण में प्रात:छह बजे से सुबह 8 बजे तक योग दिवस मनाया जाएगा जिसमें विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थी भाग लेने सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। साथ में उस स्कूल के समस्त अध्यापक भी इस दिन हाजिर रहने का आदेश दिया है। खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रेषित पत्र में कहा गया है कि कनीना मंडी, उच्च विद्यालय कनीना,  सरकारी स्कूल भोजावास कनीना मॉडल स्कूल, वरिष्ठ स्कूल करीरा एवं धनौंदा, उच्च विद्यालय भडफ़ एवं उन्हाणी, इंडियाना स्कूल भोजावास, मॉडर्न स्कूल भोजावास और सरस्वती स्कूल भडफ़ के विद्यार्थी भाग लेंगे।





लंबे समय तब चली गर्मी एवं तपन ने झुलस डाले हरे पेड़ पौधों को
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कनीना की आवाज।
क्षेत्र में लंबे समय तक भीषण गर्मी और तपन पढऩे से गमले में लगे पेड़ पौधे ही नहीं बड़े बड़े पौधों को भी सूखा डाला है। इनको देख कर लगता है की गर्मी अधिक पड़ी थी।
 कनीना के डा वेदप्रकाश ने बताया कि उन्होंने फलदार पौधों का बाग लगा रखा है किंतु बाग के फलदार अधिकांश पौधे गर्मी से प्रभावित हुए हैं। बहुत से बड़े बड़े पौधे भी सूख गए हैं। यहां तक की उनका सेब,आम आाडू देने वाले पौधे भी सूख गए हैं। यही हालत रही तो अन्य पौधे भी सूख जाएंगे। उन्होंने बताया कि पहली बार उनके बगीचे में इस प्रकार पेड़ पौधों पर बुरा प्रभाव पड़ा है।
 अभी भी बारिश न होने के चलते तपन जारी है और पेड़ पौधों पर इसका कुप्रभाव पड़ रहा है जो पौधे पूूर्णरूप से सूखे नहीं उनके बहुत से पत्ते झुलस गए हैं। आड़ू के पौधों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है। नींबू के पौधे भी सूख गए हैं।उन्होंने बताया कि लगातार पानी दे रहे हैं फिर भी पौधों को नहीं बचा पाए।
 फोटो कैप्शन 03: डॉ वेद के फलदार पौधों के पार्क में सूखे हुए पेड़।


 

 क्षेत्र में हुई हल्की बूंदाबांदी
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कनीना की आवाज।
। यद्यपि मानसून आने में कुछ देरी है किंतु प्री मानसून की बारिश ने दस्तक दे दी है। कनीना क्षेत्र में बूंदाबांदी हुई जिसके चलते लोगों ने राहत की सांस ली। लोगों का कहना है कि जब तक अच्छी बारिश नहीं होगी तब तक बिजाई करना कठिन कार्य है। किसानों की नजरें अच्छी बारिश पर टिकी हुई है। मौसम विभाग ने 20 जून तक हल्की बारिश की संभावना जता रहा है जिसके चलते किसान आसमान की ओर नजर टिकाए हुए हैं। अभी तक खेतों में कपास की फसल खड़ी है और बड़ी हो गई है। यही नहीं चारा देने वाली फसलें भी खेतों में किसानों ने उगा रखी है। ज्यों ही बारिश होती है त्यों ही किसान त्वरित गति से बाजरे और ग्वार की बिजाई करेंगे। क्षेत्र में ग्वार और बाजरे की बिक्री करने वाली संस्थाएं किसानों के कैंप लगाकर उन्हें जागरूक कर रही है।
क्या कहते हैं डॉ चंद्रमोहन नोडल अधिकारी पर्यावरण क्लब राजकीय महाविद्यालय नारनौल--
सुबह से ही हरियाणा के उत्तरी, पश्चिमी और पूर्वी हरियाणा और  साथ ही उत्तरी राजस्थान मे शुरू हुई गरज के साथ तेज़बारिश,  और  आने वाले समय में जल्द ही  सिरसा, कुरुक्षेत्र, करनाल, हिसार, एनसीआर दिल्ली में होगी झमाझम बारिश    होगी। वर्तमान समय में सक्रिय मौसम प्रणाली पश्चिमी विक्षोभ का असर हिमालय के तराई क्षेत्र में बना हुआ है। गुरुवार शाम से आज सुबह तक पंजाब के मध्य व पूर्वी भागों, हरियाणा के उत्तरी व राजस्थान के अनेक स्थानों पर बादलों का निर्माण शुरू हो चुका है। कुछ जगहों पर तेज हवाओं के साथ बारिश की गतिविधियां भी शुरू हो चुकी है। आने वाले समय में अगले कुछ घंटों में हरियाणा के सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, झज्जर, रोहतक, जींद, करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र, अम्बाला, पंचकूला व यमुनानगर  में बादलवाही के बीच गरज चमक के साथ कहीं हल्की कहीं भारी बारिश की गतिविधियां दर्ज की जाएंगी। इस दौरान प्री मानसून गतिविधियों को जिसमें 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने और अंधड़ आंधी चलने के साथ हल्की बूंदाबांदी/बारिश/तेज़ गति बारिश/कुछ स्थानों पर इस दौरान कुछ स्थानों पर गरज चमक के साथ ओलावृष्टि की गतिविधियों को दर्ज किया जाएगा। शाम तक बादलों के प्रसार  और फुटाव में बढ़ोतरी होगी और साथ ही  प्री मानसून गतिविधियों  देखने को मिलेगी।





पड़तल से महिला हुई गुम,गुमशुदगी का हुआ मामला दर्ज
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कनीना की आवाज।
कनीना उपमंडल के गांव पड़ताल से सरोज नामक 30 वर्षीय महिला गायब हो गई। इसके एक 9 वर्षीय तथा एक 3 वर्षीय पुत्र भी है। महिला के पति ने गुमशुदगी का मामला दर्ज करवाया है। युद्धवीर सिंह निवासी पड़तल ने कहा है कि सरोज बालधन कला रेवाड़ी जिले की बेटी है। एक वर्ष से वह भोजावास में मोड़ी रोड पर ओमप्रकाश की दुकान किराए पर लेकर ब्यूटी पार्लर का काम कर रही है। 16 जून को युद्धवीर सिंह अपनी पत्नी को दोनों बेटों सहित अपनी इको गाड़ी से दुकान पर इको गाड़ी से छोड़ कर आया था। जब बच्चों को घर लेने युद्धवीर सिंह दुकान पर गया तो दुकान बंद मिली। उसका फोन भी बंद मिला। आसपास सब जगह तलाश कर ली किंतु नहीं मिली। ऐसे में उनके बयान पर गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया है।




कनीना के रहस्यों से हटेगा पर्दा, धारावाहिक ब्लाग पर हो गया है शुरू
               कनीना की आवाज।
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 नमस्कार, कनीना के अजीबोगरीब रहस्यों से अब पर्दा उठाने का प्रयास किया जाएगा। ऐसे स्थान, ऐसी संस्थान तथा अन्य स्थलों के बारे में जिनको बहुत कम ज्ञान लोगों को है। पूर्ण रूप से उनके संज्ञान में लाने का प्रयास किया जाएगा। प्रत्येक 2 दिनों के बाद एक इस प्रकार की स्टोरी कनीना की आवाज ब्लॉग पर ही उपलब्ध हो पाएगी। इसलिए ब्लाग को देखना ना भूलें। साथ में बहुत से लोग ब्लॉक की बातों को हूबहू चोरी कर रहे हैं उनके विरुद्ध भी मामला दर्ज करवाया जाएगा। यह ब्लाग कापीराइट के तहत आता है। आशा है कि  इसमें आप सहयोग करेंगे। धन्यवाद




 कनीना की दो संकीर्ण गलियों का राज
 चोरों को पकडऩे के लिए जानबूझकर बनाई गई थी दो तंग गलियां
            डा होशियार सिंह यादव, कनीना/कनीना की आवाज।
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अक्सर कनीना में पालिका के पूर्व प्रधान एवं पार्षद मास्टर दिलीप सिंह के घर के सामने परस की गली तथा पास में बड़ा मंदिर वाली गली, दोनों ही बहुत संकीर्ण है। अक्सर लोग इस चर्चा करते रहे हैं कि प्रधान होकर भी इन गलियों का उद्धार नहीं किया। वास्तव में ऐसा नहीं है। ये दोनों गलियां जानबूझकर तंग बनाई गई थी जिनके पीछे चोर और डकैतों को मारपीट गिराने या पकडऩे का उद्देश्य होता था। वर्तमान में परस वाली गली, पुराना जर्जर बड़ा मंदिर, मंदिर वाली गली, चोरों को सजा देने वाला चौक जिसे शहतीर चौक नाम से जाना जाता है, के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे।
पर कस्बे वासियों के लिए कस्बा कनीना के बीच में परस बनाई गई थी। परस में कमरे तथा बैठने की सुविधा होती थी। वर्तमान में इसमें मिरासी जाति के लोग रह रहे हैं। इस परस में तखत वगैराह डाले होते थे, पटवारी यही रहते थे तथा पंचायत घर का रूप दिया गया था ताकि कस्बा की कोई समस्या हल करनी हो तो यहां बैठ कर फैसला लिया जाता था। समय समय पर बैठक ली जाती थी। पुराने वक्त में जहां चोर डाकुओं को पकड़ लिया जाता था तो यहां पर जेलदार उन्हें सजा सुनाते थे। नाभा के महाराज ने जेलदार नियुक्त किए हुए थे जो चोरों को कुछ सजा देने के हकदार होते थे। कनीना में पूर्व प्रधान मास्टर दिलीप सिंह के पूर्वज भी जेलदार होते थे। एक सार्वजनिक स्थल के रूप में परस जानी जाती थी तथा यहां पर विभिन्न मुद्दों एवं समस्याओं को सुलझाया जाता था। इसलिए इसका नाम पर रखा गया था। परस के सामने गली करीब 4-5 फुट से अधिक चौड़ी नहीं है। इसमें से कोई वाहन गुजर नहीं सकता सिर्फ मोटरसाइकिल सवार की जा सकते हैं। इसी प्रकार बड़ा मंदिर जो आज जर्जर अवस्था में है उसके पास भी गली बहुत संकीर्ण है। इन गलियों के संकीर्ण बनाने का मुख्य कारण कस्बावासियों की अपनी नीति थी। पुराने वक्त में जब चोर एवं डकैत आते तो वे घोडिय़ों एवं ऊंटों आदि पर चलकर आते थे। जब चोरों को कस्बे में घेरा जाता था तो गलियों में इधर-उधर भागना शुरू कर देते थे। मुख्य गली से जब इस गली में फंस जाते थे तो इस गली के आगे लठैत  खड़े कर दिए जाते थे जो चोर और डकैतों जो ऊंटों एवं घोडिय़ों से गुजरते थे पीट-पीटकर भूत बना देते थे। उन्हें पकड़ लेते। अगर ये गलियां चौड़ी होती तो चोर डक्ैत इकट्ठे आ सकते थे और उन पर काबू पाना कठिन हो जाता था। ऐसे में इन गलियों को जानबूझकर संकीर्ण बनाया गया था। वास्तव में कनीना बसासत के बाद यह योजना कनीना वासियों की बहुत ही सूझबूझ नीति को दर्शाती है। अक्सर कहा जाता है बुजुर्ग बहुत बुद्धिमान होते थे ,इसमें कोई शक की बात नहीं है कि बुद्धिमता के कारण ये गलियां चोरों को पकडऩे का काम करती थी। यही हालात बड़ा मंदिर जाने वाली गली की है। यह गली बहुत संकीर्ण है इससे भी कोई वाहन नहीं गुजर सकता किंतु यदि कोई गलती से चोर ,डकैत घुस जाता था तो उसे डंडों से पीट-पीटकर  पकडऩे का प्रयास किया जाता था। अक्सर लोग कहते सुने जा सकते हैं कि यह गलियां बहुत भीड़ी रह गई है वास्तव में  इन गलियों को संकीर्ण रखा गया था जो बुजुर्गों की सूझबूझ का प्रतीक है। आज भी उसी रूप में चली आ रही है। कस्बा कनीना में शायद ही ये इस क्षेत्र की सबसे तंग गलियां है और सौभाग्य की बात है दोनों ही पूर्व पालिका प्रधान मास्टर दलीप सिंह के पास स्थित हैं। कनीना का बड़ा मंदिर का बहुत बड़ा इतिहास है जिसका अलग स्टोरी के रूप में उजागर किया जाएगा। जानकारी जो इसी ब्लॉग में दी जाएगी।
शहतीर चौक-
चोरों को सजा देने के तरीकों से पहले शहतीर चौक के विषय में जानना जरूरी है। परस गली के पास आज भी चौक बना हुआ है। इस चौक को शहतीर चौक नाम से जाना जाता है। इसमें बड़े बड़े लक्कड़ पड़े होते थे, खासकर शहतीर डाला जाता था। जिनको बीच से चिरवा दिया जाता था ताकि किसी चोर का पैर इनमें आसानी से फंस जाए फिर उसको ताला लगाने की भी व्यवस्था थी ।इसलिए चोर के पैर को शहतीर में फंसा कर ताला लगाया जाता था और सजा दी जाती थी।
यही नहीं चोर को मरने नहीं दिया जाता था उसे खाना पानी समय-समय पर चौकीदार द्वारा दिया जाता था। उसकी देखरेख की जाती थी कि कहीं वह भग न जाए किंतु से 2 दिन या जो भी समय अवधि सजा के रूप में इस परस में सुनाई जाती थी वह जेलदार द्वारा सुनाई जाती थी, उसका पालन होता था। शहतीर को बीच से चिरा होने का कारण उसमें उसका पैर फंसाकर दिया जाता था और इसे आगे से लॉक कर दिया जाता था। लोक भी लोहे के सरियों से किया जाता था ताकि कोई खोल न सके। इसकी चाबी जेलदार के पास होती थी ताकि जब उसे छोडऩा हो तो जेलदार की अनुमति से ही उन्हें छोड़ा जाता था। शहतीर में पैर फंसा कर ऐसे चोर को खड़ा रखा जाता था जो बिल्कुल ही तंग आ जाए और अपनी गलती का अहसास हो सके। अधिक सजा उसे खड़ा रहने की दी जाती थी। भाग नहीं सकता था क्योंकि पैरों में शहतीर लगा होता था।चोर को कैसे सजा दी जाती थी-
 पुराने समय में जब कनीना वासियों के पास मुख्य धंधा पशु पालना था चोर- डकैत पशु चोरी करते करते या कोई अन्य चोरी करते पकड़े जाते हैं तो उन्हें पकड़कर जेलदार के पास परस में लाया जाता था। जेलदार को सजा देने की शक्ति नाभा के महाराज हीरा सिंह ने दे रखी थी कि वह कोई भी सजा सुनाए, उसके लिए पूर्ण सक्षम होगा। यही कारण है कि कनीना के जेलदार उन्हें सजा सुनाते थे। सजा में उन्हें शहतीर में पैर फंसाकर लॉक करके खड़ा रखने की होती थी। यह सजा कुछ दिनों की हो सकती थी परंतु उनको मरने नहीं दिया जाता था। बाद में सजा पूरी होने पर शहतीर से उनका पैर निकाल दिया जाता था। उस वक्त कोई दूरभाष या कैमरे नहीं होते थे। अपितु लोग दिन-रात देखरेख करते थे, चौकीदार होते थे। जब कोई चोर-डक्ैत ऊंट और घोड़ी ऊपर आते थे तो शोर मच जाता था उन्हें घेर घोटकर इसी गली की और भेजा जाता था ताकि उन पर काबू पाया जा सके। इस गली में जो आ गया उसके लिए आगे निकलना कठिन हो जाता था। इसलिए इन गलियों को संकीर्ण रखा गया पास जो आज भी विराजमान है किंतु पास का रूप रंग बदल दिया गया है। पुराने वक्त की संकीर्ण गली उसी अवस्था में हैं।
ैपास में बड़ा मंदिर जर्जर अवस्था में है ।बड़े मंदिर की गली जर्जर अवस्था में है। वही बहुत कम लोगों की संज्ञान में होगा यह गलियां तंग क्यों बनाई गई थी।
 कभी जब हरियाणा पंजाब का एक अंग होता था उस समय नाभा रियासत होती थी और कनीना पर नाभा का के राजा प्रताप सिंह तत्पश्चात हीरा सिंह महाराज का शासन चलता था।
क्या कहते हैं पूर्व प्रधान मास्टर दिलीप सिंह- कनीना के वयोवृद्ध पूर्व प्रधान 83 वर्षीय मास्टर दिलीप सिंह इस संबंध में बताते हैं कि संकीर्ण गलियां,शहतीर गली और परस आदि के बारे में बताते हैं कि उनके उनके पूर्वज चौधरी बालमुकुंद, चौ रामारायण, चौ उमराव सिंह, चौ बलवंत सिंह आदि जेलदार भी होते थे। नाभा रियासत के समय जेलदार को बहुत बड़ी पावर होती थी ।उनको सजा सुनाने का अधिकार होता था परंतु वर्तमान समय में में तो जेलदार पद बंद हैं। जब से नाभा रियासत खत्म हुई है हरियाणा अलग से बनने के कारण जेलदार पद समाप्त कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि कनीना संयुक्त पंजाब में नाभा रियासत का अंग होते थे जहां महाराजा प्रताप सिंह तथा हीरा सिंह ने राज किया। बाद में कनीना को पेप्सू में डाल दिया गया और फिर हरियाणा 1966 में बन जाने के बाद वर्तमान हरियाणा चला आ रहा है। हरियाणा उद्भव के समय कनीना महेंद्रगढ़ का एक भाग होता था तथा रेवाड़ी भी महेंद्रगढ़ जिले का एक भाग था।
फोटो जिस पर के-1 तथा के-2 लिखा है शहतीर चौक है
 फोटो जिन पर के-3 लिखा है जर्जर पुराना बड़ा मंदिर है
के- 4 लिखा है वह परस वाली संकीर्ण गाली है
के-5 लिखा है तथा के-6 लिखा है वह वर्तमान में परस है
के-7 जिस पर लिखा है वह बड़ा मंदिर की गली है।
साथ में पूर्व प्रधान मा दलीप सिंह



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