ट्रैफिक नियमों का पालन करने वालों की कम दुर्घटना होती -तंवर
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कनीना की आवाज। ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करने वालों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा क्योंकि ट्रैफिक नियम का पालन करने सेवन का जीवन तो बचता ही है साथ में उनके परिवार वालों को भी राहत मिलती है। ये विचार कनीना सिटी थाना प्रबंधक मूलचंद तंवर ने कनीना में ट्रैफिक नियमों को तोडऩे वालों की धरपकड़ के उपरांत व्यक्त किये। इस अवसर पर चौकी इंचार्ज मूलचंद ने कहा उच्च अधिकारियों के आदेश पर हम यह कार्रवाई कर रहे हैं जिसमें ट्रैफिक नियमों का जो भी उल्लंघन करता पाया उसको किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस व प्रशासन द्वारा ट्रैफिक नियमों का पालन इसलिए कराया जाता है ताकि आमजन को दुर्घटना होने से बचाया जा सके और उनके पीछे रहने वाले परिवार को सुख शांति प्राप्त हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि हेलमेट में मात्र आधा किलो वजन होता है लेकिन अगर हेलमेट लगाकर सफर किया जाए तो 90 प्रतिशत दुर्घटना से बचा जा सकता है। जिसको ध्यान में रखते हुए कनीना पुलिस द्वारा इस धरपकड़ अभियान का कार्यक्रम चलाया गया है जिसमें दर्जनों बाइक व गाडिय़ों के चालान किए गए हैं तो कुछ को इंपाउंड भी किया गया है ताकि जनता को उनके जीवन के प्रति सचेत किया जा सके।
सिटी इंचार्ज ने यह भी कहा कि हमारा मकसद किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं है लेकिन जनता की हिफाजत करना और ट्रैफिक नियमों का पालन कराना ड्यूटी बनती है। इसलिए कनीना व आसपास के क्षेत्र में यह धरपकड़ अभियान चलाकर लोगों को समझाया भी गया है तथा नए समझने वाले लोगों के चालान कर उनको भविष्य में कागजात में हेलमेट तथा गाडिय़ों में सीट बेल्ट लगाकर चलने की हिदायत भी दी गई है ताकि उनका जीवन सुरक्षित रह सके। इस अवसर पर इनके साथ उप निरीक्षक सुनील कुमार, कर्मवीर सिंह, नरेंद्र सिंह, राजकुमार सिंह के अलावा अन्य पुलिस स्टाफ उपस्थित था।
फोटो कैप्शन 01: मूलचंद तंवर चालान काटते हुए।
युवाओं के स्वर्णिम भविष्य के लिए नशा एक अभिशाप -डा विक्रम सिंह
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कनीना की आवाज। राजकीय कन्या महाविद्यालय उन्हाणी में विश्व ड्रग्स दिवस के उपलक्ष्य में अनेक प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है ,जिसका उद्देश्य युवाओं को नशे के विरुद्ध जागरूक करना है। इन्हीं कार्यक्रमों की शृंखला में आज महाविद्यालय परिसर में प्राचार्य डॉ. विक्रम यादव की अध्यक्षता में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि आज का युवा वर्ग अनेक प्रकार के नशों से ग्रस्त हो चुका है ,जो कि भारत के स्वर्णिम भविष्य के लिए अभिशाप है। नशा मुक्ति अभियान भारतीय समाज के लिए एक विडम्बना है ,क्योंकि इसमें समाज के हर स्तर के
व्यक्ति इसमें संलिप्त हैं ,अगर वे अपना समय व पैसा नशे की लत में न लगाकर बच्चों के शिक्षा? में खर्च करें तो न केवल स्वयं का अपितु राष्ट्र के उत्थान के लिए सराहनीय प्रयास होगा के बारे में ? ज्ञानवर्धक वक्तव्य दिया। कार्यक्रम अधिकारी श्री राजेश कुमार ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज का युवा वर्ग ड्रग्स के सेवन को एक फैशन समझता है, यह फैशन कब उसकी लत बनकर उसके भविष्य को बर्बाद कर देता है ,उस उसे स्वयं पता ही नहीं लगता। उन्होंने अपने आस-पास के नशा मुक्ति केंद्रों के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देश की खुशहाली के लिए नशे पर प्रतिबंध लगाना जरूरी ही नहीं, अपितु अनिवार्य है। महाविद्यालय की छात्राओं ने स्वयं नशा न करने तथा जनसाधारण को भी इसके प्रति जागरूक करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार के सभी स्टाफ सदस्य डा. सुधीर यादव ,डा. सीमा देवी, डॉ. अंकिता यादव, नीतू , सीमा, राजेश, हरपाल, दिनेश, अनिल, मोनू यादव, कंवर सिंह उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 02: नशा मुक्ति अभियान चलाते
अग्निवीर योजना को तुरंत प्रभाव से वापिस ले सरकार-राव बहादुर सिंह
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कनीना की आवाज। 27 जून को कनीना के अंबेडकर चौक पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा धरना व प्रदर्शन कर अग्रिवीर योजना के विरोध में प्रदर्शन किया जाएगा। इस प्रदर्शन में मुख्यरूप से राव बहादुर सिंह रहेंगे।
जानकारी देते हुए पूर्व विधायक राव बहादुर सिंह के निजी सचिव सुनील कुमार यादव ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा अग्रिवीर योजना बनाकर देश के युवाओं के साथ जो अन्याय किया है जिसके विरोध में 27 जून को कनीना के अंबेडकर चौक पर धरना दिया जाएगा वही धरने के उपरांत एक ज्ञापन एसडीएम कनीना के माध्यम से माननीय राष्ट्रपति के नाम सौंपकर अग्निवीर नामक जो योजना सरकार के द्वारा बनाकर युवाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है तो उसको अभिलंब बंद कराने के लिए मांग की जाएगी। ताकि युवाओं का भविष्य बर्बाद होने से बच सके। उन्होंने कहा कि 27 जून को कनीना में होने वाले धरने प्रदर्शन के कार्यक्रम की अध्यक्षता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक राव बहादुर सिंह द्वारा की जाएगी वहीं इस कार्यक्रम में भारी संख्या में लोग एकत्रित होकर इस योजना को बंद कराने के लिए एक ज्ञापन माननीय राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को सौंप कर अभिलंब इस योजना को वापसी करने की गुहार लगाएंगे ताकि युवाओं के साथ सरकार द्वारा किए जाने वाला मामला निरस्त किया जाए और युवाओं को सेना में स्थायी नियुक्ति के लिए भर्ती की जाए। इस अवसर पर उनके साथ नेेता मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 03:बहादुर सिंह अपने साथियों के साथ 27 जून के धरने को लेकर गुफ्तगू करते हुए।
हरियाणा विज्ञान मंच 16 वां का द्विवार्षिक राज्य स्तरीय सम्मेलन 26 को
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कनीना की आवाज। हरियाणा विज्ञान मंच 16 वां का द्विवार्षिक राज्य स्तरीय सम्मेलन 26 जून रविवार को कर्मचारी भवन रोहतक में आयोजित किया जायेगा। यह जानकारी हरियाणा विज्ञान मंच जिला महेन्द्रगढ़ के जिला संयोजक धर्मपाल शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि
आज हरियाणा विज्ञान मंच को पूरे 35 वर्ष हो गए हैं । हरियाणा विज्ञान मंच की स्थापना 20 जून 1987 को हुई थी । इतने सालों से विज्ञान लोकप्रीकरण के लिए काम करना किसी भी संस्था के लिए छोटा समय नही होता , इसलिए यह हम सबके लिए बडी खुशी की बात है ।
लेकिन अब हमें थोड़ा रुक कर अपने इन 35 सालों के काम को रिव्यू करते हुए अपने भविष्य की योजनाओं पर काम करना पड़ेगा । तो आइए हम पूरी तैयारी के साथ इस काम को करते हुए हरियाणा विज्ञान मंच के भविष्य की योजनाओं का खाका तैयार करे । इसका पहला काम 26 जून का इसका द्विवार्षिक सम्मेलन है । तो आइए सब मिलकर इस काम को करते हुए अगले 35 सालों के बारे में सोचें । हरियाणा विज्ञान मंच जिला महेन्द्रगढ़ ने जिले में कार्य करते हुए अंधविश्वास मिटाने, वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करने,चमत्कारों का पर्दाफाश करने, राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के आयोजन के माध्यम से विधार्थियों को वैज्ञानिक, डाक्टर, इंजीनियर बनने के लिए प्रेरित किया है घरों में अपने आप आग लगने का पर्दाफाश किया है। धर्मपाल शर्मा के नेतृत्व में पांच सदस्यों का प्रतिनिधि मण्डल इस सम्मेलन में भाग लेगा।
धारावाहिक-07
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समाधियों से भरा है शहीद सुजान सिंह पार्क
-कभी चलती थी यहां रासलीला
--डा होशियार सिंह यादव/कनीना की आवाज
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वर्ष 1995 में शहीद हुए सज्जन सिंह के नाम पर कनीना के संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ आश्रम के समक्ष पुराना पार्क स्थित था। कभी यह पार्क जाल पेड़ों से आच्छादित होता था और दूर-दराज तक इसका क्षेत्रफल होता था। इस पार्क में जहां पुराने वक्त से भुवालखा,चौधरी तथा स्वामीवाडा मोहल्ले के श्मशान घाट बनी हुई है। वर्तमान में इस पार्क को और विकस्ति किया जा रहा है। वास्तव में इस पार्क की जगह छोटी बणी होती थी। यहां संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ आश्रम स्थित था तथा चारों ओर पेड़ खड़े हुए थे। ये जाल के पेड़ मन को मोह लेते थे। कनीना कि राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, उधार वर्तमान एसडीएम कार्यालय, सीहोर-छितरौली को जाने वाले मार्ग तथा कालर वाली जोहड़ तक का छोटी-बणी का एरिया होता था। वर्तमान एसडीएम कार्यालय के पास भूतला टिब्बा होता था जहां 1955 में बीडीपीओ कार्यालय का निर्माण किया गया। भूतला टिब्बे के पास जाने से लोग डरते थे। छोटी बणी में जोहड़ के किनारे जहां संत शिरोमणि का आश्रम होता था लोगों को आकर्षित करता था।
कनीना बसासत के समय से चली आ रही बनी मेंं जहां संस्कार के लिए श्मशान घाट बनाए गए थे। तत्पश्चात यहां साथ में हनुमान जी का पुराना मंदिर होता था जो लंबे समय से चला रहा है, जिसका दो बार जीर्णोद्धार हो चुका है। पास में जो वर्तमान में जहां माता की मंढ़ी है वहीं बाबा भैया स्थल होता था जिसे विगत 8 वर्ष पहले स्थानांतरित कर दिया गया है। वर्तमान में बाबा भैया का बड़ा मंदिर का रूप दे दिया गया है। बाबा भैया हर गांव में सबसे पहले के देव माने जाते हैं। इस पार्क का अस्तित्व वास्तव में तत्कालीन रामनारायण जिला उपायुक्त द्वारा लगवाई गई थी किंतु इस क्षेत्र में भारी संख्या में अतिक्रमण चलता रहा। किंतु इमरजेंसी 1973 के वक्त इस जगह से अतिक्रमण को खदेड़ृ दिया गया और बहुत अधिक झोपड़पट्टी घर आदि दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिए गए। तत्पश्चात भी पार्क का रूप नहीं दिया गया था। पार्क का अस्तित्व 1987 से 1991 में आया इसका पार्क की चारदीवारी बना दी गई थी। उस वक्त यहां पर अवैध कब्जे थे उस सारे तत्कालीन प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा ने हटवा दिए थे और इसे पार्क का रूप दिया गया पार्क का शहीद पार्क नाम 1995 में शहीद सज्जन सिंह के शहीद होने के बाद दिया गया। वास्तव में नगरपालिका ने 18 अगस्त 1997 को पार्क को विकसित करने के लिए प्रस्ताव नंबर 43/1997 में पारित किया गया जिसके बाद से इस पार्क के दिन बदलने लगे। पार्क में जहां कुछ लोगों केे श्मशान घाट भी चलते रहे।
कौन थे शहीद सज्जन कुमार--
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वीर चक्र से सम्मानित शहीद सज्जन सिंह
जिला महेंद्रगढ़ के कनीना कस्बा के अशोक चक्र से सम्मानित शहीद सज्जन सिंह ने शांति के समय में अपने प्राणों की आहुति देकर कई देशद्रोहियों को मार गिराया। उनकी बहादुरी पर राष्ट्रपति द्वारा मरणोपरांत अशोक चक्र से उनकी पत्नी कौशिल्या देवी को प्रदान किया था।
जिला महेंद्रगढ़ के कनीना कस्बा में 30 मार्च 1953 में मंगल सिंह-सरती देवी के साधारण परिवार में जन्म लिया। जन्म से ही वे अति कुशाग्र बुुद्धि के धनी थे जिसके चलते वे जब कनीना के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करते हुए 27 मई1971 में 13 कुमाऊं रेजिमेंट की बच्चा कंपनी में भर्ती हो गए।
उनकी वीरता को देखते हुए 26 सितंबर 1994 को उन्हें जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा क्षेत्र में उग्रवादियों की तलाश में भेजे गए। उन्हें अपनी टुकड़ी के कमांडर की भूमिका दी थी। उनकी टुकड़ी उग्रवादियों का पीछा करते हुए उनके करीब पहुंच गए। उग्रवादी घात लगाए बैठे थे कि टुकड़ी उनकी ओर ही बढ़ रही थी। जब सूबेदार सज्जन सिंह की नजर उग्रवादियों पर पड़ी तो वे आगे बढ़ते हुए उनसे जा भिड़े ताकि पूरी टुकड़ी की जान बचाई जा सके। महज उग्रवादियों से 15 मीटर दूरी पर भीषण युद्ध चला। उग्रवादियों के पास भारी मात्रा में गोले, हथियार आदि होने के कारण तथा उनकी संख्या अधिक होने के कारण शहीद सज्जन सिंह छह उग्रवादियों को अकेने ही मार गिराने में सफल हो गए थे किंतु एक और उग्रवादी घात लगाकर बैठा हुआ था जिसकी गोली सूबेदार सज्जन सिंह के सिर में लगी। गोली सिर के पार गुजर गई किंतु उस उग्रवादी को भी मार गिराया।
इस प्रकार सूबेदार सुजान सिंह ने अपनी जान पर खेलते हुए पूरी टुकड़ी के प्राणों की रक्षा की। उनकी बहादुरी एवं वीरता पर तत्कालीन राष्ट्रपति डा शंकर दयाल शर्मा ने मरणोपरांत उनकी पत्नी कौशिल्या देवी को 26 जनवरी 1995 को अशोक चक्र से नवाजा जो शांति समय का सबसे बड़ा पुरस्कार होता है। ऐसे वीरों एवं देशभक्तों पर समस्त राष्ट्र को नाज है। कनीना के बाबा मोलडऩाथ आश्रम स्थित पार्क में शहीद की प्रतिमा लगी हुई है जो आने वाली पीढिय़ों को प्रेरणा का काम करती रहेगी। उनकी बरसी पर प्रत्येक वर्ष उन्हेें दूर दराज से आए सैनिक एवं वीर याद करते हैं।
शहीद सज्जन सिंह अपने पीछे दो पुत्रियां एवं एक पुत्र छोड़ गए थे। तीनों ही सदस्यों की शादी हो चुकी हैं तथा अपना अपना कारोबार चला रहे हैं। उनकी पत्नी कौशिल्या देवी अपने पति की कुर्बानी को याद करके रो पड़ती हैं। लड़का जोगेंद्र बीकानेर में पेट्रोल पंप चला रहा है तथा शहीद की पुत्रियां कुसुमलता तथा हेमलता शादीसुदा हैं। शहीद के दो पौत्र भी हैं। यद्यपि शहीद की जमीन जायदाद कनीना में हैं किंतु परिजन अब बीकानेर में रह रहे हैं।
शहीद सूबेदार सज्जन सिंह अशोक चक्र की प्रतिमा का अनावरण विधायक के मुख्य संसदीय सचिव अनीता यादव ने 26 सितंबर 2011 को किया जिसका निर्माण शहीद की धर्मपत्नी को शीला देवी द्वारा करवाया गया। शहीद की प्रतिमा पर 26 सितंबर 2013 से जलूरा शौर्य समिति उनका निर्वाण दिवस मनाती आ रही है।
इस पार्क में जहां वर्तमान में अनेकों लोगों की समाधियां बनी हुई हैं। हुकम सिंह नंबरदार गणेशी लाल स्वतंत्रता सेनानी की मढ़ी और गुम्बद बनाई हुई है वही सूबेदार लाल सिंह पूर्व एमएलए की भी मंडी बनी हुई थी इसके स्थान पर वर्तमान में चौड़ा चबूतरा पक्षियों के लिए दाने आदि के लिए बना दिया गया है। इसी पार्क में जहां प्रो सतनारायण पूर्व प्राचार्य के परिवार से सरती देवी का कोटडा भी बनाया गया है जहां बाबा घुघ्घू देव भी लंबे समय तक रहे हैं। बाद में वे स्वर्ग सिधार गये जिनकी प्रतिमा भी बाबा मोलडऩाथ आश्रम के पास लगी हुई है। वहीं बीच में शहीद सुजान सिंह समाधि है। वर्तमान में तीन अलग-अलग स्थानों पर तीन श्मशान घाट बनाए गए हैं जिनको वर्तमान पालिका प्रधान सतीश जैलदार के नेतृत्व में एक श्मशान घाट बनाकर इस पार्क की सुध ली जा रही है। पास में पुराना हनुमान मंदिर है जो बहुत लंबे समय से चला रहा है 1962 के युद्ध में जहां बचकर आये मेजर होशियार सिंह को दृष्टांत मिला था इसलिए उन्होंने इसका जीर्णोद्धार करवाया था। बाद में फिर से इसका जीर्णोद्धार करवा दिया जा चुका है। पार्क के दक्षिण दिशा में शहीद नरेंद्र सिंह यादव की प्रतिमा लगी हुई है। वास्तव में शहीद नरेंद्र सिंह 1 फरवरी 2008 में शहीद हुए थे। उनकी प्रतिमा को 10 जून 2009 को स्वामी शरणानंद द्वारा करवाई करवाया गयया था। पास में बाबा भैया का पार्क स्थल है तथा प्रभाती लाल की समाधि भी बनी हुई है। पार्क में जहां कभी रासलीला का मंचन चलता था।
रासलीला ---
एक समय 1965 तक रासलीला का मंचन भी किया जाता था। रासलीला का मंचन त्रिलोकचंद द्वारा किया जाता था जो गांव के पंडितों से संबंध रखते थे। जो भेर भी बजाते थे। इसे पुंकली भी कहते हैं। निकासी एवं कुआं पूजन के समय भेर बजाते थे। जहां फज्जर अलि मसक से पानी का छिड़काव विवाह शादियों में करते थे वहीं भेर बजाने का काम त्रिलोकचंद करते थे। उनका एक ही प्रसिद्ध नारा था कि- टीको निकालू, बहु लाऊं। इसलिए सभी युवा पीढ़ी उनके और आकर्षित होती थी। आजकल शहनाई का रूप वही देते थे। शहनाई वादन लगभग खत्म हो चुका है। त्रिलोक चंद उस जमाने में श्री कृष्ण द्वारा चलाई रासलीला का मंचन करते थे। जिसमें युवा वर्ग भी सहयोग देते थे। दूरदराज से लोग उनकी रासलीला जन्माष्टमी के दिन देखने के लिए आते थे। इसी पार्क से संबंध रखता है। आज भी बड़े बड़े जाल के पेड़ पौधे यहां स्थित है जो मन को आकर्षित कर रहे हैं।
सावधान--
यह आलेख कापीराइट के तहत है। किसी प्रकार की फोटो एवं टैक्सट कापी करना दंडनीय अपराध एवं कापी राइट एक्ट के तहत जुर्म होगा। यह ब्लाग रजिस्टर्ड ब्लाग है।
धारावाहिक -08
धारावाहिक -08 में पढ़ेंगे कनीनारियासत और सियासत का इतिहास। पढ़े आगामी अंक में।
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