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Wednesday, June 8, 2022

 
तीन लोगों के विरुद्ध मारपीट का मामला दर्ज
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कनीना। दौंगड़ा अहीर चौकी में मुंडिया खेड़ा के बीर सिंह की शिकायत पर तीन लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पुलिस में बीर सिंह द्वारा दी गई शिकायत अनुसार बीर सिंह मुंडिया खेड़ा गांव के पूर्व सरपंच सुरेश कुमार के ट्यूबवेल पर खेती बटाई के आधार पर करता है।  छह जून को घर से खाना खाकर बीर सिंह राजकृष्ण के साथ पूर्व सरपंच सुरेश कुमार के ट्यूबवेल पर सो गये। रात को पांच-छह व्यक्ति तथा पीके जाट, पवन एवं समशेर ङ्क्षसंह आ धमके और कूलर, मोटर का स्टार्टर तथा अन्य सामान तोड़ डाला मारपीट कर गाड़ी सहित मुंडिया खेड़ा की ओर भाग गये। बीर सिंह को कनीना अस्पताल भर्ती कराया गया है। उनका ईलाज अब घर पर हो रहा है। उन्हीं की शिकायत पर तीन ज्ञात तथा 5-6 अन्य के विरुद्ध मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।






कुलदीप बिश्नोई को जेड प्लस सुरक्षा देने की मांग
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 कनीना। विधायक कुलदीप बिश्नोई को धमकी देने के मामले में कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं ने सरकार से हाई सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है। इस बारे में कुलदीप बिश्नोई के समर्थक इंजीनियर योगेश यादव कनीना ने कहा कि आदमपुर विधानसभा के विधायक कुलदीप बिश्नोई को बार-बार अपराधियों द्वारा धमकी दी जा रही है जिससे लगता है प्रदेश में कानून का शासन नहीं रहा है। आये दिन लूट-पाट चोरी -डकेती की घटनायें घटित हो रही हैं । जिससे आमजन सहमा हुआ है। प्रदेश सरकार अपराधियों पर नियंत्रण रखने में असफल साबित हो रही है। उन्होंने कुलदीप बिश्नोई को जेड प्लस सुरक्षा देने की मांग की हैं।





धनौंदा में दो जगह लगाई मीठे पानी की छबील
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कनीना। उपमंडल के शनि देव महादेव मंदिर टी प्वाइंट व शैड शीतला माता मंदिर के पास एक साथ मीठे पानी की छबील लगा कर राहगीरों की प्यास बुझाई गई। कमेटी सदस्य अमित प्रजापति ने बताया कि जिसमें कनीना से दादरी की साइड जाने वाले और दादरी से कनीना की साइड आने वाले लोगों को रास्ते में रोककर उन्हें मीठा पानी पिलाकर उनकी प्यास बुझाई। भीष्ण गर्मी के कारण इस चिलचिलाती धूप में  प्यासे लोगों द्वारा  पानी पीकर उनके चेहरे पर खुशी दिखाई दी और उन्होंने युवाओं द्वारा किए गए मीठे पानी के इस प्रबंध की बहुत सराहना की। अमित ने बताया कि धनौंदा में कुम्हार धर्मशाला के नजदीक शेड शीतला माता का मंदिर है। जिसमें प्रजापति समाज के द्वारा मंदिर की कमेटी बनाई हुई है। उस कमेटी का हाल ही में रजिस्ट्रेशन हुआ है। माता कमेटी का रजिस्ट्रेशन होने की खुशी में व भीषण गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए कमेटी के  सदस्यों द्वारा मीठे पानी की छबील लगाने का निर्णय लिया गया था।  जिसकी जिम्मेदारी कमेटी के सदस्य अमित प्रजापत को सौंपी गई थी। कमेटी के सदस्यों ने कहा कि इस भीषण गर्मी में पानी पिलाने से बड़ा कोई धर्म नहीं होता ।  इस तरह के नेक कार्य करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।  इस छबील में अमित, अभिषेक, प्रदीप, अजीत, जेपी वर्मा, धनु, आशिष, चिंटू, गोलू ,तनु , बजरंग, नवीन,  विशाल, रामू, हेमंत व कई अन्य युवा साथी मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 01: मीठा पानी पिलाते हुए कमेटी के सदस्य




पाली में बनाया है सबसे ऊंचा पक्षियों का घर
-15 लाख रुपये आई है लागत
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कनीना। कभी कभी इंसान ऊंची सोच रखकर कार्य करता है जिससे न केवल इंसान का अपितु जीवों का हित होता है जिसे आने वाली पीढिय़ां सदा याद करती रहेंगी। इंसान अपना पेट भरने तक ही सीमित रहता है किंतु यदि वह अपने समाज एवं निरीह जीवों की ओर ध्यान दे तो जैव मंडल में अमूल चूल परिवर्तन का कारण बन सकता है।
दिनों दिन जीव जंतु घटते जा रहे हैं और उनके आश्रय स्थल भी कम हो रहे हैं। गर्मियों में तो पानी एवं दाना पाना कठिन हो जाता है जिससे हजारों पक्षियों की मौत हो जाती है। राजस्थान में जहां पक्षियों के पुनर्वास के लिए अनेक पक्षियों के आश्रय स्थल बनाये गये हैं। उन्हीं से प्रेरणा लेकर महेंद्रगढ़ जिला के पाली में भारत भर का सबसे ऊंचा पक्षी घर बनाया गया है।
कहां है यह पक्षी घर--
महेंद्रगढ़ से 8 किलोमीटर दूर नारनौल-दादरी रोड पर स्थित गांव पाली बाबा जयराम दास के नाम से मशहूर है। बाबा का यह आश्रम समतामूलक समाज की स्थापना के लिए जाना जाता है। 100 वर्ष पहले बाबा जयराम दास नामक संत ने इस क्षेत्र से जाति पाति को समाप्त कर भाईचारे को बढ़ाने का काम किया। समरसता का प्रतीक यह आश्रम सदैव इस क्षेत्र को नई प्रेरणा देने का कार्य करता रहा है। मंदिर के पास प्राकृतिक रूप से बना हुआ एक जोहड़ है जिसमें धोह एवं इंन्दोख नाम की दो विलुप्त प्राय प्रजातियों के वृक्ष पाए जाते हैं। लोगों का अनुमान है की इन वृक्षों की आयु 400 से 500 वर्ष होगी। ब्राह्मण वाला जोहड़ पर बने इस मंदिर के पास एक विशाल पीपल का पेड़ है। उसके बारे में भी यही अनुमान है कि गांव बसने के समय से यह पेड़ स्थित है। वर्तमान में गांव पुन: पूरे राज्य में सुर्खियां बटोर रहा है।
पक्षीघर की विशेषताएं--
यहां पर जन सहयोग से एक विशाल 9 मंजिल के 73 फीट ऊंचे पक्षी घर का निर्माण श्रद्धालुओं द्वारा करवाया गया है। इस पक्षी घर के निर्माण में लगभग 15 लाख रुपए खर्च हुए और 3000 पक्षियों को इसमें आश्रय  मिलेगा। इस पक्षी घर के नीचे एक 23 बाई 23 फुट का चबूतरा बनाया गया है, साथ ही वर्तमान परिस्थितियों में युवाओं का ध्यान रखते हुए एक सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है।
क्या कहते हैं ऊंची सोच लेकर पक्षी घर निर्मित करने वाले कैलाश पाली---
 इस पक्षी घर के संयोजन का काम देख रहे कैलाश पाली बताते हैं कि इसका निर्माण गुजरात के कारीगरो द्वारा किया गया इसमें जो सामग्री लगी है वह सिद्धपुर से मंगाई गई और 38 दिन में पक्षी टावर का कार्य पूर्ण हो गया। उनका दावा है कि यह पक्षी घर भारत का सबसे ऊंचा पक्षी घर है। यह सारे इलाके के लिए एक गर्व का विषय है।
अलग अलग जीवों के लिए बनाई गई हैं अलग अलग मंजिल--
सबसे नीचे चिडिय़ा जैसे छोटे जानवर के लिए घोंसले बनाए गए हैं। ऊपर की 7 मंजिलों में कबूतर कोयल कौवा, मैना, तोता, फाख्ता, कठफोड़ा पक्षी अपना आशियाना बनाएंगे। इस पक्षी घर में  जो घोंसले बने हैं उनको तापमान को ध्यान में रखकर बनाया गया है।  उनके के लिए दाने पानी की उपयुक्त व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया की बाबा जयराम दास मंदिर कमेटी के सहयोग के अलावा विजय कुमार नांगलिया, नलनि नांगलिया सज्जन कुमार शर्मा, आनंद प्रकाश शमर्,ा रोहतास अग्रवाल और आचार्य कमल कांत ने आर्थिक रूप से मदद की वही प्रधान सूबेदार राम अवतार सिंह सचिव, वीरेंद्र तंवर कोषाध्यक्ष, राजेश मुन्ना ,सोहन सिंह, कैलाश यादव, रवि तंवर और विनोद खींची ने इस कार्य को पूर्ण करवाने में अपना पूरा योगदान दिया।
  इस पक्षी घर में पक्षियों के हने खाने तथा अंडे देने के लिए हर प्रकार की सुविधा दी गई है। अभी से ही जब इसका उद्घाटन होना बाकी है अनेक पक्षियों ने अपना शरण स्थल मान लिया है और आाम से बसने लगे हैं। उनके लिए पानी एवं अन्न का प्रबंध भी कर दिया गया है।
फोटो कैप्शन 2,3 एवं 4: पक्षियों के लिए पाली में बनाया गया घर।

 

नेपियर घास
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 कनीना। हाथी घास/युगांडा घास कहने को तो नेपियर एक घास है किंतु यह घास कुल का पौधा नहीं होता। इसे वैज्ञानिक भाषा में सेंचरस पर्पूरियस/ पेनिसेटम पर्पूरियस नाम से जाना जाता है। यह पोएसी कुल का पौधा होता है जो भारत की उत्पत्ति नहीं है अपितु अफ्रीका की पैदावार है। इसके पैदा करने में पानी एवं खाद आदि की बहुत मक जरूरत होती है। इसके तनों की मदद से इसे आसानी से उगाया जा सकती है जो बहुत कम और बहुत अधिक ताप को सहन कर सकती है। अफ्रीका में अपने आप उग जाती है।
 नेपियर घास वर्तमान में किसानों के लिए योगदान नहीं अपितु वैज्ञानिकों के लिए भी अनेक शोध का कारण बनी हुई है। घास इसलिए कहते हैं कि पशुओं के हरे चारे के रूप में काम में लाई जाती है किंतु यह बाजरे से बिल्कुल मिलती-जुलती तथा इसके तने को देखें तो गन्ने और बाजरे जैसा ही होता है। कभी-कभी झुंडे एवं बांस जैसा भी पौधा बन जाता है किंतु यह बार-बार काटी जा सकती है। एक बार में ही एक पौधे से 50 से 60 किलो हरा चारा प्राप्त हो सकता है। इसलिए किसानों के लिए अधिक लाभप्रद है। सबसे बड़ी विशेषता इस पौधे पर बीजी बनते हैं बिल्कुल बाजरे जैसे भुट्टे भी लगते हैं किंतु इसकी पैदावार बढ़ानी हो तो इसके पके हुए तने को काटकर गन्ने की भांति भूमि में दबा दिया जाता है और यह घास उत्पन्न हो जाती है। हरा भरा पौधा दूर से लुभा लेता है। यह पौधा बहुत भारी हो जाता है जिसको देखकर ही लगता है कि यह हाथी घास है।
वैज्ञानिकों के लिए यह शोध का विषय बना हुआ है क्योंकि एक बार लगा देने के बाद कई सालों चलती रहती है। बार-बार काटी जाती है तथा एक बार में एक पौधे से 50 से 60 किलो चारा आसानी से प्राप्त हो जाता है और घास को देखकर ही पता लग जाता है कि यह नेपियर घास है। जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बहने से रोकती है। हवा के दबाव को कम करती है, कागज उद्योग में काम आती है तथा बायोगैस, बायो तेल एवं चारकोल आदि के निर्माण में भी काम में लाते हैं।
 कभी-कभी इस घास को देखकर ऐसा लगता है जैसे बांस का पौधा है। बांस के पौधे की भांति बहुत तेज गति से बढ़ती है। यह एक बीजपत्री पौधा है जिसके बीज में केवल एक दल पाया जाता है परंतु बीजों की बजाय इसके तने से ही दूसरा पौधा तैयार किया जा सकता है। प्रतिवर्ष पशुओं के लिए सूखा चारा, हरा चारा तथा सांद्र चारे की जरूरत होती है जो इसी पौधे से प्राप्त किया जाता है। साल में कई बार उगाई जा सकती है ,पर एक बार उगाए जाने पर कई सालों तक चलती है। इसलिए भी किसानों के लिए घास वरदान बन गई है। गन्ने की भांति इस में अनेक पोरियां होती है जो अंदर से मीठी होती है इसलिए पशु इसको चाव से खा लेते हैं।
 नेपियर घास को बीजों से भी पैदा किया जा सकता है। नेपियर के ताने को काटकर ही तैयार की जाती है क्योंकि किसान पशु पालता है पशुओं के लिए सूखा, हरा चारा तथा सांद्र चारे की जरूरत होती है जिसमें से दो चारों की पूर्ति नेपियर घास कर सकती है। धीरे-धीरे लोगों का किसानों का रुझान इस घास की ओर बढ़ गया है। उद्योगों की दृष्टि से पशु का दूध बढ़ाती है क्योंकि यह पौष्टिक चारा होता है।
 नेपियर घास चारे के रूप में अधिक उगाई जाती है इसलिए डेयरी उद्योगों में बहुत प्रसिद्ध है। अफ्रीका में डेयरी उद्योगों के लिए यह घास अधिक उगाई जाती है। गाय एवं भैंस आदि इसे आसानी से खाते हैं दूसरे पशु देश को खा लेते हैं। युगांडा में उगाई जाने वाली घास बाल रहित होती है अधिक पैदावार देती है। सबसे बड़ी विशेषता है कि कम पानी और कम तत्वों से उगाई जा सकती है।
 किसान विशेषकर पशु पाल कर दूध प्राप्त करते हैं। दूध प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के चारे पैदा करते हैं या बाजार से खरीद कर लाते हैं ताकि दूध पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सके। परंतु किसानों की नजरें लगातार नेपियर घास की ओर बढ़ी है ताकि सुधार से अधिक लाभ कमाया जा सके। इस पर खर्चा बहुत कम आता है तथा लाभ अधिक देती है। किसान इस घास को देखकर अधिक खुश है।













महक रहा है जितेंद्र यादव का घर
गर्मी में भी विभिन्न रंगों के फूल खिले हैं
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 कनीना। कनीना अनाज मंडी स्थित जितेंद्र यादव इंजीनियर का घर फूलदार पौधों से महक रहा है। उनके छोटे से आंगन में 15 महीनों से लगातार पौधे लगाये जा रहे हैं। जितेंद्र यादव ने बताया कि मानेसर में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है तथा उनकी सदा ही रुचि रही है कि घर में पेड़ पौधे उगाए जाए। इसलिए उन्होंने
अपने घर में जहां नींबू, सिंदूर, मौसमी, अमरूद, पपीता, गुलाब, छुईमुई, रात की रानी, मधुमालती कचनार, अनार, तुलसी, गुलाब, एलो वेरा ,चीकू तथा 55 विभिन्न गमलों में फूलदार पौधे लगे हुए हैं। कदम और केली के फूल भी महक रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी रूचि होने के कारण वे विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे अपने घर में उगाते हैं और 15 महीनों से लगातार इस काम में रुचि दिखा रहे हैं। उनके गुलाब विभिन्न रंगों के भारी संख्या में  महक रहे हैं वहीं छोटे से बड़े पौधे, मार्निंग ग्लोरी के विभिन्न बड़े आकार के फूल मन विभोर कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे सदा ही पेड़ पौधों के प्रति लगाव रखते हैं।
 फोटो कैप्शन 09: पेड़ पौधों से सजा हुआ जितेंद्र का घर।

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