धारावाहिक-04
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150 वर्ष पुराने भित्तिचित्र आज भी मन को मोह रहे हैं
-कनीना के होलीवाला जोहड़ के पास तथा जैनाबाद में उधोदास आश्रम में इस प्रकार के भित्तिचित्र देखने को मिल रहे हैं।
--डा होशियार सिंह यादव- कनीना की आवाज
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वर्तमान में भी मन मोह रहे हैं सैकड़ों वर्ष पुराने भित्तिचित्र
-रामायण और महाभारत युद्ध को रहे हैं दर्शा
कनीना क्षेत्र में सैकड़ों वर्ष पुराने भित्तिचित्र अपने समय की याद दिलाते हुए दर्शनीय बनते जा रहे हैं और मन मोह रहे हैं। ये न तो मिट रहे हैं और न हीं इनका रंग फीका पड़ रहा है। करीब 150 वर्ष पुराने बताये जाते हैं। पुरानी इमारतों, भवनों और मंदिरों में आज भी ये भित्तिचित्र आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। जन जब भी कभी मंदिरों या अन्यत्र स्थानों पर इन भित्तिचित्रों को देखते हैं तो मंदिर को भूल जाते हैं और इन्हीं की ओर टकटकी लगाकर देखते रह जाते हैं। अब तो इनका संरक्षण
कनीना की पुरानी गुम्बद व जैनाबाद का बाबा उधोदास मंदिर रामायण, महाभारतकालीन समाज को शिक्षा देने वाले तथा देवी देवताओं से परिपूर्ण हैं। इस कला में पारंगत व्यक्तियों ने भरसक प्रयास करके ही इन कलाओं को अपनी तूलिकाओं से उकेरा है।
कनीना में होलीवाला जोहड़ पर एक यादगार बनी हुई है। यहां सेठ लेखराम की यादगार में गुंबद बनी है। यादगार की सबसे बड़ी विशेषता ऊपर की ओर वो मनमोहक कलाकारी भित्तिचित्र के रूप में की हुई है कि देखकर मन हर्षित हो उठता है। इस कलाकारी में ऐसे रंग व पेंट प्रयोग किए हैं जो आज भी मुंह बोलते नजर आते हैं। पुरातत्ववेत्ताओं ने एक बार आकर बताया था कि ये भित्तिचित्र करीब 150 वर्ष पुराने हैं। इन भित्तिचित्रों में रामायण, महाभारत व गीता आदि के दृश्य दर्शाए गए हैं। बाबा मोलडऩाथ सत्संग मंडल के जन्मदाता मेहरचंद आयु में बुजुर्ग(85) हैं, का कहना है कि उनके पूर्वज भी इन भित्तिचित्रों का वर्णन करते आए हैं। इन भित्तिचित्रों को तैयार करने से पहले कोड़ी को घिसकर दीवारों को चमकीला व सजीला बनाया गया है और प्राकृतिक रंगों से पेंटिंग की गई है। विशेषज्ञों के अनुसार भित्तिचित्र बनाने का काम करीब दो सौ वर्ष तक चला। 1699 में शुरू हुआ और बाद में 1899 में अलग अलग कला उकेरने का काम चला। पुराने समय में केवल धार्मिक चित्रों को ही भित्तिचित्र के रूप में उकेरा जाता था। अब यह चित्रकारी पूर्णरूप से बंद है।
जब भी किसी व्यक्ति के पास फुरसत होती है तो वह इन भित्तिचित्रों को देखने के लिए यहां आ बैठता है। इन कलाओं के बारे में कबुजुर्गों का कहना है कि ये कोड़ी का उपयोग करके बनाई हैं। कोड़ी एक प्रकार का कैल्शियम युक्त जीव होता है। यद्यपि ऐसी पेंटिंग एवं कलाकृतियां कम ही बची हैं किंतु इनको देखकर लगता है कि प्राचीन समय से बुजुर्गों में कुछ करने की क्षमता होती थी।
उधर कनीना से नौ किमी दूर जैनाबाद आश्रम में बाबा उधोदास समकालीन भित्तिचित्र आज भी मन मोह लेते हैं। ये भित्तिचित्र भी लगभग उसी पैट्रन पर बनाए गए हैं जैसे कि कनीना की गुम्बद के । बाबा उधोदास ने 1827 में एक कुआं और ये भित्तिचित्र बनवाए गए थे। बाबा उधोदास की गुम्बद के अंदर ऊपर की ओर रामायण, महाभारत, यमराज, कवि आदि के भित्तिचित्र बनाए गए है। बाबा आश्रम के संचालक महंत लालदास महाराज का कहना है कि बाबा उधोदास के समकालीन के ये भित्तिचित्र हैं जो जन आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। जो भक्त बाबा उधोदास स्थल पर आता है वह इस कलाकारी को जरूर देखता है और अनायास ही मुंह से वाह-वाह निकल जाता है।
भित्तिचित्रों का इतिहास-
भित्तिचित्र भी बोलते हैं और मूक होकर भी अपने संदेश दूर तक भेजते हैं। इस मूक भाषा को भित्ति चित्र के नाम से संबोधित करते हैं।
भित्तिचित्र कला चित्रकारी की सबसे पुरानी चित्रकला माना जाता है। प्रागैतिहासिक युग के ऐतिहासिक रिकॉर्ड में मिट्टी के बर्तनों के निर्माण के कुछ समय बाद लोग, मिट्टी का प्रयोग दीवारों पर चित्र बनाने के लिये करने लगे। भित्तिचित्र शब्द इटली भाषा से आया है जिसका अर्थ है खरोच। अर्जेंटीना के सांताक्रूज में स्थित क्यूवा डे लास मानोस प्राचीनतम आकर्षक प्राचीन भित्तिचित्रों में से एक है। यह भित्ति पेंटिंग 13,000 से 9,000 ईसा पूर्व की है। प्राचीन यूनानी शहर आधुनिक तुर्की में स्थित आधुनिक शैली भित्तिचित्र का पहला ज्ञात उदाहरण प्राप्त होता है। इसमें एक पैर, एक हाथ, एक दिल और एक संख्या का चित्र शामिल है। रोम, इटली के पास स्थित एक कमरे की दीवार पर अलेक्सामेनोस भित्तिचित्र, 200 ईस्वी के आसपास बनाया गया था और यह ईसा मसीह की सबसे पुरानी ज्ञात छवि भी है। भारतीय भित्ति चित्रों का इतिहास दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 8वीं - 10वीं शताब्दी ईस्वी तक प्राचीन और प्रारंभिक मध्ययुगीन काल में शुरू होता है। पूरे भारत में लगभग 20 से अधिक ऐसे स्थान ज्ञात हैं जिनमें इस अवधि के भित्ति चित्र मौजूद हैं। भित्ति चित्र मुख्य रूप से प्राकृतिक गुफाओं और रॉक-कट कक्षों में बनाए गए हैं। इनमें अजंता की गुफाएं, बाग, सिट्टानवसल, अरमामलाई गुफा (तमिलनाडु), एलोरा गुफाओं में कैलासनाथ मंदिर, रामगढ़ और सीताबिनजी शामिल हैं। इस अवधि के भित्ति चित्र मुख्य रूप से बौद्ध, जैन और हिंदू धर्मों के धार्मिक विषयों को दर्शाते हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी ज्ञात चित्रित गुफा और रंगमंच शामिल जैसे जोगीमारा और सीताबेंगा गुफाओं जैसे कुछ स्थानों में पेंटिंग धर्मनिरपेक्ष थीं।
विशेषज्ञों की मानें तो करीब 200 वर्षों तक 1699 से 1899 तक भित्तिचित्र बनाने का सिलसिला जारी रहा है। इसी अवधि में कनीना के लेखराम गुम्बज एवं उधोदास आश्रम में भित्तिचित्र बनाये गये हैं।
कनीना की गुंबद का इतिहास-
कनीना में होलीवाला तड़ाग के पास में गुम्बद लेखराम सेठ की याद में बनाई गई है। वर्तमान लेखराम परिवार की सातवीं पीढ़ी चल रही है। पहले लेखराम हुये जिनके जिनके तीन लड़के तुलाराम, आसाराम और रामदत्त ने मिलकर इस गुंबद का निर्माण किया था। यह करीब 150 वर्ष पुरानी है इसके तहत 32 कनाल 13 मरला जमीन पड़ती है। जहां पुराना शिवालय, प्राचीन कुआं पुराने वक्त के पेड़ पौधे रमणीक स्थान बनाते हैं। नगरपालिका के खसरा नंबर 515 पर यह अंकित है। शिवालय और कुआं उसी समय बनाए गए थे जब गुम्बद बनाई गई थी। यहां पर लेखराम के पदचिह्न आज भी बने हैं जिनकी पूजा अर्चना की जाती है। उल्लेखनीय है कि लेख राम और
पार्क और धोकलमल पार्क दोनों अलग-अलग है। यद्यपि दोनों अलग अलग परिवारों के वैश्य समाज द्वारा बनवाए हुए हैं। धोकलमल की याद में धोकलमल पार्क एवं मंदिर आदि बनवाये गये है।
कनीना के अधिवक्ता कैलाश चंद गुप्ता बताते हैं कि लेख राम की मिल्कियत 1947 से पहले की है और आज भी चली आ रही है।
लेख राम की गुंबाद वास्तव में बुजुर्गों से सुनते आ रहे हैं देखते आ रहे हैं और यहां तक कि बचपन में स्वयं भी लेखक यहां बैठकर इन भित्ति चित्रों को लंबे समय तक निहारते रहते थे। करीब 70 फुट ऊंची गुंबद है जिसमें इस तक पहुंचने के लिए सीढिय़ों का सहारा लेना पड़ता है। पुराने समय के नीले पत्थर की सीढिय़ां बनाई और सीढिय़ां बिल्कुल खड़ी है। यहां ऊपर जाकर देखा जाए तो आठ पोलों पर गुंबद बनी हुई है जिसके 7 दरवाजे हैं। यहां पर साधु संत भी रहते आये हैं। पहली मंजिल यानी ग्राउंड फ्लोर पर दो कोटड़ी/ कमरे बने हैं तथा बीच में लेख राम के पदचिह्न हुए हैं। पद चिन्हों के पास ही संवत लिखा हुआ है किंतु जो स्पष्ट नहीं है। देखने में 1900 तथा 1845 आदि कुछ इंगित किया गया है। समय के साथ बदलाव आने से पत्थर की लिखावट धुंधली पड़ गई है। शायद लेखराम का जन्म एवं मृत्यु लिखा हो ऐसा अनुमान लगातेे हैं। यहां विभिन्न अवसरों पर सेठ वैश्य परिजन पूजा अर्चना करने आते हैं। अक्सर लेख राम जी के पदचिन्हों की पूजा की जाती है। वैश्य समाज में यह प्रथा लंबे समय से चली आ रही है। गुंबद को साफ सुथरा बनाया गया है परंतु इस पर कोड़ी द्वारा लिपाई की गई है। वास्तव में दीवारों की सफाई की जाए तो फिर से चमकने लग जाती है। कोड़ी की सबसे बड़ी विशेषता भी यही रही है। गुंबद के अंदर झांक कर देखें तो रामायण और महाभारत से संबंधित भित्ति चित्र बनाए गए हैं। इन्हें जिस रंग एवं पेंट से उकेरा है वो कला एवं चित्र वास्तव में सराहनीय है। आज तक इतने लंबे अरसे के बाद भी ये चित्र बोलते नजर आते हैं।
अक्सर भित्तिचित्र नष्ट हो जाते हैं, रंग धुंधला पड़ जाता है लेकिन ये जिस रंग/पेंट से बनाए गए हैं अभी तक धुंधला नहीं पड़ा है। अक्सर इस छतरी में लेट कर घंटो तक लोग इन चित्रों को निहारते हैं। कम से कम 400 भित्तिचित्र छोटे-छोटे अंकित किए गए हैं। जिस कलाकार ने इनको उकेरा वास्तव में बहुत मेहनत की है। एकाध दिन नहीं अपितु कम से कम छह माह में इन्हें उकेरा होगा। रामायण एवं महाभारत युद्ध तथा मुगलकालीन युद्ध के सीन नजर आते हैं। कहीं कोई ऐसी गलती नहीं नजर नहीं आती जिसको एक टक इंसान देखते ही रह जाता है। पास में पुराने समय का शिवालय है। जब कनीना में पुराने समय का यही बड़ा शिवालय होता था। पास में जोहड़ है। वैश्य समाज की कुछ जमीन पर जोहड़ जिसे होलीवाला जोहड़ कहते हैं, का पानी भरा हुआ है।
एडवोकेट केसी गुप्ता बताते हैं कि कनीना बसासत के समय जो परिवार वैश्य समाज के रहे हैं वो केवल सिंघल/सिंगल/सिंगला गोत्र से ही संबंध रखते हैं। वर्तमान में इस समाज में रामजीदास सबसे बुजुर्ग व्यक्ति है तथा बंसीधर गुप्ता पूर्व स्वतंत्रता सेनानी इसी परिवार से संबंध रखते थे। आज भी शिवालय में लोग दूर-दराज से पूजा-अर्चना करने आते हैं। कभी चारों तरफ से यह खुला होता था तथा बड़े-बड़े पीपल के पेड़ जोहड़ के किनारे पर थे वो अब समाप्त हो गए हैं। वर्तमान में इस बाग अर्थात लेखराम बाग की जमीन की चारदीवारी की हुई है। यह भी सत्य है कि कभी इस जगह लोग इस बाग में मलमूत्र त्यागने आते थे और इसे बाग नाम से जाना जाता था।
जहां शिवालय में शिव परिवार विराजमान है वहीं सबसे अनोखी और सुंदर चीज पुराना कुआं है। यद्यपि कुएं में वर्तमान में पानी सूख गया है तथा इसे पीही नाम से जाना जाता था। कनीना का यह पुराना कुआं होता था जहां चार घोड़ तथा घिरनियां लगी होती थी और चार महिलाएं एक साथ पानी खिंच सकती थी। यहां लोग हाथों से भरी ढोल से पानी खींचते थे। आज भी वैसे का वैसा खड़ा हुआ है जिसके दो बड़े होद है, होद का पानी मोरियो द्वारा होकर बड़े पाउंडे में जमा होता था और पाउंडे के चारों तरफ पशुओं के पानी के लिए खेल होती थी। खेलियो का पानी पशुओं के पीने के काम आता था। पुराने समय जब लोग इस पाउंडे में नहाने के लिए आते थे वे दूरदराज से संबंध रखते थे। स्वयं लेखक भी इस फाउंडे में गोते लगाकर कभी नहाता था।
पास में गायों के लिए एक जगह थी जहां गाय खड़ी होती थी और उनके लिए मकर सक्रांति आदि के दिन चारा डाला जाता था। कनीना के पंडित कुरड़ाराम यहां पर गाय इक_े करते थे और उन्हें गायों को दूर-दराज तक चराने के लिए भी ले जाते थे और वापिस यही लाते थे। वास्तव में वे श्रीकृष्ण की भांति गायों को चराते थे। यहां उल्लेखनीय है कि गायों के खड़े होने की जगह जिसे चौना कहते हैं दो जगह लगती थी। अस्पताल के स्थान पर भी गायों को इक_ा किया जाता था जिसकी डूंगाराम देखरेख करते थे। कभी यहां चंद्रभान की आटा मिल होती थी परंतु वर्तमान में आटा मिल के कोई चिह्न नहीं हैं। कुएं की चार बुर्ज पुराने समय का इतिहास बताती है। आज भी ये भूमि तल से 20 फुट ऊंचाई तक खड़ी हुई है। पाउंडा, खेल तथा होद छोटी ईंटों एवं चूने से बनाये गये हैं। यदि इनका संरक्षण किया जाए तो भविष्य की धरोहर बन सकते हैं।
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धारावाहिक -05
धारावाहिक -05 में पढ़ेंगे कनीना के जोहड़ों का इतिहास। जल्द ही कनीना की आवाज ब्लाग में। कनीना की बणियां कैसे खुर्द बुर्द होती जा रही हैं और मौन हैं सभी।।
उधोदास आश्रम के लालदास महाराज द्वारा दिखाई गई भित्तिचित्र एवं कनीना की गुम्बद, पुराना मंदिर एवं पीही, लेखराम बाग की फोटो साथ हैं।
कोचिंग सेंटर बंद रखने के आदेश पारित
-कोचिंग सेंटर संचालकों में मची हड़कंप
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कनीना की आवाज। जिलाधीश डा. जयकृष्ण आभीर ने एक आदेश पारित कर जिला में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी के लिए चल रहे सभी निजी संस्थान, अकादमी व कोचिंग सेंटर बंद रखने के लिए धारा 144 लागू की है। सभी संस्थान आगामी आदेशों तक बंद रहेंगे। जिसको लेकर कनीना के कोचिंग सेंटर संचालकों में हड़कंप मची है। भारी संख्या में विद्यार्थी विभिन्न प्रकार की कोचिंग लेने के लिए प्रतिदिन आ रहे हैं।
आदेशों में स्पष्ट किया है कि विभिन्न सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं/प्रशिक्षण के लिए युवाओं को तैयार करने के लिए निजी संस्थान/अकादमी/कोचिंग सेंटर चलाए जा रहे हैं। इन संस्थानों में प्रतिदिन छात्र काफी संख्या में आती है। ऐसी आशंका है कि इन संस्थानों में नामांकित युवक अग्निपथ योजना के विरोध में शामिल हो सकते हैं और मानव जीवन के साथ-साथ सुरक्षा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के अलावा शांति भंग कर सकते हैं। ऐसी सभी गतिविधियों को रोकने के लिए अगले आदेश तक अपने संस्थान बंद रखें। आदेशों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 188 के अनुसार सख्ती से निपटा जाएगा।
अब कनीना एवं आस पास के कोचिंग सेंटरों को बंद करवाने में प्रशासन कितने कदम उठाता है यह देखना बाकी है। कुछ सेंटर चोरी छिपे इस प्रकार के कोचिंग सेंटर चला रहे हैं, उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।
योग दिवस के लिए योग की हुई अंतिम रिहर्सल
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कनीना की आवाज। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर उपमंडल स्तरीय रिहर्सल का आयोजन पीकेएसडी कॉलेज कनीना में किया जिसमें योग प्रशिक्षक जगबीर सिंह, गीता यादव तथा पूजा कौशिक ने विभिन्न योगासनों का अभ्यास एवं योग के विभिन्न आयामों का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डा शशि मोरवाल ने बताया कि उपमंडल स्तरीय कार्यक्रम 21 जून को प्रात: सात बजे होगा तथा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कनीना के उपमंडल अधिकारी नागरिक सुरेंद्र सिंह होंगे इस कार्यक्रम में विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के शिक्षक एवं विद्यार्थी तथा अन्य विभागों के कर्मचारी भी हिस्सा लेंगे।
कार्यक्रम में नियमित योगाभ्यास के अलावा योग प्रोटोकॉल से भी अभ्यास करवाया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ प्रवक्ता नरेश कौशिक ने किया तथा बताया कि यह आठवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस होगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे बढ़-चढ़कर योग का अभ्यास करें जिससे कि उनका जीवन सुखमय ,निरोग एवं सुरक्षित बन सके। इस अवसर पर डा नेहा यादव ,संदीप कुमार फार्मासिस्ट, योग प्रशिक्षक जगबीर सिंह, योग प्रशिक्षिका गीता यादव, योग प्रशिक्षक पूजा कौशिक वरिष्ठ प्रवक्ता एवं मंच संचालक नरेश कौशिक,प्रवक्ता नितिन मुदगिल, कनीना के खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी बलराम गुप्ता, अमित कुमार, पंचायत सचिव सहित विभिन्न जन मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 01: योग करते साधक।
्र2: योग करते मंच पर
प्रकृति का सुंदर नजारा दिखाई दे रहा है सुबह सवेरे
-सूर्य उदय होने से पहले पांच ग्रह एक साथ लाइन में दिखेंगे
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कनीना की आवाज। जून महीने में सूर्य निकलने से आधा घंटा पहले पूर्व दिशा में पांच ग्रह एक साथ नजर आयेंगे। चांद, तारे और आकाश के बारे में दिलचस्पी रखने वालों के लिए एक बहुत ही खूबसूरत नजारा प्रकृति दिखाने जा रही है।
जून महीने में सुबह सूरज निकलने से आधा घंटा पहले अगर आप पूर्व दिशा में देखते हैं तो आपको पांच ग्रह एक साथ एक ही लाइन में नजर आएंगे। यह पांच ग्रह है बुध, मंगल, शुक्र, बृहस्पति और शनि
बुध ग्रह बिल्कुल क्षितिज के पास होता है तो वह सूर्य की रौशनी में छुपा होने के कारण कई बार दिखाई नहीं देता है। अगर आपके पास दूरबीन है तो आप इसको आसान से देख सकते हैं
क्षितिज से अगर हम दूर चलते चले जाएं तो सबसे पहले क्षितिज के पास बुध उसके बाद शुक्र उसके बाद मंगल उसके बाद बृहस्पति और सबसे ऊपर शनि दिखाई देगा। इन पांचों ग्रहों को पहचानने के लिए इनके अलग-अलग रंगों से आप इनको बहुत अच्छे तरीके से पहचान सकते हैं जैसे की शुक्र और बृहस्पति दोनों ही बहुत ज्यादा चमकीले लेकिन शुक्र सबसे ज्यादा चमकीला है और यह क्षितिज के थोड़ा पास में उसके बाद शुक्र के ऊपर जो ग्रह दिखाई दे रहा है वह मंगल है और यह मंगल लाल रंग का होता है। आप इसको अलग से पहचान सकते हैं उसके बाद बृहस्पति जो कि शुक्र से कम चमकीला है लेकिन बहुत खूबसूरत दिखाई देता है उसके बाद सबसे ऊपर जो है वह शनि ग्रह हैं और शनि ग्रह की पहचान है वो है इसका हल्का पीला रंग होता है तो आप इन पांच ग्रहों को एक लाइन में देख सकते है। अगर आप सुबह सूरज उगने से आधा घंटा पहले उठ जाते हैं तो मतलब सुबह 4:30 बजे।
18 सालों में ऐसा पहली बार हो रहा है कि 5 ग्रह एक क्रम में होंगे और उन्हे सुबह-सुबह क्रमवार देखा जा सकता है। पांचों ग्रहों का इस तरह एक रेखा मैं होना दुर्लभ नहीं है यह ग्रह पिछली बार 2004 में इसी तरह एक सीध में आए थे। 2040 में भी एक साथ आएंगे जैसे-जैसे जून आगे बढ़ेगा बुध यानी मरकरी को देखना आसान होता जाएगा।
24 जून को विशेष सौगात भी है क्योंकि शुक्र और मंगल के बीच में अर्धचंद्र भी दिखेगा।
मॉडल स्कूल कैैडेट्स योगाभ्यास में लेंगे भाग
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कनीना की आवाज। राजकीय मॉडल संस्कृति सीनियर सेकेंडरी स्कूल कनीना के एनसीसी के कैडेट्स भी 21 जून को होने वाले योग दिवस पर योग में बढ़-चढ़कर भाग लेंगे। विगत कई दिनों से अभ्यास कर रहे हैं। विस्तृत जानकारी देते हैं एनसीसी अधिकारी रमन कुमार ने बताया कि उन्होंने विगत कई दिनों से उनकी रिहर्सल करवाई है, अभ्यास करवाया है जिसके बाद अब वे पूर्ण रूप से योग दिवस पर भाग लेने के लिए तैयार है।
कोचिंग सेंटर में पढऩे वाले छात्र छात्राओं को तोडफ़ोड़ से बचने के दिए निर्देश------डीएसपी राजीव कुमार
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कनीना की आवाज। भारत बंद को लेकर कनीना डीएसपी राजीव कुमार व सिटी थाना वह सदर थाना प्रभारी ब्रह्मप्रकाश यादव व मूलचंद तवर के साथ कनीना से बाहर आने जाने वाले रास्तों पर लगाए गए नाके को चेक किया तथा वहां गश्त दे रही पुलिस को हर समस्या से निपटने के निर्देश दिए। इस मौके पर आने जाने वाले वाहनों को भी चेक किया तथा उनमें जा रही सवारियों तथा यात्रियों से भी जानकारी ली ताकि किसी भी आने जाने वाली सवारी के साथ कोई अप्रिय घटना ना घटे। इसके पश्चात डीएसपी राजीव कुमार व मूलचंद तंवर तथा ब्रह्म प्रकाश यादव की टीम द्वारा कनीना कस्बे में चल रहे कोचिंग सेंटरों का निरीक्षण भी किया तथा वहां आने वाले छात्र छात्राओं को किसी भी गलत गतिविधियों में शामिल न होने की बात भी समझाई। 24 जून को भारत बंद का आह्वान किया हुआ है।
इस अवसर पर बोलते हुए डीएसपी राजीव कुमार ने कहा आप लोग यहां पढऩे के लिए आए हो मन लगाकर पढ़ाई करो तथा किसी के बहकावे में आकर किसी भी तोडफ़ोड़ के कार्य न करें क्योंकि गलत कार्य में अगर आप लोगों के कहीं नाम व फोटो आ जाता है तो आपका जीवन बर्बाद हो जाएगा, इसलिए माता-पिता ने आपको कोचिंग के लिए भेजा है, आप उनके सपनों को साकार करें तथा अपने शिक्षा पर ध्यान देकर भारत बंद में हिस्सा नहीं ले। वही कोचिंग सेंटर संचालकों को भी डीएसपी राजीव कुमार ने निर्देश दिए कि अगर किसी भी कोचिंग सेंटर का बच्चा कहीं सरकारी संपत्ति को नुकसान करता पाया गया तो उसके खिलाफ तो कार्रवाई होगी, कोचिंग सेंटर मालिक के खिलाफ भी कार्रवाई से संकोच नहीं किया जाएगा। इसलिए जिस भी सेंटर में जो बच्चा या बच्ची शिक्षा के लिए आते हैं उनको कोचिंग संचालक सही दिशा निर्देश दें और गलत दिशा निर्देश देने से बचें ताकि देश में सुख शांति और भाईचारा कायम रहे। इस अवसर पर इनके साथ सिटी थाना प्रबंधक मूलचंद तंवर सदर थाना प्रबंधक ब्रहम प्रकाश यादव, खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय से एसडीओ विनोद कुमार, उमेद जाखड़ पटवारी के अलावा अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।
यहां गौरतलब है कि पुलिस की कड़ी मुस्तैदी के कारण कनीना कस्बे व आसपास के गांव में शांति बहाली में लगे रहे और लोगों ने भारत बंद से दूर रहने की बात भी कही।
फोटो कैप्शन 3 व 4: डीएसपी राजीव कुमार व उनकी टीम कोचिंग सेंटर संचालकों के छात्र छात्राओं को समझाते हुए।
पीने के पानी की समस्या से पीडि़त हैं मुडिय़ा खेड़ा गांव के लोग
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कनीना की आवाज। पीने के पानी की समस्या को लेकर मुंडिया खेड़ा निवासी परेशान दर्जनों लोगों ने कनीना पहुंचकर दुखड़ा रोया।
मिली जानकारी के अनुसार गांव के दर्जनों लोगों ने पीने के पानी की समस्या को लेकर एसडीएम से मुलाकात कर बताया कि गांव मुंडिया खेड़ा में लगभग 6 हजार लोगों की बस्ती है तथा आधे गांव में पीने के पानी की समस्या बनी रहती है जिसको लेकर वह कनीना एसडीएम कार्यालय पहुंचे। इसके उपरांत उन्होंने बताया कि गांव में जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा 3 बोरिंग भी करवाये हुए हैं जिन से गांव में पीने के पानी की सप्लाई की जाती है।
ग्रामीण विजय पाल सिंह, बंता सिंह, जयपाल सिंह, रामपाल सिंह, रणधीर सिंह, भागीरथ सिंह, सतीश कुमार, रघुवीर सिंह, नरेंद्र सिंह के अलावा अन्य ग्रामीणों ने बताया कि उक्त सप्लाई से आधे गांव में पीने के पानी की एक बूंद तक नहीं पहुंचती जिसको लेकर लोग घंटों तक पानी का इंतजार करते रहते हैं लेकिन पानी नहीं पहुंचने के कारण उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने यह भी बताया की उक्त समस्या को लेकर वे कई बार अपना दुखड़ा रो चुके हैं लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है जिसको लेकर आज वह कनीना पहुंचे और उन्होंने कनीना एसडीएम से मुलाकात करने की कोशिश की लेकिन उनकी मुलाकात ना होने के कारण उन्होंने अपनी समस्या पत्रकारों को बताई। ग्रामीण लोगों ने बताया कि मोटर चालकों द्वारा पीने का पानी चलाने का कोई फिक्स टाइम नहीं है तथा मोटर चालकों द्वारा अपनी मनमानी करने के कारण तथा चालकों द्वारा कम पानी चलाने के कारण आधे गांव में पीने के पानी की भारी किल्लत बनी हुई है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि पानी का इंतजार करते करते रात को भी लोग सही ढंग से नहीं सो पाते हैं क्योंकि न जाने कब पानी आ जाए और पीने के पानी की समस्या भारी होने के कारण ग्रामीणों को दूरदराज से पानी लाकर अपना काम चलाना पड़ता है। ग्राम वासियों का यह भी कहना है कि गांव में कुछ लोगों द्वारा अवैध कनेक्शन करने के कारण उनको पानी भी मिलता है तथा जिनके कनेक्शन हो रहे हैं उनको पीने के पानी के लाले पड़े हुए हैं। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा पानी की सप्लाई ठीक कराई जाए तथा समय पर पीने का पानी समूचे गांव में पहुंचाया जाए ताकि इस गर्मी के मौसम में पीने के पानी की समस्या से निजात मिले। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि लोग तो देश में पीने के पानी की प्याऊ छबील लगाते हैं लेकिन यहां जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा पीने के पानी की सप्लाई को सही ढंग से नहीं चल रहा है जिसको लेकर ग्रामीणों ने एसडीएम कनीना व जिला उपायुक्त से मांग कर समूचे गांव मुडिया खेड़ा में पानी की सप्लाई सही कराने की गुहार लगाई है।
फोटो कैप्शन 05: पीने के पानी की समस्या को लेकर ग्रामीण समस्या बताते हुए।
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Monday, June 20, 2022
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