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Thursday, November 9, 2023



 


थाना सदर कनीना की टीम ने 0.80 ग्राम नशीला पदार्थ स्मैक सहित एक को किया काबू।
-7 पेटी शराब भी बरामद
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कनीना की आवाज। पुलिस अधीक्षक नितिश अग्रवाल के नेतृत्व में जिला महेंद्रगढ़ को नशा मुक्त करने के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत थाना सदर कनीना की टीम ने एक नशा तस्कर को काबू किया है। थाना सदर कनीना की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर 0.80 ग्राम नशीला पदार्थ स्मैक सहित एक आरोपित को दबोचने में सफलता हासिल की है। काबू किए गए आरोपित के खिलाफ थाना सदर कनीना में एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। आरोपित को आज न्यायालय में पेश किया गया।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकरी देते हुये बतालया कि थाना सदर कनीना की पुलिस टीम गश्त के दौरान बस अड्डा भोजावास पर मौजूद थी। उसी समय टीम को गुप्त सूचना मिली की लखन निवासी भोजावास, शिव शक्ति धर्मकांटा के पास नशीला पदार्थ स्मैक बेचने के लिए खड़ा है। अगर तुरंत रेड की जाए तो आरोपित को नशीले पदार्थ सहित काबू किया जा सकता है। सूचना पर थाना की टीम ने बतलाए हुए स्थान पर रेड की, वहां पर खड़ा एक युवक पुलिस टीम को देखकर भागने लगा। जिसे टीम ने काबूकर पूछताछ की, पूछताछ में उसने अपना नाम लखन उपरोक्त बतलाया। आरोपित की तलाशी लेने पर उसके पास से स्मैक बरामद हुआ। माचिस की डब्बी से 5 पुडिय़ा स्मैक के बरामद हुए। पुलिस ने नशीले पदार्थ को जब्त कर लिया और थाना सदर कनीना में मामला दर्ज कर आरोपित को गिरफ्तार कर लिया।
वहीं थाना सदर कनीना की दूसरी टीम ने अवैध शराब की 7 पेटी बरामद की हैं। पुलिस टीम गांव सुंदरह के बस अड्डा पर मौजूद थी, उसी दौरान टीम को गुप्त सूचना मिली कि कृष्ण वासी सुंदरह अपने मकान के अंदर अवैध शराब रखकर बेच रहा है, अगर तुरंत रेड की जाए तो अवैध शराब सहित काबू आ सकता है। इस पर टीम ने तुरंत बतलाए हुए स्थान पर रेड की, वहां पर खड़ा नौजवान व्यक्ति पुलिस टीम को देखकर अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गया। पुलिस ने पुराने खंडहर मकान की तलाशी ली तो 7 पेटी अवैध शराब बरामद हुई। आरोपित के खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया और अवैध शराब को जब्त कर लिया गया।






स्कूलों का 15 नवंबर से बदला समय
-अब आठ बजे की बजाय 9: 30 पर लगेंगे स्कूल
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कनीना की आवाज। हरियाणा शिक्षा विभाग में स्कूलों का वर्तमान समय 15 नवंबर से बदल दिया है। शिक्षा विभाग द्वारा जारी पत्र के अनुसार अब 15 नवंबर से स्कूल का समय प्रात: 9:30 बजे से शाम 3:30 बजे का होगा। जहां दो शिफ्ट /दो पारी चलती है वहां प्रात: कालीन पारी 7:55 से दोपहर 12:30 तथा दूसरी शिफ्ट शाम 12:40 से शाम 5:15 तक रहेगी।






सीएम फ्लाइंग की मिठाई की दुकानों पर छापेमारी
-भरे मिठाइयों के छह सैंपल
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कनीना की आवाज। सीएम फ्लादंग ने कनीना में विभिन्न मिठाई की दुकानों पर छापेमारी कर सैंपल भरे। दुकानदारों में हड़कंप मची रही।
 दीपावली के त्यौहार पर क्षेत्र में बहुत अधिक मिठाई की सप्लाई होती है इसी को देखते हुए मुख्यमंत्री उडऩ दस्ते ने कनीना में मिठाई के दुकानों पर छापेमारी की। त्योहार के मद्देनजर बाजार में मिलावट की भी शिकायतें आने लगी हैं। लोगों को मिठाई के साथ अन्य खाद्य पदार्थ खरीदते वक्त गुणवत्ता की जांच के बाद ही लेने की सलाह दी जाती है।
 गुरुवार को मुख्यमंत्री उडऩदस्ता की संयुक्त टीम ने अनीता रोड़, सरकारी स्कूल के सामने वाली रोड़,  कनीना बस स्टैंड के सामने व कनीना बाजार में मिठाई की दुकानों पर छापामार कार्रवाई की। इसमें अलग-अलग मिठाइयों के छह सैंपल लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला में भेज दिया है। गुप्त सूचना के आधार पर पहुंची टीम को कई अनियमितताएं मिलीं। सूचना मिल रही थी, यहां घटिया किस्म की मिठाई बेचकर लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।  दो दुकानों से भरे छह सैंपल।
मुख्यमंत्री उडऩ दस्ता की टीम अजय कुमार व खाद्य सुरक्षा अधिकारी डॉ. दीपक चौधरी की टीम मिठाई की दुकानों पर पहुंची। इस दौरान एक दुकान से बर्फी और कलाकंद, रसगुला, खोया, पनीर के सैंपल लिए गए। इसके बाद अन्य दुकानों पर खोया और मैदा के सैंपल लिए गए। अन्य दुकानों से बेसन और बर्फी के सैंपल लिए। अब दीपावली तक इसी प्रकार की कार्रवाई की उम्मीद है। इससे अनियमितताएं बरतने वाले कुछ सचेत हो सकेंगे। खाद्य सुरक्षा अधिकारी डॉक्टर दीपक चौधरी ने बताया कि दीपावली के सीजन में मिठाइयों में मिलावट की आशंका बनी रहती है जिसको लेकर क्षेत्र के विभिन्न दुकानों के सैंपल लिए जा रहे हैं। लोगों ने जमकर छापेमारी करने की मांग की है।
फोटो कैप्शन 05: सीएम फ्लाइंज छापेमारी करते हुए।





विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में राष्ट्रीय सेवा योजना का अहं योगदान - डा. विक्रम यादव
---एक दिवसीय श्रमदान शिविर आयोजित
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कनीना की आवाज। राजकीय कन्या महाविद्यालय उन्हाणी में आज  राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों द्वारा दीपावली  पर्व के उपलक्ष्य में एक दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. विक्रम यादव ने की। जिसमें  200  स्वयं सेविकाओं ने श्रमदान करते हुए संपूर्ण महाविद्यालय इमारत व परिसर  की साफ-सफाई की । श्रमदान के उपरांत स्वयं सेविकाओं के लघु जलपान की व्यवस्था की गई। प्राचार्य महोदय ने स्वयं सेविकाओं को संबोधित करते हुए कहा - विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में राष्ट्रीय सेवा योजना का अहं योगदान होता है, यह योजना समाज और स्वयं सेविकाओं के मध्य एक कड़ी का काम करती है। जिससे की समाज के प्रति उनमें अपने उत्तरदायित्वों की समझ पैदा हो सके के बारे में ज्ञानवर्धक वक्तव्य दिया। डॉ.सुधीर कुमार ने    राष्ट्रीय सेवा योजना के प्रतीक चिह्न -मैं नहीं पहले आप  पर विस्तृत व्याख्यान देते हुए कहा कि सच्चा स्वयं सेवक स्वयं से पहले समुदाय को स्थान देता है। उन्होंने छात्राओं से अपील कि वे अपने इस दायित्व का निर्वहन करते हुए अपने समीपवर्ती लोगों को सामाजिक  कुरीतियों के प्रति जागरूक करने में अपना यथासंभव योगदान करें।  कार्यक्रम  प्रभारी डॉ. सीमा देवी व सुश्री सीमा ने भी  अपने वक्तव्य में बताया कि- जब युवा वर्ग सोता है तो सारा देश सोता है और जब युवा वर्ग जागता है तो सारा देश जागता है राष्ट्रीय सेवा योजना के माध्यम से युवाओं में भारतीय संस्कृति के पुरातन मूल्य निज हित को परहित में परिवर्तित करना है। आज का युवा वर्ग स्वार्थ की भावना से ग्रसित हो चुका है, ऐसे में राष्ट्रीय सेवा योजना का उद्देश्य बहुत ही चुनौतीपूर्ण हो गया है। यह योजना युवाओं में स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा के द्वारा उनके व्यक्तित्व एवं चरित्र का विकास करती है , ताकि वे अपने  स्वैच्छिक प्रयासों से राष्ट्र के विकास में योगदान दे सकें के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने महाविद्यालय परिवार के सभी सदस्यों  का इस शिविर में यथासंभव सहयोग  के लिए आभार व्यक्त किया।
फोटो कैप्शन 04: सफाई करते हुए विद्यार्थी।







 दीपावली पर गेंदा फूल की मांग बढ़ी
-पंचपर्व दीपावली पर पूजा अर्चना में होती है जरूरत
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कनीना की आवाज।। गेंदा फूल की मांग बढ़ती ही जा रही है। दीपावली पर्व महापर्व होने के कारण 5 दिनों तक गेंदे की मांग अधिक होती है। गणेश उत्सव, श्री कृष्ण जन्माष्टमी तथा विभिन्न अन्य अवसरों पर भी फूलों की मांग बढ़ जाती है। कनीना क्षेत्र में गेंदा उगने वाले राकेश कुमार, गजराज सिंह, अजय, कांता आदि आदि ने बताया कि वे समय-समय पर गेंदे उगाते रहे हैं और बाजार में बेचते हैं। गेंदा उगने से जहां खेत की शोभा बढ़ती है वही एक लाख से 5 लख रुपये तक की आय प्रति एकड़ प्राप्त हो सकती है परंतु सारा कुछ मार्केट पर निर्भर करता है। जब बाजार में मांग अधिक होती है तब महंगे दामों पर गेंदे के फूल बिकते हैं तो अच्छी आय होती है वरना आय घट जाती है।
 उन्होंने बताया कि दीपावली पर गंदे फूलों की कीमत 60 से 75 रुपये प्रति किलो ग्राम है। वह भी यहां नहीं अभी तो गुरुग्राम में गेंदा फूल को बेचने के लिए जाना पड़ता है। राकेश कुमार ने बताया कि कृष्ण जन्माष्टमी और गणेश उत्सव के समय 200 रुपये किलो गेंदे बिके थे परंतु दीपावली पर दूसरे राज्यों से गेंदे के फूल अधिक आने से मांग कम हो जाती है किंतु क्षेत्रीय मार्केट में गेंदे की मांग फिर से बढ़ जाती है।
 दीपावली पर गेंदे कोफूल माला के रूप में प्रयोग किए जाते हैं और एक माल बेचने वाला दीपावली पर 30 रुपये की एक माला बेचता है जबकि एक माला में 150 ग्राम से अधिक फूल नहीं लगे होते। किसानों ने बताया कि गेंदा बेचकर उन्हें अच्छी आय हो जाती है और सबसे बड़ी बात है कि गेंदा फसल में रोग कम आते है। उधर जीव जंतु भी कम लगते हैं। ऐसे में गेंदा उगाकर त्योहार पर विशेष लाभ कमाया जा सकता है। ऐसे में अब सभी मार्केट में फूल की मांग बढ़ती जा रही है। फोटो कैप्शन 03: गेंदा फूल उगाए हुए।



अनिश्चितकालीन धरना 242वें  दिन रहा जारी
-कट बनने की आश लगाये बैठे हैं ग्रामीण
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152-डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना गुरुवार को भी जारी रहा। धरने की अध्यक्षता मास्टर विजयपाल सेहलंग ने की और उन्होंने बताया जब तक केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर  बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम शुरू नहीं करती है, तब तक हम यहीं पर डटे रहेंगे।
 धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष  विजय सिंह चेयरमैन  ने बताया कि धरने को चलते 242 दिन हो गए हैं। वाहनों के आवागमन से उडऩे वाली धूल- मिट्टी से धरने पर बैठे बुजुर्ग किसानों की हालत खराब है और उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत आ रही है। केंद्र सरकार किसानों के पीड़ा को समझे और जितना जल्दी हो सके। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम शुरू करवाया जाए। उन्होंने बताया कि हम केंद्र सरकार को याद दिलाते रहेंगे कि आपने 9 मार्च 2022 को पचगांव गुरुग्राम रैली में  राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट की घोषणा की , कट का काम अब तक शुरू नहीं किया गया है। केंद्र सरकार किसानों की परेशानी को देखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम जल्द शुरू किया जाए।
 संघर्ष समिति के सदस्य सूबेदार हेमराज अत्रि और रोशन लाल आर्य बाघोत ने बताया कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम शुरू होने से इस इलाके के विकास के सभी रास्ते खुल जाएंगे।
 उन्होंने बताया कि हमें केंद्र सरकार पर भरोसा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट बनेगा,समय लग सकता है।
 इस मौके पर  संघर्ष समिति के सदस्य मुंशी राम, ओमप्रकाश सेहलंग, संघर्ष समिति के सदस्य सरपंच हरिओम पोता, नंबरदार नाथूराम बाघोत पहलवान रणधीर सिंह, नरेंद्र शास्त्री छिथरोली, डा. लक्ष्मण सिंह, पूर्व सरपंच हंस कुमार, मास्टर विजय सिंह, रामकुमार , पहलवान धर्मपाल, पूर्व सरपंच बेड़ा सिंह,  ईश्वर सिंह, रघुवीर पंच, भरत सिंह,  पंडित संजय कुमार,  मुख्तार सिंह,  सीताराम,  बाबूलाल, कृष्ण कुमार पंच,  दाताराम, इंस्पेक्टर सतनारायण , सूबेदार भोले राम , वेद प्रकाश, सत्य प्रकाश, प्यारेलाल,   सूबे सिंह पंच, डॉ राम भक्त  व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 03: धरने पर वैठे ग्रामीण।





दीपावली पर्व नहीं महापर्व है
 -पंचपर्वों का महापर्व है दीपावली    
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कनीना की आवाज। दीपावली का पर्व एक पर्वों का समूह है। इस पर्व से पहले तथा बाद में भी दीपावली की धूम रहती है। शुक्रवार से ही दीपावली पर्व की शुरूआत हो जाएगी। धन तेरस का पर्व मनाया जा रहा है जिसके बाद तो एक के बाद एक पर्व लगातार चलते रहेंगे।
    ग्रामीण अचल में 10 नवंबर धन तेरस के दिन से ही दिवाली के दीये जलाने शुरू कर दिए जाते हैं। इस दिन माना जाता है कि बर्तन खरीदना लाभकारी है। यही कारण है कि इस दिन बर्तनों की दुकानों पर भारी भीड़ मिलती है। धन तेरस के दिन ही बर्तन क्यों खरीदे जाते हैं। इसके विषय में माना जाता है कि देवताओं और दानवों के द्वारा समुद्र मंथन के पश्चात इसी दिन ही धनवंतरि अमृत कलश लेकर समुद्र से बाहर आए थे। अमृत पाने के लिए देवता बर्तन लेकर दौड़े थे। इसी कारण से यह दिन धनवंतरि त्रयोदशी कहलाता है। लोगों का मानना है कि धनवंतरि इस दिन ही सभी को अमृत बांटते हैं और अमृत पाने की लालसा को लेकर नए बर्तन खरीदे जाते हैं। प्रार्थना की जाती है कि उनका यह नया बर्तन अमृत से भरा रहे और परिवार खुश एवं खुशहाल रहे। वैद्य के लिए यह दिन अति शुभ माना जाता है।
   दिवाली के एक दिन पूर्व यानी 11 नवंबर  नरक चतुर्दशी व छोटी दीपावली का त्योहार आएगा। यह पर्व श्रद्धा एवं उल्लास से मनाया जाता है। इस दिन सुबह सवेरे स्नान करना लाभप्रद माना जाता है। अत: लोग सूर्योदय से पूर्व ही स्नान करते हैं। इस पर्व को ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी दिवाली का पर्व कहा जाता है। नरक चतुर्दशी का पर्व असुर नरकासुर की याद दिलाता हैं। अति अभिमानी और देवताओं को सताने वाला नरकासुर राक्षस का भगवान् श्रीकृष्ण ने इसी दिन वध किया था। कहीं मृत्यु का देवता उन्हें नरक न प्रदान करे। इस भय के मारे लोग यमराज की पूजा करते हैं। इसे दूसरे दिन की दिवाली भी कहा जाता है।
12 नवंबर दिवाली का पर्व अंधेरे को मिटाने वाला तथा प्रकाश रूपी पुष्प भेजने वाला हिन्दुओं का महान पर्व है। जब भगवान् श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास भेजा गया था तभी से प्रजाजन अति दु:खी थे और पल.पल उनको याद करते रहते थे। आखिरकार एक दिन रावण ने सीता का ही हरण कर लिया और उन्हें लंका ले गया। हनुमान की सहायता से जब सीता का पता लगाया तो भगवान् श्रीराम ने लंका पर धावा बोलकर रावण का वध कर दिया जिसे दशहरा नाम दिया गया । उस दिन पश्चात श्रीराम अयोध्या के लिए लौट चले थे। जब श्रीराम अयोध्या लौटे तो लोगों ने खुशी के मारे तीन दिन देशी घी के दीये जलाए थे। तभी से यह त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। अमावस्या के दिन घोर अंधेरा होता है किंतु दीप जलाकर इस अंधेरे को नष्ट कर दिया जाता है। इस त्योहार पर घरों और आवास को चमकाया जाता है। लक्ष्मी सरस्वती और गणेशजी की पूजा की जाती है।
   दिवाली के अगले दिन अर्थात 13 नवंबर अन्नकूट का पर्व मनाया जाता है। इसे गोवर्धन नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मंदिरों में खिचड़ी व कढ़ी बांटी जाती हैं जिसे प्रत्येक जन चाव से खाता है। गोवर्धन पर्व से जुड़ी है श्रीकृष्ण और इन्द्र देव के बीच का प्रसंग। एक बार इंद्र देव भगवान् श्रीकृष्ण से कुपित हो गए और मूसलाधार वर्षा करने लगे। गोकुल में इतनी भारी वर्षा देखकर ग्रामीण भयभीत हो गए और चारों ओर त्राहि.त्राहि मच गई। जीव जल में डूबकर मरने लगे तो ग्रामीण दौड़कर भगवान् श्रीकृष्ण के पास आए। भगवान् श्रीकृष्ण ने उस वक्त गोवर्धन पर्वत ही अपनी अंगुली पर उठा लिया और गोकुलवासियों को उसके नीचे आने का आदेश दिया। इस प्रकार इंद्र का गर्व चूर.चूर हो गया और खुश होकर ग्रामीणों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इसी दिन आजकल गाय आदि की पूजा करने का विधान भी है। विश्वकर्मा जयंती भी मनाई जा रही है।
   दिवाली के दूसरे दिन यानी 14 नवंबर को भैया दूज नाम से जाना जाता है। यह पर्व भाई बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है। विवाहित महिलाएं इस दिन अपने भाई को बुलाकर उनका आदर सत्कार करती हैं। तथा उनके दर्शन किए बगैर अन्न भी ग्रहण नहीं करती हैं। बहन भाई को तिलक करके उसकी लंबी उम्र की कामना करती है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए यमराज की पूजा करती हैं। इस प्रकार दिवाली का पर्व पूरे पांच दिनों तक चलने वाला पर्व हैजिसका महत्व आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में उतना ही है जितना पहले कभी होता था।





प्रदूषण रहित दीवाली मनाने का लिया संकल्प
-प्रदूषण से हो रहा है जीना हराम
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कनीना की आवाज। लोगों में धीरे धीरे आई जागरूकता के चलते इस बार प्रदूषण रहित दीवाली मनाने के लिए युवा एवं बुजुर्ग आगे आने लगे हैं। दीवाली के दिन दीये जलाकर, घर की मिठाई खाकर मनाएंगे। दीवाली को हंसी खुशी, भाईचारा एवं एकता के साथ एक दूसरे को मिठाई बांटकर मनाना चाहते हैं।  इस बार दीवाली पर युवा एवं बुजुर्ग जागृत हैं और वे प्रदूषण के विषय में जानते हैं। मैत्रीभाव से मिलकर दीवाली मनाने का निर्णय लेने वालों की होड़ लगी हुई है। दीये जलाने व शहीदों की याद में एक एक दीया जलाने का निर्णय लिया है।
पटाखों से भारी प्रदूषण होता है जहां कोर्ट के आदेशों के चलते राहत मिली है वहीं लोग जागरूक हुए हैं। यहां तक कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में वे पेड़ पौधे लगाकर तथा लोगों को सादगीपूर्ण दीवाली मनाने को प्रेरित करेंगे। प्रदूषण बहुत खल रहा है।
--समाजसेवी विजयपाल
प्रसिद्ध पर्व पर प्रदूषण क्यों करें? हवन आदि करके वातावरण को शुद्ध रखने का प्रयास किया जाएगा। लोगों को प्रेरणा देकर पटाखे न चलाने या बहुत कम चलाने पर बल दिया जाए। गले मिलकर मिठाई का आदान प्रदान करके ही दीवाली का आनंद आएगा। खुशियों का त्योहार है इसमें नाखुशी कैसे बर्दाश्त की जाए?
   --राजेश कुमार लूखी
 प्रेम, भाईचारा, एकता का पर्व दीवाली है। इस पर्व पर प्रदूषण करके बुजुर्ग एवं रोगियों के लिए सांस लेने की तकलीफ पैदा हो जाती हैं।  ऐसे में अगर प्रदूषणरहित दीवाली सबके मन को लुभाएगी। मिठाइयां बांटकर दीवाली मनाने पर बल दिया जाना चाहिए।
 -निर्मल कुमार नांगल हरनाथ
 देसी घी के दीये में डालकर दीपावली के दिन बुजुर्ग पुराने समय से जलाते आ रहे हैं। बुजुर्ग बहुत बुद्धिमान थे। पर्व पर तेल या मोमबत्ती जलाना अशुभ मानते थे। अब उन्हीं के कदमों पर चलकर वे इस बार दीवाली को देसी घी के दीयों से मनाएंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे।
---जसवंत सिंह समाजसेवी कनीना
 देसी घी के दीये जलाकर हिंदुओं के महान पर्व को मनाना अति लाभदायक एवं फलदायक होता है। देसी घी के दीये जलाने प्रदूषण नामक बीमारी से बचा जा सकता है। वैसे भी घरों में पशुधन मिलता है और देसी घी भी आसानी से मिल जाता हे। ऐसे में इस पर्व पर देसी घी के दीये ही जलाएंगे।
   डा मुंशीराम नांगल मोहनपुर
 न केवल स्वयं देसी घी के दीये जलाएंगे अपितु दूसरों को भी इस बार देसी घी के ही दीये जलाने के लिए प्रेरित करेंगे। उनके अनुसार देसी घी के दीये जलाना एक हवन या यज्ञ के बराबर होता है। पर्यावरण का प्रदूषण दूर होता है तथा सुगंधित वातावरण बन जाता है। दीये का प्रकाश जहां तक जाता है वहां तक हानिकारक कीट नष्ट हो जाते हैं।
---महेश बोहरा
फोटो कैप्शन: राजेश कुमार, विजयपाल, निर्मल कुमार, महेश कुमार, जसवंत सिंह, डा मुंशीराम।





धन तेरस की हो गई है तैयारी
-बर्तनों की दुकानें सजी
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में मंगलवार को धन तेरस के पर्व को लेकर बाजार में तैयारियों शुरू हो गई हैं। कुछ दिनों से बर्तनों की दुकानें सजी हुई थी और ग्राहक आने का इंतजार है। धन तेरस को सबसे ज्यादा बर्तन बिकते हैं।
  कनीना क्षेत्र में गुरुवार से ही दिवाली पर्व की तैयारियां चरम पर हैं। बाजारों में भारी रौनक देखने को मिली है वहीं बर्तनों की दुकानों पर लोगों ने बर्तन सजा दिये गये हैं।
 दिवाली की रौनक के चलते बाजार सजने लगे हैं। दिवाली के पर्व को महज तीन दिन ही बाकी हैं और बाजार में रौनक आने लगी है। बाजार सजने लगे हैं। अब तक ऐसा लग रहा था कि रौनक फीकी रहेगी किंतु अब धीरे-धीरे बाजार सजने लगे हैं।  धीरे-धीरे बाजार में रौनक आने लगी है और भीड़ के चलते आवागमन में परेशानी होने लगी है। मुख्य मार्गों पर भी दुकानों की वजह से मार्ग संकीर्ण बन गए हैं।
  बर्तन विक्रेता रमेश कुमार ने बताया कि धन तेरस के दिन का लंबे समय से इंतजार होता है। इस दिन अन्य दिनों की बजाय सबसे ज्यादा बर्तन बिकते हैं। इस दिन लगभग हर घर से बर्तन खरीदने के लिए बाजार आते हैं। बर्तन वालों के लंबी कतार देखने को मिलेगी।
  ज्योतिषाचार्य अरविंद वशिष्ठ का कहना है कि धन तेरस के दिन ही राक्षसों एवं देवताओं के बीच हुए समुद्र मंथन से अमृत निकला था जिसे पाने के लिए देवता अपना अपना बर्तन लिए बैठे थे और धनवंतरि सभी को अमृत बांट रहे थे। उसी दिन से माना जाता है कि धनवंतरि उन्हें अमृत बाटने आते हैं। इस दिन लोग नए बर्तन में धनवंतरि से अमृत पाने की इच्छा से बर्तन खरीदते हैं।
फोटो कैप्शन 02:बर्तन की दुकानों पर बर्तन बेचते एवं खरीदते लोग।


    


एक को न्यायालय ने किया भगोड़ा घोषित, मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना न्यायालय में राकेश नामक व्यक्ति के समय पर न पहुंचने के चलते भगौड़ा घोषित किया है। साथ में पुलिस को आदेश दिया कि राकेश पर मामला दर्ज किया जाए। पुलिस ने उसे भगोड़ा घोषित करते हुए मामला दर्ज कर लिया है।




पटाखे नहीं चलाएंगे,घर की बनी मिठाई खाएंगे
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कनीना की आवाज। इस बार क्षेत्र के युवा घर की बनी मिठाई खाकर,चाइनीज आइटम नहीं खरीदेंगे और दीपावली सादगी से मनाएंगे।  दिवाली को घी के दीये जलाकर एवं आपस में मिलकर दिवाली मनाना चाहते हैं। वे एक नारा लगा रहे हैं कि घर की मिठाई खाकर, आपस में मिलकर घी के दीये जलाएंगे। देसी घी के भाव अधिक होने से मजबूरन लोग मोमबत्ती जलाते हैं किंतु मुख्य दीया घी का ही जलाते आ रहे हैं। उनका मानना है कि लाखों रुपये चाइनीज आइटम पर खर्च होते हैं वे खर्च नहीं किए जाएंगे।  क्या कहते हैं दिवाली मनाने वाले-
 चीन के बने सामान, लाइट आदि नहीं खरीदेंगे। देसी घी को दीये में डालकर दिवाली के दिन बुजुर्ग पुराने समय से जलाते आ रहे हैं। बुजुर्ग बहुत बुद्धिमान थे। पर्व पर तेल या मोमबत्ती जलाना अशुभ मानते थे। अब उन्हीं के कदमों पर चलकर वे इस बार दिवाली को देसी घी के दीयों से मनाएंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे।  
--भीम सिंह समाजसेवी
वे कई वर्षों से देसी घी के दीये जलाते आ रहे हैं। न केवल बड़ी या छोटी दिवाली अपितु मुख्य दिवाली के दिन घर में विभिन्न स्थानों पर रखे जाने वाले समस्त दीये देसी घी से ही जलते हैं। उनके अनुसार देसी घी का दीया जलाने का अर्थ है कि वातावरण की देखभाल करना तथा सभी के जीवन की मंगलकामना करना। उन्होंने इन दीयों को अंधकार दूर करने वाला तथा दिलों में शुद्धता भरने वाला प्रतीक बताया। चीन के बने दिवाली के आइटमों से दूर रहने की सलाह दी है।
 -- नरेश कुमार शिक्षक
चाइनीज कोई आइटम नहीं खरीदेंगे। वे न केवल स्वयं देसी घी के दीये जलाएंगे अपितु दूसरों को भी इस बार देसी घी के ही दीये जलाने के लिए प्रेरित करेंगे। उनके अनुसार देसी घी के दीये जलाना एक हवन या यज्ञ के बराबर होता है। पर्यावरण का प्रदूषण दूर होता है तथा सुगंधित वातावरण बन जाता है। दीये का प्रकाश जहां तक जाता है वहां तक हानिकारक कीट नष्ट हो जाते हैं।
  ---मुकेश नंबरदार कनीना मंडी
हमारी संस्कृति के अनुसार घी के दीये जलाना शुभ माना जाता है और ऐसे में वे देशी घी के दीये स्वयं भी जलाते हैं और दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि बाजार की मिठाई नहीं खरीदेंगे, चाइनीज आइटमों का बहिष्कार करेंगे, पटाखों को नहीं चलाएंगे, दीये खरीदने पर बल देंगे।
   ---- कैलाश पाली समाजसेवी



















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