Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Monday, November 13, 2023


 
बाल दिवस- 14 नवंबर
बच्चे नेहरू को कम और अपने कार्यक्रमों को अधिक जानते हैं
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कनीना की आवाज। यूं तो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन 14 नवंबर को मनाया जाता है जो बच्चों को समर्पित है। विशेष रूप से बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि नेहरू जी बच्चों से बहुत प्यार करते थे और उन्हें बच्चे उन्हें चाचा नेहरू पुकारते थे। बाल दिवस को समर्पित भारत का यह राष्ट्रीय त्योहार है। देश की आजादी में भी नेहरू का योगदान रहा है। बाल दिवस की नीव 1925 में रखी गई थी जब बच्चों के कल्याण पर विश्व कांफ्रेंस में बाल दिवस मनाने की सबसे पहले घोषणा की गई। 1954 में दुनिया भर में से मान्यता मिल। बाल दिवस बच्चों के लिए महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन स्कूली बच्चे बहुत खुश दिखाई देते हुए सज धज कर विद्यालय जाते हैं और विशेष कार्यक्रम आयोजित होते हैं। बाल मेले जगह जगह लगाए जाते हैं जहां उनकी बनाई हुई वस्तुओं की प्रदर्शनी लगती है जिसमें बच्चे अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। नृत्य, गाना, नाटक, कविता, भाषण आदि भी प्रस्तुत करते हैं।
 बच्चे देश का भविष्य है। उनकी उच्च की शिक्षा की तरफ ध्यान देना चाहिए। विशेष कर बाल श्रम रोधी कानून सही मायने में लागू किया जाना चाहिए। दिनों दिन बाल श्रमिकों की संख्या बढ़ रही है। बच्चों के भविष्य के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित होते हैं लेकिन बच्चे नेहरू पंडित नेहरू को कम जानते हैं अपितु अपने कार्यक्रमों को अधिक जानते हैं, जो उनके स्कूलों में आयोजित होते हैं।
 इस संबंध में छोटे बच्चों से जानना चाहा।  छोटे बच्चे पंडित जवाहरलाल नेहरू के विषय में जानते हैं लेकिन अधिक जानकारी नहीं रखते। महज उनके जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रमों को खूब जानते हैं। जिस देश के बच्चे कमजोर, गरीब, अविकसित हैं तो वह देश अच्छी तरह विकसित नहीं हो पाएगा। बच्चे देश का भविष्य है। ऐसे में देश के बच्चों की स्थितिको पूरा ध्यान केंद्रित कर,कमियों सुधार करने के लिए जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में 1964 से हर वर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जा रहा है। वर्ष 1964 में जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद तय किया गया कि उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाए तब से भारत में 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है।
अमीशा बच्ची से इंस संबंध में जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि मुझे तो कविता अधिक पसंद है और कविता में पढ़कर स्कूल में सुनती हूं। नेहरू के विषय में मुझे पूछा गया तो उन्होंने बताया भारत के प्रथम प्रधानमंत्री हुए हैं किंतु विस्तार से उनसे जानकारी चाहिए तो अधिक नहीं बोल सकी। ऐसे में बच्चे इस दिवस को लेकर प्रसन्नचित जरूर नजर आए।
योगेंद्र ने बताया कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री को याद करने के लिए बाल दिवस मनाते हैं किंतु जवाहरलाल नेहरू को कविता, भाषण एवं गीत आदि के जरिये स्कूलों में याद किया जाता है। उनकी जीवनी कम बताई जाती है।
प्राची ने बताया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री हुये हैं जिनको याद करते हैं। प्रार्थना सभा में उनकी जीवनी बताई जाती है। कविताएं अधिक सुनाई जाती हैं।
फोटो कैप्शन: अमीशा, प्राची, योगेंद्र





विश्व मधुमेह दिवस- 14 नवंबर
काबू न करने पर खतरनाक बीमारी होती है मधुमेह
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कनीना की आवाज। 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है क्योंकि इस दिन बैंटिंग नामक वैज्ञानिक ने 1921 में इंसुलीन की खोज 14 नवंबर की की थी। इसलिए 14 नवंबर विश्व डायबिटीज/मधुमेह दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह रोग एक बार हो जाने के बाद मातान्यत: ठीक नहीं होता। ऐसे में लोगों को मधुमेह के प्रति जागरूक करने के लिए यह दिन मनाया जाता है। मधुमेह एक विकार है इसमें शरीर द्वारा खाए जाने वाले भोजन से उत्पन्न ग्लूकोज को संशोधित करके उसका उपयोग नहीं किया जा सकता।
मधुमेह की तीन प्रकार है जिन्हें टाइप वन, एक टाइप दो तथा गर्भकालीन मधुमेह के नाम से जाना जाता है। अनियंत्रित मधुमेह  गुर्दे को क्षति, अवसाद, दंत समस्याएं तथा कई जटिल समस्याएं पैदा कर सकता है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन अनुसार 2021 में 67 लाख लोगों की मौत हुई जो बढ़कर 2030 में 64 करोड़ होने की संभावना है। अधिकांश टाइप दो मधुमेह से पीडि़त होते हैं। जीवन शैली में बदलाव, संतुलित आहार लेने तथा धूम्रपान जैसी आदत को छोड़कर इसे रोका जा सकता है।
क्या कहते हैं डा धर्मेंद्र-
इस संबंध में कनीना उप नागरिक अस्पताल के डा धर्मेंद्र से बात की तो उन्होंने बताया की मधुमेह टाइप-दो उचित जीवन शैली में बदलाव, संतुलित आहार लेने से नियंत्रित  किया जा सकता है इसके अतिरिक्त चीनी के सेवन से बचना, खाने में एक साथ न लेकर थोड़ा-थोड़ा खाना बार बार खाये, दिन में काम से कम 30 मिनट व्यायाम करें, रक्त कोलेस्ट्रॉल 200 से नीचे होना चाहिए। मधुमेह अनुत्क्रमणीय विकार है जिसमें अग्राशय इंसुलिन हार्मोन बहुत कम छोड़ता है जिससे चीनी का पाचन नहीं हो पाता है। मधुमेह की नियमित जांच करवाते रहना चाहिए यदि शुगर स्तर बढ़ जाता है तो डॉक्टर से सलाह लेकर इंसुलिन प्रयोग की जा सकती है। मधुमेह दिनों दिन बढ़ता जा रहा है जिसके पीछे संतुलित भोजन न लेना, तनाव भरी जिंदगी जीना प्रमुख कारण है।
डॉक्टर धर्मेंद्र बताते हैं कि मधुमेह के कुछ लक्षणों में लगातार पेशाब आना, अधिक प्यास लगना, भूख लगना, वजन कम होना, थक जाना, चक्कर आना, त्वचा की समस्या, उल्टी की समस्या, धुंधली दृष्टि प्रमुख हो सकते हैं। उन्होंने बताया इसमें टाइप दो अधिक मिलता है जिसमें बढ़ती उम्र, मधुमेह का पारिवारिक चिकित्सा इतिहास, मोटापा ,उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, तनाव, जीवन शैली आदतों जिनमें धूम्रपान आदि प्रमुख है।
इसके उपचार से पहले शरीर में ब्लड शुगर जानने के लिए सबसे पहले ब्लड टेस्ट की आवश्यकता होती है। तत्पश्चात व्यायाम, स्वस्थ भोजन लेना, तले भुने सेवन से परहेज, रेशे वाली सब्जी अधिक प्रयोग करना ,योग करना, धूम्रपान छोडऩे आदि प्रमुख हैं।
 फोटो कैप्शन: डाक्टर धर्मेंद्र






आगजनी से ईंधन और कड़बी जलकर राख
-आग लगने के कारणों का पता नहीं
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कनीना की आवाज। दीपावली की रात्रि को कनीना क्षेत्र में दो जगह आगजनी हुई। फायर ब्रिगेड कनीना से मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया।
 मिली जानकारी अनुसार पड़तल में धर्मवीर नामक व्यक्ति के दो एकड़ की कड़बी में आग लग गई। आग की सूचना पाकर तुरंत फायर ब्रिगेड को सूचित किया। कनीना से फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची आग पर काबू पाया किंतु अधिकांश कड़बी जलकर राख हो गई। इसी प्रकार परड़तल में ही अशोक कुमार के ईंधन में आग लग गई और ईंधन जलकर राख हो गया। मौके पर फायर ब्रिगेड ने पहुंचकर काबू पाया। दोनों ही आगजनी की घटनाओं में कारणों का नहीं पता चल पाया है।
 उधर करोली जिला रेवाड़ी में कड़बी में आगजनी की घटना घटी। कनीना फायर केंद्र से गाड़ी पहुंची किंतु वहां पर रेवाड़ी से तीन गाडिय़ां मौके पर पहुंच गई थी जिससे आग पर काबू पाया गया। फोटो कैप्शन 5: पड़तल में आग पर काबू पाते फायर अधिकारी।



कनीना क्षेत्र में मनाई दीपावली
 -पटाखे कम चले, प्रदूषण के दृष्टिगत जागरूक हुए लोग, देर रात जमकर हुई आतिशबाजी
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में तीन दिनों से लगातार दीपावली की धूम मची हुई थी और दीपावली दीयों की दीपावली धूमधाम से मनाई गई, पटाखे चलाए गए किंतु बहुत कम संख्या में। सरकार द्वारा बार-बार पटाखों पर प्रतिबंध लगाने लोगों की जागरूकता के चलते पटाखे बिक्री नहीं हो पाए। इसलिए पटाखे नहीं चल पाए और पटाखों के न चलने से प्रदूषण इस बार क्षेत्र में कम हो पाया है। विभिन्न जगह फुलझडिय़ां, छोटे पटाखे बच्चे चलते देखे गए और चेहरे पर खुशियां देखने को मिली। नए-नए कपड़ों में बच्चे, बूढ़े, पूजा अर्चना करते देखे गए। पूजा अर्चना के बाद प्रसाद वितरित किया गया तथा दीपों की कतार दूर तक दीवारों पर दिखाई दे रही थी। लंबे समय से दीपावली का इंतजार कर रहे थे आखिरकार वह दिन भी आ ही पहुंचा और दीपावली हँसी खुशी से मनाई गई। पड़तल गांव में कड़बी में आग लग जाने से कड़बी जलकर राख हो गई बाकी अन्य कोई घटना नहीं घटी।
फोटो कैप्शन 04: छोटी बच्ची दीपावली पर फुलझड़ी चलाते हुए।





 पंजाब से आया हुआ व्यक्ति हुआ गुम, गुमशुदगी का मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। सिमरनजीत कौर पंजाब जो सीहोर में रहती है, ने अपने पति की गुमशुदगी का मामला दर्ज करवाया है। उन्होंने पुलिस में कहा कि 6 नवंबर को उसका पति चांद सिंह किसी काम से कनीना आया था जो आज तक घर नहीं पहुंचा। सभी जगह तलाश की गई सुराग नहीं मिला। उनकी शिकायत पर चांद सिंह की गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया है, जांच जारी है।






अन्नकूट का पर्व 14 को
-बाल दिवस पर मनेगा गोवर्धन पर्व, सोमवार को रही सोमावती अमावस्या
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में 14 नवंबर को अन्नकुट का पर्व मनाया जाएगा। इसे गोवर्धन नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मंदिरों में खिचड़ी व कढ़ी बांटी जाती हैं जिसे प्रत्येक जन चाव से खाता है। गोवर्धन पर्व से जुड़ी है श्रीकृष्ण और इन्द्र देव के बीच का प्रसंग।
एक बार इंद्र देव भगवान् श्रीकृष्ण से कुपित हो गए और मूसलाधार वर्षा करने लगे। गोकुल में इतनी भारी वर्षा देखकर ग्रामीण भयभीत हो गए और चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। जीव जल में डूबकर मरने लगे तो ग्रामीण दौड़कर भगवान् श्रीकृष्ण के पास आए। भगवान् श्रीकृष्ण ने उस वक्त गोवर्धन पर्वत ही अपनी अंगुली पर उठा लिया और गोकुलवासियों को उसके नीचे आने का आदेश दिया। इस प्रकार इंद्र का गर्व चूर-चूर हो गया और खुश होकर ग्रामीणों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इसी दिन आजकल गाय आदि की पूजा करने का विधान भी है। विश्वकर्मा जयंती भी मनाई जा रही है। इस दिन विभिन्न मंदिरों में अन्नकूट बनाकर वितरित किया जाएगा।
  अन्नकुट का पर्व मनाया जाता है। इसे गोवर्धन नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मंदिरों में खिचड़ी व कढ़ी बांटी जाती हैं जिसे प्रत्येक जन चाव से खाता है। गोवर्धन पर्व से जुड़ी है श्रीकृष्ण और इन्द्र देव के बीच का प्रसंग। एक बार इंद्र देव भगवान् श्रीकृष्ण से कुपित हो गए और मूसलाधार वर्षा करने लगे। गोकुल में इतनी भारी वर्षा देखकर ग्रामीण भयभीत हो गए और चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। जीव जल में डूबकर मरने लगे तो ग्रामीण दौड़कर भगवान् श्रीकृष्ण के पास आए। भगवान् श्रीकृष्ण ने उस वक्त गोवर्धन पर्वत ही अपनी अंगुली पर उठा लिया और गोकुलवासियों को उसके नीचे आने का आदेश दिया। इस प्रकार इंद्र का गर्व चूर-चूर हो गया और खुश होकर ग्रामीणों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इसी दिन आजकल गाय आदि की पूजा करने का विधान भी है। विश्वकर्मा जयंती भी मनाई जा रही है।
कनीना के ठाकुरजी मंदिर से कंवरसेन वशिष्ठ ने बताया कि अन्नकूट का पर्व 14 नवंबर को मनाया जाएगा। उधर कोटिया के पास स्थित भक्ति मंदिर के पुजारी  स्वामी घनश्याम ने बताया कि अन्नकूट का वितरण मुगलवार को होगा जबकि प्रसाद बुधवार की रात को बनकर तैयार हो जाएगा।
दीपावली के एक दिन बाद गोवर्धन पर्व-
कनीना क्षेत्र में जहां दीपावली रविवार को मनाई गई वहीं सामवार को सोमावती अमावस्या मनाई गई। अमावस्या के दिन दीपावली का पर्व आता है किंतु दीपावली एक दिन पहले शुभ मानी गई। अब दीपावली से अगले दिन की बजाय मंगलवार को अन्नकूट का पर्व मनाया जा रहा है। हरियाणा के सरकारी स्कूलों में इस बार मंगलवार को गोवर्धन एवं बुधवार को भैया दूज का कोई अवकाश नहीं है। निजी स्कूल बुधवार तक बंद हैं। उधर मनोज गुप्ता ने बताया कि कनीना के लेखराम बाग मंदिर में भी अन्नकूट का प्रसाद 14 नवंबर को वितरित होगा।


 

 आर्य समाज मंदिर कनीना में हवन किया
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कनीना की आवाज। पर्वों के चलते आर्य समाज मंदिर कनीना में हवन का आयोजन किया। जिसमें आर्य समाज के प्रधान सूबेदार मोहर सिंह साहब ने बताया कि दीपों के त्योहार दीपावली भारतीय संस्कृति का एक उत्तम दिन है । इस दिन सभी को प्रेम भाव से रहते हुए ,अपनी संस्कृति के बारे में विचार करना चाहिए। उन्होंने बताया कि आज स्वामी दयानंद सरस्वती जी का निर्वाण दिवस भी है। इस मौके पर हवन के यजमान श्रीमान रविंद्र व आशा लता जी रही । सरला लता ने हवन पूर्ण करवाया। पर्वों पर विशेष हवन किया गया । मानपूल आर्य ब्रह्म रहे । इस अवसर पर प्राध्यापक सुरेंद्र सिंह , प्रेम आर्य आर्य , हर्षित आर्य , योगिता आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 02: आर्य समाज में हवन करते हुए लोग।






23 से शुरू हो रही हैं शहनाइयां
-विवाह के निमंत्रण बंटने हो गये शुरू, देव उठावनी एकादशी 23 को
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कनीना की आवाज। 23 नवंबर को देव उठानी एकादशी इसके बाद विवाह शादियां शुरू हो जाएंगे। देव उठानी एकादशी के बाद लगातार करीब 1 महीने विवाह शादियां चलेंगी। तत्पश्चात फिर से मलमास शुरू हो जाएगा और पुन: 16 जनवरी 2024 से शादियां शुरू हो जाएंगी।
विस्तृत जानकारी देते हुए पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि एक महीना मलमास शुरू हो जाता है जो दिसंबर में शुरू होगा और 15 जनवरी तक जारी रहेगा। 15 जनवरी के बाद फिर से विवाह शादी शुरू हो जाएगी। उन्होंने बताया कि अनेकों शुभ मुहूर्त और अनेकों शादियां इस दौरान होंगी।
अधिकतम साल में 60 बुकिंग-
 उधर विवाह शादी समारोह संचालक हनुमान सिंह ने बताया कि यूं तो 365 दिन में विवाह शादियां 100 के करीब होती है। इन 100 दिनों में अधिकतम 60 बुकिंग हो पाती है और वह विवाह समारोह स्थल सबसे बेहतर माना जाता है जिसमें 50 से अधिक विवाह शादियों की बुकिंग हो जाती है।




ग्रामीणों का धरना 246वें दिन रहा जारी
-अनिश्चितकालीन धरने पर हैं ग्रामीण
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 15-डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना जारी है। सोमवार को धरने की अध्यक्षता पूर्व सरपंच हंस कुमार सेहलंग ने की और उन्होंने बताया कि दीपावली के पावन पर्व पर  हमारा एक ही उद्देश्य है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट बनना चाहिए। जब तक केंद्र सरकार के द्वारा कट का काम शुरू नहीं होता है तब तक हम धरने पर रहेंगे।
 धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन ने बताया कि धरने को चलते 246 दिन हो गए हैं। किसानों ने परिवार को छोड़कर धरना स्थल पर दिवाली मनाई।  ग्रामीण मिठाइयां लेकर धरना स्थल पर पहुंचे, उन्होंने धरना स्थल पर बैठे किसानों का उत्साह बढ़ाया, मिठाइयां खिलाई  और बताया कि आप नेक काम के लिए यहां पर बैठे हुए हैं, यह हमारे लिए बड़े गर्व की बात है, आप लोगों की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। आप लोगों की मेहनत बेकार नहीं जाएगी। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का बनना इन  40-50 गांवों के लिए बहुत जरूरी है, कट बनने के बाद ही इस क्षेत्र का विकास संभव है। विजय सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार के द्वारा कट कि घोषणा पहले की जा चुकी है और आश्वासन भी दिया गया कि कट का काम जल्द शुरू हो जाएगा लेकिन अब तक सरकार के द्वारा कट का काम शुरू नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि हमारी असली दिवाली  तब बनेगी जब केंद्र सरकार के द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम शुरू हो जाएगा।
 इस मौके पर संघर्ष समिति के संयोजक पहलवान रणधीर सिंह, बाघोत मास्टर विजयपाल ,सरपंच हरिओम पोता, पूर्व सरपंच बेड़ा सिंह,  नरेंद्र शास्त्री छिथरौली, डॉ लक्ष्मण सिंह, बाबूलाल, करण सिंह,भागमल, सत्य प्रकाश, लाल सिंह, राज सिंह, रोशन लाल आर्य,  मास्टर विजय सिंह,  ठेकेदार शेर सिंह, थानेदार रामकुमार,  सूबेदार भोले राम , पंडित संजय कुमार,  मुख्तार सिंह,  सीताराम,   कृष्ण कुमार पंच, सूबेदार हेमराज अत्री,दाताराम, सतपाल, नंबरदार अशोक, पहलवान धर्मपाल, मनफूल ,ओम प्रकाश,  दाताराम, इंस्पेक्टर सतनारायण , सूबेदार भोले राम , वेद प्रकाश, प्यारेलाल,   सूबे सिंह पंच , डॉ राम भक्त, भरत सिंह कमांडो व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 01: कट के लिए धरना स्थल पर बैठे ग्रामीण।




आठ बोतल देशी शराब बरामद, मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना पुलिस ने मुखबिरी के आधार पर छापेमारी कर एक व्यक्ति से आठ बोतल देशी शराब बरामद की। व्यक्ति भागने में सफल हो गया। व्यक्ति के विरुद्ध आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। मिली जानकारी अनुसार पुलिस को सूचना मिली कि महेंद्र सिंह सीहोर निवासी अवैध शराब बेच रहा है। पुलिस ने बताए गए स्थान पर रेड की। पुलिस का आता देख व्यक्ति मौके का लाभ उठाकर भाग खड़ा हुआ किंतु प्लास्टिक के कट्टे में आठ बोतल देशी शराब बरामद की। मामला दर्ज कर लिया है।





बहुत जल्दी ग्रहण कर लेते हैं दूसरों के रिवाज
-औचित्यविहिन था क















नीना में दीपावली को गन्ने खरीदकर लाना
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कनीना की आवाज।। कनीना बस स्टैंड पर दीपावली के दिन जमकर गन्ने बेचे गए। यद्यपि गन्ने कनीना क्षेत्र और आसपास नहीं उगाये जाते, अधिकांश गन्ने उत्तर प्रदेश में उगाए जाते हैं किंतु यहां के लोग उत्तर प्रदेश के लोगों के पदचिह्नों पर चलने लग गये हैं।  यहां अधिक संख्या में उत्तर प्रदेश के लोग किराये पर रहने के कारण गन्ने की खरीददारी करते हैं। उनको गन्ना खरीदता देख अब कितने ही घरों में गन्ने लेने शुरू कर दिये हैं। करीब 5 साल पहले दीपावली के दिन कोई गन्ना नहीं खरीदता था किंतु जब से ये उत्तर प्रदेश के लोग आए हैं और गन्ना खरीदते देखा है तब से यहां के लोग भी गन्ना खरीदने लग गये हैं। कई क्विंटल गन्ना एक ही दिन में बेच दिया गया और अच्छे दामों पर बेचा गया। एक-एक गाना 50-50 रुपये तक बेचा गया।
 वास्तव में गन्ना उत्तर प्रदेश में अधिक उगाया जाता है और दीपावली के दिन इनकी पूजा करके तत्पश्चात गेन्ने की कटाई की जाती है। जिस प्रकार हरियाणा प्रदेश में होली के पर्व पर जौ एवं गेहूं की बाली को भूलकर कटाई पर शुरू होता है ऐसे ही दीपावली पर उत्तर प्रदेश के लोग गन्ने की पूजा कर ,कटाई शुरू करते है वैसे भी गन्ने से भूत भगाने का काम किया जाता है। उत्तर प्रदेश के लोग घर में घुसे हुए भूत को निकालने के लिए भी गन्ने को जलाते हुए चौराहे तक जाते हैं और वहां पटक देते हैं परंतु आश्चर्य तब होता है जब लोग किसी बात के लिए लकीर के फकीर बन जाते हैं।  बिना जाने बिना सोचे समझे ही किसी कार्य को करने लग जाते। यही कारण है कि आजकल गन्ने का काम सिर चढ़कर दीपावली के दिन बोला। अब लगता है आने वाले पर्व छठ पूजा को भी कनीनावासी मनाया करेंगे।
फोटो कैप्शन 03: गन्ना बेचते हुए लोग


 

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