Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Saturday, November 25, 2023



 
राज्य स्तरीय समारोह में पहुंचे कनीना से विभिन्न प्रतिनिधि
--कनीना से भी एक बस प्रतिनिधियों की भरकर पहुंची
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कनीना की आवाज। हरियाणा राज्य स्तरीय सहकारी दिवस समारोह .2023 हर वर्ष मनाया जाता है। इस वर्ष बावल में सहकारिता मंत्री डॉ बनवारी लाल के विधानसभा क्षेत्र में राज्य स्तरीय समारोह शनिवार को मनाया गया जिसमें पूरे हरियाणा से सहकारिता विभाग की सभी शाखों से प्रतिनिधि शामिल हुए।
 कनीना शाखा से सुबह सवेरे बस द्वारा प्रतिनिधि बावल पहुंचे। बस को भरपूर सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस मौके पर अशोक कुमार, भरपूर सिंह, कुंभ सिंह, कैलाश चंद मैनेजर, जगराम, पन्नालाल, खुशीराम, सुरेंद्र सिंह, देवेंद्र प्रदीप शर्मा, महिपाल, रमेश, धर्म वीर, वीरेंद्र सिंह आदि शामिल हुए।
 फोटो कैप्शन 01: सहकारिता विभाग की कनीना शाखा के प्रतिनिधि बावल जाते हुए।








एसोसिएट प्रोफेसर के पदोन्नति आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
--नोटिस जारी कर सरकार से मांगा जवाब
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कनीना की आवाज। हरियाणा के कालेजों में एसोसिएट प्रोफेसर से प्रोफेसर पद पर पदोन्नति के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इसके साथ ही हरियाणा सरकार सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। याचिका दाखिल करते हुए डा. सतबीर सिंह व 21 अन्य ने एडवोकेट सज्जन मलिक के माध्यम से हाईकोर्ट को बताया कि प्रदेश सरकार ने यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार एसोसिएट प्रोफेसर से प्रोफेसर के तौर पर पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यता व नियम निर्धारित किए थे। इसके अनुसार पदोन्नति के लिए पांच सदस्यों वाली कमेटी निर्धारित की गई थी।  कमेटी में उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, निदेशक, संयुक्त सचिव, कॉलेज के प्रिंसिपल व विषय विशेषज्ञ को रखने का प्रावधान तय किया गया। इसके बाद 14 सितंबर को सरकार ने पदोन्नति की प्रक्रिया आरंभ की और याचिकाकर्ताओं समेत अन्य योग्य लोगों ने पदोन्नति के लिए आवेदन किया। याचिकाकर्ताओं के योग्य होने और सभी मानकों पर खरा उतरने के बावजूद उनको पदोन्नत नहीं किया गया।






बुजुर्ग किसानों का जोश बरकरार ,258वें दिन जारी रहा धरना
-अनिश्चितकालीन चल रहा है धरना
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर सेहलंग .बाघोत के बीच कट के लिए अनिश्चितकालीन धरना 258वें दिन जारी रहा है। धरने की अध्यक्षता डॉ लक्ष्मण सिंह सेहलंग ने की और उन्होंने बताया कि हम  बार.बार याद दिला रहे हैं कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत .सेहलंग के बीच कट की घोषणा केंद्र सरकार के द्वारा की गई और कट भी केंद्र सरकार के द्वारा बनाया जाएगा। इस क्षेत्र को कट की जरूरत हैए किसानों की मांग जायज है, केंद्र सरकार को किसानों  की परेशानी को देखते हुए जल्द से जल्द राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर  बाघोत .सेहलंग के बीच कट का काम शुरू किया जाए।
 धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष   विजय सिंह चेयरमैन  ने बताया कि धरने को चलते 258 दिन हो गए हैं। धरना स्थल पर बैठे किसानों को बदलते मौसम में परेशानी के बावजूद भी  कट के प्रति उनका जोश बरकरार है। किसान खेती के काम में लगे हुए हैं। सरसों में पानी दे रहे हैं और समय निकालकर धरना स्थल पर भी पहुंच रहे हैं। किसानों ने सोच रखा है जब तक राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत .सेहलंग के बीच में कट का काम शुरू नहीं होगा, तब तक हम धरना स्थल पर ही डटे रहेंगे।
विकास चेयरमैन अटेली, ठेकेदार अशोक कुमार कनीना और पूर्व सरपंच राम सिंह गोमला धरना  स्थल पर पहुंचे और उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार किसानों के साथ अनदेखी कर रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत .सेहलंग के बीच कट होना इस इलाके के लिए बहुत जरूरी है। किसानों की जायज मांग है, हम इसका समर्थन करते हैं और आपके साथ हैं।
 इस मौके पर  पहलवान रणधीर सिंह, मास्टर रोहताश गोमला, सरपंच हरिओम पोता, डॉ लक्ष्मण सिंह,  नरेंद्र शास्त्री छिथरोली, पहलवान धर्मपाल, जगमोहन राता कला ,  रामकुमार, इंस्पेक्टर सतनारायण, ठेकेदार शेर सिंह, ओमप्रकाश, प्रधान कृष्ण कुमार, सत्य प्रकाश, पूर्व सरपंच सतवीर सिंह, सब इंस्पेक्टर रामकुमार,  पूर्व सरपंच हंस कुमार, डॉ सुरेंद्र सिंह, रामभज,  करण सिंह, पंडित मनीराम अत्रीए दातारामए डॉक्टर राम भक्तए  मास्टर विजयपालए  मास्टर विजय सिंह,  बाबूलाल, सूबेदार हेमराज अत्रि,  रोशन लाल आर्यए  सीताराम, पंडित संजय कुमार,प्यारेलाल,  सूबे सिंह पंच, अशोक चौहान  व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 02: धरने पर कट की मांग को लेकर बैठे ग्रामीण।








रक्तदान महादान है-प्राचार्या
-आयोजित हुआ रक्तदान
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कनीना की आवाज। राजकीय महाविद्यालय नारनौल में एनसीसी दिवस के अवसर पर महाविद्यालय प्राचार्य डॉ पूर्ण प्रभा जी की  अध्यक्षता में एनसीसी कैडेट्स के द्वारा दो प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। प्रथम प्रतियोगिता पोस्टर मेकिंग जिसमें लगभग 20 कैडेट्स ने भाग लिया जिसमें सुप्रिया प्रथम स्थान पर रही सरिता द्वितीय व मुस्कान तृतीय स्थान पर रही दूसरी प्रतियोगिता भाषण प्रतियोगिता जिसमें 12 कैडेट्स  ने भाग लिया जिसमें कंचन प्रथम अनुष्का द्वितीय तथा स्नेहा तृतीय स्थान पर रही एनसीसी अधिकारी डॉ मीना यादव ने बताया कि प्रतियोगिताओं के समापन के बाद सभी कैडेट्स सिविल अस्पताल नारनौल गए तथा अपना रक्तदान किया तथा स्लोगन के माध्यम से यह संदेश भी दिया कि रक्तदान महादान है। इससे किसी का जीवन बच सकता है अत: हम सभी को अपनी क्षमता अनुसार रक्तदान अवश्य करना चाहिए इसके बाद सभी कैडेट्स पेटीकरा गांव में स्थित शहीद स्मारक पर जाकर कैडेट्स ने शहीदों को फूल माला अर्पण की तथा शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि देते हुए कैडेट्स ने शपथ ली कि वह वह भी उन शहीदों की तरह ही अपनी देश की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे। इस अवसर पर पटीकरा के बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ के ब्रांड एंबेसडर घनश्याम शर्मा भी उपस्थित थे इसके बाद सभी कैडेट्स महाविद्यालय आए महाविद्यालय प्राचार्य ने सभी कैडेट्स को उनके द्वारा किए गए कार्य की प्रशंसा की तथा साथ ही कैडेट्स को अपने देश के विकास और उन्नति में एक कैडेट्स को हमेशा तत्पर रहना चाहिए तथा देश सेवा ही उसका उत्कृष्ट कार्य होता है। अत: सभी कैडेट्स को बधाई देते हुए प्राचार्य जी ने सभी के उज्जवल भविष्य की कामना की। इस अवसर पर महाविद्यालय का समस्त स्टाफ  जिसमें डॉ जेएस मोर, डॉ सतीश सैनी, डॉ प्रियंका शर्मा, डॉ सोनू जागलान,  डॉ संजय तंवर, डॉ चंद्रमोहन पब्लिक रिलेशन आफिसर आदि उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 7: संबंधित है।







केमला स्कूल प्रांगण में पौधारोपण का किया
--दस पौधे लगाएं
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कनीना की आवाज। राजकीय माध्यमिक विद्यालय कैमला में संविधान दिवस की पूर्व बेला पर पौधा लगाकर कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें डा विक्रम सिंह यादव प्राचार्य राजकीय महिला कालेज उन्हानी और सुनील कुमार प्राचार्य राजकीय मॉडल संस्कृति विद्यालय कनीना मुख्य रूप से उपस्थित रहें और बच्चों के साथ फूलदार पौधे जैसे गुलाब, गुड़हल, चंपा आदि अन्य पौधे लगाए और बच्चों को जीवन में अपने घर पर जन्मदिन पर एक पौधा अवश्य लगाने के लिए प्रेरित किया जिस घर, संस्था में पौधे हरे- भरे होते हैं, वहां पर वातावरण शुद्ध और जीवन  खुशहाल रहता है। बच्चों को प्रेरित करते हुए डा विक्रम सिंह यादव ने संविधान की  प्रस्तावना एमौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य आदि को विस्तार से समझाया व बताया कि आज भौतिकवादी युग में लोकतंत्र का स्तंभ संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार है जो मनुष्य को सुरक्षित ,सुखमय , खुशहाल जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं हमें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए और मौलिक कर्तव्य आदि का सदा पालन करना चाहिए जो घर, परिवार, समाज और राष्ट्र को उन्नत बनाने में अपना सहयोग देना चाहिए। मौलिक मुख्य अध्यापक वीरेंद्र सिंह जांगिड़ ने सभी मेहमानों का विद्यालय की ओर से आभार व्यक्त किया और बच्चों को अपील  कि आप सभी हमेशा समय-समय पर विभाग द्वारा निर्धारित सभी पाठ्यक्रम आधारित क्रियाकलापों  में  भाग लेना चाहिए जिससे आपके अन्दर आत्मविश्वास की भावना पैदा होती है। इस अवसर पर होशियार सिंह वरिष्ठ अध्यापक, सुनील डीपीई , मनवीर सिंह, भगत सिंह, सुनील शास्त्री, राजेश, सूबे सिंह पार्ट टाइम, सुनील कुमार चौकीदार आदि उपस्थित रहें।
फोटो कैप्शन 06: कैमला स्कूल में पौधारोपण करते हुए प्राचार्य एवं अन्य।







संविधान दिवस -26 नवंबर
भारत का संविधान बेहतरीन संविधानों में से एक -डा मुंशी राम
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कनीना की आवाज। भारत का संविधान बेहतरीन संविधानों में से एक माना गया है। वर्ष 2015 में भारत सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था। संवैधानिक मूल्यों के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए 2015 से यह दिवस हर साल मनाया जाता आ रहा है। भारत का संविधान है जो अलग-अलग धर्म एवं जातियों की भारत की 140 करोड़ की आबादी को एक देश की तरह जोड़ता है। इसी संविधान के तहत हमारे देश के सभी कानून बनते हैं। संविधान के तहत सुप्रीम कोटर्, हाई कोर्ट समेत देश की सभी अदालतें, सांसद राज्यों के विधान मंडल, प्रधानमंत्री समिति सभी इसी के तहत काम करते और इसी के तहत हम सभी को अधिकार भी मिलते हैं कि हम सब पूरी स्वतंत्रता और समानता के साथ जी रहे हैं। इस संबंध में कुछ विद्वत जनों से बात की जिनके विचार निम्न हैं।
**संविधान दिन का मकसद देश के नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ाना है। हालांकि भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था जिसका जश्न 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं परंतु 26 नवंबर का दिन देश के राष्ट्रीय कानून दिवस भी के रूप में मनाया जाता है। संविधान दिवस कभी नहीं भुलाया जा सकता। 26 नवंबर 1949 के दिन देश की संविधान सभा ने संविधान को अपनाया था ,यही वह दिन है जब संविधान बनकर तैयार हो गया था।
---डा. शर्मिला यादव
यह संविधान है जो हमें आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है। संविधान के दिए मौलिक अधिकार हमारे ढाल बनकर हमारा हक दिलाते हैं वहीं मौलिक कर्तव्य जिम्मेदारी भी याद दिलाते हैं। 26 नवंबर का वह दिन देश में राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता है। हमारे संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन बनने में लगे थे। 26 नवंबर 1949 का पूरा हुआ था और अपनाया गया था। इस संविधान को बनाने के लिए विधानसभा का गठन किया गया था। जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद ,डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि सभा के प्रमुख सदस्य थे। जबकि ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर थे इसलिए ने संविधान निर्माता कहा जाता है।
---मदनमोहन कौशिक प्राध्यापक
26 नवंबर का दिन भारतीय इतिहास का एक अविस्मरणीय दिन है क्योंकि 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान बनकर तैयार हो गया था। भारतीय संविधान निर्माण एक विधानसभा द्वारा तैयार किया गया था। संविधान सभा के गठन 1946 में कैबिनेट मिशन के तहत किया गया जिसमें 389 सदस्य को निर्वाचित किया गया जिसमें से 292 ब्रिटिश प्रति के प्रतिनिधित्व 93 देसी रियासतों के प्रतिनिधि एवं चार सदस्य की कमिश्नरी क्षेत्र से थे। संविधान का पहला प्रारूप सिद्धांत सभा सचिवालय द्वारा बीएन राव के निर्देशन में तीन परतों में तैयार किया जिसके अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे। इसके बाद प्रारूप समिति ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में सिद्धांत तैयार किया जिसको बनाने में 2 वर्ष 11 महीना 18 दिन का समय लगा भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
संविधान किसी भी देश की आत्मा होती है। संविधान में उस देश के आदर्श निहित होते हैं। भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। यह जितना कठोर है  उतना ही लचीला भी है। हमें अपने देश के संविधान तथा उसकी प्रस्तावना पर गर्व है। संविधान का तथा इसके आदर्श का पालन करना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है।
-----डा. मुंशी राम-
भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हो चुका था और संविधान सभा के सभी सदस्यों ने अपने हस्ताक्षर कर इसे अंतिम रूप प्रदान कर दिया था किंतु इसे तत्काल लागू न कर 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। तभी से 26 जनवरी को पूरे देश में गणतंत्र दिवस के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। वस्तुत 26 जनवरी 1930 को देश में प्रथम बार स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया गया था और तभी से आजादी प्राप्त होने तक 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। देश के इतिहास में 26 जनवरी के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए ही 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया और इसे गणतंत्र दिवस घोषित किया गया। किंतु ऐसा करते समय 26 नवंबर 1949 के ऐतिहासिक दिन के महत्व को इतिहास में भुला दिया गया। संविधान निर्माताओं को इतिहास में उचित सम्मान दिलाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डा. बी आर अंबेडकर की 125 वीं जयंती के अवसर पर यह घोषणा की कि 26 नवंबर 2015 को भारत केप्रथम संविधान दिवस के रूप में मनाया जाएगा। यह उल्लेखनीय है कि डॉक्टर बीआर अंबेडकर संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे और उन्होंने संविधान निर्माण में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस प्रकार वर्ष 2015 से 26 नवंबर को प्रतिवर्ष संविधान दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस दिन भारतीय संविधान की प्रस्तावना सभी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में सभी विद्यार्थियों द्वारा पढ़ी जाती है।
---प्रो. राजेश कुमार
फोटो कैप्शन: प्रो राजेश, डा मुंशीराम, डा शर्मिला यादव, मदन मोहन कौशिक।








एसडी विद्यालय ककराला में हुआ सम्मान समारोह का आयोजन
-विडियोग्राफी में परचम लहराने वाले साहिल को किया गया सम्मानित
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कनीना की आवाज।  एसडी विद्यालय प्रांगण में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आद्यौगिक प्रशिक्षण संस्थान नारनौल में हाल ही में आयोजित युवा महोत्सव में विडियोग्राफी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल करने वाले छात्र साहिल को विद्यालय चेयरमैन जगदेव यादव द्वारा पारितोषिक देकर सम्मानित किया गया। जो अब प्रदेश स्तरीय महोत्सव में विद्यालय का प्रतिनिधित्व करेगा। इसी शृंखला में पोस्टर मेकिंग में तृतीय स्थान हासिल करने वाली छात्रा निधि व एकल लोकनृत्य में तृतीय स्थान हासिल करने वाली छात्रा खुशी को प्रमाण-पत्र व ट्रॉफी देकर सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताएं विद्यार्थी जीवन में उनके सर्वांगीण विकास में सहायक होती हैं व विजेता विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ाती हैं। गत दिनों हुई विद्यार्थियों कि उपलब्धियों को सम्मिलित करते हुये मंदिर कमेटी, करीरा द्वारा जन्माष्टमी उत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित विद्यार्थियों सोम्या, पलक, टविंकल, परी, अल्का, रिया, नव्या, कनक, समर, वंशिका, मानसी व कनिष्क को पुन: विद्यालय प्रांगण में ट्रॉफी देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विद्यालय प्राचार्य ओमप्रकाश यादव व सी ई ओ रामधारी सिंह ने विद्यार्थियों कि इस उपलब्धि पर बधाई दी। सम्पूर्ण विद्यालय स्टाफ ने इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज की।
फोटो कैप्शन 04: एसडी स्कूल में बच्चे को पुरस्कृत करते हुए।







गुरुसेन महाराज जयंती पर सरकारी छुट्टी घोषित करने की मांग
--कनीना में एक बैठक कर, की मांग
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कनीना की आवाज। कनीना कस्बे में डा. भीमराव अंबेडकर चौक पर सैन समाज की बैठक आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सैन समाज से अंकित सैन ने की। इस दौरान उन्होंने मुख्य्मंत्री से 4 दिसंबर को संत शिरोमणि गुरुसेन महाराज जयंती पर सरकारी छुट्टी घोषित व राज्य स्तर पर सेन जयंती मनाई जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ओबीसी की सूचि में हजाम व नाई शब्द हटाकर सेन नाम शामिल किया जाए। हरियाणा प्रदेश में सरकारी भवनों का नाम संत शिरोमणि गुरुसेन महाराज के नाम से रखा जाए। अनुसूचित जाति एवं जनजाति की भाती सभी सरकारी योजनाओं व नौकरियों में आवेदन करने पर छूट दी जाए। हरियाणा प्रदेश के प्रत्येक जिले में नियमानुसार सेन समाज हेतु छात्रावास, धर्मशाला, शैक्षणिक संस्थानों आदि के लिए जमीन मुहैया व उनका निर्माण कराया जाए। उन्होंने कहा की जींद में 4 दिसंबर को जयंती के अवसर पर पहली बार सैन समाज का सबसे बड़ा महा सम्मेलन पहली हो रहा है। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटर होंगे। इस दौरान संत शिरोमणि सैन महाराज के वंशज अमरीक सैन भी मुख्य रूप से उपस्थित रहेंगे। इस दौरान उन्होंने रैली का निमंत्रण भी दिया। इस दौरान पवन सैन , सतपाल सैन, निरंजन सैन, समाजसेवी राजेंद्र सेन कनीना, अनिल झगड़ू, सेठी सेन, धीरज सेन, सतबीर सेन आदि उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 05: कनीना में सेन समाज की बैठक में मांग रखते लोग।







11 बोतल देशी शराब, आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना पुलिस ने बूचावास के एक व्यक्ति से 11 बोतल देशी शराब बरामद की तथा आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
 पुलिस को सूचना मिली कि रेवाड़ी से कोई व्यक्ति मोटरसाइकिल पर शराब लेकर बेचने के लिए बूचावास की ओर जा जाएगा। पुलिस ने कनीना बस स्टैंड के समक्ष नाका लगाकर  मोटरसाइकिल पर एक व्यक्ति को पकड़ा जिसने अपना नाम देवेंद्र बताया। उसके पास सफेद कट्टे से 11 बोतल देशी शराब बरामद की तथा आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।





देवदीवाली पर्व- 26 नवंबर
दिवाली के 15 दिन बाद मनाया जाता है देवदीवाली का पर्व
-ग्रामीण क्षेत्रों में कार्तिक स्नान को किया जाता है पूर्ण
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कनीना की आवाज। देवदीवाली कार्तिक पूर्णिमा का प्रमुख पर्व है।  उत्तर प्रदेश के वाराणसी में प्रमुख रूप से मनाया जाता रहा है  किंतु इसका शुभ संकेत धीरे-धीरे पूरे देश में फैलता जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब देवदीवाली के पर्व पर दीप जलाए जाते हैं। वाराणसी में गंगा नदी के किनारे रविदास घाट से लेकर राजघाट लाखो-करोड़ों दिए जलाए जाते हैं। देव दिवाली के परंपरा पहले पंचगंगा घाट 1915 में हजारों दीये जलाकर शुरुआत की गई थी। प्राचीन परंपरा आज भी कायम है। यह विश्व विख्यात आयोजन है जो धीरे-धीरे ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवेश कर गया है। यह माना जाता है किसी दिन तीनों लोकों के देवता दिवाली मनाते हैं और इसी दिन देवताओं का काशी में प्रवेश हुआ था। कनीना क्षेत्र में देवदीवाली का पर्व विभिन्न गांवों में श्रद्धा एवं भक्ति से मनाया जाता है। इस मौके पर मंदिरों में पूजा अर्चना चलती है तथा एक माह से चला आ रहा कार्तिक स्नान पूर्ण किया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
देवदीवाली कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार है जो यह उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मनाया जाता है। यह काशी शहर में दीपावली के पंद्रह दिन बाद मनाया जाता है। देवदीवाली की परम्परा पंचगंगा घाट 1915 मे हजारों दीये जलाकर की गयी थी। माना जाता है कि देवता भी इस उत्सव में भाग लेते हैं। दीये जलाकर शहर जगमग हो उठता है जैसे काशी में पूरी आकाश गंगा ही उतर आयी हो।  
एक कथा अनुसार तीनों लोकों में त्रिपुरासुर राक्षस का राज चलता था। देवतागणों ने भगवान शिव के समक्ष त्रिपुरासुर राक्षस से उद्धार की विनती की। भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन राक्षस का वध कर उसके अत्याचारों से सभी को मुक्त कराया और त्रिपुरारि कहलाये। इससे प्रसन्न देवताओं ने स्वर्ग लोक में दीप जलाकर दीपोत्सव मनाया था तभी से कार्तिक पूर्णिमा को देवदीवाली मनायी जाने लगी। इस दिन सभी देवताओं ने काशी में प्रवेश कर दीप जलाकर दीपावली मनाई थी। देवदीवाली एक दिव्य त्योहार है।
 क्या कहते संत लालदास महाराज-
 संतलाल दास बताते हैं कि दिये जलाना एक शुभ कार्य होता है जो अंधेरे को मिटाने में अहम योगदान देता है। देव दिवाली के दिन दीये जलाकर कम से कम मन को शुद्ध किया जाता है और जिस प्रकार दीये धरती पर अंधकार को दूर करते हैं वैसे ही पहले अपने मन के अंधकार को दूर करना चाहिए,तत्पश्चात आसपास के अंधेरे को बुराइयों को नष्ट करना चाहिए। देवदीवाली का पर्व बहुत बड़ा पर्व है। पर्व की लंबे समय से यह परंपरा चली आ रही है। जहां पहले एक निश्चित क्षेत्र में ही देवदीवाली का पर मनाया जाता था परंतु अब तो पूरे ही देश में देवदीवाली मनाई जाती है। लाल दास महाराज बताते के राजा कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की विजय दिवस के रूप में यह पर मनाया जाता है। इस पर्व को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव ने काशी के पंचगंगा घाट पर जाकर गंगा स्नान का ध्यान किया था।  देवताओं की दिवाली को में भाग लेकर लोग अपने को खुशनसीब समझते हैं। देवदीवाली के पर्व पर ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न परंपराएं शुरू हो गई है हवन भंडारे आयोजित होते हैं। वहीं देवदीवाली के दिन कार्तिक स्नान प्रमुख रूप से किया जाता है। एक महीने से चला आ रहा कार्तिक स्नान पूर्ण हो जाता है।
क्या है कार्तिक स्नान -
महिलाएं दिवाली से 15 दिन पहले से किसी घाट पर स्नान करना शुरू करती है और दिवाली के 15 दिनों बाद तक सुबह सवेरे जल्दी उठकर स्नान करने की परंपरा को जारी रखती है। देवदीवाली के दिन कार्तिक माह का अंतिम स्नान करती है। तत्पश्चात सज धज कर महिलाएं पूरे गांव एवं कस्बे में देवदीवाली के पर्व पर हंसी खुशी से जुलूस निकलती हैं। विभिन्न धार्मिक स्थानों, गंगा आदि नदियों पर घाटों पर भारी संख्या में लोग स्नान करने जाते हैं।
फोटो कैप्शन: लाल दास महाराज

























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