इंडो-इटली स्कीम के तहत किसान प्रशिक्षण शिविर संपन्न
-200 से अधिक किसानों ने लिया भाग
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कनीना की आवाज। कृषि उपनिदेशक महेंद्रगढ़ व उपमंडल अधिकारी महेंद्रगढ़ के मार्गदर्शन में खंड कनीना के गांव सेहलंग में इंडो इटली स्कीम के तहत किसान प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया जिसमें करीब 200 किसानों ने भाग लिया। ब्लाक समिति अध्यक्ष जयप्रकाश मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कृषि विज्ञान केंद्र से कृषि वैज्ञानिक डा. रमेश यादव और कृषि वैज्ञानिक डा. नरेंद्र यादव, बागवानी विभाग से राजकुमार ,आत्मा स्कीम से अध्यक्ष सुमेर सिंह, उप-मंडल कृषि अधिकारी डा अजय यादव, कृषि विकास अधिकारी डा. विकास आदि मौजूद है।
कैंप के दौरान डा. रमेश वरिष्ठ को-आर्डिनेटर कृषि विज्ञान केंद्र महेंद्रगढ़ में किसानों को फसलों के खाद डालने के बारे में जानकारी दी और विस्तार से बताया। डा. नरेंद्र ने फसलों में होने वाली बीमारियों की रोकथाम के बारे में जानकारी दी, बागवानी विभाग से राजकुमार ने बागवानी विभाग की स्कीमों के बारे में बताया।
उप-मंडल कृषि अधिकारी डा. अजय यादव किसानों से संवाद किया, किसने खेती से जुड़ी समस्याएं सुनी, उनका मौके पर समाधान किया किया। कृषि विकास अधिकारी विकास ने भाग स्कीमों की आनलाइन पोर्टल के बारे में विस्तार से जानकारी दी जिससे किसानों को सब्सिडी लेने में काफी लाभ मिलता है।
अध्यक्ष ब्लाक समिति जयप्रकाश ने कृषि विभाग के किसानों के हित में किए गए कार्यों की सराहना की। डा. संदीप खंड कृषि अधिकारी,डा. मनीष, डा. अरविंद , राहुल, शंकर, बंसी, विक्की कविता, कुलदीप, सतीश व किसान पंकज, सरपंच शिवकुमार, सत्यवीर आदि मौजूद थे। मौके पर किसानों का बताया कि किसानों को पोर्टल पर अपना पंजीकरण करवाना जरूरी है जिसकी अंतिम तिथि 15 फरवरी है। सभी किसानों को प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत अपनी ई- केवाईसी करवाना जरूरी है नहीं तो 2000 रुपये की किस्त खाते में नहीं आएगी।
फोटो कैप्शन 5: किसानों को जानकारी देते कृषि विभाग के अधिकारी
कनीना के आधा दर्जन गांवों में होती है फूलों की खेती करके कमा रहे लाखों
-त्योहारों पर रहती है फूलों की मांग
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कनीना की आवाज। कनीना खंड के करीब आधा दर्जन गांवों के किसान फूलों की खेती करके हजारों से लाखो रुपये प्रति एकड़ कमा रहे हैं। इस फल पर विशेष ध्यान देने की जरूरत नहीं होती। नवरात्रों, दीपावली एवं अन्य पर्वों पर भारी मांग होगी। भाव घटते बढ़ते रहते हैं। कनीना क्षेत्र में गोमला, भोजावास, सुंदराह, गोमली, सहित जिले के विभिन्न गांवों में 200 एकड़ तक गेंदें उगाये जाते हैं।
कनीना उपमंडल के गोमला, गोमली, रामबास,भोजावास, मोड़ी आदि गांवों के किसान कुछ वर्षों से गेंदा की खेती करते आ रहे हैं। करीब तीन माह की इस खेती में अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है वहीं इस क्षेत्र में बेहतर पैदावार होती है। कभी कभी तो भाव बेहतर मिलते हैं। कम से कम 40 रुपये तो अधिकतम 200 रुपये प्रति किलो तक भाव मिल जाते हैं।
किसान कई वर्षों से गेंदा उगाते आ रहे हैं जो क्षेत्र को मुफ्त में खुशबू दे हैं तथा दिल्ली एवं गुरुग्राम जैसे शहरों में फूलों की मांग अधिक रहती हैं। कनीना एवं आस पास क्षेत्रों में फूलों की मांग बहुत कम है और फूलों की मंडी का अभाव है। ऐसे में अधिक किराया वहन करके दिल्ली व गुरुग्राम जैसे शहरों में ही फूलों को ले जाया जाता है। नवरात्रों के अलावा दीपावली, जन्माष्टमी, होली पर फूलों भारी मांग होती है।
डीएचओ डा प्रेम सिंह का कहना है कि खरीफ फसल बतौर फूलों की खेती को कैश क्राप नाम से जाना जाता है जो 90 दिनों की ही फसल होती है। इस क्षेत्र की मिट्टी में बेहतर पैदावार होती है। यही कारण है कि क्षेत्र के कई गांवों के किसान अब परंपरागत खेती की बजाय कैश क्राप की ओर आकर्षित हो रहे हैं। पर्वों पर विशेष मांग होती है।
--डा प्रेम सिंह डीएचओ
फूलों की खेती करने वाले किसानों से चर्चा की गई--
**नवरात्रों पर फूलों की बेहतर मांग के बाद दीपावली जैसे पर्वों पर भारी मांग होती है। कनीना, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी आदि में अगर फूलों की मंडी हो तो किसानों की रुचि इस ओर बढ़ सकती हैं। फूलों की खेती के लाभ अधिक मिलने की संभावना होती है।
----किसान गजराज सिंह
फूल उगाकर मन भी प्रसन्न रहता है वहीं खुशबू भी दूर दराज तक फैल जाती है। पर्वों पर फूलों की मांग हर घर में होती है वहीं शनिवार को हर दुकान पर फूलों की माला बदली जाती है। अगर गेंदा जैसे फूल उगाये तो अच्छा लाभ मिलने की उम्मीद होती है। तीन माह की खेती पर अधिक ध्यान देने की जरूरत नहीं है।
-----राकेश कुमार सुंदराह, फूल उत्पादक
कई बार किसान परंपरागत फसलें उगाते रहते हैं, इससे फायदो की जगह नुकसान अधिक होता है। फसलों को बदल कर बोना चाहिए। गेंदा फूल की खेती पारम्परिक खेती की तुलना में कई गुणा लाभ किसानों को दे सकती है। गेंदा फूल सिर्फ कम खर्च में अच्छा लाभ देता है, बल्कि भूमि की उपजाऊ शक्ति को बरकरार रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। गर्मी के सीजन में जनवरी माह में फूल लगाए जाते है। जिनका नवरात्रों के दिनों में पूजा पाठ में खूब इस्तेमाल होता है और बाजार में अच्छी कीमत भी मिलती है। इसके बाद अप्रैल मई और फिर सर्दी शुरू होने से पहले अगस्त-सितंबर में फूलों की बिजाई की जाती है। इससे अच्छा उत्पादन भी मिलता है।
------कांता, फूल उत्पादक
फोटो कैप्शन 03 /04: गेंदा की खेती।
साथ में डीएचओ डा प्रेम सिंह, राकेश कुमार, गजराज सिंह, कांता।
कई रूपों में मनाया जाता है बसंत पंचमी
-अक्षरज्ञान इसी दिन से शुरू होता है
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी के दिन मनाया जा रहा है। बसंत पंचमी का पर्व कई मायनों में सामाजिक एकता व भाईचारे का पर्व है। माघ कृष्ण पंचमी के दिन मनाए जाने वाले इस त्यौहार से जुड़ा है वासंती परिधान, पूजा अर्चना, होली गायन व नृत्य। मौसम मदमस्त करने के साथ-साथ मनमोहक होता है।
किसानों के लिए सह वक्त प्रफुल्लित करने वाला होता है। किसानों की फसलें लहलहाने लगती हैं। सरसों के पीले रंग के फूल धरा को पीला परिधान ओढ़े होने का आभास कराते हैं। वृक्षों पर नई कोपलें,गेहूं की बालियां आ जाती हैं। ग्रामीण अंचलों में तो इस पर्व का अधिक महत्व होता है। पतंगबाजी एवं मां सरस्वती की पूजा का पर्व है।
शिक्षाविद नरेश कुमार बताते हैं कि बसंत पंचमी से जुड़ी हैं अक्षरज्ञान की परंपरा। प्राचीन समय से बड़े बूढ़े अपने बच्चों को इसी दिन से ज्ञान देना शुरू करते थे। घर-घर में मां सरस्वती की पूजा होती है। बताया जाता है कि शिव, ब्रह्मा, विष्णु काम व रति की पूजा करने का प्रावधान भी होता है। बताया जाता है कि भगवान् भोलेनाथ को पार्वती ने बसंत बहार में ही आकर्षित किया था। राजस्थान में तो इस दिन मां की मूर्ति बनाकर पूजा करने के उपरांत नृत्य करने की परंपरा भी है।
बसंत पंचमी को पीले वस्त्र पहनने की परंपरा भी चली आ रही है। पीले वस्त्र पहनकर नृत्य किया जाता है। महिलाएं मंदिरों में जाकर पीले पुष्प अर्पित करती हैं। घरों में पीले चावल बनाकर चाव से खाये जाते हैं। बसंत पंचमी को विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा करके सद्बुद्धि और विद्या का वरदान मांगते हैं। कवियों ने ऋतुराज बसंत का कविताओं में और साहित्य में मार्मिक वर्णन किया है। प्रेमियों के लिए भी यह दिन मदमस्त करने वाला होता है। सुनील कुमार का कहना है कि जहां भी देखो खुशियों की बहार आ जाती है। किसान जहां खेतों में फसल पकती देख प्रसन्न होते हैं वहीं पक्षी भी ठंड से बचकर फसल खाने को लालायित दिखाई पड़ते हैं। भंवरे बागों और फसलों पर गूंजन करते हैं और मधुमक्खियां दिनभर फूलों से पराग इक_ïा करने में लगी रहती हैं और इंसान को मेहनत करने की प्रेरणा देती हैं।
इस पर्व के आगमन का द्योतक ही पेड़ पौधों पर फूलों का आना तथा मौसम का सुहावना होना माना जाता है। किसानों के लिए बसंत का कुछ विशेष महत्व होता है। किसान अपने खेतों की ओर देख-देखकर मन ही मन में विभोर हो जाता है और आने वाली खुशहाली को याद करता। अपने खेत में अच्छी फसल पैदा होने की संभावना को मन में धारण करके भगवान् एवं मां सरस्वती का आभार व्यक्त करता है। देश के विभिन्न भागों में इस त्योहार को अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है लेकिन सभी का अंतिम उद्देश्य मां की पूजा करना और सद्बुद्धि पाने की प्रार्थना करना होता है।
कवियों की कल्पना का आधार एवं मन में एक विचार सृजन का वक्त बसंत अति सुहावना लगता है। इस मौसम का विभिन्न कवियों ने अपनी तूलिकाओं से विभिन्न रंगों में उकेरा है। इस मौसम को देखकर लगता है कि सचमुच कामदेव धरा पर अवतरित हो गए हैं। किसान हो या आम जन सभी को प्रकृति का बहुरंगी नजारा अति मनमोहक लगता है। इसी दिन माता पिता की पूजा का विधान है। यू तो माता पिता की पूजा हर दिन की जाती है किंतु यह दिन उनकी पूजा का विशेष दिन माना गया है।
डा मुंशीराम बताते हैं कि इस दिन ही ब्रह्मांड के रचयिता ब्रह्माा जी ने मां सरस्वती की रचना की थी। इस बात का उल्लेख पुराणों में मिलता है कि, सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने मनुष्य योनि की रचना की क्योंकि, अपनी प्रारंभिक अवस्था में मनुष्य मूक था और धरती बिल्कुल शांत थी तब, ब्रह्मा जी ने धरती को इस अवस्था में देखा तो अपने कमंडल से जल लेकर छिड़क दिया। जिससे एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई। जिनके हाथ में वीणा थी और उनका दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। यही शक्ति मां सरस्वती कहलायी। उन्होंने वीणा का तार छेड़ा तो तीनो लोक में कंपन हो गया और सबको शब्द वाणी मिल गई।
लक्ष्मी देवी का कहना है कि मेलों की तैयारी इस दिन से शुरू हो जाती है। अकेले कनीना एवं आस पास गांवों में मेले लगते हैं जिनकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं। विभिन्न संस्थाओं में मां सरस्वती का पूजन होता है वहीं भंडारे एवं प्रसाद वितरण ,हवन आदि से मां को आह्वान किया जाता है। संत उधौदास आश्रम के लालदास महाराज के आश्रम में बसंत पंचमी के दिन हवन,भंडारा, मां की पूजा आदि अनेक कार्यक्रम आयोजित होने जा रहे हैं। मां की पूजा से संपूर्ण कार्य पूर्ण होते हैं।
फोटो कैप्शन एक से आठ:खेतों में लहलहाते पीले पीले सरसों के फूल एवं पकती फसल को देख प्रसन्न होते किसान।
साथ में नरेश कुमार, लक्ष्मी देवी, डा मुंशीराम, सुनील कुमार
केंद्र सरकार की तरफ से कट का काम शुरू न होने के कारण किसानों में आक्रोश
- 338वें दिन जारी रहा धरना
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए अनिश्चितकालीन धरना जारी है। धरने की अध्यक्षता बाबूलाल सेहलंग ने की और उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार को बार-बार याद दिला रहे हैं कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट न होने के कारण चंडीगढ़ और नारनौल आने-जाने वाले यात्रियों के साथ कोई बड़ा हादसा हो सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी से बाघोत-सेहलंग के बीच उतरने वह चढऩे वाले यात्री कभी भी दुर्घटनाग्रस्त हो सकते हैं। ज्यादा ऊंचाई होने के कारण आम आदमी के लिए उतरना चढऩा मुश्किल है। केंद्र सरकार लोगों की पीड़ा को समझें और जितना जल्दी हो सके राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच जल्द से जल्द कट का काम शुरू करवाया जाए जिससे अनहोनी होने से बचा जा सके।
धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन ने बताया कि केंद्र सरकार की तरफ से राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम शुरू न होने के कारण किसानों में आक्रोश है और जैसे-जैसे सरकार कट के काम में देरी कर रही है, उससे किसान और मजबूत हो रहे हैं, इरादा बुलंद है, कट के लिए प्रतिज्ञा ले रखी है, जब तक केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम शुरू नहीं करती है, तब तक धरना जारी रहेगा।
इस मौके पर पहलवान रणधीर सिंह, रामभज ,नरेंद्र कुमार शास्त्री,डा लक्ष्मण सिंह, मास्टर विजयपाल, पहलवान धर्मपाल, राजू, ओम प्रकाश, मास्टर विजय सिंह, अशोक चौहान, सज्जन सिंह, पूर्व सरपंच हंस कुमार, मनफूल, प्रधान कृष्ण कुमार, वेद प्रकाश, कृष्ण कुमार पंच, इंस्पेक्टर सत्यनारायण, पंडित मनीराम अत्रि, रामकिशन, दाताराम, प्यारेलाल, सीताराम, सब इंस्पेक्टर रामकुमार , डा राम भक्त, रोशन लाल आर्य व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 02: कट के लिए धरने पर बैठे किसान
अब स्टेट अवार्डी शिक्षकों को को मिलेंगी दो अतिरिक्त वेतन वृद्धियां
-राज्य शिक्षक पुुरस्कार सम्मानित शिक्षकों का शिष्टमंडल मिला शिक्षा मंत्री से
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कनीना की आवाज। हरियाणा राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित शिक्षकों का एक शिष्टमंडल जिसमें डा. पवन गुप्ता, इंद्रावती सांगवान, राजकुमार, रमेश कुमार, अंजू आदि की अध्यक्षता में शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर के आवास पर मंगलवार को मिला। इस मौके पर शिक्षा मंत्री ने सहानुभूतिपूर्वक राज्य शिक्षक पुरस्कार सम्मानित शिक्षकों की बातें सुनी। इस मौके पर शिक्षकों ने कहा कि स्टेट अवार्ड मिलने वाले शिक्षकों को अग्रिम की बजाय अतिरिक्त वेतन वृद्धियां दी जाए तथा तबादला नीति में पांच अतिरिक्त अंक दिए जाएं। दोनों पर झपट शिक्षा मंत्री ने सहमति दर्शा दी और कहा कि जल्द ही संबंध में एक पत्र जारी कर दिया जाएगा। उन्होंने अविलंब इस मुद्दे पर कार्रवाई कर दी है। परंतु 2 साल की अतिरिक्त सेवा के संबंध में कोई सहमति नहीं बनी। शिक्षकों ने इस बात पर खुशी जताई कि शिक्षा मंत्री ने उनकी बातें सुनते हुए दो मांगे पूरी करने का पूरा आश्वासन दिया है और उन्हें विश्वास है कि जल्द ही शिक्षा मंत्री उनकी मांगों को पूरा कर देंगे। एक और जहां किसान आंदोलन के चलते सभी जिलों से भारी संख्या में शिक्षकों को पहुंचना था किंतु अवरोध के चलते निर्धारित समय एवं स्थान पर अधिक शिक्षक नहीं पहुंच पाए जिसके चलते शिक्षकों को इस बात का मलाल भी है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 तक स्टेट अवार्डी शिक्षकों को दो साल की अतिरिक्त सेवा, दो अतिरिक्त वेतनवृद्धियां दी थी किंतु वर्ष 2021 एवं इसके बाद के शिक्षकों को दोनों लाभ नहीं दिये गये थे जिसके चलते शिक्षक सभी पूर्व सेवाएं बहाल करने की मांग कर रहे थे। अब शिक्षामंत्री ने पांच अंक तबादले में तथा दो अतिरिक्त वेतनवृद्धियां देने का आश्वासन दिया है। शिक्षकों ने शिक्षामंत्री का आभार जताते हुए खुशी जताई है।
फोटो कैप्शन 07: शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर को ज्ञापन देते हुए स्टेट अवार्डी शिक्षक
कैसे करें परीक्षा की तैयारी
-रटने की बजाय समझने पर दे ध्यान-राजबाला
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कनीना की आवाज। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड सििहत विभिन्न परीक्षाएं सर पर हैं और विद्यार्थी दिनरात एक किये हुए हैं। उनकी तैयारी को बेहतर बनाने के लिए वरिष्ठ प्राध्यापिका राजबाला कौशिक प्रवक्ता भूगोल राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पाथेड़ा का मानना है कि परीक्षा में सफलता के लिए विद्यार्थी यदि कुछ बातों का ध्यान रखें तो वे परीक्षा में अच्छी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। सबसे पहले परीक्षा की अच्छी तैयारी के लिए टाइम टेबल बनाएं तथा उसी के अनुसार समय का मैनेजमेंट करें,सभी विषयों का पाठ्यक्रम समय पर पूर्ण कर लें तथा रटने की प्रवृत्ति से बचें। सभी विषयों का आपस में सामंजस्य करें तथा महत्वपूर्ण विषयों को ज्यादा तथा कम महत्वपूर्ण विषयों को थोड़ा कम समय दें। सरल से कठिन का फार्मूला अपनाएं अर्थात पहले आसान प्रश्नों को याद करें उसके बाद जटिल प्रश्नों को, नोट्स तैयार करें तथा महत्वपूर्ण बिंदुओं को हाइलाइट करके अपने कमरे में चिपकाए ताकि उन पर बार-बार नजर पड़ती रहे। परीक्षा के दिनों में सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखें ज्यादा से ज्यादा समय पढ़ाई में लगाएं यह सफलता के लिए बेहद आवश्यक है। अपने स्वास्थ्य तथा खान-पान का ध्यान रखें पौष्टिक आहार, तथा पर्याप्त नींद ले पढ़ाई के बीच-बीच में बोरियत होने पर हल्का सा ब्रेक ले लें तथा हल्के व्यायाम करें व तनाव मुक्त होकर के अपनी परीक्षा की तैयारी करें।
फोटो कैप्शन: राजबाला कौशिक प्राध्यापिका।
धनौंदा स्कूल के विद्यार्थियों ने की सहारनवास कालेज की फील्ड विजिट
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कनीना की आवाज। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धनौंदा में एनएसक्यूएफ स्कीम के बच्चों की फील्ड विजिट सहारनवास स्रद्म4ह्यह्ल में करवाई गई। इसमें आइटी से संबंधित पाइथन प्रोग्रामिंग, एमएस आफिस और बहुत सी चीज को सीखने मिली तथा आइटी का भविष्य में क्या-क्या स्कोप हो सकता है, के बारे में ज्ञानवृद्धि की। सभी जानकारी शिक्षक प्रदीप कुमार एवं सूबे सिंह ने विस्तार से समझाई। इस दौरान सपना जैन डीन, ने बच्चों का मार्गदर्शन किया। प्रदीप कुमार, वोकेशनल टीचर, सीमा कुमार, वोकेशनल टीचर, सुनील कुमार डीपीई, प्रीति डीपीई, मैना यादव पीजीटी, तथा सूबे सिंह कंप्यूटर टीचर उपस्थित रहे। बच्चों को फील्ड विजिट में बहुत ही अच्छा अनुभव प्राप्त हुआ।
फोटो कैप्शन 01: कालेज की फील्ड विजिट का नजारा।
15 फरवरी से बदला
स्कूलों का समय
-अब स्कूल लगेंगे प्रात: 8 बजे से दोपहर 2:30 बजे तक
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कनीना की आवाज। शिक्षा विभाग हरियाणा ने वार्षिक परीक्षाओं के सुचारू रूप से संचालन के मद्देनजर 15 फरवरी से सरकारी स्कूलों का समय बदल दिया है। अब स्कूल प्रात: 8 बजे से दोपहर बाद 2:30 बजे तक लगेंगे। भेजे गए पत्र में कहा गया है कि एकल शिफ्ट वाले विद्यालयों में प्रात: 8 बजे स्कूल का समय होगा जबकि दो शिफ्ट वाले स्कूलों में पहली शिफ्ट प्रात: 7 बजे शुरू होगी तथा दूसरी शिफ्ट 12:45 से शुरू होगी।
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