किसानों के लिए ईंधन का विकल्प है धांसे
--पदाड़ी भी है बड़े काम की
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कनीना की आवाज। एक वक्त था जब सरसों के धांसों को लोग उखाड़ कर नहीं लाते थे, पदाड़ी को भी खेतों में फेंक कर आते थे किंतु आज दोनों की कीमत बढ़ गई है। किसान फसल कटाई के साथ-साथ जहां धांसों को इकट्ठा करते हैं। इन्हें ईंधन के विकल्प के रूप में प्रयोग करते हैं।
किसान सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह, अजीत कुमार, योगेश कुमार आदि ने बताया कि धांसों को काटकर सूखा लिया जाता है और इनको खाना बनाने के लिए प्रयोग में लाते हैं। कुछ किसान पशुओं का आहार पकाने में भी उनका उपयोग करते हैं। धांसों को लोग इक_ा करके अपने घर आंगन में कहीं जमा कर लेते हैं और कई महीनों तक विशेषकर ईंधन के विकल्प के रूप में प्रयोग करते हैं। चाहे ये कम ऊष्मा प्रदान करते हो किंतु गरीब तबके के लोगों के लिए धांसे बहुत कीमती माने जाते हैं। किसान इन धांसों को उखाड़ कर अपने लिए प्रयोग करते हैं या आसपास के लोग उन्हें उखाड़ कर ले आते हैं। यही नहीं कपास के वक्त भी कपास के धांसे ईंधन के रूप में काम में लिए जाते हैं। जहां सिलेंडर महंगा होने के कारण धांसों की अच्छी खासी मांग होती है।
फोटो कैप्शन 07: खेत से धांसे उखड़ता किसान
मोलडऩाथ मेले की तैयारी जोर शोर से जारी
-ऊंट एवं घोडिय़ों के दौड़ स्थल को किया जा रहा है समतल
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कनीना की आवाज। कनीना के परम संत मोलडऩाथ आश्रम धाम पर 20 मार्च को लगने वाले मेले के दृष्टिगत तैयारियां जारी हैं। वहीं प्रांगण को साफ सुथरा बनाए जा रहा है, दौड़ स्थल को समतल किया जा रहा है।
कनीना के बस स्टैंड के पास मोलडऩाथ आश्रम पर 20 मार्च को शक्कर मेला लगने जा रहा है। इसके दृष्टिगत आश्रम को सजाया जा रहा है, दीवारों पर रंग पेंट, रोगन किया जा रहा है। ठीक इसके सामने सुजान सिंह पार्क को आधुनिक बनाया जा रहा है। एक नहीं करीब 10 विभिन्न धार्मिक स्थान मोलडऩाथ आश्रम के आस पास होने के कारण सभी स्थानों को सजाकर मेले के दृष्टिगत आकर्षण का केंद्र बनाया जा रहा है। हरियाणा ही नहीं अपितु दूसरे प्रांतों राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब से भी ऊंट और घोडिय़ों की दौड़ में भाग लेने वाले पहुंचते हैं। इस मेले के दृष्टिगत ऊंट और घोडिय़ों की दौड़ वाले स्थान को समतल किया जा रहा है।छीथरोली सड़क मार्ग पर स्थित सीहोर के कच्चे रास्ते पर दौड़ आयोजित होती है। यह दौड़ 20 मार्च को आयोजित होंगी। संत मोलडऩाथ के आश्रम के प्रधान दिनेश कुमार ने बताया की सभी स्थलों को साफ सुथरा बनाए जा रहा है तथा कुश्ती दंगल फुटबाल ग्राउंड में आयोजित होंगी। वहीं प्रमुख मेला मोलडऩाथ आश्रम में लगेगा। कई भंडारे आयोजित होते हैं। आश्रम के लोगों ने आश्रम की सफाई की। उल्लेखनीय है कि यह मेला शक्कर मेले के नाम से जाना जाता है। कनीना के लेखक द्वारा मोलडऩाथ संत को लेकर आरतियां, कैलेंडर तथा तीन पुस्तकें जिनमें एक आईएसबीएन की प्रकाशित करवा रखी है। मेले में सभी घरों से लोग शक्कर का प्रसाद चढ़ाने आते हैं।
फोटो कैप्शन 5: घोडिय़ों की दौड़ स्थल को साफ सुथरा करते हुए
6: आश्रम की सफाई करते हुए भक्त
प्रशासन द्वारा चिनवाई दीवार को मात्र 1 घंटे बाद दोबारा दीवार तोड़ डाला
--फिर की गई है शिकायत
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कनीना की आवाज। खंड प्रशासन व पुलिस की मौजूदगी में बनवाई गई दीवार को पुन: तोड़ डाला। ग्रामीणों में रोष है।
ग्राम रामबास के अधिवक्ता कुलदीप यादव, बनवारी लाल पंच, सिकंदर पंच, रामवीर पंच, विकास यादव, संजीत यादव, राजेंद्र यादव के अलावा अन्य ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया कि गांव रामबास में स्थित हनुमान पार्क लगभग 14 साल पहले का बना हुआ है जिसमें गांव के सैकड़ों लोगों द्वारा घूमना फिरना व व्यायाम करने का कार्य किया जाता है वही गांव के कुछ तथा लोगों द्वारा पार्क की दीवार तोड़कर उसमें रास्ता बना लिया था जिसकी शिकायत राजेंद्र रामबास ने जिला उपायुक्त नारनौल व मुख्यमंत्री को भेज कर पार्क की तोड़ी हुई दीवार पर कार्रवाई करने की गुहार लगाई थी जिस पर प्रशासन द्वारा गत दिवस पुलिस हेल्प लेकर गांव रामबास पहुंच पार्क की दीवार का निर्माण का कार्य किया। लेकिन प्रशासन द्वारा बनाई गई पार्क की दीवार को मात्र एक घंटा बीता भी नहीं था दीवार को पुन: तोड़ डाला। इस मामले को लेकर खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी को एक लिखित शिकायत देकर मामले से अवगत कराया है। मामले को लेकर एससीपीओ कृष्णपाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह मामला मेरे संज्ञान में आया है और ग्राम पंचायत रामबास द्वारा एक लिखित शिकायत भेज कर उक्त अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग भी की है।
कट का काम केंद्र सरकार के भरोसे पर, 366वें दिन जारी रहा धरना
--अनिश्चितकालीन धरने पर हैं किसान
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए किसान अनिश्चितकालीन धरने पर हैं। मंगलवार को धरने की अध्यक्षता रामकिशन बाघोत ने की और उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के भरोसे पर राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम रुका हुआ है। केंद्र सरकार के द्वारा कट की घोषणा की हुई है और उसके बाद आश्वासन भी दिया गया कि कट का काम जल्द शुरू हो जाएगा लेकिन अब तक केंद्र सरकार के द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के प्रति ग्रामीणों में रोष है। जब तक केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम शुरू नहीं करती है, तब तक धरना जारी रहेगा।
धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन ने बताया कि धरने को चलते 366 दिन हो गए है और कट के लिए जल्दी कार्रवाई न की गई तब हम सरकार का विरोध करेंगे।
इस मौके पर डाक्टर लक्ष्मण सिंह, मास्टर विजयपाल, नरेंद्र शास्त्री, मनफूल, अशोक, मास्टर विजय सिंह, मुंशी राम, ओम प्रकाश, प्रधान कृष्ण कुमार, सूबेदार हेमराज अत्रि,पूर्व सरपंच हंसकुमार, मुंशीराम, बाबूलाल, सीताराम, डा. रामभक्त स्वामी, इंस्पेक्टर सतनारायण, पूर्व सरपंच सतवीर सिंह, प्यारेलाल, राम भक्त, सुरेंद्र सिंह, कृष्ण कुमार पंच, रोशन लाल आर्य व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 03: कट के लिए धरने पर कैठे किसान।
जाए तो जाए कहा-
कक्षा 6 से 12 तक लड़कों के लिए हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड का नहीं है स्कूल
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कनीना की आवाज। कनीना कस्बे में सामान्य विद्यार्थियों के लिए हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड में छठी कक्षा से 12वीं कक्षा तक पढऩे के लिए कोई संस्थान नहीं है। वर्तमान में नगर में तीन विद्यालय हैं जिनमें राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बाल जो विगत वर्षों में माडल संस्कृति स्कूल बन चुका है तथा उसे विद्यालय में से शिक्षण संस्था होने के साथ-साथ केवल केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त होने के कारण वहां 500 रुपये प्रतिमाह फीस देकर ही पढ़ाई की जा सकती है वहीं दूसरा विद्यालय राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय जो कनीना मंडी में स्थित है। वह भी कन्या विद्यालय होने के कारण 9 से 12 कक्षा में छात्रों को प्रवेश नहीं मिलता। तीसरा विद्यालय राजकीय कन्या उच्च विद्यालय कनीना है जहां गत वर्ष मु यमंत्री मनोहर लाल के कनीना दौरे के दौरान उनसे प्रार्थना की गई थी कि क्षेत्र का सबसे पुराना विद्यालय होने के कारण इस विद्यालय को क्रमोन्नत कर सह शिक्षण संस्थान बनाया जाए ताकि कनीना कस्बे के छात्रों को हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से पढ़ाई करने में आसानी हो।
इस बारे में कई बार विद्यालय के मुखिया नरेश कुमार कौशिक ने प्रदेश सरकार पर शिक्षा अधिकारियों को लिखकर निवेदन किया है कि विद्यालय का दर्जा बढ़ाया जाए तथा इसे सह शिक्षण संस्थान बनाया जाए । इसके लिए स्थानीय विधायक सीताराम यादव से भी बार-बार निवेदन किया गया कि विद्यालय का दर्जा बढ़ाया जाए तथा इसे शिक्षण संस्थान बनाया जाए इसके अलावा उच्च अधिकारियों को विद्यालय का दर्जा बढ़ाने की प्रार्थना की गई है। विद्यालय के मुखिया ने बताया कि शीघ्र ही सघन नामांकन अभियान शुरू किया जा रहा है इसमें कक्षा 6 से 8 के छात्रों के दाखिले भी किए जाएंगे।
नहीं नसीब हुई है अभी तक फरवरी माह का वेतन
-हर महीने शिक्षकों को मिलता है देरी से वेतन
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कनीना की आवाज। पूरे ही जिले में बहुत से शिक्षकों को आज तक अपना फरवरी माह का वेतन नसीब नहीं हुआ है एक और जहां फरवरी माह के वेतन से बहुत अधिक भाग उनका टैक्स में कट चुका है, बाकी बची हुआ वेतन भी उनको आज तक नसीब नहीं हो रहा है। जिसको लेकर शिक्षक को भारी रोष है। शिक्षक नेताओं सुनील कुमार, धर्मपाल का कहना है कि सरकार ऐसा नियम पारित करें कि हर कर्मचारी को उसका वेतन 5 तारीख तक हर हाल में मिल जाए और उसे अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए जो वेतन में देरी का कारण बनते हैं। बहरहाल आज तक अनेकों शिक्षकों को वेतन नसीब नहीं हो रहा है। शिक्षक बेहद परेशान है उन्होंने मांग की है कि उनका समय पर वेतन दिया जाए ताकि वे घर परिवार को चला सके।
निशान यात्रा के लिए निकल पड़े भक्त जैतपुर एवं खाटू धाम के लिए
-खाटू श्याम में लगता है देश का बड़ा मेला
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कनीना की आवाज। कनीना हजारों खाटू भक्त विभिन्न श्याम मंदिरों में जाते हैं। यात्रा शुरू हो गई है तथा भक्तों के लिए शिविर लेग चुके हैं। विगत वर्ष कनीना के श्याम मंदिर से एक निशान यात्रा हुडिय़ा जैतपुर स्थित खाटू धाम पहुंची थी जबकि इस वर्ष दो यात्राएं जाएंगी।
भक्त एक जरफ जैतपुर जाते हैं जो कनीना से महज 22 किमी दूर है जबकि दूसरा धाम कनीना से करीब 190 किमी दूर है। दोनों ही स्थानों पर 21 मार्च तक भारी भीड़ रहेगी। ऊाग उत्सव मनाया जाता है। इस यात्रा में सैकड़ों महिलाएं भाग लेती हैं। इस मेले में भक्त निशान लेकर पहुंचते हैं और बाबा को अर्पित करते हैं। हर वर्ष हजारों की संख्या में भक्त जैतपुर जाते हैं। जो भक्त खाटू धाम राजस्थान नहीं पहुंच पाते हैं वे जैतपुर धाम जाते हैं। जैतपुर धाम सुविधाजनक भी है।
खाटू श्याम मेला-
जैतपुर में 21 मार्च को खाटू श्याम मेला लगेगा जिसमें अपार भीड़ जुटेगी। कलकत्ता तथा अलवर के शृंगारकर्ता प्रतिदिन ताजा फूलों से बाबा का शृंगार करते हैं। करीब 300 वर्ष पुराने इस श्याम मंदिर का विगत वर्षों जीर्णोंद्धार करवाया गया है।
कनीना व आस पास के भक्त जैतपुर जाएंगे। 22 किमी के इस सफर में वे मोहनपुर, भोजावास, रातां से होकर प्रतापुर एवं जैतपुर पहुंचते हैं। इस पदयात्रा में उनके साथ जल एवं खाने पीने का सामान वाहन में साथ साथ चलता है। डीजे पर थिरकते पैर एवं रंग गुलाल में भीगे भक्त खुशी खुशी जैतपुर के लिए रवाना होते हैं। करीब 11 दिनों तक विभिन्न सड़क मार्गों पर भक्त ध्वज के साथ जाते नजर आते हैं।
उधर राजस्थान में रिंगस से करीब 17 किमी दूर खाटूश्याम धाम पौराणिक इतिहास को समेटे हुए है। यूं तो इस धाम पर वर्ष भर भारी भीड़ चलती है किंतु फाल्गुन शुक्ल एकादशी (21 मार्च)को जो मेला लगता है उसमें अपार जनसैलाब उमड़ता है। यहां कई दिनों पूर्व ही भक्तजन आकर ध्वज चढ़ाने लग जाते हैं। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के अलावा पंजाब के बेशुमार भक्तजन पदयात्रा करके इस धाम पर पहुंचते हैं। पदयात्रियों का जाना शुरू हो गया है जो 21 मार्च तक चलते रहेंगे।
कौन थे खाटूश्याम की कथा-
श्याम बाबा का नाम बर्बरीक था तथा महाभारत में भीम का पौत्र घाटोत्कच का पुत्र था। जब कौरवों और पांडवों का युद्ध चल रहा था तो बर्बरीक तीन बाण लेकर युद्ध में आया। जब श्रीकृष्ण की नजरें उन पर पड़ी तो उनका परिचय तथा युद्ध में आने का कारण पूछा। बर्बरीक ने अपना नाम घटोत्कच पुत्र बबरीक बताया और कहा मैं युद्ध के लिए आया हूं और तीन बाणों से तीन लोकों को बेंध सकता हूं। कृष्ण ने उनकी परीक्षा हेतु सामने खड़े विशाल पीपल के सभी पत्ते एक ही बाण से छेदने के लिए कहा।
बर्बरीक ने एक बाण धनुष पर चढ़ाया और, पीपल के सभी पत्ते छेद डाले। श्रीकृष्ण ने शीश दान में मांगा। बरबरीक ने हाथ जोड़कर एक विनती की कि उन्हें पूरा युद्ध दिखाया जाये।
शीश को ऊंचे पर्वत पर रख युद्ध का हाल देखने दिया। जब पांडव युद्ध जीत गए तो युद्ध में जीत का कारण श्रीकृष्ण का सुदर्शन चक्र तथा द्रोपदी का काल रूप बताया।
बर्बरीक के सच्चे न्याय को सुन श्रीकृष्ण ने उन्हें कलियुग में श्याम बाबा नाम से पूजे जाने का वरदान दिया। इसके बाद शीश नदी में बहा दिया जो चलकर खाटू पवित्र धाम में रुका। तभी से खाटू श्याम स्थल पर श्याम मन्दिर बनाकर पूजा आरंभ की।
ठहराव-
खाटूश्याम धाम पर मेला अति दर्शनीय है। राजस्थान के भरने वाले प्रसिद्ध मेले के श्रद्धालुओं के लिए गांव-गांव में ठहरने के लिए शिविर लगाये जाते हैं। श्याम बाबा को पहुंचने वाले श्रद्धालुओं व भक्तों को यहां ठहराकर प्रबंधक विभोर हो जाते हैं। वहीं भक्तों की अच्छी सेवा की जाती है। किसी भी भक्त को रास्ते में कोई परेशानी नहीं आती है। वैसे भी भारी सं या में भक्त विशेषकर महिलाएं अधिक जाती हैं। रास्ते में नहाने, खाने एवं दवाओं को शिविरों में भी बेहतर प्रबंध होता है।
तैयारी-
खाटूश्याम जाने के लिए एक डंडे पर सवा मीटर का कपड़ा जो खाटू ध्वज के नाम से पूजा अर्चना करने के बाद धारण किया जाता है और रास्ते में किसी कपड़े आदि या साफ जगह पर ही रखा जाता है। सुबह सवेरे खाटू की पूजा करके ही ध्वज को लेकर आगे बढ़ते हैं। सफाई के साथ-साथ मन एवं वचन से पूरे रास्ते शुद्धता का याल रखा जाता है। कांवड़ के मुकाबले खाटूश्याम के नियम लचीले होते हैं। साबुन, तेल, ब्रश आदि की जा सकती है। क्योंकि अधिकांश रास्ता ट्रैक के साथ-साथ होकर गुजरता है। ऐसे में भक्तों को ट्रेन का ध्यान रखना जरूरी है। गांव गांव इन भक्तों के लिए शिविर लग गये हैं।
परिवार के कई सदस्य जा रहे हैंसंग में--
श्याम बाबा के दर्शन के लिए एक ही परिवार के कई कई सदस्य जाते हैं जो कई कई दिन पैदल चलते हैं। पैरों में छाले पड़ जाते हैं किंतु बिना थके आगे बढ़ जाते हैं। उनके लिए चिकित्सा सुविधा भी जगह जगह मिलती है। सोनीपत से किरण, नवीन एवं दर्शन सिंह एक ही परिवार से पिता, पुत्र एवं पत्नी निशान लेकर जा रहे हैं।
फोटो कैप्शन 02: पिता, पुत्र एवं पत्नी संग में धाम पर जाते हुए।
बिना थके आगे बढ़ रहे हैं भक्त
-निशान यात्रा जारी रहेगी 21 मार्च तक
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कनीना की आवाज। जैतपुर तथा खाटू धाम जाने वाले भक्तों से उनकी यात्रा पर चर्चा की गई। वे अधिकांश अपनी मन्नत लेकर बाबा के दर्शन करने जाते हैं। बहुत कम लोग बिना किसी मन्नत के जा रहे हैं। अपार भक्त दो धामों पर फागुन माह की एकादशी तक जाते हैं।
***भक्तों की सेवा करके जो आनंद आता है वह ध्वज ले जाने में नहीं आता। वे प्रतिदिन सैकड़ों भक्तों की सेवा करते हैं और अपने को प्रसन्नचित समझते हैं। प्रतिवर्ष भक्तों के लिए शिविर लगाते हैं और उनकी सेवा करके खुशी जाहिर करते हैं।
--पडित घनश्याम, कैंप संचालक कोटिया
कृष्ण कुमार भक्त का कहना है कि करीब दस दिनों की यात्रा पूरी करके आठवीं बार निशान चढ़ाने जा रहे हैं। वे बिना किसी मनोकामना के धाम पर जा रहे हैं। उन्हें थकान नहीं हो रही है। बाबा का नाम लेकर थकान मिट जाती है।
कृष्ण कुमार भक्त
दर्शन सिंह का कहना है कि वे चौथा निशान ले जा रहे हैं। वे भविष्य में भी इसी प्रकार निशान अर्पित करते रहेंगे। जब तक बाबा उन्हें बुलाएंगे वे यूं ही बाबा के दर्शन करने जाते रहेंगे।
दर्शन सिंह भक्त
नवीन कुमार का कहना है कि अपने पुत्र एवं पत्नी के साथ खाटूधाम जा रहे हैं। वे अपनी एक मनोकामना लेकर जा रहे हैं। वे एक निजी जोब करते हैं। उन्हें खुशी है कि वे बाबा के दर्शन करेंगे।
--नवीन कुमार भक्त
हरिओम भक्त का कहना है कि वे सोनीपत खाटू श्याम जा रहे हैं। दूसरी बार निशान ले जा रहे हैं। उनका कहना है कि जीवन में सबसे बेहतर आरनंद यह यात्रा दे रही है। इस प्रकार की यात्राएं भविष्य में भी करता रहूंगा। वे अपनी मनोकामना लेकर जा रहे हैं। पैरों में छाले हैं किंतु उन्हें प्रसाद समझकर आगे बढ़ रहे हैं।
-हरिओम भक्त
सौरभ कुंडल निवासी का कहना है कि वे अपने दिल में एक मनोकामना लेकर दूसरी बार निशान ले जा रहे हैं। उन्हें कोई थकान नहीं है। वे भविष्य में भी इसी प्रकार के निशान लेकर जाते रहेंगे।
--सौरभ भक्त
किरण महिला भक्त का कहना हैं कि वे स्नातक होते हुए भी गृहिणी का काम कर रही है तथा अपने दिल में एक अरदास लेकर जा रही है। बाबा का नाम लेकर आगे बढ़ रही है।
फोटो कैप्शन 01: भक्त निशान ले जाते हुए
साथ में दर्शन सिंह, हरिओम, घनश्याम पंडित, सौरभ, कृष्ण की पासपोर्ट।
मेरा पहला वोट
वोट डालने के लिए लालायित हैं साहिल दुबट
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कनीना की आवाज। चुनाव आयोग समय-समय पर 18 वर्ष की उम्र पूरी होने वाले युवाओं को वोट बनवाने का अवसर देता आ रहा है। जिसके तहत कनीना उप- मंडल के गांव खेड़ी तलवाना के साहिल दुबट ने अपना वोट बनवाया है। उन्हें बेहद खुशी है कि उनकी उम्र 18 वर्ष हो गई है और अब वोट डालने के अधिकारी हैं तथा अपने वोट से सही नेता का चुनाव करके ,सही सरकार में परोक्ष रूप से भागीदारी करेंगे। जब साहिल से बात की तो उनका कहना है कि उनके मन में हार्दिक खुशी है कि वह अपना पहली बार वोट डालेंगे और वह भी लोकसभा के प्रत्याशी का। वोट डालकर उन्हें बेहद खुशी होगी वहीं उनकी चाहत है कि उनकी चाहत का प्रत्याशी सत्ता में पहुंचे और उनकी समस्या और क्षेत्र की समस्याओं को उजागर कर उनका समाधान करें। साहिल अभी भी पढ़ रहा है और पढ़ाई के साथ-साथ उनकी इच्छा है कि सरकार ऐसे काम करें जिसमें युवाओं का हित हो। उनका कहना कि वोट डालने का अधिकार आयोग ने उन सभी युवाओं को दिया है जिनकी उम्र 18 वर्ष हो गई। अब वह 18 वर्ष पर कर चुके हैं और पहली बार वोट डालेंगे। उन्हें अपना पहचान पत्र पहचान पत्र बनवा लिया है तथा वोट डालने के लिए लालायित हैं।
फोटो कैप्शन: साहिल दुबट
मेरा चुनाव घोषणा पत्र
--जो करेगा मांगे पूरी वोट मिलेंगे उसी को
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कनीना की आवाज। लोकसभा के चुनाव नजदीक हैं और लोकसभा चुनाव में जहां सभी पार्टी के अपने-अपने घोषणा पत्र होते हैं परंतु कनीना निवासी दिनेश कुमार संत मोलडऩाथ आश्रम ट्रस्ट प्रधान का अपना घोषणा पत्र है। वे चाहते कि वो उस प्रत्याशी को वोट देंगे जो नि न मांगों को पूरा करेंगे।
* कनीना का न्यायिक परिसर निर्माण करवाएं
*कनीना की सभी प्रमुख सड़कों की सुध ले
* कनीना के मौलडऩाथ आश्रम को सरकार अपने अधीन लेकर के पर्यटन स्थल घोषित करें। *कनीना खास नामक रेलवे स्टेशन पर सभी ट्रेनों का ठहराव करें
**कनीना बस स्टैंड की सुध ले ताकि
यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो *युवाओं को और रोजगार अधिक से अधिक उपलब्ध करवाये
* स्कूलों को क्रमोन्नत करें तथा स्कूलों में शिक्षकों की पूर्ति करे
* हर गरीब एवं किसान का हित करें उसको अपना वोट देंगे।
फोटो कैप्शन : दिनेश कुमार प्रधान।
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